Raj-Sharma-stories
पेइंग गेस्ट--3पूरा बुर का पानी पिलाने के बाद भाभी उठीं तो मैने उन्हें कहा. “भाभीजी, अब आपको चोदने का मन कर रहा है” भाभी ने मेरा चुम्बन लेते हुए कहा “मुझे चोदोगे या पहले बच्चियों की लोगे?” मैने कहा “चोदना तो मुझे तीनों चूतों को है पर लन्ड इतना मोटा हो गया है कि बच्चियां रो पड़ेंगी. इसलिये आपका मस्त भोसड़ा पहले चोदूंगा, फ़िर मीनल की चूत भोगूंगा और एकदम आखिर में इस नन्ही कली की बुर का मजा लूंगा”
भाभी पलन्ग पर लेटने लगीं तो मैने कहा “ऐसे नहीं भाभी, आप ही चोदिये, मैं ऐसा ही पड़ा रहता हूं, मेरे लन्ड पर बैठ जाइये और प्यार से चोदिये जैसा आपका मन करे”
भाभी जोश में थी हीं, झट से मुझपर चढ गयीं और मेरा लन्ड अपनी बुर में घुसेड़ कर चोदने लगीं. उनके ऊपर नीचे होने से उनकी घनी झांटेम बार बार मेरे पेट पर टिक जाती थीं. लेटे लेटे नीचे से उनके उछलते हुए मम्मे भी मुझे बड़े प्यारे लग रहे थे. मैने हाथ बढाकर उन्हें मसलना शुरू जर दिया.
भाभी अब ताव में आकर मुझे बेतहाशा चोदने लगीं. एक बार झड़ीं और कुछ देर लस्त होकर मेरे ऊपर लेट गईं और मुझे चूमने लगीं. मैं झड़ने के करीब था पर ऐसे ही पड़े पड़े चुदना चाहता था ताकि अपना सारा जोश उन बच्चियों के लिये बचा कर रखूम. मैने पुचकार पुचकार कर भाभी को तैयार किया और दम लेने के बाद वे फ़िर मेरे ऊपर बैठ गयीं और चोदने लगीं. इस बार उन्होंने ऐसा मस्त चोदा कि मुझे झड़ाकर ही रुकीं.
झड़ते ही मैने उन्हें दबोच कर पलट कर अपने नीचे कर लिया जिससे वीर्य बाहर न निकल आये. फ़िर सीमा और मीनल को बुलाया. “आओ बच्चियों, तुम्हरे लिये एक मस्त स्नैक तैयार है” दोनों अब तक संहल चुकी थी और बड़े उत्सुकता से हमारी चुदाई देख रही थीं. सीमा पहले आई और उसे मैने अपना लन्ड चूसने को दे दिया “ले मेरी गुड़िया, लौड़ा चूस, इसमें तुझे तेरी मां की चूत का भी रस लगा मिलेगा” वह खुशी खुशी लन्ड चूसने लगी.
तब तक शरमाती हुई मीनल भी आ पहुंची थी. उसे भाभी ने प्यार से बाहों में भर लिया और फ़िर अपनी जांघें खोल कर मीनल का सिर उनमें घुसेड़ लिया. सीमा के मुंह में अपनी चूत देते हुए भाभी बोलीं “बेटी, पूरा चूस ले, अंकल का रस भी है और मेरा भी, खास मेरी प्यारी बेटी के लिये अमृत बनाया है.”
जब तक दोनों लड़कियां रस चूस रही थीं तब तक भाभी और मैं बातें करके आगे का प्लान बनाने लगे. “अनिल, मैने काफ़ी चुदा लिया, अब बस इन बच्चियों को चोदो, रात भर इनकी बुर मारो, आज बिल्कुल खुल जाना चाहिये क्योंकि कल से इनकी चुदाई जरा कम करना”
मैं समझ रहा था और सहमत था “हां भाभी, इन प्यारी कुम्वारी चूतों को ज्यादा चोद कर फ़ुकला करके कोई फ़ायदा नहीं, आखिर इनकी शादी भी करनी है. मैं तो बस हफ़्ते में दो तीन बार इन्हें चोदूंगा, बाकी समय आपको ही चुदना पड़ेगा” सुनकर सीमा मचल उठी. “अम्मा, अंकल हमें नहीं चोदेंगे तो हम क्या करेंगे?” मैने उन्हें समझाया कि मैं और भाभी मिलकर रोज उनकी बुर चूसा करेंगे तब वह कुछ शांत हुई.
मैं असल में अब उन सब की गांड मारना शुरू करना चाहता था, खास कर बच्चियों की कसी हुई जवान गांड, पर मुझे मालूम था कि भाभी आसानी से नहीं मानेंगी. उन्हें मनाने का भी एक मस्त गम्दा पर बड़ा कांउक नुस्खा मैने सोच लिया था. पर मैने निश्चय किया कि मौका देखकर ही आजमाऊंगा, आज तो बच्चियों को चोदना था.
मेरा लन्ड और भाभी की बुर चूस कर जब दोनों उठीं तो मैने चुदाई की तैयारी शुरू की. “पहले मीनल बेटी को चोदूंगा भाभी, वह बड़ी है और मेरा मोटा लन्ड लेने में ज्यादा नहीं रोएगी. आओ मेरी तीनों प्यारी चूतोम, मुझे कुछ मजा लेने दो जिससे मेरा लौड़ा मस्त खड़ा हो जाये.”
मैं मीनल को बांहों में लेकर लेट गया और उसकी कड़ी चूचियां दबाता हुआ उसे चूमने लगा. वह शरमा रही थी पर बड़े प्यार से चुम्मा दे रही थी. उधर सीमा मेरे लन्ड को चाट चाट कर खड़ा करने में जुट गयी. भाभी हमारे पास आकर बैठीं तो मैने उन्हें कहा “भाभीजी, आप दोनों लड़कियों की चूत में दो दो उंगली डाल दीजिये और चोदिये. बुरेम कुछ फ़ैलेंगी तो बाद में दर्द कम होगा.
सीमा की मखमली जीभ ने जल्दी ही मेरे लन्ड को तन्ना कर खड़ा कर दिया. मीनल को मैने पलन्ग पर लिटाया और उसके नितम्बोम के नीचे एक तकिया रखा. वह अब थोड़ा घबरा रही थी. भाभी के पुचकारने पर उसने जांघें फ़ैलायीं और मैं उसकी टांगों के बीच अपना लन्ड संहाल कर बैठ गया. मैने भाभी से आंख मारते हुए कहा “आप जरा तैयार रहिये”
भाभी समझ गई और सीमा के कान में कुछ कहा. सीमा ने आकर मीनल के दोनों हाथ ऊपर कर के तकिये पर रखे और उनपर बैठ गयी. मीनल घबरा कर रोने लगी. “यह क्या कर रही है सीमा, छोड़ मुझे” मैने अब अपना सुपाड़ा मीनल की कुम्वारी चूत पर रखा और दबाना शुरू किया. “दुखेगा मेरी रानी, पर घबरा मत, मजा भी आएगा, और पहली बार चुदाने का मजा तो तभी आता है जब दर्द हो.”
मैने अपनी उंगलियों से चूत चौड़ी की और कस कर पेला. फ़च्च से सुपाड़ा अन्दर हो गया और मीनल दर्द से बिलबिला उठी. चीखने ही वाली थी कि भाभी ने अपने हाथ से उसका मुंह दबोच दिया. तड़पती मीनल की परवाह न करके मैने लन्ड फ़िर पेला और आधा अन्दर कर दिया. मीनल छटपटाते हुए अपने बन्द मुंह से गोंगियाने लगी.
उस कुम्वारी मखमली चूत ने मेरे लन्ड को ऐसे पकड़ रखा था जैसे किसीने मुठ्ठी में पकड़ा हो. मीनल की आंखों से अब आंसू बह रहे थे जिसे देखकर उसकी मां और बहन दोनों और उत्तेजित हो उठीं और एक दूसरे को चूमने लगीं. “मां, मजा आ गया, दीदी की चूत तो आज फ़ट जायेगी इस मोटे लन्ड से, फ़िर मैं भी फ़ड़वाऊंगी”
अब मैं वैसे ही बैठा रहा और सीमा को कहा “सीमा रानी, जरा अपनी दीदी की चूचियां चूसो, उसे मस्त करो.” सीमा ने झुककर एक निपल मुंह में लिया और चूसने लगी. दूसरे स्तन को वह प्यार से सहलाने लगी. धीरे धीरे मीनल का तड़पना कम हुआ और उसने रोना बन्द कर दिया. भाभी ने उसका मुंह छोड़ा तो रोते हुए बोली. “हाय मां, बहुत दर्द होता है, अंकल, प्लीज़ अपना लौड़ा निकाल लीजिये.” भाभी ने मुझसे कहा “तुम चोदो अनिल, मेरी यह बड़ी बेटी जरा ज्यादा ही नाजुक है, इसकी परवाह मत करो. बाद में देखना, चुदते हुए कैसे किलकारियां भरेगी”
“भाभी, आप इसे चूमिये, मां के मीठे मुंह से इसे बहुत राहत मिलेगी.” भाभी ने झुककर अपने होंठ अपनी बेटी के मुंह पर जमा दिये और जोर से चूस चूस कर उसका चुम्बन लेने लगी. मीनल अब शांत हो चली थी और उसकी चूत फ़िर गीली हो चली थी. मैने लन्ड धीरे धीरे इम्च इम्च करके पेलना शुरू किया. जब मीनल तड़पती तो मैं लन्ड घुसेड़ना बन्द कर देता था. आखिर पूरा ८ इम्च का लन्ड उस कसी बुर में समा गया और मैने एक सुख की सांस ली. “देख मीनल, पूरा लन्ड तेरी चूत में है और खून भी नहीं निकला है.”
मीनल ने थोड़ा सिर उठा कर अपनी जांघों के बीच देखा तो हैरान रह गई. फ़िर शरमा कर आंसू भरी आंखों से मेरी ओर देखने लगी. “शाबास मेरी बहादुर बिटिया, बस दर्द का कांअ खतम, अब मजा ही मजा है.” भाभी बोलीं. मैने भाभी को कहा “भाभी, अब आप आराम से मीनल के मुंह पर बैठिये और उसे अपनी बुर का रस पिलाइये. मैं इधर से चोदता हूं.”
भाभी उठ कर मीनल के मुंह पर अपनी चूत जमाकर बैठ गयी और सीमा को चूमते हुए धीरे धीरे अपनी बड़ी बेटी का मुंह चोदने लगी. मैने अब धीरे धीरे लन्ड अन्दर बाहर करना शुरू किया. पहले तो कसी चूत में लन्ड बड़ी मुश्किल से खिसक रहा था. मैने मीनल के क्लिटोरिस को अपनी उंगली से मसलना शुरू कर दिया और वह जवान बुर एक ही मिनट में इतनी पसीज गई कि लन्ड आसानी से फ़िसलने लगा. मैं अब उसे मस्त चोदने लगा.
मीनल को चोदते चोदते मैने पीछे से भाभी की चूचियां पकड़ लीं और दबाने लगा. सीमा भी ताव में आकर अपनी बुर को खुद ही उंगली से चोद रही थी. भाभी ने उसकी यह दशा देख कर कहा. “सब मजा कर रहे हैं, तू ही बची है बेटी, आ, मेरे सांअने खड़ी हो जा, मैं तेरी चूत चूस देती हूं, तुझे भी मजा आ जायेगा और मुझे भी अपनी रानी बेटी का रस चखने को मिल जायेगा.”
एक समां सा बन्ध गया जो आधे घम्टे तक बन्धा रहा. सीमा पलन्ग पर खड़ी होकर अपनी मां के मुंह में अपनी बुर दे कर चुसवा रही थी. भाभी अपनी छोटी बेटी की बुर चाटते हुए अपनी बड़ी बेटी के मुंह पर बैठ कर उससे अपनी चूत चुसवा रही थी और मैं पीछे से भाभी के मम्मे दबाता हुआ उनकी चिकनी पीठ को चूमता हुआ हचक हचक कर मीनल की बुर चोद रहा था.
तीनों चूतें खूब झड़ीं और खुशी की किलकारियां कमरे में गूजने लगीं. आखिर मुझसे न रहा गया और मैने भाभी को हटने को कहा. “भाभी, अब आप दोनों अलग हो जाइये और अपनी चूमा चाटी चालू रखिये. मुझसे अब नहीं रहा जाता, मैं मीनल को जोर जोर से चोदूंगा.”
भाभी हटीं और सीमा को लिपटकर चूमते हुए हमारी कांअक्रीड़ा का आखरी भाग देखने लगीं. मैंने मीनल पर लेट कर उसे बाहों में जकड़ लिया और अपनी जांघों में उसके कोमल तन को दबोचकर उसे चूमता हुआ हचक हचक कर चोदने लगा. मीनल की गर्म सांसेम अब जोर से चल रही थीं, वह उत्तेजित कन्या चुदने को बेताब थी. “चोदिये अंकल, और जोर से चोदिये ना, मेरी बुर फ़ाड़ दीजिये, मुझसे अब नहीं रहा जाता.”
उसकी जीभ मुंह में लेकर चूसता हुआ मैं उसे पूरी शक्ति से चोद रहा था. सुख से मैं पागल हुआ जा रहा था. कुम्वारी बुर में लन्ड चलने से ‘पा~म्क पा~म्क’ की मस्त आवाज आ रही थी. आखिर मैंने एक करारा धक्का लगाया और लन्ड को मीनल की बुर में जड़ तक गाड़ कर स्खलित हो गया. मीनल की बुर अभी भी मेरे लौड़े को पकड़ कर जकड़े हुए थी.
पूरा झड़ने के बाद मैने मीनल का प्यार से एक चुम्बन लिया और उठ कर लन्ड खींच कर बाहर निकाला. लन्ड उसकी चूत के पानी से गीला था. सीमा भाग कर मेरे पास आई और उसे मुंह में लेकर चूसने लगी. उसकी अधीरता देखकर भाभी हम्सने लगीं. मुझे बाजू में हटने को कहते हुए वे खुद मीनल की जांघों को फ़ैलाते हुए बोलीं. “अब देखूम तो, मेरी बेटी की चुदी बुर में अपनी मां के लिये क्या तोहफ़ा है!” और झुक कर मीनल की बुर चूसने लगीं. मेरा सारा वीर्य और मीनल का पानी वे चटखारे ले ले कर निगलने लगीं.
मैने मीनल से पूछा “तो बेटी, चुदा कर मजा आया, मुझे तो बहुत मजा आया मेरी प्यारी मीनल रानी की टाइट चूत चोदकर.” मीनल शरमाती हुई बोली “बहुत अच्छा लगा अनिल अंकल, सा~म्री, मैने पहले रो कर आपको तकलीफ़ दी, पर क्या करूम, आपका लन्ड इतना मोटा है कि मुझे लगा कि मेरी बुर फ़ाड़ देगा” “नहीं मेरी जान, रोई इसीलिये तो मजा आया. रोती हुई लड़कियों को चोदने में तो और मजा आता है.”
सीमा जो यह सुन रही थी, तपाक से बोली. “मैं होती तो बिलकुल नहीं रोती दीदी, बल्कि अंकल से कहती कि मेरी चूत फ़ाड़ दें, हाय, इतने मस्त हलब्बी लन्ड से चुदने में मेरी फ़ट भी जाती तो मुझे कोई गम न होता.” मीनल झल्ला कर बोली. “चल, अब देखते हैं, अब तेरी ही बारी है, है ना अंकल?” मैने उसे कहा. “हां बेटी, अब इस नन्ही गुड़िया, तेरी छोटी बहन को चोदूंगा, अब तू ऐसा कर कि चूस कर मेरा लन्ड मस्त खड़ा कर दे नहीं तो अगर जरा सा ही खड़ा हुआ तो यह बच्ची तो बड़े सस्ते में छूट जाएगी.
मीनल ने तपाक से मेरा लन्ड मुंह में ले लिया और बड़े प्यार से चूसने लगी. सीमा अब बहुत गरम थी और अपनी उंगली डाल कर अपनी ही कुम्वारी बुर चोद रही थी. मैने सुधा भाभी से कहा. “भाभीजी, देख क्या रही हैं? संहालिये अपनी छोटी बेटी को, इसकी बुर चूस लीजिये, आपको बेटी की चूत का रस मिल जाएगा और वह गरम भी रहेगी मेरा लौड़ा अन्दर लेने को.”
“आ मेरी रानी बिटिया आ, अपनी चूत चुसवाले अपनी मां से” बड़े लाड़ से भाभी ने सीमा को अपनी गोद में खींच कर लिटाया और झुक कर उसकी चूत चूसने लगीं. सीमा भी अपनी मां के स्तनों को दबाते हुए बुर चुसवाने लगी. “अम्मा, जीभ डाल ना अन्दर, जीभ से ही चोद, अंकल तो बहुत तरसा रहे हैं मुझे.” मां बेटी का यह कांअकर्म देखकर और मीनल के कोमल मुलायम तपते मुंह से चुसवाकर मेरा लौड़ा ऐसा खड़ा हुआ जैसे कभी झड़ा ही न हो.
“सीमा, बोल तू मीनल जैसे ही लेटकर चुदवाएगी या मुझ पर चढ कर खुद सूली चढ लेगी?” मैने उस प्यारी गुड़िया से पूछा. भाभी से चूत चुसवा कर अब वह एकदम मस्त और उत्तेजित हो चुकी थी. बोली “आप लेटिये अंकल, मैं खुद ही चुद लूंगी और फ़िर मां और दीदी भी तो हैं मेरी सहायता करने को.”
मैं बिस्तर पर लेट गया. मेरा लन्ड बिलकुल सीधा खम्बे जैसा खड़ा था. सीमा उठ कर मेरे दोनों ओर घुटने टेककर बैठ गई और सुपाड़ा अपनी चूत पर रगड़ कर मजा लेने लगी. सुधा भाभी ने लन्ड का डम्डा पकड़कर सीमा की चूत के गुलाबी मुंह पर सुपाड़ा जमाकर सीमा को धीरे धीरे बैठने को कहा. वह चुदैल बच्ची तुरम्त नीचे बैठ गई और एक ही बार में पूरा सुपाड़ा उस कुम्वारी नन्ही चूत के अन्दर घच्च से समा गया.
अब उसे दर्द हुआ और उसके मुंह से एक हल्की चीख निकल आई. तिलमिला कर उसने मां की ओर देखा और सुधा भाभी ने तुरम्त उसका मुंह अपने मुंह से बन्द कर दिया. उधर मीनल ने अपनी छोटी बहन के क्लिटोरिस को रगड़ना शुरू कर दिया और जल्द ही सीमा का दर्द से कांपता बदन शांत हो गया.
भाभी ने अपने दीर्घ चुम्बन को तोड़कर अपनी बेटी का मुंह छोड़ा तो सीमा फ़िर तैयार थी. बोली “सा~म्री अंकल, मुंह से आह निकल गयी, इतना बड़ा लौड़ा है आपका, अब कुछ नहीं बोलूंगी” कह कर उसने भाभी को हटने को कहा और खुद धीरे धीरे पर पूरी शक्ति से मेरे लन्ड को अन्दर लेते हुए बैठती गई.
बड़ा प्यारा द्रुश्य था; उसकी नन्ही चूत अब पूरी तन कर खुल गयी थी और इन्च इन्च कर मेरे लन्ड को निगल रही थी. उस मखमली टाइट बुर से होने वाले मीठे घर्षण से ऐसा लग रहा था जैसे अभी झड़ जाऊंगा. किसी तरह मैने अपने आप को संहाला और आखिर सीमा पूरी नीचे होकर मेरे लन्ड को जड़ तक अन्दर लेकर मेरे पेट पर बैठ गई.
मीनल ने अपनी बहन की इस सफ़लता पर ताली बजाई और उसके स्तन दबाकर उसे शाबासी दी. भाभी ने तो खुशी से अपनी बेटी के चुम्बन पर चुम्बन ले डाले.”वाह, क्या चुदैल है मेरी बेटी, अनिल, देखा कैसे तुंहारा सोंटा पूरा खा गई. बेटी, तू तो मुझसे भी बड़ी चुदैल बनेगी और मेरा नाम रोशन करेगी.”
सीमा अपनी चूत की इस सफ़ल लन्ड खाने की क्रीड़ा पर अब मुसकरा रही थी. उसे दर्द भी बहुत हो रहा था जैसा उसकी आंखों में झलक आए आंसुओम से साफ़ दिखता था, पर वह कामुक लड़की अपनी प्यासी चूत की प्यास बुझाने के लिये बेचैन थी. मुझे अब वह चोदने लगी.
पहले तो वह जरा सी ऊपर नीचे हो रही थी और दर्द से बिलबिलाती भी जाती थी. “उ ऽ ऎ ऽ मां ऽ, मर गई, बहुत दुखता है ममी, हा ऽ य, फ़टी मेरी चूत” पर चोदने नहीं बन्द किया. उसकी सहायता करने को मीनल उस से लिपट कर उसे चूमने लगी और उसकी चूचियां दबाने लगी. सुधा भाभी ने अपनी उंगली उस के क्लिटोरिस पर रखकर उसे रगड़ना शुरू किया. बस वह कुम्वारी बुर पसीजने लगी. जैसे जैसे बुर में पानी छूता, वह लन्ड पर फ़िसलने लगी. इससे उसका दर्द कम हुआ और आनन्द बढ गया. इस तरह सीमा दो मिनट में ऐसी गीली हो गई कि बिना किसी रुकावट के मुझे चोदने लगी.
मैंने उसे मन भर कर चोदने दिया. वह दो बार झड़ी पर अपनी बुर में से मेरा लन्ड नहीं निकाला. मैं भी उस कसी कमसिन बुर से चुदने का मजा लेते लन्ड को ताने चुपचाप पड़ा रहा. आखिर दूसरी बार झड़ने पर सीमा थक कर मेरे ऊपर गिर पड़ी और सुस्ताने लगी. उसका मुंह चूमते हुए मैने इसे बाहों में भर लिया और फ़िर भाभी और मीनल को बाजू में कर के उसे पलटकर अपने नीचे लेता हुआ उस पर चढ गया. वह थोड़ी घबरा गई क्योंकि वह जानती थी कि मेरे सब्र का घड़ा भर चुका है. उसपर चढ कर उसके मुंह को अपने होंठों में दबाकर चूसता हुआ मैं घचाघच उस बच्ची को चोदने लगा.
सीमा अपने दबे मुंह से कराहती हुई अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करने लगी. मेरा लन्ड अब फ़िर तन कर बड़ा मूसल हो गया था और उसे जरूर दर्द हो रहा होगा. मीनल ने अपनी छोटी बहन को ताना देते हुए कहा. “अब शुरू हुई है तेरी असली चुदाई, अब तक तो खूब मचल रही थी, अब देख अंकल तेरा क्या हाल करते हैं, जैसा मेरा किया था.” भाभी भी अपनी ही बुर में उंगली करते हुए अपनी छोटी बेटी की चुदाई का तमाशा देखती रहीं.
मैंने मन भर कर हचक हचक कर उसे कमसिन लड़की को चोदा और ऐसा झड़ा कि मुझे करीब करीब चक्कर आ गया. इतना सुख बस कभी कभी मिलता है. सीमा को दुखा तो बहुत होगा पर मैंने एक बात गौर की कि इस पूरी चुदाई में उसकी बुर हमेशा गीली रही और सूखी नहीं. याने उसे दर्द के साथ साथ मजा भी खूब आया होगा. सीमा ने भी अपनी आंसू भरी आंखों से मेरी तरफ़ देखा और उलाहना देने के बजाय मुझे चूम लिया. बड़ी होकर यह लड़की पक्की चुदैल होगी ऐसा मैं समझ गया.
झड़ कर मैं तो लुढक कर सो गया, हां नींद लगते लगते मैंने महसूस किया कि मेरे वीर्य के लिये मेरा लन्ड और सीमा की बुर चूसा जा रही है.
पहली रात की धुआंधार चुदाई के बाद सब थक गये थे इसलिये देर तक सोये. मैं दोपहर को आ~म्फ़िस चला गया. रात को आने में देर हो गई. आकर देखा तो लड़कियां सो गई थीं. सुधा भाभी मेरा खाने पर इम्तजार कर रही थीं. उन्होंने मेरा चुम्बन लेते हुए बताया कि दोनों की चूत दुख रही थी. पर दोनों बहुत खुश भी थीं. उस रात मैने भाभी को एक बार चोदा और फ़िर हम दोनों भी सो गये.
दूसरे दिन से चुदाई का एक कार्यक्रम बना दिया गया. सुबह मैं बस एक बार झड़ता था, उन तीनों में से किसी एक के मुंह मेम. उन्होंने दिन भी निश्चित कर लिये थे. मैं अपना लन्ड चुसवाते हुए उन तीनों की बुर का पानी एक एक बार पी लेता था. फ़िर आ~म्फ़िस निकल जाता था. मेरे जाने के बाद भी वे तीनों मां बेटी कुछ देर सम्भोग करती थीं क्योंकि वे चाहे जितना झड़ सकती थीं. फ़िर दोनों लड़कियां भी अपने स्कूल और का~म्लेज को निकल जाती थीं.
आने के बाद सुधा भाभी उनको अनुशासित रखती थीं जिससे रात तक वे सब गर्म हो जायेम. दो तीन घम्टे वे सब सो भी लेती थीं. मैं आ~म्फ़िस से आकर सीधा सो जाता था. रात का खाना खाने ही उठता और फ़िर नौ बजे से हमारी कांअक्रीड़ा शुरू हो जाती थी. शनिवार रविवार छुट्टी होने से हमारा कार्यक्रम जो शुक्रवार रात से चलता वह रविवार देर रात ही खतम होता था. बस सोना, खाना, पीना और सम्भोग यही दिनचर्या थी.
अब मैं लड़कियों को हफ़्ते में दो दो बार चोदता, उससे ज्यादा नहीं. उनकी चूतें आखिर कुम्वारी भी रखना थी. मीनल मंगलवार और शनिवार को चुदती थी. सीमा की कमसिन बुर मैं गुरुवार और रविवार को चोदता था. भाभी तो बहुत बार चुदती थीं. उन मां बेटियों में अब एक दूसरे के प्रति बहुत यौन आकर्षण पैदा हो गया था इसलिये उनमें आपस में सम्भोग तो चलता ही रहता था. सीमा की चूत चूसती सुधा भाभी या फ़िर मीनल को अपनी मां की जांघों में देखकर मुझे बहुत सुखद अनुभूति होती थी. और यह दृश्य देखकर मैं उत्तेजित भी रहता था.
अधिकतर हम दो दो की जोड़ियां बनाकर सम्भोग करते थे. सबसे ज्यादा चलने वाली जोड़ियां याने मैं और मीनल और उधर वह बच्ची सीमा और उसकी मां. छोटी बेटी की ओर स्वाभाविक ही मां का प्यार ज्यादा था. उधर मुझे भी मीनल की सांवली दुबली पतली काया बहुत आकर्षित करती थी. ज्यादा चोद तो मैं उसे सकता नहीं था पर उसकी काली रसीली चूत चूसना और उसे अपना लन्ड घम्टोम चुसवाना ये मेरी मनपसम्द क्रीड़ाएम थीं. उसके काले खुरदरे पर मीठे होंठों का खूब चुम्बन लेना भी मुझे बहुत भाता था.
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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