Thursday, August 14, 2014

FUN-MAZA-MASTI मालती एक कुतिया --14

FUN-MAZA-MASTI

 मालती एक कुतिया --14

 नीचे मालती चतुर्वेदी जी को बेडरूम तक लेकर गई... मालती ने चतुर्वेदी जी को पकड़ा और बिस्तर पर धकेल दिया, और सीधे उनके तनतनाते हुए लौड़े को अपने मुह में लेकर चूसने लगी... उफ्फ्फ... मालती की इस हरकत से चतुर्वेदी जी की हालत खराब हो गई... लौड़े की गर्मी मालती अपने जिस्म की गर्मी से बढ़ा रही थी... चतुर्वेदी जी ज्यादा देर तक टिक नहीं पाए और अपना सारा प्रेमरस मालती के मुह में ही छोड़ दिया!
“हरामजादी ये क्या किया तूने... साली...”
“मैंने? मैंने क्या किया? किया तो आपने है... इतनी जल्दी भी कोई झड़ता है क्या?”
“साली पलट तेरी गांड मारूंगा अब!”
“न न... चतुर्वेदी जी... एक बार आउट तो आउट... लल्लन जी को पता चला तो प्रॉब्लम हो जाएगी...”
“बेहेन की लौड़ी पलट... बिना गांड मारे तो जाने नहीं दूंगा तुझे..”
मालती इस पर मुस्कुराई और फिर नंगी ही ऊपर महफ़िल की ओर भाग ली...
और खिलखिलाती हुई सबके बीच पहुची...
बेचारे चतुर्वेदी जी भी उसके पीछे पीछे भागते हुए वहां पहुचे...
सब चतुर्वेदी जी की हालत देख कर उन पर हंसने लगे...
“लगता है चतुर्वेदी जी लौड़ा अन्दर फिट करने के पहले ही झाड़ गए” लल्लन बोला!
सबने इस पर ठहाके मारे... और फिर मालती ने बिना देर किये बोतल एक बार फिर से घुमा दी... अबकी बार बोतल का मुह रुका फैज़ल की तरफ...
मालती ने मुस्कुराते हुए फैज़ल की ओर देखा... फैज़ल बिना देर लगाये मालती के पास आये और उसके चुत्तड पे स्पैंक किया... और मालती को आँख मारी और फिर उसे अपनी बाहों में लेकर नीचे बेडरूम की ओर निकल लिया!
फैज़ल खान... पर्सनालिटी में लल्लन जी से भी आगे... और चुदाई में पूछिये नहीं... बेडरूम तक पहुचते पहुचते ही फैज़ल ने अपनी मर्दानगी के रंग दिखाने शुरू कर दिए, अब तक मालती के निप्पल तन चुके थे...! 6 फुट के हट्टे-कट्टे मर्द की बाहों में किसी भी औरत का यही हाल होगा, मालती का हाल और भी गीला हो रहा था...बेडरूम पहुचते ही फैज़ल ने अपना सफ़ेद कुरता उतार फेंका... मालती के सामने अब फैज़ल का गठीला जिस्म था... मालती कुछ करती या कहती इससे पहले ही फैज़ल ने उसके चेहरे को दोनों हाथो से पकड़ कर उसके होंटों का रस पीना शुरू कर दिया... उफ्फ्फ... म्वाह..उम्म्म्ह.... स्ल्र्रर्र्र्र... 10 मिनट तक दोनों एक दूसरे की दुनिया में खोये रहे...फैज़ल को भी आज बहोत दिनों बाद ऐसा माल मिला था... हरा भरा माल...! मालती अगले ही पल फैज़ल खान के फौलादी जिस्म के नीचे थी... फैज़ल उसके हुस्न के कोने कोने का स्वाद ले रहा था... और वो बेचारी फैज़ल के नीचे लेती कभी बेडशीट भींचती तो कभी फैज़ल की पीठ और सर पर अपने हाथों को फिर कर अपनी बेसब्री जाहिर करती! फैज़ल ने अपने पैजामे का नारा ढीला किया... और फिर मालती को इशारा किया! मालती तो कब से फैज़ल के हथियार के लिए तड़प रही थी...
“उफ्फ्फ.... इतना बड़ा??... आज तो आप मेरी ढंग से लेके जाओगे फिर” मालती ने फैज़ल के लौड़े को हाथ में लेते हुए कहा! फैज़ल का लंड था ही इतना बड़ा... ऐसे तो फैज़ल का लंड कला भुजंग थालगभग 5-6 इंच का शिथिल मूत्रमार्ग..पर जब किसी लौंडिया के लुए खड़ा होता था तो उफ्फ्फ... नसों में खून दौड़ता दिखाई देता था... लगभग 8-9 इंच का कला मोटा लोहे का डंडा.... अच्छी अच्छी रंडियों की चूत फाड़ी थी इस लंड ने...और आज ये औजार मालती के सामने था!
“साली अन्दर जाएगा तो सारे लंड भूल जाएगी...” फैज़ल ने मुस्कुराते हुए कहा और मालती के मुह पर अपने लंड से थप्पड़ मारा...
“उई माँ....जान लीजियेगा क्या मेरी”
“जान नहीं जानेमन गांड लेंगे तुम्हारी हम... वो क्या है कि चूत तो लल्लन जी ने चोद चोद के भोसड़ा बना दी होगी,,,” फैज़ल बोला!
“छी... शर्म नहीं आती आपको ऐसी बाते करते हुए..” मालती बोली!
“चुप कर बेहेन की लौड़ी...” और फैज़ल ने उसकी गांड पे चपेट मारी... उसकी साड़ी उंगलिया छप गई मालती के चुत्तड पे! अगले ही पल फैज़ल का लंड मालती की चूत में था.... उफ्फ्फ.... फैज़ल ने एक झटके में बच्चेदानी तक ठांस दिया..... अगले 15 मिनट तक कमरे में केवल मालती की आहें और चीखें सुनाई दे रही थी...आह... फैज़ल ने मालती की चूत से लंड निकाला और उसे घोड़ी बना दिया... मालती समझ गई कि अब फैज़ल उसकी गांड मारेगा! “आह... फैज़ल जी.... इतनी जल्दी क्या है...” मालती ये कहते हुए उठी और अपनी ड्रेसिंग टेबल से ल्यूब ले आई... उसे पता था कि बिना ल्यूब के अगर फैज़ल ने लौड़ा अन्दर डाला तो वो अगले दो तीन दिन तक ठीक से चल भी नहीं पाएगी... फैज़ल ने ल्यूब लिया और सीधे मालती की गांड में भर दिया... और अगले ही पल लंड मालती की गांड में था! स्पून पोजीशन में मालती को फैज़ल ने अपने फौलादी बदन की गिरफ्त में लिया हुआ था और वो इसी पोजीशन में उसकी गांड मार रहा था... दोनों हाथों में मालती के बूब्स... और नीचे गांड में लंड... आह... बिस्तर भी आवाज कर रहा था दोनों की कामक्रीड़ा के फलस्वरूप!
उधर ऊपर बाकी लोगों की बेचैनी बढती जा रही थी... उन्हें पता था कि फैज़ल अच्छे से टाइम लगाएगा मालती को चोदने में... और वो लगा भी रहा था! पिछले पौन घंटे से मालती चुद रही थी फैज़ल से.. पहले उसने मालती की चूत मारी और फिर उसकी गांड...!
दोनों जन्नत में थे... फैज़ल मालती को चोदते हुए जन्नत महसूस कर रहा था और मालती फैज़ल से चुद्वाते हुए.... चतुर्वेदी जी की कमी भी फैज़ल ने पूरी कर दी थी! लंड मालती की गांड से निकाला और एक बार फिर मालती की चूत में डाल दिया और उसे पूरे जोश में चोदने लगा! वो अब झड़ने वाला था...आह... ऊह... दोनों की आहें और आवाजें और भी तेज़ हो गई... और फिर फैज़ल के लंड ने फलफला के मालती की चूत में पिचकारी छोड़ दी... और फिर अगले 5 मिनट तक कमरे में सिर्फ दोनों की सासें ही सुनाई दे रही थी! मालती उठी और उसने फैज़ल को किस किया और फिर फैज़ल के शिथिल पड़ चुके लंड को अपनी जीभ से चाट कर साफ़ किया! मालती के जीभ के स्पर्श से फैज़ल के लंड में एक बार फिर से रक्त संचार होने लगा.. पर उसे पता था कि दुबारा बैटिंग का मौका नहीं मिलेगा!
“मालती तू गजब की माल निकली साली... जी कर रहा है बस चोदता रहूँ... साली लल्लन की रांड न होती तो अभी तुझे उठा ले जाता अपने घर...”फैज़ल बोला!
“उम्म्म्ह फैज़ल जी... रांड किसी की नहीं होती...” मालती ने मुस्कुराते हुए कहा और फैज़ल के सीने पर हाथ फेरा!
इशारा साफ़ था... फैज़ल के लंड की दीवानी हो गई थी वो...
“दुबारा सेवा का मौका दीजियेगा फैज़ल जी” मालती फैज़ल के लंड पे हाथ फेरती हुई बोली!
फैज़ल मुस्कुराया... और फिर कपडे पहनने लगा... कुरते से बटुवा निकाला और अपना कार्ड और एक हज़ार का नोट मालती को पकडाया... और फिर ऊपर महफ़िल में अपने दोस्तों के पास चला गया!



चुदाई का कार्यक्रम सारी रात चला, मालती पर बारी बारी सबने चढ़ाई की... सबने उसकी जवानी का भोग लगाया, सिर्फ लल्लन जी को छोड़कर! मालती की हालत किसी बाजारू रंडी से कम नहीं थी आज.... पिछली रात वो एक दो नहीं छः मर्दों से चुदी थी... सुबह वो उठी, तो उसके लिए नया सरप्राइज़ था... वो अफरोज़ की बाहों में सोई हुई थी.. बिलकुल नंगी...! ओह... फिर उसे याद आया कि सब से चुदने के बाद लल्लन जी ने अफरोज़ को उसे घर भेजने को बोला था... पर ये क्या हुआ.... मालती ने उठने की कोशिश की... पर अफरोज़ ने उसे बाहों में ले रखा था... मालती को समझ नहीं आ रहा था कि वो करे तो क्या करे...उसने कभी सोचा भी नहीं था की अफरोज के साथ वो कभी ये सब... उफ्फ्फ शर्म से लाल हुई जा रही थी वो... अफरोज़ का प्राइवेट पार्ट उसकी जांघ पर महसूस हो रहा था! अफरोज़ नींद में था... पर फिर भी मालती उसकी गिरफ्त में थी...
मालती की हरकत से अफरोज़ की नींद खुली... उसने मलती को और कस के अपने जिस्म से लगा लिया... मालती ने अलग होने की कोशिश की...
“कहाँ जा रही है?? थोड़ी देर और गरमी लेने दे न”
“उह... छोड़ो मुझे... तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई?”
“ओहोहो... मेरी हिम्मत... साली कल रात तू खुद मेरा बिस्तर गरम करने आई... भूल गई?”
(मालती को सच में कुछ भी याद नहीं था... हैंगोवर अभी भी उतरा नहीं था...)
अफरोज़ का लंड अब तक तन चुका था...
“चल लग जा काम पे..”
“शट अप... तुमने सोचा भी कैसे?”
“साली कल रात जब टाँगे फैला फैला के चुद रही थी तब क्या हुआ था?”
“जो हुआ लल्लन जी की मर्जी से हुआ था...छोड़ो मुझे... और जाने दो... प्लीज्..”
“हाहाहा.... और तू मेरी बाहों में है... वो भी लल्लन जी की मर्जी से ही है... साली तुझे क्या लगता है छै-छै मर्दों से चुदवाने के बाद भी तू लल्लन जी से चुदवायेगी? भूल जा... तेरी औकात अब यही है...”
“हरामजादे छोड़ मुझे... जाने दे...”
“हाहाहा.... क्यों मर्द नहीं हैं क्या हम? लल्लन जी से बड़ा है हमारा हथियार”
“गांड में डाल ले अपने हथियार को...” और मालती चिल्लाती हुई एक झटके में अफरोज़ से अलग हो जाती है!
अफरोज़ उठा और मालती को पकड़ कर उसके गाल पर दो चपेट मारी... “साली कुतिया... जा... माँ चुदा तू अपनी... लौट के तू मेरे पास ही आयेगी” और उसने मालती को घर से बाहर धकेल दिया... मालती नंगी थी!
“अफरोज़... अफरोज़.... खोलो न... दरवाजा खोलो.... प्लीज़.... अफरोज़” मालती गेट थपथपाती है...
अफरोज़ ने हँसते हुए दरवाजा खोला... “बोला था न... मेरे पास ही आएगी लौट के”
मालती अपने कपड़े उठाती है और पहनने लगती है...
“रमीज भाई की रांड थी न तू?” अफरोज़ ने कड़क आवाज में पूछा!
“रमीज? रमीज? कौन रमीज?” मालती सक्बका गई!
“साली इतनी भोली मत बन... सब जानता हूँ तेरे बारे में...”
“वो...वो... ऐसा कुछ भी नहीं है!”
“हाहाहा... ऐसा नहीं है फिर कैसा है? सोच ले... लल्लन जी को बता दिया तो कोठे भिजवा देंगे वो तुझे”
“नहीं... प्लीज़... प्लीज़... उन्हें मत बताना.... और रमीज को भी नहीं...वरना वो मुझे जान से मार डालेगा”
“हाहाहा... साली... अब आई औकात में... अब सुन... पार्टी ऑफिस में लल्लन जी ने नई सेक्रेटरी रख ली है... तुझे मेरे डिपार्टमेंट में डाल रहे हैं... जानती है न मेरा डिपार्टमेंट क्या है?”
“क्या???? नई सेक्रेटरी रख ली? पर?”
“पर वर छोड़... शाम को चार बजे ऑफिस जाएगी तो लल्लन जी सब बता देंगे तुझे...”
ये सब सुन के मालती का चेहरा उतर गया... अब तक उसने कपडे पहन लिए थे...
अफरोज़ के चेहरे पर अलग ही मुस्कान थी...
मालती को इस बात का अंदाजा पहले से ही था कि जब तक लल्लन जी चाहेंगे तब तक ही वो उनकी सेक्रेटरी है... जिस दिन उनका मन भर गया... उसकी जगह कोई और आ जाएगी!
____________________
शाम चार बजे मालती लल्लन जी के ऑफिस में उनके सामने खाड़ी थी...
ऑफिस में केवल वो दोनों ही थे...
“लल्लन जी... कोई गलती हुई हो तो मैं माफ़ी मांगती हूँ... पर इस तरह... मेरी जगह.. किसी और को...”
“हाहा... साली कल रात तेरी फेयरवेल पार्टी थी इस जॉब से... केक कट के सब में बंट चुका है मेरी जान...”
“लल्लन जी प्लीज़... ऐसा मत कीजिये... कहीं की नहीं रहूंगी मैं...”
“अरे रहेगी... तो मेरे ऑफिस में ही रहेगी... तेरे जैसी वफादार कुतिया को ऐसे कैसे जाने दे सकते हैं हम!”- लल्लन मुस्कुराते हुए बोला- “सुन... आज से तू अफरोज़ के डिपार्टमेंट का काम संभालेगी... आगे के पांच साल के लिए तू अकाउन्ट्स एंड लीगल डिपार्टमेंट की हेड है... धोके में मत रहना.. तेरे ऊपर अफरोज़ रहेगा.. उसके साथ कुछ कानूनी परेशानियाँ हैं... इसलिए तुझे हेड बना रहा हूँ.. अफरोज़ सारा काम अच्छे से जानता है... वो तुझे सब समझा देगा! और हाँ... एक और खुश खबरी है... अगले हफ्ते सरकार बन रही है.. और शायद हमको मंत्री पद मिल रहा है!”
लल्लन जी बोल रहे थे... मालती सुन रही थी... लल्लन जी ने पिछले कुछ समय में मालती का मुह बंद सा कर दिया था, मालती की एक कमजोरी थी- “पॉवर”.. और एकाउंट्स एंड लीगल डिपार्टमेंट के हेड की पोस्ट कुछ कम नहीं थी... वो कुछ भी शिकायत करने के मूड में नहीं थी... लल्लन जी की यही खासियत थी... वो जानते थे कि किसे कैसे काबू में रखना है.. मालती जैसी टैलेंटेड औरत को, जिसने पिछले चुनाव में इतना बढ़ चढ़कर साथ दिया, खोना नहीं चाहते थे वो..
“खुश है न?” लल्लन जी ने पूछा
मालती मुस्कुरा दी... वो कुछ भी बोल नहीं पाई...
लल्लन जी ने अफरोज़ को फोन करके ऑफिस बुलाया...
“अफरोज़ आज से मालती मैडम तुम्हारे डिपार्टमेंट की हेड हैं... इन्हें सारा काम अच्छे से समझा देना..”
“ओह.. मुबारक हो मिस मालती मिश्रा...” अफरोज़ मुस्कुराते हुए बोला!
“थैंक यू” मालती फोर्मली बोली!
और फिर लल्लन जी ने इशारा किया... अफरोज़ और मालती दोनो कमरे से बाहर आ गए!
“आइये मोहतरमा... आपको आपका नया ऑफिस दिखा दूं...” अफरोज़ शरारती अंदाज में मालती के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला
“जी बिलकुल...” मालती अफरोज का हाथ अपने कंधे से हटाती है!
लिफ्ट से दोनों एक फ्लोर ऊपर पहुचे... और मालती अब अपने ऑफिस के बाहर खड़ी थी... गेट पर उसके नाम की चमचमाती नेम-प्लेट लगी हुई थी..
“Mrs. Malti Mishra
[accounts and legal department]
अपने नाम की नेमप्लेट देखते ही वो जैसे सारी चीजें भूल गई... अफरोज की तरफ देखा और मुस्कुरा दी...
“अब अन्दर भी चलेंगी मोहतरमा या फिर बाहर नेमप्लेट ही देखती रहेंगी?” अफरोज मालती की नंगी पीठ पर हाथ रखते हुए बोला!
मालती मुस्कुराई और फिर दोनों अन्दर घुसे..
-एक बड़ी सी टेबल... उसके पीछे एक किंग साइज़ ऑफिस चेयर... टेबल पर एक एप्पल लैपटॉप.. और कुछ फाइलें...
टेबल के दूसरी ओर आगंतुकों के लिए चार कुर्सियाँ,
सामने दूसरे कोने में सोफा पड़ा हुआ है... और उसके सामने एक बड़ा टीवी!
“wowww....” मालती तो बस देखती रह गई... ये उसके लिए किसी सपने से कम नहीं था...
“कैसा लगा मोहतरमा?”
“अफरोज मैं कोई सपना तो नहीं देख रही?”
अफरोज़ ने मालती की कमर में हाथ डाला और चुटकी काट ली.. “मोहतरमा...ये एक सपना ही है जो लल्लन जी की कृपा से सच में बदल गया है”
“आउच... अफरोज़... देखो ये सब नहीं चलेगा..”
“हाहाहा... मैडम... हमें वो लोग बिलकुल भी पसंद नहीं जो अपनी औकात में न रहें” अफरोज़ मुस्कुराते हुए बोला!
मालती मुस्कुरा दी.. शायद औकात याद आ गई थी उसे अपनी!

“ऑफिस देख लिया हो तो अब कुछ काम की बातें कर लें?” अफरोज़ टेबल के पीछे वाली किंग साइज़ चेयर पे बैठता हुआ बोला!
“मैंने कब मना किया है?” मालती बोली! [वो अभी भी ऑफिस ही देख रही थी...]
“तो सुन... पहली बात तो ये कि डिपार्टमेंट का बॉस मैं हूँ...सिर्फ मैं.. तू बस उतना करेगी जितना मैं बोलूँगा!, वैसे तो सारे कानूनी मसले हमारे आदमी अपने लेवल पे सुलझा लेते हैं, पर फिर भी जो एक दो मैटर रह जाते हैं उनके लिए वकील रखे हुए हैं हमने.. तो बस तेरा काम उन वकीलों से रिपोर्ट लेना और मुझे ओरल रिपोर्ट देना है! समझ रही है न...”
“ओके जी... समझ रही हूँ..” अफरोज का ये रूप उसने पहले नहीं देखा था... वो अफरोज को एक गुंडा ही समझती थी...पर आज उसे अफरोज़ की असली औकात पता चली थी!
“अकाउन्ट्स का काम अकाउन्ट्स वाले ही संभालेंगे... हमारा काम फण्ड जुटाना है... इलाके के जितने भी दो नम्बरी लोग हैं... वो हमें मंथली चंदा देते हैं.. वो चंदे को टाइम से लेना और मैनेज करना, और हाँ जितना जादा चंदा पार्टी को जायेगा , उसी हिसाब से हमें भी फायदा होगा... समझ रही है न? तू कॉलेज टाइम से इस काम में है तो इसलिए जादा समझाने की जरूरत नहीं है मुझे” अफरोज मालती को सारी चीजे समझा रहा है!

“और सुन... आज से तेरा घर पार्टी गेस्ट हाउस में है... वहीँ रहेगी तू... पार्टी के बहार के लोगों से मिलना जुलना कम रखेगी तो फायदे में रहेगी... ये तेरा नया फ़ोन... इसमें लल्लन जी, मेरा और पार्टी के मेन लोगों के नंबर हैं... बाकियों की जरूरत तुझे पड़ेगी नहीं! पुराना वाला फोन बंद कर दे अब”
मालती ने पुराना फोन बंद कर दिया!
“कोई दिक्कत?” अफरोज ने मर्दाने अंदाज में पूछा
“नहीं नहीं... कोई प्रॉब्लम नहीं... आई एम ओके..” मालती बोली
“आह... अंग्रेजी बोलती है तो बड़ी मस्त लगती है तू...”
मालती शर्मा गई!
“इतना दूर क्या खड़ी है? लल्लन जी से तो बड़ा चिपकी रहती थी.... हमरे जिसम में कांटे लगे हैं क्या?”
“अफरोज़... देखो.. कल जो हुआ... वो एक गलती थी... और मैं तुमसे उमर में बड़ी भी हूँ... तो उसका तो लिहाज रखो कम से कम”
“अरे तो क्या अपनी बिटिया का बियाह करवओगी हमसे?”
“देखो मानसी को इस सब से दूर रखो...”
“हाहाहा... बड़ा प्यार है बच्चों से...अच्छा लगा देख के”
मालती मुस्कुरा दी... पर अफरोज का इशारा उसे समझ आ गया था... वो अब अफरोज के सामने टेबल पर बैठी थी... उसके दोनों हाथ अफरोज के हाथों में थे..
“देख अब हमसे क्या छुपाना... तेरे बचपन से लेकर जवानी तक... एक एक चीज़ जनता हूँ मैं...कसम से कब से चोदना चाहता था मैं तुझे, पर कल जाके तमन्ना पूरी हुई!”अफरोज उसके हाथ सहलाता हुआ बोला!
“अफरोज़.. औरत की मजबूरी नहीं समझोगे तुम..”
“हाहाहा... समझता हूँ जानेमन... सब समझता हूँ... पर एक बात माननी पड़ेगी... रमीज भाई ने अच्छा चूतिया बनाया तेरा, मौज कर रहे हैं वो दुबई में”
“प्लीज़... नाम मत लो उसका... नहीं सुनना चाहती मैं उस जालिम के बारे में”
अफरोज मुस्कुराया... और मालती की कमर में हाथ डाल दिए... और उसे टेबल से नीचे उतार लिया.. और घुमा कर अपनी गोद में बैठा लिया!
“प्यार से रहेगी... तो खुश रहेगी...वरना इस ऑफिस से चमेलीबाई के कोठे तक पहुचाने में टाइम नहीं लगेगा...” अपना हाथ मालती के ब्लाउज के अन्दर डालते हुए बोला!
मालती मुस्कुराई... और अफरोज के होंटो पर अपने होठ रख दिये...
अफरोज ने बिना देर किये मालती के होंटों को अपने होंटो से जकड़ लिया... “आह...साली समझदार है तू...”
मालती का जादू अफरोज पर चढ़ता जा रहा था... उसके नशे में कब से पागल था वो... पर अब जाके किस्मत खुली थी उसकी!
दोनों के जिस्म एक दूसरे के लिए बेताब हो रहे थे कि तभी अफरोज का फोन बज गया....
“इसकी मा की...” .... जेब से फोन निकला.. देखा लल्लन जी का फोन है...
“जी...जी... लल्लन जी... बताइये कैसे याद किया?”
“अरे जरा ऑफिस में आओ... अर्जेंट काम है..”
“जी आता हूँ”
मालती को देख कर मुस्कुराया... “याद कर रहे हैं लल्लन जी... कोई अर्जेंट काम है...”
“जाइए जाइए... अब हमसे भी जादा अर्जेंट काम है तो जाइए”
“आहा... साली... आई लाइक इट... जन्नत दिखाऊंगा तुझे तो...”
और फिर बेमन से वो मालती को छोड़ कर चला गया!












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