Saturday, August 16, 2014

FUN-MAZA-MASTI में और मेरी प्यारी माँ--5

FUN-MAZA-MASTI


में और मेरी प्यारी माँ--5


फिर अगलेदिन वहिकिया...ट्यूब उंगुली पे लगाके...गांड पे घुमाने लगी..और धीरे से दबाया...बिना कोई दर्द किये..उंगुली..अंदर चली गई...अब तो ये रोज का काम हो गया..है...उंगुली पे साबुन लगाके अपनी गांड में खुद ही..घुसा देती हु और अंदर-बाहर करती हु....बहुत मजा आता है...राजा...कल से..दो उंगुलियां घुसाने का ट्राय कर रहिहु...मजा रहाहै...लेकिन फिरभी मेरी गांड अभी तुम्हारे लंडसे चुदने लायक नहीं..हुई..पर अब ज्यादा दिन इन्तजार नहीं ... करना पडेगा......फिरतो,तुम मेरे जिस्म के सारे छेद में अपनालंड डाल सकोगे..सब की चुदाई कर सकोगे... मेरी जान........अब उंगुली निकाल भी दो...
चाचामें तेरे लिए क्या करूँ...डार्लिंग..तूने तो मेरा दिल जित लिया...
चाचीमालिक..अगर किसी और जगह में डाल ना चाहोगे तो उसे भी तुम्हारे लिए रेडी..बना..दूंगी..मेरे राजा...बस मुझसे इसी तरह प्यार करते रहना...
चाचानहीं...मालिक नहीं...आज से ये नाचीज..आपका..गुलाम है..रानी..साहिबा...
चाची- नहीं..एसा मत कहो..तुम मर्द हो...और..में तुम्हारी..ऑरत..मेरा जिस्म तुम्हारा...है...जो चाहै करो...मजा लेते-देते..रहना.....अब चलो..भी..सवारी केलिए घोड़ी तैयार है...मेरे...चुत्तड..मुम्हारी मार का इन्तजार कर रहे है...
चाचा- कब घूम गई पता भी नही चला...येलो मेरे लंड को तुम ही धीरे से डाल..दो..आह्ह..और चाचा-चाची दोनों आसमान की सेर करने निकाल पड़े.....धरती पर भी गये...
..मेरा मन भी दादी की बड़ी गांड की चुदाई करने के लिए बेताब था....मेने उंगुली भी डाली..और लंड को गांड केछेद तक ले गया ..लेकिन दादी ने मना कर दिया...रोज की तरह मेरे उपर चढ़गई और मुजे चोदने लगी....उनका ख़त्म हुआ तो मेरा मुह में लेके...चूस लिया.
सुबह सब जल्दी उठ गये...चाचाजी-चाची सामान पेक केर रहेथे..में उनकी हैल्प कर रहाथा..दादी रसोईमें व्यस्तथी...र्रसोई बनते ही सबने खाना खा लिया...फिर पेकिंग काकाम करने लगे..दादी आई चाची से कहा..किचनमें कोनसा सामान पेक करना है...बता दे तो में करने लगु..चाचीने दादी को सब समजा दिया....वो दुसरे कमरे में आई..मुझसे कहा तुम मांजी के पास रहो उनकी हैल्प करो..में दादी के पास चलागया...और..जेसा वो कहती में वेसे सामन रखने लगा..वो झुककर जब सामान उठाती तो उनके बड़े-बड़े बुब्ब्स..ब्लाउज से झांक रहेथे...में उसे देखता रहता..दादी मुकुरादेती...कभी-कभी मेरा लंड भी टच करदेती....वो झुककर कुछ कर रहीथी...तो में पीछे से गांड पे लंड रगदने लगा..वो गरूम होने लगीथी..साँसे..तेज होने लगी.थी..में समझ  गया...वो तैयार होने लगिहै..उन्होंने..मेरे लंड पे हाथ रखा..मेने जिप खोलदी..उन्होंने बाहर निकाला और मुठीयाने लगी..मेने पिछेसे ही चुत्मे उंगुली करने लगा..चुत पानी छोड़ रही थी..वो ऐसे ही....बोली सब सामान रख दिया...ला तेरे.. मुसल को भी..मेरी ओखली में रख देती हु...उन्होंने दरवाजेसे दुसरे कमरे में झाँका....फिर...वो दरवाजे के पीछे ही,झुककर..साडी उपर उठाकर खड़ी होगई...क्यामस्त...सांवले रंग के बड़े-बड़े लिससे चुत्तड थे...मैने पहलीबार देखा..चूमने लगा...उन्होंने कहा...कामकर...येसब करनेका वक्त अभी हमारेपास नहीं है...मेने अपना लंड चुत के मुह पर लगाया..और पेलने लगा...लेकिन फिसल जाताथा...उन्होंने चुत्तडोको और ऊपर उठाया..मेरे लंड कोअपने हाथमे लिया और चुत्मे डाल दिया...अब में ठोकने लगा...इतने बड़े-बड़े चुत्तड़ो की ठुकाई हो और आवाज ना आये एसा भला हो सक्ताहै...उन्होंने मुझे रोक दिया.और खुदही आग-ेपीछे होने लगी..चुत्ताडोको गोल-गोल घुमाने लगी....उनकी साँसे तेज हो गई...में खडा ही था....उनकी स्पीड बढ़ गई.. उन्होंने मेरे हाथोको अपने बुब्बस पर रखदिया..में ब्लाउज के ऊपर सही सहलाने लगा..तो उन्होंने मेरा हाथ बुब्ब्स पे..दबाया..मे समझ गया और बूब्स को जोर-जोरसे दबाने लगा....उनकी सासे तेज चल रहीथी.. और हलकी सी थपाक-थपाक होने लगी..अब वो चुत्ताडोको लंड पे ठोकने की बजाय...उपर-नीचे स्पीड से करने...लगी..मेरी हालत बुरीथी..वो इतना जोरसे..चुत्तड़ो को उपर-नीचे कर रहीथी..की मुझे लगताथा ...आज वो मेरा लंड तोड़ देगी...पर नहीं वो रुकगई...और हांफने लगी..दरवाजेकी बाहर झांक करदेखा...चाचा-चाची दुसरे कमरेमें काममें व्यस्त थे....वो खड़ी हुई..मुझे बाँहों में भर लिया में भी किस करने लगा...अपने खड़े लंडद्को उनके हाथो में रख दिया..वो बोली मुझ ेमालुम है..अभी ठंडा कर देती हूँ...तू जरा..बाहर नजर रखना...वो मेरे पेरों के बीच बेठगई..और लंड चुसाई करने लगी....जब में झड़ने वाला था..तो अपने अंदाज में वो चूसने लगी..मेरा सारा माल पी गई....मेने किस किया और उनके होठों को साफ़ कर दिया..( मुझे यकीन होगया था..की दादीको जब भी गरूम करूंगा वो कुछभी करके मुझसे चुद्वादेगी..मेने लंड को पेंट में रहते हुए कहा..लाले..तेरे मुठीयाने के दिन गये..अब तो चूत मिलती ही रहेगी...) सब नोर्मल होने के बाद चाची को आवाज दी...चाची आई देखा उनके कहने के मुताबिक़ सब पेक हो गयाथा...फिर हम उनके साथ..उस कमरेमे काम करने लगे...चाचीकी ...नजर कभी-कभी दादीके बड़े-बड़े बुब्ब्स को देख लेती...मेने नोटकिया कभी...वो बुब्बस और चुत्तडो को टच भी कर देती..थी..दादी को शायद ये सहज लगता था...पर मुझे अजीब लगता था....
सब सामन पेक हो गयाथा.हम टेम्पो की राह देखरहेथे...सब बेठेथे...आइसक्रीम के पेक में कुछ आइसक्रीम बची थी..तो सब खारहेथे..दादी अपनी स्टाइलमें साड़ी उठाये बेठीथी.चाची उनके जाँघो पे नजरे मार लेती थी..मुझे अच्छा लगता था...टेम्पो आगया..टेम्पोवाला साथमे एक मजदूर लेके आया..चाचा से बोला भाईसाब ये एक ही मिला..आप हैल्प कीजिएगा...हम सामान टेम्पो में भरने लगे....वो मजदूर और में सामान ला रहेथे..चाचाजी टेम्पोमें थे.वो सामान को ठीक तरीके से लगा रहेथे..बड़ा-बड़ा सामान सब रख दिया..इतनेमें चाचा को चोट गई..और हाथमे दर्द होने लगा..शायद मोच आगईथी..तो उस आदमीने कहा भैया में एक वैध को जानता हू वो एक मिनट में ठीक करदेंगे.. वो..टेम्पो में चढ़गया..और सारा सामान में ला कर उसे देनेलगा..चाची-और दादी भी मेरी हैल्प करने लगे..सामन उठाते...ओऊ टेम्पो में रखते वक्त कभी-कभी चाची दादी के पीछे खड़ी रह जाती और दादीके चुत्तड़ो को छू लेती...सब सामन रखने बाद चाचाने मुझसे कहा तुम पीछे रहना..चाची और दादी को आगे बैठ ने को कहा..और उस आदमी से कहा तुममेरे साथ बाइक पे चलो....उम हाथ दिखा कर आते है...दादीने चाची को आगे बैठ ने को कहा और वो खुद मेरे साथ पीछे आगई...टेम्पो चल दिया...में दादी के पास खड़ा था.मेने दादी से कहा बधाई हो...लंड तो लंड अब,तो चूत भी आपको लाइन दे रही है... दादी-में कुछ समजी नहीं.. मेने कहा- क्या सच में आपको मालुम नहीं,?? मेने उनके चुत्तड़ो पर हाथ रखदिया...सहलाने लगा....दादी-साफ साफ बता दे....में- चाची,...आपके बुब्ब्सको प्यार से देखती है..... दादी मेरी तरफ देखती रह गई.....मेने कहा और आइसक्रीम खाते वक्त जांगो को भी देख रहीथी....इतना ही नहीं..सामन भरते वक्त वो आपके चुत्तड़ो को जान बुजकर छू लेतीथी.....कुछ होने वाला है..
में- चाची,...आपके बुब्ब्सको प्यार से देखती है..... दादी मेरी तरफ देखती रह गई.....मेने कहा और आइसक्रीम खाते वक्त जांगो को भी देख रहीथी....इतना ही नहीं..सामन भरते वक्त वो आपके चुत्तड़ो को जान बुजकर छू लेतीथी.....कुछ होने वाला है..
....
में हंस ने लगा..दादी शरमा गई....फिर बोली..वो क्या कर सकती है...? मेरी पेंट पे हाथ रखकर बोली...उसके पास कहाँ हथियार है?...एसा कहते मेरा हथियार बाहर निकाल ने लगी...और सहलाने लगी...मेने भी साडी को उंचा कर दिया..चूत में उंगली करने लगा...उनकी साँसे तेज होने लगी ...उन्होंने एक्जस्ट किया और चूत में लंड ले लिया...टेम्पो चल रहाथा .....हम दोनो मजा ले रहे थे..में बुब्ब्स दबाने लगा..दादी पहलीबार चुदवाते हुए बोलने लगी... दादीजरा जोर से दबा...ये क्या...सह्ला रहा है..है....मेंदबा तो रहाहु मोटी..में चिड़ाते हुए बोला...दादीअब ठोक जोरसे...साले..जब देखू चोद ने को तैयार हो जाता है...... मेंतुभी साली....साडी उठाके...चुत्तड आगे केर देती है....दादीचुदाई मे ध्यान दे चुतीये.....जोर से चोद कया.?..गुद्गुद्दी कररहा है....में- ले साली रांड...तेरी तो...फाड़ दूंगा आज.....दादीचोद साले ..माँ के लोडे....चो.....मेंले साली...पूरा दे रहाहू....आज तो तेरी सारी गरमी निकाल देताहू..माँ की लोड़ी ...दादीजरा जोर लगा के चोद भोसड़ी के....साले भडवे.....आह्ह्ह.....ठोक.......जोर से...आह...चूतिये...राडं की ओलाद...चोद..ओह्ह्ह.. में- ले साली माँ की चूत चुत्तड.उछाल-उछाल के...ले...छिनाल साली....चलते टेम्पोमे हमारी गालिया और थपाक-थप्पक की आवाजे गूंज रही थी...वो जैम कर चुदवा रही थी...उनकी साँसे बहुत तेज हो गई... बोली- अबे...मेरे बुब्ब्सको निचोड़..दे....आह्ह्ह...ओह.ओह्ह्....चोद साले मादरचोद... .....ओह्ह..आह्ह्हह्ह्ह्ह........ऊऊऊऊ....ओह...ओह.......मेंआज तो पूरी...भर दूंगा...तेरी...माँ की लोड़ी...ले..वो हांफ रही थी..अबे छोड़ ..दे...अब फट..गई..है.... नहीं आज तो पूरा लोडा..निचोड़ दूंगा..मत रोक...मुझे... वो समझ  गई की में झड़ने वालाहू...आगे खिसक गई...झट से मुड़कर मेरा....मुह में ले लिया.चूसने लगी...मुह्मेही गोल-गोल घुमाने लगी....मेने उसका मुह भर दिया..वो..ओं..ओं..करके..घटक गई...फिर धीरेधीरे चाटकर साफ़ कर दिया....खड़ी हुई और हंसने लगी..नोर्मल होते...मुझे पूछा मजा अयाना..?? में-- पहलीबार चालूकाममें आपको बोलते सुना..बहुत मजा आया...मेतो ऐसी ही हूँ...वो हंसने लगी...मेने कहा..र्सोरी..कुछ उल्टा-सीधा बोल दिया होतो..वो बोली नहीं..मुझे ऐसे मजा आता है
....



हम बाते करने लगे...मेनेपुछा उस रात चाची को क्या हुआ होगा?...वो चीख गईथी तब..ना...हाँ..जब गोदिमें बैठकर...अंदर घुसाते है तो एसा ही होताहै..लंड सीधा..चूत को फाड़कर..बच्चेदानी.के मुह पर टकराता..है..कभी-कभी सुपाड़ा बच्चेदानी में भी घुसजाता है...तब..एसी कच्ची कलियों को बहुत दर्द होताहै...चाची अभी दो साल से ले रही है फिरभी कच्छी-कलि केसे .? उसको अभी बच्चा नहीं हुआ है इसलिए...उसकी बच्चेदानी मुह नहीं खुला..जब बच्चा होजायेगा तब...अगर एसा होगा तो भी इतना दर्द नहीं होगा...ऐसा कबकब होताहै..मतलब बच्चेदानी तक कब-कब पहुच जाता है..एक तो गोदीमे बैठाकर..जब डालते है..ओरत ऊपर बैठकर ले ती है..और..घोड़ीबनाकर..डालते है...उस रात जब जोशमे आकर में तुम्हारे ऊपर बेठ गई तो एसा ही झटका लगाथा...फिर मेने सेट कर लिया..चाची को...तो घोड़ी बनते वक्त दर्द नहीं होता..था..,उसे...घोडी का दांव अच्छी तरह समझ में गया है....वो कैसे..?? घोड़ी के दांव में बहुत राज छुपे है...जब कोई ओरत को घोड़ी बनाता है..तब समझ दार ओरत अपने हाथ से लंड को नाप लेती है...फिर धीरे से अंदर डालती है....अगर ज्यादा अन्दर चला जाताहै तो चुत्तड़ो को थोडा पीछे करके लंड को ज्यादा अंदर जाते रोक देती है..तुम कितना भी जोर करो वो...सारी मार चुत्तड़ो पर लेलेती है...और अगर कोई मर्द फिरभी दर्द देता है..तो वो..जांगो को भिड़ा लेती है इससे..लंड..की मार सिर्फ.चुत्तड और जांगो को ही लगती है..... मुझ जेसी मोटी ओरत को घोड़ी बनाओ तो वो अपनी..मर्जी से ही अंदर जाने देतीहै..कभी-कभी तो मोटी जांगो के बीच ही लंड को घिसाती रहती है..सिर्फ सुपाडे को ही...चूत तक जाने देती है...जांगो को ऐसा भीड़ देती हैकी चुदाई करने वालेको पता भी नहीं चलता....और काम तमाम हो जाता है.... वाह,दादी आप तो सबसे बड़ी खिलाड़ी हो....सेक्स के बारे में आपका नोलेज बहुत बढ़िया है..कहना से सब ज्ञान प्राप्त किया..?? बेटे,जब तकलीफ होती है तब उसका उपाय ढूंढना पड़ता है...जब मेरी शादी हुई तब में तेरे दादाजी से काफी छोटी थी..वेसे तबभी मेरा फिगर बड़ा ही था..तेरे दादाजी तजुर्बेदार थे..और मुझसे ताकतवर भी...उन्हें भी घोड़ी की सवारी में ही मजा आता था...वो हंमेशा मुझे घोड़ी बनाते मुझे बहुत दर्द होता..तब मेने मेरी माँ को बताया...माँ ने उसका ये उपाय बताया....मेने उनकी चूत पर हाथ रखा ..और हँसते हुए कहा..कितने लिए है इसमें..वो मुस्कराते बोली..दो..तेरे दादाजी के बाद तेरा.....
उस रात तो आपने पहले मना..कर दिया था..अरे..उस रोज की तो बात ही मत कर....बस में साले दो लोगों ने इतना परेशान करदिया था..बात मत पूछ जी करता था...की इसे लोंगो का तो लंड काट देना चाहिए....क्यों...भीड़ में पहलेने मेरे चुत्तड़ो पर लंड रगड़ केमुजे गरूम कर दिया,वो साला उतार गया...तो..मुझे लगा अच्छा हुआ..लेकिन उसके पीछेवाला एकदम बेशर्म निकाला...साले ने पहले खुद के लंड को...मेरे चुत्तड़ो की दरारमें सेट किया फिर गम की तरह चिपका दिया...होले-होले रगड़े जा रहाथा.....मुझे भी मजा आरहा था..ये मेरे साथ पहलीबार ऐसा हो रहा था... कितना गरूम था.उसका..मुझे कपड़ो के बीच से उसकी गर्मी महसूस हो रही थी....तू नहीं मानेगा पर में बस में ही झड गईथी...फिर भी सालेने यहाँ उतारने तक इसे ही सटाए रखा...और रात को उन दोनों की आसमान की सेर ने तो मेरी हालत ख़राब करदी..मुस्कुराते बोली अच्छा हुआ तू साथमें था..वरना मेतो रोज उंगुलिया कर के थक जाती... मेने भी मुस्कराते कहा-अच्छाहुआ दादी बस में आपने उनके लंड नहीं काटदिए वरना रात को क्या करती ?? दादी चोंक गई..फिर हँसते हुए बोली..तो,...दूसरा तू था..हाँ...बेशर्म कहिका...
इतने में घर गया.और टेम्पो रुक गया...थोड़ी देरमे चाचाजी भी आगये...हम सब काममे जुट गये...सारा सामन मेने और मज्दुरने उतार दिया..टेम्पोवाला किराया लेके निकाल गया..सामन घर में रखने में चाची और दादी की मदद करने लगा...इसी बीच हलकी सी हंसी-मजाक होती रही...सारा सामान घरमे सजा दिया..चाचाजी ने कहा अब तू पहले नहाले और तैयार होजा...हम बाहर जाते है ...चाची से कहा तू और माँ भी तैयार हो जाना..आज हम बाहर खाना खायेंगे...जा में तैयार हो गया तो चाची से कहा...तुम तैयार होकर निकाल जाना, नुक्कड़ से रिक्सा लेलेना हम होटल पे मिलते है...शाम हो गई थी...चाचाजी ने कहा तुझे बहुत थकान लगी होगी..चल कही जाते है... और में एक दारू के अड्डे पर पंहुच गये ..चाचा ने तिन बीयर ली, एक मेक्दोवेल- का अध्धा,सोडा और कुछ स्नेक्स ले लिया..वहां से निकाल गये..और रस्तेमें एक जगह बेठ कर पिने लगे..में सिर्फ बीयर ही पिता हूँ चाचा को मालुम है..तो में दो टिन पि गया..पीते-पीते बाते करने लगे ...चाचा ने बताया..शादी दो साल के बाद भी अभीतक कुछ नहीं है...मेने कहा डॉ.से मिललेते तो ...चाचा-अरे चार डॉ.बदल लिए सब यही कहते है दोनों मेसे किसीमे कोई कमी नहीं है...प्रयत्न करो उपरवाला सब ठीक कर देगा..लेकिन बाबूजी दूसरी शादी के लिए कहते है....लेकिन में तेरी चाची को छोड़ नहीं सकता...दादी क्या कहती है? वो कहती है भगवान सब अच्छा करेंगे..चाचाने भी अध्धा खतम कर दिया..मेने कहा तो फिर आप टेंशन क्यों लेते हो वक्त आने पर जरुर सब ठीक हो जाएगा..चाचा उठते हुए बोले जाने कब वो वक्त आयेगा...इतने में चाची फोन आया वो होटल केलिए निकाल गई थी...हम भी चल दिए..होटल के नजदीक पहुचते बीयर का एक तिन बचा था वोभी आधा-आधा पि गये..नशा अच्छा सा हो गया था..चाची और दादी आगये हम टेबल पर पहुच गये चाची और दादी ने ऑर्डर दिया...खाना खाने लगे...दादी को तो कुछ मालुम नहीं हुआ लेकिन चाची आखें फाड़ कर देख रही थी...में और चाचा आँखे बचा रहे थे...
घर वापस आये तो चाचा ओर में ड्रॉइंग रुम में सो गये चाची और दादी दोनों बेड रुम में सो गये...रात को में पेशाब के लिए उठा तो बेडरूम में झाँक कर देखा..नाईट लेम्प की रोशनी में ....दादी का पेटीकोट जांगो तक चढ़ा हुआ था..चाची का गाउन भी उनकी जांगो तक चढ़ा था..और चाची का मुह दादी के बुब्ब्स पर था.दोनों टांगो के बीच दादी का एक पैर दबाये हुए लेटी थी... नाईट बल्ब की रोशनी में चाची की सफ़ेद और दादी की सांवली टाँगे चमक रही थी....करीब तिन बजे में फिर उठा,देखा....दादी का पेटी कोट चुत्तड़ो से ऊपर था..चाची का गाउन भी उनके छोटे-छोटे चुत्तड़ो से ऊपर काली पेंटी दिख रही थी...और चाची पीछे से दादी के नंगे बड़े-बड़े चुत्तड़ो से चिपक कर सो रही थी...मुझे बड़ा अजीब सा लगा....में सो गया..
सुबह देर से उठा.. चाचा ऑफिस जाने कोतैयार थे..चाची आँखों में गुस्सा था...मेंभी तैयार हो गया..सबने मिलकर खाना खाया..चाचा निकाल गये में भी टहैल ने निकाल गया...वापस आया..टीवी देखा..और थोडा सो गया..दादी और चाची सामान ठीक से सजा रही थी...जब उठा चाय पी...चाचीने कहा मुझे कुछ काम है चल मेरे साथ..हम दोनों बाइक लेके निकाल गये..रस्ते में एक मंदिर आया...चाची ने कहा रोक यहाँ...हम मंदिर गये मंदिर का परिसर बहुत बड़ा था..पेड़ लगे थे..पेड़ोके नीचे बेंचे रखी थी..एक बेंच पर हम बेठ गये...चाची ने इन्कवायरी सुरु कीकल कहाँ गये थे..? सच बताना तुझे भगवान की कसम...में चुप रहा..तुचुप क्यों है?? अच्छा क्या मेरा शक सही है.?? तुम दोनों ने पी रखी थी....मेरा हाथ पकड कर अपने सिर पर रखदिया..बोल हाँ या ना...मेने हाँ में मुंडी हिलाई... तू कब से सिखा एसा..?? मेने कहा छोडिये चाची ये तो कभी-कभी हो जाता है...क्या छोडिये ये कभी-कभी से ही आदत पड जाती है ...और कहाँ गये थे...?? और कही नहीं गये...सीधा होटल गयेथे....उनोने मेरा हाथ पकड़ा..अपने सिर पर रखने के लिए...लेकिन मेने झटक दिया....नहीं चाची में सच बोलरहा हु...मेरी आँखों में आसू आगये..में रोतेरोते बोला चाची चाचाजी आपको बहुत प्यार करते है..तो क्या शराबी बन जाने दूँ..एसा नहीं है चाची ..वो टेंशन में रहते है...एसी क्या बात है जो मुझे नहीं बता सकते ..?मेने..रोते-रोते बताया आपकी शादी को दो साल हो गये और कुछ नहीं है...चाची थोड़ी नर्म पड़ी..में कहा तो,दादाजी दूसरी शादी को बोल रहे है...और दादी ?? दादी कहती है सब उपरवाले के हाथमे है...देर-सवेरे सब अच्छा होगा...अब चाची की आवज भर आयी..लेकिन डॉ कहते है दोनोमे सब ठीक है किसीमे कमी नहीं है...हम प्रयास भी करते है...मेने कहा..चाची प्लीज चाचाजी को डाटना मत वो आपको बहुत प्यार करते है...ठीक है उन्हें प्यार से समजाउंगी...लेकिन तू भी समझ  ले ये सब गलत है...अगर दादी को पता चल जाता तो क्या होता..? हाँ, लेकिन अब आप किसीको बताना मत...चाची ओके चल..अब मंदिरमें दर्शन कर आते है और प्राथना करे सब को सदबुध्धि दे..हम वहीँ से निकले बाजार गये चाची ने खरीदी की और वापस घर आगये..














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