Sunday, July 13, 2014

FUN-MAZA-MASTI जरुरत मन्द--3

FUN-MAZA-MASTI
 जरुरत मन्द--3

 उसने जल्दी से जया को अपने से दूर किया और बोला कैसे है मेरी छोटी बहन जया ने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा जाओ
में आपसे बात नही करती ऐसे भी क्या कोई अपनी बहन या मां बाप के साथ करता है जैसा आपने किया है जय ने पुछा
की क्या किया मैने तो जया बोली की ज्यादा बनकर मत दिखाओ 6 महीने बाद बहन की याद आयी है जाओ मेरी आपसे
कटटी……
मैं नही बोलती आपसे तो जय ने अपने कान पकड कर कहा सौरी बाबा सौरी……

चल जल्दी से ये देख मैं तेरे लिये क्या लाया हूं तो जया ने पुछा की क्या लाये हो तो जय ने उसे टेलीविजन दिखाया तो जया
ने मारे खुशी के जय के माथे को चूम लिया । इसके बाद जय मम्मी पापा से मिला हाल चाल पूछा और अपना हाल सुनाया
उसने बस इतना ही बताया की वो इक अच्छी कम्पनी में जोब करता है उसके बाद उसने माँ के हाथ का बना हुआ खाना खाया
और खाना खाकर शाम के समय बाहर घूमने के लिये जैसे ही वो घर से बाहर निकलने वाला था तभी कमली ने उनके घर में
प्रवेश किया और जैसे ही उसने जय को देखा तो वो जय से चिपक गयी और लगी उस पर मुक्के बरसाने की मुझे ऐसे कैसे छोड
कर चले गये तुम और उसने जय के गाल पर चुम्मियों कि झडी लगा दी

अब कोई लडकी किसी लडके से गले लग कर खडी हो और उपर से उसकी चुचिंया लडके के शरीर में चुभ रही और ऊपर से वो
किस पर किस करे जा रही हो तो लडके का लंड कैसे ना खडा होगा तो हो गया जय का लंड भी खडा और वो भी लगा कमली को
किस करने लेकिन इस से पहले की दोनो कुछ और कर पाते आ गयी कबाब में हडडी जया और कलमी को देखते ही बोली अरे
कमली तू आ गयी में तुझे ही बुलाने जा रही थी। अब जय दोनो लडकियों को बतलाता हुआ छोड्कर बाहर निकल गया और अपने
गांव के पुराने दोस्तो से मिलने चला गया।

रात को जब वो वापस आया तो देखा तो घर में पडोसियों और मुहल्ले के बच्चों की भीड जमा थी जय डर गया की कही फ़िर से
पापा को तो कही कुछ ना हो गया जय भागता हुआ घर में घुसा तो देखा घर में सब कुछ एक दम ठीक था अन्दर टेलीविजन चल
रहा था जिस वजह से उसके घर में इतनी भीड थी। और रात के समय टेलीविजन पर चन्द्रकान्ता नामक नाटक आ रहा था जिसमें
कि एक प्रेम-मय सीन चल रहा था सीन क्या था तो देखिये……

लौंडी की सूरत बनाए हुए तेजसिंह भी एक किनारे जाकर बैठ गए।
तेजसिंह को देख चपला बोली - ‘क्यों केतकी, जिस काम के लिए मैंने तुझको भेजा था क्या वह काम तू कर आई जो चुपचाप
आ कर बैठ गई है?
चपला की बात सुन तेजसिंह को मालूम हो गया कि जिस लौंडी को मैंने बेहोश किया है और जिसकी सूरत बना कर आया हूँ
उसका नाम केतकी है।
नकली केतकी – ‘हाँ काम तो करने गई थी मगर रास्ते में एक नया तमाशा देख तुमसे कुछ कहने के लिए लौट आई हूँ।’
चपला – ‘ऐसा। अच्छा तूने क्या देखा कह?’
नकली केतकी – ‘सभी को हटा दो तो तुम्हारे और राजकुमारी के सामने बात कह सुनाऊँ।’
सब लौंडियाँ हटा दी गईं और केवल चंद्रकांता, चपला और चंपारह गई। अब केतकी ने हँस कर कहा - ‘कुछ इनाम तो दो
खुश-खबरी सुनाऊँ।’
चंद्रकांता ने समझा कि शायद वह कुछ वीरेंद्र सिंह की खबर लाई है, मगर फिर यह भी सोचा कि मैंने तो आज तक कभी वीरेंद्र
सिंह का नाम भी इसके सामने नहीं लिया तब यह क्या मामला है? कौन-सी खुशखबरी है जिसके सुनाने के लिए यह पहले
ही से इनाम माँगती है? आखिर चंद्रकांता ने केतकी से कहा - ‘हाँ, हाँ, इनाम दूँगी, तू कह तो सही, क्या खुशखबरी लाई है?’
केतकी ने कहा - ‘पहले दे दो तो कहूँ, नहीं तो जाती हूँ।’ यह कह उठ कर खड़ी हो गई।

केतकी के ये नखरे देख चपला से न रहा गया और वह बोल उठी - ‘क्यों री केतकी, आज तुझको क्या हो गया है कि ऐसी बढ़-बढ़
कर बातें कर रही है। लगाऊँ दो लात उठ के।

केतकी ने जवाब दिया - ‘क्या मैं तुझसे कमजोर हूँ जो तू लात लगावेगी और मैं छोड़ दूँगी।’
अब चपला से न रहा गया और केतकी का झोंटा पकड़ने के लिए दौड़ी, यहाँ तक कि दोनों आपस में गूँथ गईं। इत्तिफाक से चपला
का हाथ नकली केतकी की छाती पर पड़ा जहाँ की सफाई देख वह घबरा उठी और झट से अलग हो गई।

नकली केतकी - (हँस कर) क्यों, भाग क्यों गई? आओ लड़ो।
चपला अपनी कमर से कटार निकाल सामने हुई और बोली - ‘ओ ऐयार, सच बता तू कौन है, नहीं तो अभी जान
ले डालती हूँ।’
इसका जवाब नकली केतकी ने चपला को कुछ न दिया और वीरेंद्र सिंह की चिट्ठी निकाल कर सामने रख दी। चपला की
नजर भी इस चिट्ठी पर पड़ी और गौर से देखने लगी। वीरेंद्र सिंह के हाथ की लिखावट देख समझ गई कि यह तेजसिंह हैं,
क्योंकि सिवाय तेजसिंह के और किसी के हाथ वीरेंद्र सिंह कभी चिट्ठी नहीं भेजेंगे। यह सोच-समझ कर चपला शरमा गई
और गरदन नीची कर चुप हो रही, मगर जी में तेजसिंह की सफाई और चालाकी की तारीफ करने लगी, बल्कि सच तो यह है
कि तेजसिंह की मुहब्बत ने उसके दिल में जगह बना ली।

चंद्रकांता ने बड़ी मुहब्बत से वीरें द्रसिंह का खत पढ़ा और तब तेजसिंह से बातचीत करने लगी -
चंद्रकांता – ‘क्यों तेजसिंह, उनका मिजाज तो अच्छा है?’
तेजसिंह – ‘मिजाज क्या खाक अच्छा होगा? खाना-पीना सब छूट गया, रोते-रोते आँखें सूज आईं, दिन-रात तुम्हारा ध्यान है,
बिना तुम्हारे मिले उनको कब आराम है। हजार समझाता हूँ मगर कौन सुनता है। अभी उसी दिन तुम्हारी चिट्ठी ले कर मैं गया
था, आज उनकी हालत देख फिर यहाँ आना पड़ा। कहते थे कि मैं खुद चलूँगा, किसी तरह समझा-बुझा कर यहाँ आने से रोका
और कहा कि आज मुझको जाने दो, मैं जा कर वहाँ बंदोबस्त कर आऊँ तब तुमको ले चलूँगा जिससे किसी तरह का
नुकसान न हो।’

चंद्रकांता – ‘अफसोस। तुम उनको अपने साथ न लाए, कम-से-कम मैं उनका दर्शन तो कर लेती? देखो यहाँ क्रूर सिंह के
दोनों ऐयारों ने इतना ऊधम मचा रखा है कि कुछ कहा नहीं जाता। पिताजी को मैं कितना रोकती और समझाती हूँ कि क्रूरसिंह
के दोनों ऐयार मेरे दुश्मन हैं मगर महाराज कुछ नहीं सुनते, क्योंकि क्रूरसिंह ने उनको अपने वश में कर रखा है।

मेरी और कुमार की मुलाकात का हाल बहुत कुछ बढ़ा-चढ़ा कर महाराज को न मालूम किस तरह समझा दिया है कि महाराज
उसे सच्चों का बादशाह समझ गए हैं, वह हरदम महाराज के कान भरा करता है। अब वे मेरी कुछ भी नहीं सुनते, हाँ आज बहुत
कुछ कहने का मौका मिला है क्योंकि आज मेरी प्यारी सखी चपला ने नाजिम को इस पिछवाड़े वाले बाग में गिरफ्तार कर लिया
है, कल महाराज के सामने उसको ले जा कर तब कहूँगी कि आप अपने क्रूरसिंह की सच्चाई को देखिए, अगर मेरे पहरे पर मुकर्रर
किया ही था तो बाग के अंदर जाने की इजाजात किसने दी थी?’

यह कह कर चंद्रकांता ने नाजिम के गिरफ्तार होने और बाग के तहखाने में कैद करने का सारा हाल तेजसिंह से कह सुनाया।

नाटक देखते देखते जय ने देखा की कमली भी जया के साथ बैठकर नाटक देख रही है तो जय ने कमली को इशारे से अन्दर आने
को कहा तो कमली ने कहा कि नही अभी सभी है और वो अभी नाटक देख रही है उसकी ये सभी बाते उसने भी इशारे के माध्यम
से जय से कही जय को उस टाईम कमली पर गुस्सा तो बहुत आया पर कुछ कर नही सकता था तो वो अन्दर जाकर सो गया  


पर जय को यकीन था कि कमली जरूर आयेगी खाट पर लेटकर उसका वेट करने लगा १५-२० मिनट के बाद वो
आ गयी लेकिन जब उसने मुझेसोते हुए देखा तो वापस जाने लगी तभी जय ने उसका हाथ पकड लिया जिससे उसे
शोक लगा लेकिन फिर वो नॉर्मल हो गयी .

मैने उससे कहा कि यही सो जाओ वैसे भी वो बाहर के कमरे में और वो भी अकेली ही सोती थी ओर हमारे घर मे वो
पहले भी कई बार जया के साथ सो चुकी है पहले तो वो मना करने लगी लेकिन जय ने जब उससे ज्यादा कहा तो वो
मान गयी ओर बोली तुम कुछ भी गलत नही करोगे.

फ़िर में टायलेट चला गया वापस आकर हम लोग बातें करने लगे मैने थोडी देर बाद कुछ शोर सुना हमारे घर से सब
लोग टेलीविजन देखने के बाद सोने जा रहे थे फ़िर कुछ देर बाद सब नॉर्मल हो गया अब मुझे भी कोई डर नही था सारा
गांव सो रह था अब मैने उसका हाथ पकड़ लिया उसने कुछ नही कहा मैने उसको बोला की मैं तुम्हें चूमना चाहता हूं तो
उसने गुस्से से मुझे देखा ओर बोली मैं जानती थे तुम यही सब करोगे मेरे साथ ये बोल कर वो जाने के लिये उठी तो जय
ने तेजी दिखाते हुए उसे अपने गले लगा लिया.

वो जय से छुटने कि नाकाम कोशिश का दिखावा करने लगी थोडी देर बाद उसने विरोध करना बन्द कर दिया और वो जोर से
मेरे से चिपक गयी. उससे गले लगकर मुझे मजा बहुत आ रहा था। उसका बायां बूब मेरे दायें हाथ से दबा हुआ था। मैंने उसका
हाथ छोड़ दिया और उसने भी मेरा हाथ छोड़कर दूसरे हाथ को भी मेरी गर्दन में लपेट दिया। मेरे शरीर में हलकी हलकी चिंटिंया
रेंग रही थी। सच में बहुत मजा आ रहा था। मैंने अपना दायां हाथ जो अभी भी उसके मेरे बीच में था को धीरे-धीरे उपर किया और
उसके बूब्स को टच करते हुए बाहर निकालकर उसके कंधे को पकड़ा।

कमली अभी भी ऐसे ही मुझसे लिपटी हुई थी। उसकी सांसे काफी तेजी से चल रही थी। मैंने अपने दोनों हाथों को उसके कंधे पर
रख दिया। मैं उसे अपनी बांहों में लेने में थोड़ा घबरा रहा था कि कहीं फिर से गुस्सा ना हो जाए। जब काफी देर तक भी कमली
मेरे गले लगी रही तो मैंने अपने हाथों को उसकी कमर में डाल दिया और उसे थोड़ा टाइट पकड़ कर अपने साथ चिपका कर उसकी
बॉडी को फिल करने लगा।

कमली ने मेरे कंधे पर अपने चेहरे को थोड़ा रगड़ा और वापिस कंधे पर सिर रख दिया। मैंने अपने हाथों से धीरे धीरे कमली की कमर
को सहलाना चालू कर दिया। मैं अपने हाथ उसकी कमर में बहुत ही धीरे से चला रहा था, ताकि अगर उसके मन में ऐसा कुछ ना हो
तो वो ये ना समझे कि मैं उसके साथ मजे कर रहा हूं।


धीरे धीरे कमली का शरीर गरम होने लगा। मुझे मेरे कंधे पर उसका गरम चेहरा महसूस हो रहा था। कमली को गरम
होते देख मेरे पप्पू ने भी शॉर्ट के अंदर हलचल मचानी शुरू कर दी। और कुछ ही सेकंड में एकदम तन कर खड़ा हो गया।
कमली की जांघें और मेरी जांधे एकदम एक दूसरे से सटी हुई थी, तो शायद मेरे पप्पू के हलचल करने से उसे वो अपनी
जांघों पर महसूस हो रहा होगा।

कमली ने अपने हाथों को थोड़ा ढीला किया और अपना चेहरा मेरे सामने करते हुए मेरी आंखों में देखने लगी। मैंने भी अपने
हाथों को वापिस उसके कंधे पर रख दिया। कमली की आंखें एकदम लाल हो गई थी, वो पूरी तरह से वासना में डूब चुकी थी।
उसके हाथ अब भी मेरी गर्दन पर हल्के हल्के सहला रहे थे। उसने अपने एक हाथ को मेरे बालों में लाते हुए मेरे बालों को सहलाने
लगी और ऐसे ही मेरी आंखों में आंखें डालकर देखती रही।

मैंने धीरे से अपना चेहरा उसके चेहरे के करीब किया और थोड़ा रूककर उसका एक्सप्रेशन देखने लगा। उसने अपनी आंखें नीचे कर
ली और उसके गुलाबी होंठ फडकने लगे। उसकी सांसे बहुत ही तेज चल रही थी। मैंने अपनी नजरों को थोड़ा झुकाया, उसके बूब्त
तेजी से उपर नीचे हो रहे थे और उसके पैर थोड़े थोड़े कांप रहे थे।

मैंने वापिस उसके चेहरे की तरफ देखा तो वो अभी भी नीचे ही देख रही थी। कमली का चेहरा एकदम गुलाबी हो गया था। मैंने अपने
चेहरे को थोड़ा और आगे करके उसके गालों पर अपने होंठ रख दिए। कमली के मुंह से एक सिसकारी निकली और वो वापिस मुझसे
चिपक गई। उसके चिपकने से मेरा लंड फिर से उसकी जांघों पर टक्कर मारने लगा।

मैने अब कमली को अपने से थोडा सा अलग किया और अपने तथा कमली के पूरे कपडे उतार दिये अब में और कमली बिल्कुल नग्न
खडे एक दूसरे को निहार रहे थे कमली ने मुझे देखते हुए फ़िर से मेरे गले लग गयी और जोर जोर से मेरे होठों को चुमने लगी।
 
 











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