Sunday, August 31, 2014

FUN-MAZA-MASTI पुजारी हवस का --10

FUN-MAZA-MASTI

 पुजारी हवस का --10
 अचानक मैं और ऋतू थोड़ी और आगे चल दिए, पहाड़ी इलाका होने की वजह से काफी घनी झाड़ियाँ थी थोड़ी उचाई पर, ऋतू ने कहा की चलो वहां चलते हैं, हम २० मिनट की चढाई के बाद वहां पहुंचे और एक बड़ी सी चट्टान पर पहुँच कर बैठ गए, चट्टान के दूसरी तरफ गहरी खायी थी, वहां का प्राकर्तिक नजारा देखकर मैं मंत्रमुग्ध सा हो गया और अपने साथ लाये डिजिकैम से हसीं वादियों के फोटो लेने लगा.

"जरा इस नज़ारे की भी फोटो ले लो" मेरे पीछे से ऋतू की मीठी आवाज आई

मैंने पीछे मुड कर देखा तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गयी .....ऋतू उस बड़ी सी चट्टान पर नंगी लेटी थी.

...उसने अपनी एक ऊँगली अपनी चूत में डाली और अपना रस खुद ही चूसते हुए मुझे फिर बोली "कैसा लगा ये नजारा....?"

"ये क्या पागलपन है ऋतू, कोई आ जाएगा, यहाँ ये सब करना ठीक नहीं है...." पर मेरा लैंड ये सब तर्क नहीं मान रहा था, वो तो अंगड़ाई लेकर चल दिया अपने पुरे साइज़ में आने के लिए.

ऋतू : "कोई नहीं आएगा यहाँ...हम काफी ऊपर हैं अगर कोई आएगा भी तो दूर से आता हुआ दिख जाएगा...और अगर आ भी गया तो उन्हें कोनसा मालुम चलेगा की हम दोनों मॉं बेटे है, मुझे हमेशा से ये इच्छा थी की मैं खुले में सेक्स के मजे लूं, आज मौका भी है और दस्तूर भी"

मैंने उसकी बाते ध्यान से सुनी, अब मेरे ना कहने का कोई सवाल ही नहीं था, मैंने बिजली की तेजी से अपने कपडे उतारे और नंगा हो गया, मेरा खड़ा हुआ लंड देखकर उसकी नजर काफी खुन्कार हो गयी और उसकी जीभ लपलपाने लगी मेरा लंड अपने मुंह में लेने के लिए..

मैंने अपना कैमरा उठाया और उसकी तरफ देखा, वो समझ गयी और उसने चट्टान पर लेटे-२ एक सेक्सी पोस लिया और मैंने उसकी फोटो खींच ली, बड़ी सेक्सी तस्वीर आई थी, फिर उसने अपनी टाँगे चोडी करी और अपनी उँगलियों से अपनी चूत के कपाट खोले, मैंने झट से उसका वो पोस कैमरे में कैद कर लिया, फिर तो तरह-२ से उसने तस्वीरे खिंचवाई. उसकी रस टपकाती चूत से साफ़ पता चल रहा था की वो अब काफी उत्तेजित हो चुकी थी, मेरा लंड भी अब दर्द कर रहा था, मैं आगे बड़ा और अपना लम्बा बम्बू उसके मुंह में ठूस दिया....

ते हुए मेरे लंड को किसी भूखी कुतिया की तरह लपका और काट खाया.

उस ठंडी चट्टान पर मैंने अपने हिप्स टिका दिए और वो अपने चूचो के बल मेरे पीछे से होती हुई मेरे लंड को चूस रही थी, मैंने अपना हाथ पीछे करके उसकी गांड में एक ऊँगली दाल दी....
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आआआआआआआअह्ह्ह.म्म्म्मम्म्म्मम्म .उसने रसीली आवाज निकाली, ठंडी हवा के झोंको ने माहोल को और हसीं बना दिया था. मुझे भी इस खुले आसमान के नीचे नंगे खड़े होकर अपना लंड चुस्वाने में मजा आ रहा था.

ऋतू काफी तेजी से मेरे लंड को चूस रही थी, चुसे भी क्यों न, आज उसकी एक सेक्रेट फंतासी जो पूरी हो रही थी.

साआआआआले भेन्चोद.....हरामी कुत्ते.....अपनी मॉं को तुने अपने लम्बे लंड का दीवाना बना दिया है....मादरचोद...जी करता है तेरे लंड को खा जाऊं ....आज में तेरा सारा रस पी जाउंगी...साले गांडू...जब से तुने मेरी गांड मारी है, उसमे खुजली हो रही है....भेन के लोडे...आज फिर से मेरी गांड मार...."

मैंने उसे गुडिया की तरह उठाया और अपना लंड उसकी दहकती हुई भट्टी जैसी गांड में पेल दिया.....

आआआआय्य्य्यीईई .......आआआआअह्ह्ह ..........

उसकी चीख पूरी वादियों में गूँज गयी, मैंने उसे चुप करने के लिए अपने होंठ उसके मुंह से चिपका दिए.

आज मुझे भी गाली देने और सुनने में काफी मजा आ रहा था, आज तक ज्यादातर हमने चुपचाप सेक्स किया था, घरवालों को आवाज न सुनाई दे जाए इस डर से, पर यहाँ ऐसी कोई परेशानी नहीं थी इसलिए हम दोनों काफी जोर से सिस्कारियां भी ले रहे थे और एक दुसरे को गन्दी-२ गालियाँ भी दे रहे थे.



ले साली कुतिया...हरामजादी...मेरे लंड से चुदवाने के बाद अब तेरी नजर मेरे दोस्तों के मोटे लंड पर है....मैं सब जानता हूँ...तू अपनी रसीली चूत में अब मेरे दोस्तों का लंड लेना चाहती है...छिनाल.....और उसके बाद तू उनसे भी चुदवायेगी...है ना..... ...बोल रंडी..."

"हाँ हाँ.....चुद्वुंगी तेरे दोस्तों के मोटे लंड से ...साले कुत्ते.....तू भी तो अपनी माँ की चूचियां चुसना चाहता है और अपने मुंह से उनकी चूत चाटना चाहता है ......साला भडवा...अपनी बहन को पूरी दुनिया से चुदवाने की बात करता है...तू मेरे लिए लंड का इंतजाम करता जा और मैं चुदवा-२ कर तेरे लिए पैसो का अम्बार लगा दूंगी..."

ये सब बातें हमारे मुंह से कैसे निकल रही थी हमें भी मालुम नहीं था, पर ये जर्रूर मालूम था की इन सबसे चुदाई का मजा दुगुना हो गया था.

मैं तो अपने सभी पाठको को ये सलाह दूंगा की वो भी चुदाई के समय अपने साथी को गन्दी-२ गालियाँ दे, उन्हें अपनी चूत और जोर से मारने या लंड को और अन्दर लेने के लिए भड़काए, फिर देखना, चुदाई कैसी मजेदार होती है...

खेर, मेरा लंड अब किसी रेल इंजीन की तरह उसकी कसावदार गांड को खोलने में लगा हुआ था, उसका एक हाथ अपनी चूत मसल रहा था, मेरे दोनों हाथ उसके गोल चूचो पर थे और मैं ऋतू के निप्प्ल्स पर अपने अंगूठे और ऊँगली का दबाव बनाये उन्हें पूरी तरह दबा रहा था.

उसके चुतड हवा में लटके हुए थे और पीठ कठोर चट्टान पर, मैं जमीन पर खड़ा उसकी टांगो को पकडे धक्के लगा रहा था.

"ले चुद साली...बड़ा शोंक है ना खुले में चुदने का..आज अपनी गांड में मेरा लंड ले और मजे कर कुतिया..." मैंने हाँफते हुए कहा.

"मेरा बस चले तो मैं पूरी जिंदगी तेरे लंड को अपनी चूत या गांड में लिए पड़ी रहूँ इन पहाड़ियों पर...चोद साले...मार मेरी गांड...फाड़ दे अपनी मॉं की गांड आज अपने मुसल जैसे लोडे से....मार कुत्ते.....भेन के लोडे.....चोद मेरी गांड को...आआआआआआआआअह्ह्ह्ह .. हयीईईईईईईईई .......आआआआआआआअह्ह्ह्ह.......

और उसकी चूत में से रस की धार बह निकली....उसका रस बह कर मेरे लंड को गीला कर रहा था, उसके गीलेपन से और चिकनाहट आ गयी और मैंने भी अपनी स्पीड तेज कर दी.....

ले छिनाल......आआआआआआआआह......ले मेरा रस अपनी मोटी गांड में.......आआआआआआह्ह्ह......हुन्न्न्नन्न्न्न आआआआआआ,,,,...

मेरे मुंह से अजीब तरह की हुंकार निकल रही थी..

मेरा लंड उसकी गांड में काफी देर तक होली खेलता रहा और फिर मैं उसकी छातियों पर अपना सर टिका कर हांफने लगा.

उसने मेरे सर पर अपना हाथ रखा और होले-२ मुझे सहलाने लगी....

मेरा लंड फिसल कर बाहर आ गया.

मैंने नीचे देखा तो उसकी गांड में से मेरा रस बहकर चट्टान पर गिर रहा था....उसकी चूत में से भी काफी पानी निकला था, ऐसा लग रहा था की वहां किसी ने एक कप पानी डाला हो...इतनी गीली जगह हो गयी थी.

ऋतू उठी और मेरे लंड को चूस कर साफ़ कर दिया, फिर अपनी गांड से बह रहे मेरे रस को इकठ्ठा किया और उसे भी चाट गयी....मेरी हैरानी की सीमा न रही जब उसने वहां चट्टान पर गिरे मेरे वीर्य पर भी अपनी जीभ रख दी और उसे भी चाटने लगी..और बोली "ये तो मेरा टोनिक है.." और मुझे एक आँख मार दी.

उसे चट्टान से रस चाटते देखकर मेरे मुंह से अनायास ही निकला " साली कुतिया..." और हम दोनों की हंसी निकल गयी.

फिर हम दोनों ने जल्दी से अपने कपडे पहने और नीचे की तरफ चल दिए.रचना भी हमें रस्ते में आते मिल गयी और वो भी हमारे साथ हो गयी। आज मेरा सपना पूरा हो चूका था जो में देखा करता था अपनी मॉम और बहन की एक साथ चुदाई का।

 ब मेरे लिए तो घर में मजे ही मजे थे ,एक और रचना और एक और मॉम,लेकिन मुश्किल ये थी की मॉम और रचना अभी भी साथ साथ चुदवाने या एक दूसरे के सामने नंगी होने में भी कतरा थी। अब में चाहता था की घर में भी ये दोनों एक दूसरे के सामने खुल जाये। में इसके लिए कोशिश जारी किये हुए था। अब में चाहता था की मॉम मुझसे खुल कर सेक्स या अपने बारे में बाते करे। एक दिन जब रचना स्कूल गयी हुई थी ,मेने मॉम को पकड़ लिया और उन्हें चूमने लगा। चूमते चूमते मेने मॉम से कहा की मॉम अपने डैड के अलावा किसी और के साथ भी चुदाई की हे. क्या ,,मॉम ने चोंक कर कहा तू पागल हो गया क्या जो ऎसे उलटे सीधे सवाल करता रहता हे। मेने मॉम से कहा प्लीज मॉम बताओ न।
मॉम ने मेरी ज़िद के आगे झुकते हुए कहा की शादी के बाद तेरे डैड ने मुझे चुदवाया था ,मेने चौंकते हुए कहा डैड ने ही ,कैसे मॉम पूरी बात बताओ न. मॉम ने कहा हमारी शादी को करीब डेढ़ साल हो गया था। जैसे कि हर शादीशुदा जोड़े का होता है, शादी के पहले साल में सेक्स के अलावा कुछ भी नहीं सूझता, तेरे डैड को और मुझे भी। जब भी मौका मिलता, हम लोग चुदाई में लग जाते थे। सेक्स के लिए वक़्त की भी कोई पाबन्दी नहीं थी, जब भी उनका मूड होता था, वो शुरू हो जाते थे। कई बार छुट्टी के दिन तो वो मुझे अन्दर कुछ भी पहनने को भी मना करते थे, ताकि चुदाई करने में कोई वक़्त न डालना पड़े।

कभी कभी वो ब्लू फिल्म की सीडी लाते थे, वो देखने के बाद चुदाई और भी जोर से होती थी। शादी से पहले मुझे सेक्स के बारे में इतना कुछ पता नहीं था , लेकिन रात में चुदाई के वक़्त उसके बारे में सोचा तो बड़ा मज़ा आता था।

एक साल की ऐसी मस्त सेक्सी जिंदगी के बाद, सब रोजमर्रा जैसा काम सा लगने लगा था। मुझे सेक्स में इतना मज़ा नहीं आ रहा था। हाँ, चुदाई होती थी लेकिन उनका मन रखने के लिए। जब भी वो मूड में होते थे, मैं न नहीं कहती थी, टाँगें फैला कर लेट जाती थी और वो लग जाते थे।

थोड़े दिनों के बाद जब मेरा मूड नहीं होता था तब मैं कभी कभी मना भी करती थी। कभी कभी वो मान जाते थे। वो भी तरह तरह से मुझे गर्म करने की कोशिश करते थे। कभी गर्म होती थी कभी नहीं। कभी कभी चुदाई के वक़्त वो अपने दोस्तों के बारे में, उनकी बीबियों के बारे में बातें करते थे। पहले तो मुझे उन पर बहुत गुस्सा आता था। लेकिन बाद में सोचा कि अगर उनको ऐसी बातों से मज़ा आता हैं तो क्यों नहीं।

उन्हीं दिनों हम लोगो ने एक अंग्रेज़ी मूवी देखी। नाम तो याद नहीं लेकिन उसमें भी मिंया-बीबी होते हैं जिनकी कल्पनाओं की एक सूचि होती हैं और वो एक-एक कल्पना पूरी करते जाते हैं।उन्होंने मुझसे कहा की में उनके किसी दोस्त के बारे में एसे ही कोई कल्पना करू ।

उस पहले तो मुझे यह कुछ अजीब सा लगा लेकिन उनके बार-बार कहने पर मैं मान गई क्योंकि जब मैं भी गर्म मूड में होती हूँ तब ऐसी सब बातें अच्छी लगती हैं।
उन्होंने पूछा- तुम्हारी काल्पनिक लालसाएँ क्या हैं?
लेकिन मैं कुछ भी नहीं बोली। उन्होंने बड़ी कोशिश की लेकिन मैंने कुछ भी नहीं बताया। कई बार पूछने के बाद भी मेरे न बोलने से उन्होंने पूछना छोड़ दिया।
अगली बार जब हम लोग चोदने के बारे में सोच रहे थे तब उन्होंने अपना लण्ड मेरे हाथ में थमाया और कहने लगे- तुम्हें कैसा लगेगा अगर कोई बड़ा मोटा काला लंड तुम्हारे हाथ में हो?
मुझे उनका ऐसा कहना कुछ अजीब सा लगा। कुछ गुस्सा भी आया, सोचा कि यह कैसा मर्द हैं जो दूसरे किसी का लंड अपनी बीबी के हाथ में देने की बात कर रहा है। लेकिन मन ही मन में उस बारे में सोच कर अच्छा भी लगा लेकिन मैंने कुछ भी नहीं बताया।
वो बोलने लगे- तुम्हें इतना सोचने की जरुरत नहीं है। देखो, मैं चाहता हूँ कि मैं दूसरी किसी औरत को चोदूँ। मुझे मेरे बहुत सारे दोस्तों की बीवियाँ अच्छी लगती हैं। और भी पड़ोस वाली बहुत सारी औरतें हैं जिन्हें चोदने की मेरी इच्छा हैं। तो फिर अगर तुमको लगता है कि किसी और से चुदवा लूँ तो उसमे गलत क्या है?
वो जो कह रहे थे ठीक था। लेकिन असल में ऐसा कुछ करना मुझे ठीक नहीं लगता था।
मैंने कहा- तुम्हें जो लगता है, वो लगने दो लेकिन मुझे उसमें कोई रुचि नहीं है।
बात यही पर नहीं रुकी।अगली बार से जब भी मौका मिलता, वो इस बात का जिक्र करते और मैं मना करती। उनको लगता कि मैं थोड़ी खुल जाऊँ। शायद मुझे किसी और से चोदने के ख्याल से उन्हें बड़ा मज़ा आता था। या शायद, अगर मैं किसी और से चुदवाने के लिए तैयार हो गई तो उनको किसी और औरत को चोदने का मौका मिल जायेगा। शायद वो मुझे अपराधी महसूस करवाना चाहते थे पता नहीं।
ऐसे ही बहुत बातों के बाद आखिर में मैं इस बात के लिए मान गई कि मैं कुछ अंग-प्रदर्शन करूँ जब जब मौका मिले और वो भी दूसरी औरतो के बारे में गन्दी बाते करें। अगर मुझे लगा तो मैं भी दूसरे मर्दों के बारे में बोलूँ या दूसरों के बारे में हम लोग बेझिझक बातें करें, दोनों के बीच में कोई बंधन न रहे। संक्षेप में हम एक दूसरे के सामने बेशर्म हो कर बातें करें।
जब कभी हम लोग बाहर घूमने जाते, मैं थोड़ा मेकअप करती, इनके कहने पर मैंने दो तीन गहरे गले के ब्लाऊज़ भी सिला लिए थे। कभी कोई शादी या ऐसी कोई उत्सव में जाते वक़्त मैं भी गहरे गले के ब्लाऊज़ पहनने लगी। मुझे भी मज़ा आने लगा था। अगर कोई मेरी तरफ देखे तो मुझे भी अच्छा लगने लगा था।
शायद तेरे डैड भी इस ख्याल से गर्म होते थे उस रात जब चुदाई होती थी, तब वो बोलता- वो आदमी कैसे घूर कर तुम्हारी तरफ देख रहा था। शायद तुम्हें याद करके अब मुठ मार रहा होगा।
मुझे भी ऐसी बातें अच्छी लगने लगी। मैं भी बोलती- हाँ ! मुझे भी ऐसा ही लगता है। अगर वो वाला आदमी मिल जाये तो उससे मस्त चुदवा लेती ! वो मुझे मस्त चोदता ......!
तेरे डैड की हालत देखने लायक होती थी। शायद वो डर जाता था कि कहीं मैं सच में तो किसी से चुदवा तो नहीं रही? वो लाख छुपाना चाहे लेकिन उसके चेहरे पर साफ़ दिखाई देता था। लेकिन फिर कभी वो दूसरे मर्द के बारे में बात करने लगे तो मैं एकदम गुस्सा हो जाती थी। उसे भी समझ में नहीं आता कि यह अचानक फिर क्या हो गया? लेकिन तब उसके चेहरे के ऊपर की चिंता गायब दिखाती थी।
मैं भी मन ही मन में किसी और से चुदवाने के बारे में सोचने लगी थी। कोई हट्टा-कट्टा मर्द दिखाई दे तो लगता था- काश यह मुझे मिले और मैं इसके साथ मस्त चुदाई करूँ।
कभी कभी इसी ख्याल में मेरी चूत गीली हो जाती थी ।
जिस गली के मकान में हम रहते थे उस मकान के निचे 1 दुकान थी,हमारे मकान मालिक ने उस दुकान को किराये पर दे दिया ।मुझे पता चला की उसका नाम असलम हे और वो उस दुकान में बेटरी का काम करता हे।असलम 30 साल का हत्ता कट्टा नोजवान था और वो हमेशा अपने काम में ही लगा रहता था,में जब भी तेरे डैड के साथ बहार जाती तो एक नजर उसकी दुकान पर डाल लेती।।उसकी नजरे हमसे मिल जाती तो वो आंखे झुका कर हमसे नमस्कार कर लेता जवाब में हम भी नमस्कार कर देते ।
हमारे मकान की 1 खिड़की गली में खुलती थी 1 दिन जब में दिन में खिड़की से बहार गली में देख रही थी ,अचानक मेने देखा असलम गली में आया और अपने पेंट की जिप खोलकर अपने लंड को बहार निकला और पेशाब करने लगा।।उसका धयान नही था की में उप्पर खिड़की में से उसको देख रही हु।।मेरी तो उसके लंड को देखते ही साँस उप्पर के उप्पर ही रह गयी,काला मोटा 9 इंच लम्बा सांप की तरह फेन फ़नाता लोड़ा देख मेरी चूत तो गीली हो गयी।।मन तो असा हुआ की अभी उप्पर से ही गली में कूद जाऊ और असलम के लोडे को पकड़ कर अपनीचूत में डाल लू,पर पर में मन मसोस कर रह गयी।अब तो मेरा रोज का ही काम हो गया की में अपने काम काज निबटा कर खिड़की के पास बेठ जाती और असलम के पेशाब करने के लिए आने का इंतजार करती रहती।।असलम दिन में 2-3 बार पेशाब करने आता और में उसके लोडे को देख देख कर गरम हो जाती ।अब तो रात को भी जब अनिल चुदाई करते तो में असलम की कल्पना करती,असलम के लोडे का ख्याल करते ही में गरम हो जाती अनिल समझते की उन्होंने मुझे गरम कर दिया,और वो अपनी मर्दानगी पर बहुत खुश होते लेकिन सच बात तो ये थी की अनिल की चुदाई में अब मुझे बिलकुल भी मजा नही आता था और में प्यासी की प्यासी रह जाती थी।
मेरी समझ नही आ रहा था की में असलम को चोदने के लिए केसे तेयार करु ,लेकिन अक दिन जेसे भगवान ने मेरी सुन ली।।में खिड़की से असलम को पेशाब करते देख रही थी की असलम ने एकदम अपनी निगाहे उप्पर उठा दी,उप्पर में असलम को देख रही थी की मेरी निगाहे भी असलम से टकरा गयी,असलम एकदम हक्का बक्का रह गया उसका लोडा उसके हाथ से छुट गया और हवा में झूलने लगा ।थोड़ी देर माँ असलम को जेसे होश आया हो उसने अपना लोडा पेंट के अन्दर किया और जल्दी से अपनी दुकान की और चला गया ।
अब जेसे असलम को भी एहसास हुआ की कोई जवान ओरत ने उसके लोडे को देख लिया हे ,वो जब भी पेशाब करने आता .बड़ी देर तक अपने लोडे को हिलाता रहता .में भी मस्त होकर उसके लोडे को देखती रहती।अब तो में मोके का इंतजार देखने लगी की कब असलम का लोडा मेरी चूत की प्यास बुझाए ।
हुआ यूँ कि -1 दिन अनिल को कहीबहार जाना पड़ा और में घर पर अकेली थी।में तुरंत तेयार हो कर खिड़की के पास खड़ी हो गयी ,जेसे ही असलम पेशाब करने आया मेने उसकी और आँख मरी और उसे उप्पर आने का इशारा किया ,जेसे ही असलम उप्पर आयाअगले पल मैं उसकी बाहों में थी। उसने मुझे जोर से कस लिया और बेसब्री से मुझे चूमने लगा। मेरी भी हालत कुछ अलग नहीं थी। मैं भी सालों की प्यासी की तरह उसका साथ देने लगी थी। एक पराये मर्द की बाहों में होने का अनुभव कुछ और ही था।
उसने कहा- भाभी, तुम बहुत सुंदर हो। कब से बस अपने दिल की बात दिल में रख कर घूम रहा था। बहुत दिल करता था कि आपसे आकर दोस्ती की बात करूँ लेकिन हिम्मत ही नहीं होती थी। मेरी नज़र में तुम बहुत ही खूबसूरत और सेक्सी औरत हो और मैं हमेशा तुम्हारे पति को बहुत ही खुशनसीब समझता हूँ जिसे तुम्हारे जैसे औरत मिली है।
यह सुनकर मैं बहुत खुश हुई। पता था यह मुझे मक्खन लगा रहा है, मैंने भी कहा- जबसे तुम यहाँ आए हो, तबसे तुम्हारे बारे में सोच रही थी। मैं भी चाहती थी कि तुम्हारे जैसा कोई तगड़ा जवान मिले जो मेरी सारी इच्छायें पूरी करे !
उसने मेरे बालों में हाथ फेरना शुरु किया और उसके कान पर मैंने प्यार से अपनी जीभ फेर दी। मैं भी अब काफ़ी गर्म हो चुकी थी। मैंने उसकी कमीज़ में हाथ दे दिया और उसके शरीर को ज़ोर से अपने हाथों से पकड़ लिया। उसने धीरे धीरे मेरे गाउन में हाथ डाला और अपना चेहरा गाउन के ऊपर रख दिया।
मैंने कहा - ज़रा आराम से काम लो ! यह सब तुम्हें ही मिलेगा !
उसने मेरा गाउन उतार दिया और मैंने उसकीपेंट और कमीज़ भी निकाल दी। वह मुझे उठा कर अन्दर ले गया, बिस्तर पर लिटा दिया, मेरी ब्रा निकाल दी और मेरे चूचे चूसने लगा। मैं भी अब उसका पूरा देने लगी थी, मैंने उसके लण्ड को हाथ में पकड़ा, ज़ोर से दबा दिया और हिलाने लगी।
असलम बोला- इतनी ज़ोर से हिलाओगी तो सब पूरा पानी अभी निकल जायेगा !
उसने मेरे स्तन चूसते-चूसते अपने हाथ से मेरी पैन्टी निकाल दी और हाथ मेरी चूत पर फेरना शुरू कर दिया।
मैंने उसका अंडरवीयर निकाल दिया और उसके लण्ड को प्यार से सहलाने लगी। उसने मेरे चूचों से अपना मुँह हटाया और मेरी नाभि को चाटना शुरू किया। मैं और कुछ ज्यादा ही गर्म हो गई थी। फिर उसने धीरे धीरे अपना मुँह मेरी चूत पर रख दिया और चाटने लगा। मेरी सिसकी निकल गई और मैंने अपनी टाँगें फैला दी जिससे वो मेरी चूत को अच्छी तरह से चाट सके।
थोड़ी देर में मैंने भी उसके लंड को पकड़ लिया और जोर जोर से चूसने लगी। अपने पति का लंड चूसते समय बहुत बार मैं कतराती थी लेकिन अब क्या हुआ था पता नहीं, मेरी पूरी लाज शर्म कहीं खो गई थी। मैं लॉलीपोप की तरह उसका लंड मज़े लेकर चूसती जा रही थी। वो इतना मोटा और गर्म था कि लगता था किसी भी वक़्त पानी छोड़ देगा।
वो जोर जोर से सिसकारियाँ ले रहा था, बोला- अब से यह तुम्हारा है, इसका जो भी और जैसे भी इस्तेमाल करना है तुम कर सकती हो। मेरी बरसों की आग को तुम ही बुझा सकती हो।
उसने अब अपना लण्ड मेरे मुँह के और अन्दर धकेल दिया मैं और जोर जोर से चाटने लगी। वो एक बार फिर से मेरी की चूत चाटने लगा और अपने जीभ मेरी चूत में और भी जल्दी जल्दी और अन्दर-अन्दर डालने लगा।
मैंने उसका लण्ड मुँह से बाहर निकाला और बोली- अब मुझसे नहीं रहा जाता, अब डाल दो इसे मेरे अंदर और मेरी प्यास बुझा दो। मुझे शांत कर दो मेरे यार ! मेरे ख्यालों के राजा ! मेरा पति भी मुझे तेरे जैसे ही हट्टे कटते जवान से चुदवाना चाहता था ! चोद डालो मेरे राजा !
उसने मुझे ठीक तरह से नीचे लिटाया, मेरी टाँगें फैलाई, अपने लण्ड का सुपारा मेरी चूत पर रखा और एक धक्के में अपना काला मोटा लंड मेरी चूत में आधा घुसा दिया। काफी बड़ा था। मेरी तो जैसे चीख सी निकल गई, मैं बोली- ज़रा धीरे धीरे मेरे राजा ! इसका मज़ा लेना है तो धीरे धीरे इसे अंदर डालो और फिर जब पूरा चला जाए फिर ज़ोर ज़ोर से इसे अंदर बाहर करो !
उसने अपना लंड धीरे-धीरे मेरी चूत में डाला और फ़िर एक ज़ोर से धक्का पेल दिया और उसका पूरा मोटा लंड मेरी चूत में चला गया।
वो बोला- आह आह उउई ऊफफफ्फ़ हमम्म्म आआ ! क्या मस्त चूत है तेरी ! मेरी रानी ! एकदम रबर की तरह मेरे लंड पर चिपक गई है ! बहुत खुजली हो रही थी ना इसलिए झुक-झुक कर लोडा देखा करती थी? कैसा लग रहा है? ले काला मोटा लण्ड? अब से जब भी चुदती होगी तब मुझे याद कर लेना, अपने आप गर्म हो जाएगी तेरी यह मस्त चूत ! लगता है कि फाड़ डालूँ तेरी यह मस्त चूत.....
मैं बोली- यह चूत तुम्हारी है, फाड़ दो इसे ! आअहह ऊऊऊऊओ आआहह ज़ोर से और ज़ोर से !
उसने अपनी गति बढ़ा दी और ज़ोर-ज़ोर से मेरी चूत पर वार करने लगा। उसने मेरे चुचूक मुँह में लिए और अपनी गति और भी बढ़ा दी। लगभग दस मिनट के बाद हम दोनों की आह निकली और हम दोनों झड़ गये। मैंने उसे जोर से चूम लिया और हम लोग बाथरूम में साफ होने के लिए चले गये। थोड़ी देर में असलम और मैंने फिर से चूमना शुरू किया और इस बार मैंने पहले उसका लण्ड अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू किया।
वो पांच मिनट बाद में फिर से तैयार हो गया चुदाई करने के लिए।
उसने इस बार मुझे उल्टा लिटा दिया और मेरे बूब्स को पीछे से पकड़ कर अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दिया। चोदते समय वो मेरी गांड के ऊपर भी छोटे बड़े चांटे लगा रहा था। क्या बताऊँ कितना मज़ा आ रहा था। इस अवस्था में लंड सीधा चूत में घुस जाता है औवो बोल रहा था- कितनी मस्त है तेरी गांड, लगता है कच्चे आम की तरह उसे चबा डालूँ !
और अपनी उंगलियाँ मेरी गांड पर दबाने लगा। उसकी इस हरकत से मेरी चीख निकल गई, मैं बोली- आहह उउफफफफ्फ़ अफ ऊहह आआ ऊ हह आअहह बहुत दर्द हो रहा है, ऐसे लगता है कि तुमने अपना लंड सीधा मेरे पेट में ही घुसा दिया है। ज़रा धीरे धीरे करो ना ! आहह बहुत मज़ा आ रहा है, अब तुम अपनी स्पीड बढ़ा सकते हो।
उसने मेरी कमर पकड़ कर पेलना शुरू किया और अपने घस्से ज़ोर ज़ोर से मारने लगा लेकिन मेरा झड़ने का कोई हिसाब नहीं बन रहा था। मैंने उसे कहा- लगता है कि मुझे समय लगेगा झड़ने के लिये !
वो बोला - कोई बात नहीं ! तुम लगी रहो, जब समय आएगा तब झड़ जाना !
उसने अब मेरी गांड के नीचे एक तकिया लगाया और उसके ऊपर चढ़ गया। मेरी सिसकारियाँ अब तेज़ हो रही थी, मैंने काफ़ी कोशिश की पर मेरी चूत झड़ने को तैयार नहीं थी । फिर मैंने सोचा कि अगर उसका लंड एक कसी सी चीज़ में जाए तो शायद और मज़ा आए और मैं झड़ जाऊँ । मैंने उसे अपना लंड मेरे गांड के ऊपर फेरने के लिए कहा।
राजेश शायद मेरा इशारा समझ रहा था, वो बोला- क्या इरादा है? गाण्ड मरवाने का का इरादा है क्या?
मैंने कहा- हाँ यह तो तुम्हारी ही है लेकिन ज़रा प्यार से इस्तेमाल करना क्योंकि यह अभी बिल्कुल कुँवारी है।
उसने झटक से उसके गांड पर सुपारा रखा और ज़ोर से पेल दिया। उसका मोटा लंड मेरी गांड में सिर्फ़ दो इन्च जाकर फँस गया और मेरी चीख निकल गई, बोली- उफ़फ्फ़ आहह ! निकाल दो इसे बाहर ! बहुत दर्द हो रहा है, मर गई ...आये ए हह आ आ आ !
उसने अपना लंड घबराकर बाहर निकाला और फिर धीरे धीरे उसे अंदर डालना शुरू किया, साथ में मैं अपने हाथ से मेरे मम्मे दबा रहा था जिससे गर्मी और बढ़ती जा रही थी। उसने लगभग चार इन्च लण्ड घुसा दिया था और फिर एक बार ज़ोर से झटका मारा और पूरा का पूरा लौड़ा मेरी गाण्ड में घुस गया। अब मैं भी उसका फिर से भरपूर साथ दे रही थी। उसने मुझे ज़ोर ज़ोर से पेलना शुरू किया और मेरी कसी गांड में उसका लंड बहुत मज़े से चुदाई कर रहा था। फिर वो कुछ देर बाद मेरी गांड में ही झड़ गया। मेरी जिंदगी में वो पहला गांड मरवाने का अनुभव था।
मैंने कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि असल में मुझे कोई ऐसा पराया मर्द मिलेगा जो मेरी इस तरह से चुदाई करेगा।अब तो ये हमारा रोज का काम हो गयातेरे डैड के जाते ही असलम उप्पर कमरे में आ जाता और मेरी जमकर चुदाई करता।।वो मुझे गलियों से बात करता और में भी उसे खूब गलिय देती।








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