Wednesday, July 23, 2014

FUN-MAZA-MASTI आंटी का नशा--2

FUN-MAZA-MASTI


आंटी का नशा--2


आंटी का चूत देख के मैं जैसे भोख्ला सा गया. आंटी का चूत किसी जवान लड़की की माफिक था. चिकना और साफ़ चूत देख के मैं झांटो के बारे में सोचने लगा. अगर आंटी ने चूत को साफ़ रखा था तो फिर सालें बाल आयें कहाँ से. तभी मेरी नजर आंटी के चूत की साइड में पड़ी. आंटी ने गोरी लौंडियो की तरह वहां पे बाल का स्टाइल बनाया था. मतलब की उतने हिस्से के बाल उसने साफ़ नहीं किये थे और इस में तो आंटी और भी उत्तेजित लग रही थी. आंटी ने घुटने को मोड़ के पेटीकोट को उतार फेंका. मेरा हाथ अपने आप ही उसकी चूत के ऊपर खिंचा चला गया.. मैंने धीरे से आंटी का चूत सहलाया और रोहिणी आंटी की आँखे बंध हुई और उसके मुहं से सिसकी निकल पड़ी.
आंटी: आह बड़ा मजा आ रहा हैं जब तुम अपने हाथ को मेरी प्यासी चूत के ऊपर फेर रहे हो. मेरी चूत के अंदर ऊँगली कर के एक बार इसका सारा पानी निकाल डालो.

 

मुझे तो बस हुक्म सुनने की देरी थी. मैंने ऊँगली को आंटी की चूत के अंदर डालना चालू किया और ऊँगली किसी भी रोकटोक के बिना चूत के अंदर घुस जा रही थी. आंटी का चूत मस्त ढीला था और उसमे कोई घर्षण नहीं था. मैंने पहले अपनी बड़ी ऊँगली को चूत के अंदर घिसा और फिर थोड़ी देर के बाद अपनी दूसरी ऊँगली को भी काम में ले लिया. मैं अब दो ऊँगली को एक साथ आंटी की चूत में डाल के हिला रहा था. आंटी भी मोंन कर के मुझे और भी जोर जोर से अपनी चूत में ऊँगली डालने को कह रही थी.
आंटी: आह बड़ा मजा आ रहा हैं. मेरे चूत के दाने को अपनी ऊँगली के बिच में मसल दो. और मेरी चूत की खाई में अपनी ऊँगली से खलबली कर डालो. आज मैं तुम्हें बेहोश कर के चोदूंगी. ऊँगली मात्र से ही आंटी सातवें आसमान पे पहुँच गई थी और फिर वो हिल हिल के अपनी गांड को आगे पीछे करने लगी. मैं समझ गया की उसका वक्त आ चूका हैं और वो अब किसी भी वक्त झड़ सकती हैं. मै ऊँगली को और भी जोर से चूत के अंदर हिलाने लगा और उसके चूत के दाने को अपनी दो ऊँगली के बिच में दबाने लगा. आंटी की आह आह ओह ओह चलती रही और दुसरे ही मिनिट उसके बदन में एक भारी कम्पन आया. उसने मेरे हाथ को अपने हाथ से पकड के चूत के अंदर दबाया और आंटी का चूत अपना रस छोड़ने लगा. आंटी का पानी मेरी उंगलियों पे ही बहने लगा और उसके बदन में वो कम्पन कुछ आधी मिनिट तक चलता ही रहा. फिर आंटी शांत हो गई, उसका चूतड़ और चूत भी कब से हलना बंध हो गया था.
मैंने अपने हाथ से उसके बूब्स दबाएँ और फिर उंगलियों को साफ़ करने के लिए उन्हें कमीज़ से पोंछने ही वाला था. लेकिन मेरे पोंछने से पहले ही आंटी ने मेरी उँगलियाँ अपने मुहं में ले ली और उसके ऊपर की सभी नमकीन परत वो चाट गई. शायद वो अपनी चूत का पानी व्यय नहीं करना चाहती थी. मेरी उँगलियों को पूरी चाटने के बाद आंटी ने मुझे हाथ पकड के बेड पे खिंच लिया. अब हम दोनों नंगे बेड में सोये हुए थे. मेरा लंड कब से कंडोम पहने खड़ा था युध्ध करने के लिए. आंटी ने अपना हाथ लंड पे रखा और वो उसे सहलाने लगी. वो बड़े ही प्यार से जैसे लंड को पुचकार रही थी. एक मिनिट में ही वो चुदने के मुड़ में आ चुकी थी. उसने अपनी टाँगे फैला दी और मुझे टांगो के बिच में आने को कहा. टांगो के बिच में बैठकर मैं आंटी का चूत देख रहा था. आंटी ने मेरे लौड़े को हाथ से पकड के अपनी चूत की और खिंचा और उसे चूत के होंठो के ऊपर मसलने लगी. चूत की चिकनाहट ऊपर से और कंडोम की चिकनाहट अंदर से मेरे लौड़े को अति-उत्तेजित कर रही थी. आंटी ने अब धीरे से लंड को चूत के छेद के ऊपर सेट किया और मुझे आँख मार दी. मैं समझ गया की चूत प्रवेश का मुहरत हो गया हैं.

 

एक ही झटके में मैंने जैसे ही अपना लंड आंटी की चूत के अंदर दे मारा उसके मुहं से फिर से आः ओह ओह निकल पड़ा. मेरा आधे से भी ज्यादा लौड़ा मैंने एक ही झटके में पेल दिया था आंटी की चूत के अंदर इसलिए दर्द तो होना ही था. आंटी को स्वस्थ होने में एक मिनिट लगा और तब मैंने एक और झटका मार के लंड को पूरा चूत के अंदर पेल दिया. आंटी के चूत के बाल वाले हिस्से से मेरी अंदर की जांघे लड़ रही थी और वो घर्षण बड़ा ही सेक्सी लग रहा था. आंटी का चूत मेरे लंड को खा गया था जैसे. मैंने अब धीरे धीरे से अपनी कमर को हिलाना चालू कर दिया और मेरा लंड और आंटी की चूत एक ही ताल में जैसे की नाच रहे थे. अपनी उह आह ओह ओह बंध कर के आंटी भी अब मुझे पूरा सपोर्ट दे रही थी उसकी चूत की चुदाई के लिए. मैं अपना लंड उसके भोसड़े के ऊपर जोर जोर से मार के उसकी चुदाई का रस निकाल रहा था. जी हाँ आंटी का चूत गिला हो के मेरे लंड के ऊपर अपना पानी छोड़ रहा था. लेकिन ये वो पानी नहीं था जो उत्तेजना के खत्म होने के बाद निकलता हैं. बल्कि यह वो पानी था जो चुदाई के समय चूत को चिकनी करने के लिए कुदरती तरीके से निकलता हैं. आंटी का चूत मस्त चिकना हो रहा था और मेरा लंड और भी आसानी से उसकी चूत के अंदर बहार हो रहा था. मैं अपनी गांड को जोर जोर से हिला के आंटी की चूत को पेल रहा था और आंटी भी अब अपनी गांड को उठा के मुझे पुरे मजे दे रही थी. आंटी की चूत से जब लंड निकल के घुसता था तो मस्त पच पच की आवाज आ रही थी…

आंटी अपनी गांड को उठा उठा के पच पच के आवाज से चुद रही थी और मैं अपना लंड पूरा उसकी चूत की गुफा में डाल के निकाल रहा था. पसीना हम दोनों को भी होना स्टार्ट हो गया था. आंटी अपने कूल्हों का सही उपयोग कर के मुझे जोर जोर से धक्के मार रही थी. और उसके ऐसा करने से मेरा लंड उसकी चूत में जोर जोर से अंदर बहार हो रहा था. आंटी का सेक्स अनुभव मेरे सही काम लग रहा था. मैं भी आंटी की बाहों में बाहें डाल के उसे जोर जोर से ठोकने लगा. आंटी के मुहं से आह आह की आवाजें अभी भी निरंतर आ रही थी. और तभी मेरे लंड ने एक पिचकारी मारी. मेरा वीर्य निकल के आंटी की चूत के अंदर ही बह गया. आंटी ने अपनी चूत की ग्रिप मेरे लंड के ऊपर टाईट की और उसने वर्चुअली चूत में वीर्य के झड़ने का मजा लिया. वर्चुअली इसलिए की लंड का पानी कंडोम की वजह से कभी भी उसकी चूत में आना ही नहीं था. मैंने अपना लंड अब उसकी चूत से निकाला और मैं वहीँ बैठ गया. यह सेक्स सेशन छोटा लेकिन थकाने वाला था.

मैं वही बैठ के आंटी को देख रहा था. उसके मुहं पे संतृप्ति के भाव थे इस छोटे से सेक्स सेशन के बाद. वो नंगी ही उठ खड़ी हुई और जाके फ्रिज से कोका कोला के दो टीन ले आई. हमने नंगे ही ड्रिंक ली और फिर आंटी ने मुझे कहा.
आंटी: मैं आज तुमसे अच्छी तरह से चुदना चाहती हूँ. रमेश मेडिकल से 303 की कैप्सूल ले के आया हैं. तुम उसे खालो और घोड़े की तरह मेरे ऊपर चढ़ जाओ.
मैं हैरत से इस सेक्स की प्यासी आंटी को ही देख रहा था. वो खुद चाहती थी की उसके जोर जोर से चुदाई हो फिर मुझे क्या ऐतराज़ हो सकता था. वैसे मैंने इससे पहले कभी सेक्सवर्धक दवाई नहीं ली थी. आंटी ने मुझे कैप्सूल और पानी दिया. मैं एक ही घूंट में दवाई पी गया. फिर मैं वही पे लेट गया. आंटी अपने हाथ से मेरी जांघे सहला रही थी और फिर उसके हाथ मेरे लंड पे आ गए. कंडोम तो निकाल फेंका था लेकिन फिर भी वीर्य की चिकनाहट से लंड चिकना ही रह गया था. आंटी ने अपने साडी के पल्लू से अब मेरे लंड को साफ़ किया और एक और कंडोम निकाल के फिर से लंड को कैद कर दिया.
कैप्सूल अब अपना काम दिखा रही थी क्यूंकि मुझे फिर से उत्तेजना होने लगी थी. और अब की बार तो मेरा लंड जैसे की लोहे की माफिक टाईट हुआ था. लंड में ऐसी ताकत इस से पहले कभी भी नहीं आई थी. आंटी ने मेरे सुपाड़ें को चूमा और बोली, “क्या तुम तैयार हो सेक्स का और एक अध्याय करने के लिए.?”
मैं कुछ नहीं बोला और आंटी के मुहं को लंड के ऊपर दबा दिया. ऐसा करने से मेरा लंड उसके मुहं में ही चला गया. आंटी ने दो चूस्से लगाये और वो उठ खड़ी हुई. आंटी ने ऊँगली में थोडा थूंक लिया और उसे अपनी चूत के ऊपर मल दिया. अब वो अपनी चिकनी चूत को मेरे लंड के ऊपर सेट करने लगी. सेक्स का नशा चूत की चिकनाहट में साफ़ झलक रहा था. आंटी जैसे ही निचे बैठी मेरा लंड गच से उसकी चूत में घुस गया और आंटी ने आह निकाल ली.
आंटी: चोदो मुझे जोर जोर से, इस सेक्स की कीड़े की हवा निकाल डालो. मैं सेक्स की भूखी हूँ मुझे चोद दो आज अपने लौड़े से.
आंटी के ऐसा कहते ही मैं भी ताव में आ गया. मैं निचे से आंटी की चूत में धक्के देने लगा और मेरे हाथ में उसके बूब्स थे. आंटी जोर जोर से उछल रही थी और मैं निचे से उसकी चूत को ठोक रहा था. आंटी के ऊपर चुदाई का नशा ऐसा चढ़ा था की वो जोर जोर से उछल के लंड को तोड़ मरोड़ देने की चेष्टा में लग रही थी. आंटी के ऐसे उछलने से मुझे भी अनहद आनंद आ रहा था.

 

मैं आंटी के चुंचे दबा रहा था और आंटी अपनी गांड को मेरे लंड पे जोर जोर से मार रही थी.
आंटी: मार अंदर तक अपने लंड को, अज तेरा लंड मुझे क्या मजा दे रहा हैं कैसे बताऊँ. फाड़ डाल मेरी चूत को.
अब मैं अपना पोज़ बदलना चाहता था. मैंने आंटी की चूत से अपना लंड बहार निकाला. आंटी भी शायद मेरी हरकत को समझ गई. वो अब मेरे सामने उलटी लेट गई. मैंने आंटी को कुतिया स्टाइल में चोदना चालू कर दिया. और पीछे से तो उसकी चूत की गहराई तक लंड घुस रहा था. आंटी अपनी गांड को जोर जोर से हिला रही थी और कुत्ता सेक्स का मजा ले रही थी. मेरे हाथ में आंटी के गोल कुल्हें थे जिसे पकड के मैं आंटी की चूत को पेल रहा था. वातावरण बेहद उत्तेजक था और मेरा स्खलन तो होंने से रहा. आंटी की सिसकियाँ अब और भी मादक हो गई थी. वो मुझे और भी जोर जोर से चोदने के लिए आह्वान कर रही थी. मैं भी बदन की सारी शक्ति लगा के आंटी को शयनसुख दे रहा था.
तभी मुझे लगा की शायद आंटी के पीछे देने से और भी मजा आयेंगा. और यह सोच के मैंने अपने हाथ पे थोडा थूंक लिया और आंटी की गांड में लगा दिया. आंटी ने पीछे देखा और हंस पड़ी. मैं समझ गया की पीछे लेने में इस रंडी आंटी को कोई भी ऐतराज़ नहीं हैं. मैंने कंडोम से चिकने हुए अपने लंड को निकाला और आंटी के पीछे के छेद पे उसे सेट कर दिया. आंटी ने एक हाथ से बेलेंस किया और दुसरे हाथ से उसने लंड को सेट किया. फिर उसने हुंकार किया और मैंने एक झटका दिया. एक जोर की आह निकली और मेरा लंड आधे से ज्यादा गांड में घुस गया. गांड सेक्स का यह अनुभव बेहद मजेदार था क्यूंकि आंटी की गांड चूत से बहुत टाईट थी.
मैं अब आंटी की गांड के अंदर धीरे धीरे से झटके मारने लगा और आंटी जोर जोर से कूल्हों को हिलाने लगी. मेरा लौड़ा गांड में पूरा घुस के बहार आ रहा था. आंटी का अनुभव सही लग रहा था सेक्स के मामले में क्यूंकि वो लंड को बहार नहीं आने दे रही थी और उसके झटके मुझे बहुत मजे दे रहे थे. मैंने अब अपने हाथ आगे किये और आंटी के बूब्स को हाथ में ले लिए. मैं बूब्स को मसलते हुए आंटी की चूत मारने लगा और आंटी भी उह आह ओह ओह जोर से करो, और जोर से अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ऐसा बोल बोल के मेरे लंड को लेती रही.
303 का नशा काफी देर तक रहा. मैंने आंटी की गांड कम से कम 15 मिनिट तक मारी और लंड ने थकने का नाम ही नहीं लिया. रेकोर्ड की खातिर जान ले की यह मेरा सब से लंबा सेक्स था. 15 मिनिट के बाद जब मैं थक के चूर हो गया तब मेरे लंड से फाइनली पानी निकल के आंटी की गांड को भरने लगा. आंटी ने गांड को कस के उसका पूरा मजा लिया. फिर मैंने कंडोम को निकाल के उसे बिन में फेंक दिया. आंटी तृप्त हो गई थी मुझे ऐसा लगा. और मैं इतना थक गया था की वही आँखे बंध कर के लेट गया.
लेकिन मुझे पता नहीं था की यह आंटी तो सेक्स की बड़ी ही भूखी हैं. उसने आधी घंटे के बाद मुझे फिर से उठाया और चोदने के लिए कहा. पूरी रात वो मुझे एक के बाद एक सेक्स राउंड करने के लिए कहती रही. सुबह हालत यह थी की मुझ से चला भी नहीं जा रहा था….!








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