Monday, July 14, 2014

RajSharma stories रानी, कल तुम मेरे घर आ जाना--1

FUN-MAZA-MASTI


RajSharma stories
 रानी, कल तुम मेरे घर आ जाना--1 

मैं नंदिनी, उमर 18 देसी साल, 12 क्लास में पढ़ती हूँ. मेरे पिता जी बिज़्नेसमॅन हैं और काफ़ी अमीर हैं. घर में मा के अलावा एक छ्होटा भाई है जो कि बस 10 साल का है. मेरी मा उमा देवी की उमर 38 साल की है और वो एक भरपूर सेक्सी औरत है. पिताजी, राम शर्मा सारा दिन पैसे बनाने में लगे रहते हैं और उनके दोस्त मा के साथ खूब मौज कर लेते हैं. मेरा छ्होटा भाई राजू पड़ोस के लड़कों के साथ क्रिकेट खेलने चला जाता है, पापा दुकान पर और मैं पढ़ने लग जाती हूँ तो मा पापा के दोस्तों से चुदाई करवाती है. एक दिन बारिश हो रही थी और राजू खेलने नहीं गया. वो मुझे परेशान कर रहा था तो मैं उसस्की शिकायत करने मा के कमरे में चली गयी. 

कमरा बंद था. मैं डोर खोलने ही लगी थी कि मुझे मा की चीख सुनाई पड़ी.”उईईइ धीरे से करो असलम भाई, अब फाड़ ही डालो गे मेरी चूत को?एक तो आपका है ही इतना मोटा और दूसरा आप ऐसे चोद रहे है के जैसे मैं कहीं भागी जा रही हूँ. केयी बारी सोचती हूँ के आपकी पत्नी कितनी खुशकिस्मत है जिस्सको रोज़ आपका लंड मिलता है चोदने के लिए. हमारे तो शर्मा साहिब हफ्ते में एक बार चोदने के लिए लंड खड़ा करते हैं और वो भी 4 इंच का. भाई मुझे तो आप जैसा 8 इंच का ही संतुष्ट करता है. है असलम भाई, अब पेल दो सारा, भाईजान कैसा ज़ालिम लंड है आपका. काश मैं आपकी बीवी बन के रह सकती!” 

मैं ठिठक गयी और डोर में से झाँकने लगी. मा पलंग पर टाँगें खोल कर पैर अप्पर उठा कर नंगी लेटी हुई थी और असलम अंकल मा की जांघों के बीच खड़े हो कर अपने मोटे काले लंड को मा की चूत में पेल रहे थे. मेरी मा बहुत गोरी है और उसस्के चूतड़ काफ़ी भारी हैं और चूची भी बहुत बड़ी है. मुझे तो चक्कर आने लगे. असलम अंकल अपनी गांद आगे पीच्छे करते हुए मा को चोद रहे थे और झुक कर मा की चुचि चूस रहे थे. कमरे में वासना का तूफान उमड़ रहा था. मा बेशर्मी से बकने लगी, ” ज़ोर से चोद असलम भाई, मस्त कर दे मुझे” 

मुझ से अब और नहीं देखा जा रहा था. मेरे जिस्म में एक आग जलने लगी, मेरी चूत में खलबली मचने लगी. मेरी चूत में एक अजीब सी खुजली होने लगी, दिल धक धक करने लगा और मेरी पॅंटी मेरी चूत से निकलने वाले जूस से भीग गयी. मुझे चुदाई के बारे पता तो था लेकिन आज पहली बार अपनी ही मा को चुदते देखा था और वो भी असलम अंकल के साथ जो कि मा को बाजी कह कर पुकारते थे. मैं अपने कमरे में भाग गयी. राजू वहाँ खेल रहा था. 

थोड़ी देर में बारिश रुकी और बाहर का डोर खुला और असलम अंकल चले गये. तभी राज शर्मा जिसे प्यार से सब राजा कहते थे , गली का एक लड़का जो कि राजू के साथ खेलता था, राजू को बुलाने आया. राजा मेरी उमर का होगा या फिर एक दो साल छ्होटा. जब उसने मुझे देखा तो मेरी छातियाँ उतेज्ना वश उप्पेर नीचे हो रही थी. राजा की नज़र बरबस मेरी उभरी हुई चुचि पर चली गयी. जिस तरह वो मुझे देख रहा था लगता था कि मुझे अपनी आँखों से नंगी कर रहा हो. मेरी नज़र भी उसकी पॅंट के सामने वाले हिस्से पर चली गयी, जहाँ से उभार साफ दिखाई दे रहा था. उसने अपने लंड को पॅंट के उप्पेर से मसल दिया और बोला” राजू को बाहर भेजना ज़रा. हमे को क्रिकेट खेलने जाना है.” मैने भी उसको पटाने के लिए बहाना ढूंड लिया और मुस्कुराती हुई बोली,” तुम मेरा एक काम करोगे क्या? मेरे रूम का बल्ब फ्यूज़ हो गया है, तुम प्लीज़ चेंज कर देना, राजा भैया!” पहले तो वो खुश हुआ लेकिन जब मैने उसको भैया बोला तो उसका मूह लटक गया. 

“हां क्यो नहीं नंदिनी, मैं कुच्छ ही देर में आता हूं. अगर और भी काम हुआ तो कर दूँगा,” कहते हुए राजा मेरे भाई को ले कर चला गया. अब मैने राजा को पटाने की स्कीम बना डाली. सब से पहले तो मा को बाज़ार भेज दिया. फिर अपनी कमीज़ उतार कर नीचे से ब्रा उतार डाली और उप्पेर से पारदर्शी कुरती पहन ली. मेरी कुरती से मेरी चुचि सॉफ झलक रही थी. पतला सा कपड़ा भी मेरी चुचि को स्पर्श करता तो बहुत उतेज्ना से भर जाता मेरा बदन. उतेज़ित हो कर मैने अपनी चुचि को ज़ोर से भीच लिया और मेरा बदन मस्ती से भर उठा. फिर मैने सलवार उतार कर एक निकर पहन ली जिससे मेरी टाँगों का अधिक हिस्सा दिख रहा था. उसके नीचे मेने पॅंटी नहीं पहनी थी. चूत गरम हो रही थी और चूत की फाँकें फूली हुई थी. मैं राजा का इंतज़ार करने लगी. 

मेरे कमरे का बल्ब मैने फ्यूज़ कर दिया था. कमरे में एक सुगंधित सेंट च्चिड़का दिया और कुरती के उप्पेर वाले दो बटन खोल दिए. मेरे हुस्न का जादू चलाने में कोई कसर बाकी ना थी. मेरा हाथ ज़बरदस्ती मेरी चूत पर जा कर उसको बे-रहमी से मसल्ने लगा. दरवाज़े पर दस्तक हुई. मैने झट से जा कर दरवाज़ा खोला. सामने राजा खड़ा था. मेरा दिल धक धक करने लगा. मैने उस्स्को अंदर बुला कर दरवाज़ा बंद कर दिया. ” बल्ब कहाँ है?” मैने उसस्का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और बोली, ” अंदर कमरे में.” 

छत बहुत उँची थी और हाथ पहुँचना मुश्किल था. ” नंदिनी, ऐसा करो, तुम टेबल पकड़ कर रखो और मैं उप्पेर चढ़ता हूँ, ठीक है,” मुझे शरारत सूझी और मैं बोली,” उप्पेर तो मर्द ही चढ़ते हैं, और क्या मैं चढ़ूंगी? राजा भैया, और जो मर्ज़ी पकड़ा दो, टेबल नहीं पकड़ सकती, मुझ से नहीं संभाल सकता. ऐसा ना हो कि आप गिर जाएँ.” मेरी दोहरी मतलब वाली भाषा समझ कर राजा हंस पड़ा और नट खाट अंदाज़ में बोला,” ऐसी बात नहीं है नंदिनी, अगर तुम चाहो तो तुम भी उप्पेर चढ़ सकती हो, मैं तुझे नीचे से थाम लूँगा, अगर मेरी ताक़त पर विश्वास हो तो” 

कमरे में धीमी रोशनी थी. राजा ने टेबल रखा और मुझे उप्पेर चढ़ने को कहा. जब मैं ना नुकर करने लगी तो उसने मुझे बाहों में उठा कर टेबल पर खड़ा कर दिया. उसका शरीर जब मेरे शरीर से स्पर्श किया तो मेरी चूत रो पड़ी. उसके बदन का स्पर्श मुझे करेंट मार रहा था. उसस्के हाथों ने मुझे चूतड़ से पकड़ कर उप्पेर उठाया तो मेरा बदन पसीना पसीना हो गया. टेबल के नीचे खड़ा राजा मेरी जवानी को निहार रहा था. उसने मुझे बल्ब पकड़ाते हुए कहा, “इसको होल्डर में घुसा दो, नंदिनी,” मैने कभी बल्ब नहीं लगाया था. “मुझ से नहीं होता” मैने कहा.” ठहरो मैं भी उप्पेर आता हूँ.” 

टेबल छ्होटा था और हम दोनो एक साथ सॅट कर खड़े थे. मैं गिरने के डर से राजा के साथ चिपक कर खड़ी हुई थी. उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा हुआ था और बल्ब लगा रहा था. मेरा संतुलन बिगड़ने लगा तो मैने राजा को थाम लिया और अफ़रा तफ़री में मेरा हाथ उसके लंड से जा टकराया. राजा गन्गना उठा. लंड लोहे की तरह तना हुआ था,” उई, यह क्या है, राजा भैया? मुझे बहुत डर लग रहा है. मुझे संभाल लो प्लीज़!” उसने मुझे अपने सीने से लगा लिया. मेरी साँस तेज़ी से चलने लगी, उसका हाथ मेरी कमर के गिर्द कस गया. मेरी चुचि उसकी बलिश्त छाती में धँस गयी. उसका लंड मेरे पेट से टकराने लगा. मैं और भी उतेज़ित होती हुई उसके आलिंगन में घुसती चली गयी. 

राजा ने मेरे चेहरे को हाथों में लेकर मुझे होंठों पर किस कर लिया. मेरे आनंद की कोई सीमा ना रही. बल्ब लग चुका था और मेरे अंदर वासना का बल्ब भी जगमगाने लगा.” तुम बहुत सुंदर और सेक्सी हो नंदिनी. मैं तुझ से प्यार करता हूँ. क्या तुम भी मुझे प्यार करती हो?” मैने उसस्के लंड को हाथ से स्पर्श करते हुए कहा,’ हन राजा भैया, मैं भी तुझे बे हद प्यार करती हूँ.” वो झल्ला कर बोला,” तो बार बार मुझे भैया क्यो कह रही हो? मैं तेरा आशिक़ हूँ भैया नहीं. मेरा जो…तुमने पकड़ा हुआ है, उस से भी नहीं पता चला” मैं मुस्कुराते हुए बोली,” राजा, भाई बेहन के रिश्ते की दीवार के पीच्छे ही हम सारा खेल खेल सकते हैं. अगर एसा नहीं किया तो सारे मोहल्ले ,में बदनाम हो जाएँगे. तुम मुझे सब के सामने दीदी कहा करो और मैं तुझे भैया, क़िस्सी को शक भी नहीं होगा” 

“ओके, इसका मतलब है, बाहर बेहन भाई, अंदर करें चुदाई. ठीक है नंदिनी बहना अब नीचे जा कर असली काम करें. और अधिक देरी कर दी तो तेरे हाथ में ही लंड महाराज उल्टी कर देंगे.” मैने उसस्का लंड छ्चोड़ दिया और हम दोनो नीचे उत्तर गये. नीचे उत्तरते ही राजा मुझ पर टूट पड़ा. वो ज़ोर ज़ोर से मेरी चूचियाँ मसल्ने लगा. मेरे चुचक में आग लग रही थी. मैने भी हाथ नीचे कर के उसका लंड मसल दिया. “हाई राजा, ये क्या कर रहे हो, मेरा बदन जलने लगा है, मुझे शांत कर दो राजा,” मेरे मूह से निकल गया और राजा बिना कुच्छ बोले मेरी कुरती उतारने लगा. मेरी चुचि कड़ी हो चुकी थी. मेरी नंगी चुचिओ से खेलने लगा मेरा नया यार. मैने अपनी जांघों को भींच लिया था क्यो कि मेरी चूत से रस टपकने लगा था. राजा ने अपने गरम होंठ मेरे निपल्स पर रख दिए और अपना हाथ निकर के उप्पेर से मेरी चूत पर रख कर मसल दिया. 

मेरी चूत फूल चुकी थी और मैं गरम हो कर उसस्के हाथ पर अपनी चूत को रगड़ रही थी. वासना ने मुझे बेकाबू कर दिया था और मैने राजा के पॅंट्स की ज़िप खोल कर उसस्के लंड बाहर निकाल लिया. मैने उसको उप्पेर नीचे करना शुरू कर दिया. लंड के छेद से रस की बूँद मेरी उंगलिओ पर गिर पड़ी. दूसरे हाथ से मैने राजा के अंडकोष पकड़ लिए. काले काले बालों में छुपे हुए अखरोट बहुत सेक्सी लग रहे थे, राजा मेरी चुचि दबा रहा था और निपल्स को चाट रहा था.” नंदिनी, अपनी निक्केर भी उतार दो और मैं भी नंगा हो जाता हूँ, फिर मज़ा आएगा” मैने उसके लंड को मुठियाते हुए कहा,”राजा, मेरी कुरती उतारते वक्त मुझ से पुचछा था क्या? अब निक्केर भी उतार दो, रोका किस ने है, भैया?” 

राजा ने अपनी कमीज़ उतार और मेरी निक्केर को भी नीचे सरका दिया. मेरी शेव की हुई चूत उसकी आँखों के सामने मुस्कुरा उठी. आज उसके लंड से मेरी चूत को खुराक मिलने वाली थी. “वाह, नंदिनी, इसको तो बिल्कुल सॉफ कर रखा है. बिल्कुल मक्खन जैसी कोमल और मुलायम लगती है. सच नंदिनी, ऐसी चूत मैने कभी नहीं देखी. दिल करता है इसको चूम लूँ!” मैं भी तो यही चाहती थी.” राजा, मक्खन जैसी चूत तेरी ही तो है. चूम लो, चाट लो इस्सको. जो जी चाहे कर लो मेरे साथ. और एक बात बता, राजा भाई, और कितनी चूत देख चुके हो तुम, कितनी लड़कियो को चोद चुके हो पहले तुम. मुझे तो तुम काफ़ी अनुभवी खिलाड़ी लगते हो. सच बतायो राजा.” मेरे दिल में काई सवाल उठ रहे थे. 

राजा ने मुझे बताया,” नंदिनी, तुम सच कह रही हो. मैं चुदाई करने में अनुभवी हूं और आज तक दो को चोद चुका हूँ. मुझे चुदाई की दुनिया में मेरी मम्मी की सहेली ने शुरू किया था. मम्मी की सहेली शांति कोई 37 साल की है और उसका पति विदेश में काम करता है. उसको चुदवाने की लत है और एक दिन मुझे उसने पटा लिया. मुम्मी घर पर नहीं थी और मैं घर में राज शर्मा की हिन्दी सेक्सी कहानियाँ पढ़ रहा था जब शांति आंटी ने मुझे पकड़ लिया और ब्लॅकमेल करने लगी. उसने मुझे चोदने के लिए निमंत्रित किया तो मैं मान गया, शांति आंटी ज़रा मोटी है और उसस्की चूत पर बहुत घने बाल हैं. उसने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत में डाला तो मुझे बहुत मज़ा आया. तब से मैं उसको जब मौका मिले तो चोद लेता हूँ और वो भी बहुत मज़े ले कर चुदति है. पिछले दिनो उसने मुझे एक और आंटी से इंट्रोड्यूस करवाया है. दोनो मेरी रखैल बनी हुई हैं, लेकिन पता नहीं अगर मम्मी को पता चल गया तो शामत आ जाएगी.” राजा ने उंगली मेरी चूत में धकेल डाली और मैने अपनी चूत को और खोल दिया. 

“अब मेरा क्या करना है राजा? क्या मुझे भी आंटी की तरह चोदो गे? मुझे तो चुदाई का अनुभव नहीं है. लेकिन डर लगता है के दर्द ना हो,” मैने अपना डर ज़ाहिर करते हुए कहा. राजा ने मेरी चूत को इतनी ज़ोर से भींचा के मेरी चीख निकल गयी. ‘ डर काहे का? चूत से बच्चा निकल सकता है तो लंड क्या चीज़ है. बस तुम अपना जिस्म ढीला छ्चोड़ दो और पलंग पर लेट जाओ. फिर देखो अपने राजा भैया का कमाल. तुम ने कभी 69 किया है?” मैं नहीं जानती थी कि ये 69 क्या होता है. राजा मेरी बगल में लेट कर मेरी चूत पर ज़ुबान रख कर चाटने लगा. उस वक्त उसका लंड मेरे होंठों से टकरा रहा था. उसने अपनी कमर को मेरे मूह की तरफ धकेल दिया और उसका लंड मेरे मूह में चला गया. मुझे बहुत मज़ा आने लगा जब मैने उसका लंड चूसना शुरू कर दिया. मेरी कमर उसके मूह पर आगे पीछे हो रही थी किओं की मैं उसकी सारी ज़ुबान को चूत में ले लेना चाहती थी. तब मुझे पता चला कि 69 क्या होता है. 

मेरा मूह राजा के लंड से भरा हुआ था और वो चुस्की ले कर मेरी चूत का मज़ा ले रहा था. चूमा चटाई कितनी देर चलती रही मुझे पता नहीं चला. फिर उसका लंड एकदम अकड़ गया और उसका जिस्म ऐंठ गया. उससने जल्दी से अपना लंड मेरे मूह से बाहर खींच लिया. मुझे तो मज़ा आ रहा था. राजा के लंड का नमकीन स्वाद बहुत अच्छा लग रहा था.” बस अब चुदाई शुरू करें, नंदिनी. मैं अगर लंड बाहर ना निकाल लेता तो सारी क्रीम तेरे मूह में चली जाती. तुम तैयार हो?” मैं क्या कहती. उसने मेरी टाँगों को उप्पेर उठा कर फैला दिया और मेरे चूतड़ के नीचे सिरहाना टीका दिया. फिर अपने लंड पर ढेर सारा थूक लगा कर लंड को चूत पर रख कर धक्का मारा,” ले नंदिनी, मेरी बहना, अब देख तेरा राजा भैया के जलवे दिखता है तुझे. दर्द हुआ तो बर्दाश्त कर लेना, बहुत मज़ा आए गा. लंड जितना बड़ा होता है मज़ा उतना अधिक आता है.” मैं चूत को फैलता हुआ महसूस कर रही थी. राजा का लंड एक नश्तर की तरह मेरी चूत में जा रहा था. राजा ने मेरी गांद को पकड़ रखा था. 

चुदाई शुरू हो चुकी थी लेकिन मुझे तो बस दर्द हो रहा था. वो मज़ा नहीं मिल रहा था जो मैं उम्मीद कर रही थी.. राजा ने अपना लंड धीरे से अंदर करना जारी रखा और मेरे क्लिट को सहलाने लगा. थोड़ी देर में मेरा जिस्म गन्गना उठा. लंड मेरी खुजली मिटाने लगा. चूत से जूस बह रहा था जिसके कारण चूत मुलायम हो चुकी थी. मेरी चूत अब लंड की माँग कर रही थी,” भैया और डालो मेरी चूत में..पेल डालो पूरा लंड मेरे अंदर….बहुत मज़ा आ रहा है..चोदो ज़ोर से मुझे राजा भैया.” राजा भी समझ गया कि मैं गरम हो चुकी हूँ और वो मुझे तेज़ी से चोदने लगा.” नंदिनी, ऐसे चूत नहीं चोदि मैने आज तक. तेरी तो बहुत कसी हुई है, बहुत मज़ेदार है. तुझे रोज़ चोदुन्गा, तेरी चूत को लंड से भर के रखूँगा, मेरी बहना.’ 

मैं लंड के मज़े ले रही थी. मेरे चुटटर तकिये से उप्पेर उठने लगे और मेरे हाथों ने राजा की गांद को कस के पकड़ लिया जैसे मैं उसको अपने आप से अलग नहीं करना चाहती थी.” राजा मेरी चुचि चूसो, मदेर्चोद जल्दी करो, मैं बहुत उतेज़ित हूँ. मेरी चूत में खलबली मची हुई है, मेरा दिल अजीब स्थिति में है, मुझे ज़ोर से चोद राजा” मेरे राज शर्मा ..मेरे कहते ही राजा ने लंड को पिस्टन बना डाला जो मेरी चूत के अंदर बाहर तेज़ी से जाने लगा. मैं किसी कुतिया की तरह हाँफ रही थी. राजा भी पसीने से भीगा हुआ था. राजा के अंडकोष मेरी गांद को टक्कर मार रहे थे. तभी मुझे लगा कि मेरी चूत से कुच्छ बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था. मैं तेज़ी से कूल्हे उच्छालने लगी. मेरी चूत से एक रस की धारा उमड़ने लगी. मेरी जान ही निकल रही थी. तभी राजा के लंड से गरम लावा मेरी चूत में गिरने लगा. मुझे क्या हुआ, कुच्छ पता नहीं था. लेकिन 15 मिनिट के बात मैं निढाल हुई बिस्तर पर पड़ी थी और राजा अपना लंड चादर से पोंच्छ रहा था. 

देसी मेरी चूत से रस टपक कर मेरी जांघों तक पहुँच रहा था. राजा ने मेरे चूतड़ पर थपकी मारते हुए कहा, “रानी, कल तुम मेरे घर आ जाना वहाँ कल कोई नहीं होगा. तुझे जी भर के चुदाई के मज़े मिलेंगे.” मैं उसको बोली,” राजा, मेरी चूत दुख रही है. क्या ऐसे ही कल भी दुखे गी? लेकिन मैं तेरे घर ज़रूर आयूंगी, मेरे हरामी बलमा” 


राज शर्मा से चुदवाने के बाद मैं सारी रात गहरी नींद सोई. मेरी नींद भी चुदाई के सपनो से भरी हुई थी. मुझे चारों तरफ लंड ही लंड दिखाई दे रहे थे. कभी एक लंड मेरे मूह में होता और दूसरा मेरी चूत में. काई बारी तो लंड मेरी गांद में भी घुस जाता. मेरे पूरे जिस्म पर लंड स्पर्श कर रहे थे. सुबह जब उठी तो मैं फूल की तरह खिली हुई थी. वो रविवार का दिन था. पापा और मम्मी बाहर जाने वाले थे. मैने पढ़ाई का बहाना बना लिया और मा ने कहा” ठीक है लेकिन राजू का ख्याल ज़रूर रखना. वो बहुत आवारा हो गया है.” मम्मी ने कहा और वो चले गये. राजू अभी सो रहा था. 

मैं गुसलखाने चली गयी और नहाने लगी, मैने जब कपड़े उतारे तो मेरा जिस्म खिल उठा. मेरा गोरा बदन गुलाबी हो रहा था. मुझ पर चुदाई का नशा चढ़ रहा था. वा, औरत के लिए भगवान ने भी मर्द क्या चीज़ बनाई है और चूत के लिए लंड. मैने शीशे मैं जब अपना नंगा जिस्म देखा तो खुद ही उतेज़ित हो गयी. मेरी चूचियाँ कुच्छ अधिक ही फूल चुकी थी. मेरे निपलेस बहुत सख़्त हो चुके थे. मेरे सपाट पेट के नीचे मेरी चूत भी उभार पर थी. चूत पर छ्होटे छ्होटे बाल उग चुके थे. इनकी शेव करनी ज़रूरी थी और फिर आज तो मुझे राजा के घर भी जाना था कल वाला मज़ा लेने. राजा के मर्दाना जिस्म की याद में मेरी चूत भीग गयी और मेरा हाथ मेरी चूत सहलाने लगा. काश राजा मेरे पास चला आता. 
दोस्तो आगे की कहानी अगले पार्ट मे आपका दोस्त राज शर्मा 
क्रमशः................









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