Saturday, July 19, 2014

Raj-Sharma-stories पेइंग गेस्ट--4

Raj-Sharma-stories

 पेइंग गेस्ट--4
 शनिवार रविवार की चुदाई में हम अक्सर किसी एक को निशाना बना लेते थे और फ़िर सब मिलकर उसके पीछे पड़ जाते थे. अक्सर भाभी निशाना बनती थीं और मैं उनके मुंह या चूत में लन्ड देकर सोता और लड़कियां उनकी चूत और चूचियों के पीछे पड़ जातीं.
अब अक्सर मुझे खयाल आता कि भाभी अगर अपनी और लड़कियों की गांड मारने देम तो क्या मजा आये. मैने भाभी को एक बार कहा भी जब उनके मुंह में मेरा लन्ड गले तक धम्सा हुआ था, सीमा उनकी बुर चूस रही थी और मीनल उनके मम्मोम से खेलती हुई उन्हें मसल और चूस रही थी. “भाभी, मीनल को कोई रस नहीं मिल रहा है. इस समय असल में मेरा लन्ड आपकी गांड में होना था, और मीनल की चूत आपको चूसना था, तब आता मजा.”
मैं असल में उन तीनों के चूतड़ोम को देख देख कर ललचा जाता था. भाभी के भारी भरकम थोड़े लटके हुए पर मुलायम नितम्ब, मीनल के छोटे दुबले पर एकदम कसे हुए काले चिकने चूतड़ और छोटी सीमा के गोल मटोल कमसिन चिकने तरबूज देख कर मेरे मुंह में पानी भर जाता था. अकेले में मैने कई बार बात छेड़ी पर भाभी हमेशा टाल जातीं और मना कर देतीं.
एक बार मेरे बहुत कहने पर उन्होंने बताया कि उन्हें इससे चिढ क्यों है. अपने पति की कहानी उन्हें पहले ही सुनाई थी कि बाद में वे कैसे समलिंग सम्भोग के आदी हो गये थे और जवान लड़कोम के साथ गांड मराते और मारते थे. भाभी का वे एक उपहार की तरह प्रयोग करते थे और उनके मांसल शरीर का लालच देकर गांड मारने के लिये लड़के फ़म्साया करते थे. यह देख देख कर भाभी को उस क्रिया से ही नफ़रत हो गई थी. उनकी खुद की भी गांड बहुत बार मारी गई थी और अब वे उससे ऊब गई थीं.
मैंने उन्हें समझाया. “भाभी जान, यह सिर्फ़ पुरुषों वाली क्रिया नहीं है. मर्दोम को औरतों की नरम नरम गांड मारने में भी बड़ा आनन्द आता है. और ठीक से मरवाई जाये तो आप को भी मजा आयेगा ऐसी मैं गारम्टी देता हूं. मुझे बस एक मौका देम. और अगर पसम्द आये तो फ़िर लड़कियों की भी गांड मारने की परमिशन देम”
भाभी कुछ देर सोचती रहीं. फ़िर बोलीं. “एक रास्ता है पर तुझे पसम्द आयेगा या नहीं मालूम नहीं.” मैने कहा कि मैं कुछ भी करने को तैयार हूं. उन्होंने हम्सते हुए मुझे बांहों में ले कर कहा. “मीनल से शादी करेगा?” मैं चकरा कर देखता रह गया.

 भाभी ने आगे कहा. “सीमा की शादी में अभी देर है. पर मीनल की शादी की उमर हो गई है. मुझे उसकी चिम्ता है. तुझे वह बहुत मस्त लगती है मुझे मालूम है. दिखने में वह सुम्दर नहीं है पर कितनी गरम और मीठी है यह तुझे मालूम है. उसकी अच्छी जगह शादी करने में मेरे बाल सफ़ेद हो जाएंगे. और तुझ से अच्छा लड़का मुझे कहां मिलेगा. और फ़िर घर का माल घर में रहेगा. यहीं घर जमाई बन के रहना और हम तीनों के साथ मजा करना. मुझे पता है कि तेरे पास बहुत पैसा है और हमारा भी जो है वह तुंहारा ही होगा.”
मैं सोचने लगा. बात ठीक थी. और मेरा कांअ कर्म चालू ही रहने वाला था. मेरे साथ सम्भोग के लिये मेरी पत्नी, मेरी साली और मेरी सास रहने वाली थी. और मुझे पता था कि ये तीन चुदैलेम मुझे और कहीं मुंह मारने को भी मना नहीं करेंगी, बल्कि बाहर से कोई नई साथिन मिल जाये तो खुद भी उसके साथ सम्भोग को तैयार हो जाएंगी. भाभी ने मानों मेरे मन की बात ताड़ ली और बोलीं. “अगर बाहर की किसी लड़की या औरत के साथ तू चक्कर चलायेगा तो हमें कोई आपत्ति नहीं होगी, बस अच्छी स्वस्थ हो और उसे भी यहां बुला लिया करेंगे.”
मैंने भाभी से कहा. “भाभी, मीनल से पूछेम, आखिर मुझमें और उसमें पम्द्रह साल का अम्तर है.” भाभी बोलीं. “तो क्या हुआ? लन्ड तो तेरा सोलह साल का है, ऐसा हलब्बी मतवाला लन्ड मैंने कभी नहीं देखा. मीनल को बहुत पसम्द है, कल ही अकेले में मुझ से कह रही थी कि अम्मा, अंकल के लन्ड की तो पूजा कर लिया करो रोज, अब तुंहारी पत्नी बन कर वही करेगी.”
मैंने फ़िर पूछा “भाभी, अगर मैं हां कर दूम तो इसका गांड मारने से क्या सम्बन्ध?” वे हम्स कर बोलीं.” मीनल की गांड तुझे सुहाग रात को मिलेगी. चूत तो अब कुम्वारी है नहीं उसकी. शादी के बाद सीमा की भी मिलेगी दहेज मेम, अपने जीजाजी से वह बड़ी खुशी से गांड मरवाएगी. और मैं तुंहारी सास, मैं तुमसे सगाई के दिन ही मरवा लूंगी.”
मैंने और न सोचा और तुरम्त हां कर दी. मेरी सास बनने की खुशी में भाभी ऐसे मचलीं कि मुझे जमीन पर पटककर अपनी साड़ी उठा मेरे मुंह पर चढ गईं और उसे चोद डाला. अपना बुर का पानी पिलाकर फ़िर मुझे उन्होंने ऊपर से ही चोदा और अम्त में मेरे लन्ड को चूस कर अपनी प्यास बुझाई.
मीनल को भाभी ने मेरी पत्नी बनने की बात तब कही जब वह उनकी गोद में बैठ कर उनसे चूमा चाटी कर रही थी और मुझसे अपनी जवान बुर चुसवा रही थी. सुनते ही वह हड़बड़ा गई. सीमा जो मेरा लन्ड चूस रही थी ऐसी बिचकी कि उसके दांतों ने मुझे अनजाने में काट खाया. मुंह से लन्ड निकाल कर उसने बड़े उत्साह से मां से पूछा. “सच मां? अंकल दीदी से शादी करेंगे?”

 जब सुधा भाभी ने उन्हें बताया कि यह मजाक नहीं है तो मीनल शरमा गई. लज्जा से उसका मुंह लाल हो गया और मुझसे जो अब तक मजे ले ले कर “अंकल अंकल, जीभ अन्दर डालिये न !” कहकर चूत चुसवा रही थी, मुझसे आंख चुराने लगी. जब मैंने उसे प्यार से पूछा कि कोई ऐतराज तो नहीं है तो शरमाई भी और ऐसी उत्तेजित हुई कि उसकी बुर ने झड़कर चार पांच चम्मच चिपचिपा रस मेरे मुंह में छोड़ दिया.
उसके बाद शादी पक्की होने की खुशी में आधे घम्टे तक ऐसे जबरदस्त चुदाई हुई कि सभी दो तीन बार झड़ झड़ कर लस्त हो गए. गांड मारने की बात बिलकुल गुप्त रखी गई क्योंकि भाभी ने पहले ही मुझसे कहा था कि यह बात मीनल और सीमा को सुहाग रात के दिन ही बताएंगे.
दूसरे ही दिन भाभी ने दोनों को कपड़े आदि खरीदने बाजार भेज दिया. सगाई शांअ को ही रखी गई. कोई सगे सम्बन्धी थे नहीं, सिर्फ़ एक बूढी बुआ थी जिसे बुलाया गया. भाभी की छोटी बहन दिल्ली में थी इसलिये उसने कहा कि वह सीधे शादी पर आयेगी. शादी भी अगले ही हफ़्ते होना तय हो गई. मैं भी अकेला था इसलिये किसी को बुलाने का प्रश्न ही नहीं था. कोर्ट मैरिज करेंगे ऐसा ही ठहराया गया.
लड़कियां मार्केटिंग को निकल गईं और हम अकेले बचे. मैं भाभी की ओर देख कर मुस्कराया. अपना लन्ड निकाल कर हाथ में लेकर सहलाते हुए बोला.”चलिये सासू जी, गांड मराने को तैयार हो जाइये.” भाभी कपड़े उतारने लगीं तो मैने मना कर दिया. “रहने दीजिये भाभी, साड़ी कमर के ऊपर कर लेना, मैं वैसे ही मार लूंगा, मजा आयेगा.”
मैं भाभी को रसोई में ले गया. वहां उनसे फ़्रिझ में से मक्खन निकलवाया और फ़िर उन्हें झुक कर डाइनिंग टेबल को पकड़कर खड़ा रहने को कहा. उनकी साड़ी उन्होंने खुद ही कमर के ऊपर कर ली. उनके नंगे गोरे चूतड़ अब मेरे सांअने थे. मैंने उन्हें प्यार से चूमा और थोड़ा दबाया. फ़िर उनकी गांड के छेद में मक्खन चुपड़ने लगा, वैसे जरूरत नहीं थी क्योंकि गांड का छेद काफ़ी ढीला था, मेरी दो तीन उंगलियां आराम से अन्दर जा रही थीं. लगता है काफ़ी गांड मराई थी जवानी मेम.
भाभी के चेहरे की ओर देखा तो उस पर दो भाव थे. एक थोड़ा डर और हिचक, दूजा भरपूर वासना. मैंने और प्यार से खूब देर मक्खन चुपड़ा और फ़िर अपनी उंगलियां चाट लीं. उनके गुदा की गरमी से पिघल कर थोड़ा मक्खन बाहर आने लगा था. मैंने बिना और विचार किये अपना मुंह लगा दिया और उनकी गांड का छेद चूसने लगा.
अब भाभी को मजा आने लगा, थोड़ा हिलने डुलने लगीं. फ़िर मैंने अपनी जीभ उनकी गांड में डाल दी, भाभी ऐसी हुमकीं कि जैसे कोई नववधू पहला सुख का अहसास होने पर करती है. लगता है कि पहले कभी किसीने उनकी गांड नहीं चूसी थी. वे अब गरम थीं और हाय हाय करने लगीं. इतने दिन मना करने पर अब उन्हें शायद मुझसे कहने में शरम आ रही होगी पर मैं समझ गया कि वे अगर बोलतीं तो यही कि “मारो मेरी गांड अनिल, घुसेड़ो अपना लन्ड”.
मैं खड़ा हो गया और अपना सुपाड़ा उनके गुदा में पेल दिया. बड़े प्यार से धीरे धीरे पेला जब कि चाहता तो उस ढीली गांड में एक धक्के में जड़ तक उतार देता. पर मैं भाभी को पूरा सम्तुष्ट करना चाहता था. आराम से इम्च इम्च करके मैने पूरा लन्ड पेला और आखिर मेरी झांटेम उनके चूतड़ोम से भिड़ गईं. उन चूतड़ोम को मसलते हुए मैं बोला. “देखा भाभी, कितने प्यार से दिया आपकी गांड में लन्ड, आप फ़ालतू घबराती थीं” आखिर भाभी भी पसीज गईं. बोलीं “बहुत अच्छा लग रहा है भैया, इतना मजा आयेगा ऐसा मैने नहीं सोचा था.”

 मैंने अपना हाथ उनकी कमर के गिर्द डाल कर उनका क्लिट रगड़ना शुरू किया जिससे उन्हें और मजा आने लगा. थोड़ा लन्ड मैने उनकी गांड में अन्दर बाहर किया फ़िर उन्हें कमर से पकड़कर धीरे से उठाया. “चलिये भाभी, अब बिस्तर पर चलिये. वहां आराम से लिटाकर आपकी गांड मारूंगा.”
उनके मम्मे पकड़कर दबाता हुआ मैं उन्हें अपने आगे चलाता हुआ बेडरूम में ले गया. गांड में लन्ड गड़ा होने से वे धीरे धीरे चल रही थीं. पलन्ग पर मैने उन्हें पट लिटाया और उनके ऊपर सो गया. फ़िर उनकी चूचियां पकड़कर दबाता हुआ बड़े प्यार से हौले हौले उनकी गांड चोदने लगा. मक्खन चुपड़े गुदा में लन्ड बड़े आरांअसे फ़िसल रहा था. निपल कड़े थे इसलिये पक्का था कि भाभी को मजा आ रहा था. बीच बीच में मैं उनका मदनमणि मसल देता और वे खुशी से चहक उठतीं. “मजा आया ना भाभी? मैं कहता था कि मरा के देखिये. अच्छा अब बताइये कि लड़कियों को इस बारे में क्यों नहीं बताया?”
भाभी भी अब अपने चूतड़ उछल उछल कर मरवा रही थीं. बीच में ही अपना गुदा सिकोड़ कर मेरे लन्ड को पकड़ लेतीं. “अनिल, मीनल घबरा जायेगी. अभी तो खुश है पर पता चलेगा कि सुहागरात को उसकी कुम्वारी गांड चोदी जायेगी वह भी तुंहारे हलब्बी लन्ड से, तो रो देगी. उस रात उसे सरप्राइज़ देंगे. मै तो यही मानती हूं कि सुहागरात को वधू को दर्द हो और वह थोड़ा रोए धोए तो मजा आता है. चुदने में तो वह रोएगी नहीं, बल्कि मस्त होकर चुदवाएगी. इसलिये तुम आराम से खूब समय लेकर उसकी गांड मारना. मैं और सीमा तुंहरी सहायता करेंगे और मजा लूटेंगे.”
भाभी के यह विचार सुनकर मुझे मजा आ गया. उत्तेजित होकर मैं अब हचक हचक कर उनकी गांड मारने लगा और झड़ गया. भाभी वैसे ही पड़ी रहीं और मैंने अपने मेहनताने की बदौल उनकी चूत चूस कर उनका रस पी लिया.
सगाई शांअ को हुई और बस एक घम्टे में खतम हो गई. रात को हमने दूने जोश से चुदाई की. सीमा अब मुझे जीजाजी और भाभी अनिल बेटा कहने लगी. मेरी होने वाली पत्नी मीनल जो पहले मुझे अंकल कहती थी अब शरमा कर ‘सुनिये जी’ कहने लगी. “सुनिये जी, अपनी जीभ डालिये ना मेरी बुर मेम’ जब उसने मुझसे बुर चुसाते समय कहा तो सब हम्सने लगे.
मैंने उसे प्यार से कहा कि अब वह मुझे मेरे नाम अनिल से बुला सकती है. भाभी ने कहा कि शादी के पहले, जो अगले हफ़्ते में थी, यह हमारी आखरी चुदाई होगी. पहले तो दोनों लड़कियां इस पर चिल्लाने लगीं पर फ़िर मैंने और भाभी ने जब उन्हें समझाया कि एक हफ़्ते अपनी वासना पर लगांअ रखने से सांऊहिक सुहागरात का मजा दूना हो जायेगा तो वे मानीं.
मैंने दूसरे दिन एक क्रींअ लाकर सब को दी जिसे लन्ड या क्लिटोरिस पर लगाने से ठम्डक सी लगती थी और उसमें सभी सम्वेदना लुप्त हो जाती थी. इससे सब को अपने आप पर काबू रखने में काफ़ी सहायता मिली.
आखिर शादी भी हुई. बस कोर्ट में जाकर आधे घम्टे का कांअ था. मेहमानों के रूप में सिर्फ़ एक बूढी बुआ थीं जो तुरम्त अपने घर लौट गईं. दूसरे सुधा भाभी की छोटी बहन थीं. वे दिल्ली में एक कम्पनी में ऊम्चे पद पर कांअ करती थीं और अविवाहित थीं. उंर पैम्तीस के करीब होगी याने मेरे जितनी. बड़ा आकर्षक व्यक्तित्व था. बा~म्ब कट बाल, कसा हुआ बदन और चेहरे पर एक आत्मविश्वास. वे भी रात को ही लौट गईं. मैंने मन में उनकी मूरत जमा ली, सोचा आगे कभी मौका मिलेगा तो अपनी पत्नी की उस मौसी से भी चक्कर चलाऊंगा. मुझे भी वे काफ़ी इम्टरेस्ट से देख रही थीं. हम दोनों को अगले माह दिल्ली घूमने आने का न्योता उन्होंने दिया जो मैंने तुरम्त स्वीकार कर लिया. भाभी को कुछ अम्दाजा हो गया था इसलिये वे मम्द मम्द मुस्करा रही थीं.

हम घर वापस आये. वहां सीमा और भाभी ने पहले ही सुहागरात के लिये पूरे कमरे को फ़ूलों से सजा रखा था. हम सब अलग अलग नहाने को चले गये. नहा कर उस क्रींअ को धोना था और एक घम्टे बाद उसका असर खत्म होने पर बेडरूम में मिलना था.
ंऐम नंगा ही कमरे में दाखिल हुआ. मेरा लन्ड एकदम तन खड़ा था और मीनल के बदन में घुसने को बेचैन था. आज मैंने निश्चय कर लिया था कि उस मस्त सूजे शिश्न को पूरा काबू में रखूंगा और कम से कम घम्टे भर अपनी पत्नी की गांड मारकर ही झड़ूंगा. कमरे में देखा कि सीमा और भाभी भी नंगी थीं. दोनों एक हाथ से अपनी उत्तेजित चूत सहला रही थीं और मीनल के पास बैठकर उसे चूम चूम कर उससे मजाक कर रही थीं. मीनल बहुत शरमा रही थी और पूरे कपड़े याने लाल शादी का जोड़ा पहने थी.
मेरे मचलते लौड़े को देखकर आंख मारकर सीमा चहकी “लो जीजाजी आ गये, दीदी देख, तेरे लिये क्या उपहार लाये हैं? मैं तेरी जगह होती तो जरूर घबरा जाती!” लगता है भाभी ने चुपचाप उसे बता दिया था कि आज क्या होने वाला है. उसके इस उलाहने को मीनल ने नजरम्दाज कर दिया. बड़ी भूखी और ललचायी नजर से वह अपने पतिदेव के लिंग को देख रही थी. बेचारी शायद इसी भ्रम में थी कि इस मस्त लन्ड से उसे चोदा जायेगा और उसका वीर्य भी पीने मिलेगा.
मैंने अपने दुल्हन का एक गहरा चुम्बन लिया और फ़िर उसके कपड़े निकालने लगा. भाभी और सीमा ने भी हाथ बटाया, उसके गहने निकाले, साड़ी खोली और ब्लाउज़ उतारा. मैंने उन्हें कहा कि मंगल सूत्र रहने देम. अब वह लाल रंग की ब्रा और पैंटी में थी. उसके सांवले शरीर पर आज अजब निखार था. मैंने उस पलन्ग पर लिटाया और सीमा से उसकी ब्रा निकालने को कहा. खुद मैं उसकी पैंटी उतारने लगा. “पहले अपनी प्यारी अर्धांगिनी की योनी के अमृत का पान करूंगा.” कहकर मैं उसकी बुर चूसने लगा. वह इतनी गीली थी जैसे कई बार झड़ी हो. चिपचिपा गाढा रस आज ज्यादा ही स्वादिष्ट था. आखिर हफ़्ते भर के सम्यम का यह परिणांअ तो होना ही था.
भाभी और सीमा उसे चूमने और उसके स्तनों की मालिश करने में लग गईं. मीनल ने मेरा सिर अपनी बुर पर प्यार से दबा लिया और धक्के देते हुए मेरे मुंह पर अपनी वासना शांत करने लगी. उसके एक स्खलन के बाद मैं उठ कर बैठ गया और अपना लौड़ा सहलाते हुए बोला. “चलो, तुंहारा कौमार्य भंग करने का समय आ गया है मेरी जान.” खुश होकर उसने अपनी टांगेम फ़ैला दीं और मेरे लन्ड के अपनी चूत में घुसने का बेचैनी से इम्तज़ार करने लगी.
मीनल को बड़ा आश्चर्य हुआ जब उसका एक चुम्बन लेकर मैंने उसे उठाकर पट लिटा दिया. उसे लगा कि शायद मैं कुतिया स्टाइल में पीछे से चोदने वाला हूं इसलिये वह अपने घुटनों और कोहनियों पर जमने लगी तो मैंने उसे फ़िर नीचे पट लिटा दिया और भाभी और सीमा को इशारा किया.
भाभी ने उसके हाथ पकड़ लिये और सीमा उसके पैरोम पर बैठ गई. मैंने मन भर के अपनी रानी के नितम्ब देखे. काले सांवले पर कसे हुए वे चूतड़ खा जाने को मन होता था. मैने झुक कर उन्हें मसलते हुए चूमना और चाटना शुरू किया और फ़िर उसके गुदा को चूसने लगा. अपनी जीभ उसमें डाली तो बड़ी मुश्किल से गई; बड़ा ही टाइट होल था. उसके सौम्धे स्वाद को मैं अभी चख ही रहा था कि मीनल बोली. “छोड़ो, यह क्या कर रहे हो?”
मैंने कहा.” तुंहारे उपहार को चूम रहा हूं रानी, आखिर अपना इतना अमूल्य अंग एक पत्नी अपने पति को भोगने को दे रही हो तो उसका स्वाद लेना जरूरी है, चोदने के पहले.” मीनल घबरा कर बोली. “नहीं नहीं, ऐसा मत करो, मैं मर जाऊंगी, ममी समझाओ ना अनिल को.” भाभी बोलीं. “उसका हक है बेटी, अब वह तेरा पति है, और पति को सुहागरात में अपनी कुछ तो कुम्वारी चीज़ देना चाहिये, तेरी चूत तो पहले ही चुद चुकी है, हां यह गांड बिलकुल अछूती है जो वह अब मस्ती से मारेगा.”

 मीनल अब रोने लगी. जब छूटने की सब कोशिशें बेकार हुईं तो सिसकते हुए लस्त पड़ गई. तब तक मैने उसकी गांड के छेद में मक्खन चुपड़ना शुरू कर दिया था. एक ही उंगली अन्दर जा रही थी. “सचमुच बड़ी कसी कुम्वारी गांड है आपकी बेटी की, बहुत मजा आयेगा इसे चोदने मेम.” मैंने भाभी से कहा.
मेरे लन्ड को सीमा मक्खन लगा रही थी, उसके छोटे छोटे हाथों के स्पर्श से लन्ड और फ़ूल गया था. अपनी उंगलियां चाटते हुए मैं पलन्ग पर चढ कर मीनल के पैरोम के दोनों ओर घुटने टेक कर बैठ गया. अपना लाल लाल सूजा सुपाड़ा मैंने अपनी पत्नी के गुदा पर रखा और थोड़ा दबाया. फ़िर भाभी को इशारा किया. भाभी ने अपनी बेटी के मुंह पर हाथ रख दिया. मैंने तुरम्त सुपाड़ा पेलना शुरू किया. घबराकर मीनल ने अपनी गांड का छल्ला सिकोड़ लिया था जिससे गांड का मुंह करीब करीब बन्द हो गया था.
“गांड खोल रानी, ढीली छोड़ नहीं तो तुझे ही तकलीफ़ होगी.” कहकर मैने और दबाया. मेरी शक्ति के आगे उस बेचारी की क्या चलती. गांड को खोलता हुआ मेरा सुपाड़ा आधा धम्स गया. ंईनल का शरीर एकदम कड़ा हो गया और वह छटपटाने लगी. भाभी ने मुझसे पूछा. “फ़ट तो नहीं जायेगी मेरी बच्ची की गांड? जरा संहाल कर बेटा.” मैंने कहा. “घबराइये मत सासू मां, हौले हौले डालूंगा, बस सुपाड़ा अन्दर हो जाए, फ़िर डम्डा तो आराम से जायेगा.और मक्खन इसी लिये लगाया है कि सट से चल जाए.”
मैंने पेलना बन्द करके नीचे देखा. मीनल का गुदा पूरा तन कर फ़ैला हुआ था और उसमें मेरा सुपाड़ा फ़म्सा हुआ था. मैंने थोड़ा और मक्खन उसपर लगाया और मीनल के शांत होने का इम्तजार करने लगा. दो मिनट में जब उसका कसमसाना बन्द हुआ तो मैंने अब कस कर लन्ड को दबाया. पा~म्क्क की आवाज से सुपाड़ा अन्दर हो गया. मीनल हाथ पैर पटकने लगी. उसके दबे मुंह से सीत्कार निकल रहे थे. उस युवती के तड़पने में भी ऐसा मादकपन था कि भाभी और सीमा भी गरम हो उठीं. मैंने झुक कर भाभी को चूम लिया और उनकी चूचियां दबाते हुए मीनल का दर्द कम होने का इम्तजार करने लगा.
कुछ देर बाद मैंने बड़े धीरे धीरे लन्ड अन्दर घुसेड़ना शुरू किया. कस कर फ़म्सा होने की बाद भी मक्खन के कारण लन्ड फ़िसल कर मीनल के चूतड़ोम की गहराई में इम्च इम्च कर जा रहा था. वह ज्यादा छटपटाती तो मैं रुक जाता. आखिर जड़ तक लन्ड खोम्सने के बाद मैं अपनी पत्नी के ऊपर सो गया और हाथ उसके शरीर के इर्द गिर्द जकड़ लिये. झुककर देखा तो उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे और बड़ी दयनीय भावना से वह मेरी ओर देख रही थी. मुझे थोड़ी दया आई पर बहुत अच्छा लगा. सुहागरात उस चुदैल को हमेशा याद रहेगी ऐसा मैंने मन ही मन सोचा. मैं यह भी जानता था कि अब वह मेरी मुठ्ठी में रहेगी और हमेशा मुझ से थोड़ा घबरा कर रहेगी.








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