Saturday, August 16, 2014

FUN-MAZA-MASTI में और मेरी प्यारी माँ--6

FUN-MAZA-MASTI


में और मेरी प्यारी माँ--6


दादी टीवी देख रही थी... सोफे पर पैर उठाये बेठी थी..चाची नीचे बेठ गई और सब्जी साफ़ करने लगी..दादी की और देखकर बाते भी करती..में चाची के पीछे कुर्सी पर बेठा था..और मेभी बड़ी-बड़ी जांघे देख रहा था..मेने दादी को इशारा किया वो समझ  गई..उन्होंने पैर थोडा और ऊपर किया..चूत दिखने लगी...दादी टीवी की और देख रही थी..बाते कर रहीथी..चाची उनकी चूत को देख रही थी...दादी ने मरी और देखा फिर...कुछ एसा किया की उनकी चूत खुलकर दिख गई फिर पैर पर पैर चढ़ा दिया और बेठ गई अब सिर्फ जांघे ही दिखती थी...चाची किचन में चली गई..काम में लग गई..वो भी उनके पास जाने को उठी मेंने अपने खड़े लंड की और इशारा किया वो मुकुराई..और किचन में चली गई....वापस आई...मुझे दरवाजे के पास बुलाया..और लंड को पकड़ा मुठीयाने लगी..उनका मुह किचन की और था..फिर वो अंदर आई साड़ी उठाके पिच्छ्वाडा मेरे सामने धर दिया..मेने अपना ठोक दिया...लेकिन चाचाजी के आने की आवाज आई और काम अधुरा छोड़ दिया... रात को खाना खाने के बाद में और चाचा गप्पे लगा रहे थे..दादी और चाची अपना काम निपटा के आये...चाचाने कहा चलो बाहर थोडा घुमने जाते है...मेने कहा नहीं आप हो आइये...में टीवी देखता हूँ...दादी बोली ठीक है में घर पे हु आप दोनों चले जाइए..चाचा चलो तुम तो आती हो या..चाची बोली हम साथ-साथ है...(शायद वो दोनों कल के बारेमे कुछ बाते करना चाहते थे)..और दोनों चले गये..में दादी के पास खड़ा हो गया..वो उठी..और एक दुसरे से लिपट गये ...में उनकी साड़ी उतारने लगा वो बोली क्या करता है...मेने कहा में आपको नंगा देखना चाहता हूँ...उन्होंने कहा..नहीं,लाले..अभी जो काम अधुरा है उसे पूरा कर वरना..रात को मुठ मारनी पड़ेगी...वो साड़ी उठाके खड़ी हो गई और में काम पे लगगया..इसबार भी वोजल्दी झड गई..और मेरा मुहं में ले कर पी गई..फिर हम साथ बेठ गये...मेने चाची के बारे में पूछा की रात को कुछ हुआ था..तो उन्होंने बताया..हाँ वो नींद में मेरे बूब्स और चुत्तड़ो को दबा रही थी...चिपक कर सो गई थी...एक-दो बार तो मेरी चूत को..सहला भी दियाथा.उसने....मेने मुस्कराते कहा केसा लगा बहु का स्पर्श ...वो शर्माते बोली..तू भी ना...मेने कहा मेरा अंदाजा सही था... आपने आज चूत अच्छी तरह दिखादी है....कुछ कुछ तो जरुर होगा..तू बता आगे वो क्या कर सकती है??..में बोलने ही जा रहता की वो गये...हमारे लिए आइसक्रीम ले आये थे..हमने खाई.. दादीने मुझे कहा सुबह जल्दी उठना कल निकालना है.. चाची ने कहाँ नहीं मांजी अभी कुछ दिन और रुक जाइए चाचा ने भी कहा...हा माँ.. रुक जाइए..दादी बेटा बहुत दिन हो गये..नहीं माँ कल तो रुक ही जाओ... थोड़ी देर बाते होती रही..फिर चाची ने कहा में और मांजी बेडरूममें सोते है आप दोनों.....चाचाने कहा ठीक है....में दादी की और देखकर मुस्कुराया..दादी भी मुस्कुराई...

सुबह जब में उठा..सब अपनेअपने काम में व्यस्त थे..फिर खाना खाया चाचाजीने कहाँ की मेरे दोस्त घर पूजा रखी हुई है तो चाची को साथ ले जाता हु ...वो रिक्सा से घर आज्येंगी...और वो निकाल गये..में टीवी देख रहाथा..दादी अखबार पढ रहीथी...मेने धीरे से पूछा रात को नींद अच्छी आई होगी....? वो..आँखे निकाल ने लगी..मेने कहा नाराज तो मुझे होना चाहिए...चाची ने मेरी चीज पे ट्राय मारा है...वो हंस पड़ी..में पास जाके बेठा गया ..बताओ क्याहुआ..?? दादी बताने लगी..देर रातको वो मेरे बुब्ब्सपर मुह मारने लगी.....में कुछ नही किया तो उसने ही मेरा ब्लाउज खोल दिया और...बुब्ब्स को दबाने सहलाने लगी...फिर मेरा पेटीकोट उठा दिया..और मेरी जांगो पे किस करने लगी...में सोने का नाटक कर रहीथी....एसा चुमते हुए मेरी चूत तक आगई....चूत पे मुह मार रहीथी पर अंदर फानको तक पहुच नहीं पा रहीथी.तो तकिया मेरे चुत्तड़ो के निचे रख दिया...मेरी चूत को उंचा कर दिया...और मजे से चाटने लगी..मेरी चूत के फोंको से निकली चमड़ी को चूसने लगी...मेतो झड ने ही वालीथी..की सालीने चुसना छोड़ दिया...फिर खुद नंगी हो गई...और बेशर्म होक मुझ पर लेट गई....उसके छोटे-छोटे बुब्ब्स मेरे बड़े-बड़े बुब्ब्स पर रगड़ने लगी...मुझे मजा आने लगाथा...सचमे बहुत अच्छा लग रहाथा..मेरी चूत पर अपनी छोटी सी चूत रगड़ने लगी....मेरी और उसकी चूत पानी छोड़ रही थी......कोई ओरत दूसरी ओरत के साथ सेक्स कर सकती है सूना था.लेकिन आज तो लाइव अनुभव हो रहाथा..वो गरूम हो गई ...मेरी सांसे भी तेज हो गई....तो उसने ...मेरी जांगो को खोल दिया....मुझे साइड पर घुमादिया और मेरी एक जाँग पर बेठगई....दुसरे पैर को ऊँचा करके पकड रखा एसा करने से मेरी चूत पूरी तरह खुल गई.......उसने अपनी छोटी सी चूत को मेरी चूत पर रख दिया... ओह...क्या..लाजवाब अनुभव था..में बता नहीं सकती..दोनों गरमा-गरूम चुते गीली थी....वो अपनी चूत मेरी चूत पर रगड़ने लगी...आह्ह..आह...करने लगी थोड़ी देरमे झड गई...में भी साथ में झड गई.....दोनों की जांघे पानी-पानी हो गई थी....क्या बात करूँ..??..कितना मजा आया...अब तो लगता है,कब रात हो मेरी बहु मुझसे मस्ती करें...अपनी कहानी सुनाते हुए मेरे लंड को मुठिया रही थी...फिर कड़ी हो गई...और साड़ी उठाके पिच्छ्वाडा दिखाने लगी...मेने अपना लंड पेल दिया...चुदाई करने लगा...हरबार कि तरह वो झड गई और मेरा माल मुहमे चूस कर पी गई.....कपडे ठीक किये... इतनेमे चाची गई....

सब बेठे थे बाते करने लगे..चाची ने कहा राहुल मांजी ने गाउन पहना तब केसी लग रही थी..मेने कहा एकदम मस्त...चाची ने कहा मेरे कोलेज में मेरी एक सहैली आपके जेसे ही दिखती थी...दादी-- मतलब ..मोटीचाची-- नहीं मांजी..उसका फिगर आपसे काफी मिलता था...वो कभी-कभी मेरे घर आती कभी में भी उसकेघर जाती..और हम दोनो बहुत मस्ती करते...दादी-- मेंरी बच्ची...में भी तो तेरी सहैली जेसी हूँ...क्या, मेने कभी साँस होने का हक्क किया है..??.कभी रॉब झाड़ा है..??.चाची-- नहीं मांजी आप तो बहुत अच्छी है...दादी--अच्छी नहीं, बेटी.. में तो तुम दोनों बहुओ की सहैली हूँ...और दादीने पैर उठा दिए...चूत दिखाने लगी...चाची देखते हुए मुस्कुराई...दादीक्याहुआ बहु..कुछ नहीं मांजी...दादी उठी...चाची से बोली बहु में बेडरूम में जरा सो जाती हूँ...चाची कहा हाँ मांजी, कोई काम होतो आवाज लगा देना...

थोड़ी देरबाद दादी की आवाज आई बहु...मानो इसी का इन्तजार था...आई मांजी... करके चाची चली गई...बेडरूम में गई तो दादी ने कहा बेटी बहुत गरमी लग रही है साड़ी निकाल दू...हाँ मांजी, क्या, आपको गाउन दू..?चाचीने मुस्कुराते कहा..मांजी नही रे..यहाँ कोण आयेगा..चाची कोई नहीं आयेगा मांजी, राहुल तो टीवी देखरहा है.कह कर चाची ने दरवाजा बंदकर दिया....मेने टीवी का वोल्यूम बढ़ा दिया...और बेडरूम के दरवाजे की चटकनी जरासी बाहर से चढा दी...की होल से नजारा देखने की कोशिश की..दादी को शायद मालुम था की में ऐसाही कुछ करूंगा..तो उन्होंने खिडकी की और इशारा किया...मेने देखा खिड़की खुली थी..पर्दा डाला हुआ था...में दोड़कर खिड़की के पास खड़ा हो गया..पर्दा थोडा उचा किया..दादी खड़ीथी साड़ी निकाल रही थी. चाची सामने खड़ी थी..दादी का मुह खिड़की की और था..चाची का उनकी तरफ...जसे ही दादी ने साड़ी निकाल दी चाची ने कहा मांजी अगर ब्लाउज भी निकाल देती तो अच्छा लगता..दादी हंसने लगी..ब्लाउज के हुक खोलने लगी..चाची ने कहा लाओ मांजी में खोल देती हूँ..और चाची उनका ब्लाउज खोलने लगी...वो खिड़की और देखकर मुस्कुराने लगी...चाची ने कहाँ क्या,आप सच में मुझे अपनी सहैली मानती हो...हाँ बेटी क्यों ?? तो क्या में थोड़ी मस्ती कर सकती हूँ..??...उन्होंने हंसकर कहा क्या करना चाहती है तू.....चाची-में आपके बुब्ब्स को..सहलाना चाहती हु...वो बोलीइसमें क्या है तुतोमेरी बच्ची है दुदू पिना कहेंगी तो भी मना नहीं करुँगी...चाची उनके बुब्ब्स दबाने लगी...मुहमे लेकर चूसने लगी...मेरा हल बुरा था..में लेस्बियन सेक्स लाइव देख रहाथा....चाची ने कहाक्या में अपने पति का जन्मस्थल देखूं..??...उन्होंने कहा हाँ,.. ले..और पेटीकोट को ऊपर उठाने लगी...तो चाची ने कहा एसे नही में पेटीकोट का नाडा खोल देती हूँ.....नाडा खुलते ही पेटीकोट निचे गिरगया..बापरे..कितनी बड़ी थी..मांजी..में पहली बार उनको जन्मजात नंगी देख रहाथा...उन्होंने अपने हाथो से मुह को छुपालिया..



चाची-- ये क्या मांजी...आप तो शरमा गई..आपके पास जो है वही सब तो मेरे पास भी है इसमें क्या शरमाना ....मांजीलकिन बेटी तेरे पास है सब ढका हुआ है और मेरा खुला हुआ..चाची-- इतनी सी बात लो मेभी सब खोल देती हूँ...चाची ने जल्दीसे गाउन निकाल दिया...फिर ब्रा...और पेंटी भी निकाल दी...मांजी खिड़की के सामने देखकर मुस्कुरा रही थी...चाची -– क्या हुआ मांजी,, मांजी- कुछ नहीं बेटी तेरा तो सब छोटा-छोटा है..ओर मेरा तो सब कितना बडा-बड़ा है..चाची- क्या बड़ा-बड़ा है..? मांजीदेखना तेरे बुब्ब्स कितने छोटे है और मेरे बड़े-बड़े..चाची उनके बुब्ब्स पर अपने बुब्ब्स दबाके बोली..देखोना मांजी, मेरे तो आपके बुब्ब्स में समा जाते है...ऐसे बुब्ब्स पे बुब्ब्स दोनों...रगड़ने लगी..हाथ पीठ को सह्ला रहेथे...चाची के हाथ चुत्तड़ो पर पहुच गये वो चुत्तड़ो को दबाने सहलाने लगी..मांजी भी एसा करने लगी...चाची आपके ये भी कितने बड़े है..हाँ बहु...इसे क्या कहते है...मांजी ??..बहु मेने तो चुत्तड नाम सुना है...चाचीमाजी, इसे चुत्तड क्यों कहते है..??मांजीदेखना दोनों चूत से जुड़े हैना इसलिए....किस्स्से जुड़े है मांजी ?? अरे पगली चूत की दो फोंको से ही दो हिस्सों में बंट गये है.... चाची--मांजी आपकी चूत दिखाओ तो देख लेना..खुली ही तो है...चाची बेठ गई ओर देखने लगी...माजी खिड़की और देखकर ऊँगली मुहमे डालने लगी..दोनों को नंगा देखकर मेरे तो बुरे हाल थे...लोडा खड़ा था...में भी खड़ा था.चाची का गोरा बदन..छोटेछोटे संतरे जैसे गौरे-गौरे बुब्ब्स ...और संतरों से थोड़ी मोटी गांड...चिकनी जांघे....पुरा बदन मानो मख्खन में सिंदूर घोल दिया हो ऐसा गोरा-चिट्टा...इसवक्त वो ओरत नहीं लड़की दिख रहीथी..लड़की क्या ..परी दिख रही थी...मांजी ने सच कहा था..वो..तो कच्ची कलि है...चाची ने कहा मांजी येतो गीली हो गई है...में साफ़ करदूं...मांजी करदे...मेरी बच्ची..चाचीआप लेट जाइए में अच्छी तरह से साफ़ कर देती हूँ....माजी बेड पर लेट गई...चाची ने उनके पैर खोल दिए...और गांड के नीचे दो तकिये लगा दिए ...एसाकरने से उनकी बड़ी चूत साफ़ नजर रही थी...छोटे-छोटे बाल...उपर से काली...अंदर से गुलाबी...दोनों फोंको की चमड़ी कुछ ज्यादा ही बहर निकली हुई.....चाची ने उंगली डाली ...मांजी येतो और गीली हो रही है...इससे तो रस निकाल रहा है...मांजी क्या बोलती उनकी साँसे तेज चलने लगी थी....चाची - क्या में इस रस का स्वाद चख लूँ... मांजी हाँ जरा जल्दी कर...ओह मांजी लीजिए में आपको तडपता नहीं देख सकती..और वो चुतको चाटने लगी....मांजी आह्ह्ह..आह्ह्ह.करने लगी...चाची चूत में मुह भराए दोनों हाथो से बुब्ब्स को भी दबा रही थी...मांजी आह्ह्ह्ह.सस्स्स्स ...आह्ह्ह...कर रहीथी..और अपने हाथोसे खुद ही बुब्ब्स दबाने लगी....चाची समझ  गई मांजी आउट होने वाली है..तो जोर-जोर से चूत को चोटने-चूसने लगी...मांजी की सासे तेज हो गई..सस्स्स्स...आअह्ह्ह्ह....ओह्हह्ह...ऊऊ...ऊऊ..ऊऊऊ ..करने लगी चाची का मुंह उनके काम रस से भर गया...चाची उनके पास लेट गई ...मांजी हांफ रहीथी...
चाची उनके बदन को चेहरे को चूम रही थी..थोड़ी देरबाद मांजी बहु ये सब क्या किया तूने .?.चाची- क्यों ...आपको अच्छा नहीं लगा..? मांजीअच्छा?..बहुत अच्छा लगा..मर्दों वाला काम तूने किया...मेरी गरमी निकाल दी ...बता तेरे लिए में क्या करू ?एसा बोलते हुए मांजी चाची की चूत में उंगुली करने लगी....चाची मांजी आप लेटी रहे में अपना काम खुद कर लेती हु...एसा बोलके चाची ने मांजी का पैर उठाया और अपनी चूत को मांजी की चूत पर रगड़ने लगी...मांजी- बहु मजे तो बहुत मजा आरहा है....मुझे भी...सस्स्स्स....स्स्स....मांजी अपने हाथ मेरे चुत्तड़ो को सहलाइए..दबाएँ....मांजी चाची की पीठ से लेकर चुत्तड़ो तक सहला रही थी..आह्ह....आह्ह...ओह्ह...मांजी..आप कितनी अच्छी है...सस्स्स्स..आह.ह्ह्ह...चाची मांजी के खड़े पैर पर अपने बुब्ब्स मसल रहीथी...ओह्ह..आह्ह्ह...आपकी चूत की फोंके बहुत बड़ी और मस्त है...आह्ह्ह...में आसमान में उड़ रही..हु...आह्ह्ह्ह..ओह्ह....ओह्ह्ह्ह ऊऊ...ऊऊऊ...चाची ने अपना माल छोड़ दिया...मांजी के पास पड़ी हांफने लगी..मांजी उनके बद्नको सहला रही थी...बेटी तूने तो मेरी जवानी को जगा दिया...दोनों नंगे बिस्तर पर पड़े थे बातें कर रहे थे...एक-दुसरेके बदन को सहला रहेथे...
चाची--मांजी आपके बदन को ठंडा करने केलिए तो अच्छा सा मर्द चाहिए...
मांजी -बेटी क्या करू कभी-कभी उंगुलीसे काम चला लेती हूँ..पर आज तो तूने बहुत मजा करवाया...पर ..
चाची-- पर क्या मांजी ??..
मांजी-- मर्द आखिर मर्द होताहै..(मे लंड को दबाने लगा...)
चाची-- मांजी आप बुरा माने तो एक बात बोलूं ...क्या..?.राहुल ....??
मांजी-- नहीं-नहीं..
चाची --क्या नहीं-नहीं मांजी, जरा सोचिये..घरकी बात घर में रहेंगी..
मांजी-- पर बहु वो मेरा पोता लगताहै...
चाची--वो थोड़ा आपका सगा है??..आपका खून का रिश्ता तो है नहीं और आज कल खून के रिश्ते में भी सब कुछ होता है...
मांजीमेरा मन नहीं मान रहा...
चाची- देखिये मांजी बाहर का तो कोई मिले तोभी आप भरोसा नहीं कर पाएंगी और उससे मिलने में बदनामी भी हो सकती है..आप कहती है मन नहीं मान रहा...लेकिन येतो मान जायेगी..चाचिने चूत पर हाथ फिराते हुए कहा..
मांजीपर वो केसे मानेगा....
चाची-- आप उसे अपनी चूत एक-दो बार दिखा दिजीऐ जवान है सब समझ  जायेगा...
मांजी-- ठीक है...तू कहती है तो..
चाची-- ट्राय कीजिए..
मांजी--बहु वेसे तुम दोनों डॉ.के पास गये थे..क्या कहा....?
चाची-- एक ही बात करते है सबकुछ ठीक है..किसी में कोई कमी नहीं..है बस महैनत करते रहो....
मांजी ने हँसते हुए कहातो, मेरा बेटा ठीक से महैनत नहीं करता क्या...?
चाची--उनकी तो बात ही छोड़िये..अभी दो दिन की ही गेप हुई है ...वो उन तिन दिनों को छोड़ कर हर रात चुदाई करते है...फिर भी...
मांजी-- तो बहु तू भी....क्या?.. राहुल से.....
चाची-- नहीं,मांजी ऐसा तो आपके बेटे से विश्वासघात होगा. वो मुझे बहुत प्यार करते है...
मांजी-- देख बेटी में तुझे मजे करने के लिए नहीं कहती..अपनी सुनी गोद केलिए कहती हूँ...ये बात हम तीनो तक ही रहेगी...वेसे वो कोई बाहर का नहीं है अपना ही खून है...एक दो-बार की ही बात है फिर भूल जाना...
चाची-- पहले आप उसे सेट कर लीजिए..में बाद में सोचूंगी..
मांजी-- ठीक है..वो उठने लगी..दोनों कपडे पहनने लगी..चाची दादी के नग्न बदन को घुर रही थी..फिर चुत्तड़ो पर हाथ फेर दिया और दोनों हंसने लगी..में बाहर जाकर आती हूँ.... आप जरा राहुल ??? से ..ट्राय कीजिए....में खिड़की से भागा अंदर आया बेडरूम की चटकनी खोल दी...टीवी देखने लगा..
चाची ने चाय बनादी दादी सोफे पर बेठी थी..चाची चाय पी और दादी की और देखा बोली मांजी में बाहर कुछ काम से जाती हु...आप.साथ चलेंगी...दादी नहीं में और राहुल यहीं बेठे है....चाची और दोनों मुस्कुराने लगी..में बुध्धू की तरह देखने लगा..चाची चली गई...मेने दादी से पूछा क्या-क्या हुआ....बहुत कुछ पर मजा आया....मेंबताई ये ना.....मुझे सब मालुम है तूने देखा-सुना भी है...में हंस ने लगा....अपने लंड बाहर निकाला...दादी ने सोफे पर लिटा दिया और उपर चढ़ गई...काम करने लगी...में-एसा ही मजा रहा था..वो बोली नहीं...ये मजा तो सिर्फ तेरे साथ ही आता है....आगे कम ख़त्म किया...वो माल पी गई... शाम को खाना खाने के बाद सब बेठे थे...बातें चलती रही कभीकभी दादी साडी उपर-नीचे करती पर में ध्यान नहीं देता...चाची की नजरे मेरी और रहती..
में और चाचाजी वही सो गये..वो दोनो कमरे में चले गये..आज तो दरवाजा...बंद करके...सो गये...थोड़ी देर बाद चाचाजी भी सो गये...में. उठा दरवाजे के पास गया....की होल से देखने की कोशिश करने लगा...खिड़की खुली थी..तो बाहर चला गया...मेने देखा दोनों नंगे हो कर मनो कुस्ती खेल रहे थे....एकदम गुथम-गुत्था ..एक दुसरे को चुम रहे थे.चाटरहे थे..कभी दादी उपर चढ़ जाती, तो कभी चाची उपर चढ़ जाती...दादीने चाची को अपने पेरों पर लिटा दिया..और चूत में उंगुली करने लगी साथ में चाट रही थी...चाची..अपने बुब्ब्स की निप्पल..मसल रही थी...फिर चाची ने वही पोज लिया और उनकी चूत चूसने लगी...थोड़ी देरबाद दोनों ऐसे पेरो को फेलाकर लेट गई...चाची का सिर माजी के पेरो में था..मांजी का सिर चाची के पेरो में ...दोनों की चूत एक दुसरे से मिली हुई थी... दोनों चुतो को एकदूसरे के साथ मसल रहे थे...मांजी चाची का पेर अपने बड़े-बड़े बुब्ब्स पर रगद रहीथी...चाची भी उनके पैर से अपने बुब्ब्स को सहला रही थी.....इस मस्ती में कभी-कभी चुते दूर होती तो चिकने पानी का ताँता..दिखाई देता.. दोनों की साँसे तेज हो ने लगी और स्पीड भी बढ़ने लगी...


















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