FUN-MAZA-MASTI
भोग-वासना की लज़ीज़ चाशनी--2
अति स्वस्थ यौन-क्रिया के तहत ये एक ऐसी सम्पूर्ण सन्तु्ष्टि वाली एक-दूसरे को स्वत: परोसी हुई स्वैच्छिक चुदाई थी कि उसे शब्दो में बता पाना शायद सम्भव नहीं।
अंजलि की चूत-चुदाई के चरम शिखर पहुँचते ही कम से कम 100 मिली लीटर वीर्य मेरे लौड़े से पिचकारी-जनित फ़व्वारे की तरह फूट निकला और मेरे अपने ही छोटे भाई की पत्नी के भगोष्ठ के अन्दर तेज़ गति से प्रवाहित हो गया। अंजलि तो जैसे अपने नायाब योनि के अन्दर और भगान्कुर के ठीक ऊपर मेरा इतना ज़्यादा, मलाई की तरह गाढा और गर्म वीर्य-फ़व्वारे की बरसात पाकर पूरे तौर पर सिन्चित होते हुये गुदगुदा कर निहाल और निढाल हो गई। उसके भगोष्ठ से भी अति-सुखद सम्भोग-पूर्ति इन्गित करता बेशुमार यौन-मधु स्राव रिस पड़ा।
थोड़ी देर तक एक-दूसरे के ऊपर निढाल चिपके रहने के बाद हम दोनों ने 69 की दशा में छक कर एक-दूसरे का सम्भोगोपरान्त भरपूर यौन मधु पान किया। हम दोनों हर रिश्ता भूलते हुए पूरी तौर पर एक दूसरे में समा चुके थे, जैसे दरिया का पानी सागर में समा कर खो जाता है, जैसे अन्डे की ज़र्दी और एलब्यूमिन को मिक्सी द्वारा ताबड़तोड़ फेंट कर एक कर दिया जाता है, जैसे शराब को सोडे से मिलाकर पी जाया जाता है।
इस अभूतपूर्व सन्तोषजनक तथा अतिसफ़ल प्रयास के बाद लगभग हर एक दिन बीच कर हम दोनों प्रगाढ़ नग्न सम्भोग करने लगे। हम दोनों के बीच एक प्रचण्ड यौन-रिश्ता तो पूरी तौर पर स्थापित हो ही चुका था, साथ ही एक अटूट प्यार का रिश्ता भी बन चुका था।
वस्तुत: हम दोनों एक दूसरे से अब तक हार्दिक, मानसिक, आत्मिक और शरीरिक रूप से पूरी तौर पर अत्यन्त करीब हो चुके थे, और पति-पत्नी की तरह एक-दूसरे के बीच निर्लज्जता की सभी सीमाओं को लांघ चुके थे। सीढ़ियों से उसके क़दमों की आहट आते ही मैं निर्वस्त्र हो जाया करता था, और वो अन्दर आ कर मेरे स्टडी-रूम का दरवाज़ा बन्द करते ही अपनी झीनी पारदर्शी मैक्सी उतार फेंकती थी।
अंजलि अच्छी तरह जानती थी कि मुझे अपने हाथों से उसका विशाल सख्त ब्रेसियर का हुक खोलना, भारी-भारी स्तनों के गोश्त दबाना और धीरे-धीरे प्यार से सहलाते हुए ब्रेसियर उतारना, चुचूक-चूषण करना एवम साथ ही धीरे-धीरे माँसल कमर के नीचे उसकी जाँघिया सरकाते और घने काले झाँटों से खेलते हुए उसे पूर्ण नग्न करना मुझे अत्यन्त भाता है। अत: मैक्सी को अपने बेहद खूबसूरत तन से अलग करते ही मेरी जवान भाभो अपने आप को एक अति-स्वादिष्ट भोजन की तरह मेरे आगे परोस देती थी। मेरे मुँह में अंजलि उतने ही प्यार से अपना स्तन डालती थी, जैसे अपने बच्चे के मुँह में एक माँ इस इच्छा के साथ एक-एक कर अपना दोनों फूला हुआ दुधुआ डालती है ताकि बच्चा ज़्यादा से ज़्यादा दूध पूरी ताक़त के साथ चूस कर पी जाए।
मैं अपने से दस वर्ष छोटी जवान भाभो के भरे-भरे, भारी-भारी स्तनों के साथ खेलता भी था और बच्चे की तरह पीता भी था। अंजलि के ताज़ा स्तन निप्पल से दूध तो नहीं निकलता था, पर ज़ोर-ज़ोर से चूसने पर एक बड़ा ही स्वादिस्ट लसलसा पदार्थ बाहर आता था जिसके सेवन से हम दोनों की काम-पिपासा और काम-शक्ति कहीं ज़्यादा बढ़ जाती थी।
प्रचण्ड वासना और हविश के वशीभूत, सम्भोग से पूर्व हम दोनों एक दूसरे के नग्न-शरीर पर आपसी सामन्जस्य-रत गर्म मूत्र विसर्जन का मज़ा भी लेते थे, फ़िर एक-दूसरे के हर गोश्त भरे अंग को, और विशेषकर यौनान्गों को पूरे नंगे हो कर खूब चूसते, चाटते, काटते और नोचते रहते थे, जिसके प्रतिफल से अंजलि के भगोष्ठ-द्वार से रिसने वाले गाढ़े यौन-मधु की मात्रा काफ़ी बढ़ जाती थी। तथापि, इस यौन-मधु का भरपूर सेवन करते हुए मैं अंजलि की बेज़ोड़ चुस्त चूत के अन्दर पूरी ताकत से अपना लौड़ा भोंक-भोंक कर घन्टों चूत-चोदन करता रहतता था, बिल्कुल ऐसे ही जैसे गर्म आग की भट्टी में और आग झोंक कर कड़ा लोहा ठूँस-ठूँस पिघलाया जाता है।
अंजलि के अति मान्सल कंचन जैसे कन्धों, बाजूओं, चूचियों, चुचूकों, कूल्हों, जांघों और भगोष्ठ के गोश्त घन्टों चाटने, चूसने, नोचने, काटने, भकोसने और चबाने में मुझे स्वर्ग का सुख मिलता था। अंजलि भी सम्भोग-क्रिया के अन्तर्गत चुदाई से पूर्व मेरे गदह-लन्ड को अपने गले के अन्दर तक ले जाकर उसका लसलसा यौन-रस चूसती रहती थी और देर तक मुख-चोदन करती थी।
बीच चुदाई में भी हम दोनों कई बार रुक-रुक कर एक-दूसरे के मिश्रित यौन-रस से सना लन्ड और चूत भरपूर चूसते-चाटते रहते थे। इस क्रिया के द्वारा न सिर्फ़ हम दोनों की काम-पिपासा बढ़ती थी, बल्कि हम शिखर वीर्य-स्खलन की अवधि भी अपनी इच्छानुसार बढ़ाते रहते थे।
एक दूसरे को हम जितना ही पा रहे थे उतना ही पाने का और प्रबल नशा सा छाया रहता था। मेरी खातिर जैसे मेरी ज़िन्दगी में सिर्फ़ चुदास अंजलि के सिवा और किसी चीज़ की कोई अहमियत नहीं रह गई थी। वैसे ही मेरी भाभो के दिल में इस अति-चुदास भैसुर को बार-बार नग्न आत्म-सात करने के सिवा कोई और अरमान नहीं नज़र आता था।
बार-बार कहती- भैया, अपने गदह-लन्ड के द्वारा एलशीशियन कुत्ते की गति से चोद कर मेरी चूत बुरी तरह फाड़ डालिये, हर धक्के में अपने कड़े लौड़े को पूरा बाहर निकालिए और पूरा अन्दर घुसाइये, ताकि आपके लौह-लन्ड से मेरा भगोष्ठ-द्वार बार-बार टकराए, एवं बार-बार बुरी तरह रगड़ा कर मेरी भगोष्ठ और चूत के अन्दर भगान्कुर तक की दीवार, साथ ही आपका विशाल स्तूपनुमा लौड़ा ऐसा ज़ोरदार गुदगुदाए कि हम दोनों का वर्षों से भूखा-प्यासा कामाग्नि में धू-धू जलता शरीर पूर्ण सन्तुष्टि पा सके ! भैया, बस सिर्फ़ आप धकेल-धकेल कर धुँआधार पेलते चले जाइये और गाढ़े गर्म धात की पिचकारी छोड़ते जाइये, मेरी भगान्कुर को सराबोर करते जाइये।
अनेकों बार ऐसा भी हुआ कि हमने दूध पीते हुये और उबला अण्डा खाते हुये एक दिन में तीन-तीन चार-चार पाँच-पाँच बार एक-दूसरे को खूब ज़ोर-ज़ोर से चोदा और बुरी तरह अपने जंगली यौन की नंगी राक्षसी भूख-प्यास मिटाई। पर चुदाई की यह आग, भूख और प्यास दिनोंदिन बढ़ती ही गई।
वैसे तो पहले भी मैंने अनेकों पराई विवाहित एवं अविवाहित युवा लड़कियों, परिपक्व औरतों, अतिपरिपक्व महिलाओं और प्रौढ़ औरतों के साथ नग्न चूंची चूषण और प्रगाढ़ चूत चुदाई का चरम सुख प्राप्त किया है। पर अंजलि जैसी, या यूं कहें कि एक सिने-तारिका जैसी जवान, शारीरिक रूप से बेहद मालदार और उदाहरणीय यौन क्रियाशील भाभो को उन्मुक्त यौन-क्रिया हेतु सुलभता से पाकर मैं जन्मों-जन्मों के लिए धन्य हो गया।
ऐसा महसूस होता है जैसे मैं और अंजलि दिन पर दिन और भी जवान होते जा रहे हैं। हर धुँआधार नग्न चुदाई के बाद हम दोनों भाभो और भैसुर एक ही शावर के नीचे नंगे नहाते हैं, और मूड आ जाने पर एक बार फ़िर नहाते हुए प्यासी अंजलि की ज़ोरदार चूत-चुदाई कर लिया करते हैं।
एक-दूसरे की खातिर पूर्ण ईमानदारी से समर्पित इस सुखद निर्वस्त्र यौन-भोग कार्य हेतु हाल ही में मैंने एक हवा भरने वाला बड़ा सा वाटर-प्रूफ़ गद्दा खरीद लिया है, जिसे शावर के नीचे बिछा कर हम दोनों अभूतपूर्व भीगा-भीगा नग्न यौन-सुख प्राप्त किया करते हैं। वैसे ही, कभी-कभी छत की सीढ़ी का दरवाज़ा अन्दर से बन्द कर खुली धूप में गद्दा-चादर बिछा कर खुले आसमान के नीचे गर्म चुदाई का ताबड़तोड़ मज़ा भी लेते हैं।
मेरी ज़िन्दगी में मेरी अपनी ही भाभो के द्वारा बार-बार दिया गया, दिया जा रहा और आगे भी अनवरत दिया जाने वाला यह अमर प्रेम तथा अनूठा यौन और यौवन से परिपूर्ण भरपूर नग्न पाशविक सम्भोग सुख, शायद ईश्वर का एक ऐसा वरदान है जो विरले ही किसी को प्राप्त हो। शायद यह हम दोनों के पूर्व-जन्म के कुछ अच्छे कर्मों का फल है कि हम दोनों दुनिया की नज़र में पति-पत्नी ना होते हुए भी उम्मीद से कहीं ज़्यादा सन्तुष्टि के साथ एक-दूसरे का भरपूर निर्वस्त्र यौवन-भोग कर रहे हैं।
अंजलि ने कई बार अपने दिल के आन्तरिक तलों से असीम आभार और उद्गार प्रगट करते हुए यह स्वीकारा है, बल्कि अनुमोदन किया है कि जेठ और भाभो के बीच हो रही बारम्बार नग्न चुसाई और चुदाई जब इस क़दर भरपूर, सुखद, सफल और मस्त जवानी की पुनर्वास लाने वाली साबित हो रही है, तो दुनिया के हर भैसुर-भाभो को सम्भोग-रत होने की उत्प्रेरणा और स्वतंत्रता मिलनी चाहिए, ताकि वो जीवन के सच्चे सुख से रूबरू हो सकें और उनकी ज़िन्दगियों से दुख: कोसों दूर चला जाए।
वस्तुत: अपनी प्यारी भाभो की हक़ीक़त से भरी इस अनोखी अभिव्यक्ति की तारीफ़ में मैं जो कुछ भी कह पा रहा हूँ, शायद वो बहुत ही कम है, न सिर्फ़ इसलिये कि हम दोनों ने एक-दूसरे को रज़ामन्दी से बेहद-बेहद चोदा है, बल्कि इसलिये कि हम दोनों ने आन्तरिक प्यार भरी चुदाई का वो नैसर्गिक स्वाद लिया है, पूर्ण-नग्न सम्भोग-जनित एक ऐसे मर्म को समझा और महसूस किया है जो आमतौर पर कोई वास्तविक पति-पत्नी भी शायद ही समझ पाया हो।
पर मैंने एक बेहद सच्ची और जीवन्त घटना बयान किया है, जो अभी भी मेरी ज़िन्दगी में ज़ारी है। यहाँ तक कि यह भी एक हक़ीक़त है कि आज रविवार होने के प्रतिफल से अभी-अभी, यह सच्चाई लिखने के थोड़ी ही देर पहले मेरे और अंजलि के बीच एक प्रगाढ़ नग्न सम्भोग सम्पन्न हुआ है, तथा अभी से कोई घन्टे भर बाद भी हम दोनों पुन: एक बार शावर के नीचे एक-दूसरे का लौड़ा और चूत चूसते हुए भयन्कर नग्न चुदाई के लिये कटिबद्ध हैं।
आज की छुट्टी का पूरा दिन और पूरी रात हमारे पूर्ण रूप से प्रेम-पूर्वक समर्पित जन्गली शारीरिक सम्भोग सुख-पूर्ति की खातिर तत्पर है। खुदाई प्यार से सिंचित सम्भोग के समक्ष कामान्धता के ज़रिये प्रेम-रहित चुदाई कोई महत्व नहीं रखती। अपने से कम या ज़्यादा उम्र की सम्पूर्ण यौन तुष्टि की तलाश वाली स्त्रियों को मैं उन्नत ढन्ग से अति प्रेम-पूर्वक चोदने के लिये सदा तैयार और तत्पर हूँ।
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भोग-वासना की लज़ीज़ चाशनी--2
अति स्वस्थ यौन-क्रिया के तहत ये एक ऐसी सम्पूर्ण सन्तु्ष्टि वाली एक-दूसरे को स्वत: परोसी हुई स्वैच्छिक चुदाई थी कि उसे शब्दो में बता पाना शायद सम्भव नहीं।
अंजलि की चूत-चुदाई के चरम शिखर पहुँचते ही कम से कम 100 मिली लीटर वीर्य मेरे लौड़े से पिचकारी-जनित फ़व्वारे की तरह फूट निकला और मेरे अपने ही छोटे भाई की पत्नी के भगोष्ठ के अन्दर तेज़ गति से प्रवाहित हो गया। अंजलि तो जैसे अपने नायाब योनि के अन्दर और भगान्कुर के ठीक ऊपर मेरा इतना ज़्यादा, मलाई की तरह गाढा और गर्म वीर्य-फ़व्वारे की बरसात पाकर पूरे तौर पर सिन्चित होते हुये गुदगुदा कर निहाल और निढाल हो गई। उसके भगोष्ठ से भी अति-सुखद सम्भोग-पूर्ति इन्गित करता बेशुमार यौन-मधु स्राव रिस पड़ा।
थोड़ी देर तक एक-दूसरे के ऊपर निढाल चिपके रहने के बाद हम दोनों ने 69 की दशा में छक कर एक-दूसरे का सम्भोगोपरान्त भरपूर यौन मधु पान किया। हम दोनों हर रिश्ता भूलते हुए पूरी तौर पर एक दूसरे में समा चुके थे, जैसे दरिया का पानी सागर में समा कर खो जाता है, जैसे अन्डे की ज़र्दी और एलब्यूमिन को मिक्सी द्वारा ताबड़तोड़ फेंट कर एक कर दिया जाता है, जैसे शराब को सोडे से मिलाकर पी जाया जाता है।
इस अभूतपूर्व सन्तोषजनक तथा अतिसफ़ल प्रयास के बाद लगभग हर एक दिन बीच कर हम दोनों प्रगाढ़ नग्न सम्भोग करने लगे। हम दोनों के बीच एक प्रचण्ड यौन-रिश्ता तो पूरी तौर पर स्थापित हो ही चुका था, साथ ही एक अटूट प्यार का रिश्ता भी बन चुका था।
वस्तुत: हम दोनों एक दूसरे से अब तक हार्दिक, मानसिक, आत्मिक और शरीरिक रूप से पूरी तौर पर अत्यन्त करीब हो चुके थे, और पति-पत्नी की तरह एक-दूसरे के बीच निर्लज्जता की सभी सीमाओं को लांघ चुके थे। सीढ़ियों से उसके क़दमों की आहट आते ही मैं निर्वस्त्र हो जाया करता था, और वो अन्दर आ कर मेरे स्टडी-रूम का दरवाज़ा बन्द करते ही अपनी झीनी पारदर्शी मैक्सी उतार फेंकती थी।
अंजलि अच्छी तरह जानती थी कि मुझे अपने हाथों से उसका विशाल सख्त ब्रेसियर का हुक खोलना, भारी-भारी स्तनों के गोश्त दबाना और धीरे-धीरे प्यार से सहलाते हुए ब्रेसियर उतारना, चुचूक-चूषण करना एवम साथ ही धीरे-धीरे माँसल कमर के नीचे उसकी जाँघिया सरकाते और घने काले झाँटों से खेलते हुए उसे पूर्ण नग्न करना मुझे अत्यन्त भाता है। अत: मैक्सी को अपने बेहद खूबसूरत तन से अलग करते ही मेरी जवान भाभो अपने आप को एक अति-स्वादिष्ट भोजन की तरह मेरे आगे परोस देती थी। मेरे मुँह में अंजलि उतने ही प्यार से अपना स्तन डालती थी, जैसे अपने बच्चे के मुँह में एक माँ इस इच्छा के साथ एक-एक कर अपना दोनों फूला हुआ दुधुआ डालती है ताकि बच्चा ज़्यादा से ज़्यादा दूध पूरी ताक़त के साथ चूस कर पी जाए।
मैं अपने से दस वर्ष छोटी जवान भाभो के भरे-भरे, भारी-भारी स्तनों के साथ खेलता भी था और बच्चे की तरह पीता भी था। अंजलि के ताज़ा स्तन निप्पल से दूध तो नहीं निकलता था, पर ज़ोर-ज़ोर से चूसने पर एक बड़ा ही स्वादिस्ट लसलसा पदार्थ बाहर आता था जिसके सेवन से हम दोनों की काम-पिपासा और काम-शक्ति कहीं ज़्यादा बढ़ जाती थी।
प्रचण्ड वासना और हविश के वशीभूत, सम्भोग से पूर्व हम दोनों एक दूसरे के नग्न-शरीर पर आपसी सामन्जस्य-रत गर्म मूत्र विसर्जन का मज़ा भी लेते थे, फ़िर एक-दूसरे के हर गोश्त भरे अंग को, और विशेषकर यौनान्गों को पूरे नंगे हो कर खूब चूसते, चाटते, काटते और नोचते रहते थे, जिसके प्रतिफल से अंजलि के भगोष्ठ-द्वार से रिसने वाले गाढ़े यौन-मधु की मात्रा काफ़ी बढ़ जाती थी। तथापि, इस यौन-मधु का भरपूर सेवन करते हुए मैं अंजलि की बेज़ोड़ चुस्त चूत के अन्दर पूरी ताकत से अपना लौड़ा भोंक-भोंक कर घन्टों चूत-चोदन करता रहतता था, बिल्कुल ऐसे ही जैसे गर्म आग की भट्टी में और आग झोंक कर कड़ा लोहा ठूँस-ठूँस पिघलाया जाता है।
अंजलि के अति मान्सल कंचन जैसे कन्धों, बाजूओं, चूचियों, चुचूकों, कूल्हों, जांघों और भगोष्ठ के गोश्त घन्टों चाटने, चूसने, नोचने, काटने, भकोसने और चबाने में मुझे स्वर्ग का सुख मिलता था। अंजलि भी सम्भोग-क्रिया के अन्तर्गत चुदाई से पूर्व मेरे गदह-लन्ड को अपने गले के अन्दर तक ले जाकर उसका लसलसा यौन-रस चूसती रहती थी और देर तक मुख-चोदन करती थी।
बीच चुदाई में भी हम दोनों कई बार रुक-रुक कर एक-दूसरे के मिश्रित यौन-रस से सना लन्ड और चूत भरपूर चूसते-चाटते रहते थे। इस क्रिया के द्वारा न सिर्फ़ हम दोनों की काम-पिपासा बढ़ती थी, बल्कि हम शिखर वीर्य-स्खलन की अवधि भी अपनी इच्छानुसार बढ़ाते रहते थे।
एक दूसरे को हम जितना ही पा रहे थे उतना ही पाने का और प्रबल नशा सा छाया रहता था। मेरी खातिर जैसे मेरी ज़िन्दगी में सिर्फ़ चुदास अंजलि के सिवा और किसी चीज़ की कोई अहमियत नहीं रह गई थी। वैसे ही मेरी भाभो के दिल में इस अति-चुदास भैसुर को बार-बार नग्न आत्म-सात करने के सिवा कोई और अरमान नहीं नज़र आता था।
बार-बार कहती- भैया, अपने गदह-लन्ड के द्वारा एलशीशियन कुत्ते की गति से चोद कर मेरी चूत बुरी तरह फाड़ डालिये, हर धक्के में अपने कड़े लौड़े को पूरा बाहर निकालिए और पूरा अन्दर घुसाइये, ताकि आपके लौह-लन्ड से मेरा भगोष्ठ-द्वार बार-बार टकराए, एवं बार-बार बुरी तरह रगड़ा कर मेरी भगोष्ठ और चूत के अन्दर भगान्कुर तक की दीवार, साथ ही आपका विशाल स्तूपनुमा लौड़ा ऐसा ज़ोरदार गुदगुदाए कि हम दोनों का वर्षों से भूखा-प्यासा कामाग्नि में धू-धू जलता शरीर पूर्ण सन्तुष्टि पा सके ! भैया, बस सिर्फ़ आप धकेल-धकेल कर धुँआधार पेलते चले जाइये और गाढ़े गर्म धात की पिचकारी छोड़ते जाइये, मेरी भगान्कुर को सराबोर करते जाइये।
अनेकों बार ऐसा भी हुआ कि हमने दूध पीते हुये और उबला अण्डा खाते हुये एक दिन में तीन-तीन चार-चार पाँच-पाँच बार एक-दूसरे को खूब ज़ोर-ज़ोर से चोदा और बुरी तरह अपने जंगली यौन की नंगी राक्षसी भूख-प्यास मिटाई। पर चुदाई की यह आग, भूख और प्यास दिनोंदिन बढ़ती ही गई।
वैसे तो पहले भी मैंने अनेकों पराई विवाहित एवं अविवाहित युवा लड़कियों, परिपक्व औरतों, अतिपरिपक्व महिलाओं और प्रौढ़ औरतों के साथ नग्न चूंची चूषण और प्रगाढ़ चूत चुदाई का चरम सुख प्राप्त किया है। पर अंजलि जैसी, या यूं कहें कि एक सिने-तारिका जैसी जवान, शारीरिक रूप से बेहद मालदार और उदाहरणीय यौन क्रियाशील भाभो को उन्मुक्त यौन-क्रिया हेतु सुलभता से पाकर मैं जन्मों-जन्मों के लिए धन्य हो गया।
ऐसा महसूस होता है जैसे मैं और अंजलि दिन पर दिन और भी जवान होते जा रहे हैं। हर धुँआधार नग्न चुदाई के बाद हम दोनों भाभो और भैसुर एक ही शावर के नीचे नंगे नहाते हैं, और मूड आ जाने पर एक बार फ़िर नहाते हुए प्यासी अंजलि की ज़ोरदार चूत-चुदाई कर लिया करते हैं।
एक-दूसरे की खातिर पूर्ण ईमानदारी से समर्पित इस सुखद निर्वस्त्र यौन-भोग कार्य हेतु हाल ही में मैंने एक हवा भरने वाला बड़ा सा वाटर-प्रूफ़ गद्दा खरीद लिया है, जिसे शावर के नीचे बिछा कर हम दोनों अभूतपूर्व भीगा-भीगा नग्न यौन-सुख प्राप्त किया करते हैं। वैसे ही, कभी-कभी छत की सीढ़ी का दरवाज़ा अन्दर से बन्द कर खुली धूप में गद्दा-चादर बिछा कर खुले आसमान के नीचे गर्म चुदाई का ताबड़तोड़ मज़ा भी लेते हैं।
मेरी ज़िन्दगी में मेरी अपनी ही भाभो के द्वारा बार-बार दिया गया, दिया जा रहा और आगे भी अनवरत दिया जाने वाला यह अमर प्रेम तथा अनूठा यौन और यौवन से परिपूर्ण भरपूर नग्न पाशविक सम्भोग सुख, शायद ईश्वर का एक ऐसा वरदान है जो विरले ही किसी को प्राप्त हो। शायद यह हम दोनों के पूर्व-जन्म के कुछ अच्छे कर्मों का फल है कि हम दोनों दुनिया की नज़र में पति-पत्नी ना होते हुए भी उम्मीद से कहीं ज़्यादा सन्तुष्टि के साथ एक-दूसरे का भरपूर निर्वस्त्र यौवन-भोग कर रहे हैं।
अंजलि ने कई बार अपने दिल के आन्तरिक तलों से असीम आभार और उद्गार प्रगट करते हुए यह स्वीकारा है, बल्कि अनुमोदन किया है कि जेठ और भाभो के बीच हो रही बारम्बार नग्न चुसाई और चुदाई जब इस क़दर भरपूर, सुखद, सफल और मस्त जवानी की पुनर्वास लाने वाली साबित हो रही है, तो दुनिया के हर भैसुर-भाभो को सम्भोग-रत होने की उत्प्रेरणा और स्वतंत्रता मिलनी चाहिए, ताकि वो जीवन के सच्चे सुख से रूबरू हो सकें और उनकी ज़िन्दगियों से दुख: कोसों दूर चला जाए।
वस्तुत: अपनी प्यारी भाभो की हक़ीक़त से भरी इस अनोखी अभिव्यक्ति की तारीफ़ में मैं जो कुछ भी कह पा रहा हूँ, शायद वो बहुत ही कम है, न सिर्फ़ इसलिये कि हम दोनों ने एक-दूसरे को रज़ामन्दी से बेहद-बेहद चोदा है, बल्कि इसलिये कि हम दोनों ने आन्तरिक प्यार भरी चुदाई का वो नैसर्गिक स्वाद लिया है, पूर्ण-नग्न सम्भोग-जनित एक ऐसे मर्म को समझा और महसूस किया है जो आमतौर पर कोई वास्तविक पति-पत्नी भी शायद ही समझ पाया हो।
पर मैंने एक बेहद सच्ची और जीवन्त घटना बयान किया है, जो अभी भी मेरी ज़िन्दगी में ज़ारी है। यहाँ तक कि यह भी एक हक़ीक़त है कि आज रविवार होने के प्रतिफल से अभी-अभी, यह सच्चाई लिखने के थोड़ी ही देर पहले मेरे और अंजलि के बीच एक प्रगाढ़ नग्न सम्भोग सम्पन्न हुआ है, तथा अभी से कोई घन्टे भर बाद भी हम दोनों पुन: एक बार शावर के नीचे एक-दूसरे का लौड़ा और चूत चूसते हुए भयन्कर नग्न चुदाई के लिये कटिबद्ध हैं।
आज की छुट्टी का पूरा दिन और पूरी रात हमारे पूर्ण रूप से प्रेम-पूर्वक समर्पित जन्गली शारीरिक सम्भोग सुख-पूर्ति की खातिर तत्पर है। खुदाई प्यार से सिंचित सम्भोग के समक्ष कामान्धता के ज़रिये प्रेम-रहित चुदाई कोई महत्व नहीं रखती। अपने से कम या ज़्यादा उम्र की सम्पूर्ण यौन तुष्टि की तलाश वाली स्त्रियों को मैं उन्नत ढन्ग से अति प्रेम-पूर्वक चोदने के लिये सदा तैयार और तत्पर हूँ।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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