Thursday, October 30, 2014

FUN-MAZA-MASTI घर का बिजनिस -14

FUN-MAZA-MASTI

 घर का बिजनिस -14

 दीदी ने जब देखा कि मैं सिर्फ़ उनकी फुद्दी को हो देखे जा रहा हूँ कुछ कर नहीं रहा तो दीदी ने कहा- आलोक, क्या बात है? क्या देख रहे हो?

मैंने कहा- दीदी, मैं आपकी इस प्यारी सी फुद्दी को देख रहा हूँ जिसने मुझे अपना बना लिया है।

दीदी ने कहा- “अच्छा जी, अगर अपना बना लिया है तो तुम्हें इसने ये नहीं बताया कि आपने खुद तो नाश्ता कर लिया है लेकिन ये अभी तक भूखी है, हाँ…”

मैंने दीदी की फुद्दी पे एक किस की और कहा- दीदी, एक बात कहूं मानोगी?

दीदी ने कहा- हाँ आलोक, बोलो क्या बात है?

मैंने दीदी की आँखों में देखते हुये कहा- “दीदी, आज मैं आपकी फुद्दी नहीं बलकि आपकी ये गाण्ड मारना चाहता हूँ…”

दीदी मेरी बात से चौंक गई और कुछ सोचने के बाद बोली- “नहीं आलोक, तुम्हारा बहुत बड़ा है। मुझसे बर्दाश्त नहीं होगा प्लीज़्ज़… नाराज नहीं होना भाई…”

मैंने कहा- दीदी, प्लीज़्ज़ मान जाओ ना… क्या आपको मेरे साथ कोई प्यार नहीं है? आप मेरी इतनी सी बात भी नहीं मान सकती हो?

दीदी ने कहा- “आलोक, तेरा बहुत बड़ा है, ये मेरी गाण्ड फाड़ देगा…”

मैंने कहा- “दीदी, आप प्लीज़्ज़ एक बार कोशिश तो करो अगर आपका दिल नहीं किया तो नहीं करूंगा…”

दीदी ने कहा- “भाई, दिल तो मेरा भी करता है कि मैं गाण्ड में भी करवाऊँ लेकिन तुम्हारा बहुत बड़ा है…”

मैंने दीदी की मिन्नतें शुरू कर दीं।

तो दीदी सोच में पड़ गई और कुछ देर के बाद बोली- “ठीक है आलोक, तुम तेल की बोतल ले आओ…”

मैं दीदी की बात से खुश हो गया और तेल ले आया।

तो दीदी ने कहा- आलोक, जो करना है और जितना भी करना है एक ही झटके में कर देना बार-बार का दर्द मुझसे नहीं बर्दाश्त होगा।

मैंने कहा- लेकिन दीदी, इस तरह तो ज्यादा दर्द होगा और आपकी चीखें भी बाहर तक जा सकती हैं…”

दीदी ने कहा- तुम परवाह नहीं करो, मैं अपने मुँह में कपड़ा डाल लूँगी जिससे आवाज दब जायेगी।

मैंने फौरन दीदी को डागी बना दिया और दीदी की गाण्ड पे तेल से मालिश करने लगा और साथ ही अपने लण्ड को भी तेल से अच्छी तरह भिगो दिया और दीदी की गाण्ड के सुराख के साथ लगा दिया और दीदी को कहा- दीदी, क्या मैं घुसा दूँ?

दीदी ने अपने मुँह में कपड़ा घुसा लिया और हाँ में सर हिला दिया। दीदी के सर का हिलना था कि मैंने दीदी की गाण्ड को पकड़कर एक पूरी ताकत का झटका दिया, जिससे मेरा लण्ड दीदी की नरम और मुलायम गाण्ड को खोलता हुआ जड़ तक घुस गया।

लण्ड के घुसते ही दीदी बुरी तरह से तड़पी और मुँह से गूउुउन्ण… गऊवन्न… की आवाज के साथ ही बेड पे गिर गई और मेरे नीचे से निकलने की कोशिश करने लगीं।

क्योंकि मैं पहले से ही तैयार था इसलिए मैं लण्ड के घुसते ही दीदी के साथ लिपट गया और मजबूती से पकड़ लिया, जिससे दीदी अपनी गाण्ड में से मेरे लण्ड को निकालने में नाकाम रही। दर्द के मारे दीदी की आँखों में से आँसू निकल रहे थे और दीदी अपने हाथ पीछे करके मुझे अपने लण्ड को बाहर निकालने को बोल रही थी लेकिन मैंने लण्ड नहीं निकाला और इसी तरह लण्ड को घुसाए दीदी के साथ लिपटा रहा।

कुछ देर के बाद दीदी ने मुँह से कपड़ा निकाल दिया और बोली- “आलोक, प्लीज़्ज़ भाई… अभी निकाल लो… मेरी गाण्ड फट गई है… आअह्ह… भाई मान जाओ… प्लीज़्ज़ बाहर निकाल लो ना…”

मैंने दीदी से कहा- “दीदी, जो दर्द होना था हो गया है अब आपकी गाण्ड मेरे लण्ड से चुदवाने के लिए तैयार है और आप ही मना कर रही हो…”

दीदी ने कहा- “भाई, थोड़ा देर में कर लेना लेकिन अभी नहीं… प्लीज़्ज़… बाहर निकालो…”

मैंने दीदी को कोई जवाब नहीं दिया और अपने लण्ड को हल्का सा बाहर खींच के फिर से घुसा दिया जिससे दीदी के मुँह से- आऐ… आलोक… बहनचोद… ये क्या कर रहा है? मेरी गाण्ड फट गई… उउफफ्फ़ माँ… भाई, प्लीज़्ज़… निकालो मैं मर जाऊँगी…”

लेकिन अब मैं दीदी की कोई बात नहीं सुन रहा था और आराम-आराम से दीदी की गाण्ड में अपने लण्ड को अंदर-बाहर करने लगा जिससे दीदी को भी अब दर्द कम होने लगा था और मेरे लण्ड पे जो दीदी की गाण्ड की पकड़ थी अब कुछ ढीली हो गई थी जिससे मेरा लण्ड अब कुछ आराम से दीदी की गाण्ड में जा रहा था।



 अब दीदी- “आअह्ह… भाई, बस इसी तरह करो… तेज नहीं करना… इस तरह अच्छा लग रहा है… उन्म्मह… हाँ भाई अब कुछ मजा मिल रहा है…”

मेरा लण्ड अब जैसे ही दीदी की गाण्ड के अंदर घुसता तो दीदी अपनी गाण्ड को दबा लेती और फिर ढीला छोड़ देती जिससे मुझे अनोखा ही मजा आने लगा और मैंने अपनी स्पीड को भी बढ़ा दिया और साथ ही-
“आअह्ह… दीदी, क्या गाण्ड है आपकी? कसम से मजा आ गया… उन्म्मह… दीदी, मेरा होने वाला है दीदी…”

दीदी भी अब- हाँ भाई हो जाओ… उन्म्मह… नहीं भाई, जोर से नहीं… उन्म्मह… भाई अभी कुछ अच्छा लगने लगा है। हाँ बस इसी तरह आराम से करो।

मैं इसके बाद एक दो मिनट में ही दीदी की गाण्ड में फारिग़ हो गया और दीदी के ऊपर ही गिर गया और हाँफने लगा कि तभी दीदी के मुँह से- पायल तुम यहां?

मैं फौरन दीदी के ऊपर से उठा तो मेरा आधा खड़ा लण्ड दीदी की गाण्ड से पुकचाआक्क की आवाज के साथ बाहर निकल आया जिससे पायल बड़े प्यार भरी नजरों से देखने लगी और साथ ही मुश्कुराने लगी।

मैंने पायल की तरफ देखा और कहा- पायल तुम कब उठी?

पायल- अभी थोड़ी ही देर हुई है भाई, क्यों नहीं उठना चाहिए था क्या?

मैं- नहीं, ऐसी बात नहीं है। चलो तुम नहा लो फिर बुआ के साथ ही नाश्ता कर लेना।

पायल हल्का सा मुश्कुराई और बोली- “भाई, मेरा दिल तो कर रहा है कि मैं भी दीदी वाला नाश्ता ही कर लूँ…”

दीदी- “पायल, जब तुम्हारा दिल चाहे कर लेना, जितना ये मेरा भाई है उतना ही तुम्हारा भी है…”

पायल- भाई, क्या दीदी सच बोल रही हैं?

मैं- “हाँ पायल, जब तुम्हारा दिल करे मैं अपनी छोटी बहन को मना थोड़ी ना करूंगा…” और हँस पड़ा।

पायल- “ठीक है भाई, फिर तैयार रहना आप मैं किसी भी वक़्त आपसे अपना हिस्सा माँग सकती हूँ…”

दीदी- “पायल, मैंने और आलोक ने कहा ना कि तुम्हें कोई भी मना नहीं करेगा। चल अभी जाकर नहा ले और बुआ को भी उठा दे…”

पायल दीदी की बात सुनकर वापिस रूम की तरफ मुड़ गई और दरवाजा के पास जाकर फिर मुड़ी और मेरे लण्ड की तरफ देखकर ठंडी सांस भरी और रूम में चली गई।

पायल के जाते ही मैंने दीदी की तरफ देखा और कहा- दीदी, क्या आपने अरविंद की ओफर को सच में मान लिया है?

दीदी- हाँ भाई, मेरा ख्याल है कि ये ही ठीक रहेगा। क्योंकि इस तरह मैं इस जलालत से बची रहूंगी और पैसा भी कमा लूँगी…”

मैं- “हाँ दीदी, बात तो आपकी ठीक है लेकिन इस तरह तो आप मुझे भी पास नहीं आने दोगी…”

दीदी- क्यों? तू कोई बाहर का थोड़ी है। मेरा अपना है और जो मजा तेरे साथ है वो कोई बाहर का आदमी तो नहीं दे सकता ना…”

मैंने दीदी को एक किस किया और उठकर नहाने चला गया और फिर वापिस आकर ड्रेस पहनी और तैयार हो गया। क्योंकि काम का टाइम भी होने वाला था कि तभी बापू की काल आ गई। बापू ने कहा- “आलोक, अंजली को बोलो कि वो तैयार हो जाये…”

मैंने हैरानी से कहा- लेकिन, वो क्यों बापू?

बापू ने कहा- वो… अभी अरविंद साहब आ रहे हैं मेरे साथ और हम अंजली को साथ लेकर जायेंगे। अरविंद साहब ने अंजली के लिए एक कोठी पसंद की है और अब अंजली सिर्फ़ उनके लिए ही बुक रहा करेगी। ठीक है…”

मैंने कहा- ठीक है बापू, जैसे आप बोलो और काम का क्या करना है आज छुट्टी है क्या?

बापू ने कहा- हाँ, आज छुट्टी करो और ऐसा करो कि तुम लोग घर ही चले जाओ। यहाँ रुकने का क्या फायदा है?

मैंने कहा- “जी बापू, जैसे आप कहो…” और काल कट करके दीदी को आवाज दी और कहा- “दीदी आप तैयार हो जाओ, बापू आ रहे हैं अरविंद साहब को लेकर, आपने साथ जाना है…”

दीदी मेरी बात सुनकर बोली- ठीक है भाई, मैं तैयार हूँ।

तो पायल ने कहा- भाई, हमने क्या करना है?

मैंने कहा- हम अभी घर जायेंगे और आराम करेंगे आज छुट्टी है।

पायल ने फौरन ही इनकार कर दिया और बोली- “वो कहीं भी नहीं जाएगी और यहाँ ही रहा करेगी…”

लेकिन बुआ ने कहा- मुझे तो घर जाना ही होगा, कुछ सामान भी ले आऊँगी वहाँ से।




बापू कोई एक घंटे के बाद आए और दीदी के साथ बुआ को भी ले गये कि घर छोड़ते जायेंगे और निकल गये। उन लोगों के जाने के बाद मैंने टीवी लगा लिया और देखने लगा लेकिन पायल रूम की तरफ गई और रात की बची हुई शराब उठा लाई और साथ ही दो गिलास भी ले आई और मेरे सामने रख दिए।

मैंने कहा- पायल, ये क्यों लाई हो यहाँ?

पायल ने कहा- भाई, आज आपके साथ पीना चाहती हूँ। क्या पियोगे मेरे साथ? ये बात बोलते हुये पायल की आँखों में सेक्स का नशा मुझे साफ नजर आ रहा था। और मैं समझ गया कि मेरी छोटी बहन मुझसे क्या चाहती है।

मैंने हाँ में सर हिला दिया और कहा- लेकिन आज अगर पिलानी है तो तुम्हें ही पिलाना पड़ेगी।

पायल मेरी बात सुनकर खुश हो गई और उठकर मेरे पास बैठ गई और दो पेग बना दिए और एक गिलास मेरी तरफ बढ़ा दिया। मैंने अपना गिलास पकड़ लिया और शराब के सिप लेने लगा।

पायल मेरे साथ जुड़ के बैठ गई और बोली- भाई, एक बात कहूं, मानोगे क्या?

मैं- हाँ बोलो, क्या बात है मेरी जान?

पायल- भाई, वो ऋतु को भी हम अपने साथ मिला लेते हैं।

मैं हैरानी से पायल की तरफ देखने लगा और बोला- “पायल, तुम्हें पता है कि तुम क्या बोल रही हो? ऋतु अभी सिर्फ़ 19 साल की है…”

पायल- “भाई, आपको नहीं पता कि लड़की 18 साल की होते ही काम के लिए पक जाती है अब ये खाने वाले की मर्ज़ी की उसे कब खाता है…”

मैं समझ गया था क्योंकि ऋतु ने पायल को हमारे सामने नंगा किया था और अब पायल ये चाहती थी कि ऋतु की भी चुदाई हो जाये। ये एक जलन थी जो कि पायल को ऋतु के साथ थी इसलिए मैंने पायल को अपनी तरफ खींच लिया और कहा- देखो पायल, मैं अकेला क्या कर सकता हूँ? लेकिन हाँ बापू और अम्मी के साथ बात करूंगा। ठीक है?

पायल खुश हो गई और बाकी की शराब एक ही घूंट में पी गई और दूसरा पेग बनाने लगी और बोली- भाई, कसम से मेरा दिल करता है कि ऋतु के साथ पहली बार आप ही करो।

पायल की बात सुनकर पता नहीं क्या हुआ कि मेरा लण्ड शलवार को फाड़कर बाहर आने के लिए मचल गया और मैंने भी बाकी की शराब को एक ही घूंट में अपने अंदर उतार दिया और गिलास पायल को पकड़ा दिया और बोला- “नहीं पायल, ऐसा किस तरह हो सकता है भला? अम्मी और बापू नहीं मानेगे इस बात को और वैसे भी ऋतु अभी इतना बर्दाश्त नहीं कर पाएगी…”

पायल- “भाई, आप इस बात को छोड़ो कि ऋतु बर्दाश्त कर सकती है या नहीं? बस आप उसके साथ पहली बार सोने के लिए तैयार रहो क्योंकि लड़की को जितना बड़ा लण्ड मिलता है लड़की उतना ही खुश होती है…”

मैं पायल की बात सुनकर मचल सा गया कि मुझे भी अपनी किसी बहन की सील को तोड़ना चाहिए… देखूं तो सही कि इसमें कितना मजा आता है?

अभी मैं ये सोच ही रहा था कि पायल ने मुझे एक पेग बनाकर पकड़ा दिया जिसे मैं एक ही सांस में चढ़ा गया और पायल को पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया और किस करने लगा। पायल भी काफी गरम हो रही थी और मेरी जुबान को अपने मुँह में भर के चूसने लगी और मेरे साथ लिपटने लगी। अब मैंने पायल को किस करने के साथ उसकी शर्ट में भी हाथ घुसा दिया और उसकी चूचियों को दबाने लगा, कभी अपनी जुबान पायल के मुँह में घुसा देता, और कभी उसकी जुबान को अपने मुँह में भर के चूसने लगता।

तभी पायल ने अपना एक हाथ नीचे की तरफ किया और मेरे लण्ड को अपने हाथ से पकड़कर सहलाने लगी जिससे मुझे मजा भी ज्यादा आने लगा। कुछ देर के बाद मैंने पायल को पीछे किया और उसकी शर्ट को भी निकाल दिया जिससे अब मेरी छोटी बहन सिर्फ़ पिंक कलर की ब्रा और निक्कर में ही मेरे सामने रह गई। पायल की चूचियां ब्रा में ऐसे लग रही थी कि जैसे दो कबूतर पकड़कर किसी पिंजरे में बंद कर दिए गये हों और वो आजाद होने के लिए फड़फड़ा रहे हों। मैंने जल्दी से पायल की ब्रा को भी खोल दिया और अपनी बहन की प्यारी और मुलायम चूचियों को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा।

पायल ने मेरे सर को अपने चूचियां के साथ दबा दिया और- “उन्म्मह… भाई, खा जाओ मेरे चूचियों को… आअह्ह…” की आवाज के साथ मुझे और भी गरम करने लगी।

पायल की सिसकियों को सुनकर मैं और भी गरम हो गया और एक चूची को चूसने के साथ दूसरी को अपने हाथ से दबाने और मसलने लगा, क्योंकि मैं जरा जोर से दबा रहा था और साथ ही पायल की चूचियों पे काट भी रहा था, जिससे पायल मुझे मना करते हुये बोली- “आऐ… भाई, नहीं सस्स्स्सीई… आअह्ह… भाई प्लीज़्ज़… ऐसा नहीं करो… दर्द होता है…” और मुझे अपनी चूचियों से हटाने लगी।

फिर भी मैं अपने काम में लगा रहा लेकिन चूचियां को दबाने में अब मैं ज्यादा ताकत नहीं लगा रहा था जिससे पायल को भी दर्द की जगह मजा आने लगा और वो सिसकी- “आअह्ह… भाई हाँ अब अच्छा लग रहा है ऐसे ही चूसो… उन्नमह…”

.
कहानी जारी है.





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