Thursday, July 10, 2014

FUN-MAZA-MASTI सौतेला बाप--21

FUN-MAZA-MASTI

 सौतेला बाप--21

अब आगे
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समीर बाहर पहुँचा, वो झूले पर बैठी हुई थी ...वैसी ही गुमसुम ..उसने एक निक्कर और टी शर्ट पहना हुआ था .

समीर भी उसके साथ जाकर झूले पर बैठ गया

अपने सोतेले बाप को पहली बार ऐसे अपने पास आकर बैठा देखकर वो भी हैरान रह गयी ..

कुछ देर की चुप्पी के बाद समीर बोला : "देखो काव्या, मुझे पता है की तुम क्यो परेशान हो ...''

एक बार फिर से चौंकने की बारी थी काव्या की .... वो सोचने लगी की उसे कैसे पता की उसकी चूत मे जो आग लगी है वो उसे बुझाने के लिए उसके लंड का सहारा लेने की सोच रही है ..वो अपनी गोल-2 आँखो से समीर की तरफ देखने लगी ..

समीर : "देखो काव्या, मुझे अपना दोस्त समझो ...तुम्हे जो भी परेशानी है ..मुझे बताओ ..मैं तुम्हारी मदद करूँगा ..''

वो फिर भी कुछ ना बोली, उसकी समझ मे नही आ रहा था की कैसे बोले की वो क्या चाहती है ..

तभी समीर बोला : "कौन है वो लड़का ...''

काव्या का चेहरा झट से उपर उठ गया, वो समीर की तरफ देखती हुई बोली : "लड़का ??? कौन लड़का ??"

समीर :"देखो , मैने कहा ना की मुझे अपना दोस्त समझो ...बोलो कौन है वो लड़का, जिसके बारे मे सोचकर तुम ढंग से खाना भी नही खा पा रही हो ..''

अब काव्या की समझ मे आ गया, वो उसके गुमसुम रहने की वजह किसी लड़के को मान रहे थे ...जैसा की आजकल के टीनएजर के माँ -बाप को फील होता है, शायद ऐसा ही फील हो रहा होगा रश्मि और समीर को भी ..इसलिए ये दोस्त -वोस्त का नाटक करके उसके दिल की बात जानना चाहते हैं ..

पर वो भी पूरी उस्ताद थी ...एक ही पल मे उसके मन मे योजना की पूरी स्क्रिप्ट तैयार हो गयी ...जिस बात को सोचकर वो परेशान थी, उसका उपाय खुद उसके बाप ने उसके सामने रख दिया था ...

वो सकुचाने की एक्टिंग करती हुई सी समीर की तरफ खिसक आई ...और अपना सिर उसके कंधों पर रखकर धीरे से बोली : "नही पापा....ऐसा कुछ नही है ...''

समीर के शरीर मे करंट सा दौड़ गया, क्योंकि काव्या का दाँया मुम्मा उसकी बाजू से रगड़ जो खा रहा था ..

वो कांपती हुई सी आवाज़ मे बोला : "मुझे बताओ बेटा...एंड डोंट वरी, मैं कुछ नही कहूँगा ...''

उसकी भी हालत खराब होने लगी थी, क्योंकि उसके पयज़ामे मे सोए हुए लंड ने उठना शुरू कर दिया था, काव्या के मुम्मे से टच होते ही ...और रात के समय वो अंडरवीयर भी नही पहनता था ..इसलिए बड़ी मुश्किल से कंट्रोल करते हुए उसकी आवाज़ मे कंपन आ रहा था ..

एक पल के अंदर पूरी योजना और कहानी तैयार थी काव्या के दिमाग़ मे ...और उसने उसपर अमल भी करना शुरू कर दिया था ..

वो थोड़ा और चिपकती हुई सी बोली : "आप मम्मी को तो कुछ नही बोलेंगे ना ....''

समीर समझ गया की वो अपनी मम्मी से डर रही है शायद, इसलिए उसने काव्या के सिर पर हाथ फेरते हुए सांत्वना दी और बोला : "नही बेटा...मैने कहा ना , आई एम युवर फ्रेंड ...मैं किसी से भी कुछ नही बोलूँगा ...''

काव्या ने अपना चेहरा उपर उठाया...उसके होंठ बिल्कुल समीर के होंठों के सामने थे ...दोनो की गर्म साँसे एक दूसरे के मुँह मे जा रही थी ...काव्या का तो पता नही पर समीर ने बड़ी मुश्किल से अपने होंठों को उसके होंठों से टच होने से बचाया ..उसके पिंक कलर के लश्कारे मार रहे होंठों से आ रही भीनी खुश्बू उसे पागल कर रही थी ..उसके लंड ने सारी सीमाएँ तोड़ते हुए पायजामें मे पूरा टेंट बना लिया था.

काव्या ने एक गहरी साँस ली और बोलना शुरू किया : "एक लड़का है ...हम जहाँ पहले रहते थे ...वहीं रहता था वो भी ...उसका नाम विकी है .... हम अक्सर घूमने भी जाते थे ..पर ऐसा कुछ भी नही था उस टाइम तक ...पर पिछले हफ्ते वो फिर से मिला था ....उसने मुझे मिलने के लिए लवर पॉइंट पर बुलाया है संडे को ..मैं डर गयी थी ..मुझे लगा की ये सब ग़लत है ..मम्मी क्या बोलेगी ...आप क्या सोचोगे मेरे बारे मे .....मैने मना कर दिया ...पर ...पर ...''

समीर : "पर क्या ....''

काव्या : "उसके साथ बिताए हुए पल मुझे बहुत अच्छे लगते हैं ...वो अक्सर मेरे हाथों को अपने हाथ मे लेकर चूमा करता था ...मुझे भी वो सब अच्छा लगता था ..कभी -2 वो आगे भी बढ़ने लगता ...पर मैं मना कर देती ...ऐसे खुले मे वो सब करके मैं अपनी और मम्मी की इज़्ज़त खराब नही करना चाहती थी ...फिर उसने वो सब बोल दिया ....बस ...तभी से मैं परेशान हू ...मुझे उसका साथ अच्छा लगता था ...वो जो भी बाते करता था ...वो जो हरकतें करता था वो सब मुझे पसंद था ...पर एकदम से जो हुआ, उसके बाद मैं सोच रही हू की क्या करू ...वो कहीं मुझे प्रपोज़ तो नही करेगा संडे को ...कही वो मुझे चूमने लगा तो … शायद .... मैं भी मना नहीं कर पाऊँगी उसको … ''

उसने अपनी मनघड़ंत कहानी सुना डाली अपने बाप को ..और इन सबके पीछे उसका एक मकसद था ..

उसने अपनी गली मे रहने वाले आवारा लड़के विक्की का नाम ले दिया , क्योंकि उसके दिमाग़ मे उस वक़्त और किसी और लड़के का नाम आया ही नही...नितिन का वो ले नही सकती थी...वरना उसकी वजह से शायद उसकी सहेली श्वेता का आना भी बंद हो जाता उसके घर ..इसलिए एकदम से उसके दिमाग़ मे विक्की का नाम आ गया,

उसकी योजना के अनुसार वो अपने बाप को ये बताना चाहती थी की उसे ये सब किस्सेस वगैरह अच्छी लगती है ..और वो और भी आगे बड़ना चाहती है ...पर अपनी इज़्ज़त की भी फ़िक्र है उसको ...

और ये सुनकर शायद उसका बाप ही उसका साथ देते हुए उसकी सुलग रही जवानी को अपने लंड के पानी से बुझा डाले ..ये थी उसकी योजना.

पर समीर के दिमाग़ मे कुछ और ही चल रहा था .

उसने भी काफ़ी दुनिया देख ली थी ..वो भी जानता था की जवानी के ऐसे मुकाम पर पहुँचकर ऐसी बातें सभी को अच्छी लगती है ...काव्या का भी मन करता होगा वो सब करने का ..वो भी चाहती होगी की उसका भी कोई बीएफ हो, जो उसे प्यार करे ...उसे चूमे ...

उसके दिमाग में तो ऐसे सीन चल रहे थे जिसमे काव्या किसी जवान लड़के को स्मूच है , और ये सब सोचते हुए उसका लंड आज एक अलग ही आकार में पहुँच चूका था

अगर काव्या को सही राह नही दिखाई तो वो अपनी जवानी को गली के ऐसे बदमाश लड़कों के हाथ कुर्बान कर देगी ..

ये तो उसकी माँ की दी गयी अच्छी परवरिश का नतीजा है की वो ये सब करते हुए डर रही है ...घबरा रही है ...वरना आजकल की लड़कियाँ ये सब करने से पहले ऐसे अपने माँ या बाप को वो सब नही बताती ...उसने तो ये सब एक दोस्त बनकर जान लिया है ..वरना वो ऐसे ही घुटती रहती अपनी जिंदगी मे ..

अब उसे भी ऐसे गाइड करना पड़ेगा काव्या को की उसे लगे की वो उसका भला ही चाहता है ..

समीर ने मन ही मन सब कुछ सोच लिया और काव्या से बोला : "इसमे इतना डरने की क्या बात है ...मैं जैसा कहता हू वैसे करती रहो ...कुछ नही होगा...''

इतना कहकर उसने काव्या के माथे को चूमते हुए उसे अपनी तरफ खींच लिया..

काव्या के दोनो हाथ भी उसे हॅग करने के लिए आगे हो गये...और उसके पेट से अपने हाथ लिपटाते हुए उसका हाथ जब समीर के लंड से छू गया तो उसे यकीन हो गया की उसकी योजना कारगार हो रही है ..समीर उसकी बात से और उसके करीब आने से उत्तेजित हो रहा है ..

उसने कुछ और नही पूछा समीर से की क्या करना है ...वो सपनो की दुनिया मे खो सी गयी ..आँखे बंद करते हुए ..

और अपने बेडरूम की खिड़की से रश्मि दोनो बाप बेटी के प्यार को देखकर खुश हो रही थी.... उसके दिमाग़ से इस बात का बोझ उतार गया था की उसके पति और बेटी के बीच जो दूरी थी वो अब कम हो रही है ..

वो गुनगुनाती हुई सी बाथरूम मे गयी और अपनी सैक्सी नाईटी पहन कर वापिस आ गयी...वो आज अपने पति को खुश कर देना चाहती थी पूरी तरह से .... पर उसे क्या पता था की आज समीर की हालत काव्या ने ऐसी कर दी है की वो बुरी तरहा से खूंखार हो उठा है ..

काव्या को छोड़कर जैसे ही समीर अपने बेडरूम मे आया वो रश्मि पर टूट पड़ा ..

रश्मि तो पहले से ही चुदाई के लिए तैयार थी ...उसने तो सोचा था की आज वो अपनी तरफ से पहल करते हुए अपने पति को खुश करेगी ...पर समीर ने कुछ करने का मौका ही नही दिया उसको ...

उसके गाउन को एक ही पल मे उतारकर उसके जिस्म से अलग कर दिया और ज़ोर-2 से चूसने लगा उसके मुम्मों को ...

वो कराह उठी उसके जंगलिपन से .... समीर ने उसके निप्पल को अपने दांतो से काटकर उसे ज़ख्मी सा कर दिया ..

''अहह .....समीईईईईईर .......धीरेएरए .............. उम्म्म्मममममम .....दर्द हो रहा है ...........अहह ......आराअम से करो ................मैं कर तो रही हू ................अहह ....''
पर वो कहाँ मानने वाला था ....उसने रश्मि को बेड पर लिटाया और उसकी टाँगो को दोनो दिशाओं मे फैलाकर अपना सिर अंदर झोंक दिया....

एक घंटे से चुदाई के लिए मचल रही गीली चूत मे जब जीभ जाती है तो क्या हाल होता है, ये आज रश्मि को अच्छी तरह से पता चल गया ...


उसकी लबाबदार चूत मे से रसीला पानी बह-बहकर नीचे तक जा रहा था ...जिसे समीर किसी जंगली कुत्ते की तरह अपनी जीभ से सड़प -2 कर चाटे जा रहा था ...

रश्मि ने समीर के बालों को पकड़ कर पीछे करना चाहा पर वो ना कर पाई...उसके पैने दाँत और खुरदूरी जीभ ने उसकी चूत के फुव्वारे को चालू कर दिया था ..जिसमे से मीठा पानी निरंतर निकल कर बाहर आ रहा था .

समीर ने रश्मि को बेड पर बिठाया और उसके बालों को बेदर्दी से पकड़कर अपना पठानी लंड उसके मुँह के अंदर उतार दिया...

रश्मि भी अब पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी ...अपनी चूत को मिले मज़े का बदला उतारने का वक़्त अब आ चुका था ...उसने अपना पूरा मुँह खोला और उसके लंड को बड़ी कुशलता के साथ किसी रंडी की तरह पूरा का पूरा अपने मुँह के अंदर उतार लिया.

और उसकी बॉल्स को सहलाती हुई उसका लंड चूसने लगी ..

जैसे ही समीर को लगा की वो झड़ने वाला है, उसने अपना लंड बाहर खींच लिया और फिर से रश्मि को लिटा कर उसके उपर आ गया ...और उसकी आँखो मे देखते हुए अपना हथियार उसकी गुफा मे उतार दिया ...

वो धीरे-2 अंदर जा रहा था ..और रश्मि ज़ोर-2 से सिसक रही थी ..

और उसके बाद तो समीर ने ऐसे झटके दिए उसकी चूत के अंदर की रश्मि का पूरा फर्नीचर हिल गया ...उसके हर झटके से उसकी छातियाँ उपर उछलती और फिर नीचे आती ...

वो बुरी तरह से चिल्ला रही थी

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह समीर …… येस्स्स्स्स ……… और जोर से करो …… आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म उह्ह्ह्न्न उह्ह्हन्न्न्न हां हां अह्ह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह ओह्ह्ह्ह मर गयी , चोदो , और तेज मारो …… ''


और अंत मे जब वो झड़ने लगा तो रश्मि ने उसकी कमर पर अपनी टांगे लपेट ली....और दोनो एक दूसरे को स्मूच करते हुए झड़ने लगे ...

दोनो के आनंद की चरम सीमा मिल चुकी थी एक दूसरे को .

रश्मि सोच रही थी की आज क्या हो गया था समीर को...जो वो इस तरह जंगली तरीके से उसकी चुदाई कर रहा था ..

पर ये बात सिर्फ़ समीर और काव्या ही जानते थे ...क्योंकि काव्या ने आज जिस तरह से उससे लिपट कर और अपने दिल की बात उसे बताकर समीर को उत्तेजित किया था, वो सारी उत्तेजना उतारने का सिर्फ़ रश्मि ही ज़रिया थी...पर चुदाई करते हुए उसके दिमाग़ मे सिर्फ़ और सिर्फ़ काव्या ही थी ..

उसने सोचना शुरू कर दिया था की अगले दिन वो काव्या से क्या बात करने वाला है .

अगले दिन समीर सीधा काव्या के रूम मे गया , रश्मि उस वक़्त किचन मे नाश्ते का इंतज़ाम करवा रही थी .

उसने काव्या को अंदर जाने से पहले आवाज़ लगाई पर कोई जवाब नही आया, वो अंदर चला गया, वो शायद नहा रही थी, क्योंकि बाथरूम से शावर चलने और गुनगुनाने की आवाज़ें आ रही थी .

काव्या का कमरा बिल्कुल सॉफ सुथरा सा था, सलीके से उसने हर चीज़ अपनी जगह पर सजाकर रखी हुई थी ..छोटी-2 पिक्चर्स दीवारों पर थी, जिसमे उसके बचपन से अब तक की जीवनी बयान थी ..वो उन्हे देखते-2 खुली हुई अलमारी के पास पहुँच गया जिसमे काव्या के कपड़े रखे थे, शायद वो उसको खोलकर बंद करना भूल गयी थी, बेड पर उसने एक टी शर्ट और जींस रखी हुई थी, जो वो शायद नहाने के बाद पहनने वाली थी, अचानक उसकी नज़र जींस के नीचे रखे लाल रंग के कपड़े पर पड़ी, उसने जींस को हटाकर उसे देखा तो उसके दिल की धड़कन तेज हो गयी, वो रेड कलर की एक छोटी सी ब्रा थी...और साथ मे मेचिंग कच्छी ….


उस मुलायम कपड़े को हाथ मे लेकर वो उसे मसलने लगा...और उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे वो सच मे काव्या की मखमली और मुलायम चूत को अपनी उंगलियों से सहला रहा है..

और अंदर नहाती हुई काव्या ने जब अपने पापा की आवाज़ सुनी तो वो रोमांचित सी हो उठी..उसने मन ही मन सोचा की सच मे ये लड़कियों का जादू भी क्या चीज़ होता है, मर्दों को चैन से नही बैठने देता, इतनी जल्दी थी उसके समीर पापा को बात करने की, सीधा कमरे मे ही घुस आए और वो भी इतनी जल्दी...उसके बाहर नाश्ते की टेबल पर मिलने का भी सब्र नही हुआ..पर आवाज़ देने के बाद काफ़ी समय तक बाहर से कोई और आवाज़ नही आई तो उसने धीरे से अपने बाथरूम का दरवाजा खोलकर देखा की वो बाहर क्या कर रहे हैं..और जो उसने देखा वो देखकर उसके तन -बदन मे आग सी लग गयी..

समीर उसकी ब्रा और पेंटी को अपने हाथ मे लेकर मसल रहा था ..

और उसके देखते ही देखते ना जाने समीर के मन मे क्या आया, वो उसकी पेंटी को अपनी नाक के पास लेजाकर सूंघने लगा..

अब तो काव्या की हालत खराब होने लगी...उसे तो ऐसा लगा की उसका सोतेला बाप सीधा उसकी चूत को सूंघ रहा है, वो उसकी गर्म सांसो को अपनी पुस्सी पर महसूस कर रही थी..और उसे महसूस करते ही उसका बदन अकड़ने सा लगा..उसके गीले जिस्म पर पसीने की बूंदे उभरने लगी...वो गर्म हो उठी एक दम से..

अब वो मूठ तो मार नही सकती थी,कितनी बेबस सी थी वो उस वक़्त..क्योंकि समीर उसके कमरे मे मोजूद था, उसने किसी तरह से अपनी भावनाओ पर काबू किया और वापिस अंदर आकर शावर के नीचे खड़ी होकर अपने बदन की गर्मी को शांत किया..उसने भी बदला लेने की सोची और अपने गीले बदन पर एक टावल लपेट कर बाहर निकल आई..


काव्या : "अरे पापा ....आप....गुड मॉर्निंग.''

समीर एकदम से हड़बड़ा सा गया..क्योंकि वो तो अपनी ही दुनिया मे मस्त होकर उसकी कच्छी को सूंघ रहा था..और जब काव्या ने आवाज़ लगाई तो वो उसकी पेंटी को जीभ लगा कर चख भी रहा था...की शायद ऐसा करने से उसकी कुँवारी बेटी की मसालेदार चूत का स्वाद मिल जाए..

उसने जल्दी से पलटकर उसकी तरफ देखा और अपने हाथ मे पकड़ी हुई पेंटी को अपने पीछे छुपा लिया..

समीर : "उम्म ...गु ...गुड मॉर्निंग .....बेटी. .....काव्या ....''

उसकी हड़बड़ाहट देखकर वो भी हँसने लगी..

उसने नहाने के बाद अपना बदन पोंछा भी नही था..और उसका टावल उसके स्तनों के उपर से लेकर उसकी जांघों तक आ रहा था..बड़ी ही सेक्सी लग रही थी वो उस वक़्त..वो भी ये बात जानती थी..इसलिए बड़े ही सेक्सी स्टाइल मे , इतराकर चलती हुई सी वो अपने पापा के पास पहुँची ...और उनके पास पहुँचकर धीरे से बोली : "ऐसे किसी जवान लड़की के रूम मे बिना पूछे नही आना चाहिए ...''

और उसने अपना हाथ समीर के पीछे लेजाकर अपनी ब्रा पेंटी को पकड़ लिया, जिसे समीर ने अपने हाथों मे पकड़ा हुआ था..

समीर की तो हालत एकदम से खराब हो गयी, ऐसे रंगे हाथों पकड़े जाने से..

और ऐसा करते हुए काव्या का नंगा जिस्म, जो सिर्फ़ एक पतले से टावल से ढका हुआ था, समीर से छू गया..

पर समीर तो अपनी चोरी पकड़े जाने से परेशान था, वो बेचारा तो उसके जवानी की आग मे जल रहे बदन की गर्मी का अहसास भी नही ले पाया..

वो हड़बड़ाते हुए अपनी सफाई देने लगा : "वो ...दरअसल ...तुम कमरे मे नही थी ...तो ...मैने देखा ...की यहा तुम्हारे कपड़े पड़े हैं .......तो मैने सोचा ....की ..... की ..... ''

काव्या बीच मे ही बोल पड़ी : "की देखु तो सही की मेरी ब्रा -पेंटी डिज़ाइन कैसा है ...मम्मी से अलग है या सेम है ....है ना ... हा हा हा ..''
 
 












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