Thursday, October 30, 2014

FUN-MAZA-MASTI घर का बिजनिस -13

FUN-MAZA-MASTI

 घर का बिजनिस -13

जैसे ही हम फ्लैट में दाखिल हुये तो मुझे पायल नजर नहीं आई। मैंने उनको वहाँ हाल में ही बिठा दिया तो उनमें से एक जिसका नाम फहीम था उसने दूसरे की तरफ देखते हुये कहा- “यार अकबर, ये वाली (दीदी) लगती है… वैसे है कमाल…”

मैंने कहा- “नहीं भाई, आप वाली ये नहीं है… अभी आ जाती है…” और इसके साथ ही दीदी की तरफ देखा।

तो दीदी ने कहा- “जरा वाश-रूम गई है अभी आ जाती है…”

अकबर ने हँसते हुये मेरी तरफ देखा और बोला- “आलोक साब, लगता है कि दो का सुनकर ही तुम्हारी बहन की फटने लगी है…” और दोनों हाहहाहा करके हँसने लगे।

मैंने उनकी किसी बात का बुरा नहीं माना और खामोशी से बैठा रहा कि तभी पायल भी वाश-रूम से आ गई। जिसे देखते ही फहीम सिटी बजाने लगा और बोला- “यार अकबर, माल तो ये भी कम नहीं है साली के मम्मे तो देख?”

अकबर भी पायल को ही घूर रहा था बोला- “नहीं यार, मम्मे छोड़… साली की गाण्ड देख, क्या चीज है? यार लगता है कि इस बार हमारे पैसे सही जगह पे लगे हैं…”

फिर फहीम ने कहा- यार आलोक, जरा कुछ माहौल तो बनाओ ऐसे क्या खाक मजा आएगा?

मैंने पायल की तरफ देखा और बोला- “जाओ अंदर से एक बोतल निकाल लाओ…”

पायल मेरी बात सुनकर रूम में चली गई और शराब की एक बोतल निकाल लाई और साथ में दो गिलास भी ले आई और उनके सामने रख दिए।

बुआ ने दीदी से कहा- चलो अंजली, हम दूसरे रूम में बैठ जाते हैं…” और दोनों वहाँ से चली गई तो अकबर ने पायल को हाथ से पकड़कर अपनी गोदी में बैठा लिया और पायल की चूचियां को मसलने लगा और फहीम शराब गिलासों में डालने लगा।

अकबर ने कहा- “यार आलोक, एक गिलास और ला दो। ये भी हमारे साथ ही पिएगी वरना हमें सही मजा नहीं आएगा…”

मैं उठा और जाकर दो गिलास और उठा लाया जिसमें से एक गिलास में फहीम ने पायल के लिए भी शराब डाल दी जिसे पायल ने पकड़ लिया और बुरा सा मुँह बनाते हुये पी ही गई।

दो-दो पेग लगाकर वो दोनों उठे और पायल को साथ में लेकर रूम में घुस गये। कोई 20 25 मिनट तक रूम से कोई आवाज नहीं आई। लेकिन फिर अचानक पायल की दर्द से डूबी हुई चीख सुनाई दी- “आऐ… प्लीज़्ज़… रुको… भाई मुझे बचाओ… नहीं… प्लीज़्ज़… बस करो और नहीं… मेरी फट गई है… अम्मीईई जीए…”

पायल की इन चीखों की आवाज सुनकर दीदी और बुआ भी अपने रूम से निकल आई और आकर मेरे पास बैठ गई और रूम से आने वाली आवाज़ों को सुनने लगी जो कि अब आहिस्ता-आहिस्ता दर्द की जगह मजे की सिसकियों में बदलती जा रही थीं।

दीदी ने मेरी तरफ देखा और कहा- भाई, पायल इन दोनों को बर्दाश्त कर लेगी क्या?

बुआ ने फौरन ही कहा- “अरे यार, मैंने तुम्हें पहले भी कहा था कि परेशान ना हो पायल आराम से करवा लेगी…”

अब रूम में से- “ससीए… आअह्ह… आराम से करो… उंनमह… हाँ इसी तरह करो… ऊओ… अब अच्छा लग रहा है…” की आवाज आ रही थी जिसे सुनकर दीदी भी काफी गरम हो रही थी।

मैंने अपना हाथ अभी दीदी की रान पे रख ही था कि फ्लैट की बेल बजने लगी जिसे सुनकर मैं चौंक गया और जाकर देखा तो अरविंद साहब ही थे।

मुझे देखते ही हँस पड़े और बोले- मेरी जान कहाँ है? किसी और के साथ तो नहीं लिटा दिया उसे भी?

मैंने कहा- “नहीं सर, ऐसा भला किस तरह हो सकता है। दीदी तो बस आप ही की दीवानी हो गई है। बोल रही थी कि अगर अरविंद साहब नहीं आयेंगे तो मुझे किसी और के साथ कुछ करने के लिए नहीं बोलना…” इतना बोलते-बोलते हम दोनों हाल में आ चुके थे और दीदी भी मेरी बात सुन चुकी थी।

जिसकी वजह से दीदी अरविंद साहब को देखकर मुश्कुराती हुई उठी और उसके सीने से लग गई और बोली- “कसम से, आप नहीं आते ना तो मैं आपसे नाराज हो जाती…” दीदी ने ये बात इस अदा के साथ कही थी कि मुझे यकीन ही नहीं हुआ कि दीदी इतनी अच्छी आक्टिंग भी कर सकती हैं।

अरविंद दीदी की बात सुनकर खुश हो गया और बोला- “अंजली, मेरा दिल कर रहा है कि मैं तुम्हें एक घर खरीद के दे दूँ जहाँ सिर्फ़ मैं ही तुम्हारे पास आया करूं और तुम्हें कोई भी हाथ ना लगाये…”

दीदी ने कहा- “जान, आप मुझे जहाँ भी रखना चाहो मैं रहूंगी और किसी को भी अपने बदन को हाथ नहीं लगाने दूँगी लेकिन अपने घर वालों को नहीं छोड़ सकती…”

अरविंद ने कहा- “तो इसमें क्या है? बस तुम लोग तैयारी करो 2-3 दिन में ही तुम्हारे नाम से एक घर खरीद लूँगा जहाँ तुम सब रहना। लेकिन वहाँ जो भी हो तुम्हें किसी और के साथ नहीं देख सकूंगा याद रखना…”

दीदी अरविंद की बात सुनते ही उसके साथ बुरी तरह लिपट गई और- आई लोव योउ जान, आप मुझे कितना प्यार करते हो… और इतना बोलते ही उसे किस करने लगी।

बुआ भी दीदी की आक्टिंग से काफी खुश नजर आ रही थी और बुआ ने मुझे आँख मारी और दीदी की तरफ इशारा भी किया जिसको मैं समझ गया और सर झुकाकर मुश्कुरा दिया।

अब अरविंद दीदी को अपने साथ लेकर सोफे पे बैठ गया और शराब की बोतल पकड़कर बोला- “ये क्या भाई? एक ही गिलास है एक और लाओ। हम अपनी जान को अपने हाथों से पिलायेंगे…”

बुआ गिलास के लिए किचन की तरफ गई तो अरविंद ने पहली बार रूम में से आने वाली पायल की- “आअह्ह… इस्स… और थोड़ा जोर से करो… उन्म्मह…” की आवाज़ों को सुना और बोला- जान, लगता है तुम्हारी बहन की सील भी खुल ही गई है?

दीदी ने भी हँसते हुये कहा- हाँ जी, आज ही उसकी भी नथ खुली है।

अब पायल की भी आवाजें आना बंद हो चुकी थी। कुछ देर के बाद मैं उठा और रूम में चला गया जहाँ पायल की चुदाई हो चुकी थी। रूम का नजारा बड़ा ही प्यारा था। रूम में बेड पे बीच में पायल पूरी नंगी लेटी हुई थी और उसकी टांगें खुली हुई थीं और फुद्दी पहली चुदाई और खून की वजह से कुछ लाल और सूजी हुई लग रही थी। अकबर और फहीम उस वक़्त पायल के दायें बायें लेटे हुये लंबी-लंबी सांसें ले रहे थे और पायल की आँखें बंद थीं और वो भी लंबी-लंबी सांस ले रही थी।


एक बार तो मेरा दिल किया कि मैं अभी अपने लपड़े निकाल दूँ और पायल की सूजी हुई फुद्दी में अपना लण्ड घुसा दूँ। लेकिन अभी मैं ऐसा नहीं कर सकता था क्योंकि वो एक साथ दो लण्ड अपनी फुद्दी में ले चुकी थी और उसकी फुद्दी की हालत भी मुझे काफी खराब नजर आ रही थी।

मैंने पायल को हिलाया तो उसने अपनी आँखें खोलकर मेरी तरफ देखा और हल्का सा हँस पड़ी, तो मैंने कहा- चलो उठो, शाबाश… मैं तुम्हें बाथरूम में ले चलूं…”

पायल ने थोड़ी हिम्मत की और उठकर खड़ी हुई तो उसकी टांगें लड़खड़ा गईं। मैंने पायल को अपने हाथों पे उठा लिया जिससे मेरा एक हाथ अपनी छोटी बहन की गाण्ड पे और दूसरा कमर पे आ गया तो मैं उसे इसी तरह बाथरूम में ले गया। जैसे ही बाथरूम में आकर मैंने पायल की तरफ देखा तो वो मेरी तरफ ही देख रही थी और हल्का सा मुश्कुरा रही थी। शायद इसकी कुछ वजह शराब भी थी जो कि पायल ने भी पी हुई थी। मैंने पायल को नीचे उतार दिया और उतातेर वक़्त हल्के से उसकी गाण्ड को दबा दिया।

तो पायल और भी खुश हो गई और बोली- “भाई, दर्द हो रहा है, आप ही मुझे साफ कर दो ना प्लीज़्ज़…”

मैंने फौरन पायल की बात मानी और उसे नीचे लिटा दिया और शलवार को खोल दिया और पीछे होकर अपनी पैंट और शर्ट के बाजू को मोड़ लिया और पायल के जिश्म को अपने हाथों से मल-मल के साफ करने लगा।

पायल ने अपनी टाँगों को भी खोल दिया और बोली- “भाई, जहाँ से मैं गंदी हूँ वहाँ से साफ करो ना…”

मैं पायल की बात से खुश हो गया और जल्दी से साबुन उठाकर पायल की फुद्दी और रानों के साथ पेट को भी मलने लगा। पायल ने अपनी आँखें बंद कर लीं और अपने भाई के हाथों से मजा लेकर सफाई करवाने लगी। अभी मैं पायल के जिश्म पे लगा साबुन साफ कर ही रहा था

कि तभी अकबर भी बाथरूम में घुस आया और बोला- क्या बात है यार? अपनी बहन की खिदमत हो रही है?
मैंने अकबर की बात का कोई जवाब नहीं दिया।

तो उसने फिर कहा- “अच्छी बात है… खिदमत करनी चाहिए क्योंकि इसी की कमाई तो खानी है सारी ज़िंदगी…” और हाहाहाहा करके हँसने लगा।

मैंने जल्दी से पायल को साफ किया और उसी तरह उठाकर रूम में ले आया और बेड पे लिटा दिया और पायल को उसके कपड़े भी दे दिए। पायल ने अपने कपड़े पहन लिए तो अकबर और फहीम भी वाश-रूम से फारिग़ हो चुके थे और फिर उन्होंने पायल को एक किस की और चूचियां को दबाकर वहाँ से निकल गये।

मैं भी उनके साथ ही जाने के लिए रूम में से निकला तो हाल में अरविंद साहब दीदी को डोगी बनाकर चुदाई में लगे हुये थे।

मैंने उन दोनों को फ्लैट के बाहर छोड़ा और फिर से फ्लैट में आ गया और अरविंद के साथ होने वाली दीदी की चुदाई देखने लगा जो कि अब अपने जोरों पे चल रही थी। दीदी उस वक़्त- “आअह्ह… हाँ जान… और तेज करो… उंन्ह… मेरी जान आज तुमने क्या खाया है? फाड़नी है क्या मेरी? उउफफ्फ़…” की आवाज कर रही थी।

अरविंद भी दीदी की गाण्ड को पकड़कर अपने लण्ड को पूरा दीदी की फुद्दी में से निकालता और फिर से पूरी ताकत से घुसा देता और- “हाँ जान… ये ले… ऊओ… मैं आजज्ज तेरी फुद्दी को फाड़कर रख दूँगा… उंनमह…”

दीदी भी उसके हर धक्के के जवाब में अपनी गाण्ड को पूरी ताकत से दबाती और- “हाँ फाड़ दे मेरी फुद्दी… उन्म्मह… भाई इसे बोलो कि जोर से करे… पूरा घुसाकर चोदे मुझे… उन्म्मह… मैं गई जान… आअह्ह… थोड़ा और… उंनमह…” की आवाज के साथ ही दीदी का जिश्म झटके खाने लगा और दीदी की फुद्दी ने पानी छोड़ दिया जिससे दीदी का जनून ठंडा हो गया।

दीदी के फारिग़ होने के बाद अरविंद भी कुछ ही देर में दीदी की फुद्दी में ही फारिग़ हो गया और बगल में होकर लेट गया तो दीदी भी सीधी होकर लेट गई और अपनी फुद्दी को मेरे सामने करके अपनी एक उंगली के साथ मसलने लगी और मुश्कुराने लगी।

उस रात एक बार और दीदी ने अरविंद से चुदवाया और बुआ ने भी दो आदमियों को ठंडा किया और फिर हमने खाना खाया और आराम करने के लिए लेट गये।
वो सारा दिन हमें फ्लैट में ही गुजरना था क्योंकि पायल ने वापिस जाने से मना कर दिया था। मैं जब सोकर उठा तो दिन का एक बज चुका था। मैं फौरन नहाने के लिए घुस गया और फिर फ्लैट से करीब ही बनी मार्केट गया और खाने का सामान लेकर वापिस आया तो दीदी जाग चुकी थी और मुझे देखते ही बोली- “चलो अच्छा हुआ भाई कि आप खाने का सामान ले आए…”

मैं- “दीदी जब यहाँ रहना है तो खाना भी बनाना ही पड़ेगा ना…”

दीदी- “हाँ, वो तो है और मेरे लाए हुये सामान को उठाकर देखने लगी और फिर नाश्ते का सामान निकालकर हम दोनों नाश्ता करने लगे।

नाश्ते से फारिग़ हुये ही थे कि मैंने दीदी से कहा- “दीदी, आप अभी तक नहाई नहीं हो क्या?

दीदी- “नहीं भाई, अभी मैं शाम को ही नहा लूँगी…”

मैंने दीदी की गाण्ड की तरफ देखते हुये कहा- चलो दीदी, नाश्ता तो हो गया अब क्या प्रोग्राम है आपका?

दीदी मेरी नजर को समझ गई और बोली- “जो मेरे प्यारे से भाई की मर्ज़ी है, वो ही होगा यहाँ…”

मैंने दीदी को अपनी तरफ खींच लिया और किस करने लगा और साथ ही दीदी के चूचियों को भी दबाने लगा जिससे दीदी भी गरम होने लगी और मुझसे लिपट गई और अपनी जुबान को मेरे मुँह में घुसाकर मेरा साथ देने लगी। दीदी ने उस वक़्त सिर्फ़ एक लूज निक्कर और पतली सी शर्ट ही पहनी हुई थी जिसमें दीदी का जिश्म और भी कयामत नजर आ रहा था।

मैं फौरन अपनी शलवार और कमीज निकालकर नंगा हो गया और दीदी को भी नंगा कर दिया और दीदी की टाँगों को उठाकर बीच में बैठ गया और दीदी की क्लीन फुद्दी को देखने लगा।

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कहानी जारी है



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