Saturday, August 16, 2014

FUN-MAZA-MASTI में और मेरी प्यारी माँ--8

FUN-MAZA-MASTI


में और मेरी प्यारी माँ--8


ऐसे ही चुमते-चुमते वो मेरे लंड तक पहुँच गई मुझे मजा आरहा था..फिर लंड को छोड़ जांगो को चूमने लगी..मेरे पैर तक पहुच गई फिर उपर आने लगी..मेरे जांगो को चुमते हुए मेरे लंड पे किस करने लगी...सुपाडे पर जीभ गुमाने लगी..चूमने-चाटने लगी..फिर तो धीरे से लंड का सुपाड़ा मुह में भर लिया...मेरे मुह से आह्ह्ह.. निकाल गई...उनका काम चालू था..धीरे-धीरे पूरा लंड मुहमे भर लिया..फिर मेरे अंडो को भी चाटने लगी.. गोलियों को मुह में भर कर चूसने लगी..निचे गांड तक जीभ फेरा देती..में सस्स्...आह्ह.. कर रहा था..उन्होंने लंड को मुहमे लेकर जोर-जोर से चुसाई सुरु कर दी..मेने कहाआह्ह..सस्स...चा..ची..मेरा निकाल जाए गा...पर वो रुकी नहीं और जोर से अपने होठों को दबा कर चूसने लगी..मेंआह्ह...आह्ह...ओह्ह....ओह्ह्ह्ह..कर रहा था...मेरा माल निकाल गया....फिरभी वो चुस्ती रही..उनका लंड चूसने का तरीका मांजी से कुछ अलग था..मांजी लंड को हाथ में पकडती और आधा लंड मुठीयाती और आधा लंड चुसती ...जबकी चाची के दोनों हाथ मेरी जांगो पर थे और वो पूरा लंड मुहमे भर लेती फिर बाहर निकालती और फिर अंदर ले लेती... इस तरह वो चुसाई कर रहीथी...अंदर-बाहर करती जब मेरा माल निकला तो कुछ उनके चेहरे पर भी गिरा..लेकिन वो अपने अंदाज में जोर-जोर से चुस्ती रही....मेरे माल की झांक उनके होठोसे बाहर निकाल रही थी..पूरा मुह मेरे माल से भर गया था..लंड मुहसे निकाला मेरी और देखा...और सारा माल पि गई..अभी उनके पतले होठों पर मेरे माल की झांक बनी हुई थी..वो जीभ घुमा के चाटने ही वाली थी की मांजी ने उनके होठों पर किस कर दिया और झांक का स्वाद चख लिया...चेहरे पर गिरी बूदों को भी चाट लिया...में दोनों को देखता रहा..कितना सेक्स भरा है दोनों में..मांजी-तुतो 69 सिखा रही थी..फिर ये...?? चाचीमांजी जब मेने उसके लंड को चूमा तो उसमे आप दोनों के माल की मिक्स सुगंध रही थी..में पागल सी हो गई...मुझसे रहा नहीं गया....जब मुहमे लिया तो मजेदार स्वाद था..मानो आप दोनों का पानी एक साथ पी रही हूँ.... और में रुक नहीं पाई....जो दोनों को साथ करना था.वो मेंने अकेले कर दिया...मांजीपर अब इसे अपना काम सिखने दे.. चाचीमुस्कुराई मेने कब मना किया...आप भी ना माजी..??.. लो में लेट गई..राहुल आजा बेटे..वेसे करना जेसा मेने किया...में चाची के खूब सुरत चेहरे को चूमने लगा..उनकी सुराहीदार गरदन....से कन्धे..फिर कांख को चूमता हुआ ...छोटे-छोटे बुब्ब्स पर आगया...निप्पल को चूमा और बुब्ब्स को पूरा मुह में भर कर चूसने लगा वो सस्स...सस्स...करने लगी..उनके बुब्ब्स छोटे जरुर थे...पर टेनिस बोल की तरह एकदम टाईट थे....फिर पेट को चूमा ..उनकी छोटीसी धुंडी में जीभ डाल कर चाट ने लगा..उनकी साँसे तेज हो रहीथी..जब धुंडी में जीभ डालता तो पुरे पेट की चमड़ी थर्रा..जाती..निचे जांगो पर चूमने लगा चूत को छोड़ दिया और चूमता हुआ..नीचे पेरो तक चला गया..उनका अंगूठा मुह में भर लिया और चूसने लगा..वो सस्स..सस्स..कर रही थी..फिर में चूमता हुआ चूत पर गया ...चूत को उपर से ही चूमा...फिर दोनों फानको को खोल कर जीभ रगड़ने लगा...वो सस्स्स्स....स्सस्सस्सीईईईई... आह्ह..कर रही थी...मुझे मजा रहा था..एक जवान चूत का स्वाद पहली बार ले रहा था..क्या नमकीन चूत थी...में अब अपनी जीभ को अंदर तक ले गया और ...होठों से चूत के फोंको को दबाने-चूसने लगा..वो आअह्ह...अह्ह्ह...कर रही थी...मांजी ने मेरे हाथ..चाची के बुब्ब्स पर रख दिए..मेरे हाथ उनके बुब्ब्स पर खेल रहे थे..चाची की सांस तेज हो गई..आह्ह्ह..ओह्ह..ओह्ह.........ओह्ह्ह कर ने लगी दोनों हाथो से मेरे सिर को चूत पर दबा दिया..उनका सारा रस मेरे मुह में गया में उसे पी गया....पहली बार इतना स्वादिस्ट पानी पीया....मजा आया गया...चाची हांफ रही थी..
हम दोनों ने अपने अपने कपडे पहने और ड्रॉइंग रूम में आगये ..में बेठा टी.वी देख रहा था..चाची किचन में अपना काम कर रही थी.दादी मेरे सामने सोफे पर बेठी थी..साडी उठाये..चूत दिखा रही थी..मेने चाची को आवाज दी चाची आई क्या है ..? मेने कहा देखोना मांजी मुझे उकसा रही है..चाची-- केसे ? मेने कहा देखो तो सही अपनी चूत दिखा रही है..चाची ने हंसते हुए कहा तो चोद दे ...मुझे क्यों बुला रहा है..में खड़ा ही हो रहा था..की चाचा के आने की आवाज आई..सब नोर्मल हो गये..चाची ने मुझे चुप रहने का इशारा किया..मेने हाँ में गर्दन हिला दी.. रात को खाना खाने के बाद सब बेठे बाते करने लगे..आज दादी ने अचानक कहा बहु मेरा बिस्तर यहाँ लगा देना... में यहाँ सो जाती हु..चाचिने मेरी और देखकर मुस्कुराते कहा ठीक है...चाचा और चाची दोनों अपने रुममे चले गये में और दादी वही पर सो गये..लाईट बंद कर दी और मे दादीसे लिपट गया...थोड़ी देर बाद मेने बेड रूम के की होल से देखा तो खेल चालु हो गया था..69 पोज चल रहा था...में दादी के पास आया बोला..चलो आज तो हम अकेले है..मजा करते है..मांजी ने कहा मादरचोद.. जब से में यहाँ आई हु हररोज मुझे चोदता है..और आज साले अनाडी केसे बन गया था..मेरे गाल पे चिमटा लेते बोली...मेरा सु-सु फुल गया है,भारी हो गया है...साले मेरी भोली बहु को पटाने के चक्कर में लगा है क्या..? मेने कहा क्यों, आपको मजा नहीं आया...और आपकी बहु भी तो साली माल है..आपकी दया होगी तो जरुर उसकी चूत मिलेगी...मांजी ने कहा..आया मेरे लाल बहुत मजा आया...लेकिन वो तुजसे चुदवाये गी नहीं..मेने समजाने का ट्राय किया पर मान नहीं रही..मेने कहा कोई बात नहीं वक्त आने पर मान जायेगी..मुझे भी कहाँ जल्दी है..हाँ तेरे लोडे के लिए में जो हूँ...मेने कहा तो फिर खेल सुरु करें.. हाँ मेरे लोडे राजा..आजा..बोल आज केसे पलेगा अपनी मांजी को..आज तो बहुत थक गया हु..तो नोर्मल पोजीशन ही लेते है..आप निचे लेट जाओ में उपर से काम करता हु...ठीक है,पर घुसायेगा केसे..निचे तकिया लगा देते है..तो आजा..और चुदाई सुरु कर दी..मजा आया..मेने गांड के लिए कहा पर वो नहीं मानी..
सुबह उठते ही मांजी ने कहा बहु आज तो हम निकाल ही जाते है...चाचाजी ने कहा नहीं माँ आज का दीन रुक जा कल निकाल जाना..चाची ने भी कहा हाँ मांजी आज का दीन ठहर जाओ..मांजी ठीक है..लेकिन अब कल तो निकाल ही जायेंगे.. सब ने खाना खाया चाचाजी ऑफिस के लिए रवाना हुए..में भी बाहर टहलने केलिए निकाल गया..जब वापस आया..तो दरवाजा बंद था..में बेडरूम की खिड़की और गया..आवाज आरही थी...मेने देखा..चाची और मांजी बाते कर रही थी..दोनों बिस्तर पर नंगी लेटी हुई थी..शायद..लेस्बो सेक्स का मजा ले चुकी थी...चाची-- क्यों मांजी, रात केसी कटी..मांजीबहु तेरा शुक्रिया केसे अदा करूँ..?? तूने तो मेरी प्यास बुझाने का मस्त इंतजाम कर दिया..चाची- आपने तो भी मेरी सहैली की कमी पूरी कर दी..में रात के बारे में पूछ रही थी...मांजी- रात को साले ने मुझे बहुत मजा करवाया..थोडा नोसिखाया है,पर तैयार हो जाता है...मेने उसे घोड़ी वाला दांव शिखा दिया....वो तो गांड में घुसा रहा था..चाची--एक बार चुदाई का चस्का लगा दिया है अब तो आपके आगे-पीछे ही घूमेगा..गांड चुदाई के बारे में आप की क्या..इच्छा है..मांजीबहुत साल हो गये,चूत को लंड मिला है तबसे पीछे भी खुजली होरही है..चाची- लेकिन मांजी,इसमें में आपकी मदद नहीं कर सकती क्योकि मेरी पीछेवाली अभी भी कुवारी है....उसकी सिल नहीं टूटी..आपने तो पीछे लिया होगा...मांजीहाँ, बहु तेरे ससुरने मेरा कोई पार्ट बाकी नहीं रखा..शादी के सुरुआत के दिनों में तो आगे-पीछे दोनों का बेंड बजा देते थे..चाचीतो दर्द नहीं होता था..मांजीदर्द तो होता था..पहलीबार जब मेरी मारी तब तो दुसरे दिन में बिस्तर से उठी ही नहीं थी..लेकिन फिर मजा भी आने लगा और आदत हो गई..हसंते हुए चाची कहातो अब क्यों डरती हो..पीछे भी ले लीजिए ना.... मुझे भी देखने में मजा आयेगा..मांजीलेकिन बहुत साल हो गये है..तो..तकलीफ तो होगी..चाचीकोई तकलीफ नहीं होगी..आइए में आपकी हैल्प केर देती हु..सरसों का तेल है किचन में में लेके आती हु..और आपकी थोड़ी..नोर्मल बना देती हु...चाची उठी अपना गाउन पहना और कीचन में चली गई...वापस आई तो साथ में तेलकी बोतल और मोमबत्ती भी लेके आई..बहु,? ये मोमबत्ती किस लिए ..मांजी आप के पीछे डाल ने के लिए..क्यों ज्यादा मोटी है क्या..? नहीं राहुल के ..से तो पतली ही है.. तो अब आप पलट जाए और पिच्छ्वाडा उचा करके घोड़ी बन जाइए..मांजी घोड़ी बन गई..चाची ने पहले गांड पे तेल लगाया और अपनी उंगुलियां रगड़ ने लगी..फिर आहिस्ता से एक ऊँगली अंदर डाल दी..माजी जरा हिली पर शांत रही तो चाची ऊँगली अंदर-बाहर करने लगी..मांजी से पूछा केसा लगता है..? मांजी सस्स्स्स.कर ते बोली अच्छा लग रहा है..तो अब मोमबत्ती का इस्तेमाल करती हु..हाँ,आने दे...चाची ने मोमबत्ती पर तेल लगाया और धीरे से मांजी की गांड में डाल ने लगी..मांजी सस्स्स्स...सास्स्स.करने लगी..फिर धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगी..मांजी ..आह्ह..आह्ह्ह.. करने लगी शायद उनको बहुत मजा आरहा था..वो ली बस बहु, मजा आगया..बस कर चाची रुक गई..और मांजी उलटी ही लेट गई...चाची मोमबत्ती निकालने लगी तो मांजी ने कहा..थोड़ा अंदर ही रहने दे...मेरी तम्मना अब पुरी होने वाली थी....तो में आगे गया और डोरबेल बजाई..



चाची ने दरवाजा खोला..मेने पूछा मांजी कहाँ है..?चची मुस्कुराते बोली वो तो आराम कर रही है..में-क्यों क्या हुआ.?चाचीतूने रात को तंग जो किया था..मेंतो क्या..हुआ..है मांजी को..डॉ.के पास जाना पड़ेगा..चाचिने पर लंड दबाते कहा नही रे..तेरा चमड़े का इंजेक्सन ही चलेगा...आजा तुझे कुछ दिखाती हु..में उनके साथ बेडरूम में गया मांजी औन्धि लेटी हुई थी अभी भी मोमबत्ती अंदर ही थी..मेंये क्या..पीछे घुसादिया है..चाची- यही तो अब तुझे पीछे तेरा घुसाना है..में- घुसेगा..?चाचीहाँ, क्यों नहीं..जेसे ये घुसी थी..और मोमबत्ती निकाल दी..माजीआह..बहु बता कर निकाल ती..चाचीसोरी मांजी..आपको तकलीफ हुई..मांजीमेरी तकलीफ को तो तू साथ ले कर आई है....अभी थोडा आराम करने दे बाद में..चाचीठीक है मांजी हम बाहर बैठते है..हम बाहर गये.थोड़ी देर बाद दादी कपडे पहन कर बाहर आई..बाते करने लगे मेने कहा मांजी..पीछे भी चुदाई होती है...चाची हाँ, बेटे पीछे डाल ने से हमें थोडा दर्द होताहै पर मर्दों को बहुत मजा आता है..और जब सब ठीक हो जाता है तो हमें भी मजा आने लगता है क्यों.मांजी..हाँ,मेरी प्यारी सहैली..और हंसने लगी...में बुध्धू बनकर देखता रहा..थोड़ी देर बाद चाचिने कहाँ मांजी तो अब ....?? हाँ,आजा...बेटे..में तो तैयार हूँ..और हम तीनो बेडरूम में चले गये...चाची ने मुझे कपडे उतार ने को कहा और दादी भी नंगी हो गई...चाची ने मेरा हाथमे लिया और मुठीयाने लगी...में खड़ा था वो निचे बेठ गई और मेरे चुत्त्दो को पकड लिया और मुहमे भर लिया चूसने लगी..मजा आगया...मेभी चुत्तड हिला-हिला कर मजे लेने लगा..मांजी बबेड पर बेठी थी...चाची ने चुसना बंध किया और मेरे लंड पर तेल लगाने लगी..मालिस करने लगी...मुझे अच्चा लगता था...उन्होंने कहा मांजी आप लेट जाइये..और घोड़ी बन जाइए..मांजी घोड़ी बन गई..उनकी गांड चुत्तड़ो से बाहर गई..भूरा गोल छेड़ नजर आने लगा...चाची ने छेद पर तेल डाला और अपनी उंगली अंदर-बाहर करने लगी..मांजी सस्स..सस्स..करने लगी...चाची क्या, माजी आप रेडी है..आने दू..मांजी हाँ,मेरी बच्ची अब तो आजाने दे..चाची ने मेरे लंड गांड पर टिकाया और मुझे कहा राहुल बेटे,इसका सुपाड़ा धीरे से अंदर डाल दे..मेने थोडा धक्का दिया..तेलकी वजह से सुपाड़ा आसानी से घुस गया..मांजी आह...कर गई.. हाची ने कहा की अनिकाल दू..मांजी ने कहा नहीं रहने दे...थोड़ी देर बाद चाची क्या,अंदर और जाने दे...हाँ, आधा आने दे..चाचिने मेरा पकड़ा और धीरे से खीचा तो आध अंदर चला गया..मांजी सस्स.सस्स..करने लगी...फिर चाचिने कहा क्या..पुअर जाने दू...मांजी नहीं आधा ही अन्दर-बाहर कर...चाची ने लंड को छोड़ दिया मुझसे कहा..धीरे धीरे अंदर-बाहर कर...में करने लगा..ऐसा करतेकरते पूरा घुसा दिया मांजी आह्ह..रुक जा..फाड़ ..देगा,...क्या..में- निकाल दू क्या....नहीं ..रहने दे.. हाँ, अब धीरेधीरे अंदर-बाहर कर में एसा करने लगा...मेने कहा मांजी बाहुत मजा आरहाहै...वो आह्ह...सस्स्स्स..सस...आह्ह..कर रही थी...मेने स्पीड बढ़ा दी...चाची पास खड़ी सारा मंजर देख रही थी...उन्हें मजा आरहा था...वो बोली...राहुल ऐसे क्या करता है जेसे चूत को चोद रहा था..ऐसे ही धक्के लगा...देख मांजी को बहुत मजा आरहा है...में जोर-जोर से पेलने लगा..मांजी ..आआ...आह्ह्ह..आह्ह...करने लगी...मेरे लंड की मार चुत्तड़ो पर जोर-जोर से पड़ रही थी...थपाक-थपाक की आवाजे कमरे में गूंज रही थी....अचानक मांजी ने जोर से ....आह्ह्ह......आह्ह्ह......बस..कर पर में नहीं रुका मेरा भी स्खलन होने आया था..मेभी आह्ह...आह्ह्ह..करने लगा.. अपने रस से मांजी की गांड भर दी...मांजीआह्ह...ओह्ह..फाड़ दी तूने आज...में रुक गया..बाहर निकालने वाला था,की मांजी ने कहा रहने दे..फिर उन्होंने एक टांग सीधी की फिर दूसरी..और लेट गई...में भी..अपना लोडा...उनकी गांड में घुसाए उपर ही लेट गया....बड़े चुत्तड़ो की वजह से आधा लंड अंदर था..आधा चुत्तड़ो के बीच फंसा था..चाची..ठंडा पानी लेकर आई मुझे दिया..में पानी पिने लगा वो मेरे और मांजी के चुत्तड़ो को सहलाने लगी,,,दबाने लगी...मेरे पैर खोल कर गांड में घुसे लंड को देखने लगी...मेरे अंडो को सहलाने लगी...कुछ देर बाद मांजी ने कहा..अब निकाल ले..मेने एक झटके से निकाल दिया..ब्ब्बक्क....की आवाज हुई...में बाथारुम्मे..चला गया..मांजीने चाची से कहा बहु थोडा साफ़ देना ...चाची मांजी के चुत्तड़ो को देखने लगी मेरे माल से गिले हो गये थे...चाची मेरे माल को चुत्तड़ो पर फेला कर मालिस करने लगी...मांजी बहु थोडा और सह्लादे अच्छा लगता है..फिर मांजी उठी नंगी ही बाथारुम्मे गई और गांड-चुत्तड़ो को साफ किया..फिर कपडे पहनकर आई..सब टीवी देखने लगे..
चाची ने मुस्कुराते कहा मांजी केसा लगा..मजा आया ..मांजीहाँ बहु, सालो बाद ऐसा मजा आया..मेरा बच्चा अच्छा काम दे रहे है..चाची--राहुल मेरी बातों का ख्याल रखना किसी को भी शक होने पाए...और जिद मत करना मांजी तुझे निराश नहीं करेगी...दीदी जब गाँव की दूकान पे जाए तभी काम कर लेना..उनकी हाजरी में कभी जोखिम नहीं लेना..मेंनहि होगा चाची किसी को भी शक नहीं होगा...चाची-मांजी आप भी ख्याल रखना..ठीक है..हँसते हुए बोली... आज मेरे साथ सो जाना...वेसे राहुल तो आपके साथ आने वाला है..पर मुझे भी थोडा मजा देते जाईए ...मांजीक्यों नहीं मेरी बच्ची..ये सब तेरी वज्से तो हो पाया है..चाचा जी आगये..बाहर खाने का प्रोग्राम बनाया..
सब खाना खाके आगये...और सो गये...सुबह जल्दी उठ गये..और हम बरोडा केलिए निकालने की तैयारी करने लगे..चाचा जी ने कहा पहुचते ही फोन कर देना...चाची ने मुझसे कहा मांजी का ख्याल रखना....और मांजी आपभी राहुल के साथ रहना..मांजीहमारी फ़िक्र मत करना और बहु जब भी छोटे को बाहर जाना हो तू मुझे बुला लेना या बरोडा आजाना..यहाँ अकेली मत रहना..चाची जरुर मांजी .. जाउंगी....हम बस स्टेशन चले गये..ज्यादा भीड़ नही थी.. तिन की सिट पर एक लड़का अकेला बेठा था..तो में उसके साथ बेठ गया...उसने मुझे स्माइल दिया..में भी मुस्कुराया..उसका चेहरा  गोल..और रंग गोरा-चिट्टा था...होठ गुलाबी थे....मेरी बगल में मांजी बेठ गई..बस चलने लगी..उस लड़के ने मुझे पूछा ब्रो..ब्रधर..आपको कहाँ जाना है..?में- बरोड़ा...तुम..?जी में बरोड़ा में पढ़ाई करता हूँ..मेरा नाम चिराग है...पर सब दोस्त मुझे चिका..चीकू..चिको.. कहके बुलाते है..हंसने लगा...आपका नाम..? मेरा नाम राहुल है और सब मुजे राहुल ही कहते है...आप क्या करते हो..?में भी कोलेज जाता हु...बांते होती रही जेसे स्टॉप आते रहे भीड़ भी बढ़ती रही..हम बाते कर रहे थे वो उठा और अपना कोलेज बेग उपरसे उतारा,अपनी गोदी में रख दिया और खोला उसमेसे पानी की बोतल निकाली मुझे देने लगा.. में ने कहा नो थेंक्स..उसने थोडा पानी पीया...वापस बोतल बेग में रखा..पर बेग उसने अपने गोदी में ही रखा..थोड़ी देर बाद वो खिड़की से बाहर देख रहा था..और उसका हाथ मेरी जांग को टच करने लगा..फिर धीरे से मेरी जांग को दबाया...मेने उसकी और देखा..उसने हाथ हटा लिया..और सवालिया नजरों से देखने लगा..में मुस्कुराया...वो भी हंस ने लगा बोला...ब्रो.., आपने तो डरा दिया मुझे...मेने कहा कोई बात नहीं..ऐसी मस्ती तो होती रहती है...उसने फिर से मेरी जांगो को सहलाया..और मेरे लंड को उपरसे ही दबाने लगा...मेने मांजी और देखा उनकी आँखे बंद थी ..पास खड़ा एक आदमी अपने लंड को उनके कंधो पर टच करवा रहा था..मैने भी आँखे बंद करली..चिकाने..अपना काम सुरु किया..मेरे पेंट की जीप खोलदी और उंदर हाथ डाला..लंड को सहलाने लगा..फिर उन्दर वीयर में हाथ डालकर लंड को पकड़ लिया...उसके हाथमे मेरा खड़ा लंड समा नहीं रहा था..वो मेरे कान में फुसफुसाया...बोस, हथियार तो काफी बड़ा रखते हो..मेने कहा तुम्हे केसा लगा..ब्रो.., अभी देखे बगेर ही मजा करने को जी चाहता है..आप मुझे मजा करवाओगे...??मेने कहा सिर्फ वन-वे ..मतलब?.. दूंगा..वो हँसते हुए बोला..जी में भी सिर्फ वन-वे ही रहूंगा लूंगा...दोनों हंसने लगे...उसने लंड को बाहर निकाला..मेने एक पैर थोडा उपर उठाया..बेग को उचा कर दिया..वो लंड को दबाता..सहलाता...और मुठीयाने लगा....में ने उसकी और देखा...उसने मुस्कुराते अपने होठों पर जीभ घुमाई..इतने में बस लड़खड़ाई...और रुक गई ड्राइवर ने कहा पंचर हो गया है..सब पेसेंजर को उतारना पडेगा..मेने लंड को उंदर डाला ..पेंट की जीप बंदकर दी मांजी मुझे देख रही थी..में नोर्मल था..उनकी समझ  में कुछ नहीं आया..सब लोग निचे उतर गये..










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