Tuesday, September 9, 2014

FUN-MAZA-MASTI पराये मर्द से सम्भोग-2

FUN-MAZA-MASTI

  पराये मर्द से सम्भोग-2

 करीब 30 मिनट के इस खेल के साथ विजय 10-12 जोरदार धक्कों के साथ शांत हो गया और उसके ऊपर ही हाँफता रहा, फ़िर अलग हुआ।
जब उससे अलग हुआ तो उसकी योनि से विजय का वीर्य बह निकला, जिसे बाद में उसने साफ़ किया और पजामा पहन लिया। अब हम वापस आने लगे।
अब हम अपने रास्ते पर थे, दोपहर हो चुकी थी, कुछ ही समय में मैं उनसे खुल कर बातें करने लगी।
उन्होंने मुझसे पूछा- क्या तुम्हें हम दोनों की कामक्रिया देख कर कुछ नहीं हुआ?
तब मैंने उनको बताया- शायद ही कोई होगा जिसको कुछ नहीं होगा, पर मैं खुद पर काबू कर लेती हूँ।
तब विजय ने कहा- सारिका, तुम्हारा नंगा जिस्म देखने को मैं बेताब हूँ !
मैंने कहा- जल्द ही हम मौका निकाल लेंगे।
तब मेरी सहेली ने कहा- आज रात को सब हो जाएगा, तुम लोगों के लिए मैंने पूरा इन्तजाम कर दिया है।
विजय ने कहा- सारिका अगर तुम कुछ दिखा दो तो मजा आ जाएगा।
मैंने कहा- सब्र करो.. रात को सब दिखा दूँगी।
इस पर मेरी सहेली ने कहा- दिखा दो ना.. यहाँ कोई नहीं है, अभी कम से कम चूत ही दिखा दो।
मैंने चूत शब्द सुन कर उसकी तरफ़ देखा और कहा- क्या कहती हो !
तो उसने कहा- इसमें शर्माना क्या ! हम बच्चे नहीं है और जब कर सकते हैं तो कहने में क्या बुराई है !
विजय भी जिद करने लगा तो मैंने ‘हाँ’ कह दिया।
फ़िर हम एक पेड़ के पीछे चले गए। पहले तो मुझे शर्म आ रही थी, पर विजय के जोर देने पर मैंने अपनी साड़ी ऊपर की और पैन्टी नीचे सरका दी। वो मेरी योनि को गौर से देखने लगा। मुझे शर्म आ रही थी, पर फ़िर भी मैं वैसे ही दिखाती रही।
उसने मुझसे कहा- काफी बाल हैं.. क्या तुम साफ़ नहीं करती?
मैंने शर्माते हुए कहा- करती हूँ.. पर कुछ दिनों से ध्यान नहीं दे रही, अब कर लूँगी !
तब उसने कहा- जरूरत नहीं… बाल बहुत सुन्दर लग रहे, मुझे बालों वाली चूत अच्छी लगती है। मेरे ख्याल से चूत में बाल होने से लगता है कि कोई जवान औरत है।
मैं उसे देख कर मुस्कुराई।
उसने मेरे पास आकर मेरी योनि को छुआ और बालों को सहलाया और कहा- कितनी मुलायम और फूली हुई है !
तब मेरी सहेली भी वहाँ आ गई और कहा- कितना समय लगा रहे हो ! चलो घर में सब इन्तजार कर रहे होंगे !
विजय ने दो मिनट रुकने को कहा और मुझे मेरे पैर फ़ैलाने को कहा और वो नीचे झुक कर मेरी योनि को हाथों से फ़ैला कर देखने लगा और तारीफ़ करने लगा।
उसने कहा- मैं इसे चखना चाहूँगा !
और अपना मुँह लगा दिया।
मैं सहम गई और कहा- यह क्या कर रहे हो?
उसने अपनी जुबान अन्दर घुसा दी, फ़िर मुझसे कहा- कितनी गर्म, मुलायम और नमकीन है !
मेरी सहेली ने तब कहा- अब रात भर तुम चूसते रहना.. फ़िलहाल चलो, देर हो रही है।
तब विजय ने मुझे देखा और मुस्कुराते हुए कहा- मैं तुम्हारा यह खूबसूरत जिस्म चखने के लिए बेताब हूँ !
मैंने उसे मुस्कुराते हुए जवाब दिया- ठीक है.. आज रात जो मर्जी कर लेना !
फ़िर हम जाने के लिए तैयार हुए।
मैंने कहा- रुको, मैं जरा पेशाब कर लूँ !
इस पर विजय ने कहा- खड़े हो कर करो, मैं देखना चाहता हूँ कि तुम्हारी पेशाब की धार कैसी निकलती है?
मैंने कुछ संकोच किया तो मेरी सहेली ने बताया- विजय को ये सब बातें बहुत उत्तेजक लगती हैं।
तो मैंने वैसे ही पेशाब करना शुरु कर दिया।
अचानक उसने हाथ आगे किया और मेरे पेशाब को हाथ में लेकर सूंघने लगा और बोल पड़ा- कितनी मादक खुशबू है इसकी !
यह मेरे लिए अजीब था, पर उसे सब कुछ करने दिया।
सुधा ने मुझसे कहा- आज रात तुम सेक्स के बारे में और भी बहुत कुछ जान जाओगी।
फ़िर यही सब बातें करते हुए हम घर चले आए और खाना खा कर वे लोग अपने घर चले गए, अब रात का इन्तजार था।
रात हम सब खाना खाकर सोने चले गए अपने कमरे में।
करीब 10 बजे मेरी सहेली ने मुझे फ़ोन करके छ्त पर बुलाया, क्योंकि उसका और मेरा घर साथ में है। हम आसानी से एक-दूसरे की छत पर आ-जा सकते हैं।
मैंने पूरी तैयारी कर ली थी, मैंने जानबूझ कर नाईट-ड्रेस पहना था ताकि अगर कोई परेशानी हुई तो जल्दी से पहन कर निकल सकूँ।
मैं छत पर गई, तो वो लोग पहले से वहीं थे और मेरा इंतजार कर रहे थे।
मेरे आते ही उन लोगों ने कहा- यहीं छत पर सब कुछ होगा।
पर मुझे अपने इज्जत आबरू का ख्याल था, मैंने साफ कह दिया- नहीं !
तब विजय ने कहा- खुले में सेक्स का मजा अलग होता है।
पर मैंने साफ मना कर दिया।
तब मेरी सहेली ने मुझसे कहा- तब सामने वाले गोदाम में चलो, वहाँ कोई परेशानी नहीं है।
वो जगह मुझे ठीक लगी, इसलिए हम वहाँ चले गए। अन्दर हल्का उजाला था, पर सब कुछ साफ दिख रहा था।
हम कुछ देर बातें करने लगे।
करीब 10.30 बज गए थे, तो मेरी सहेली ने कहा- तुम दोनों अब मजे करो, मैं सोने जाती हूँ।
और वो चली गई।
जाते-जाते उसने ऐसा कहा कि मेरे होश उड़ गए।
उसने कहा- सारिका अच्छे से चुदवाना, विजय मास्टर है चोदने में !
मैंने शर्म के मारे सर झुका लिया।
उसके जाते ही विजय ने दरवाजा बंद कर दिया और मेरे पास आ गया।
उसने मुझे देखा और मुस्कुराते हुए कहा- दिन भर तुम्हारी याद में बैचैन रहा हूँ !
और उसने मुझे पकड़ लिया और अपनी बांहों में भर कर मुझे चूम लिया।
मेरे बदन में बिजली सी दौड़ गई, पर मैंने कोई विरोध नहीं किया।
अब उसने मुझसे कहा- तुम फ्रेंच किस जानती हो?
मैंने कहा- हाँ !
तो उसने कहा- कभी किया है?
मैं अनजान बनती हुई बोली- नहीं.. कभी नहीं किया.. बस फिल्मों में देखा है।
उसने कहा- फिर आज करो मेरे साथ।
उसने मुझे बताया- हम दोनों पहले एक-दूसरे के होंठों को चूसते हुए चुम्बन करेंगे फिर जुबान को !
अब उसने मेरी कमर को पकड़ा और मैंने उसके गले में हाथ डाल दिया और पकड़ लिया।
फिर उसने अपना मुँह मेरे मुँह से लगा दिया और मेरे होंठों को चूसने लगा, कुछ देर बाद मैंने भी चूसना शुरू कर दिया।
मैंने महसूस किया कि विजय अपनी कमर को मेरी कमर से दबा रहा है और अपने लिंग को मेरी योनि से रगड़ रहा है।
उसका कठोर लिंग मुझे कपड़ों के ऊपर से ही महसूस हो रहा था।
हम दोनों अब गर्म होते जा रहे थे, अब हमने एक-दूसरे की जुबान को चूसना शुरू कर दिया था, साथ ही वो अपना लिंग मेरी योनि में रगड़ रहा था।
अब मेरे अन्दर की चिंगारी और तेज़ होने लगी थी, मैं भी अपनी कमर को हरकत में लाकर उसकी मदद करने लगी।
उसकी लम्बाई काफी थी इसलिए उसे झुकना पड़ रहा था।
अब उसने मेरे चूतड़ों को पकड़ लिया और मेरी जाँघों को फ़ैलाने की कोशिश करने लगा। मैंने भी उसकी मदद करते हुए अपनी टाँगें फैला दीं, इससे वो आसानी से अपना लिंग मेरी योनि में रगड़ने लगा।
काफी देर के ‘फ्रेंच-किस’ के बाद वो अब मेरे गालों, गले, सीने को चूमते और चूसते हुए नीचे मेरी योनि के पास आ गया। उसने मेरी नाईट-ड्रेस को ऊपर किया और मेरी पैन्टी को नीचे सरका दिया। फिर एक प्यारा सा चुम्बन धर दिया।
मैं सर से लेकर पांव तक सिहर गई।
वो नीचे बैठ गया और मुझे खड़े रहने को कहा और मेरी टाँगों को फैला दिया। अब उसने मेरी योनि को प्यार करना शुरू कर दिया। पहले तो उसने बड़े प्यार से उसे चूमा फिर एक उंगली डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा, मुझे बहुत मजा आने लगा।
अब उसने अपना मुँह लगा कर चाटना शुरू कर दिया।
यह मेरे लिए एक अलग सा अनुभव था क्योंकि उसकी जुबान कुछ अलग तरह से ही खिलवाड़ कर रही थी।
मेरे पाँव काँपने लगे, मुझसे अब खड़े रहा नहीं जा रहा था, मैंने उसके सिर को पकड़ कर अपनी योनि में दबाना शुरू कर दिया।
मेरी योनि पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और उसके थूक और मेरी योनि का रस मिल कर मेरी जाँघों से बहने लगा था।


उसने मुझे बुरी तरह से गर्म कर दिया था। मेरे दिल में अब बस यही था कि कब वो मुझे, मेरे बदन को अपने लिंग से भरेगा।
मेरी मादक सिसकारियाँ और हरकतों को देख उसने मुझे एक चावल की बोरी के ऊपर बिठा दिया। मेरी पैंटी निकाल दी और अपना शर्ट और पजामा निकाल खुद चड्डी में आ गया। फिर उसने मेरी नाईट ड्रेस निकल दी। अब मैं सिर्फ ब्रा में थी।
उसने मेरे वक्ष को देख कर पूछा- सारिका, तुम्हारे स्तनों का साइज़ क्या है?
मैंने उत्तर दिया- 36D !
यह सुन उसने ख़ुशी से कहा- क्या खूबसूरत दूद्दू हैं.. मुझे दिखाओ, मैं इन्हें चखना चाहता हूँ !
और उसने मेरी ब्रा निकाल दी। अब मैं पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी। उसने मेरे दोनों स्तनों को दोनों हाथों से पकड़ा फिर उन्हें गौर से देखते बोला- कितने गोल, मुलायम और बड़े है तुम्हारे दूद्दू !
फिर उन्हें सहलाते हुए खेलते हुए मेरी चूचुकों को मसलने लगा। उसका इस तरह से शब्दों का प्रयोग मुझे अजीब लग रहा था। फिर वह अपना मुँह लगा उन्हें बारी-बारी से चूसने लगा।
मुझे भी पूरी मस्ती चढ़ गई थी। मैं भी पूरा मजा लेने लगी। एकाएक मेरा हाथ नीचे चला गया और उसके लिंग को चड्डी के ऊपर से टटोलने लगी।
यह देख उसने अपनी चड्डी निकाल दी और मुझे अपना लिंग थमा दिया। उसका लिंग इतना मोटा था कि मेरी मुठ्ठी में नहीं समा रहा था। मैं जोश में आकर उसका लिंग पूरे जोर से दबा कर मसलने लगी।
कुछ देर यूँ ही मेरे स्तनों के साथ खेलने, चूसने और मुझे चूमने-चाटने के बाद वो खड़ा हो गया। उसने अपना लिंग मेरे मुँह के सामने रख दिया।
मैं इशारा समझ गई, पर मुझे थोड़ा संकोच हो रहा था।
इस पर उसने मुझसे कहा- प्लीज, मेरा लंड चूसो इसमें संकोच कैसा ! चुदाई में कुछ गन्दा या बुरा नहीं होता !
पर मेरा दिल नहीं मान रहा था। तब उसने मुझे समझाना शुरू किया कि सम्भोग में स्त्री और पुरुष का जिस्म भोगने के लिए होता है, इसमें यह नहीं सोचना चाहिए कि कुछ गन्दा या गलत है, हर चीज़ का मजा लेना चाहिए।
बहुत मनाने पर मैंने उसके लिंग को चूमा, फिर उसे चूसने लगी।
उसके लिंग से एक अलग सी गंध आ रही थी। मुझे अब थोड़ा सहज लगने लगा तो मैं चूसती चली गई।
काफी देर बाद उसने मुझसे कहा- तुम जल्द ठंडा होना चाहती हो या ज्यादा देर तक मजा लेना चाहती हो?
मैंने उत्तर दिया- तुम्हें जैसी मर्ज़ी करो, पर सुबह होने से पहले सब खत्म करके मुझे अपने कमरे में जाना होगा !
उसने कहा- चिंता मत करो.. सब हो जाएगा और आज तुम्हें जितना मजा आने वाला है, उतना कभी नहीं आया होगा !
उसने कहा- तुम सिर्फ चुदाई चाहती हो या पूरा मजा?
उसके बार-बार इस तरह के शब्द मुझे अजीब लग रहे थे, पर मैंने कहा- मुझे पूरा मजा चाहिए !
उसने कहा- कोशिश पूरी रहेगी !
मैंने कहा- मैं 5 रात तुम्हारे साथ हूँ और अगर दिन में कभी मौका मिला तो भी हम करेंगे !
उसने मुस्कुराते हुए ‘हाँ’ कहा और इधर-उधर देखने लगा। गोदाम में लेटने की कोई व्यवस्था नहीं थी, इसलिए या तो हम खड़े या बैठ कर कर ही चुदाई सकते थे।
तब उसने मुझसे कहा- तुम्हें कौन सी पोजीशन पसंद है !
मैंने कहा- कोई भी.. बस थोड़ा आरामदायक हो, पर लेट कर ज्यादा अच्छा होगा !
अब उसने मेरी बात का ख्याल रखते हुए लेटने की व्यवस्था करने लगा। उसने 3 चावल की बोरियों को साथ में रख कर बिस्तर बना दिया।
मुझे उस पर लिटा दिया। फिर मेरे ऊपर आ गया। उसने मेरी दोनों टाँगों को फैला कर बीच में आ गया। मैंने उसे पकड़ लिया और उसने मुझे।
हम दोनों एक-दूसरे के जिस्मों से खेलने लगे। कभी वो मुझे चूमता, कभी मैं उसे, हम दोनों का जिस्म पूरी तरह से गर्म हो चुका था। तभी मुझे मेरी योनि पर कुछ गर्म सा लगा, मैं समझ गई के उसका लिंग मेरी योनि से रगड़ खा रहा है।
उसने अपना लिंग मेरी योनि में जोर-जोर से रगड़ना शुरू कर दिया और साथ ही मुझे प्यार करने लगा। कभी मेरे स्तनों को दबाता, कभी चूसता, कभी मेरे चूतड़ों को दबाता और सहलाता।
मुझे अब सहन नहीं हो रहा था, मैं अब जल्द से जल्द योनि में उसका लिंग चाहती थी पर वो बस मुझे तड़पाए जा रहा था।
मेरी योनि के पंखुड़ियों के बीच अपने लिंग को रगड़ने में व्यस्त था।
मुझे बहुत मजा आ रहा था, पर मैं अब उसे अपने योनि में चाहती थी, मैंने उसके चूतड़ों को पकड़ कर अपनी ओर खींचा और अपनी जाँघों से उसे जकड़ लिया।
तब उसने मुझसे कहा- अभी नहीं सारिका.. थोड़ा और खेलने दो !
मैंने कहा- प्लीज.. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता, जल्दी से अपना लिंग अन्दर करो.. मुझे और मत तड़पाओ !
तब उसने कहा- ऐसे नहीं.. कुछ और कहो.. ये लिंग और योनि की भाषा मुझे पसंद नहीं !
तब मैंने थोड़ा संकोच किया, इस पर उसने कहा- बोलो !
तब मैंने उससे कहा- प्लीज अपना लंड मेरी बुर में डालो !
तब उसने कहा- बुर शब्द कितना अच्छा लगता है, पर क्या सिर्फ लंड बुर में डालूँ और कुछ न करूँ?
तब मैंने कहा- प्लीज.. कितना तड़पा रहे हो चोदो न मुझे !ि
 
उसने कहा- ठीक है.. चलो पहले तुम पेशाब कर लो !
मैंने कहा- मुझे पेशाब नहीं आई है !
उसने कहा- पेशाब कर लो, वरना जल्दी झड़ जाओगी और मैं नहीं चाहता कि तुम मेरा साथ जल्दी छोड़ दो !
तब उसने मुझे छोड़ दिया, मैंने वहीं गोदाम के किनारे बैठ कर पेशाब करने की कोशिश करने लगी, पर उत्तेजना में माँसपेशियाँ इतनी अकड़ हो गई थीं कि पेशाब करना मुश्किल हो रहा था।
तभी विजय मेरे पास आ कर मेरे सामने बैठ गया और कहा- क्या हुआ.. जल्दी करो !
मैंने जवाब दिया- नहीं निकल रहा.. क्या पेशाब करना जरूरी है?
उसने कहा- अगर पेशाब कर लोगी तो तुम काफी देर में झड़ोगी।
मैंने थोड़ा जोर लगाया तो पेशाब निकलने लगा। तभी उसने मेरी योनि पर हाथ लगा कर मेरे पेशाब को योनि पर फैला दिया, फिर अपना हाथ सूंघते हुए कहा- तुम्हारी पेशाब से कितनी अच्छी गंध आ रही है !
मैंने उसकी तरफ देख कर मुस्कुराया और फिर मैं उठ कर चली गई। मैं वापस जा कर लेट गई।
अब वो मेरे पास आकर मुझे चूमने लगा फिर मेरी टांग फैला कर मेरी बुर को चूमा और कहा- आज इस बुर का स्वाद लेकर चोदूँगा तुम्हें !
फिर मेरे ऊपर चढ़ गया। अपने हाथ में थोड़ा थूक लगा कर अपने लंड के सुपाड़े में लगाया और मेरी योनि पर रख थोड़ा रगड़ा। मैं सिसकार गई। अपने लिंग को योनि के छेद पर टिका कर उसने मेरी टांग को अपने चूतड़ पर रख कहा- तुम तैयार हो?
मैं तो पहले से ही तड़प रही थी, सो सर हिला कर ‘हाँ’ में जवाब दिया। अब उसने मुझे कन्धों से पकड़ा और मैंने भी उसे पकड़ लिया। फिर उसने दबाव देना शुरू किया तो उसका सुपाड़ा अन्दर घुस गया, मैं कराह उठी।
मुझे अब हल्का दर्द होने लगा पर मैं बर्दाश्त करती रही।
थोड़ा और जोर लगाने पर उसका लिंग और अन्दर घुस गया।
मेरी सिसकारी और तेज़ हो गई, पर उस पर कोई असर नहीं हुआ और उसने और जोर लगाया।
अब उसने मुझसे कहा- तुम थोड़ा नीचे से जोर लगाओ !
मैंने दर्द को सहते हुए जोर लगाया और उसने भी तो पूरा लिंग मेरी योनि में समा गया। मैं उसके सुपाड़े को अपनी बच्चेदानी में महसूस करने लगी।
उसने मुझे चूमा और कहा- तुम्हारी चूत कितनी कसी हुई है.. कितने दिनों के बाद चुदवा रही हो?
मैंने कहा- तीन महीने के बाद… अब देर मत करो.. चोदो !
उसने कहा- ठीक है, पर कोई परेशानी हो तो कह देना !














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