Sunday, August 31, 2014

FUN-MAZA-MASTI पुजारी हवस का --8

FUN-MAZA-MASTI

 पुजारी हवस का --8

 घबराओ मत..... अपनी मॉम पर भरोसा रखो....ये तुम्हारी पहली चुदाई है....इसलिए मैं खुद से चढ़ कर करवा रही हूँ....ताकि तुम्हे सिखने का मौका मिल जाये....देखो...मैं अभी लेती हूँ......" फिर अपनी गांड को लण्ड की लम्बाई के बराबर ऊपर उठा कर एक हाथ से लण्ड पकड़ सुपाड़े को बूर की दोनों फांको के बीच लगा दुसरे हाथ से अपनी चुत के एक फांक को पकड़ कर फैला कर लण्ड के सुपाड़े को उसके बीच फिट कर ऊपर से निचे की तरफ कमर का जोर लगाया. चुत और लण्ड दोनों गीले थे. मेरे लण्ड का सुपाड़ा वो पहले ही चुत के पानी से गीला कर चुकी थी इसलिए सट से मेरा पहाड़ी आलू जैसा लाल सुपाड़ा अन्दर दाखिल हुआ. तो उसकी चमरी उलट गई. मैं आह करके सिस्याया तो मॉम बोली "बस हो गया ...हो गया....एक तो तेरा लण्ड इंतना मोटा है.....मेरी चुत एक दम टाइट है....घुसाने में....ये ले बस दो तीन और....उईईईइ माँ.....सीईईईई....बहनचोद का....इतना मोटा.....हाय...य य य.....उफ्फ्फ्फ्फ़...." करते हुए गप गप दो तीन धक्का अपनी गांड उचकाते चुत्तर उछालते हुए लगा दिए. पहले धक्के में केवल सुपाड़ा अन्दर गया था दुसरे में मेरा आधा लण्ड मॉम की चुत में घुस गया था, जिसके कारण वो उईईई माँ करके चिल्लाई थी मगर जब उन्होंने तीसरा धक्का मारा था तो सच में उनकी गांड भी फट गई होगी ऐसा मेरा सोचना है. क्योंकि उनकी चुत एकदम टाइट मेरे लण्ड के चारो तरफ कस गई थी और खुद मुझे थोड़ा दर्द हो रहा था और लग रहा जैसे लण्ड को किसी गरम भट्टी में घुसा दिया हो. मगर मॉम अपने होंठो को अपने दांतों तले दबाये हुए कच-कच कर गांड तक जोर लगाते हुए धक्का मारती जा रही थी. तीन चार और धक्के मार कर उन्होंने मेरा पूरा नौ इंच का लण्ड अपनी चुत के अन्दर धांस लिया और मेरे छाती के दोनों तरफ हाथ रख कर धक्का लगाती हुई चिल्लाई "उफ्फ्फ्फ्फ़....बहन के लौड़े....कैसा मुस्टंडा लौड़ा पाल रखा है....ईई....हाय....गांड फट गई मेरी तो.....हाय पहले जानती की....ऐसा बूर फारु लण्ड है तो....सीईईईइ..... आज तुने....अपनी मॉम की फार दी....ओह सीईईई....लण्ड है की लोहे का राँड....उईईइ माँ.....गई मेरी चुत आज के बाद....साला किसी के काम की नहीं रहेगी....है....हाय बहुत दिन संभाल के रखा था....फट गई....रे मेरी तो हाय मरी...." इस तरह से बोलते हुए वो ऊपर से धक्का भी मारती जा रही थी और मेरा लण्ड अपनी चुत में लेती भी जा रही थी. तभी अपने होंठो को मेरे होंठो पर रखती हुई जोर जोर से चूमती हुई बोली "हाय....माधरचोद....आराम से निचे लेट कर बूर का मजा ले रहा है....भोसड़ी....के....मेरी चुत में गरम लोहे का राँड घुसा कर गांड उचका रहा है....उफ्फ्फ्फ्फ्फ... अपनी मॉम कुछ आराम दो....हाय मेरी दोनों लटकती हुई चूचियां तुम्हे नहीं दिख रही है क्या...उफ्फ्फ्फ्फ़...उनको अपने हाथो से दबाते हुए मसलो और....मुंह में ले कर चूसो ....इस तरह से मेरी चुत पसीजने लगेगी और उसमे और ज्यादा रस बनेगा...फिर तुम्हारा लौड़ा आसानी से अन्दर बाहर होगा....हाय ऐसा करो मेरे राजा....तभी तो मॉम को मजा आएगा और....वो तुम्हे जन्नत की सैर कराएगी....सीईई..." मॉम के ऐसा बोलने पर मैंने दोनों हाथो से मॉम की दोनों लटकती हुई चुचियों को अपनी मुठ्ठी में कैद करने की कोशिश करते हुए दबाने लगा और अपने गर्दन को थोड़ा निचे की तरफ झुकाते हुए एक चूची को मुंह में भरने की कोशिश की. हो तो नहीं पाया मगर फिर भी निप्पल मुंह में आ गया उसी को दांत से पकड़ कर खींचते हुए चूसने लगा. मॉम अपनी गांड अब नहीं चला रही थी वो पूरा लण्ड घुसा कर वैसे ही मेरे ऊपर लेटी हुई अपनी चूची दबवा और निप्पल चुसवा रही थी. उनके माथे पर पसीने की बुँदे छलछला आई थी. मैंने चूची का निप्पल को मॉम के चेहरे को अपने दोनों हाथो से पकड़ कर उनका माथा चूमने लगा और जीभ निकल का उनके माथे के पसीने को चाटते हुए उनकी आँखों को चुमते हुए नाक पर जीभ फिरते हुए चाटा मॉम अपनी गांड अब नहीं चला रही थी वो पूरा लण्ड घुसा कर वैसे ही मेरे ऊपर लेटी हुई अपनी चूची दबवा और निप्पल चुसवा रही थी. उनके माथे पर पसीने की बुँदे छलछला आई थी. मैंने चूची का निप्पल को मॉम के चेहरे को अपने दोनों हाथो से पकड़ कर उनका माथा चूमने लगा और जीभ निकल का उनके माथे के पसीने को चाटते हुए उनकी आँखों को चुमते हुए नाक और उसके निचे होंठो के ऊपर जो पसीने की छोटी छोटी बुँदे जमा हो गई थी उसके नमकीन पानी को पर जीभ फिराते हुए चाटा और फिर होंठो को अपने होंठो से दबोच कर चूसने लगा. मॉम भी इस काम में मेरा पूरा सहयोग कर रही थी और अपने जीभ को मेरे मुंह में पेल कर घुमा रही थी. कुछ देर में मुझे लगा की मेरे लण्ड पर मॉम की चुत का कसाव थोड़ा ढीला पर गया है. लगा जैसे एक बार फिर से मॉम की चुत से पानी रिसने लगा है. मॉम भी अपनी गांड उचकाने लगी थी और चुत्तर उछालने लगी थी. ये इस बात का सिग्नल था का मॉम की चुत में अब मेरा लण्ड एडजस्ट कर चूका है. धीरे-धीरे उनके कमर हिलाने की गति में तेजी आने लगी. थप-थप आवाज़ करते हुए उनकी जान्घे मेरी जांघो से टकराने लगी और मेरा लण्ड सटासट अन्दर बाहर होने लगा. मुझे लग रहा था जैसे चुत दीवारें मेरे लण्ड को जकड़े हुए मेरे लण्ड की चमरी को सुपाड़े से पूरा निचे उतार कर रागड़ती हुई अपने अन्दर ले रही है. मेरा लण्ड शायद उनकी चुत की अंतिम छोर तक पहुच जाता था. मॉम पूरा लण्ड सुपाड़े तक बाहर खींच कर निकाल लेती फिर अन्दर ले लेती थी. मॉम की चुत वाकई में बहुत टाइट लग रही थी. मुझे अनुभव तो नहीं था मगर फिर भी गजब का आनंद आ रहा था. ऐसा लग रहा था जैसे किसी बोत्तल में मेरा लौड़ा एक कॉर्क के जैसे फंसा हुआ अन्दर बाहर हो रहा है. मॉम को अब बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा था ये बात उनके मुंह से फूटने वाली सिस्कारियां बता रही थी. वो सीसियते हुए बोल रही थी "आआआ.......सीईईईइ..... बहुत अच्छा लौड़ा है तेरा.....हाय एक दम टाइट जा रहा है.......सीईईइ हाय मेरी....चुत.....ओह हो....ऊउउऊ....बहुत अच्छा से जा रहा है...हाय....गरम लोहे के रोड जैसा है....हाय....कितना तगड़ा लौड़ा है..... हाय मेरे प्यारे...तुमको मजा आ रहा है....हाय अपनीमॉम की टाइट चुत को चोदने में...हाय बता ना....कैसा लग रहा है मेरे राजा....क्या तुम्हे अपनी मॉम की बूर की फांको के बीच लौड़ा दाल कर चोदने में मजा आ रहा है.....हाय मेरे चोदु....अपनी मॉम को चोदने में कैसा लग रहा है....बता ना….अपनी मॉम को....साले मजा आ रहा...सीईईई....ऊऊऊऊ...." मॉम गांड को हवा में लहराते हुए जोर जोर से मेरे लण्ड पर पटक रही थी. मॉम की चुत में ज्यादा से ज्यादा लौड़ा अन्दर डालने के इरादे से मैं भी निचे से गांड उचका-उचका कर धक्का मार रहा था. कच कच बूर में लण्ड पलते हुए मैं भी सिसयाते हुए बोला "ओह सीईईइ...मॉम....आज तक तरसता....ओह बहुत मजा.....ओह आई......ईईईइ....मजा आ रहा है मॉम....उफ्फ्फ्फ्फ़...बहुत गरम है आपकी चुत....ओह बहुत कसी हुई....है…बाप रे....मेरे लण्ड को छिल....देगी आपकी चुत....उफ्फ्फ्फ्फ़....एक दम गद्देदार है....” चुत है मॉम आपकी...हाय टाइट है....हाय मॉम आपकी चुत में मेरा पूरा लण्ड जा रहा है....सीईईइ.....मैंने कभी सोचा नहीं था की मैं आपकी चुत में अपना लौड़ा पेल पाउँगा....हाय….. उफ्फ्फ्फ्फ़... कितनी गरम है….. मेरी सुन्दर...प्यारी मॉम....ओह बहुत मजा आ रहा है....ओह आप....ऐसे ही चोदती रहो...ओह....सीईईई....हाय सच मुझे आपने जन्नत दिखा दिया....सीईईई... चोद दो अपने को…." मैं सिसिया रहा था और मॉम ऊपर से लगातार धक्के पर धक्का लगाए जा रही थी. अब चुत से फच फच की आवाज़ भी आने लगी थी और मेरा लण्ड सटा-सट बूर के अन्दर जा रहा था. पुरे सुपाड़े तक बाहर निकल कर फिर अन्दर घुस जा रहा था. मैंने गर्दन उठा कर देखा की चुत के पानी में मेरा चमकता हुआ लौड़ा लप से बाहर निकलता और बूर के दीवारों को कुचलता हुआ अन्दर घुस जाता. मॉम की गांड हवा लहराती हुई थिरक रही थी और वो अब अपनी चुत्तरों को नचाती हुई निचे की तरफ लाती थी और लण्ड पर जोर से पटक देती थी फिर पेट अन्दर खींच कर चुत को कसती हुई लण्ड के सुपाड़े तक बाहर निकाल कर फिर से गांड नचाती निचे की तरफ धक्का लगाती थी. बीच बीच में मेरे होंठो और गालो को चूमती और गालो को दांत से काट लेती थी. मैं भी मॉम के दोनों चुत्तरों को दोनों हाथ की हथेली से मसलते हुए चुदाई का मजा लूट रहा था. मॉम गांड नचाती धक्का मारती बोली "राजू....मजा आ रहा है....हाय....बोल ना....मॉम को चोदने में कैसा लग रहा है ....हाय बहनचोद....बहुत मजा दे रहा है तेरा लौड़ा.....मेरी चुत में एकदम टाइट जा रहा है....सीईईइ....माधरचोद….इतनी दूर तक आज तक…..मेरी चुत में लौड़ा नहीं गया....हाय...खूब मजा दे रहा है.... बड़ा बूर फारु लौड़ा है रे…तेरा....हाय मेरे राजा....तू भी निचे से गांड उछाल ना….हाय....अपनी मॉम की मदद कर....सीईईईइ.....मेरे सैयां.....जोर लगा के धक्का मार...हाय बहनचोद....चोद दे अपनी मॉम को....चोद दे....साले...चोद, चोद....के मेरी चुत से पसीना निकाल दे...भोसड़ीवाले…. ओह आई......ईईईइ…” मॉम एकदम पसीने से लथपथ हो रही थी और धक्का मारे जा रही थी. लौड़ा गचा-गच उसकी चुत के अन्दर बाहर हो रहा था और अनाप शनाप बकते हुए दाँत पिसते हुए पूरा गांड तक का जोर लगा कर धक्का लगाये जा रही थी. कमरे में फच-फच...गच-गच...थप-थप की आवाज़ गूँज रही थी. मॉम के पसीने की मादक गंध का अहसास भी मुझे हो रहा था. तभी हांफते हुए मॉम मेरे बदन पर पसर गई. "हाय...थका दिया तुने तो.....मेरी तो एक बार निकल भी
गई....साले तेरा एक बार भी नहीं निकला....हाय....अब साले मुझे निचे लिटा कर चोद...जैसे मैंने चोदा था वैसे ही....पूरा लौड़ा डाल कर....मेरी चुत ले....ओह...." कहते हुए मेरे ऊपर से निचे उतर गई. मेरा लण्ड सटाक से पुच्च की आवाज़ करते हुए बाहर निकल गया. मॉम अपनी दोनों टांगो को उठा कर बिस्तर पर लेट गई और जांघो को फैला दिया. चुदाई के कारण उनकी चुत गुलाबी से लाल हो गई थी. मॉम ने अपनी जांघो के बीच आने का इशारा किया. मेरा लपलपाता हुआ खड़ा लण्ड मॉम की चुत के पानी में गीला हो कर चमचमा रहा था. मैं दोनों जांघो के बीच पंहुचा तो मुझे रोकते हुए मॉम ने पास में परे अपने पेटिकोट के कपड़े से मेरा लण्ड पोछ दिया और उसी से अपनी चुत भी पोछ ली फिर मुझे डालने का इशारा किया. ये बात मुझे बाद में समझ में आई की उन्होंने ऐसा क्यों किया. उस समय तो मैं जल्दी से जल्दी उनकी चुत के अन्दर घुस जाना चाहता था. दोनों जांघो के बीच बैठ कर मैंने अपना लौड़ा चुत के गुलाबी छेद पर लगा कर कमर का जोर लगाया. सट से मेरा सुपाड़ा अन्दर घुसा. बूर एक दम गरम थी. तमतमाए लौड़े को एक और जोर दार झटका दे कर पूरा पूरा चुत में उतारता चला गया. लण्ड सुखा था चुत भी सूखी थी. सुपाड़े की चमरी फिर से उलट गई और मुंह से आह निकल गई मगर मजा आ गया. चुत जो अभी दो मिनट पहले थोरी ढीली लग रही थी फिर से किसी बोतल के जैसे टाइट लगने लगी. एक ही झटके से लण्ड पेलने पर दीदी कोकियाने लगी थी. मगर मैंने इस बात कोई ध्यान नहीं दिया और तरातर लौड़े को ऊपर खींचते हुए सटासट चार-पॉँच धक्के लगा दिए. मॉम चिल्लाते हुए बोली "माधरचोद...साले दिखाई नहीं देता की चुत को पोछ के सुखा दिया था...भोसड़ी के सुखा लौड़ा डाल कर दुखा दिया.....तेरी बहन को चोदु....हरामी…. साले...अभी भी....चोदना नहीं आया...ऊपर चढ़ के सिखाया था....फिर साले तुने...." मैं रुक कर मॉम का मुंह देखने लगा तो फिर बोली "अब मुंह क्या देख रहा है....मार ना....धक्का....जोर लगा के मार...हाय मेरे राजा...मजा आ गया...इसलिए तो पोछ दिया था....हाय देख क्या टाइट जा रहा है...इस्स्स्स्स….” मैं समझ गया अब फुल स्पीड में चालू हो जाना चाहिए. फिर क्या था मैंने गांड उछाल उछाल कर कमर नचा कर जब धक्का मरना शुरू किया तो मॉम की चीखे निकालनी शुरू हो गई. चुत फच फच कर पानी फेंकने लगी. गांड हवा में लहरा कर लण्ड लीलने लगी “ हाय पेल दे..... ऐसे ही बेदर्दी से….. चोद अपनी मॉम की चुत को....ओह माँ....कैसा बेदर्दी है....हाय कैसे चोद रहा है....अपनी मॉम को....हाय माँ देखो....मैंने मुठ मारने से मना किया तो साले ने मुझे चोद डाला......चोदा इसके लिए कोई बात नहीं....मगर कमीने को ऐसे बेदर्दी से चोदने में पता नहीं क्या मजा मिल रहा है उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़.......मर गई....हाय बड़ा मजा आ रहा है.....सीईईईई.....मेरे चोदु सैयां...मेरे बालम....हाय मेरे चोद.....बहन के लौड़े...चोद दे अपनी चुदक्कड़ बहन को...सीईईईई...." मैं लगातार धक्के पर धक्का लगता जा रहा था. मेरा जोश भी अपनीमें चिपका झरने लगा. उसी समय वो भी झरने लगी.
तो दोस्तों थी मेरी अपनी मॉम के साथ चुदाई

 अब मेने सोच लिया था की मुझे रचना और मॉम दोनों को एक साथ चोदना हे पर कैसे ये प्लानिंग मेरे दिमाग में नही आ रही थी, मुझे पता था की ये काम मुस्किल तो हे लेकिन असंभव नही हे। हमारे शहर में बारिश की शुर आत हो चुकी थी और मौसम काफी सुहाना हो चला था। मेने मॉम और रचना से कहा की आज तो कंही घूमने चलते हे ,हमारे शहर से थोड़ा दूर एक पहाड़ी इलाका था जन्हा काफी पहाड़िया और पानी था।
हम तीनो वंहा घूमने चले गए,मेने मॉम से कहा की में रचना से अलग होकर उनके पास आने की कोशिश करूँगा और सेक्स करूँगा ,माँ ने कहा पागल हो गया हे क्या तू ऐसे खुले में कैसे , कहा ये आप मेरे पर छोड़ दीजिये,यही बात मेने रचना से कही तो वो राजी हो गयी की हमे जन्हा भी मौका मिलेगा हम सेक्स कर लेंगे।
हम सुबह सुबह ही उस जगह चले गए,मॉम ने कहा की पहाड़ी के दूसरी और एक मंदिर हे वो वंहा जाकर दर्शन करती हे में और रचना आराम से वंहा आये,मॉम के जाते ही एक पहाड़ी की ओट में रचना मुझसे चिपक गयी।
हम दोनो के बदन में आग लगी हुई थी, और हम बेचैन थे कि, कब हम एक-दुसरे की बांहो में खो जाये।वासना की आग ने, हमारी सोचने-समझने की शक्ति शायद खतम कर दी थी। मैने जोर से अपनी प्यारी बहन को अपनी बांहो में कस लिया, और उसके पुरे चेहरे पर चुंबनो की बरसात कर दी। उसने भी मुझे अपनी बांहो में कस कर जकड लिया था, और उसकी कठोर चुचियां मेरी छाती में दब रही थी। उसकी चुचियों के खडे निप्पल की चुभन को, मैं अपने छाती पर महसूस कर रहा था। उसकी कमर और जांघे मेरी जांघो से सटी हुई थी, और मेरा खडा लंड मेरे पेन्ट के अंदर से ही उसकी स्कर्ट पर, ठीक उसकी बुर के उपर ठोकर मार रहा था। मेरी प्यारी रचना अपनी चूत को मेरे खडे लंड पर, पेन्ट के उपर से रगड रही थी। हम दोनो के होंठ एक-दुसरे से जुडे हुए थे और मैं अपनी प्यारी बहन के पतले, रसीले होंठो को चुसते हुए, चुम रहा था। उसके होंठो को चुसते और काटते हुए, मैने अपनी जीभ को उसके मुंह में ठेल दिया था। उसके मुंह के अंदर जीभ को चारो तरफ घुमते हुए, उसकी जीभ से अपनी जीभ को लडाते हुए, दोनो भाई-बहन एक-दुसरे के बदन से खेल रहे थे। उसके हाथ मेरी पीठ पर से फिरते हुए, मेरे चुतडों और कमर को दबाते हुए, अपनी तरफ खींच रहे थे। मैं भी उसके चुतडों को दबाते हुए, उसकी गांड की दरार में स्कर्ट के उपर से ही अपनी उन्गली चला रहा था। कुछ देर तक इसी अवस्था में रहने के बाद मैने उसे छोड दिया, और वोएक ऊँची जगह पर चली गई।

उसने अपने घुटनो को उस जगह के किनारे पर जमा दिया। फिर वो इस तरह से झुक गई, जैसे कि वो दुसरी तरफ कोई चीज खोज रही हो। अपने घुटनो को जमने के बाद, मेरी प्यारी बेहना ने गरदन घुमा कर मेरी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए अपने स्कर्ट को उपर उठा दिया। इस प्रकार उसके खूबसुरत गोलाकार चुतड, जो कि नायलोन की एक जालीदार कसी हुई पेन्टी के अंदर कैद थे, दिखने लगे। उसकी चूत के उभार के उपर, उसकी पेन्टी एक दम कसी हुई थी और मैं देखा रहा था कि, चूत के उपर पेन्टी का जो भाग था, वो पुरी तरह से भीगा हुआ था। मैं दौड के उसके पास पहुंच गया और अपने चेहरे को, उसकी पेन्टी से ढकी हुई चूत और गांड के बिच में घुसा दिया। उसके बदन की खुश्बू, और उसकी चूत के पानी व पसिने की महक ने मेरा दिमाग घुमा दिया, और मैने बुर के रस से भीगी हुई उसकी पेन्टी को चाट लिया। वो आनंद से सिसकारीयां ले रही थी, और उसने मुझसे अपनी पेन्टी को निकाल देने का आग्रह किया।
मैने उसकी चूत और गांड को कस कर चुमा, उसके मांसल चुतडों को अपने दांतो से काटा और उसके बुर से निकलने वाली मादक गंध को एक लम्बी सांस लेकर अपने फेफडों में भर लिया। मेरा लंड पुरी तरह से खडा हो चुका था, और मैने अपने पेन्ट और अंडरवियर को खोल कर इसे आजादी दे दी। रचना की मांसल, कंदील जांघो को अपने हाथो से कस कर पकडते हुए, मैं उसकी पेन्टी के उपर से ही उसकी चूत चाटने लगा। जालीदार पेन्टी से रीस-रीस कर बुर का पानी निकल रहा था। मैं पेन्टी के साथ ही उसकी बुर को अपने मुंह में भरते हुए, चुसते हुए, चाट रहा था। पेन्टी का बिच वाला भाग सीमट कर उसकी चूत और गांड की दरार में फस गया था, और मैं चूत चाटते हुए, उसकी गांड पर भी अपना मुंह मार रहा था। मेरे ऐसा करने से बहन की उत्तेजना बढ गई थी। वो अपनी गांड को नचाते हुए, अपनी चूत और चुतडों को मेरे चेहरे पर रगड रही थी। फिर मैने धीरे से अपनी बहन की पेन्टी को उतार दिया। उसके खूबसुरत चुतडों को देख कर मेरे लंड को जोरदार झटका लगा। उसके मैदे जैसे, गोरे चुतडों की बिच की खाई में भुरे रंग की अनछुई गांड, एकदम किसी फूल की कली की तरह दिख रही थी। उसकी गांड के निचे गुलाबी पंखुडियों वाली उसकी चिकनी चूत थी।रचना की चूत के होंठ फडफडा रहे थे और भीगे हुए थे। मैने अपने हाथो को धीरे से उसके चुतडों और गांड की दरार में फिराया, फिर धीरे से हाथो को सरका कर उसकी बिना झांठो वाली चूत के छेद को अपनी उन्गलियों से कुरेदते हुए, सहलाने लगा। मेरी उन्गलियों पर उसकी चूत से निकला, उसका रस लग गया था। मैने उसे अपनी नाक के पास ले जा कर सुंघा, और फिर जीभ निकल कर चाट लिया। मेरी प्यारी बहन के मुंह लगातार सिसकारीयां निकल रही थी, और उसने मुझसे कहा,
“भाई, जैसाकि मैं समझती, अब तुमने जी भर कर मेरे चुतडों और चूत को देखा लिया है। इसलिये तुम्हे अपना काम शुरु करने में देर नही करनी चाहिए।”

मैं भी अब ज्यादा देर नही करना चाहता था, और झुक कर मैने उसकी चूत के होंठो पर अपने होंठो को जमा दिया। फिर अपनी जीभ निकाल कर उसकी चूत को चाटना शुरु कर दिया। उसकी बुर का रस नमकीन-सा था। मैने उसकी बुर के कांपते हुए होंठो को, अपनी उन्गलियों से खोल दिया, और अपनी जीभ को कडा और नुकिला बना कर, चूत के छेद में घुसा कर उसके भगनशे को खोजने लगा।उसके छोटे-से भगनशे को खोजने में मुझे ज्यादा वक्त नही लगा। मैने उसे अपने होंठो के बिच दबा लिया, और अपनी जीभ से उसको छेडने लगा। रचना ने आनंद और मजे से सिसकारीयां भरते हुए, अपनी गांड को नचाते हुए, एक बहुत जोर का धक्का अपनी चूत से मेरे मुंह की ओर मारा। ऐसा लग रहा था, जैसे मेरी जीभ को वो अपनी चूत में निगल लेना चाहती हो। वो बहुत तेज सिसकारीयां ले रही थी, और शायद उत्तेजना की पराकाष्ठा तक पहुंच चुकी थी। मैं उसके भगनशे को अपने होंठो के बिच दबा कर चुसते हुए, अपनी जीभ को अब उसके पेशाब करने वाले छेद में भी घुमा रहा था। उसके पेशाब की तीव्र गंध ने मुझे पागल बना दिया था। मैने अपनी दो उन्गलियों की सहायता से, उसके पेशाब करने वाले छेद को थोडा फैला दिया। फिर अपनी जीभ को उसमे तेजी से नचाने लगा। मुजे ऐसा करने में मजा आ रहा था, और रचना भी अपनी गांड को नचाते हुए सिसकारीयां ले रही थी।

“ओह भाई, तुम बहुत अच्छा कर रहे हो। डार्लिंग ब्रधर, इसी प्रकार से अपनी बहन की गरमाई हुई बुर को चाटो, हां,,, हां भाई,,,, मेरे पेशाब करने वाले छेद को भी चाटो और चुसो। मुझे बहुत मजा आ रहा है, और मुझे लगता है, शायद मेरा पेशाब निकल जायेगा। ओह भाई, तुम इस बात का ख्याल रखना कि, कहीं तुम मेरे मुत ही नही पी जाओ।”

मैने रचना की चूत पर से, अपने मुंह को एक पल के लिये हटाते हुए कहा,
“ओह सिस्टर, तुम्हारे पेशाब और चूत की खूश्बु ने मुझे पागल बना दिया है। ऐसा लगता है कि, मैने तुम्हारी मुत की एक-दो बुंद पी भी ली है, और मैं अपने आप को इसका और ज्यादा स्वाद लेने से नही रोक पा रहा हुं। हाये रचना, सच में तुम्हारे बदन से निकलने वाली हर चीज बहुत ही स्वादिष्ट है,,,,, ओह,,,,।”“ओह भाई ! लगता है, तुम कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो चुके हो, और मुझे ये बहुत पसंद है। तुम्हारा इस तरह से मुझे प्यार करना, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है, प्यारे भाई। पर अगर तुम इसी तरह से मेरी चूत और पेशाब वाले छेद को चुसोगे, तो मुझे लगता है कि मेरा पेशाब निकल जायेगा। और मैं नही चाहती कि, हमारे कपडे खराब हो,,,,,,,, ओह राजा, मेरे प्यारे सनम,,,,,,,तुम इस बात का ख्याल रखते हुए मुझे प्यार करो।”

मैं अभी तक पेशाब वाले छेद को चिडोर-चिडोर कर चाट रहा था। मगर रचना के बोलने पर मैने उसको छोड कर, अपना ध्यान उसकी चूत और भगनशे पर लगा दिया। उसके भगनशे को अपने होंठो से छेडते हुए, उसकी पनियाई हुई बुर के कसे हुए छेद में, अपनी जीभ को नुकिला करके पेलने लगा। अपने हाथो से उसके चुतडों और गांड के छेद को सहलाते हुए, मैं उसकी गांड के छेद को अपने अंगुठे से छेडने लगा। मैं अपनी जीभ को कडा कर के उसकी चूत में तेजी के साथ पेल रहा था, और जीभ को बुर के अंदर पुरा ले जाकर उसे घुमा रहा था। रचना भी अपने चुतडों को तेजी के साथ नचाते हुए, अपनी गांड को मेरी जीभ पर धकेल रही थी, और मैं उसकी बुर को चोद रहा था।

हालांकि, इस समय मेरा दिल अपनी प्यारी बहन की गांड के भुरे रंग के छेद को चाटने का कर रहा था। परंतु मैने देखा कि, रचना अब उत्तेजना की सीमा को पार कर चुकी थी, शायद। वो अब अपने चुतडों नचाते हुए बहुत तेज सिसकारीयां ले रही थी।

“,,,,,भाई, तुम मुझे पागल बना रहे हो,,,,,,ओह,,,,डार्लिंग ब्रधर हां ऐसे,,,,, ही,,,,, ऐसे ही, चुसो मेरी चूत को,,,,,,,मेरी बुर के होंठो को अपने मुंह में भर कर,,,, ऐसे ही चाटो राजा,,,,,,ओह, प्यारे,,,,, बहुत अच्छा कर रहे हो तुम। इसी प्रकार से मेरी चूत के छेद में अपनी जीभ को पेलो, और अपने मुंह से चोद दो, मुझे। हाय, मेरे चोदु भाई,,,,, मेरी चूत के होंठो को काट लो और उन्हे काटते हुए अपनी जीभ को मेरी बुर में पेलो।”
चूत के रस को चाटते हुए और बुर में जीभ पेलते हुए, मैं उसके भगनशे को भी छेड देता था। मेरे ऐसा करने पर वो अपनी गांड को और ज्यादा तेजी के साथ लहराने लगती थी।रचना अब पुरी उत्तेजना में आ चुकी थी। मैने अपने पंजो के बिच में उसके दोनो छुतडों को दबाया हुआ था, ताकि मुझे उसकी प्यारी चूत को अपने जीभ से चोदने में परेशानी ना हो। मैं अपनी नुकिली जीभ को उसकी चूत के अंदर गहराई तक पेल कर, घुमा रहा था।

“ओह भाआआईईईई,,,,,, ऐसे ही प्यारे, मेरे डार्लिंग ब्रधर,,,,, ऐसे ही। ओह,,,, खा जाओ मेरी चूत को, चुस लो इसका सारा रस,,,, प्यारे!!!! ओह,,, चोदु,,,, मेरे भगनशे को ऐसे ही छेडो और कस कर अपनी जीभ को पेलो,,,,,,,, ओओओओह्ह्ह्ह,,, सीईईईईईई मेरे चुदक्कड बालम,,,, मेरा अब निकलने ही वाला,,,, ओह…मैं गई,,,,,,, गईईईईई,,,,,,,, गई राआज्जाआआ,,,,, ओह बुरचोदु,,,,,,,,देखो मेरा निकल रहा है,,,,,,,,, हायेएएए,,, पी जाओ,,,,,, इसे!!!!! ओह,,,, पी,,,,, जाओ मेरी चूत से निकले पानी को,,,,,,,ईईईईईशीशीशीश्श्शीईई,,,, भाई, मेरी चूत से निकले स्वादिष्ट पानी को पीईईई जाआआओओओ प्याआआरेएएएए,,,,,”,
कहते हुए रचना अपनी चूत झाडने लगी।

उसकी मखमली चूत से गाढा द्रव्य निकलने लगा। वो मेरे चेहरे को अपनी चूत और चुतडों के बिच दबाये हुए, अपनी गांड को नचाते हुए गीर गई। उसकी चूत अभी भी फडफडा रही थी, और उसकी गांड में भी कंपन हो रहा था। मैने उसकी चूत से निकले हुए रस की एक-एक बुंद को चाट लिया, और अपने सिर को उसकी मांसल जांघो के बिच से निकाल लिया।

मेरी बहन पेट के बल लेटी हुई थी। कमर के निचे वो पुरी नंगी थी। झड जाने के कारण उसकी आंखे बंध थी, और उसके गुलाबी होंठ हल्के-से खुले हुए थे। वो बहुत गहरी सांसे ले रही थी। उसने अपने एक पैर को घुटनो के पास से मोडा हुआ था और दुसरे पैर को फैलाया हुआ था। उसके लेटने की ये स्थिति बहुत ही कामुक थी। इस स्थिति में उसकी सुनहरी, गुलाबी चूत, गांड का भुरे रंग का छेद और उसके गुदाज चुतड मेरी आंखो के सामने खुले पडे थे और मुझे अपनी ओर खींच रहे थे। मेरा खडा लौडा, अब दर्द करने लगा था। मेरे लंड का सुपडा, एक लाल टमाटर के जैसा दिख रहा था। मेरे लंड को किसी छेद की सख्त जुरुरत महसूस हो रही थी। मैं गहरी सांसे खींचता हुआ, अपनी उत्तेजना पर काबु पाने की कोशिश कर रहा था। मेरे हाथ मेरी रचना के नंगे चुतडों के साथ खेलने के लिये बेताब हो रहे थे। मैं अपने अंडकोषो को सहलाते हुए, सुपाडे के छेद पर जमा हुई पानी की बुंदो को देखते हुए, अपनी प्यारी नंगी बहन के बगल में बेड पर बैठ गया। मेरे बैठते हीरचना ने अपनी आंखे खोल दी। ऐसा लग रहा था, जैसे वो एक बहुत ही गहरी निंद से जागी हो। जब उसने मुझे और मेरे खडे लंड को देखा तो, जैसे उसे सब कुछ याद आ गया और उसने अपने होंठो पर जीभ फेरते हुए, मेरे खडे लंड को अपने हाथो में भर लिया और बोली,
“ओह प्यारे, सच में तुमने मुझे बहुत सुख दिया है। ओह भाई, तुमने जो किया है, वो सच में बहुत खुशनुमा था। मैं बहुत दिनो के बाद इस प्रकार से झडी हुं।,,,,, ओह प्यारे, तुम्हारा लंड तो एकदम खडा है।,,,,,,ओह,,, मुझे ध्यान ही नही रहा कि, मेरे प्यारे भाई का डण्डा खडा होगा और उसे भी एक छेद की जुरूरत होगी। ओह डार्लिंग आओ,,,,,,,, जल्दी आओ, तुम्हारे लंड में खुजली हो रही होगी। मैं भी तैयार हुं,,,,, तुम्हारा खडा लंड देख कर मुझे भी उत्तेजना हो रही है, और मेरी बुर भी अब खुजलाने लगी है।”

“ऐसा नही हैरचना, अगर इस समय तुम्हारी ईच्छा नही है तो कोई बात नही है। मैं अपने लंड को हाथ से झाड लुन्गा।”

“नही भाई, तुम अपनी बहन के होते हुए ऐसा कभी नही कर सकते, अगर कुछ करना होगा तो मैं करुन्गी। भाई, मैं इतनी स्वार्थी नही हुं कि, अपने प्यारे सगे भाई को ऐसे तडपता हुआ छोड दुं। आओ भाई, चढ जाओ अपनी बहन पर और जल्दी से चोदो,,,,,,,,,, चलो, जल्दी से चुदाई का खेल शुरु करें।”

मैने उसके होंठो पर एक जोरदार चुंबन जड दिया। और उसके मांसल, मलाईदार चुतडों को अपने हाथो से मसलते हुए, उससे कहा,
“रचना, तुम फिर से घुटनो के बल हो जाओ, मैं तुम्हे पिछे से चोदना चाहता हुं।”मेरी बात सुन कर मेरी प्यारी सिस्टरने बिना एक पल गंवाये, फिर से वही पोजीसन बना ली। उसने घुटनो के बल होकर, अपनी गरदन को पिछे घुमा कर मुस्कुराते हुए, मुझे अपनी बडी-बडी आंखो को नचाते हुए आमंत्रण दिया। उसने अपने पैरों को फैला कर, अपने खजाने को मेरे लिये पुरा खोल दिया। मैने फिर से अपने चेहरे को उसकी जांघो के बिच घुसा दिया, और उसकी चूत को चाटने लगा। चूत चाटते हुए अपनी जीभ को उपर की तरफ ले गया, और उसकी खूबसुरत और मांसल गांड की दरार में अपनी जीभ को घुसा दिया और जीभ निकाल कर उसकी गांड को चाटने लगा। मैने अपने दोनो हाथो से उसके चुतडों फैला कर, उसकी गांड के छेद को चौडा कर दिया। फिर अपनी जीभ को कडा करके, उसकी गांड में धकेलने की कोशिश करने लगा। उसकी गांड बहुत टाईट थी और इसे मैं अपनी जीभ से नही चोद पाया। मगर मैं उसकी गांड को तब तक चाटता रहा, जब तक कि, रचना चिल्लाने नही लगी और सिसयाते हुए मुझे बोलने लगी,
“ओह ब्रधर, अब देर मत करो। मैं अब गरम हो गई हुं। अब जल्दी से अपनी प्यारी बहन को चोद दो, और अपनी प्यास बुझा लो। मैं समझती हुं, अब हमारा ज्यादा देर करना उचित नही होगा। ओह भाई, जल्दी करो और अपने लंड को मेरी चूत में पेल दो।”







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