Saturday, August 16, 2014

FUN-MAZA-MASTI में और मेरी प्यारी माँ--11

FUN-MAZA-MASTI


में और मेरी प्यारी माँ--11


दुसरे दिन बिच्छुमामा गये थे..माँ ने उनको बड़े प्यार से बुलाया..वो हर वक्त की तरह मेरे कमरे में ही ठहरे..दूकान गये दादाजी के साथ हिसाब पूरा किया..घर आये..शाम को खाना खाया सो गये...सुबह दादा-दादी को रिश्तेदार के यहाँ जाना था तो निकाल गये पापा दूकान चले गये...माने मुझे कहा देख तो तेरा मामा क्या करता है? मेंरुममे गया तो मामा बाथरूम गये थे...में वापस आया... मेने माँ को बताया...माँ का गाउन उठा के चुत्तड़ो को सहला रहा था...तभी पापा का फोन आया चाबी भूल गये थे तो मुझे बुलाया था..में निकाल गया ..दूकान पर पापा से चाबियाँ दी..मेने रुकने केलिए कहा तो पापा ने कहा तू घर जा तेरा मामा अकेला-अकेला बोर हो जाएगा.... जब में घर पर आया,तो दरवाजा खुला हा में सीधा अंदर चला गया..माँ किचन में नहीं थी..उनकी आवाज आई..तू कब से, क्या कर रहा है...? अभी तैयार नहीं हुआ...? माँ- मामा से बोल रही थी, मेने कमरे में झाँक करदेखा.मामा ने बनियान और हाफपेंट पहना हुआ था..-शर्ट बेड पर पड़ा था मामा बेड पर बेठे थे. मामा ने कहा दीदी ये जिप बंध नहीं हो रही..माँ- ला,में बंध कर देती हूँ...मामा-नहीं दीदी में कर लूँगा..माने झट से जिप को पकड़ा और बंद करने की कोशिश करने लगी.मामा का बिच्छु डंख मारने को तैयार हो रहा था..मामा चड्डी नहीं पहनते थे.तो माँ का हाथ सीधा लंड को टच कर गया..लंड शायद सोया हुआ था,माँ ने उसे छेड़ दिया था.तो अपनी सिलवटे खोल ने लगा..जिप ठीक करतेकरते दो-तीन बार माँ का हाथ लंड को लग गया..वो पूरा तन गया...माने जिप छोड़ लंड पर ध्यान दिया..मामा शरमा रहे थे..माँ ने मुस्कुराते लंड पकड़ते हुए, कहा इसे जरा बाहर निकाल दे.. मामा ने हँसते हुए कहा दीदी आप ही निकाल दीजिए ...यहाँ तक सब नोर्मल था..लेकिन जेसे माँ ने लंड को पकड़कर बाहर निकाला माँ की आँखों में वासना चमकने लगी..मेने देखा बिच्छुमामा का लंड बहुत बड़ा था..मेरा लंड इंच का है...उनका शायद ११ इंच का था..माँ की आँखे चौड़ी हो गई...मामा- क्या हुआ दीदी...? माँ-ये तेरा इतना ...ड़ा के..से..?. मामा- वो..तो में सोलह साल से इसके साथ खेल रहा हूँ ...माँ- क्यों..?? मामाने मुंह लटका कर कहा -दीदी आपको तो पता है..मेरी उमर बढ़ गई है और अपाहिज होने से कोई मेरी और देखता भी नहीं..तो में अपने हाथो से हिला देता हूँ..माँ- केसे?? मामा की आँखों में भी अब शैतान नजर आने लगा..उन्होंने ने लंड को हाथ में पकड़कर मुठ मारते हुए कहा ऐसे. माँ- तो,ला... में हिला देती हु..माँ बड़े प्यार से मामा के लंड को स्सहला रहीथी...और लोडा साला कद्दावर होता जा रहा था..मामादीदी मजा आरहा है..आप इसे थोडा चुमियें ...माँ लंड को मुहमे भरने लगी..लोडा इतना बड़ा था की पूरा मुंह खोल दिया तब सुपाड़ा ही अंदर गया..मामा- दीदी आप कितनी अच्छी है..मेरी तकलीफ....माँ- क्या मुन्ना,?मुझे बता मे तेरी हर तकलीफ का हल निकाल दूंगी....नहीं,दीदी में आपको नहीं बता सकता..शरमा मत मुझे बता दे क्या चाहिए तुझे..मामा-अभी तो आप इसे शांत कर दीजिये बड़ा मजा रहाहै..माँ अपना मुह जल्दी चलाने लगी..उनकी हु..हूँ.हूँ..हूँ..की आवाज रही थी. तो मामा-आह.दीदी..जरा..जल्दी....ओह दी..दी..आह..आह..आह्ह्ह...ओह.....कर रहे तह...साँसे तेज चल रही थी...और वो जोर से चिल्लाए..ओह..ओह्ह.......दी..ईईई..दी...उनके लंड ने ढेर सारा माल निकाल दिया माँ के मुहं में समा नहीं रहा था..पुरे मुहं पर फेल गया..था..माँ जितना पी सकती थी उतना निगल गई..मुह पर पड़े माल को साफ़ करने बातःरुम चली गई..मेने मामा के लंड को देखा सचमे साला बहुत बड़ा था..ये लंड माँ की फाड़ ही देगा...बाथरूम से वापस आई तो हाथ में भीगा हुआ नेपकिन था उससे माँ के लंड को साफ़ कर दिया..मामा ऐसे ही बेड पर लेट गये...माँ ने कहा में तेरे लिए यहाँ खाना ला देती हूँ तू आराम कर मामा का लंड ढीला हो गया था तो पेंट के उंदर डालते हुए कहा नहीं दीदी थोड़ी चाय ले आना..में वहां से भाग निकाला क्या करूँ कुछ समझ  में नहीं आरहा था.में सोच रहा था अगर घरमे गया तो उनके खेलमे दखल होगी,नहीं गया तो भाई-बनकी कामलीला देखने को नहीं मिलेगी..तो में घरमे ही चला गया.....
माँ ने कहा तू आगया..में हाँ,माँ नोर्मल थी..मेने पीछे से पकड़ा लिया..गाउन उठाया माँ ने कुछ नहीं कहा..जल्दी से किचन के दरवाजे पर आगई और घोड़ी बन गई..मुझसे कहा बेटे अभी के अभी चोद दे मुझे...मेने अपना लंड निकाल और चूत में घुसा दिया माँ की चूत बहुत गर्म हो गई थी.. माँ बहुत जल्दी-जल्दी आगे पीछे होने लगी...में भी ठोकने लगा..कुछ ही देर में दोनों शांत हो गये..मेने पूछा क्यों माँ..?में आपको इतना गरूम कभी नहीं देखा..माँ-जाने दे चीज ही कुछ ऐसी देखि है....की गरूम होगई..अच्छा तूने चोद दिया वरना बेलन घुसा देती,... मेने कहा- क्यों?..गधा देखा लिया.... क्या? माँ-हाँ मेरे बेटे सच में साला...गधा ही है... तेरे बिच्छुमामा का लोडा तुजसे भी बड़ा है एकदम काला,लम्बा,मोटा भी उतना बिलकुल गधे जेसा..में- तो बात कहाँ तक पहुंची सिर्फ देखा ही की कुछ....माँ- किया ..देखते ही हिला दिया..और मुंहमे भी लिया...में- अब तो सिर्फ चुदवाना ही बाकी है..??क्यों..माँ-हाँ,बेटे,में तो उसके लंड को चूत में लेने के लिए मरी जा रही हूँ..में-ओह तो,क्या मामा राजी नहीं है..?? अरे उसने तो अभी तक किसिकी चूत भी नहीं देखि तो चुदाई का मजा क्या जाने ... में-तो तकलीफ क्या है..?माँ- चुदाई करे केसे ?अगर वो उपर रहेगा तो पूरा लंड घुसा देगा और मेरी फाड़ देगा..दूसरी बात वो चूत में लंड तो डाल देगा पर उससे चुदाई नहीं हो सकेगी..क्यों की उसके पैर काम नहीं करेंगे..में- तो एक काम करो ..आप उनके ऊपर चढ़ जाओ..जितना चाहिए उतना घुसा लेना..माँ-नहीं एसा करुँगी तो में जब ताव में आजौंगी तब पूरा घुसा दूंगी और फिर चुदाई ख़त्म होने के बाद तुरंत डॉ.के पास जाना पड़ेगा...कितना मोटा है..में-मोटा लंड लेने का शोक भी है और डर भी..माँ-बेटे,तेरा कम्प्लीट नाप का है...ना छोटा,ना बड़ा..जेसे चाहो खेलो..कोई डर नहीं-दर्द नहीं. तेरा मोबाईल ला दादी को अपनी परेशानी बताती हूँ ...वो कोइना कोई कोई तोड़ जरुर बतायेंगी..माँने दादी से बात की खुश नजर आने लगी.. मुझे आँख मारी बोली अब तो तेरे बिच्छुमामा को बहनचोद बना ही दूंगी..में-दादी ने क्या इलाज बताया बोलो . मुझे देखना है प्लीज..माँ-ठीक है खिडकी के पास चले आना में खुली रखूंगी..और माँ चाय लेके कमरेमें चली गई......में बाहर गया और खिड़की के पास खड़ा हो गया...बिच्छुमामा बेड पर लेटे थे.माने मामा को चाय दी वो पीने लगे..माँ से कहा दीदी तूम कितनी अच्छी हो मेरा कितना ख्याल रखती हो...माँ उनका सिर सहला रही थी..मामा- दीदी,में आपकी...माँ- क्या..मेरे भैया..मामा- वो दीदी मेने कभी किसी ओरत की नहीं देखी तो ...आप...मुझे...माँ-क्या नहीं देखी...क्या देखाऊं...मामा- दीदी बुरा मत मानो में आपकी चूत देखना चाहता हूँ..माँ-ओह,तो प्यारे भैया को दीदी की चूत देखनी है...तो मेने कहाँ मना किया...है..लो देख लो..माँ,बेड के किनारे कड़ी हो गई..मामा ने गाउन ऊपर उठाया और पेंटी को देखने लगे...फिर पेंटी को भी उन्होंने उतार दिया...माँ के चुत्तड़ो को दोनों हाथों से पकड़ा और अपनी और खीचने लगे..माँ गाउन पकड़ कर खडी थी...मामाँ ने कहाँ दीदी आप अगर आप गाउन निकाल देती तो आपके बूब्स बी देख लेता...माँ- लियो मेरे भैया देखलियो अपनी बहन कोपूरी नंगी...देखो.माँ नंगी हो कर खड़ी थी मामा माँ को देख रहे थे...अपने लंड को बाहर निकाल कर सहलाने लगे..माँ- बिस्तर पर बैठ गई और मामा के लंड को मुठीयाने लगी...मामा-दीदी में आपकी चूत मारना चाहता हूँ, पर दीदी में तो कुच्छ कर नहीं सकता लेकिन आप मेरी परेशानी को दूर करें....माँ- अपनी दीदी के होते हुए तुझे कोई परेशानी नहीं होगी..में तू जे,अपनी चूत दूंगी और तुजसे चुदाई का आनंद भी लुंगी...बस डर लगाता है तेरे बडे लंड से...मामा- में तो सोचता था..ओरतो को बड़े लंड ही पसंद होगे..एसा नहीं है बेटे ओरत को सिर्फ लंड की जरूरत होती है..छोटेबड़े की कोई अहमीयत नहीं होती ,बस प्यास बुजनी चाहिए....ठीक है अब चल अपना बनियान निकाल..मामा ने बनियान निकाल दिया और अपनी नंगी दीदी के बुब्ब्स को दबाने सहलाने लगे...वैसे माँ के बुब्ब्स राजापुरी आम जितने ही थे...पर थे बहुत टाईट जो मामा को मज्जा आने लगा...माँ ने मामा का हाफ पेंट भी निकाल दिया..अब दोनों भाई-बहन नंगे थे.....मामा के दुबले-पतले जांघो के बीच 11 इंच का गन्ने के टुकड़ा एकदम खड़ा था...माँ हाथो से सहला रही थी..मामा-दीदी में आपकी चूत का रस पीना चाहता हु ...चाट ने दो ..माँ खिड़की की तरफ मेरी और देख कर बोली-नहीं,मेरे भाई अभी नहीं क्यूंकि,अभी मेने तेरे लंड को घुसाने के लिए गिला किया हुआ है..मतलब मेरा माल अभी उनकी चूत में था..ले..तू मेरे आम का रस पी..और माने अपने बुब्ब्स मामा के मुहमें दे दिए...मामा राजापुरीआम का रस पीने लगे..माँ उनके खड़े लंड को चुत्तड़ो के बीच घिस रही थी...माँ की चूत से पानी छुट रहा था..साथ चूत में से मेरा माल भी निकाल रहा था.तो हलकी झाँक बन रही थी..माँ कहा रुक..जा..माँ गरूम होने लगी थी..उसने दो तकिये उठाये एक मामा के लोडे के आगे पेट पर रखा दिया...दूसरा उनकी दुबली-पतली झांगो पर रख दिया अब मामा का सिर्फ आधा ही लंड बाहर दिख रहा था...में समझ  गया ये कमाल का आइडिया दादी का है...मेंने मनही मन दादी को सलाम कर दिया..अब माने लंड को पकड़ा और आहिस्ता- आहिस्ता चुत में लेने लगी...सुपाड़ा घुसते ही सस्स्स्स..आह्ह...निकाल दी..और फिर सस्स....आह..करते आहिस्ता-आहिस्ता लंड के उपर दबाव डालने लगी..आधा लंड ले लिया...ओए आह्ह..आह्ह...करते धीरे-धीरे ..ऊपर-नीचे होने लगी..मामा भी ओह्ह..दीदी..मजा रहा है..आह्ह..आह.. करने लगे..थे.क्या नजारा मस्त था,एक अपाहिज भाई अपनी बहन से चुद रहा था..बहन अपने ही भाई के लंड से आनंद ले रही थी...तकिये की वजह से माँ का डर दूर हो गया था...और वो मजे से चुदवा रही थी,मामा बुब्ब्स को दबाते कभी मुंह में लेते रस पीते ..कमरे में दोनों की मदहोश आह्ह...सस्स्स्स..ओह्ह्ह.......ओह.ओह..ओह्ह्ह..की आवाजे गूंज रही थी...


माँ चुत्तड उछाल-उछाल कर मामा के बड़े लंड से चुदवा रही थी..मामा जीवन में पहलीबार चुदाई का आनन्द ले रहे थे... आह्ह...सस्स्स्स..ओह्ह्ह.......ओह.ओह..ओह्ह्ह..करते हुए उन्होंने अपना काम पूरा किया..माँ हांफ रही थी,मामा के आधे मजबूत बदन पर लेट गई...मामा उनको चूम रहे थे..माँ ने अपने पैर फेला दिए मामा का लोडा अभी चूत में था..माँ की गांड दिख रही थी..अभी कट से दोनों का पानी बह रहाथा..माँ ने बहुत ही धीरे से चुत्तड़ो को उपर उठाया लंड इतना फिट होगया था की चूत की चमड़ी भी लंड से लिपटी-खींचती नजर आरही थी..मने धीरे से चुत्तड़ो को उठा कर लंड को बाहर निकाल दिया...साथ में बहुत सारा माल भी चूत से गिर पड़ा..मामा का लंड और दोनों तकिये गिले हो गये..माँ मामा के पास ही लेट गई...लंड बाहर निकालने के बाद भी उनकी चूत खुली की खुली ही रह गई थी..माँ अपनी अंगुलियों से चूत के फानको को आपस में भिड़ा रही थी.. कुछ देर बाद उनकी खुली चूत बंद हुई..माम से कहा मुन्ना मेरी चूत में हल्का सा दर्द हो रहा है..तू जरा चाट दे..प्लीज....मामा-दीदी में तो पहले से ही तेरी चाट ने को व्याकुल था.. और मामा चाटने लगे.. मामा बड़े प्यार से चूत को चाट रहे थे गीली चूत का सारा पानी चाट लिया...साफ़ कर दिया..माँ ने कहाबस, होगया अब,मेरा गाउन दे..मामा ने गाउन दिया..माने अपने नंगे बदन पर डाल दिया..मामा के उपर से गिले तकिये हटा ते कहा तू बाथरूम में तेरा साफ़ कर देती हु..फिर खाना खा ने आजा...मामा- नहीं दीदी आप जाइए में आता हु..माँ ने खिड़की और देखा...गाउन के ऊपर से चूत को दबाया और हंसने लगी....
में घर में गया..तो माँ किचन में खाना गरूम कर रही थी.मेने कहा क्यों..मजा गया..? माँ-हाँ,मोटा था डर-डर के लिया पर मजा आगया...दादी ने क्या कहा ..? हँसते हुए माँ ने कहाबस,यही की बहु आधा ही लेना आधा मेरे लिए रखना....माँ, मामा जी के लिए खाना परोसने लगी मामा आगये और खाना खाने लगे ,माँ से प्यार से खिला रही थी..मामा आराम करने मेरे कमरे में चले गये...माँ अपना काम निपटा कर ड्रॉइंग रुममे गई..में बेठा टीवी देख रहाथा..माँ मेरे पास बेठ गई,मेने गाउन के उपर से ही चूत पर हाथ रख दिया,माँ ने मुस्कुराते कहा बेटे, मेरे भाई के लोड़ेने फाड़ दी..है में--तो?अपने बेटे के लोडे से थोड़ी मालिस करवाले..माँनहीं बेटा,आज तो आराम कर ले ने दे..मेरे दर्द को समजा कर..में- पर मेरा तो खड़ा हो रहा है.मेने लंड को बाहर निकाला देखो ये ये लार टपका रहा है..माँ ने मेरे खड़े लंड को देखा..माँ-ओह..मेरे लाल का तो हंमेशा तैयार ही रहता है...ठीक है में यहाँ सोफे पर लेट जाती हूँ तू खुद ही काम खतम कर ले..माँ..लेट गई में चुदाई करने लगा..जब चुदाई पूरी हुई तो देखा मामा पैर घसीट ते हमारे पास गये थे..और अपने लंड को बाहर निकाल कर सहला रहे थे...में चोंक गया..जल्दी से माँ के उपर से उतार गया..मामा हंसने लगे माँ से बोले-दीदी,आप का जवाब नहीं सचमे आप अपनी जवानी का सही इस्तेमाल कर रही है..माँहाँ,भैया मुझे मेरे बेटे की बहुत फ़िक्र रहती है ये अब जवान हो गया है.. अगर में इसे ये नहीं करने देती तो ये बाहर की रंडी यों के पास चला जाएगा और कहीं से कोई बिमारी ले आया तो जान से जाएगा...मामा- हाँ,दीदी.में भी ईसी डर से बाहर की रंडियों के पास नहीं जाता.मेरे कई दोस्त कहते तुझे मजा करवाते है पर नहीं..और आज मेरी तम्मना आपने पूरी कर दी..बेटे को देने के बाद आपके पास अभी भी थोडा प्यार बचा होतो आपके बेचारे भाई को दे दीजिए..माँ- झट से खड़ी हुई मामा को अपने सिनेसे लगा दिया..नहीं ऐसा नहीं कहते..तू बेचारा नहिहै मेरा भाई है..और मामा गाउन के उपर से ही माँ के आम का रस पिने लगे...माँपर भईया तेरा बहुत बड़ा है,मेरी चूत फाड़ देता है...अभी मेंठीक हुई हूँ..मामा-दीदी,मेतो आपको पूरा देने की सोच रहा था..माँ-खड़ी हुई मामा से कहा नही पूराऔर आधा भी आज नहीं ले पाउंगी...मामामें हिला देता हु..मेने माँ से कहा आप एक काम करिए नंगी हो जाइए माँ ने अपना गाउन निकाल दिया...मेमने मामा से कहा आप भी कपडे निकाल दे तो माँ मामा के कपडे निकाल ने लगी..मामा का गन्ना खड़ा था..मने मामा को कहा आप सोफे पर आराम से बेठ जाए...माँ आप मामा की गोदी में बेठ जाइए माँ पर ऐसे में नहीं ले सकूंगी..बहुत बड़ा है..मेने कहा आपको घुस्वाना नहीं है..सिर्फ लंड को अपने चुत्तड़ो बीच लेकर उसपर सवार होना है...फिर माँ ने अपने चुत्तड़ो के बीच मामा का लंड फसा लिया और पुरे 11 इंच के लोडे पर आराम से अपने चुत्तड़ो को घीसने लगी...लोडे का सुपाड़ा चूत के मुह पर रहता और पूरा लंड गांड को गर्मी देता...माँ मजा आरहा है बेटे...भाई तुझे केसा लगा रहाहै? मामा दीदी चुदाई जेसा ही मजा ले रहा हूँ...माँ सस्स...आह..करने लगी..चूत से मेरा और माँ का माल निकाल रहा था..लंड गिला हो गया था...दोनों मजा ले रहे थे..माँ और मामा आः..सस्स्स्स....आह..आह्ह...कर रहे थे..थोड़ीदेर बाद माँ ने स्पीड बढ़ा दी..मामा भी आह.......ओह्ह..करने लगे...और मामा के लोडे ने जोर से पिचकारी मारी....सोफे सामने रखी टेबल तक माल बिखर गया....और कुछ देर में दोनों शांत हो गये...मेरे मोबाइल पर चीका का कोल आया तो में बाते करने लगा..
चीका मुझ से मिलने को बेकरार था..में क्या करूँ कुछ समझ  में नहीं रहा था...मेंने उसे कल्मिलाने का वादा किया,शाम होने लगी थी..दादा-दादी घर पर गये थे..दादीने मुझे उपर बुलाया पूछा क्या हुआ दिन भर मेने सब बताया..और चीका वाली बात भी बताई...दादी ने कहा कोई बात नहीं मेने भी दो पुरुषो का सेक्स कभी देखा नहीं ...कुछ प्लानिंग करते है..मुझे तो तेरे बिच्चुमामा को भी आजमाना पड़ेगा..तेरी माँ बहुत तारीफ़ कर रही थी....रात को कुछ नहीं हुआ सब अपने-अपने कमरेमें सोगये..में और मामा भी सो गये...
दुसरे दिन सुबह पापा-दादा दूकान चले गये,माँ और बिच्छूमामा फिल्म देखने का प्रोग्राम बना रहे थे...मुझे साथ आने को कहा मेने मन कर दिया..दादी कभी फिल्म देखने नहीं जाती थी तो घर पर में और दादी रहे गये,मेने रिक्शा बुला दी माँ और मामा चले गये....दादी ने कहा की में चीका को घर पर ही बुला लूँ..तो मेने फोन किया और बाइक लेकर उसे घर ले आया..चीका ने रेड टी-शर्ट और टाईट जींस पहना था..इसकी वजह से उसके गोल चुत्तड लड़कियों तरह दिख रहे थे....घर पर आये मांजी टीवी देख रही थी..चीका थोडा चोंक गया मांजी को नमस्ते किया और हम मेरी रुम में चले गये...मेने चीका को बांहों में भर लिया और किस कने लगा वो भी लड़कियों की तरह मेरे होंठो को चूसने लगा...में उसके चुत्तड़ो को दबाने मसलने लगा...फिर चीका ने कहा यार मांजी ?? कुछ डाटेगी तो नहीं..में कहा कुछ नहीं होगा वो हमारे कमरे नहीं आएगी..में बाहर निकाला पानी की बोतल ली..मांजी मेरे पास आई बोली चाय-नास्ता कुछ बना दू..? मेने कहा अभी नहीं,वो मुस्कुराते बोली मुझे देखना है,मेने आंख मारी कहा दरवाजा खुला रखूंगा मौका देखकर आप एंट्री कर लीजिए गा...में कमरे में गया चूका पलंडग पर बेठा था..वो खड़ा हो गया..मेने पानी दिया..तो मुस्कुराते मेरे लंड को उपरसे पकड़ा और कहने लगा मुझे ये नहीं इसका पानी चाहिए..मेने कहा तो रोका किसने है..??उसने मेरा पेंट निकाल दिया आज मेने उन्दर कुछ नहीं पाना था..तो उसके हाथा में मेरा लंड आगया वो सहलाने-दबाने लगा..मुझे लेट जाने को कहा में भी उसको नंगा कर दिया..क्या? मस्त बदन था..गोरा-गोरा चिकना में उसे बाहों में भरता तो मेरा हाथ फिसल जाता..में लेट गया उसने मेरे चुत्तड़ो के निचे तकिया रखा दिया और जाँघो प् चूमने लगा..में उसका मजा ले रहा था..धीरे-धीरे वो लंड को चूमने लगा फिर आहिस्ता से लंड को मुंह में भर लिया...चूसने लगा,कभी नीचे अंडो को भी जीभ से सहला ता,गोत्यों को मुह में भर कर चूसदेता..में आह कर जाता.मेरे मुह से आह्ह....निकाल गया, उसने कुछ एसा किया जिसकी मुझे उम्मीद नहीं थी..उसने मेरी गांड में जीभ घुसा दी और अंदर-बाहर करने लगा..में आह..आह...करने लगा..फिर वो लंड पर आगया और चूसने लगा..मेने उसे कहा बस कर अब गांड में पेलने दे..वो घोड़ी बन गया,में उसकी गांड को देखने लगा गोर-गोर चिकने गोलमटोल चुत्तड़ो के बीच उसकी भूरे रंग की छोटीसी गांड.. उसने कहा पहली बार है यार जरा प्यार से ओपनिंग करना..मेने गांड के छेद पर थूंक लगाया और ऊँगली फेरने लगा...और ठुक डाल कर ऊँगली अंदर दबाई..तो आधी ऊँगली घुस गई...




वो ..आह...कर गया..कुछ देर तक ऊँगली से ही उसकी गांड चोदता रहा...उसका मुह खिड़की की और था,वो मस्त हो कर आह्ह..आह...कर रहा था..मांजी दरवाजे से देख रही थी..फीर मेने लंड को गांड पर रखदिया और सुपादा उसके छेड़ पर घुमाने लगा..थूंक लगा कर जोर दिया पर लंड फिसल गया...चीका लेटे हुआ था,बोला यार थोडा रहम करना पहली बार है..मेने फिर से ट्राय किया लेकिन कोई फायदा नहीं...दरवाजे की और देखा मांजी ने मुस्कुराते मुझे तेल की बोतल दिखाई...में चीका को छोड़ कर तेल ले आया चीका ऐसे ही लेट रहा था,मांजी ने अंदर आने का ईशारा किया मेने मना कर दिया...फिर गांड पर तेल लगाया और ऊँगली से अंदर मालिस करने लगा..चीका आह्ह..आह्ह...कर रहा था..बोला यार बड़ी ह्कुजली हो रही है प्लीज लंड से काम करोना....मेने अपने लंड पर तेल लगाया और सुपाड़ा गांड पर रख कर दबा दिया.....चीका चिल्ला उठा....मम्मी.....मर गया....और सुपाड़ा गांडके छेड़ को चीरता हुआ अंदर चला गया...में रुक गया...और फिर तेल लगा कर आधा लंड पेल दिया...चीका ....माँ...आह.......गया....में उसके पुरे बदन को सहलाने लगा..ख़ास करके उसके चुत्तड़ो को दबाने लगा..कुछ देर बाद वो खुद ही अपने चुत्तड़ो को पीछे धकेल ने लगा,गांड से लंड पर दबाव डालने लगा और उसकी गांड पूरा लंड निगल गई....में धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा.....वो मजे से अपनी गांड मरवा रहा था...सस्स....स्स...आह..आह....रने लगा...मांजी दरवाजे से देख रही थी...वो अचानक अंदर आगई...मेने एक जहतके से लंड निकाल दिया...चीका भी उनको देखा कर अपने नंगे बदन पर चद्दर लपेटने लगा...मांजी ने कहा तुम क्या कर रहे थे,मेने कहा कुछ नहीं हम खेल रहे थे...मांजी क्या खेल रहे थे..वो भी ननगे हो कर...चीका -कुछ नहीं मांजी... मेने सीधा बोल दिया मांजी में चीका की गांड मार रहा था...मांजी केसे..?? मने चीका के बद्नसे चद्दर हटाई और उसे उल्टा किया उसकी गांड में लंड डालने लगा..बोला ऐसे ....चीका डरा हुआ था..मांजी हंसने लगी क्यों की लंड घुस नही पा रहा था...मांजी नजदीक आई चीका के चुत्तड़ो पर हाथ फेरने लगी चीका की गांड देखते हुए बोली कितनी छोटी है...और अपनी ऊँगली पर ठुक लगा कर चीका की गांड में डाल दी ..चीका आह कर गया...फिर मांजी ने मेरे लंड पर तेल लगाया और चीका की गांड पर दबाया....लंड फिसलता हुआ अंदर चला गया..और में अपना काम करने लगा...चीका भी मदहोश हो कर अपनी फद्वाने लगा..मांजी लंड को गांड में अंदर-बाहर होते देखने लगी...और अपनी साडी में हाथा डाल कर चूत में ऊँगली करने लगी.. मेने चीका की गांड से लंड निकाल दिया...चीका खड़ा हो गया बोला क्या हुआ...मेने कहा...मांजी की चूत देखनी है..?चीका हाँ,मांजी चीका का और मेरा लंड देख रही थी.अपनी नज़रों से तोल रहीथी...वेसे चीका लंड भी खड़ा हुआ था..पर वो मुझसे छोटा था..करीब 5”.इंच का था...लेकिन था एकदम गोरा...माजी ने झट से उसे पकड़ लिया और दबाने लगी उसका सुपाड़ा चमड़ी से बाहर निकाला साला कितना मस्त था..लाल..गोल..थोडा नुकीला..मांजी ने मुहं में भर लिया और चूसने लगी..चीका देखता ही रहा गया....फिर मेने मांजी को बोला आप पलंडग पर लेट जाए....वो लेट गई...मेने गांड के निचे तकिया रख दिया..उनके माथे के निचे भी तकिया लगा दिया..अभी भी वो कपडे पहने हुए थी...मेने चीका को उनके उपर घोड़ी बना दिया..अब चीका का लंड उनके मुह के पास था..और चीका की गांड उपर थी..में तेल लगा कर गांड मारने लगा मांजी उसके लंड को चूसने लगी...चीका की तो लोटरी लग गई...वो मजे कर रहा था...उसने मांजी की साडी को ऊपर खीचना शुरू किया..चूत तक चढ़ा दी वो हक्का-बक्का रह गया मांजी ने शायद आज ही सेव किया था..चूत के फांकों को चाटने लगा....दोनों 69 पोज में थे में खड़ा चीका की गांड बजा रहा था...मजा आगया....सबने एक साथ काम ख़त्म किया..हमने कपडे पहने मांजी ने चाय बनाई..सब चाय पीने लगे बातें करने लगे चीका ने कहा मांजी में आप का पिछवाड़ा देखना चाहता हूँ मांजी ने मन कर दिया कहा फिर कभी..लेकिन चीका जिद करने लगा तो मांजी ने साडी उठाकर झलक दिखलादी..चीकाने कहा मांजी एक रिक्वेस्ट है कभी मेरे छोटे लंड को आपकी गांड जरूर दीजिएगा... सिर्फ एकबार...मांजी कहा अभी तू निकाल जा...बाद में जरुर कुछ सोचूंगी..चीका ने मांजी के चुत्तड़ो पर हाथ फेर दिया मांजी ने भी उसके चुत्तड पर जोर से थपाक लगा दिया दोनों हसने लगे...में चीका को लेकर निकाल गया...



 समाप्त










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