Friday, September 5, 2014

FUN-MAZA-MASTI पड़ोस में डबल-मजा-3

FUN-MAZA-MASTI

पड़ोस में डबल-मजा-3

 ये कहानी का तीसरा भाग है. पूरे मजे के लिए कृपया पहले दो भाग अवश्य पढ़ें. 


आज की शाम को पड़ोसियों के घर जम कर सेक्सी पार्टी करने के बाद, कविता और विवेक धीरे धीरे घर की तरफ टहलते हुए जा रहे थे. थोड़े देर के लिये दोनों खामोश थे. शायद सोच भी नहीं प् रहे थे की पिछले ३-४ घंटे में जो भी हुआ है he सच में हुआ है या सम्पना था. शायद दोनों ही इस बात का इंतज़ार कर रहे थे की दूसरा बोले. यह उनका स्वैप का पहला अनुभव था. उन्हें खुशी थी की उनका पहला अनुभव इतना अच्छा गया.

विवेक मौन भंग करते हुए बोला, "कविता."

"यस डार्लिंग!"

"आज रात की इस पार्टी में तुम्हें मजा आया की नहीं?"

"बहुत ज्यादा मज़ा आया विवेक, तुम्हें तो मालूम है कि मुझे तुम्हारे सामने किसी दुसरे मर्द से चुदने का कितने सालों से इंतज़ार था. मेरा गौरव से चुदना, फिर तुमसे चुदना फिर तुम दोनों से एक साथ चुदना...और रेनू की का मेरी चूत को चाटना और मेरा उसकी चूत को चाटना...मुझे तो अभी भी मेरी किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा है.“
(पाठक ये सब कैसे हुआ पिछले भाग में पढ़ सकते हैं)

कविता बोलती जा रही थी,
“हम लोगों ने अगले हफ्ते मिलने का प्लान तो किया है. पर मेरा मन तो उससे पहले एक बार और मिलने का हो रहा है विवेक....मतलब कल राट ही मिलें उसने फिर से?”

विवेक ने स्वीकृति दी,
"बढ़िया आईडिया है ये. मुझे लगता है कि वो मान जायेंगे. हमारे पडोसी हमसे कहीं से कम चुदक्कड़ नहीं हैं. वो चोदने का कोई मौका नहीं छोड़ेंगे. मैं उन्हें कॉल कर के कल सुबह ही बुला लूँगा डार्लिंग!”

दोनों एक बार फिर से शांत हो गए

"विवेक"

"हाँ जी"

"तुन्हें मुझे गौरव मुझे चोदते हुए देख कर कैसा लगा था?"

"मुझे बड़ा ही हॉट लगा बेबी डॉल. दुसरे आदमी का लौंडा तिम्हारी चूत में जाते देख कर मेरा लंड तो बहुत जोर से खड़ा हो गया. अब मैं तुम्हें दो आदमियों से इकठ्ठे चुदते हुए देखना चाहता हूँ. जैसे गौरव और मैंने तुम्हारी और रेनू की डबल-चुदाई की, ठीक वैसे ही. कुछ और लोगों का इंतज़ाम करना पड़ेगा अगली पार्टी के लिए”

"ओह, मुझे भी वो करना है. तुम्हें पता है जब गौरव मुझे चोद रहा था और तुम वहां बैठ कर अपना लंड हाथ से धीरे धीरे हिलाते हुए मुझे चुदते हुए देख रहे थे, मैं जितना जोर से झड़ी की पूरे जीवन में उतना जोर से नहीं नहीं झड़ी थी. तुम्हारा मुझे देखना एक कमाल का अनुभव था विवेक.”

“हाँ.. आज की रात बड़े मजे की राट थी बेबी डॉल.”

“और, जब मैं और रेनू एक दुसरे के ऊपर लेट कर एक दुसरे की चूत चाट रहे थे, तुम्हें मजा आया होगा न?”

"बहुत मजा आया कविता. जीवन मजे लेने के लिए है. मुझे बड़ी खुशी है की तुमने आज किसी औरत को चोदने का नया अनुभव प्राप्त किया"

"और मुझे बड़ा मजा आया जब तुम और रेनू चोद रहे थे, और बाद में जब तुमने और गौरव दोनों ने
रेनू की डबल-चुदाई की, तब तो कमाल ही हो गया."

"बिलकुल सही बोला"

"विवेक मुझे चुदाई बड़ी अच्छी लगती है, कभी कभी ऐसा लगता है जैसे मेरा मन करता है कि किसी को भी चोद डालूँ”

"हाँ कविता, इस मामले में मैं भी कुछ ऐसा ही हूँ. जब सेक्स इतना आनंद देने वाला काम है तो पता नहीं दुनिया ने इसमें इतनी रोक टोक क्यों लगा रखी है. केवल अपनी बीवी को चोदो...किसी और की तरफ बुरी नज़र से मत देखो...मुझे ये सारे नियम बेकार के लगते हैं. मुझे लगता है पड़ोसियों के साथ सेक्स कर के हमारे लिए एक नयी दुनिया दी खुल चुकी है. और अब ये हमारे ऊपर है की हम इस नयी दुनिया का कितना आनंद लें.”

"काश की ये सब ऐसे ही चलता रहे. मैं तो बस अब किसी भी चीज के लिए हमेशा तैयार हूँ. जो भी सामने आएगा.. मैं एक बार कोशिश जरूर करूंगी करने के लिए....तुम्हें कैसा लगेगा की मैं माल जाऊं और किसी बिलकुल अजनबी से आदमी से चुद लूं? ... जब भी मैं इस बारे में सोचती हूँ, मेरा मन बेचैन हो जाता है."


"ओह, सही जा रही हो बेबी डॉल.... मैं देखना या फिर कम से कम इस बारे में सुनना तो जरूर चाहूंगा. मेरी तरफ से तुम्हें खुली छूट है कविता."


जैसे ही उन्होंने घर का दरवाजा खोला, सायरा सीढ़ियों से नीचे उतर रही थी. उसके चेहरे पर ऐसा की लुक था जैसे बिल्ली के दूध पीने के बाद का होता है.


विवेक मुस्कराया और कविता के कानों में फुसफुसाया, "मैं सायरा को उसके घर तक छोड के आता हूँ. अगर देर लगे तो तुम सो जाना प्लीज"

"विवेक, क्या तुम कुछ नया शुरू करने वाले हो?" वो वापस फुसफुसाई.

"आज के दिन तो कुछ भी हो सकता है."

"हाँ, आज के दिन तो सही में कुछ भी हो सकता है. खैर, बाद में मुझे पूरी कहानी सुनानी पड़ेगी"

"ओह.. जरूर"

जैसे जी सायरा नीचे उस तक पहुची, विवेक ने उसके लिए दरवाजा खोला और बोला,
"क्या मैं इस खूबसूरत और जवान लडकी सायरा को उसके घर तक छोड़ दूँ?”

"ह्म्म्म जरूर मिस्टर वी."

जैसे ही दरवाजा बंद हुआ. विवेक ने अपना हाथ सायरा की पतली कमर में डाल दिया और सायरा को अपनी बाहों में खींच लिया. उसका जवान जिस्म एक पल में विवेक के अनुभवी बदन से टकराया, उनके होठ आपस में मिले और दोनों के बीच का पहला और गहरा चुम्बन लिया गया. जैसे ही चुम्बन ख़त्म हुआ, विवेक को ये बात अच्छी तरह से समझा आ गयी की सायरा अभी अभी चूत चाट कर आयी है. चूँकि सायरा पिछले ३-४ घंटे से उसकी बेटी तृषा के साथ थी, विवेक को ये समझने में देर नहीं लगी की उसके होठों पर किसकी चूत का रस लगा हुआ है.


"सायरा तुम हो बड़ी हॉट. मैं तो जैसे जलने लगा हूँ. तुमने बताया था की मुंबई में तुम्हारी सहेलियों के पापा तुम्हारा अच्छे दोस्त हुआ करते थे. क्या इसका ये मतलब है की वहां के अंकल लोग और तुम आपस में ....”

“सेक्स करते थे मिस्टर वी”, सायरा ने बेबाकी से विवेक का वाक्य पूरा किया.


"तो मैं भी तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहता हूँ सायरा"

"मुझे मालूम है मिस्टर वी...वो लोग मुझे थोडा पॉकेट मनी भी देते थे"

“मैं भी दूंगा”

“और कभी कभी सिगरेट भी पिलाते थे”

“ओह सिगरेट? ये लो” विवेक ने पैकेट निकाल कर दिया.

सायरा ने एक सिगरेट निकाल कर होठों पर लगाया और जलाया. पहला काश जोर से खींचा और फिर से विवेक के होठों पर होठ रख कर चुम्मा लेते हुए सारा का सारा धुँआ विवेक के मुंह के अन्दर फूंक दिया. विवेक को सायरा की ये अदा ऐसी भाई की उसका लंड एक टाइट हो गया.


विवेक ने भी एक सिगरेट जला ली.

“मेरे मम्मी पापा कैसे लगे मिस्टर वी?”

“ओह.. बहुत खूब लगे. हमें बड़ी खुशी है की तुम्हारे जैसे फॅमिली यहाँ रहने आयी है.”

“पापा ने कविता आंटी को मजा दिया की नहीं?”

“अरे भरपूर दिया सायरा. क्या तुम अपने पापा मम्मी के साथ भी?”

सायरा ने धुएं का कश छोड़ते हुए बोला, “मेरे परिवार में सब लोग बड़े ओपन माइंडेड हैं. इस लिए जब जिसका जो मन करता है, दुसरे को उससे कोई तकलीफ नहीं होती है.”

“ओह.. अच्छा ...” विवेक तो जैसे हकला रहा था.

“और मैंने तृषा को ये सब बता दिया है..ताकि आपको आगे बढ़ने में थोडा आराम रहे मिस्टर वी”

“थैंक यू सायरा” विवेक की जैसे बांछे ही खिल गयीं.

दोनों की सिगरेट अब ख़तम हो गए थी.

“तो चलें अब?”

“जरूर”


विवेक और सायरा लगभग दौड़ते हुए सायरा के घर में घुसे. घुसते ही विवेक ने अपने हाथ तृषा के स्कर्ट में दाल के उसके नंगी बुर सहलानी शुरू कर दी. सायरा अपनी मिनी स्कर्ट के नीचे कुछ नहीं पहना था. विवेक के शॉर्ट्स अपन आप जमीन पर गिर गए. विवेक ने उसका टॉप उतार कर के उसकी जवान चुन्चियों को आज़ाद कर दिया. अब तक दोनों एकदम नंगे हो चुके थे. विवेक ने देखा की सायरा को जितना उसने सोचा था वो उससे भी कहीं ज्यादा सेक्सी और हॉट थी.

सायरा बोली,

"ओह यस मिस्टर वी, प्लीज मुझे चोदो...जल्दी."

विवेक ने सायरा को आगे की तरफ झुकाया और अपने लंड को उसकी गांड के तरफ से चूत के मुहाने पर टिकाया. सायरा की चूत पहले से ही गीली थी. विवेक ने सोचा की हो सकता है की तृषा ने भी सायरा की चूत चाटी हो और इसकी वज़ह से ये गीली हुई हो.


सायरा ने अपनी गांड पीछे की तरफ ठेली जिससे विवेक का लंड आधा घुस गया.

“ओह मिस्टर वी..प्लीज डालो पूरा..”

विवेक ने अगले ही धक्के में पूरा पेल दिया. वो जानता था कि जवानी में चुदाई का बड़ा उन्माद होता है. सो उसने जल्दी जल्दी धक्के लगाने शुरु कर दिए. सायरा का ये पहला टाइम तो था नहीं मोटे और लम्बे लंड लेने का, सो वो बड़े ही मजे ले कर चुदाई करवाने लगी. थोड़ी ही देर में सायरा झड गयी. तो उसने विवेक का लंड अपनी चूत ने निकाल लिया. वो घुटने के बल बैठ गयी, विवेक का लंड अपने हाथों में लिया और बोली,

“मुझे चूत के रस से सना हुआ लंड बड़ा स्वादिष्ट लगता है”

वह विवेक का लंड अपने मुंह में लेकर उसे मुंह से चोदने लगी. जवान मुंह की गर्मी और गीलपन से विवेक थोड़ी ही देर में झड गया. सायरा विवेक का पूरा वीर्य अपने मुंह में ले कर पी गयी.


विवेक ने अपाने कपडे पहने और बोला,
"मैं तुम्हें ऐसे ही रोज चोदना चाहना हूँ सायरा."

"कभी भी और कैसे भी मिस्टर वी. मुझे चुदाई बहुत पसंद है. अब तो आप समझ ही गए होंगे की ये हमारा खानदानी खेल है”


"तो क्या तुम्हें बुर चाटना भी पसंद है सायरा?"

सायरा मुस्कराई. वो समझ गयी की विवेक ने उसके होंठो पर लगा हुआ तृषा के चूत का रस टेस्ट किया है.

"हाँ जी मिस्टर वी."

विवेक धीरे धीरे घर की तरफ बढ़ने को हुआ. सायरा बोली

"मिस्टर वी! मुझे लगता है की तृषा भी इस सब के लिए एकदम तैयार है. आज शाम को मैंने उसे काफी कुच्छ सिखाया है. उम्मीद है की आप को इससे कोई आपत्ति नहीं है"

"ओह बिलकुल नहीं. तुमने एक दुसरे के साथ जो भी किया उम्मीद है की दोनों को पसन्द आया. है न?"

"बिलकुल. तृषा तो जैसे मजे के मारे पागल ही हो गयी जब मैंने उसकी बुर चाटनी शुरू की. वो कई बार मेरे मुंह के ऊपर झड़ी. बाद में उसें मजे से मेरे चूत भी चाटी”


दरवाजे पर विवेक ने सायरा को एक बार फिर से चूमा. सायरा बोली,

"अगली बार आप मेरी गाड़ मारना मिस्टर वी! मुझे गांड में लंड बड़ा अच्छा लगता है."

"वो तो मुझे भी पसंद है सायरा, अगली बार जरूर से." विवेक बोला और उसकी गांड सहला दी.

जैसे ही विवेक जाने लगा, सायरा बोली,

"आपको अब तृषा को चोदना चहिये मिस्टर वी. वो इसके लिए पूरी तरह से तैयार है. उसके लिए अच्छा रहेगा की घर से उसकी चुदाई की शुरुआत हो. मुझे चोदने वाले पहले आदमी मेरे पापा ही थे और मुझे ये बात हमेशा याद रहेगी. मुझे अभी भी पापा का लंड बेस्ट लगता है मिस्टर वी.”


और विवेक अपने घर की तरफ जा रहा था. वह सोच रहा था की कैसे सायरा ने उसे अपनी खुद की बेटी तृषा को चोदने के कितना करीब पंहुचा दिया है. जब वो ऊपर पंहुचा तो देखा की कविता शाम की इतनी सारी चुदाई से थक हार कर गहरी नींद में सो रही थी. विवेक को पता था की अब वो सीधे सुबह ही जागेगी. उसने अपने कपडे उतार दिए. फ्रिज से एक बियर निकाल कर ४ घुट में खाली कर दी. वह चलते हुए तृषा के कमरे पहुच गया. उसका दिल जोर से धड़क रहा था. उसने कमरे का दरवाजा बहुत धीरे से खोला. कमरे में नाईट लैंप जल रहा था जिससे कमरे की सारी चीजें एकदम साफ़ दिखाई दे रही थीं. तृषा अपने बिस्तर के ऊपर एकदम नंगी लेटी हुई थी. उसके टाँगे फैले हुई थीं. विवेक ने उसकी कुंवारी बुर को खड़ा हो निहार रहा था. उसे इस बात की बड़ी हैरानी हो रही थी की लंड की तीन तीन औरतों की चूत और गांड में अन्दर बाहर करने की इतनी सारी कसरत के बावजूद भी उसका लंड एक बार फिर से खड़ा हो रहा था. वह अपनी बेटी तृषा को चोदना चाह रहा था. पर वो इसमें कोई जल्दी नहीं करना चाहता था. वो चाहता था की ये काम बड़ी सावधानी से किया जाए, सब तृषा खुद इस बात के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार हो. इसी समय उसने तृषा की आवाज सुनी


"हेल्लो पापा"

"ओह ..हेल्लो बेटा."

"पापा, मैं यहाँ पर बिना कुछ पहने सो रही हूँ ना?"

"हाँ बेटा. पर ये तो प्राकृतिक रूप है हमारा. और देखो न कितना सुदर रूप है ये.”


"हाँ मुझे भी ऐसे अच्छा लगता है पापा.”


इसी समय तृषा ने ध्यान से देख की पापा भी वहां नंगे खड़े थे.

"ओह पापा मुझे आप भी नंगे खड़े बड़े अच्छे लग रहे हैं. आपने कुछ भी नहीं पहना है. मुझे आपकी ...वो.. वो..चीज.. बड़ी अच्छी लग रही है... ये तो काफी बड़ा है...”

"अच्छा है, उम्मीद है कि मेरी ये चीज तुम्हें परेशान नहीं कर रही है. तो तुमने और सायरा
ने आज रात काफी मजा किया. नहीं?"

"अरे हाँ पापा हमने बड़ा मज़ा किया. सायरा बहुत अच्छे दोस्त बन गयी है मेरी. इतने कम टाइम में वो मुझे बहुत कुछ सिखा गयी. वैसे, वो आपको बहुत पसंद करती है. उम्मीद है कि आपको भी भी सायरा पसंद होगी."

"हाँ, सायरा तो मुझे बहुत पसंद है, थोड़े देर पहले ही मैं उसके साथ उसके घर तक गया था और हम दोनों काफी करीब आ गए”

"बिलकुल ठीक पापा, उसने बोला था की आज रात वो आपसे कनेक्ट करेगी. मुझे पता नहीं कि की कनेक्ट का क्या मतलब है. पर अच्छा ही होगा."

"हमारा कनेक्शन हुआ बेटा. और ये कनेक्शन बड़ा ज़बरदस्त था..भाई मज़ा आ गया.... हो सके तो हम दोनों भी कुछ उसी तरह से कनेक्ट करेंगे किसी दिन.”


"मेरे ख़याल से मुझे मज़ा आएगा उस कनेक्शन से. पापा, एक बात पूछूं?"

"बिलकुल."

"क्या सेक्स से बेहतर कुछ और होता है?"

"बेटा, अगर सेक्स से बेहतर कुछ और है तो मुझे वो चीज पता नहीं है.”

"पापा, सायरा ने आज मुझे सिखाया कि खुद से कैसे सेक्स का मज़ा लेते हैं. मैं लेट कर अपने आप से खेल रही थी और मुझे बड़ा मज़ा आया.”


"सो, रात क्या हुआ?"

"पापा, आपने कहा की मैं आपसे सेक्स के बारे सारी बातें कर सकती हूँ. है न?"

"हाँ मैंने बोला था. और बिलकुल तुम कर सकती हो. मैं तुम्हारे मन की हर बात जानना चाहूँगा."

"सायरा ने मुझे 69 का पोज सिखाया. हम दोनों ने पता नहीं कितनी बार अपना रस छोड़ा. क्या इसमें कोई गंदी बात है?"

"नहीं बेटा, ये तो बड़ी मजेदार चीज होती है, मुझे भी 69 करना बहुत पसंद है."

"मतलब आपको बुर चाटना पसंद है?"

"पसंद? अरे मुझे तो बहुत ज्यादा पसंद है. तुम्हारी माँ के हिसाब से मैं तो इसमें एक्सपर्ट हूँ."

"ओह पापा, मम्मा कितनी किस्मत वाली हैं."

"थैंक यू बीटा, कुछ और सवाल?"

"नहीं और नहीं...... पापा क्या आप मेरे साथ थोडा लेट सकते हो?"

"जरूर."

और विवेक बिस्तर पर तृषा के साथ जा कर लेट गया. तृषा मुद कर लेट गयी जिससे उसकी नंगी गांड विवेक की तरफ हो गयी. विवेक ने तृषा को पीछे से बाहों में भर लिया. उसका लंड तृषा की गांड की दरार में फंसा हुआ था और धीरे धीरे खड़ा हो रहा था. तृषा ने विवेक के हाथ पकड़ कर अपनी चुन्चियों पर रख लिया.

विवेक से अब काबू में रहना मुश्किल हो रहा था. वो तृषा की चुन्चिया दबाने लगा. तृषा
तृषा ने उन्माद में ह्म्म्म की आवाज निकाली और बोला,

"ओह मुझे मजा आ रहा है पापा. सायरा ने भी मेरी चुन्चियों के साथ ऐसा की किया था. पर आपके हाथों में कोई और ही बात है.”


विवेक का लंड अब पूरी तरह से खड़ा हो कर तृषा के गांड पर बुरी तरह से गड रहा था.
.

"पापा आपका टाइट लंड मेरी गांड के ऊपर चुभ रहा है."

“चुभ रहा है न? ये तो बुरी बात है. एक काम करते हैं. इसको यहाँ डाल देते हैं” कहते हुए विवेक ने लंड का सुपाडा तृषा की बुर में डाल दिया.

"ओह पापा. आपका कितना बड़ा है. डाल दो अन्दर. सायरा ने बोला था की मुझे अपना पहला बार आपसे ही करवाना चाहिए. उसके पापा उसके साथ कभी भी करते हैं. पापा आप भी करना”
तृषा अपनी गांड हिलाने लगी ताकि अपने जीवन के पहले लंड को मजे से बुर में ले कर आनंद सके.


"तृषा तुम्हें तो कोई भी करना चाहेगा. तुम हो इतनी सुन्दर और हॉट. मैं तो कब से इस फिराक में था. भला हो सायरा का की आज ये हो गया....आह...आह...”

तृषा ने बोला,


"ओह पापा आपका लंड मेरी बुर में बड़ा अच्छा लग रहा है. मुझे यकीन नहीं हो रहा की ये सब हो रहा है. आह...उई....पूरा अन्दर डालो न...”


तृषा जोर से आनंद में चिल्लाने लगी और और झड गयी. विवेक बस यही मना रहा था की कहीं इस मजे के चीख पुकार में कविता न जाग जाए. पर कविता के नींद पडी पक्की थी. अरे जाग भी गयी तो क्या होगा वो भी इस खेल में शामिल हो जायेगी.


विवेक अभी भी धीरे धीरे लंड पेल रहा था. तृषा मानों एक बार और झड़ने को थी. वो बोली,

"ओह पापा आपका लंड बड़ा मस्त है. सायरा ने सही बोला था की मुझे आपसे चुदाई पसंद आयेगी.
पापा चोदो मुझे जोरों से ....... "

वो फिर से झड गयी..


विवेक भी इस बार झड चुका था. उसने अपना लंड निकाल लिया.

तृषा ने पूछा, "बहुत अच्छे पापा, आप मुझे सिखाओगे की लंड कैसे चूसते हैं?"

"बिलकुल"

"और क्या आप मेरे चुतडो को भी चोदोगे?"

"हाँ. लगता है तुमने और सायरा ने सारी की सारी चीजें कवर करी है आज रात.”

"बिलकुल पापा... और क्या आप मेरी चाटोगे?"

"हाँ जी बेटा, हम और भी कई सारी चीजें करेंगे. हो सके तो तो तुम्हारे माँ को भी इस खेल में शामिल करेंगे.
और जल्दी ही और लोगों को भी शामिल करेंगे."

"पापा, सायरा आपसे चुदना चाहती है."

"मुझे मालूम है."

"हम्म.. जब आप उसे उसके घर ड्राप करने गए, तो क्या आपने उसे चोदा पापा?"

"एकदम सही"

"ओह ये तो मजे की बात है. पापा क्योंकि आपने उसे चोदा, बदले में क्या मैं उसके पापा को छोड़ सकती हूँ.. सायरा कह रही थी उसके पापा मस्त हैं."

"जरूर. गौरव को भी तुम पसंद आओगी. किसी दिन उन्हें अकेले देख कर कर उन्हें बोल देना इस बारे में. शायद तुम्हें बोलने की जरूरत न पड़े... सायरा बता देगी उन्हें. गौरव को तुन्म्हारी टाइट चूत चोदने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए.”


"सायरा ने बताया था की उसके पेरेंट्स कभी कभी अपने घर पर सेक्स पार्टी करते हैं. जिसमें सारे लोग नंगे होते हैं और सारी की सारी रात हर कोई हर किसी को चोदता है या चूसता है. ये तो बड़ी मजेदार पार्टी है. क्या आज राट आप लोगों ने वैसी ही पार्टी की. सायरा को लग रहा था की आप लोग कुछ ऐसा ही कर रहे होंगे”


"सायरा बिलकुल ठीक सोच रही थी."

"हम्म......"

फिर विवेक ने तृषा को शाम के सारे डिटेल्स बताये.

"पापा अगली बार मैं भी चलूंगी. सायरा कह रही थी की उसके माँ डैड उसे उसे वो वाली पार्टी में आने देते हैं. एक पार्टी में उसे उसके पापा के अलावा 4 और लोगों ने चोदा था. और कई लड़कियों ने उसे चूसा था.


"हम्म... मैं और तुम्हारी माँ बात करके तय करेंगे की तुम्हारा अभी इन पार्टी में जाना ठीक है की नहीं. अभी पहले तो उसे आज रात के बारे में बताना है. बस वो कहीं अपसेट न हो जाए इस बात से. पर शायद नहीं होगी. क्योंकि मेरी तरह वो भी तुमसे सेक्स करना चाहती है. तुम्हारी माँ बड़े ओपन है और आजा की रात ने उसे और भी ओपन कर दिया है."

"पापा, मम्मा और रेनू आंटी का 69 सोच कर ही गुदगुदी हो रही है. मैं भी माँ के साथ 69 करूंगी."

"हाँ बेटा, मुझे तुम दोनों को देख कर बड़ा मज़ा आएगा."

विवेक ने इसके बाद तृषा को लंड चूसने का प्रैक्टिकल दिया. तृषा ने उसे तब तक नहीं छोड़ा जब तक लंड ने उसके मुंह में अपना रस भर नहीं दिया.


विवेक अब अपने बिस्तर पर लौट आया. कविता को अपनी बाहीं में समेत कर वो कब सो गया उसे पता ही चला.


अगली सुबह जब विवेक उठा, कविता बिस्तर पर बैठ कर उसे बड़े प्यार से देख रही थी. जैसे ही विवेक ने आँखें खोलीं, कविता ने कहा,

"आय लव यू डार्लिंग."

"आय लव यू टू कविता."

"विवेक डार्लिंग, मुझे तुम्हारा इतना सिक्योर होना बड़ा अच्छा लगता है. शायद इसी लिए तुम्हें मेरा गैर मर्दों से चुदने से कोई ऐतराज़ नहीं है. मुझे कल रात गज़ब का मज़ा आया. अब मुझसे आज राट का इंतज़ार हो पाना मुश्किल हो रहा है. मुझे तो अब बस मज़े करने हैं.. खैर वो छोडो तुम सायरा के साथ अपने टहलने के बारे में बताओ. जिस तरह से तुम उसे देख रहे थे, मुझे लगा रहा था की तुम उसे जल्दी ही चोदने वाले हो. क्या तुमने उसके साथ कुछ किया.”

"हाँ जी मैडम, कल उनके एंट्रेंस पर ही उसे चोद डाला. वो बड़ी मजेदार लडकी है. लंड तो ऐसे चूसती है जैसे कोई प्रो हो. एक्चुअली उसे उसके पापा गौरव की ट्रेनिंग जो मिली है. गौराव सायरा को नियमित रूप से चोदता है. सायरा उन लोगों को पार्टी में भी आती है.”


"ओह .. ये तो बड़ी हॉट बात है, ओह विवेक डार्लिंग, सायरा को चोद कर टीमने कमाल का काम किया. अब मैं जब भी उनके एंट्रेंस के बारे में सोचूंगी, तुम्हारी और सायरा की चुदाई मुझे याद आयेगी...... गौरव अपनी खुद के बेटी चोदता है? वाव, मजा आ गया जान कर. अगली बार जब वो सायरा को चोदे, मैं देखना चाहूंगी.
क्या सायरा आज हमारे यहाँ आयेगी? मैं उसकी बुर चाटना चाहती हूँ गौरव."

"हो सकता है, अगर हम तृषा के मनोरंजन के लिए कुछ इंतज़ाम कर दें तो."

"हाँ, सोचो सायरा और तृषा एक ही उम्र के है. अगर तृषा सायरा की तरह हो तो तुम क्या करोगे विवेक?"

"डार्लिंग, असल में तुम सोच सकती हो त्रिशा उससे कहीं ज्यादा सायरा जैसी है. सायरा तृषा को इस सब चीजों की शिक्षा देती रही है. मुझे उम्मीद है की अब जो मैं तुम्हें बताने वाला हूँ वो तुम खुले दिमाग से सुनोगी. जब मैंने सायरा को चोदा. उसके होठों पर से किसी के चूत की गंध आ रही थी. मैं समझ गया कि वो रस तृषा की चूत का था. बाद में मैंने सायरा से कन्फर्म भी किया तो उसने बताया की जब तुम और रेनू एक दुसरे की चूत को चाट रहे थे, तुम लोगों की बेटियां यहाँ वही कमाल कर रही थीं.

"ओह विवेक, सही कह रहे हो न?”

“हाँ, एकदम यही हुआ है”


"लगता है बिलकुल अपनी माँ पर गयी है तृषा. विवेक, हमने मजाक में काफी कुछ कहा इस बार में पहले. पर क्या सच में तुमने कभी तृषा को चोदने के बारे में सोचा है?"

"हाँ."

"मैंने भी, वो इतनी सुन्दर है और उसका बदन इतना सेक्सी है. क्या तृषा को पता है की सायरा अपने बाप से चुदती है."

"हाँ."

"ओह शिट विवेक, इस डिस्कशन से मैं और गर्म होती जा रही हूँ. मेरी चूत से पानी टपकने लगा है. क्या टीम तृषा को चोदोगे विवेक?"

"हाँ."

"मैं भी."

"मुझे कुछ और भी बताना है. मैंने अपनी बेटी को कल रात में चोद दिया."

विवेक ने सारी की सारे घटना विस्तार से कविता को सुनाई.

"ओह शिट विवेक. ये तो कमाल ही है... मैं तुम्हें उसको चोदते हुए देखना चाहती हूँ.... मैं देखना चाहती हूँ कैसे तुम अपनी बेटी को चोदते हो..मैं उसकी जवान बुर की छोसना चाहती हूँ ..और मैं उससे ओनी चूत चुस्वाना चाहती हूँ...कितने समय से हम उस बारे में बस बात ही करते थे...अब समय आ गया ...चलो चले के तृषा को जगाते है...चलो न...”

कविता हाल में भागते हुए तृषा के रूम की तरफ जाने लगी. उसने शायद ये ध्यान भी नहीं दिया की उसने जागने के बाद कपडे नहीं पहने हैं..और वो पूरी की पूरी नंगी थी...और विवेक भी पीछे पीछे नंगा दौड़ा चला आया. तृषा अपने बिस्तर पर नंगी टाँगे फैला कर लेते हुई थी. कविता बिस्तर के एक तरफ बैठी और विवेक दूसरी ओर.

कविता ने एक उंगली से तृषा की बुर को सहलाना शुरू कर दिया. बुर गीली थी सो वह थोड़ी सी उंगली उसकी बुर में भी डाल देती थी. बुर काफी टाइट थी. कविता ने पूछा,

"इसकी बुर इतनी टाइट है, इसमें तुम्हारे मोटा लंड कैसे घुसाया तुमने?”

“औरत की चूत में कुदरत का करिश्मा है. ये मोटे से मोटा लंड ले सकती है जानेमन. आखिरकार बेटी तो तुम्हारी ही है ना?”

कविता ने अब अपनी दो उँगलियाँ तृषा की चूत में डाल दीं थीं. तृषा की नींद अब खुल गयी थी. उसने बाएं से दायें अपनी नज़र घुमाई और माँ को भी अपने खेल में शामिल होते देख कर बड़ी खुश हुई.

“माँ अच्छा लगा रहा है, करते जाओ.”

“तुम्हारे पापा ने मुझे सब बता दिया है.”

कविता ने अपना मुंह तृषा की बुर के मुहाने पर लगा दिया और लगी चूसने.









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