Sunday, July 13, 2014

FUN-MAZA-MASTI सेक्सी पिकनिक--2

FUN-MAZA-MASTI
 सेक्सी पिकनिक--2


पिरी बोली- मैंने कुछ नहीं कहा। वो खुद अपने घर की याद करके उदास हो रहा था।

“अरे वाह… घर से 10 किलोमीटर दूर घर की याद आ गई…” मेडम बोली।

सब हँसने लगी। हाहाहाहा…

मैं भी हँसने लगा, बोला- पिरी तुम्हें बहाना भी करना नहीं आया।

फिर सब हँसी मजाक करते हुए खाना बनाने लगे। खाना बन गया तो सब नहाने की तैयारी करने लगे। सब लड़कियों ने सिर्फ़ दुपट्टे अपने बदन से बाँधे। किसी की चूचियां आधा दिख रही थीं तो किसी की गाण्ड आधा दिख रही थी। हमारे बीच में शरम नाम की कोई चीज रही नहीं थी। जैसे मैं लड़का ही नहीं था। या सबने मुझे अपना बदन दिखाने का ठान लिया था।

जब हम समुंदर की तरफ जाने लगे तो मेडम बोली- कोई एक जरा जल्दी आ जाना, फिर मैं नहाने जाऊँगी।
सबसे बुरा हाल पिरी का था। उसकी आँखों में एक अलग ही चमक थी। मुझे देखकर अजीब सी मुश्कुराहट आ रही थी उसे। उसका दुपट्टा सबसे छोटा था। वो खींच-खींचकर अपनी बुर छुपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी। मुझे इशारा कर रही थी की उसकी बुर देख लूँ।

मैं आगे आगे चल रहा था जब मैं घूमता, वो दुपट्टा हटाकर बुर दिखाती। मैंने तौलिया बाँधा था मेरा लण्ड फनफना उठा था। मैंने भी एक बार बाकी लड़कियों की नजर बचाकर लण्ड उसे दिखा दिया। हम पानी के अंदर घुसे, पानी ठंडा था और लहरें बड़ी-बड़ी थी। मुझे भी डर लग रहा था।

सबने कहा- सब एक जगह हाथ पकड़कर नहाएंगे।

पानी में डूबकर उठने के बाद मैं पागल हो गया। सभी लड़कियों के दुपट्टे उनके बदन से चिपक गये थे, ऐसा लग रहा था वो नंगी थीं। मैं सबसे लिपटता और उनकी चूंचियां जी भरके दबाता वो भी मेरा लण्ड पकड़ती।

फिर मैं पिरी के पीछे से गया और उसे पकड़ा। तो उसने खुद मेरे लण्ड को अपने पीछे से अपनी बुर में डाल लिया। पानी की वजह से या उसकी बुर गीली होने की वजह से लण्ड आधा घुस गया। मैं हैरान था, और जोर से उससे चिपक गया। मैं अंदर-बाहर तो नहीं कर पा रहा था, ना ही मुझे चोदने का कोई अनुभव था। मैं चिपक कर खड़ा रहा।

उधर से जीनत आई और मुझे खींच लिया, और मुझसे लिपट गयी। मुझे लगा वो मेरे और पिरी पर नजर रख रही थी। उसके बर्ताओ से जलन तो नहीं दिख रही थी। लेकिन मुझे लग रहा था की वो मुझ पर सिर्फ़ अपना हक समझ रही थी। वो सामने से मेरे गले में बाहें डालकर खड़ी हो गयी। फिर एक हाथ से मेरे लण्ड को अपनी बुर में डाल लिया। और गले में बाहें डालकर अपने पैर मेरी कमर पे बाँधकर लटक गयी। मेरा लण्ड उसकी बुर में अंदर तक घुस गया। पानी छाती से ऊपर था इसलिए कुछ दिखने वाला नहीं था। वो आँखें बंद करके मेरे लण्ड को महसूस कर रही थी।

सोनम आई और कहा- क्या बच्चों की तरह गोद में लटकी हुई है।

जीनत बोली- “तू लटक के तो देख कितना मजा आता है…” जीनत उतर गई।

और सोनम लटक गयी लेकिन लण्ड को बुर में लिए बगैर ही। जीनत ने नीचे हाथ लेजाकर मेरे लण्ड को उसकी बुर के छेद में डालने लगी। वो आ आ करने लगी लेकिन जीनत ने अंदर डाल ही दिया। अब वो किसी की परवाह किए बिना ऊपर-नीचे होने लगी। मैं बेहोश सा हुआ जा रहा था।

फिर कोमल भी पास आ गयी, बोली- क्या चल रहा है।

सोनम उतर गयी।

जीनत ने कहा- “कोमल तू चित लेट पानी की सतह पर…” तीनों ने उसे पानी पे तैरते रहने के लिए सहारा दिया। और मुझसे कहा की मैं लण्ड उसकी बुर में डालूं।

मैंने वक़्त गँवाए बिना ही लण्ड उसकी बुर में घुसा दिया और बिना कुछ सोचे चोदने लगा।

पिरी बोली- जीनत तेरे पास कमाल के आईडिया हैं।

जीनत बोली- मानती हो ना गुरु।

सब हँसने लगे। कुछ ही देर में मेरा बदन अकड़ने लगा। जीनत समझ गयी और कोमल को मुझसे अलग कर दिया। मैं कराहते हुए पानी में आपना पानी छोड़ने लगा। शायद पहले से ज्यादा मेरा पानी निकला था।

फिर पिरी ने कहा- “मेडम ने कहा था कोई जल्दी आ जाना मैं चलती हूँ…” मुझे भी कहा- “इमरान तुम भी चलो…"

जीनत ने मना किया- “नहीं… इमरान नहीं। सोनम तू जा…”

सोनम बोली- मैं नहीं जाती, कोमल को भेज दो।

फिर कुछ सोचकर जीनत ने ही कहा- “ठीक है इमरान को ले जाओ। लड़का साथ में रहना चाहिए।

मैं और पिरी यही चाहते थे। हम खुशी-खुशी वापस झाड़ियों की तरफ चलने लगे।

जब हम पहुँचे तो मेडम बोली- “आ गये…” फिर वो समुंदर की ओर चली गयीं।

मेडम के जाते ही पिरी मुझसे लिपट गयी। और बुरी तरह मुझे चूमने लगी। उसकी सांस उखड़ रही थी। फिर मुझसे अलग हुई और मेरे सामने अपना दुपट्टा उतारकर अलग कर दिया। कहने लगी- इमरान तुम मुझसे प्यार करते हो ना…”

मैंने हाँ में सर हिलाया।

पिरी- “तो मैं चाहती हूँ की तुम मेरा सब कुछ देख लो। और जी भरके प्यार कर लो क्योंकी हमारी शादी तो नहीं हो सकती। लेकिन मैं तुम्हें शादी के सभी शुख देना चाहती हूँ। तुम मुझे भूलोगे तो नहीं ना…”
मैंने कहा- ज़िंदगी भर नहीं।

पिरी ने मेरा तौलिया भी खोल दिया। और उसे निचोड़कर उसी से मेरा बदन पोंछा, और खुद का बदन भी सुखाया। मैं उसकी शख्त, सुडौल, बड़ी-बड़ी, गोरी-गोरी छातियों को देख रहा था। फिर उसके पेट, नाभि और बुर पर नजर गयी। तो मेरे बदन में झुरझुरी सी होने लगी। मेरा लण्ड फिर खड़ा होने लगा था। मैंने उसकी चूचियों को पकड़ लिया और चूसने लगा। वो सर पीछे करके आ आ करने लगी। फिर उसने मेरे एक हाथ को अपनी बुर पे रखा और कहा उंगली घुसाओ।

मैंने एक उंगली घुसाया।

पिरी ने कहा- इमरान दो उंगली।

मैंने दो उंगली घुसाया।

पिरी- “इमरान जोर-जोर से अंदर-बाहर करो। उम्म्मह… आअहह…”

मैं करने लगा। उसका बदन अकड़ने लगा और उसकी बुर से लावा निकलने लगा। मेरी हथेली भर गयी। मैंने उसे अपने लण्ड पर मल लिया। फिर पिरी ने अपनी सांस को काबू करते हुये एक चादर नीचे बिछाई। और खुद चित होकर लेट गयी।

पिरी ने कहा- “इमरान मेरी बुर में लण्ड घुसाओ। जल्दी मुझे चोदो… जल्दी… नहीं तो जीनत आ जाएगी। वो बड़ी हरामी है। हमें जानबूझ कर पहले भेजी है। पीछे-पीछे खुद भी आ जाएगी…”

मैं जल्दी से बैठा और लण्ड को बुर में घुसा दिया। इस तरह मुझे पहली बार किसी बिल्कुल नंगी लड़की को चोदने का मौका मिल रहा था। मैंने दो चार धक्के ही लगाए थे की जीनत आ गईं, और हमें चुदाई करते हुए देखने लगी।

जीनत हमारे पास बैठ गयी और बोली- “पिरी मुझे मौका मिलेगा क्या…”

पिरी बिल्कुल गिड़गिड़ाते हुए बोली- “प्लीज जीनत अभी-अभी लण्ड अंदर गया है। जरा सा इंतेजार कर ना यार… तू ने आग लगाई है जरा सा ठंडा तो करने दे…”

जीनत ने कहा- तुम तो बहुत देर से आई हो।

पिरी बोली- उसका खड़ा करने में देर हो गयी ना।

जीनत- अच्छा अच्छा तू रो मत, चोदती रह… लेकिन मेरे लिए भी छोड़ना।

पिरी बोली- मेरा पानी निकल जाए तो तुझे दे दूँगी।

मैं पिरी की चूचियां को दोनों हाथों से पकड़कर चूस रहा था और लण्ड अंदर-बाहर कर रहा था।

10 मिनट के बाद ही जीनत बेचैन होने लगी, बोली- “यार पिरी छोड़ ना…” वो भी अब गिड़गिड़ा रही थी की मेडम आ जाएंगी।

जीनत की रोनी आवाज पर पिरी को तरस आ गया। उसने कहा- “ठीक है ले ले…” और मेरे कानों में कहा- “हम फिर कभी मौका निकालेंगे…”

जीनत खुश हो गयी और लेट गयी। और मुझे जल्दी से उसकी बुर में लण्ड डालने को कहने लगी।

मैंने एक बुर से लण्ड निकाला और दूसरी बुर में घुसा दिया। मुझे जीनत पर बड़ा गुस्सा आ रहा था। इसलिए मैं जीनत को गुस्से के साथ धक्के दे रहा था। जबरदस्त धक्के से उसकी आँखों में घबराहट नजर आ रही थी। मैं समझ गया और बोला- यार जीनत तुम्हारी बुर में लण्ड जाते ही मुझे जोश बढ़ गया।

वो खुश हो गयी। मैं चोदता रहा, उसने पानी छोड़ दिया और ढीली पड़ गयी। उतने में हमने देखा की मेडम सामने खड़ी थी।

मेडम- “जीनत यह तुम क्या कर रही हो…”

जीनत ने हड़बड़ा कर कहा- मेडम मैं जब आई तो पिरी चुदवा रही थी, मुझसे रहा नहीं गया।

पिरी सर झुकाए खड़ी थी।

मेडम- “मैं सब समझ गयी। तुम चारों ही मेरी आँखों में धूल झोंक रही हो। अब तुम दोनों क्यों खड़ी हो तुम भी चुदवा लो…”

सोनम जैसे खुश हो गयी और मेरे सामने आकर लेट गयी। मैंने लण्ड झट से उसकी बुर में घुसा दिया और चोदने लगा।

मेडम मेरी पीठ पर हाथ फेर कर कह रही थीं- मारो धक्का।

मैं धक्के पे धक्का मारता गया।

सोनम आ आ करके धक्के पर चीख रही थी।

मेडम ने उसे डाँटा- “चुदवाने का शौक भी है, और चिल्लती भी है। चुप…”

वो चुप हो गई। फिर अचानक वो मुझसे लिपट गयी। उसके नाखून मेरे कंधे में गड़ गये, और उसकी बुर ने पानी छोड़ना शुरू किया।

वो ढीली पड़ी तो कोमल को लिटाया गया। मैं उसे चोदने लगा, मेरी स्पीड अब बहुत तेज होने लगी। कोमल तड़पती रही। अब वो भी कराह रही थी और मैं भी। मुझे लग रहा था की मेरा पानी निकलने वाला है। वैसे ही मेडम ने हाथ बढ़ाकर मेरे लण्ड को पकड़ लिया, और कोमल की बुर से खींचकर बाहर निकाला।

मेरे लण्ड ने पिचकारी मारी और पिचकारी सामने बैठी पिरी के मुँह में गिरी। पिरी ने दुपट्टा से साफ कर लिया।
मेडम ने लण्ड की ट्यूब को दबाकर पकड़ लिया, जिससे लण्ड से पानी ना निकल सके। ऐसा करने से मुझे दर्द होने लगा।

मैंने कहा- “मेडम छोड़िए, मुझे दर्द हो रहा है…”

उन्होंने अपना मुँह खोला और लण्ड को उसमें डालने ही वाली थीं की उनकी पकड़ ढीली हुई और मेरे लण्ड ने एक और पिचकारी मारी जो मेडम के हलाक तक चली गयी होगी। उन्होंने मुँह बंद किया, वो मनी की धार निकलती गयी मेडम का पूरा मुँह भर गया उन्होंने गटागट गटक लिया।

जीनत उनके पास बैठी थी उसने मुँह खोलकर कहा- मेडम मेरे मुँह में दीजिए ना।

मेडम ने लण्ड उसके मुँह में डाल दिया। मेरे लण्ड ने फिर पिचकारी मारी। जीनत ने उसे पी लिया। फिर लण्ड पिरी ने लिया। और दोनों हाथों में पकड़कर लण्ड चूसने लगी, सारा पानी पी गयी। फिर जीभ से लण्ड को चाटा, और अंडों को भी चाटने लगी। मेरे दिल में उसके लिए जो फीलिंग्स थी उससे मुझे लगा की लण्ड फिर से खड़ा हो जाएगा। मैं अब थक चुका था, लण्ड ढीला पड़ने लगा।

मेडम ने कहा- चलो खाना खाते हैं।

सबने कपड़े पहने। खाने बैठे।

खाने के बाद मैंने कहा- “मेरा सर दर्द कर रहा है…” सब डर गये।

जीनत को फिर भी मजाक सूझ रहा था, बोली- अकेला लड़का इतना मेहनत करेगा तो तबीयत खराब नहीं होगी…”

सब पहले हँसे फिर पिरी ने उसे डाँटा- तुम्हें हर वक़्त मजाक ही करना है।

जीनत बोली- इसमें मजाक क्या है… सच तो है, चलो उसे आराम करने दो।

पिरी ने चादर बिछाई और मुझसे कहा- तुम यहाँ लेट जाओ।

अब सब लोग पिरी की मुझमें दिलचस्पी साफ देख सकते थे। मैं सो गया। नींद भी आ गई पर कुछ ही देर बाद मुझे लगा की मेरे लण्ड को कोई सहला रहा है। मैंने आहिस्ता से एक आँख खोलकर देखा तो मेडम मेरे लण्ड को सहला रही थी, और कह रही थी- “बच्चों किसी को बोलना मत प्लीज…”

सबने कहा- नहीं बोलेंगे।

मैंने आँख फिर बंद कर लिया और मेरे जागते ही मेरा लण्ड भी जागने लगा, फनफनाता हुआ खड़ा हो गया।
मेडम बोली- “बाप रे… बच्चे का लण्ड इतना बड़ा… यह जवान होगा तो इसका क्या हाल होगा। तुम लोगों ने लिया कैसे…”

जीनत बोली- मेडम पहले चूसिये।

मेडम चूसने लगी। थूक से सान दिया।

फिर जीनत बोली- फिर अपनी बुर में रगड़िए।

मेडम बोली- मैं जानती हूँ।

जीनत बोली- आप पूछ रही थी की कैसे लिया… तो इसलिए बता रही थी।

सब हँसने लगे और जीनत को मारने लगे। और इधर मेडम मेरे लण्ड को अपनी बुर में रगड़ रही थी फिर उसपर सावर हो गयीं। और ऊपर-नीचे होने लगीं। वो भारी बदन की थी, बड़ा आहिस्ता-आहिस्ता ऊपर-नीचे हो रही थीं। मुझे मजा नहीं आ रहा था।

मेरे जेहन में तो सिर्फ़ पिरी की गोरी बुर चमक रही थी। पिरी ने मेरे हाथ में पानी छोड़ा था मेरे लण्ड पर नहीं छोड़ा था, और कोमल के पानी छोड़ने के पहले ही मैंने पानी छोड़ दिया था।

कुछ ही देर में मेडम ने पानी छोड़ दिया। उनकी बुर से भी काफी पानी निकला। वो अभी तक कुँवारी थीं। उनके साथ किसी ने बेवफाई की थी इसलिए उन्होंने शादी ना करने का फैसला ले रखा था। अब उनकी उम्र 36 साल की थी। मेरी पैंट घुटनों तक खिंचा गयी था। इसलिए गीला होने का डर नहीं था।

मेडम उतरी और बोली- “बाप रे… क्या लण्ड है… छाती तक घुस जाता है। लो किसे लेना है…”

पिरी लपकी।

जीनत उसे पीछे से खींच रही थी। बोली- तू हर बार पहले क्यों लेगी।

पिरी उसका हाथ झटकते हुए मेरे पास आ गयी और कहा- “मेरा पानी भी नहीं निकला था की तू ने छीन लिया। अभी मैं और कोमल पहले अपना पानी निकालेंगे। फिर तुम दोनों को जितना गाण्ड मरवाना चाहो मरवा लेना।
जीनत बोली- “वाह पिरी… गुड आइडिया, हम सबने चूत तो मरवा लिया लेकिन गाण्ड तो नहीं मरवाया…”

पिरी मेरे ऊपर आकर बैठ गयी, लण्ड को अपनी बुर में डाला और मुझ पर झुक कर मेरे होंठों को चूमने लगी, फिर चूसने लगी, अपनी जीभ मेरे मुँह में डालने लगी। मैं भी उसके होंठ को चूसने लगा।

जीनत बोली- उसे उठा क्यों रही है।


कहानी ज़ारी है… …







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