Thursday, July 10, 2014

FUN-MAZA-MASTI सौतेला बाप--20

FUN-MAZA-MASTI

 सौतेला बाप--20

अब आगे
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 श्वेता जब घर पहुँची तो काफ़ी थक चुकी थी ...अपने बाय्फ्रेंड के साथ डेट पर जाना उसको हमेशा थका देता था .. और वैसे भी जो कुछ भी सिनिमा हॉल मे हुआ था उसके बाद तो उसकी हिम्मत भी नही हो रही थी की घर वालों के साथ बैठकर टीवी देख ले या डिनर कर ले ... वो अपने कमरे मे गयी और हल्के गर्म पानी मे 2 घंटों तक लेती रही बाथटब मे...

उसके दिमाग मे सब कुछ चल रहा था ..जो भी सिनेमा हॉल मे हुआ था .. फिर काव्या और केतन के बीच जो हुआ वो भी ...और फिर उसकी उंगलियों की थिरकन अपनी चूत पर ऐसी हुई की सितार बजने लगे उसके अंदर .... और झनझनाती हुई सी वो पानी के अंदर ही झड़ गयी ...

अगली सुबह जब उनके माँ -बाप चले गये तो नितिन ने श्वेता से कहा : "मैं जा रहा हू बाथरूम में ...ओके ...''

उसके जाने के बाद श्वेता ने जल्दी से काव्या को फोन लगाया और पूछा की वो कहा है ..काव्या ने कहा की वो बाहर ही है और अपनी स्कूटी पार्क कर रही है ..

श्वेता ने भागकर दरवाजा खोल दिया ..और काव्या अंदर आ गयी..

दोनो सहेलियों के चेहरे पर एक अजीब सी खुशी थी ...दोनो रोमांचित भी थी ..

बाथरूम मे जाकर नितिन ने अपने कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया ..अपने हाथों मे प्लास्टिक लपेट कर वो इंतजार करने लगा श्वेता का . उसका लंड आज पूरी तरहा से खड़ा था ...क्योंकि वो जानता था की आज कुछ स्पेशल मिलने वाला है उसको. पर उसे पता नही था की बाहर काव्या आ चुकी है और दोनो सहेलिया मिलकर उसके लिए क्या प्लान कर रही है ..

उसके बाद श्वेता ने काव्या को अपने पीछे आने को कहा और उपर की सीडिया चड़ने लगी .. और तभी श्वेता ने अपने कपड़े भी उतारने शुरू कर दिए ...सीडियो पर चड़ते-2 उसने अपने सारे कपड़े उतार दिए ..

अब उसके जिस्म पर सिर्फ़ एक पेंटी थी ..


काव्या ये देखकर इतनी हैरान थी ..क्योंकि वो जानती थी की श्वेता अपने भाई को नहलाने जा रही है ...जब उसने ये बात बताई थी की उसने टॉपलेस होकर अपने भाई को नहलाया था तो और बात थी, पर अब उसी चीज़ को अपनी आँखो से देखने के बाद उसके अंदर की गर्मी भी बढ़ती जा रही थी ..वो उसके पीछे-2 चल दी .

श्वेता ने काव्या को बाथरूम की खिड़की से देखने की सलाह दी और उसके लिए एक स्टूल भी दे दिया उसको ताकि वो उसपर खड़ी होकर अंदर का नज़ारा देख सके ..

श्वेता ने अपना सेक्सी फिगर दिखाते हुए काव्या से कहा : "वॉच मी ...."

और फिर श्वेता अंदर चली गयी .काव्या झट से स्टूल पर खड़ी हो गयी और उसने खिड़की से अंदर झाँक कर देखा ..

आज श्वेता को पहले से ही टॉपलेस होकर आया देखकर नितिन के लंड ने एक जोरदार सलामी दी , उसके मोटे-2 मुम्मे और खड़े हुए निप्पल देखकर उसके होंठ सूख गये ..वो उनपर जीभ फेरने लगा.

श्वेता अंदर आई और नितिन को टब के अंदर ले गयी ...और अंदर जाने से पहले श्वेता ने एकदम से अपनी पेंटी भी उतार दी और पूरी तरह से नंगी हो गयी ...और नितिन के हैरान हुए चेहरे को देखकर बोली : "अब वैसे इसकी भी ज़्यादा ज़रूरत नही है ..''

और वो पूरी तरह से नंगी होकर अंदर आ गयी.

शावर का पानी दोनो पर पड़ रहा था ..श्वेता ने साबुन लिया और अपने भाई के शरीर पर लगाना शुरू कर दिया ...वो जान बूझकर अपने जिस्म को भी उसके शरीर से रगड़ रही थी ..जिसकी वजह से नितिन के उपर लगा साबुन उसके उपर भी लगता जा रहा था ..और अपने मोटे मुम्मे वो कभी उसकी पीठ पर और कभी छातियों पर रगड़कर उसे और भी ज़्यादा उत्तेजित कर रही थी ..

नितिन ने जब से अपनी बहन की चूत इतने करीब से देखी थी वो तो पलकें झपकना भी भूल गया था ..इतनी चिकनी और बिना बालों की चूत उसने आज तक नही देखी थी ..

उसका मन तो कर रहा था की उसकी चूत के अंदर अपनी जीभ घुसेड डाले और उसे बुरी तरह से चूस ले ....पर अपनी तरफ से पहल करके वो काम को बिगाड़ना नही चाहता था ..

श्वेता उसकी टाँगो मे साबुन लगाते हुए नीचे बैठ गयी...और फिर उसने उसके लंड को अपने हाथों मे लिया और उसे मसलने लगी ...जैसा की पिछले तीन-चार दिन से चल रहा था ..नितिन ने अपनी आँखे बंद कर ली और लंड मसाज़ के मज़े लेने लगा ..

अचानक श्वेता ने अपना मुँह खोला और उसके खड़े हुए लंड को अपने गर्म मुँह के अंदर निगल लिया और ज़ोर-ज़ोर से सक करने लगी..

नितिन कुछ भी नही बोल पाया...वो तो शॉक ही रह गया...उसने तो आशा भी नही की थी की एकदम से अपनी बहन को नंगा देखने के बाद वो कुछ ही देर मे उसका लंड भी चूसने लगेगी ..वो तो जन्नत की सैर करने लगा ..वो उसके लंड को दशहरी आम की तरहा चूस रही थी ..उसकी बॉल्स को अपने मुँह मे लेकर पूरा भर लेती और उसके लंड को अपने हाथ से हिलाती ...फिर उसके लंड को चूसती और उसकी बॉल्स को अपने हाथ से सहलाती ..

ये सारी हरकतें खिड़की मे खड़ी हुई काव्या देख रही थी और पागल हुए जा रही थी ...उसने एक टी शर्ट और केप्री पहनी हुई थी ...उसने अपनी केप्री की जीप खोली और उसे नीचे खिसका दिया ...और पेंटी को भी अपने घुटनो तक पहुँचा कर अपना निचला हिस्सा पूरा नंगा कर दिया ..और अपनी उंगलियों से अपनी रस टपकाती चूत की मालिश करने लगी ..


कोई उसे ऐसी हालत मे देखता तो हैरान रह जाता ..वो गलियारे वाले हिस्से मे आधी नंगी होकर स्टूल पर खड़ी थी .... कोई भी आकर पीछे से अगर उसकी गीली चूत पर अपना मुँह रख देता तो वो वहीं के वहीं ढेर हो जाती ...

अंदर का तापमान भी बढ़ता जा रहा था ...अब दोनो भाई बहन समझ चुके थे की वो घड़ी आ ही गयी है जिसका वो इतने दीनो से इंतजार कर रहे थे ...

दोनों बाथटब से बाहर आ गए

श्वेता तो पागल सी हो चुकी थी, उसने उत्तेजना में आकर नितिन की छाती पर लगे निप्पल पर जोर से काट लिया , वो बेचारा तड़प सा उठा



नितिन ने श्वेता को खड़ा किया और उसके दहकते हुए होंठों पर अपने होंठ रख दिए ...और उसे चूसने लगा...इतने मुलायम होंठों को चूसकर उसकी जन्म -2 की प्यास बुझ गयी ...उसके हाथ उसके मोटे-2 मुम्मो पर फिसलने लगे ..और उन्हे मसलने लगे ...

श्वेता ने उसके लंड को पकड़कर जोरों से उपर नीचे करना चालू रखा ...

नितिन को लगा की श्वेता कुछ देर तक और ऐसे ही करती रही तो वो जल्द ही झड़ जाएगा ...उसने उसके हाथ से अपना लंड छुड़वाया और उसे घुमा कर खड़ा कर दिया ...अब श्वेता की पीठ नितिन की छाती से रग़ड़ खा रही थी और उसकी गांड उसके लंड से ...नितिन के दोनो हाथ उसके निप्पल्स को खींचकर और ज़्यादा उभारने मे लगे थे ..अचानक नितिन ने श्वेता को आगे की तरफ झुकाया और वो वाशबेसन पकड़कर घोड़ी बन गयी ...

नितिन ने अपना लंड उसकी गीली चूत के मुहाने पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा .

''अहह ........... उफफफफफफफफ्फ़ ....नितिन .......''

उसकी चीख के अंदर छुपा एहसास बाहर खड़ी काव्या को अंदर तक गर्म कर गया ..... वो तो वहीं खड़े -2 झड़ने लगी ...


 अंदर श्वेता की हालत तो और भी बुरी थी ...इतना मोटा लंड आज उसकी चूत के अंदर जा रहा था वो जब अपनी जगह बनाते हुए अंदर जाने लगा तो उसे ये एहसास हुआ की असली चूत तो अब फटी है उसकी ...क्योंकि मोटे लंड को अंदर लेने का एहसास एक अलग ही तरह का होता है ..उसके अंदर की मांसपेशियाँ और ज़्यादा फेलने लगी ...हर इंच के साथ उसकी साँस घुटी जा रही थी ...ऐसा लग रहा था की आनंद की एक अलग ही चरम सीमा पर पहुँच रही है वो ...दर्द और मस्ती का एक मिला-जुला मिश्रण उसकी चूत को मिल रहा था ...जिसकी वजह से वो उत्तेजना के शिखर पर जा पहुँची और ज़ोर-2 से चीखकर अपनी चुदाई करवाने लगी ..



''अहह नितिन .................. डाल दो पूरा अंदर ...... हाआआआआ ......उम्म्म्मममममम ......... आई एम लविंग .................. यूर कॉक ...................... अहह ....इट्स सओओओओ बिग .................... उम्म्म्मममममममम ............ फाड़ डालो मेरी चूत को ................अहह चोदो अपनी बहन को .................. अहह ...ऐसे ही .....................ओह ..एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स .............. उम्म्म्ममममममममम....''

नितिन ने उसकी रेलगाड़ी बना डाली अगले तीन मिनट मे .....ऐसे धक्के मारे उसकी चूत के अंदर की उसका पूरा शरीर ही हिल गया ....ऐसी चुदाई की उसने सिर्फ़ कल्पना ही की थी .... नितिन अभी ज़ख्मी था, उसके बावजूद उसने उसकी चीखे निकलवा दी थी ...अगर वो पूरी तरहा से ठीक होता तो उसके बदन को नोच खसोट कर उसकी चुदाई करता ...तब उसका क्या हाल होता ...ये सो सोचकर वो अपने मुम्मे खुद ही दबाने लगी , अपने होंठों को अपने दाँतों मे ज़ोर से दबाकर अपने मज़े को और भी बड़ाने लगी ...और खुद ही अपनी गाण्ड को पीछे की तरफ धक्का देते हुए अपनी चूत के अंदर नितिन के लंड को और अंदर तक पहुँचाने लगी ...

आज उसकी चूत के अंदर की उन गहराइयों को भी एक्सप्लोर किया था नितिन ने जहाँ आज तक किसी का लंड, केंडल या उसकी अपनी उंगली भी नही पहुँच पाई थी ...

नितिन ने बाथटब के किनारे पर श्वेता को लिटाया और खुद उसके ऊपर आकर उसकी चूत मारने लगा मारने लगा , हर धक्के से उसकी ब्रेस्ट ऊपर नीचे हो रही थी


अब नितिन का झड़ने का समय आ गया ....श्वेता तो दो बार झड़ चुकी थी ...

नितिन चिल्लाया : "मैं झड़ने वाला हू श्वेता ......आ हह ...... कहाँ निकालु ......''

अंदर एक खामोशी सी छा गयी ....सिर्फ़ नितिन के धक्के ही सुनाई दे रहे थे श्वेता के चूतड़ों पर ...

बाहर खड़ी हुई काव्या बुदबुदाई : "अपने अंदर बोल श्वेता .....अपने अंदर निकलवा उसका माल .....''

शायद उसके दिल की आवाज़ श्वेता ने सुन ली ...वो ज़ोर से चिल्लाई : "मेरे अंदर ही निकालो .....अपनी एक-2 बूँद मेरी चूत के अंदर निकालो और मेरी प्यास बुझा दो ....... अहह .....''

नितिन के लिए ये सुनना ही बहुत था ....उसके लंड ने एक जोरदार आवाज़ के साथ अपना सारा सफेद और गाड़ा रस उसकी चूत के अंदर पहुँचा दिया .....और तभी श्वेता भी तीसरी बार झड़ती हुई अपने भाई के साथ वहीं पस्त होती चली गयी ..

नितिन ने अपना लंड बाहर निकाल लिया, पीछे-२ ढेर सारा रस भी फिसलकर बहार निकल आया


और बाहर खड़ी हुई काव्या दूसरी बार झड़ने लगी और उसकी चूत के रस की बरसात नीचे पड़े हुए स्टूल के उपर फिर से होने लगी ... चिपचिपे पानी की बूँदों से भीगकर स्टूल पूरा गीला हो चुका था ...

नितिन ने श्वेता को खड़ा किया और उसे अपनी तरफ घुमाया ...दोनो के चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे ...उन दोनो ने एक दूसरे को फिर से फ्रेंच किस किया और शावर के नीचे चले गये ... श्वेता ने फिर से साबुन लिया और अपने भाई को रगड़ -2 कर फिर से नहलाने लगी ..

काव्या से खड़ा नही हुआ जा रहा था ...वो नीचे उतरी और अपने कपड़ों को सही किया ...और फिर दबे पाँव नीचे उतर गयी ...

फिर दरवाजा खोलकर चुपचाप बाहर निकल कर अपने घर की तरफ चल दी ..

आज उसने जो सीन देखा था उसके बाद उसके दिमाग़ मे सिर्फ़ और सिर्फ़ सेक्स ही चल रहा था ...और टारगेट पर था उसका सोतेला बाप .


 पिछले कुछ दिनों से काव्या ने नोट किया था की उसका सोतेला बाप उसके जिस्म को कुछ ज़्यादा ही गौर से देखने लगा है ..शायद ये उसकी बदती हुई चुचियो या फिर उभरती हुई गाँड का कमाल था .. आजकल काव्या हर हफ्ते दीवार के सामने खड़े होकर अपनी उभरती हुई छातियो को मार्क करती थी ... उसने अपनी दीवार पर पेन्सिल से मार्क लगा कर ये नोट किया था की उसकी ब्रेस्ट लगभग एक इंच बड़ चुकी है पिछले दो हफ्तों मे ...शीशे के सामने खड़े होकर वो घूम-घूमकर अपनी गाँड भी देखती थी,और उसमे आ रहे बदलाव भी वो नोट करती रहती थी ..

कुल मिलाकर वो अपनी जवानी के उस पड़ाव पर थी जहाँ उसके साथ-2 दूसरे भी उसके शारीरिक विकास को महसूस कर पा रहे थे .

और जब से उसने नितिन और श्वेता की चुदाई देखी थी, और श्वेता से उसके और केतन के किस्से सुने थे, उसके अंदर की आग एक ज्वाला का रूप ले चुकी थी, अब सिर्फ़ अपनी चूत को सहलाकर वो अपनी राते नही गुजारना चाहती थी..वो भी अपनी सहेलियो की तरह मज़े लेना चाहती थी..अपनी चूत की आग को उंगलियो से नही बल्कि किसी के थरथराते लंड से ठंडा करना चाहती थी ..और इसके लिए उसे अपनी तरफ उठ रही हर उस नज़र पर नज़र रखनी होगी , जो उसकी जवानी को आँखों ही आँखो मे चोदकर उसका रसपान करने मे लगे रहते हैं..लोकेश अंकल से मिले आधे अधूरे मज़े के बाद उसकी ये आग पूरी तरह भड़क चुकी थी ..उनसे मिलना तो संभव नही है क्योंकि उनकी अपनी फेमिली है..और अपने घर पर या उनके घर पर किसी भी तरह की मस्ती संभव नही है ..इसलिए अब उसके सामने सिर्फ़ अपना सोतेला बाप ही बचा था .

काव्या ने जैसे कोई मिशन तैयार कर लिया था ...अपनी चुदाई का ..पर हर कुँवारी लड़की की तरह उसके मन मे भी एक डर था ..चूत फट जाने का....दर्द होने का ...शरीर खराब हो जाने का डर ..शादी के बाद पति को ना पता चल जाए, वो डर ...कुल मिला कर उसके मन मे चल रही उथल पुथल ने उसे परेशान करके रखा हुआ था .

वो गुमसुम सी टेबल पर बैठकर अपनी माँ और बाप के साथ डिनर कर रही थी

उसे ऐसी हालत मे देखकर उसकी माँ रश्मि ने पूछा : "काव्या ...बेटा, क्या हुआ ...ऐसी गुमसुम सी क्यो हो ...खाना क्यो नही खा रही ..''

समीर भी बड़े गौर से उसके चेहरे को पड़ने की कोशिश कर रहा था .... पर उसकी भी कुछ समझ मे नही आ रहा था .

उसने ज़्यादा कुछ नही खाया और उठकर बाहर गार्डन मे चली गयी ..

रश्मि उसके लिए परेशान हो उठी : "पता नही मेरी बच्ची को किसकी नज़र लग गयी है ..आजकल इतना गुमसुम सी रहती है ...कही इसका कोई चक्कर तो ...''

उसने ना जाने क्या सोचते-2 ये बात बीच मे ही छोड़ दी ..समीर भी ये बात सुनकर चोंक गया ...भले ही काव्या उसकी सोतेली बेटी थी ..पर उसके बारे मे ऐसी बात सुनकर वो भी सोच में डूब गया ...अभी उमर ही क्या है उसकी जो ऐसे लफडों मे पड़े ..उसे तो शायद इन बातों की समझ भी नही होगी ..

समीर को लगा की ज़रूर काव्या ने ही कोई हिंट दिया होगा रश्मि को , तभी वो ऐसा बोल रही है .

वो एकदम से उठा और बोला : "मैं ज़रा समझने की कोशिश करता हूँ की माजरा क्या है ...''

रश्मि उसे रोकना चाहती थी, पर रोक ना पाई.

क्योंकि आज पहली बार समीर ने उसकी बेटी की चिंता करते हुए ऐसी बात कही थी ...शायद वो उसे समझा सके ..

वो भी किचन समेटने मे नौकर की मदद करने लगी .







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