Saturday, October 11, 2014

FUN-MAZA-MASTI छोटी बहन के साथ--13

FUN-MAZA-MASTI
 छोटी बहन के साथ--13

 अब तक नूर का सलमा की मुँह में छुट गया और वो अब सलमा के ऊपर से हट गया था और उसका मामा अब उसकी चूची मसलते हुए खुब जोर-जोर से धक्के लगाए जा रहा था। सलमा सब देखते हुए बोली, "आप तो बहुत बात जानते हैं भैया, कहाँ से सीखे यह सब..."। मैंने कहा, "ब्लू-फ़िल्म और लड़कियाँ सींखाई हैं सब..."। अब विभा ने मेरी आँखों में आँखें डालते हुए पूछी, "हुंहुं..., लड़कियाँ... कितनी भैया...? मैंने अब थोड़ा शर्माते हुए कहा, "अब तक १९..."। विभा अब बोली, "अच्छा भैया, क्या स्वीटी के साथ आप सब चीज किए, वो विडियो तो ऐसा नहीं था"। मुझे कुछ समय लगा कि वो यह जानना चाहती थी कि क्या मैंने स्वीटी की गाँड़ और मुँह भी मारी है। तब मैंने कहा, "नहीं, स्वीटी के साथ सिर्फ़ चुदाई किए हैं ३-४ बार। गाँड़ तो उसकी रूम-मेट है न गुड्डी उसकी मारे थे, बल्कि वही सिखाई गाँड़ मारना। वहाँ से आने के बाद एक बार एक कौल-गर्ल की गाड़ मारे हैं यहीं किशनगंज में। वो अब आश्चर्य से बोली, "अपने किशनगंज में है कौल-गर्ल...?" मैंने कहा, "हाँ, यहाँ जो लड़कियाँ आस-पास के गाँव से शहर पढ़ने आती है और इधर-उधर होस्टल में रहती है वो सब दोपहर में दो घन्टे आती है कई होटल है"। अब विभा पूछी, "कितना पैसा मिलता है उनको"? मैंने कहा, "पता नहीं, पर होटल वाला २००रू०, ३००रू०, ४००रू० से ५००रू० प्रति घन्टा या ज्यादा भी, लेता है, जैसी लड़की वैसा दाम... और रूम का अलग से २००रू"। लड़की को इसका आधा तो जरुर देता होगा"। सप्ताह में एक-दो दिन भी आ गई तो उसका पौकेट खर्च निकल जाएगा"। सलमा को अब दोनों नीचे दरी पर लिटा दिए थी और फ़िर वैसे हीं चोदने लगे थे, इस बार नूर उसको चोद रहा था और उसका मामा उसकी मुँह मार रहा था। मामा को ऐसे सामने देख वो बार-बार अपना चेहरा अपने हाथ से छुपाती तो उसका मामा खुद अपने हाथ से उसका हाथ चेहरा पर से हटा देता। उसको अपनी भांजी को ऐसे देख कर मजा आ रहा था। विभा थोड़ी देर चुप-चाप सब देखी फ़िर अचानक बोली, "आप कितना दिए उस कौल-गर्ल को"? मुझे उसके साथ ऐसे बात करके मजा आ रहा था। मैंने सच कहा, "दो दिन में ४०००रू०... पहले दिन १००० दिए और सिर्फ़ चोदे, और उसी बार अगले बार के लिए बात कर लिए गाँड़ मराने के लिए। वो रेट डबल माँगी गाँड़ मरवाने का, तो हम अगले दिन २०००रू गाँड़ मराई का और १०००रू० सीधी चुदाई का दिए"। गाँड़ वाला २०००रू० तो सीधा उसका हो गया, क्योंकि होटलवाले को यह सब पता नहीं था। तीन घंटा समय लिए थे तो होटल का किराया भी ज्यादा देना पड़ा"।

विभा बोली, "लड़की कैसी थी देखने में"? मैंने कहा, "सांवली थी, पर फ़ीगर से मस्त... बी०ए० फ़र्स्ट ईयर की थी। बनमंखी के पास के गाँव की थी, जाति से राजपूत पर गरीब..."। यहाँ करीब एक साल से हैं, पर होटल में तीन महीने से आना शुरु की है। उसका डीटेल रख लिए हैं, बाद के लिए... अच्छी लड़की है, बहुत मजा आया उसके साथ"। अब तक दोनों सलमा की दोनों छेद में फ़िर से झड़ गए थे और सलमा अपना बदन साफ़ कर रही थी। विभा अचानक से पूछी, "अगर मुझे होटल में जाना पड़ा तो कितना मिलेगा मुझे"? मैंने उसको अपने बाँहों में भर लिया, तुम्हारे बूर के लिए तो बोली लगेगा, नीलाम होगी तुम। कुँवारी, अनचुदी बूर तो अनमोल होती है, वैसे भी शक्ल-सुरत के हिसाब से भी तुम्हारा दाम ७००रू० से ८००रू० तो कम-कम से कम होगा"। विभा आराम से मेरी गोदी में बैठ गई। मैं नीचे से नंगा तो पहले से था सो वो खुद अपने चुतड़ों की फ़ाँक के बीच में मेरा लन्ड फ़ँसाअ कर आराम से बैठ गई थी, तब मैंने कहा कि अब ध्यान से देखो सलमा को... अब असल मजा आयेगा उसको"। विभा को लग रहा था कि फ़िल्म खत्म हो गई है, क्योंकि सलमा अपना बदन तौलिए से साफ़ करने लगी थी। वो बोली, "अब कौन मजा आएगा, दोनों बुढ़े तो अब साईड हो गए हैं"। मैं अब उसको ज्ञान देते हुए कहा, "मेरी बेवकूफ़ बहना, और वो जो फ़ोटोग्राफ़र है, वो फ़ोकट में इतना मेहनत किया है, फ़िल्म बनाया है"। जब तक मेरी बात पूरी हो सीन में एक २५-२६ साल का जवान लड़का नजर आया, बिल्कुल नंगा, अपने टनटनाए हुए ८" के लन्ड के साथ। मैंने विभा को बताया कि इसी लड़के के साथ सलमा का निकाह तय है। वो इसकी चुदाई करेगा और दोनों दोस्त इसकी फ़िल्म बनाएँगे। अब देखना, अभी तक जो सलमा इतना चुप-चुप से चुद रही थी कैसे बेचैन हो कर चीख-चीख कर चुदाएगी। विभा फ़िर से पूरे मन से फ़िल्म देखने लगी।

बिना किसी भूमिका के सलमा की चुदाई शुरु हो गई थी और वो खुब मस्त हो कर चुदा रही थी। ऐसे भी जब कोई लड़की अपने दुल्हा से चुदती है तो टेंशन फ़्री हो कर चुदाती है और खुब मस्ती देती है। जिन यार-दोस्तों ने अपनी बीवी को चोदा होगा, उन्हें पता होगा कि शुरुआती दौर में वो कैसे मस्त मजे देती है। विभा भी मन से सब देखती रही और मैं विभा की चुचियों को मसलते, चुमते, चाटते अपना समय काट रहा था और भगवान से मना रहा था कि विभा अब जल्दी से मान जाए। खैर फ़िल्म खत्म हुई और तब विभा बिना किसी हील-हुज्जत के खुब आराम से मेरे टन्टनाए हुए लन्ड को चुस कर झाड दी, फ़र्क सिर्फ़ इतना हुआ कि आज वो कुछ ज्यादा प्यार से मेरे लन्ड को पूरा का पूरा निगल रही थी और इसमें उसको अपने चेहरे और गले को थोड़ा एड्जस्ट भी करना पर रहा था। फ़िर अपने कपड़ पहनने लगी तब मैं बोला, "यार विभा, अब तो मान जाओ... तब तक मेरे लन्ड को तड़पाओगी?" विभा भी मुस्कुराते हुए बोली, "मन तो अब मेरा भी खुब करता है पर.... फ़िर लगता है कि भैया से कैसे भीतर घुसवाऊँ...।’ मैंने तपाक से कहा, "क्यों??? जैसे स्वीटी घुसवाई... और फ़िर तुमको सिर्फ़ लेटे रहना होगा और बाकी सब मैं कर लूंगा। तुम बस अपना आँख बन्द कर लेना अगर तुमको मेरा चेहरा नहीं देखना तो, और सोचना कि तुम्हें तुम्हारा पति चोद रहा है।" विभा मुस्कुराई और सो तो है....कह कर कमरे से निकल गई। मैंने उसको सुनाते हुए कहा, "देख लेना विभा, एक दिन मेरे हाथ से तुम्हारा बलात्कार हो जाएगा साली..."। उसने मुझे एक फ़्लाईंग किस दिया, "तब का तब देखा जाएगा..."। मैं अकेला अपने लन्ड को हाथ में पकड़े बुद्धु की तरह बिस्तर पर पडा रह गया। मैंने सोचा कि अगर यह लडकी मेरे से नहीं चुदेगी तो उसको किसी और से चुदा देता हूँ, फ़िर उसको चोद लुँगा, फ़िर एक विचार आया कि क्यों ना उसको जबर्दस्ती पकड कर चोद दूँ, एक बार जब चुद जाएगी तब शायद आराम से चुदे...। इसी उधेड़बुन में नींद आ गई।


अगली सुबह नाश्ते के समय विभा ने मुझे खबर दी कि उसका पीरियड शुरु हो गया है सो अब वो मेरे सामने नंगी नहीं होगी। मैंने मन मसोस कर कहा, "ठीक है, पर मेरा तो चुस दोगी न...?" वो हाँ में सर हिलाई और कहा, "आप इतना अच्छा-अच्छा फ़िल्म दिखाते है तो उसका ईनाम तो आपको कम से कम इतना तो जरुर मिलेगा"। मेरे यह पूछने पर कि कब तक उसके बूर की तरफ़ से रेड सिगनल है..., वो हंसते हुए बोली, "अब आज से तो शुरु हुआ है थोड़ा सा... तो अगले दो दिन तो जरुर, शायद तीसरे दिन भी"। मुझे अब काम से निकलना था सो मैं निकल गया। वैसे भी अब जल्दी घर आने से कुछ फ़ायदा तो होना नहीं था, मैंने विभा पर कई तरह से दबाब बनाया पर सब बेकार, सो अब मैं भी उसको भुल-भाल कर अपने काम में ध्यान लगाया और सोचा कि अब जरा इसको असल में गन्दी वाली कुछ क्लीप दिखाऊँग, अगले तीन-चार दिन में। घर लौटते समय मैं बाजार से दो, बेहद गन्दी फ़िल्मों की डीवीडी ले आया था - एक जानवर वाली, और दुसरी बलात्कार वाली। जानवर वाली के कभर पर हीं घोड़े, कुत्ते, गाय आदि की फ़ोटो थी, और दुसरी वाली में एक लम्बा क्लीप था, करीब ढाई घन्टे का। विडियो बंग्लादेश का था... जिसमें एक कोठे पर नई लडकियों को सीधा करने का विडियो था। उस शाम को मैंने विभा को दोनों विडियो डीवीडी दे दिया, उनकी थीम को ब्ता कर कि देखें वो पहले कौन सा देखना चाहते है। मेरा दिल चाह रहा था कि वो बंग्लादेशी फ़िल्म देखे। जब विभा ने भी उसी को चुना तो मेरा मन खुश हो गया। मैं अब सोच रहा था कि इस फ़िल्म के साथ बात करके उसको मनाने में शायद मान जाए। खैर उस रात वो पहले मेरा लंड झाड़ दी चुस और हिला कर फ़िर हम दोनों विडियो देखने बैठे।

विडियो बंग्ला में था, पर हम दोनों बंगाली समझते हैं। किशनगंज बंगाल के पास हीं है और यहाँ बहुत सारे बंगाली परिवार हैं। फ़िल्म में गाँव-देहात से छः जवान कमसीन लडकियों को कुछ लोग लाए थे और कोठे पर उनका सौदा कर रहे थे। दो लडकियाँ साड़ी में थीं, तीन सलवार कुर्ते में और एक फ़्राक पहने हुए थी। लड़कियाँ अलग कमरे में थीं। जब वो लोग अपना पैसा ले कर चले गए तब, एक आदमी, जो उम्र में ४२-४३ तो कम से कम जरुर था, लडकियों वाले कमरे में आ कर उनको बताया कि उनके साथ के लोग चले गए हैं और अब उन सब को यहीं रहना होगा और मर्दों के साथ धंधा करना होगा। चार तो चुप रही, पर दो लडकियों ने हंगामा शुरु कर दिया। दोनों बहनें थे, और उनकी बात-चीत से पता चला कि उनका नाम नसरीन (साडी वाली) और जुबैदा (फ़्राक वाली) है। उस मर्द ने उन दोनों को समझाया कि उनको कोई परेशानी नहीं होगी, और फ़िर बाकी लड़कियों का उदाहरण भी दिया कि वो सब कैसे शान्त है, पर वो दोनों बहन तो पूरा नाटक कर रही थी। हल्ला सुन कर उस कमरे में दो और मर्द आ गए। वो दोनों भी उम्र में ३६-३८ के दिख रहे थे। उनके साथ मासीमा अर्थात मौसी (कोठे की मालकिन) भी थी। उस औरत ने भी उन्हें खुब समझाया। उन दोनों को उनके मामा ने वहाँ ला कर बेचा था। उस औरत ने उनको समझाया कि उनका मामा उन दोनों के बदले जो रुपया ले कर गया है और उस रुपये से उसके घर में खुशहाली आएगी। वो दोनों भी समय-समय पर अपने घर रुपये भेज सकती है। पर जब वो दोनों किसी हाल में कुछ सुनने को तैयार नहीं हुई तो उसने अपना हुक्म जारी किया कि उन दोनों बहनों को तब तक चोदा जाए जब तक वो यह सब मान न लें और फ़िर वो वही कुर्सी लगा कर बैठ गई और आवाज दे कर सब के लिए चाय लाने को कहा। तीनों आदमी अब उन लड़कियों की तरफ़ बढ़े। तभी हिम्मत करके नसरीन जो बड़ी थी, करीब १९-२० की, उसने पास आते एक मर्द तो एक चांटा लगा दिया और उसके बाद तो उस मर्द ने गन्दी-गन्दी गालियाँ देते हुए ताबड़-तोड तीन-चार चाँटे नसरीन की गाल पर जड दिए और उसका गाल लाल कर दिया। नसरीन को अब दो मर्द पकडे थे और एक जुबैदा को अपने बाँहों में जकड़े हुए था। उन दोनों बहनों को बाकी की लड़कियों से अलग घसीट कर वो ले गए।

दोनों बहनें उनके चंगुल से छुटने के लिए तड़-फ़ड़ा रही थी। नसरीन बडी थी, और जब वो उनके हाथ से फ़िसली तो उसकी साड़ी उनके हाथों में ही रह गई और एक क्षण में हीं साडी उसके बदन से गायब हो गई थी। वो बगैर साड़ी के ही कमरे के दरवाजे की तरफ़ भागी। छोटी बहन जुबैदा ने जब अपनी बहन को चाँटे खाते देखा तो थोडा शान्त हो गई थी। उसको जो मर्द पकड़े था उसने उसकी छोटी-छोटी गोलाईयों को सहलाया, उसको लगा कि अब जुबैदा मान जाएगी सो उसने अपनी पकड़ ढ़ीली कर दी थी। जुबैदा ने मौके का फ़ायदा उठाया और उसके बाँहों से छूट कर कमरे के दरवाजे की तरफ़ भागी। दोनों बहने अब दरवाजा को खोलने की कोशिश में थी जो बाहर मासीमा ने बन्द कर दिया था। घबडाहट से दोनों से उसकी सिटकीनी खुल नहीं रही थी। तीनों मर्द अब मुस्कुराते हुए उन दोनों की तरफ़ बढे और फ़िर एक जो पहले नसरीन को चाँटा लगाया था, उसने पीछे से जुबैदा की फ़्राक पकड़ी और उसको अपने ताकत से फ़ाड़ दिया। जुबैदा की पीठ नंगी हो गई और वो अपने हाथों से अपनी छाती हो ढ़कते हुए कैमरे की तरफ़ घुमी। उसका फ़टा हुआ फ़्राक उसके बदन से फ़िसल कर नीचे गिर गया था और वो सिर्फ़ एक भूरे जँघिया मे अब खडी थी। गरीब घर की लड़की को ब्रा कहाँ से नसीब होता। वो अब अपनी बेबसी पर रोने लगी थी। नसरीन अब भी गाली दिये जा रही थी उन सब को। तीनों मर्दों ने अब जुबैदा की फ़िक्र छोड़ दी और उसकी बड़ी बहन नसरीन पर भिर गए। दो ने उसको खुब अच्छे से दबोच लिया और तीसरे ने उसके ब्लाऊज के बटन खोलने शुरु कर दिए। वो छ्टपटा रही थी, पर वो प्यार से खुब समय लेते हुए एक-एक कर उसके ब्लाऊज का बटन खोल रहा था। उसने अब बोला भी कि शान्त रहो नहीं तो तुम्हारा कपडा भी फ़ाड़ देंगे। उसने उसका ब्लाऊज अब उतार दिया था और नसरीन की पुरानी सफ़ेद ब्रा में से उसकी चुचियाँ चमकने लगी थी। तभी जब तक नसरीन समझे उसको पीछे से पकड़े हुए मर्द ने उसके ब्रा का हुक खोल दिया और जब वो पीछे मुड़ी तब तक उसका ब्रा निकल चुका था। वो खुब जोर से माँ की गाली बोली, और उसकी बात से सब हँस दिए और फ़िर से दो लोग उसको पकड कर अब उसकी चुचियों को जोर-जोर से दबाने लगे और वो दर्द से चीखने लगी थी। 




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