Thursday, July 24, 2014

FUN-MAZA-MASTI विधवा की जिंदगी--3

FUN-MAZA-MASTI

 विधवा की जिंदगी--3

 फीर उससे बोली, "अब अपने लंड की प्यास तो बुझा ली. अब तुम भी मेरी चूत को चाटो और मेरी चूत को अपनी जीभ से चोदों."

कमल मेरी चूत के ऊपर के हलके मुलायम झान्तो से खेलता हुआ बोला, "ऐसे थोडे ही लंड की प्यास बुझती है. जब तक मेरा लंड तेरी चूत मैं अन्दर तक जा कर नही चोदेगा तब तक मेरे लंड की थोडी प्यास बुझेगी."

फीर कमल मेरी चूत और झान्तो को अंगुली से सहलाता रह. अपने अंगूठे से मेरी चूत के दाने को खोजने लगा. मेरी चूत का दाना मेरी चूत के दोनो लिप्स के बीच उभर हुआ था. एक दम लाल और फूल चूका था. कमल ने मेरे दाने को अंगूठे से मसला. मसलते ही मेरे मुहं से सिसकारी नीकल पड़ी. फीर मेरे दाने को रगड़ने लगा. थोडी देर के बाद कमल ने अपनी एक अंगुली मेरी चूत के अन्दर डाल दी. चूत रसीली हो चुकी थी. अंगुली धड़ से अन्दर चली गयी. फीर धीरे-धीरे मेरी चूत मैं अंगुली अन्दर-बाहर करके छोड़ने लगा.

मैं मस्त हो हो गयी उसकी अंगुली चुदाई से और बोल उठी, "उफ़... क्या मज़ा आ रह है. कितने दिनों बाद कोई मेरी चूत को छेड़ रह है. हीई... तेज-तेज चोदों अंगुली से... और अन्दर तक डालो... उफ़.."

मेरे ऐसे बोलते ही कमल ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और साथ ही अपनी दूसरी अंगुली भी मेरी चूत मैं डाल दी. मेरी हालत बुरी होने लगी. मैं अपने चुताड उठा-उठा कर उसकी अंगुली को और अन्दर लेने लगी. तभी कमल ने अपनी दोनो अंगुलियाँ बाहर निकाल दी और अपनी जीभ मेरे दाने पर रख दी. मैं सिहर उठी. मेरा बदन अकदने लगा. मैंने जोर की सिसकारी मारी. कमल ने अपनी जीभ का जादू दिखाते हुए मेरे दाने को चाटने लगा. फीर उसने अपने होठों के बीच मेरे दाने को छुपा लीया और चूसने लगा.

अब मुझसे सहन नही हो पा रह था. मैं अपने चुताड आस्मां की तरफ उठा दीये. उसके सीर को पकड़ कर पुरा जोर लगा दीया ताकि वो मेरे दाने को और अन्दर तक ले ले. कमल ने अब मेरे दाने को छोड़ अपनी जीभ मेरी चूत के अन्दर डाल दी. मैं पगला गयी. मैं हवा मैं उड़ने लगी. मेरी चूत मेरे जूस से भर उठी. कमल की जीभ तेजी से मेरी चूत के अन्दर जाती और धीरे-धीरे बाहर आती. मैं उसकी जीभ-चोदन का मज़ा ले रही थी.

अब मैंने वासना के गहरे सागर मैं डूब चुकी थी. मैं चीख पड़ी, "उफ्फ्फ़... कमल... और तेज... जीभ को तेजी से अन्दर बाहर करो... मैंने यह सुख कभी नही पाया... मुझे आज जैसा मज़ा कभी नही मिल... काट खाओ मेरी चूत को... अपने दांत रगड़ दो मेरी निगोडी चूत से... अह्ह्ह... खूब मज़ा दे रहे हो मुझे... मैं तराश गयी थी ऐसे मेज़ के लीये... चोदों मुझे अपनी जीभ से.."

कमल और तेज स्पीड से जीभ-चोदन करने लगा. मैंने कमल के बाल कास कर पकड़ लीये. मेरा बदन ऐंठने लगा. मैंने अपनी एक टांग उठा कर कमल के ऊपर रख दी. कमल भी मेरी चूत को अन्दर तक छोड़ रह था. लेकीन मुझसे सहन बिल्कुल नही हो पा रह था. मुझे लगा मेरी चूत अब झड़ने वाली ही ही.

मैंने कमल के सीर को कास कर पकडा और अपने हाथ से उसके सीर को अपनी चूत पर जोर-जोर से रगड़ती हुयी चीखी, "हाँ कमल... ऐसे ही राग्दो और चोदों... मेरा पानी नीकल जाएगा... हाँ ऐसे ही मेरे रजा... चूसो और राग्दो... निकलेगाया मेराया पान्न्न्नीई. ... निक्लाआअ... "

इसके साथ ही मेरा पानी मेरी चूत से निकलने लगा. मैं बेसुध होने लगी. मेरा तन-बदन हवा मैं उड़ता हुआ महसूस होने लगा. धीरे- धीरे मेरी पकड़ ढीली होती गयी और मैं शांत हो गयी. कमल भी मेरी पकड़ ढीली पड़ते ही मेरे बाजू मैं पलट कर सो गया और गहरी- गहरी साँसे लेने लगा. मैं अब एकदम हल्का महसूस करने लगी. फीर धीरे से करवट लेकर कमक के बदन से चिपट कर सो गयी.

थोडी देर बाद कमल ने मेरे मुम्मी और मेरे गाल पर अपने हाथ फिराना शुरू कर दीया. मेरे जिस्म मैं भी हरकत होने लगी. मैंने अपना हाथ बढ़ा कर उसके आधे खडे लंड से खेलने लगी. मेरे हाथ के लगते ही उसका लंड तिघ्त होने लगा. कमल ने अपना सीर थोडा नीचे कीया और मेरे एक मुम्मे को अपने मुहं मैं ले लीया. मेरी निप्प्ले को चूसने लगा. दुसरे हाथ से वो मेरे दुसरे मुम्मे को मसलने लगा. मैं उसके लंड को अपनी हथेली मैं भर कर हिलाने लगी.

जब उसकी हरकतें बढ़ने लगी तो मैंने कमल को चित्त लिटा दीया और उस पर स्वर हो गयी. मैं अपनी चूत को उसके लंड से घिसने लगी. मेरी चूत की रगड़ से उसका लंड एकदम सख्त हो गया. उसके लंड को एकदम कड़क पाकर मैंने अपनी चूत को उसके लंड के निशाने पर लगाया और उसका लंड मेरी चूत मैं जाने लगा. उसका मोटा लंड मेरी चूत मैं धीरे-धीरे जैसे अन्दर जा रह था वैसे ही मुझे जोश आ रह था. मैं अपने चुताड उठा कर एक जोर का झटका मारा और उसका लंड आधे से ज्यादा मेरी चूत मैं घुस गया.


अब मैं अपने चुताड को हलके-हलके ऊपर उठती और फीर धम्म से नीचे गिरती. ऐसे ७-८ झातको मैं उसका पुरा लंड मेरी चूत मैं चला गया. अब मैं अपने चुताड उठा कर जोर के झटके देने शुरू कर दीये. मेरे मुहं से सिस्कारियां निकलती जा रही थी और मैं झटके देते जा रही थी. कमल ने अपने हाथ बढ़ा कर मेरे दोनो मुम्मो को दबोच लीया और प्यार भरी चुटकी काटने लगा. इससे मेरी स्पीड बढ़ गयी. मैं मेज़ से उसपर सवारी करते हुए चुद्वा रही थी.

जब मज़ा अपने चरम पर पहुँचने लगा तो मैंने झटके देने बंद कर दीये और अपनी जांघों से उसकी जांघों से रगड़ने लगी. इससे मेरे चूत का दाना दबने लगा और मेरा आनंद बढ़ गया. कमल भी मेरे मुम्मो को छोड़ कर अब मेरी कमर को दोनो हाथ से पकड़ लीया और मुझे रगड़ने मैं मेरी सहायता करने लगा. इससे मेरा जोश और मज़ा दुगुना हो गया. साथ ही मेरी स्पीड डबल हो गयी. उसका लंड मेरी चूत के अन्दर तक पहुँचा हुआ था और मेरी चूत उसकी रगड़ से रस छोड़ने लगी.

तभी मैंने महसूस कीया की मेरा पानी निकलने वाला है. मेरी आनंद भरी चीख नीकल पड़ी, "कमल.... अपने हाथ से मेरी कमर को हिलाओ... जोर से हिलाओ... मेरी चूत मैं कुछ हो रह है... मुझे बड़ा मज़ा आ रह है... जोर से राग्दो मुझे... हाँ... ऐसे ही... ऐसे ही...."

इसके साथ ही मेरी कमर और मेरी चूत झटके खाने लगी और मैं झाड़ गयी. उफ्फ्फ़... मेरा पुरा जिस्म अक्दा और ढीला पड गया. मेरी साँसे तेज चलने लगी. मैं हम्फ्ते हुए कमल के सीने से जा लगी और गहरी-गहरी साँसे लेने लगी. अब मेरे बदन का तनाव दूर हो चूका था. लेकीन चाहत और भी थी. मैंने कमल के होंठो को अपने होंठो की गिरफ्त मैं ले लीया और लगी उनको चूसने. मेरे दोनो मुम्मी उसके सीने से छिपते हुए थे. मेरी दोनो जन्घें उसकी दोनो जांघों से मीली हुयी थी. वो मेरी पीठ पर हाथ रखे हुए मेरे चुम्बन का जबाब चुम्बन से दे रह था. उसका लंड मेरी चूत से रगड़ खा रह था. उसका डंडा चुभ रह था.

थोडी देर मैं जब हम दोनो की साँसे नियंत्रण मैं आ गयी तो कमल ने पलती मारी. अब मैं बेद पर चित्त लेटी हुयी थी और कमल मेरे ऊपर छा गया. उसका लंड सीधे मेरी चूत के अन्दर चला गया और और वो अपने चुताड उठा-उठा कर थाप देने लगा. उसका लंड दूर अन्दर तक मेरी चूत मैं समाया हुआ था. मेरी चूत की भीतरी दीवारिएँ उसके लाव्दे का जकड़े हुयी थी. उसके शोट मेरी चूत के अन्दर तक लग रहे थे.

कमल मेरे होठों को चूमता हुआ मुझे चोद रह था. मैं नीचे पड़ी हुयी अपनी टांगें उसकी कमर मैं लपेटे हुयी चुद्वा रही थी. उसके धक्के का जवाब मैं अपने चुताड उठा कर दे रही थी. जैसे ही वो अपने चुताड उठा कर मेरी चूत पर अपने लंड का प्रहार करता मैं अपने चुताड उठा कर उसके लंड का स्वागत करने बेचैन हो उठती. लगभग १५-२० मिनट तक वो मुझे लगातार बगैर थके मेरी चूत की धुनाई करता रह. मैं निहाल हो उठी. मुझे लगने लगा अब मैं टिकने वाली नही हूँ. मेरी चूत अब कभी भी पानी छोड़ सकती है.

तभी कमल छोड़ते-छोड़ते चिल्लाया, "ले मेरी जान, खा मेरे धक्के... बहुत चुदासी है ना तेरी चूत. खा मेरे लंड के धक्के. ले अन्दर तक मेरे लंड को अपनी चूत मैं. ले पी मेरे लंड का पानी. तेरी चूत की प्यास मिटा ले... ले मेरा पानी..."

इसी के साथ ही कमल ने अपनी पिचकारी छोड़ दी. उसकी पिचकारी छूटने के साथ मैंने अपनी टांगें कास कर कमल की कमर के साथ लप्पेट ली और साथ ही मेरी चूत भी अपना पानी छोड़ने लगी. हम दोनो का संगम हो रह था. यह चूत और लंड का मिलन था. दोनो हम्फ रहे थे. दोनो पसीने से तरबतर एक दुसरे से चिपके हुए इस आनंद के कीसी भी पल का छोड़ना नही चाहते थे.

काफी देर तक हम दोनो इसी तरह पड़े रहे. फीर कमल मेरे ऊपर से उठ कर बैठ गया. मैं भी उठ कर कमल की बाँहों मैं समां गयी. हम दोनो फीर चुम्बन लेने लगे. काफी देर तक चुम्मा-छाती के बाद हम दोनो अलग हो गए और दोनो अपने-अपने कपडे पहन लीये.

उसके बाद कमल को वापस अपने गों जान था. मैं बड़ी उदास हो गयी. लेकीन मेरा बस नही चल रह था.

तब कमल ने कहा, "पगली, उदास क्यों हो रही हो? मैं कही हमेशा के लीये थोडे जा रह हूँ. हफ्ते-दस दीन बाद फीर आऊंगा तब तक तेरी चूत मेरे लंड के लीये बेताब हो जायेगी तब चुदवाने मैं बड़ा मज़ा आएगा."

फीर कमल चला गया. अब कमल हेर हफ्ते-दस दिनों मैं आता है और मेरी चूत की खूब चुदाई करता है. दो-दो दिनों तक मेरी चूत उसके लंड से लगी रहती है.












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