Sunday, August 31, 2014

FUN-MAZA-MASTI पुजारी हवस का --3

FUN-MAZA-MASTI

 पुजारी हवस का --3

 अब मेने भी अपनी बहन रचना को चोदने का प्लान बनाया,मेने अपने कमरे में तकिये के निचे मस्तराम की १ सेक्सी किताब रख दी और रचना से कहा की वो मेरे कमरे में जाकर मेरी किताब ले आये|
पाम्च मिनिट बाद मेने चुपचाप जा कर देखा तो प्लान के अनुसार रचना को तकिये के नीचे वह किताब मिलने पर उसे पढ़ने का लोभ वह नहीं सहन कर पाई थी और बिस्तर पर बैठ कर किताब देख रही थी. उन नग्न सम्भोग चित्रों को देख देख कर वह किशोरी अपनी गोरी गोरी टांगें आपस में रगड़ रही थी. उसका चेहरा कामवासना से गुलाबी हो गया था.

मौका देख कर में बेडरूम में घुस गौर बोला. "देखूम, मेरी प्यारी बहना क्या पढ़ रही है?" रचना सकपका गयी और किताब छुपाने लगी. मेने छीन कर देखा तो फोटो में एक औरत को तीन तीन जवान पुरुष चूत, गांड और मुंह में चोदते दिखे. मेने रचना को एक तमाचा रसीद किया और चिल्लाया "तो तू आज कल ऐसी किताबें पढ़ती है बेशर्म लड़की. तू भी ऐसे ही मरवाना चाहती है? तेरी हिम्मत कैसे हुई यह किताब देखने की? देख आज तेरा क्या हाल करता हूम."

रचना रोने लगी और बोली कि उसने पहली बार किताब देखी है और वह भी इसलिये कि उसे वह तकिये के नीचे पड़ी मिली थी. में एक न माना और जाकर दरवाजा बन्द कर के रचना की ओर बढ़ा. मेरी आम्खों में कामवासना की झलक देख कर रचना घबरा कर कमरे में रोती हुई इधर उधर भागने लगी पर में ने उसे एक मिनट में धर दबोचा और उसके कपड़े उतारना चालू कर दिये. पहले स्कर्ट खीम्च कर उतार दी और फिर ब्लाउज. फाड़ कर निकाल दिया. अब लड़की के चिकने गोरे शरीर पर सिर्फ़ एक छोटी सफ़ेद ब्रा और एक पैन्टी बची.

उसके अर्धनग्न कोमल कमसिन शरीर को देखकर मेरा लंड अब बुरी तरह तन्ना कर खड़ा हो गया था. मेने अपने कपड़े भी उतार दिये और नंगा हो गया. मेरे मस्त मोटे ताजे कस कर खड़े लंड को देख कर रचना के चेहरे पर दो भाव उमड़ पड़े. एक घबराहट का और एक वासना का मेरे ख्याल से वह भी सहेलियों के साथ ऐसी किताबें अक्सर देखती थी. उनमें दिखते मस्त लम्डों को याद करके रात को हस्तमैथुन भी करती थी. कुछ दिनों से बार बार उसके दिमाग में आता होगा कि उसके हैम्डसम भैया का कैसा होगा. आज सच में मेरे मस्ताने लौड़े को देखकर उसे डर के साथ एक अजीब सिहरन भी हुई.

"चल मेरी नटखट बहना, नंगी हो जा, अपनी सजा भुगतने को आ जा" कहते हुए में ने जबरदस्ती उसके अम्तर्वस्त्र भी उतार दिये.रचना छूटने को हाथ पैर मारती रह गई पर मेरी शक्ति के सामने उसकी एक न चली. वह अब पूरी नंगी थी. उसका गोरा गेहुमा चिकना कमसिन शरीर अपनी पूरी सुम्दरता के साथ मेरे सामने था. रचना को बाहों में भर कर मेने अपनी ओर खीम्चा और अपने दोनो हाथों में रचना के मुलायम जरा जरा से स्तन पकड़ कर सहलाने लगा. चाहता तो नहीं था पर मेरेसे न रहा गया और उन्हें जोर से दबाने लगा. वह दर्द से कराह उठी और रोते हुए बोली "भैया, दर्द होता है, इतनी बेरहमी से मत मसलो मेरी चूचियों को".

में तो वासना से पागल था. रचना का रोना मुझे और उत्तेजित करने लगा. मेने अपना मुंह खोल कर रचना के कोमल रसीले होंठ अपने होंठों में दबा लिये और उन्हें चूसते हुए अपनी बहन के मीठे मुख रस का पान करने लगा. साथ ही में उसे धकेलता हुआ पलंग तक ले गया और उसे पटक कर उसपर चढ़ बैठा. झुक कर मेने रचना के गोरे स्तन के काले चूचुक को मुंह में ले लिया और चूसने लगा. मेरे दोनों हाथ लगातार अपनी बहन के बदन पर घूंअ रहे थे. उसका हर अम्ग उसने खूब टटोला.

मन भर कर मुलायम मीठी चूचियां पीने के बाद में बोला. "बोल रचना , पहले चुदवाएगी, या सीधे गांड मरवाएगी?" आठ इम्च का तन्नाया हुआ मोटी ककड़ी जैसा लम्ड उछलता हुआ देख कर रचना घबरा गयी और बिलखते हुए मुझसे याचना करने लगी. "भैया, यह लंड मेरी नाजुक चूत फ़ाड़ डालेगा, मैम मर जाऊम्गी, मत चोदो मुझे प्ली ऽ ज़ . मैम आपकी मुठ्ठ मार देती हूं"

मेरे को अपनी नाज़ुक किशोरी बहन पर आखिर तरस आ गया. इतना अब पक्का था कि रचना छूट कर भागने की कोशिश अब नहीं कर रही थी और शायद चुदने को मन ही मन तैयार थी भले ही घबरा रही थी. उसे प्यार से चूमता हुआ में बोला. "इतनी मस्त कच्ची कली को तो मैम नहीं छोड़ने वाला. और वह भी मेरी प्यारी नन्ही बहन! चोदूम्गा भी और गांड भी मारूम्गा. पर चल, पहले तेरी प्यारी रसीली चूत को चूस लूम मन भर कर, कब से इस रस को पीने को मैम मरा जा रहा हूं."

रचना की गोरी गोरी चिकनी जाम्घें अपने हाथों से में ने फ़ैला दीं और झुक कर अपना मुंह बच्ची की लाल लाल कोमल गुलाब की कली सी चूत पर जमा कर चूसने लगा. अपनी जीभ से में उस मस्त बुर की लकीर को चाटने लगा.

रचना की गोरी बचकानी चूत पर बस जरा से रेशम जैसे कोमल बाल थे. बाकी वह एकदम साफ़ थी. उसकी बुर को उंगलियों से फ़ैला कर बीच की लाल लाल म्यान को में चाटने लगा. चाटने के साथ में उसकी चिकनी माम्सल बुर का चुंबन लेता जाता. धीरे धीरे रचना का सिसकना बम्द हो गया. उसकी बुर पसीजने लगी और एक अत्यम्त सुख भरी मादक लहर उसके जवान तन में दौड़ गयी. उसने मेरा सिर पकड़ कर अपनी चूत पर दबा लिया और एक मद भरा सीत्कार छोड़कर वह चहक उठी. "चूसो भैया, मेरी चूत और जोर से चूसो. जीभ डाल दो मेरी बुर के अन्दर."

में ने देखा कि मेरी छोटी बहन की जवान बुर से मादक सुगन्ध वाला चिपचिपा पानी बह रहा है जैसे कि अमृत का झरना हो. उस शहद को में प्यार से चाटने लगा. मेरी जीभ अब रचना के कड़े लाल मणि जैसे क्लिटोरिस पर से गुजरती तो रचना मस्ती से हुमक कर अपनी जाम्घें मेरे सिर के दोनों ओर जकड़ कर धक्के मारने लगती. कुछ ही देर में रचना एक मीठी चीख के साथ झड़ गई. उसकी बुर से शहद की मानों नदी बह उठी जिसे में बड़ी बेताबी से चाटने लगा. मुझे रचना की बुर का पानी इतना अच्छा लगा कि अपनी छोटी बहन को झड़ाने के बाद भी में उसकी चूत चाटता रहा और जल्दी ही रचना फ़िर से मस्त हो गयी.

कामवासना से सिसकते हुए वह फ़िर मेरे मुंह को चोदने लगी. उसे इतना मजा आ रहा था जैसा कभी हस्तमैथुन में भी नहीं आया था. में अपनी जीभ उसकी गीली प्यारी चूत में डालकर चोदने लगा और कुछ ही मिनटों में सपना दूसरी बार झड़ गयी. में उस अंऋत को भूखे की तरह चाटता रहा. पूरा झड़ने के बाड एक तृप्ति की साम्स लेकर वह कमसिन बच्ची सिमटकर मुझ से अलग हो गयी क्योंकि अब मस्ती उतरने के बाद उसे अपनी झड़ी हुई बुर पर मेरी जीभ का स्पर्श सहन नहीं हो रहा था.

में अब रचना को चोदने के लिये बेताब था. में उठा और रसोईसे मक्खन का डिब्बा ले आया. थोड़ा सा मक्खन मेने अपने सुपाड़े पर लगया और रचना को सीधा करते हुए बोला. "चल रचना , चुदाने का समय आ गया." रचना घबरा कर उठ बैठी. उसे लगा था कि अब शायद में उसे छोड़ दूंगा पर मेरे को अपने बुरी तरह सूजे हुए लंड पर मख्खन लगाते देख उसका दिल डर से धड़कने लगा. वह पलंग से उतर कर भागने की कोशिश कर रही थी तभी में ने उसे दबोच कर पलंग पर पटक दिया और उस पर चढ़ बैठा. मेने उस गिड़गिड़ाती रोती किशोरी की एक न सुनी और उस की टांगें फ.ऐला कर उन के बीच बैठ गया. थोड़ा मक्खन रचना की कोमल चूत में भी चुपड़ा. फिर अपना टमाटर जैसा सुपाड़ा मेने अपनी बहन की कोरी चूत पर रखा और अपने लंड को एक हाथ से थाम लिया.

मेरे को पता था कि चूत में इतना मोटा लंड जाने पर रचना दर्द से जोर से चिल्लाएगी. इसलिये मेने अपने दूसरे हाथ से उसका मुंह बम्द कर दिया. वासना से थरथराते हुए फिर में अपना लंड अपनी बहन की चूत में पेलने लगा. सकरी कुम्वारी चूत धीरे धीरे खुलने लगी और रचना ने अपने दबे मुंह में से दर्द से रोना शुरु कर दिया. कमसिन छोकरी को चोदने में इतना आनन्द आ रहा था कि मुझ से रहा ना गया और उसने कस कर एक धक्का लगाया. सुपाड़ा कोमल चूत में फच्च से घुस गया और रचना छटपटाने लगी.

में अपनी बहन की कपकपाती बुर का मजा लेते हुए उसकी आम्सू भरी आम्खों में झाम्कता उसके मुंह को दबोचा हुआ कुछ देर वैसे ही बैठा रहा. रचना के बम्द मुंह से निकलती यातना की दबी चीख सुनकर भी मुझे बहुत मजा आ रहा था. मुझे लग रहा था कि जैसे में एक शेर है जो हिरन के बच्चे का शिकार कर रहा है.

कुछ देर बाद जब लंड बहुत मस्ती से उछलनए लगा तो एक धक्का मेने और लगाया. आधा लंड उस किशोरी की चूत में समा गया और रचना दर्द के मारे ऐसे उछली जैसे किसी ने लात मारी हो. चूत में होते असहनीय दर्द को वह बेचारी सह न सकी और बेहोश हो गयी. में ने उसकी कोई परवाह नहीं की और धक्के मार मार कर अपना मूसल जैसा लंड उस नाज.उक चूत में घुसेड़ना चालू रखा. अन्त में जड़ तक लवड़ा उस कुम्वारी बुर में उतारकर एक गहरी साम्स लेकर में अपनी बहन के ऊपर लेट गया. रचना के कमसिन उरोज उसकी छाती से दबकर रह गये और छोटे छोटे कड़े चूचुक उसे गड़ कर मस्त करने लगे.

में एक स्वर्गिक आनन्द में डूबा हुआ था क्योंकि मेरी छोटी बहन की सकरी कोमल मखमल जैसी मुलायम बुर ने मेरे लंड को ऐसे जकड़ा हुआ था जैसे कि किसीने अपने हाथों में उसे भीम्च कर पकड़ा हो. रचना के मुंह से अपना हाथ हटाकर उसके गुलाबी होंठों को चूमता हुआ में धीरे धीरे उसे बेहोशी में ही चोदने लगा. बुर में चलते उस सूजे हुए लंड के दर्द से रचना होश में आई. उसने दर्द से कराहते हुए अपनी आम्खें खोलीं और सिसक सिसक कर रोने लगी. "भैया, मै मर जाऊम्गी, उई माम, बहुत दर्द हो रहा है, मेरी चूत फटी जा रही है, मुझपर दया करो, आपके पैर पड़ती हूम."

में ने झुक कर देखा तो मेरा मोटा ताजा लंड रचना की फैली हुई चूत से पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था. बुर का लाल छेद बुरी तरह खिम्चा हुआ था पर खून बिल्कुल नहीं निकला था. में ने चैन की साम्स ली कि बच्ची को कुछ नहीं हुआ है, सिर्फ़ दर्द से बिलबिला रही है. में मस्त होकर अपनी बहन को और जोर से चोदने लगा. साथ ही मेने रचना के गालों पर बहते आम्सू अपने होंठों से समेटन शुरू कर दिया. रचना के चीखने की परवाह न करके में जोर जोर से उस कोरी मस्त बुर में लंड पेलने लगा. "हाय क्या मस्त चिकनी और मखमल जैसी चूत है तेरी रचना , बहुत पहले चोद डालना था तुझे. चल अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है, रोज तुझे देख कैसे तड़पा तड़पा कर चोदता हूं."

टाइट बुर में लंड चलने से 'फच फच फच' ऐसी मस्त आवाज होने लगी. जब रचना और जोर से रोने लगी तो में ने रचना के कोमल गुलाबी होंठ अपने मुंह मे दबा लिये और उन्हें चूसते हुए धक्के मारने लगा. जब आनन्द सहन न होने से वह झड़ने के करीब आ गया तो रचना को लगा कि शायद में झड़ने वाला है इसलिये बेचारी बड़ी आशा से अपनी बुर को फ़ाड़ते लंड के सिकुड़ने का इम्तजार करने लगी. पर में अभी और मजा लेना चाहता था; पूरी इच्छाशक्ति लगा कर में रुक गया जब तक मेरा उछलता लंड थोड़ा शान्त न हो गया.

सम्हलने के बाद मेने रचना से कहा "मेरी प्यारी बहन, इतनी जल्दी थोड़े ही छोड़ूम्गा तुझे. मेहनत से लंड घुसाया है तेरी कुम्वारी चूत में तो माम-कसम, कम से कम घन्टे भर तो जरूर चोदूम्गा." और फ़िर चोदने के काम में लग गया.

दस मिनिट बाद रचना की चुदती बुर का दर्द भी थोड़ा कम हो गया था. वह भी आखिर एक मस्त यौन-प्यासी लड़की थी और अब चुदते चुदते उसे दर्द के साथ साथ थोड़ा मजा भी आने लगा था. मेरे जैसे खूबसूरत जवान से चुदने में उसे मन ही मन एक अजीब खुशी हो रही थी, और ऊपर से अपने बड़े भाई से चुदना उसे ज्यादा उत्तेजित कर रहा था.

जब उसने चित्र में देखी हुई चुदती औरत को याद किया तो एक सनसनाहट उसके शरीर में दौड़ गयी. चूत में से पानी बहने लगा और मस्त हुई चूत चिकने चिपचिपे रस से गीली हो गयी. इससे लंड और आसानी से अन्दर बाहर होने लगा और चोदने की आवाज भी तेज होकर 'पकाक पकाक पकाक' निकलने लगी.

रोना बन्द कर के रचना ने अपनी बाम्हें मेरे गले में डाल दीं और अपनी छरहरी नाजुक टांगें खोलकर मेरे शरीर को उनमें जकड़ लिया. वह मेरे को बेतहाशा चूंअने लगी और खुद भी अपने चूतड़ उछाल उछाल के चुदवाने लगी. "चोदिये मुझे भैया, जोर जोर से चोदिये. ःआय, बहुत मजा आ रहा है. मैने आपको रो रो कर बहुत तकलीफ़ दी, अब चोद चोद कर मेरी बुर फाड़ दीजिये, मैम इसी लायक हूम."

में हंस पड़ा. "है आखिर मेरी ही बहन, मेरे जैसी चोदू. पर यह तो बता रचना , तेरी चूत में से खून नहीं निकला, लगता है बहुत मुठ्ठ मारती है, सच बोल, क्या डालती है? मोमबत्ती या ककड़ी?" रचना ने शरमाते हुए बताया कि गाजर से मुठ्ठ मारनी की उसे आदत है. इसलिये शायद बुर की झिल्ली कब की फ़ट चुकी थी.

भाई बहन अब हचक हचक कर एक दूसरे को चोदने लगे. मेने तो अपनी नन्ही नाजुक किशोरी बहन पर ऐसा चढ़ गया जैसे कि किसी चुदैल रन्डी पर चढ़ कर चोदा जाता है. रचना को मजा तो आ रहा था पर मेरे लंड के बार अम्दर बाहर होने से उसकी चूत में भयानक दर्द भी हो रहा था. अपने आनन्द के लिये वह किसी तरह दर्द सहन करती रही और मजा लेती हुई चुदती भी रही पर मेरे लंड के हर वार से उसकी सिसकी निकल आती.

काफ़ी देर यह सम्भोग चला. में पूरे ताव में था और मजे ले लेकर लंड को झड़ने से बचाता हुआ उस नन्ही जवानी को भोग रहा था. रचना कई बार झड़ी और आखिर लस्त हो कर निढाल पलंग पर पड़ गई. चुदासी उतरने पर अब वह फ़िर रोने लगी. जल्द ही दर्द से सिसक सिसक कर उसका बुरा हाल हो गया क्योंकि मेरा मोटा लंड अभी भी बुरी तरह से उसकी बुर को चौड़ा कर रहा था.

में तो अब पूरे जोश से रचना पर चढ़ कर उसे भोग रहा था जैसे वह इम्सान नही, कोई खिलौना हो. उसके कोमल गुप्ताम्ग को इतनी जोर की चुदाई सहन नहीं हुई और सात आठ जोरदार झटकों के बाद वह एक हल्की चीख के साथ रचना फिर बेहोश हो गयी. में उस पर चढ़ा रहा और उसे हचक हचक कर चोदता रहा. चुदाई और लम्बी खीम्चने की उसने भरसक कोशिश की पर आखिर मुझसे रहा नहीं गया और में जोर से हुमकता हुआ झड़ गया.

गरम गरम गाढ़े वीर्य का फ़ुहारा जब रचना की बुर में छूटा तो वह होश में आयी और अपने भैया को झड़ता देख कर उसने रोना बम्द करके राहत की एक साम्स ली. उसे लगा कि अब में उसे छोड़ दूंगा पर में उसे बाहों में लेकर पड़ा रहा. रचना रोनी आवज में मुझसे बोली. "भैया, अब तो छोड़ दीजिये, मेरा पूरा शरीर दुख रहा है आप से चुद कर." में हम्सकर बेदर्दी से उसे डराता हुआ बोला. "अभी क्या हुआ है रचना . अभी तो तेरी गांड भी मारनी है."

रचना के होश हवास यह सुनकर उड़ गये और घबरा कर वह फिर रोने लगी. में हम्सने लगा और उसे चूमते हुए बोला. "रो मत, चल तेरी गांड अभी नहीं मारता पर एक बार और चोदूम्गा जरूर ." मेने अब प्यार से अपनी बहन के चेहरे , गाल और आम्खों को चूमना शुरू कर दिया. मेने सपना से उसकी जीभ बाहर निकालने को कहा और उसे मुंहे में लेकर रचना के मुख रस का पान करता हुआ कैन्डी की तरह उस कोमल लाल लाल जीभ को चूसने लगा.

थोड़ी ही देर में मेरा लंड फ़िर खड़ा हो गया और मेने रचना की दूसरी बार चुदाई शुरू कर दी. चिपचिपे वीर्य से रचना की बुर अब एकदम चिकनी हो गयी थी इसलिये अब उसे ज्यादा तकलीफ़ नहीं हुई. 'पुचुक पुचुक पुचुक' की आवाज के साथ यह चुदाई करीब आधा घन्टा चली. सपना बहुत देर तक चुपचाप यह चुदाई सहन करती रही पर आखिर चुद चुद कर बिल्कुल लस्त होकर वह दर्द से सिसकने लगी. आखिर में ने जोर जोर से धक्के लगाने शुरू किये और पाम्च मिनट में झड़ गया.

झड़ने के बाद कुछ देर तो में मजा लेता हुआ अपनी कमसिन बहन के निस्तेज शरीर पर पड़ा रहा. फिर उठ कर उसने अपना लंड बाहर निकला. वह 'पुक्क' की आवाज से बाहर निकला. लंड पर वीर्य और बुर के रस का मिला जुला मिश्रण लगा था. सपना बेहोश पड़ी थी. में उसे पलंग पर छोड़ कर बाहर आया और दरवाजा लगा लिया.रचना को चोद कर जो आनंद मुझे आया वो में आपको बता चूका हूँ|



 रचना की चुदाई के बाद हम दोनों भाई बहन के बीच उम्र का कोई बंधन नही बचा था,अब जब भी हमे मौका मिलता हम दोनों एक दूसरे को छेड़ना शुरू हो जाते। लेकिन मॉम के घर पर रहने के कारन चुदाई करना मुश्किल हो रहा था,लेकिन जब भी रचना मुझे अकेले में मिलती में कुछ न कुछ उसके साथ करने लगता। एक दिन जब मॉम किसी काम से घर के बाहर गयी रचना ने मुझे पकड़ा और मुझे किस करने लगी मैं भी उसके होंठ चूसने लगा वो पागलों की तरह मेरे होंठ चूस रही थी और मैं उसके होंठ चूस रहा था फिर उसे किस करते हुए मैं उनकी टी शर्ट पे से उसके बोबे दबाने लगा वो मुझे चूमे जा रही थी फिर मैंने उसकी टी शर्ट के नीचे से अंदर हाथ डाला और उसकी ब्रा पे से उसके बोबे दबाने लगा वो और ज्यादा उत्तेजित हो गई फिर हम दोनों बेड पे गिर गए, रचना अभी भी मेरे होंठ चूस रही थी फिर मैंने अपना हाथ बाहर निकाला और उसे किस करते हुए उनकी स्कर्ट के अंदर हाथ डाल दिया और उसकी पेंटी
पे से उसकी चूत को अपने हाथ से सहलाने लगा फिर थोड़ी देर तक उसकी चूत सहलाने के बाद मैं उसके ऊपर लेट गया हम लगातार एक दुसरे को किस कर रहे थे तभी मम्मी ने आवाज लगाई और हम दोनों अलग हुए हम दोनों ने एक दुसरे को देखा मुझे बहुत नशीला सा लग रहा था मेरा सर हल्का हल्का घुमने लगा था" मैंने कहा "थैंक यू मत बोलो रचना आई लव यू बोलो " वो मुस्कुराते हुए बोली "धत ....." मैं अपने होंठ उनकेउसके पास ले जाने लगा उसने बोला "भैया नहीं मम्मी आ जाएगी " मैं दूर हो गया मम्मी की वापस आवाज आई और रचना मम्मी के पास चली गई खाना बनवाने। मैं बहुत खुश था क्योंकि रचना भी अब मुझसे प्यार करने लग गई थी उसके पास होने से उसको छूने से उनकी बदन की खुशबू से ही मुझे कुछ होने लग जाता था तभी रचना ने मुझे किचन में आवाज दी मैं अंदर गया तो रचना आटा गूंथ रही थी और मम्मी बाहर दूध लेने गई थी मैंने पीछे से रचना को देखा वाइट स्कर्ट रेड टी शर्ट उन्होंने अभी तक अपनी स्कूल की ड्रेस चेंज नहीं की थी मैंने कहा "क्या हुआ रचना " वो बोली "भाई जरा एक लोटा पानी भर के रख दे यहाँ " मैंने पानी भर के रख दिया और रचना को पीछे से पकड़ के उसके कान के पास किस किया और बोला "रचना एक किस दो ना " रचना बोली "पागल हो क्या मम्मी आ जाएंगी" मैंने कहा "वो तो बाहर है प्लीज दो ना" और ये कहते हुए मैंने उनको पीछे से टाइट पकड़ लिया और उस से चिपक गया वो बोली "छोड़ ना भैया " लेकिन मैंने उन्हें नहीं छोड़ा


मैंने कहा "पहले किस दो" उसने कहा "अभी तो दी थी रूम में" मैंने कहा "वापस दो ना तुम्हारे होंठ है ही इतने मीठे" वो मुस्कुराते हुए बोली "अरे साइड में तो आओ मुंह पीछे कैसे घुमाऊं भैया " मैंने उसे घुमा लिया और उसने अपने होंठ मेरे होंठो पे रख दिए रचना मुझे किस करने लगी और मैं भी उसके नरम मुलायम होंठो को चूसने लगा उसके होंठ चूसते चूसते मैं उसकी टी शर्ट पे से उनके बोबे सहलाने लगा उन्हें दबाने लगा तभी उसने मेरे होंठ छोड़ दिए और बोली "बस अब बाकी बाद में " मैंने कहा "क्या रचना बस इतना सा " वो मुस्कुराते हुए बोली "हाँ इतना सा चल जाओ अब यहाँ से " और मैं भी मुस्कुराते हुए बाहर आ गया थोड़ी देर बाद मम्मी अंदर आई मम्मी बोली "अरे रचना ये स्कूल की ड्रेस तो चेंज कर ले इसी में काम कर रही है क्या " रचना बोली "अरे रेहने दो ना मम्मी कल तो वैसे ही छुट्टी है स्कूल की और फिर तो ये नेक्स्ट हाउस डे पे काम आएगी " मम्मी बोली "हाँ फिर भी चेंज कर ले वाइट स्कर्ट है ख़राब हो जाएगी " रचना बोली "हाँ मम्मी नहाउंगी अभी वेसे भी तो चेंज कर लूंगी " मैं उनकी बात सुनके सोचने लगा रचना नहाने वाली है मैं उसको नंगी नहाते हुए देखूं या उसके साथ ही मैं भी नहा लूं मैं यही सब सोच रहा था इतने में रचना मेरे पास बैठ गयी और बोली "क्या सोचरहे हो भैया " मैंने धीरे से कहा "तेरे साथ साथ नहाने की सोच रहा हूँ " रचना मैं नहला दूं क्या उसने कहा "रहने दो कोई जरुरत नहीं है " मैंने कहा "क्यों रचना " तो वो मुस्कुराते हुए धीरे से बोली "मुझे नहलाते नहलाते आप कुछ और ही करने लग जाओगे " मैंने कहा "क्या करने लग जाऊंगा" वो बोली "चुप रहो आप " मुझे रचना से ऐसी बातें करने में बहुत मजा आ रहा था उस से ऐसी बातें करते हुए मेरा लंड टाइट खड़ा हुआ था इतने में मम्मी का फोन बजा मम्मी फोन उठाने बेडरूम में गयी

और मैंने रचना को अपनी बाँहों में जकड लिया और उसके होंठ चूमने लगा रचना ने मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी लेकिन मैं उसे चूमता रहाउसके नरम होंठ चूसता रहा तभी मम्मी की बात करने की आवाज आने लगी और मैंने जल्दी से रचना को छोड़ दिया जैसे ही मैंने उसे छोड़ा वो बोली "ओए पागल है क्या भैया आप अगर मम्मी देख लेती तो, बस मौका ही ढूंढता रहते है कभी फंस जाएँगे अपन " मैंने कहा "तो रचना तू किस देती ही नहीं हो कभी" तो वो बोली "लालची इन्सान ज्यादा लालच मत कियाकरो कभी मम्मी ने पकड़ लिया ना तो दोनों फंस जाएँगे बहुत बड़ी प्रॉब्लम हो जाएगी" मैं उसकी बात सुनके हँसने लगा फिर वो उठ कर जाने लगी
मैंने पूछा "कहा जा रही हो रचना " वो बोली "नहाने जा रही हूँ" मैंने कहा "मैं भी चलू क्या" वो बोली "चुप करो " मैंने कहा "प्लीज रचना मुझे तुझे नहाते हुए देखना है" वो बोली "नहीं" मैंने कहा "क्यों रचना " उसने कहा "बस ऐसे ही" और वो रूम में चली गयी मैं सोचने लगा की रचना मेरे साथ थोडा थोडा खुलने तो लग गयी है लेकिन उसे शर्म आ रही है मुझसे शायद अभी भी मैं वहीँ बैठ गया और सोचने लगा की आगे क्या किया जाए थोड़ी देर बाद रचना नहा के आई उसको देखते ही मैं पागल हो गया नहा के उसने ब्राउन कलर का वी नेक का टॉप और क्रीम कलर की कैप्री पहनी थी वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी गीले गीले ढीले से बाल जिन्हें उसने क्लिप से बांध रखा था गले में पतली सी चेन कान में छोटे छोटे टोप्स ब्राउन कलर का टॉप जो उसके बदन से चिपका हुआ था उसके चिपके हुए टॉप में से उसके मोटे मोटे नरम बोबे बाहर की तरफ निकलते हुए बहुत ही सेक्सी शेप बना रहे थे उसके गोरे चिकने चमकते हाथ उसके नीचे उनकी क्रीम कलर की कैप्री वो मेरे सामने घूम रही थी तो उसे देख देख के मैं पागल हुए जा रहा था फिर वो बॉडी लोशन की बोतल लेके मेरे सामने बैठ गयी और अपने हाथ में लोशन लेके अपने हाथों पे लगाने लगी मैं उसे लोशन लगाते हुए देख रहा था और उसकी खूबसूरती को निहार रहा था और वो भी बीच बीच में मुझे मुस्कुराते हुए देख रही थी









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