Sunday, August 17, 2014

FUN-MAZA-MASTI सौतेला बाप--25

FUN-MAZA-MASTI

 सौतेला बाप--25

अब आगे
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 वो तीनो आदमी शक्ल से ही इतने गंदे लग रहे थे की रश्मि को उन्हे देखकर उल्टी सी आने को हो रहि थी ...उनके जिस्म से आ रही दुर्गंध से पता चल रहा था की वो लोग काफ़ी दीनो से नहाए नही है...

एक आदमी जिसके हाथ मे रामपुरी था, और जो शायद उनका बॉस लग रहा था, वो आगे आया..उसका नाम रघु था, रश्मि सहम कर वही की वही खड़ी रही..वो उसके बिल्कुल पास आकर खड़ा हो गया और उसने अपना चाकू उपर लेजाकर उसकी गर्दन पर रख दिया..

रश्मि को आज तक ऐसा खोफ़ महसूस नही हुआ था...उसने तो सिर्फ़ अख़बारों मे और न्यूज़ मे किस्से सुने थे की बदमाशो ने ये कर दिया,वो कर दिया..पर एक दिन वो सब उसके साथ होगा , ये उसने सोचा नही था...वो अपने आप को बड़ी ही बेबस महसूस कर रही थी..इतने बड़े शहर मे कितनी आसानी से ऐसे बदमाश पल रहे हैं, पुलिस वाले क्या करते रहते हैं, उन्हे तो पता होना चाहिए की ऐसी जगहों पर बदमाश छुपकर नशेबाजी करते हैं और उस जैसी अगर कोई पकड़ मे आ जाए तो शायद रेप भी कर सकते हैं..

पर ये सब सोचने से अब क्या फ़ायदा , उसे तो सबसे बड़ा डर अपनी जान का लग रहा था इस वक़्त..जान है तो जहान है..

रघु ने अपने भद्दे से दाँत निकाले और बोला : "माल तो बड़ा शानदार लेकर घूम रहा था वो लौंडा ..बता ,कितने लिए तूने एक रात के...''

रश्मि रोने लगी : "मैं उस तरह की औरत नही हू...वो तो मुझे बहला फुसला कर यहा ले आया...मुझे कुछ नही पता...मैं एक भले घर की औरत हू...''

रघु : "हा हा हा....साली, रंडी....रात के समय यहाँ अपनी माँ चुदवाने के लिए आई थी क्या...तेरे जैसी रंडियां रोज रात को चुदवाने के लिए आती हैं यहाँ...भेन की लौड़ी ...भले घर की औरत बनती है साली कुतिया...''

और उसने अपना हाथ सीधा उसके मोटे मुम्मे पर रखकर ज़ोर से दबा दिया...

वो पीड़ा से तड़प उठी...''अहह sssssssssssssssssssss .......''


 रघु : "हा हा हा .....साली ......इसमे तो तुझे मज़े मिलने चाहिए....चिल्ला क्यो रही है कुतिया...''

इतनी बेइजत्ती और जलालत रश्मि ने आज तक कभी महसूस नही की थी...और ना ही इतनी गालियाँ उसने सुनी थी अपने लिए..अपनी बेबसी पर वो ज़ोर-2 से रोने लगी..

रघु ने उसके होंठों पर खून से सना हुआ चाकू रख दिया और गुर्राया : "चुप कर साली...बिल्कुल चुप, अगर तेरी आवाज़ निकली तो यहीं तेरी गर्दन काट कर फेंक दूँगा...अब मेरी बात मानेगी तो जिंदा रहेगी..''

रश्मि ने अपनी रुलाई पर काबू करते हुए , सुबकते हुए हाँ मे सिर हिला दिया..

रघु : "शाबाश ....चल अपना ब्लाऊज़ उतार....''

रश्मि : "नही...मेरे साथ ऐसा मत करो....मुझे छोड़ दो...''

रघु : "मेरी बात मानेगी तो सही रहेगी...वरना मैने ये सारे कपड़े फाड़ देने है...और फिर तू नंगी जाना अपने घर..''

रश्मि ने मौके की नज़ाकत समझी और अपने ब्लाउस के हुक खोलने लगी..नीचे उसने ब्लेक कलर की ब्रा पहनी हुई थी, जिसमे उसके मोटे-2 सफेद खरबूजे ठुँसे हुए थे...उन्हे देखते ही रघु के मुँह से लार निकल कर उसकी दाढ़ी पर गिरने लगी...वो उसपर झपट सा पड़ा और अपना मुँह उसके मुम्मो के बीच दे मारा..

रघु की दाढ़ी की चुभन और उसकी लार अपने सीने पर महसूस करते ही रश्मि को उबकाई सी आ गयी...उसके सिर से निकल रही दुर्गंध भी काफ़ी तेज थी...उसने अपना मुँह फेर लिया...

तब उसने देखा की बाकी के दोनो बदमाश अपने कपड़े उतार कर नंगे हो चुके हैं...और अपने हाथों से अपने लंड को पकड़कर मूठ मार रहे हैं..

उनके काले-2 लण्डों को देखकर रश्मि सहम सी गयी...इतने मोटे और भद्दे लंड उसने आज तक नही देखे थे...उनसे चुदवाने से अच्छा तो वो मारना पसंद करेगी..पर वो बुरी तरह से रघु के चुंगल मे थी..बेचारी कुछ कर भी नही सकती थी..

रघु ने आनन-फानन मे उसकी साड़ी खींच कर निकाल दी..उसके पेटीकोट का नाडा खुला नही तो उसे तोड़ दिया...और उसकी पेंटी को भी नोच कर फाड़ा और एक किनारे फेंक दिया...वो उसकी ब्रा न फाड़ डाले इसलिए रश्मि ने खुद ही अपनी ब्रा के हुक खोल दिए , एक पल मे ही रश्मि उसके सामने पूरी नंगी खड़ी थी..


 पहले तो उसने पूरा प्रयास किया अपने कपड़ों को उतारने से बचाने का, पर रघु शायद नशे मे था और उसकी ताक़त काफ़ी बड़ी हुई थी उस वक़्त..

 रघु ने अपनी लाल जीभ निकाली और उसके मुम्मे चूसने लगा...उन्हे चाट्ता हुआ वो उपर से नीचे की तरफ आया और उसके पेट को चूमता हुआ उसकी चूत तक जा पहुँचा...


और फिर एक ही झटके मे उसकी एक टाँग उठा कर अपने कंधे पर रखी और उसकी चूत पर अपनी जीभ लगा दी..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म ''

ये पहला अवसर था जब काफ़ी देर बाद रश्मि के मुँह से दर्द भरी नही बल्कि उन्माद भरी सिसकारी निकली थी...

पहले ही विक्की ने उसकी चूत को काफ़ी गीला कर दिया था, और अब रघु ने सीधा उसे चाटना शुरू कर दिया...उसकी तो हालत ही खराब होने लगी...उसे समझ नही आ रहा था की वो उसका विरोध करे या मज़े ले..

तब तक उसके दोनो साथी भी पास आ गये और उन्होने उसके एक-2 मुम्मे को पकड़कर अपने मुँह मे लिया और चूसना शुरू कर दिया..

रश्मि के लिए ये पहला मौका था जब तीन आदमी उसके शरीर से खेल रहे थे...ऐसा ग्रूप सेक्स उसने सिर्फ़ एक दो बार समीर के कहने पर ब्लू मूवीस मे देखा था, उसे उस वक़्त तो बड़ी घिन्न सी आई थी...पर आज ना जाने क्यो अंदर से इतना मज़ा मिल रहा था..

उसने ना चाहते हुए भी उन दोनो के सिर अपने हाथों मे पकड़े और उन्हे अपनी छातियों पर ज़ोर से भींच दिया..और अपनी चूत को भी ज़ोर देकर रघु के मुँह पर ज़ोर से दबा दिया..

रघु ने अपना मुँह उसकी चूत से निकाला और बोला : "साली रंडी...अभी बोल रही थी की घरेलू औरत है...अब देखो, कैसे तीन -2 लंड देखकर घोड़ी की तरह हिनक रही है ...साली हरामजादी की चूत सोना उगल रही है...''

इतना कहकर वो खड़ा हो गया और उसने अपना पयज़ामा उतार फेंका.

और फिर जो रश्मि ने देखा, वो देखकर उसे अपनी आँखो पर विश्वास नही हुआ, रघु की टाँगो के बीच जैसे कोई अजगर लहरा रहा था...इतना लंबा और मोटा लंड ..लगभग 9 इंच का होगा...और बिल्कुल काला भूसंड ..उसके अपनी चूत के अंदर जाने की कल्पना से ही वो सिहर उठी..और ज़ोर से चीखी : "नहियीईईईईईईईईई......ये ...ये .......मत करना .....मुझे जाने दो प्लीज़....''

पर अब वो कहा मानने वाले थे...रघु अपने लंड को अपने हाथ मे मसलता हुआ उसकी तरफ बढ़ने लगा...रश्मि फिर से रोने लगी...बाकी के दोनो बदमाशों ने उसके हाथ पकड़े हुए थे..वो भाग भी नही सकती थी..

और तभी रघु के पैर पर किसी ने आकर ज़ोर से एक होक्की मारी..

रश्मि ने देखा तो वो विक्की था...और उसके साथ थे उसके सारे दोस्त...

रश्मि के लिए तो वो उस वक़्त किसी फरिश्ते से कम नही था..

विक्की के साथ उसके चार दोस्त थे..उनके हाथ मे भी होक्कियाँ थी...उन्होने दे दना दन करते हुए बाकी के दोनो बदमाशों पर भी होकीयाँ बरसानी शुरू कर दी...सारे दर्द के मारे तड़पने लगे..पर कोई भी उनपर रहम नही कर रहा था..ख़ासकर विक्की, वो तो रघु के उपर ऐसे बरस रहा था जैसे वो उसको मार ही डालेगा...रघु पूरा लहू लुहान हो चुका था..उसके सिर,पैर और मुँह से काफ़ी खून निकल रहा था...अगर उसके दोस्त उसे ना रोकते तो वो शायद उसे मार ही डालता...

विक्की :"साला...भेन चोद ....मुझे चाकू दिखा रहा था...मुझे गालियां निकाल रहा था...साले तेरे जैसे नशेडियों की गांड मे ये पूरी होक्की डाल देता है ये विक्की....हरामखोर ...मुझसे पंगा लिया तूने..''

अपने दोस्तो की वजह से विक्की काफ़ी चोडा हो रहा था अब...और रश्मि को दिखाने के लिए भी..

रश्मि तो रोते-2 वहीं बैठ गयी थी...पैड के नीचे, पूरी नंगी...पर वो अपनी किस्मत और भगवान का शुक्र मना रही थी की विक्की एन वक़्त पर आ गया और उसकी इज़्ज़त उन नशेडियों के हाथों लूटने से बच गयी..

रघु और उसके साथी दुम दबा कर भागते चले गये...नंगे..उनके कपड़े भी वहीं रह गये..

विक्की ने रश्मि की तरफ देखा...दोनो की नज़रें मिली और अगले ही पल दोनो एक दूसरे की तरफ भागते हुए आए और एक दूसरे से लिपट गये..


 रश्मि : "कहाँ चले गये थे तुम....मेरे साथ ये क्या करने वाले थे....मेरी जिंदगी बर्बाद हो जाती आज....''

पर उसे वहाँ फँसाने वाला भी तो वही था...वही उसे ऐसी जगह पर लेकर आया था..पर वो शायद रश्मि भूल चुकी थी.

विक्की तो उसके नंगे बदन को अपने हाथ मे लेकर फूला नही समा रहा था...उसके उठते हुए लंड को अपने नंगे पेट पर महसूस करते ही उसे एहसास हुआ की वो तो पूरी नंगी है...विक्की के सामने और उसके दोस्तों के सामने भी...वो बेचारी शर्म से दोहरी हो उठी..

विक्की के सारे दोस्त भी उसके नंगे जिस्म को आँखे फाड़े देखे जा रहे थे...उसके भरंवा शरीर की बनावट देखकर सभी के लंड तन्ना गये..सभी सोचने लगे की ये साले विक्की ने इतना मस्त माल आख़िर फँसाया कैसे..

उन्हे आपस मे लिपटा देखकर विक्की का दोस्त सूरज बोला : "विक्की, अभी निकल यहा से...वो लोग कभी भी वापिस आ सकते हैं...शायद और भी लोग आए उनके साथ...यहाँ रुकना ख़तरे से खाली नही है...''

विक्की उसकी बात समझ गया..पर रश्मि अभी नंगी थी...वो सूरज से बोला : "तुम लोग बाहर जाओ...मैं इन्हे लेकर आता हू...''

इतना कहकर वो उसके कपड़े बटोरने लगा..सूरज और उसके बाकी दोस्त बाहर निकल आए..

उनके जाते ही रश्मि ने विक्की को अपनी तरफ घुमाया और फिर से उससे लिपट गयी...और उसके होंठों पर होंठ रखकर जोरों से उसे चूसने लगी...ये शायद उसका तरीका था विक्की को थेंक्स बोलने का..

विक्की का मन तो कर रहा था की अभी अपना लंड निकाले और नंगी खड़ी रश्मि को चोद डाले...और वो जानता था की इस वक़्त वो मना भी नहीं करेगी, पर जैसा की वो जानता था की वहाँ रुकना ख़तरनाक हो सकता था, उसने बड़ी मुश्किल से अपनी भावनाओ पर काबू पाया और रश्मि से बोला : "आंटी...आप जल्दी से कपड़े पहन लो...अभी यहाँ से निकलना है...इन सबके लिए अब काफ़ी टाइम है हमारे पास...''

रश्मि को उसकी बात सुनकर खुद पर ही शरम आ गयी की कैसे वो बेशर्मो की तरहा व्यवहार कर रही है...उसका चेहरा लाल सुर्ख हो उठा...वो अपने कपड़े पहनने लगी..उसकी कच्छी तो मिल नही रही थी..और पेटीकोट का नाड़ा रघु ने तोड़ डाला था...पर फिर भी किसी तरह से उसे पहना और उसपर अपनी साड़ी खींचकर बाँध ली, ताकि पेटीकोट गिर ना पड़े...और दोनो हाथ मे हाथ डालकर बाहर निकल पड़े...

सभी अपनी-2 बाइक्स पर आए थे...रश्मि बिना कुछ बोले विक्की के पीछे बैठ गयी और वो सब वापिस चल पड़े..

विक्की के दोस्त अपने घर की तरफ मूड गये और रश्मि को छोड़ने के लिए विक्की उसके घर की तरफ मुड़ गया.

रास्ते भर दोनो मे कोई बात नही हुई.

घर पहुँचते-पहुँचते 10 बज चुके थे...समीर की गाड़ी अभी तक नही आई थी...यानी वो लोग अभी तक शॉपिंग मे ही मस्त थे...रश्मि ने राहत की साँस ली,क्योंकि उसकी हालत देखकर समीर को समझाना मुश्किल हो जाता की आज उसके साथ क्या हुआ है.

रश्मि को गेट पर छोड़कर विक्की जब जाने लगा तो रश्मि उसकी तरफ पलटी...और उसकी तरफ बड़े ही प्यार से देखने लगी...जैसे कुछ कहना चाहती हो..पर वो बोल ना सकी..

विक्की शायद समझ गया था उसके अनकहे शब्द..वो बोला : "मैं आपको कल फोन करूँगा..बाय ..''

और वो बड़ी ही शराफ़त से वहाँ से निकल गया...रश्मि समझने की कोशिश कर रही थी की ऐसी भी भला क्या जल्दी थी उसको..अगर वो अंदर भी आना चाहता तो शायद वो मना नही कर पाती...चलो अब कल ही बात करेगी वो उसके साथ..

विक्की की बाइक वापिस उसी किले की तरफ दौड़ी चली जा रही थी..जहाँ वो कांड हुआ था.

और वो अपनी बाइक रोककर अंदर चला गया..अब तो उसके दोस्त भी साथ नही थे..

अंदर पहुँचकर उसने ज़ोर से आवाज़ लगाई : "रघु.....ओ रघु.....''







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