Sunday, August 31, 2014

FUN-MAZA-MASTI पुजारी हवस का --12

FUN-MAZA-MASTI

 पुजारी हवस का --12

 मॉम की चुदाई की कहानी सुन कर में तो सन्न रह गया,में मॉम के बूब्स जोर से मसलता हुआ बोला,मुझे भी आप ऎसे ही सुख दीजिये न,में भी आपकी ऐसी ही मस्त चुदाई करना चाहता हु। मॉम ने मेरा लौड़ा जोर से पकड़ा और उसे हिलाते हुए कहा चिंता मत कर बेटे जब मौका मिलेगा में तुझे तेरी बीबी बनकर चुदाई का सुख दूंगी। और वो मौका मुझे जल्दी ही मिल गया डैड रचना को लेकर मेडिकल की कोचिंग करवाने के लिए कोटा ३-४ दिन के लिए चले गए अब घर पर मॉम और अकेले रह गए,मेने मॉम से कहा की क्या रात वो मेरी बीबी बनकर चुदना पसंद करेंगी मॉम ने सहमति में अपना सर हिलाया और कहा की में कंही घूम कर आ जाऊ तब तक वो अपनी चुदाई की तैयारी करती हे वो मेरे से लिपट ग यी मेरी आग और भड़क गयी ,मेने तो अब सोच लिया की किसी भी तरह मॉम की मुझको चुदाई करनी हे|
आज तो दिन भर मॉम रात कि तैयारी में ही लगी रही. सबसे पहले अपनी चूत को चका चक बनाया और फिर पूरे शरीर पर उबटन लगवाकर, गुलाबजल मिले गर्म पानी से स्नान किया. आजउ न्होंने अपनी शादी वाला जोड़ा पहना था. गले में मंगलसूत्र, हाथों में लाल रंग कि चूड़ियाँ, बालों में गज़रा और आँखों में कज़रा. पांवों में पायल और कानो में सोने की छोटी छोटी बालियाँ . उन्होंने हाथों में मेंहंदी लगाई और पावों में महावर.वो तो आज पूरी दुल्हन की तरह सजी थी जैसे कि मेरी सुहागरात हो. पूरे कमरे में गुलाब कि भीनी भीनी खुशबू और पलंग पर नयी चद्दर, गुलाब की पंखुडियां पूरे बेड पर बिछी हुई और 4-5 तकिये. साइड टेबल पर एक कटोरी में शहद और गुलाबजल, 5-6 तरह की क्रीम, तेल, वैसलीन, पाउडर आदि सब संभाल कर रख दिया था. एक थर्मोस में केशर, बादाम और शिलाजीत मिला गर्म दूध रख लिया था. आज तो पूरी रात हमें मस्ती करनी थी. और आज ही क्यों अब तो अगले 4 दिनों तक . |




और फिर वो लम्हा आ ही गया जिसके लिए मैं पिछले 2 महीनो से बेकरार था . मेने चूडीदार पायजामा और सिल्क का कुरता पहना . मॉम तो मेरे से इस कदर लिपट गयी जैसे कोई सदियों की प्यासी कोई विरहन अपने बिछुडे प्रेमी से मिलती है. मैंने उन्हें अपनी बाहों में भर लिया और अपने जलते हुए होंठ उसके थरथराते हुए होंठों पर रख दिए. मैं तो उन्हें बेतहासा चूमते ही चली गया . वो तो बस ऊँ…उन्नन.. आआं.. ही करता रह गयी . अचानक मैंने उसके गालों पर अपने दांत गडा दिए तो उनकी चींख निकलते निकलते बची. उन्होंने भी मुझे जोर से अपनी बाहों में कस लिया. यही तो मैं चाहता था . कि वो आज की रात मेरे साथ किसी तरह की कोई नरमी ना बरते. बस वो मेरे जलते बदन को पीस ही डाले और मेरा पोर पोर इस कदर रगडे कि मैं अगले दो दिन बिस्तर से उठ ही ना पाऊं.

3-4 मिनिट तक तो हम इसी तरह चिपके खड़े रहे. हमें तो बाद में ख़याल आया कि हमने कितनी बड़ी बेवकूफी की है ? जोश जोश में दरवाजा ही बंद करना भूल गए. हे भगवान् तेरा लाख लाख शुक्र है किसी ने देखा नहीं.

मैंने झट से दरवाजा बंद कर लिया और फिर दौड़ कर मॉम से लिपट गया . मेने उन्हें अपनी गोद में उठा लिया. उन्होंने मेरे गले में अपनी दोनों बाहें डाल दीं और मेरे सीने से अपना सिर लगा दिया. उनके उरोज उसके सीने से लग गए थे. उनके दिल की धड़कन तो किसी रेल के इंजन की तरह धक् धक् कर रही थी. उनके होंठ काँप रहे थे और उनकी तेज और गर्म साँसे तो मैं अपने सिर और चहरे पर आसानी से महसूस कर रही था . पर उस समय इन साँसों की किसे परवाह थी. में उन्हें गोद में उठाये ही चोबारे में ले आया. हलकी दूधिया रोशनी, गुलाब और इत्र की मादक और भीनी भीनी महक और मॉम के गुदाज़ बदन की खुश्बूमुझे मदहोश करने के लिए काफी थी. जब में ये सब लिख रहा था तब मॉम साथ बैठी थी उन्होंने कहा की आगे की कहानी में मेरे शब्दों में बया करती हु /
जैसे ही हम लोग चोबारे में पहुंचे उसने मुझे धीरे से नीचे खडा कर दिया . उसने मेरा सिर अपने दोनों हाथों के बीच में पकड़ लिया और थोडा झुक कर मेरे दोनों होंठों को अपने मुंह में भर लिया. आह … उसके गर्म होंठो का रसीला अहसास तो मुझे जैसे अन्दर तक भिगो गया. मैंने धीरे से अपनी जीभ उसके मुंह में दाल दी. वो तो उसे किसी रसीली कुल्फी की तरह चूसने लगा. मेरी आँखें बंद थी. उसने फिर अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी. मुझे तो जैसे मन मांगी मुराद ही मेल गयी. कोई 10 मिनिट तक तो मैं और वो आपस में गुंथे इसी तरह एक दूजे को चूसते चूमते रहे. मेरीचूत तो पानी छोड़ छोड़ कर बावली ही हुए जा रही थी. मैं जानती हूँ उसका लंड भी उसके पाजामे में अपना सिर धुन रहा होगा पर मैंने अभी उसे छुआ नहीं था. उसके हाथ जरूर मेरी पीठ और नितम्बों पर रेंग रहे थे. कभी कभी वो मेरे उरोजों को भी दबा देता था. मैं उस से इस तरह चिपकी थी कि वो चाह कर भी मेरी चूत को तो छू भी नहीं सकता था. ऐसा नहीं था कि हम केवल मुंह और होंठ ही चूस रहे थे वो तो मेरे गाल, माथा, नासिका, गला, पलकों और कानो की लोब भी चूमता जा रहा था. मुझे तो ऐसा लग रहा था कि जैसे मैं कोई सदियों की तड़फती विरहन हूँ और बस आज का ये लम्हा ही मुझे मिला है अपनी प्यास बुझाने को. मैं भी उसके होंठ गाल और नाक को चूमती जा रही थी. आप शायद सोच रही होंगी ये नाक भला कोई चूमने की चीज है ? ओह.. आप की जानकारी के लिए बता दूं जब कोई मर्द किसी लड़की या औरत को देखता है तो सबसे पहले उसकी नज़र उसके बूब्स पर पड़ती है और वो उन्हें चूसना और दबाना चाहता है. उसके बाद उसकी नज़र उसके होंठो पर पड़ती है. उसके होंठो को देखकर वो यही अंदाजा लगाता है कि उसके नीचे के होंठ भी ऐसे ही होंगे. इसी तरह जब भी कोई लड़की या औरत किसी लडके या आदमी को प्रेम की नज़र से देखती है तो सबसे पहले उसकी नाक पर ही नज़र पड़ती है. एक और बात बताऊँ आदमी की नाक उसके अंगूठे के बराबर होती है और शायद आप मुश्किल से यकीन करें लगभग हर आदमी के लंड की लम्बाई उसके अंगूठे की लम्बाई की 3 गुना होती है. नाक और अंगूठा चूसने और चूमने का यही मतलब है कि उसके अचतेन या अंतर्मन में कहीं ना कहीं ये इच्छा है कि वो उसके लंड को चूमना और चूसना चाहती है. नहीं तो भला लडकियां बचपन में अंगूठा इतने प्यार से क्यों चूसती हैं ?

ओह.. मैं भी क्या उलूल जुलूल बातें ले बैठी. कोई 10 मिनिट की चूमा चाटी के बाद हम अपने होंठ पोंछते हुए अलग हुए तो मैंने देखा कि उसकालंड तो ऐसे खड़ा था जैसे पाजामे को फाड़ कर बाहर निकल आएगा. मैं तो उसे देखने के लिए कब से तरस रही थी. और देखना ही क्या मैं तो सबसे पहले उसकी मलाई पीना चाहती थी. वो मेरे सामने खड़ा था. मैं झट से नीचे बैठ गयी और उसके पाजामे का नाडा एक ही झटके में खोल दिया. उसने अंडरवियर तो पहना ही नहीं था. हे भगवान् लगभग 7 इंच लम्बा और 1½ इंच मोटा गोरे रंग का लंड मेरी नीम आँखों के सामने था. मैंने आज तक इतना बड़ा और गोरा लंड तस्सली से नहीं देखा था. सुपाडा तो लाल टमाटर की तरह था बिलकुल सुर्ख आगे से थोडा पतला और उस पर एक छोटा सा काला तिल. मैं जानती हूँ ऐसे लंड और सुपाडे गांड मारने के लिए बहुत ही अच्छे होते हैं. पर गांडबाज़ी की बात अभी नहीं. मैं तो हैरान हुए उसे देखती ही रह गई. इतने में उसके लंड ने एक जोर का ठुमका लगाया तब मैं अपने खयालों से लौटी. मैंने झट से उसकी गर्दन पकड़ ली जैसे कोई बिल्ली किसी मुर्गे की गर्दन पकड़ लेती है. लोहे की सलाख की तरह एक दम सक़्त 120 डिग्री पर खड़ा लंड किसी भी औरत को अपना सब कुछ न्योछावर कर देने को मजबूर कर दे. मेरी मुट्ठी के बीच में फसे उसके लंड ने 2-3 ठुमके लगाए पर मैं उसे कहाँ छोड़ने वाली थी. मैंने तड़ से उसका एक चुम्मा ले लिया. उस पर आया प्री कम मेरे होंठों से लग गया. आह.. क्या खट्टा, नमकीन और लेसदार सा स्वाद था. मैं तो निहाल ही हो गयी. उसने मेरा सिर पकड़ लिया और अपनी ओर खींचने लगा. मैं उसकी मनसा अच्छी तरह जानती थी. मैंने साइड टेबल पर पड़ी कटोरी से शहद और गुलाबजल का मिश्रण अपनी अंगुली से लगाकर उसके सुपाडे पर लगा दिया और फिर उसे अपने होंठों में दबा लिया. उसने इतने जोर का ठुमका लगाया की एक बार तो वो मेरे मुंह से ही फिसल गया. मैंने झट से उसे फिर दबोचा और लगभग आधे लंड को एक ही झटके में अपने मुंह में ले लिया. जैसे ही मैंने उसकी पहली चुस्की ली अमित के मुंह से एक हलकी सी सीत्कार निकल गयी. ओईई….मॉम …. आं…. मेरी बुलबुल…. हाय………

मेरी मुंह की लार, शहद और उसके प्री कम का मिलाजुला स्वाद तो मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकती. मुझे तो बरसों के बाद जैसे ये तोहफा मिला था. वैसे तो मेरे पति का लंड 3 इंच का है पर शुरू शुरू में उसकी भी खूब मलाई निकलती थी. पर अब तो उसके पल्ले कुछ नहीं रह गया है. पिछले 2-3 सालों से तो मैं इस मलाई के लिए तरस ही गई थी. ऐसा नहीं है कि मैं केवल लंड ही चूसे जा रही थी. मैंने उसकी दोनों गोलियों को एक हाथ से पकड़ रखा था. थी भी कितनी बड़ी जैसे कोई दो लिच्चियाँ हों. दूसरे हाथ से मैंने उसके लंड को जड़ से पकड़ रखा था. अमित ने मेरा सिर पकड़ कर एक धक्का मेरे मुंह में लगा दिया तो उसका लंड 5 इंच तक मेरे मुंह के अन्दर चला गया और मुझे खांसी आ गई. मैंने लंड बाहर निकाल दिया. मेरे थूक से लिपडा उसका लंड दूधिया रोशनी में ऐसे चमक रहा था जैसे कोई मोटा और लम्बा खीरा चाँद की रोशनी में चमक रहा हो. मैंने अपने हाथ उसके लंड पर ऊपर नीचे करने चालु रखे. कुछ दम लेने के बाद मैंने उस पर फिर अपनी जीभ फिराई तो उसके लंड ने ठुमके लगाते हुए प्री कम के कई तुपके फिर छोड़ दिए. मुझे लंड चूसते हुए कोई 10 मिनिट तो जरूर हो गए थे. अमित मेरा सिर पकडे था. वो धक्के लगाना चाहता था पर डर रहा था कि कहीं मुझे फिर खांसी ना आ जाए और मैं बुरा ना मान जाऊं. मेरी चूत का तो बुरा हाल था. कोई और समय होता तो मैं एक हाथ की अंगुली उसमें जरूर करती रहती पर इस समय तो लंड चूसने की लज्जत के सिवा मुझे किसी चीज का होश ही नहीं था. मैंने उसकी गोलियों को फिर पकड़ लिया और अपने मुंह में भर लिया. एक हाथ से मैंने उसका लंड पकडे हुए ऊपर नीचे करना जारी रखा. लंड इतनी जोर से अकडा की एक बार तो मुझे लगा कि मेरे हाथ से ही छूट जाएगा. उसका तो बुरा हाल था. उसकी साँसे तेज चल रही थी और और वो पता नहीं सित्कार के साथ साथ क्या क्या बडबडाता जा रहा था. मैं जानती थी वो अब झड़ने के करीब पहुँच गया है. मैंने उसकी गोलियों को छोड़ कर फिर लंड मुंह में ले लिया. अबकी बार मैंने उसे चूसा नहीं बस उस पर अपने जीभ ही फिराती रही. पूरी गोलाई में कभी अपने होंठों को सिकोड़ कर ऊपर से नीचे और कभी नीचे से ऊपर. उसने मेरा सिर जोर से दबा लिया और थोडा सा धक्का लगाने लगा. मैं जानती थी उसकी मंजिल आ गयी है. मैंने उसके लंड को जड़ से पकड़ लिया और कोई 3-4 इंच मुंह में लेकर दूसरे हाथ से उसकी गोलियों को कस कर पकड़ लिया और एक लम्बी चुस्की लगाईं तो उसकी एक जोर की चींख सी निकल गई. मैंने उसका सुपाडा अपने दांतों से हौले से दबाया तो वो थोडा सा पीछे हुआ और उसके साथ ही पिछले 15-20 मिनिट से कुबुलाते लावे की पहली पिचकारी मेरे मुंह और ब्लाउज पर गिर गयी. मैंने झट से उसका लंड अपने मुंह में भर लिया और फिर उसकी पता नहीं कितनी पिचकारियाँ मेरे मुंह में निकलती ही चली गयी. आह.. इस गाढ़ी मलाई के लिए तो मैं कब की तरस रही थी. मैं तो उसे गटागट पीती चली गई.

अमित बडबडा रहा था “आह.. मेरी मॉम मेरी रानी मेरी बुलबुल मेरी मैना …. आः तुमने तो मुझे … आह … निहाल ही कर दिया … ओईईई …..” और उसके साथ ही उसने बची हुयी 2-3 पिचकारियाँ और छोड़ दी. मैं तो उसकी अंतिम बूँद तक निचोड़ लेना चाहती थी. अब तो मैंने इस अमृत की एक भी बूँद इधर उधर नहीं जाने दी. कोई 4-5 चम्मच गाढ़ी मलाई पीकर मैं तो जैसे निहाल ही हो गयी. जब उसकालंड कुछ सिकुड़ने लगा तो मैंने उसे आजाद कर दिया और अपने होंठों पर जीभ फिरते हुए उठ खड़ी हुयी.

अमित ने मेरे होंठ चूम लिए. मैंने भी अपने होंठों से लगी उस मलाई की बूंदे उसके मुंह में दाल दी. उसे भी इस गाढ़ी मलाई का कुछ स्वाद तो मिल ही गया. फिर मैंने उसे परे कर दिया. मैंने उसकी आँखों में झाँका. अब वो इतना भी लोल नहीं रह गया था की मेरी चमकती आँखों की भाषा न पढ़ पाता. मैं तो उस से पूछना चाहती थी क्यों ? कैसा लगा ?

शायद उसे मेरी मनसा का अंदाजा हो गया था. उसने कहा “मेरी रानी मज़ा आ गया ”
“ओह.. मुझेअपनी रानी कहो ना ?”
“ओह.. मेरी रानी थैंक्यू ” और एक बार उसने मुझे फिर अपनी बाहों में भर कर चूम लिया.
“ओह.. ठहरो..”
“क्या हुआ ?”
मैंने उसकी ओर अपनी आँखें तरेरी “ओह.. देखो तुमने ये क्या किया ?”
“क क्... क्या ?”
“अपनी मलाई मेरे कपडो में भी डाल दी. तुम भी एक नंबर के लोल हो. कभी किसी को ऐसे नहीं चुसवाया ?”
“ओह … सॉरी ”
मैंने साइड टेबल पर पड़ा थर्मोस उठाया और उसमे रखा गर्म दूध एक गिलास में डाल कर अनिल की ओर बढा दिया “चलो अब ये गरमा गरम दूध पी लो ”
“इससे क्या होगा ?” उसने मेरी ओर हैरत से देखा
“इससे तुम्हारा लोडा फिर से गंगाराम बोलने लगेगा ”
“ओह..” उसकी हंसी निकल गयी “क्या तुम नहीं लोगी ?”
“मेरी चूत तो पहले से ही पीहू पीहू कर रही है मुझे इसकी जरुरत नहीं है ?” और मैंने उसकी नाक पकड़ कर दबाते हुए उसकी ओर आँख मार दी. वो तो बेचारा शर्मा ही गया.

“चलो तुम फटा फट दूध पीओ मैं अभी आती हूँ ” मैंने शहद वाली कटोरी और तौलिया उठाया और बाथरूम में घुस गयी. सबसे पहले मैंने शीशे में अपनी शक्ल देखी. मेरी आँखे कुछ लाल सी लग रही थी. होंठ कुछ सूजे हुए और गाल एक दम लाल. आज पहली बार मुझे अपनी सुहागरात याद आ गयी. मैं अपने आप को शीशे में देख कर शर्मा गयी. मैंने बड़ी अदा से अपने कपडे उतारे . अब मैं शीशे के सामने केवल काली पैंटी और ब्रा में खड़ी थी. काली ब्रा और पैंटी में मेरा बदन ऐसे लग रहा था जैसे खजुराहो की मूर्ती हो. शायद आप यकीन नहीं करंगी मेरी संगेमरमर सी मखमली जांघें और काली पैंटी में फसी पाँव रोटी की तरह फूली हुयी चूत के निकलते शैलाब से पूरी पैंटी ही गीली हो गयी थी. मैंने पैंटी उतार दी. आईइला ……… शीशे में अपनी चूत… अरे नहीं बुर … अरे ना बाबा मेरी चूत तो इस समय अपने पूरे शबाब पर थी. जैसे कोई छोटी सी चिडिया अपने पंख सिकोड़ गर्दन अन्दर दबाये चुप चाप बैठी हो. दोनों बाहरी होंठ तो किसी संतरे की फांकों की मानिंद लग रहे थे.? मैंने दोनों हाथों से उनको चोडा किया. आईईला … एक दम गुलाब की सी पंखुडियां तितली के पंखों की मानिंद खुल गयी. मदन मणि तो किसमिस के दाने जीतनी बड़ी एक दम सुर्ख. मैंने अपनी तर्जनी अंगुली हौले से चूत के छेद में डाल दी जो कि कामरस से सराबोर उस छेद में बिना किसी रुकावट के जड़ तक अन्दर चली गयी. मैंने उसे बाहर निकाला और अपने मुंह में डाल लिया. हाईई.. क्या खट्टा, मीठा, नमकीन, नारियल पानी जैसा लेसदार स्वाद था. मैंने एक चटखारा लिया. या अल्लाह ……

मैंने अब अपनी ब्रा भी उतार दी. दोनों परिंदे जैसे कब से आज़ादी की राह देख रहे थे. 1½ इंच का गहरे कत्थई रंग का एरोला और उनके निप्पल्स तो एक दम गुलाबी थे बिलकुल तने हुए. मैंने एक निप्पल को थोडा सा ऊपर उठाया और उस पर अपनी जीभ लगा दी. इन मोटे मोटे और गोल उरोजों को देख कर तो कोई जन्नत में जाने का रास्ता ही भूल जाए.

अब मैंने अपनी चूत को पानी से धोया. मुझे थोडा पेशाब आ रहा था पर मैंने जानकर अभी नहीं किया.




अब मैंने अपनी चूत की फांकों और पंखुडियों पर गुलाबजल और शहद लगाया. थोडा सा शहद अपने उरोजों के निप्पल्स पर और अपने होंठों पर भी लगाया. और फिर रेशमी टी शेप वाली पैडेड पैंटी और डोरी वाली ब्रा पहन ली. आप तो शायद जानती होंगी ये जो ब्रा और पैंटी होती हैं इनमे हुक्स की जगह डोरी होती है. पैंटी को दोनों तरफ डोरी से बाँधा जाता है. बस आगे कोई 2 इंच की पट्टी सी होती है जिसमे चूत की फांके ही ढकी जा सकती है. अक्सर ऐसी ब्रा पैंटी फ़िल्मी हीरोइने पहनती हैं. एक ही झटके में डोरी खींचो और ब्रा पैंटी किसी मरी हुई चिडिया की तरह फर्श पर. कोई झंझट परशानी नहीं.

आप सोच रही होंगी ओफो … क्या फजूल बातें कर रही हूँ. बाहर अमित बेचारा मेरा इंतज़ार कर रहा होगा. हाँ आप ठीक सोच रही हैं पर मेरे देरी करने का एक कारण है ? आशिक़ को थोडा तरसाना भी चाहिए ना ? और आशिक अगर आपका बेटा हो तो कहना ही क्या अरे मैं तो मज़ाक कर रही थी. असल में मैं उसे चुदाई के लिए तैयार होने के लिए कुछ समय देना चाहती थी.


कोई 10 मिनिट के बाद मैं जब बाथरूम से निकली तो वो बेड पर अपनेलोडे को हाथ में लिए बैठा था. वाह.. देखा केसर, बादाम और शिलाजीत मिले दूध का कमाल. मैं अपने कुल्हे मटकाते हुए बड़े नाज़-ओ-अंदाज़ से धीरे धीरे चलती हुई आ रही थी. वो तो बस मुंह बाए मेरी ओर देखता ही रह गया. फिर एक झटके में उसने मुझे बाहों में दबोच लिया और तडातड कई चुम्बन मेरे गालों और मुंह पर ले लिए. इस आपाधापी में मैं बेड पर गिर पड़ी और वो मेरे ऊपर आ गया. ओह … उसके बदन के भार से मेरी छाती और मेरे उरोज तो जैसे दब ही गए. मैं भी तो यही चाहती थी कि कोई मुझे कस कर दबोच ले. उसकी बेशब्री (अधीरता) तो देखने लायक थी. वो तो कपडो के ऊपर से ही धक्के लगाने लगा. कोई और होता तो मेरे इस गदराये बदन का स्पर्श पाते ही उसका पानी निकल जाता. पर मैंने तो पूरी तैयारी और योजना से सारा काम किया था ना ?
“ओह क्या करते हो पहले कपडे तो निकालो ?” मैंने उसे परे हटाते हुए कहा.

“ओह … हाँ ” और उसने अपना कुरता और पाजामा निकाल फैंका. अब वो मेरे सामने बिलकुल मादरजात नंगा खडा था. उसने मेरी भी नाइटी की डोरी खोल दी. अब मैं सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में ही रह गयी. मैंने शर्म के मारे अपनीचूत वाली जगह पर हाथ रख लिया. आप शायद हैरान हो रही होंगी. भला अबचूत पर हाथ रखने की क्या जरुरत रह गई थी ? . मैं भी तो यही चाहती थी कि आज की रात ये मेरा गुलाम बन कर जैसा मैं चाहूँ वैसा ही करे. मेरी मिन्नतें करे और फिर जब मैं उसे मौका दूं तो वो बिना रहम किये मेरे सारे कस बल निकाल दे.

उसने फिर मुझे बाहों में भर लिया. मेरी आँखें रोमांच और उत्तेजना से अपने आप बंद हो गयी. पता नहीं कितनी देर वो मुझे चूमता ही रहा. कभी गालों पर कभी होंठों पर कभी ब्रा के ऊपर से उरोजों पर और कभी कानों की लोब को. मैं तो बस मस्त हुयी उसकी बाहों में समाई आँखें बंद किये सपनीली और रोमांच की जादुई दुनियां में डूबी हुयी पड़ी ही रह गयी. मुझे तो पता ही नहीं चला कब उसने मेरी ब्रा और पैंटी की डोरी खींच दी. मुझे तो होश तब आया जब उसने मेरे एक उरोज की घुंडी को अपने मुंह में लेकर जोर से चूसा और फिर थोडा सा दांतों से दबाया.

“ऊईई ….. माआ……” मेरी तो एक सित्कार ही निकल गयी. अब उसने दूसरे उरोज को मुंह में ले लिया और चूसने लगा. उसका एक हाथ अब मेरीचूत को टटोल रहा था. मैंने अपनी जांघें जोर से कस ली ताकि वो अपनी अंगुली मेरी चूत में न डाल पाए.

. मैं चाहती थी कि वो पहले मुझे चूमे चाटे और मेरे शरीर के सारे अंगों को सहलाए और उन्हें प्यार करे. उसे भी तो पता चलना चाहिए कि औरत के पास लुटाने के लिए केवल चूत ही नहीं होती और भी बहुत कुछ होता है. उसने भी मेरीचूत को ऊपर ही ऊपर से सहलाया. वो मेरे उरोजों की घाटियों को चूमता हुआ मेरी गहरी नाभि चूमने लगा. उसके छेद में अपनी जुबान ही डाल दी. उईई … मा …. ये अमित तो मुझे पागल ही कर देगा. धीरे धीरे उसकी जीभ नीचे सरकने लगी. जब उसने मेरे पेडू (चूत और नाभि के बीच का थोडा सा उभरा हिस्सा) पर जीभ फिराई तो मेरे ना चाहते हुए भी मेरी दोनों जांघें अपने आप चौडी होती चली गयी. मेरी चूत पर जब उसकी गर्म साँसें और जीभ ने पहला स्पर्श किया तो रोमांच और उत्तेजना के कारण मेरी तो किलकारी ही निकल गयी. मैंने उसका सिर जोर से अपने हाथों में पकड़ कर अपनी चूत की ओर दबाना चाहा . उसने कोई जल्दी नहीं दिखाई.

“ओह मेरेबेटे जल्दी करो ना मेरीचूत को चूसो जल्दी ” मैंने अपने नितम्ब ऊँचे करके उसके सिर को जोर से अपनी चूत पर लगा ही दिया. उसने एक चुम्बन उस पर ले लिया. मैं जानती हूँ मेरी चूत से निकलती मादक महक ने उसको भी एक अनोखी ठंडक से सराबोर कर दिया होगा. उसने मेरीचूत की मोटी मोटी फांकोंचौडा कर दिया. मैं जानती हूँ वो जरूर मेरीचूत और उस हरामजादी रचना की चूत की तुलना कर रहा होगा. मेरी चूत के अंदरूनी गुलाबी और चट्ट लाल रंगत को देख कर तो उसकी आँखें फटी की फटी रह गयी होंगी. उसके मुंह से एक एक निकला “वाह … क़यामत है …” और झट से उसने अपने होंठ मेरी बरसों की तरसती चूत पर रख दिए. उसके होंठों का गर्म अहसास मुझे अन्दर शीतल करता चला गया. अभी तो उसने मेरी मदनमणि के दाने को अपनी जीभ की नोक से छुआ ही था की मेरी चूत ने काम रस की 2-3 बूंदे छोड़ ही दी. इतनी जल्दी तो मैं आज से पहले कभी नहीं झडी थी. ये तो पूरा कामदेव है.

अब उसने अपनी जीभ धीरे से मदनमणि के नीचे मुत्र छेद पर फिराई और फिर नीचे स्वर्ग गुफा के द्वार पर. ओह.. मैं तो जैसे निहाल ही हो गयी. उत्तेजना में मैंने अपने दोनों पैर ऊपर उठा लिए और उसकी गर्दन के गिर्द कस लिए. मैं तो चाहती थी कि मेरीचूत को पूरा का पूरा मुंह में लेकर एक जोर की चुस्की ले पर ये साला अनिल तो मुझे पागल ही कर देगा. उसने फिर अपनी जीभ एक बार नीचे से ऊपर और फिर ऊपर से नीचे तक फिराई. मैं जानती हूँ मेरीचूत की फांकों पर लगे शहद और कामरस का मिलाजुला मिश्रण वो मजे से चाट रहा है पर मेरीचूत में तो जैसे आग ही लगी थी. मैं हैरान थी कि वो उसे पूरा मुंह में क्यों नहीं ले रहा है. ये तो मुझे उसने बाद में बताया था कि वो मुझे पूरी तरह उत्तेजित करके आगे बढ़ाना चाहता था.

मेरी कसमसाहट और बेकरारी बढ़ती जा रही थी. अब मेरे लिए बर्दास्त करना मुश्किल था. मैंने एक झटके से उसका सिर पकडा और एक तरफ धकेलते हुए उसे चित लेटा दिया. उसे बड़ी हैरानी हुई होगी. अब मैं झट से उसके ऊपर आ गयी और उसके मुंह पर उकडू होकर बैठ गयी. अब मेरी चूत ठीक उसके मुंह के ऊपर थी. मैं कोई मौका नहीं गवाना चाहती थी. मैंने अपनीचूत को जोर से उसके मुंह पर रगड़ना चालु कर दिया. उसकी नाक मेरे मदनमणि के दाने से लगी हुई थी औरचूत के होंठ उसके होंठों पर. अब भला उसके पास सिवाय उसे पूरा मुंह में लेने के क्या रास्ता बचा था. उसने मेरी चूत को पूरा अपने मुंह में भर लिया और एक जोर कि चुस्की ली. “आईईइ ….” मेरी तो हलकी सी चींख ही निकल गयी और इसके साथ ही मैं दूसरी बार झड़ गयी.

अब वो कहाँ रुकने वाला था. उसे तो जैसे रसभरी कुल्फी ही मिल गयी थी. मेरीचूत को पूरा मुंह में लेकर चूसता ही चला गया. मैं भला कंजूसी क्यों दिखाती. मेरीचूत तो बरसों के बाद अपना रस बहा रही थी. वो चटखारे लेता उस कामरस को पीता चला गया. कोई 8-10 मिनट तक तो उसने मेरी चूत को जरूर चूसा होगा. इस दौरान मैं 2 बार झड़ गई. अब जाकर उसे मेरे गोल मटोल नितम्बों का ख़याल आया तो उसने अपने हाथ उनपर फिराने चालू कर दिए. ये तो पूरा गुरु निकला. वो तो नितम्बों को सहलाते सहलाते मेरीचूत की सहेली के पास भी पहुँच गया. जैसे ही उसने एक अंगुली मेरी गांड के छेद में डालने की कोशिस की मैं झट से उछल कर एक ओर लुढ़क गई. मैं इतनी जल्दी इस दूसरे छेद का उदघाटन करवाने के मूड में कतई नहीं थी.[मॉम शब्दों में ही कहानी का अगला हिस्सा जल्दी ही]









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