Sunday, July 13, 2014

FUN-MAZA-MASTI मेरी बेकरार बीवी --1

FUN-MAZA-MASTI
मेरी बेकरार बीवी  --1

 मेरी उम्र सत्ताईस साल है और मेरी बीवी जूली छब्बीस साल की है, हमारी शादी को लगभग ढाई साल हो गए हैं। अभी हमारा कोई बच्चा नहीं है। मैं औसत कदकाठी का साधारण काम करने वाला इंसान हूँ, समाज में भी, अपनी कोई बात जगजाहिर करना नहीं चाहता और सेक्स के मामले में भी साधारण ही हूँ।
मगर इसे अपनी किस्मत कहूँ या बदकिस्मती कि मेरी शादी एक बहुत सुन्दर लड़की जूली से हो गई वो एक क़यामत ही है 5 फुट 4 इंच लम्बी, बिल्कुल दूध जैसा सफ़ेद रंग जिसमें सिंदूर मिला हो और गजब के उसके अंग, वक्ष 36″ पतली कमर शायद 26″ और खूब उभरे हुए उसके कूल्हे 38 ! उसके चूतड़ इतने गद्देदार हैं कि अच्छों-अच्छों का लण्ड पानी छोड़ देता है जिसे मैंने कई बार महसूस किया है, उसकी इसी गांड के कारण सुहागरात को मेरे लण्ड ने भी जवाब दे दिया था।
चलिए वो किस्सा भी आपको बता देता हूँ।
सुहागरात में उसके गोरे सुन्दर और गर्म बदन ने ही मुझे बहुत उत्तेजित कर दिया था और ऊपर से जब मैं उसको प्यार कर रहा था तब वो उल्टी पेट के बल बिस्तर पर लेट गई उसके सफ़ेद बदन पर केवल एक काली पैंटी थी जो उसके चूतड़ों को गजब का सेक्सी बना रही थी।
फिर जब उसकी पीठ को चूमते हुए जब मैं उसकी कच्छी उसके चूतड़ों से नीचे उतारने लगा तो उसके हिलते हुए चूतड़ों के बीच उसका सुरमई गुदा-द्वार देख मेरे छक्के छूट गए और जैसे ही मैंने उसकी झांकती गुलाबी, चिकनी चूत जिसके दोनों होंट आपस में चिपके थे, देखते ही मेरे पसीने छूट गए।
उसके इन अंगों ने मुझे उसके सामने शर्मिन्दा करवा दिया। मगर उसने बड़े प्यार से मुझसे कहा- कोई बात नहीं, ऐसा हो जाता है।
उसका यह प्यार अभी भी जारी है, वो कभी कोई मांग नहीं रखती और न कभी मुझसे लड़ाई करती है और मेरा बहुत ध्यान रखती है इसलिए मैं उससे कुछ नहीं कहता और न ही उसकी हरकतों को रोक पा रहा हूँ। कपड़े उसके काफी मॉडर्न ही होते थे पर इसके लिए मैंने कभी उसको मना नहीं किया था।
अब आपसे उसके इसी व्यबाहर के बारे मैं बताऊँगा।
जूली हमेशा बहुत हंसमुख सभी से खुलकर बातचीत करने वाली, सभी का ध्यान रखने वाली लड़की है। मेरे सभी दोस्त और रिश्तेदार उसको बहुत पसन्द करते हैं।
हम एक अलग फ्लैट लेकर रहते हैं। पहले साल तक तो सब कुछ मुझे सामान्य ही लगा था और हमारा जीवन भी आम पति-पत्नी जैसा ही बीता था। हाँ, हमारे बीच चुदाई कम होती थी, हफ़्ते में एक-दो बार ही, मगर उसने कभी शिकायत नहीं की और न ही कभी वो कहती, जब मेरा मन होता है, तो वो खुद ही तैयार हो जाती है।
मेरे दोस्तों के साथ उसका हंसी मजाक या मेरे भाइयों के साथ उसकी छेड़छाड़ सब कुछ सामान्य ही लगता था मगर पिछले एक साल से सब कुछ बदल गया है, जूली को मैं सीधी-सादी समझता था मगर वो तो सेक्स की मूर्ति निकली, अब तो बस मैं उसको छिपकर उसकी हरकतों को देखता रहता हूँ न तो उससे कुछ कहता हूँ और न ही उसकी किसी बात का विरोध करता हूँ।
शायद यही सुन्दर पत्नी रखने की सजा है।
दोस्तों शादी के बाद का एक साल तो ऐसे ही गुजर गया, या तो मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया जूली की हरकतों पर या फिर वो भी सती-सावित्री ही बनी रही।
असली कहानी कोई एक साल बाद शुरू हुई जब मैंने उसकी हरकत पर ध्यान दिया।


 हुआ यों कि मेरा छोटा भाई दिल्ली से आया हुआ था, वो वहाँ इंजीनियरिंग कर रहा है, 22 साल का गठीला जवान है, दोनों देवर भाभी में हंसी मजाक होता रहता है।
एक सुबह मैं उठकर अखबार पढ़ते हुए चाय पी रहा था, तभी जूली बोली- सुनो, आप पौधों को पानी दो ना, मैं तब तक नाश्ता तैयार कर लेती हूँ।
जूली ने गुलाबी सिल्की हाफ पजामी पहनी थी जो उसके घुटनों तक ही थी, वो उसकी जांघों से पूरी तरह कसी हुई थी जिससे उसके चूतड़ बाहर निकले हुए साफ़ दिख रहे थे और इस पजामी में जब वह अंदर चड्डी नहीं पहनती थी तो उसकी चूत का आकार भी साफ़ दिखता था और पीछे से मुझे आज भी उसकी पजामी में कहीं कोई कच्छी का निशान नहीं दिख रहा था, मतलब सामने से उसकी चूत गजब ढहा रही होगी।
मैंने एक दो बार उसको कहा भी है- जान इस पजामी के अंदर कच्छी जरुर पहन लिया करो जब कोई और घर में आया हो ! यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मगर वो ऐसी बातों को नजरअंदाज़ कर देती थी, मैं भी ज्यादा नहीं टोकता था। ऊपर उसने एक सैंडो टॉप पहना था जो उसके विशाल उरोजों पर कसा था और उसके पेट पर नाभि तक ही आ रहा था उसकी पजामी और टॉप के बीच करीब पाँच इंच सफ़ेद कमर दिख रही थी जो उसको बहुत सेक्सी बना रही थी।
मैं पौधों में पानी डालने बाहर जाने वाला था कि तभी मेरा छोटा भाई भी रसोई में गया- लाओ भाभी मैं आपकी मदद करता हूँ, और भैया कहाँ हैं।
पता नहीं क्यों मैं उन दोनों को देखने अंदर ही रुक जाता हूँ, ऐसा पहली बार हुआ था, शायद मैंने सोचा कि जूली का वो सेक्सी रूप देख कर विजय को कैसा लगा होगा? क्या वो जूली को कुछ कहेगा?
मगर तभी विजय की आवाज आई- क्या भाभी, बाहर क्या कर रहे हैं भैया, क्या आज सुबह सुबह उनको बाहर निकाल दिया।
जूली- चल पागल, वो पौधों में पानी देने गए हैं।
विजय- वाह, मतलब आज सुबह ही मौका मिल गया? चलो तो इस पौधे में पानी हम डाल देते हैं।
उसकी यह बात सुनते ही मेरा माथा ठनक गया, यह क्या कह रहा है विजय?
मैंने दरवाजे की आड़ लेते हुए रसोई में झाँका और मेरे सारे सपने चकनाचूर हो गए, विजय अपनी भाभी से पीछे से चिपका था और उसके हाथ उसको आगे से बांधे हुए थे।
जूली- हाथ हटा न पगले, तेरे भैया अभी आते ही होंगे और यह पौधा तो घर में ही है, जब चाहे पानी डाल देना।
मैंने थोड़ा और आगे को होकर देखा तो विजय का सीधा हाथ जूली के पजामी के अंदर था। मतलब वो उसकी चूत सहला रहा था, जो बिना किसी अवरोध के उसकी हथेली के नीचे थी।
विजय- भाभी, क्या गजब माल लग रही हो आज और आपकी चूत पर तो हाथ रखते ही मन करता है कि..
जूली- हाँ…हाँ, मुझे पता चल रहा है कि तुम्हारा क्या मन कर रहा है वो तो तुम्हारा यह मोटा मूसल लौड़ा ही बता रहा है जो पजामी के साथ ही मेरे चूतड़ों के बीच में मेरी गाण्ड घुसा जा रहा है।
मैं उनकी बातें सुन कर धक्क से रह गया था कि जूली कभी मेरे सामने इतना खुलकर ऐसे नहीं बोलती थी, कभी कभी मेरे बहुत ज़ोर देने पर बोल देती थी मगर आज तो पराये मर्द के सामने रंडी की तरह बोल रही थी।
तभी उसने पीछे हाथ कर विजय का लण्ड अपने हाथ में पकड़ लिया। विजय ने न जाने कब उसे अपने पजामे से बाहर निकाल लिया था वो अब जूली के हाथ में था। तभी जूली घूमी तो मैंने देखा कि उसकी पजामी चूत से नीचे खिसकी हुई है अब उसकी नंगे सुतवाँ पेट के साथ उसकी छोटी सी चूत भी दिख रही है, विजय के लण्ड को जूली ने अपने हाथ से सहला कर उसके पजामे में कर दिया और बोली- इसको अभी आराम करने दो, इस सबके लिए अभी बहुत समय मिलेगा।
मैं उनकी ये सब हरकतें देख चुपचाप बाहर आ गया और सोचने लगा कि क्या करूँ।
मैं कुछ देर के लिए बाहर आकर अपना सर पकड़कर बैठ गया। एक पल तो मुझे लगा कि मेरी दुनिया पूरी लुट गई है, मैं लगभग चेतनाहीन हो गया था पर जब अंदर से कुछ आवाजें आईं तब मैं उठा और पौधों को पानी देने लगा।
जूली- हाँ…हाँ, मुझे पता चल रहा है कि तुम्हारा क्या मन कर रहा है वो तो तुम्हारा यह मोटा मूसल लौड़ा ही बता रहा है जो पजामी के साथ ही मेरे चूतड़ों के बीच में मेरी गाण्ड घुसा जा रहा है।
मैं उनकी बातें सुन कर धक्क से रह गया था कि जूली कभी मेरे सामने इतना खुलकर ऐसे नहीं बोलती थी, कभी कभी मेरे बहुत ज़ोर देने पर बोल देती थी मगर आज तो पराये मर्द के सामने रंडी की तरह बोल रही थी।
तभी उसने पीछे हाथ कर विजय का लण्ड अपने हाथ में पकड़ लिया। विजय ने न जाने कब उसे अपने पजामे से बाहर निकाल लिया था वो अब जूली के हाथ में था। तभी जूली घूमी तो मैंने देखा कि उसकी पजामी चूत से नीचे खिसकी हुई है अब उसकी नंगे सुतवाँ पेट के साथ उसकी छोटी सी चूत भी दिख रही है, विजय के लण्ड को जूली ने अपने हाथ से सहला कर उसके पजामे में कर दिया और बोली- इसको अभी आराम करने दो, इस सबके लिए अभी बहुत समय मिलेगा।
मैं उनकी ये सब हरकतें देख चुपचाप बाहर आ गया और सोचने लगा कि क्या करूँ।
मैं कुछ देर के लिए बाहर आकर अपना सर पकड़कर बैठ गया। एक पल तो मुझे लगा कि मेरी दुनिया पूरी लुट गई है, मैं लगभग चेतनाहीन हो गया था पर जब अंदर से कुछ आवाजें आईं तब मैं उठा और पौधों को पानी देने लगा।
पानी देते हुए अचानक अपने भाई विजय की बात दिमाग में गूंजने लगी और न जाने कैसे मैं सोचने लगा कि पौधे की जगह मेरी बीवी नंगी अपनी टाँगें फैलाये लेटी है और विजय अपने लण्ड को हिला हिला कर अपना पानी उसकी चूत में डाल रहा है।
और ये सब सोचते ही मेरा अपना लण्ड सर उठाने लगा जाने कैसी बात है यह कि अभी दिमाग काम नहीं कर रहा था और अब लण्ड भी पूरे जोश में था।
अब मेरे सामने दो ही रास्ते थे कि या तो लड़ झगड़ कर सब कुछ ख़त्म कर लिया जाये या फिर खुद भी मज़े करो और उसको भी करने दो।
मैंने दूसरा रास्ता चुना क्योंकि मैं भी पाक साफ नहीं था और सेक्स को मजे की तरह ही देखता था।
सबसे बड़ी बात तो यही थी कि जूली एक पत्नी के रूप में तो मेरा पूरा ख्याल रखती ही थी बाकी शायद उसकी अपनी इच्छाएँ थी।
मेरे मन में बस यही ख्याल आ रहा था कि ज़िंदगी बहुत छोटी है, इसमें जो मिले उसे भोग लेना चाहिए।
कम से कम जूली मेरा ख्याल तो रख ही रही थी, मेरी बेइज्जती तो नहीं कर रही थी। अब मेरे पीछे वो कुछ अपनी इच्छाओं को पूरा कर रही थी तो मुझे इसमें कुछ गलत नहीं लगा।
ये सब सोच मेरा मन बहुत हल्का हो गया और अपना काम ख़त्म कर मैं अंदर आ गया।
अंदर सब कुछ सामान्य था, जूली रसोई में वैसे ही काम कर रही थी और विजय बाथरूम में था।
करीब दस मिनट के बाद विजय नहाकर बाहर निकला, उसके कसरती बदन पर केवल कमर में एक पतला तौलिया बंधा था जिसमें उसके लण्ड के आकार का आभास हो रहा था।
मैं अपने कपड़े ले बाथरूम में चला गया, जूली वैसे ही रसोई में काम करती रही।
विजय- भैया, क्या हुआ? आज कुछ जल्दी है?
मैं- हाँ आज जरा जल्दी ऑफिस जाना है। जूली जल्दी नाश्ता तैयार कर दो, मैं बस फ़टाफ़ट नहाकर आता हूँ।
मैंने बाथरूम से जूली को बोल दिया।
जूली- ठीक है, आप नहा कर आइये, नाश्ता तैयार ही है। विजय तुम भी जल्दी से आ जाओ सब साथ ही कर लेंगे।
विजय- ठीक है, भाभी मैं तो तैयार ही हूँ, ऐसे ही कर लूँगा।
मैंने बाथरूम में शॉवर चलाया और उन दोनों को देखने का सोचा।
बाथरूम की एक तरफ़ की दीवार में ऊपर की ओर छोटा रोशनदान है जो हवा के लिए खुला रहता है, वहाँ से रसोई का कुछ भाग दिखता है और मैं उनकी बातें भी सुन सकता था।
मैंने पानी का ड्रम खिसकाकर रोशनदान के नीचे किया और उस पर चढ़कर रसोई में देखने का प्रयास किया।
वहाँ से कुछ भाग ही दिख रहा था, पर उनकी बातों की आवाज जरूर सुनाई दे रही थी।
विजय- भाभी, क्या बनाया नाश्ते में आज?
जूली- सब कुछ तुम्हारी पसन्द का ही है, ब्रेड सैंडविच और चाय या कॉफी जो तुम कहो।
विजय- आपको तो पता है, मैं ये सब नहीं पीता, मुझे तो दूध ही पसन्द है।
जूली- हाँ हाँ… मुझे पता है और वो भी तुम सीधे ही पीते हो।
और दोनों के जोर से हंसने की आवाज आई।
जूली- अरे क्या करते हो, अभी मैंने मना किया था न ! उफ़्फ़… क्या कर रहे हो !
मैंने बहुत कोशिश की दोनों को देखने की मगर कभी कभी जरा सा भाग ही दिख रहा था।
मगर यह निश्चित था कि विजय मेरी बीवी के दूध पी रहा था।
अब वो टॉप के ऊपर से पी रहा था या टॉप उठाकर यह मेरे लिए भी सस्पेन्स था।
मैं तो केवल उनकी आवाजें सुनकर ही उत्तेजित हो रहा था।
जूली- ओह विजय, क्या कर रहे हो? प्लीज अभी मत करो ! देखो, वो आते होंगे… ओह… नहीं… आह… क्या करते हो। ओह विजय… तुमने अंडरवियर भी नहीं पहना।
विजय- पुच… पुच… सुपरररर… सपरर… अहाआआ… भाभी, कितने मस्त हैं आपके मम्मे… ओह्ह्ह भाभी, ऐसे ही सहलाओ… आहा… कितना मस्त सहलाती हो आप लण्ड को… आहाअ… ओह्हओ… पुच… पुच…
मैं रोशनदान से टंगा उनकी आवाजें सुन रहा था और सोच रहा था कि ये मेरे सामने ही कितना आगे बढ़ सकते हैं। क्या आज ही मुझे इनकी चुदाई देखने को मिल जायेगी।
पता नहीं क्या होगा…
तभी मुझे विजय की छाया सी दिखी, वो कुछ पीछे को हुआ था।
“ओह माय गॉड… वो पूरा नंगा था, उसका तौलिया उसके पैरों में था जिसे उसने अपने पैरों से पीछे को धकेला।
शायद उसी के लिए वो पीछे को हुआ होगा।
मुझे उसका लण्ड तो नहीं दिखा मगर मैं इतना मूर्ख भी नहीं था कि यह न समझ सकूँ कि इस स्थिति में उसका लण्ड 90 डिग्री पर खड़ा ही होगा।
अब सोचने वाली बात यह थी कि मेरे घर में रहते वो क्या करेगा।
वो फिर आगे को हो गया और मेरी नजरों से ओझल हो गया।
तभी फिर से आवाजे आने लगीं…
जूली- तुम बिल्कुल पागल हो विजय… क्या करते हो, तुम्हारा लण्ड कितना सख्त हो रहा है।
विजय- हाँ भाभी, अहा… आज तो भैया के सामने ही यह तुम्हारी चूत में जाना चाहता है… ओहू…ओ… अहाह… ह…
जूली- नहीं… ईईईइ… विजय… प्लीज ऐसा मत करो, मैं उनके सामने ऐसा नहीं कर सकती। मैं उनसे बहुत प्यार करती हूँ। अहाआ… आ… विजय… हा… हा… ओह… मत करो न… तुम बहुत बदमाश हो गए हो।
‘अहा… क्या करते हो… प्लीज तुम्हारा लण्ड तो आज मेरी पजामी ही फाड़ देगा… अहाआ… आआ… नहीं… ईईईई…’
विजय- पुच… पुछ्ह्ह्ह्ह… अहह… हआआ… आज नहीं छोड़ूंगा… ओहू… ऊओ… लाओ इसको हटा दो।
जूली- नहींईई विजय… क्या करते हो, पगला गए हो, देखो वो आते ही होंगे, मान जाओ ना प्लीज ह्ह्हाआ… ओह… ऊऊओह…
विजय- वह भाभी… क्या मस्त चूत है आपकी… बिल्कुल छोटी बच्ची की तरह… कितनी चिकनी और छोटी सी… दिल करता है खा जाऊँ… इसको…
वाकयी जूली की चूत बहुत खूबसूरत है, उसके छोटे छोटे होंट ऐसे आपस में चिपके रहते हैं जैसे दस साल की बच्ची के… और चूत का रंग गुलाबी है जो उसकी गदराई सफ़ेद जांघों में जान डाल देता है।
उसकी चूत बहुत गर्म है और उसके होंटों को खोल जब लाली दिखती है तो मुझे पक्का यकीन है कि बुड्ढों तक का लण्ड पानी छोड़ दे।
मगर इस समय वो चूत मेरे छोटे भाई विजय के हाथ में थी। पता नहीं वो नालायक उसको कैसे छेड़ रहा होगा।
अब फिर से भयंकर मादक आवाजें आने लगीं।
जूली- ह्हाआ… आअ… आआआअ… ओहू… ऊऊओ विजय… नहीईई… प्लीजज्ज… नहीं… ईईईई…
विजय- भाभी… इइइ… बस जरा सा झुक जाओ।
जूली- वो आते होंगे ! तुम मानोगे नहीं।
विजय- भाभी, भैया अभी नहा ही रहे हैं, शॉवर की आवाज आ रही है, उनके आने से पहले हो जायेगा। बस जरा सा आह… आआआ…
जूली- ओह… ऊऊओ… क्या करते हो ओह… ऊऊ… वहाँ नहीं विजय… आहआ… आआआआ… आआआआआ… सूखा ही आआआ… तुम तो मार ही दोगे।
‘पागल, मैंने कितनी बार कहा है गांड में डालने से पहले कुछ चिकना लगा लो।’
विजय- मैंने थूक लगाया था ना और आपकी चूत का पानी भी लगाया था… अहा…आआआ… क्या छेद है भाभी… मजा आ गया।
जूली- चल पहले मलाई लगा…
‘अरे क्या करता है सब दूध ख़राब कर दिया, हाथ से लेकर लगा न, लण्ड ही दूध में डाल दिया… तू तो वाकयी पगला गया है।’
विजय- जल्दी करो भाभी… जब लण्ड पी सकती हो तो क्या लण्ड से डूबा दूध नहीं… अहा… जल्दी करो…
जूली- अहा… आआ… धीरे… पागल… ह्हाआआअ… ह्हाआअ… ओहूऊऊऊ…
दस मिनट तक उनकी आवाजें आती रहीं।
झूठ नहीं बोलूंगा, मैंने भी नहाने के लिए अपने कपड़े निकाल दिए थे और इस समय पूरा नंगा ही उन दोनों को सुन रहा था, मेरा लण्ड भी पूरा खड़ा था और मैं उसको मुठिया रहा था।
जूली- अहा… हाआआआ… विजय बहुत जबर्दस्त है तुम्हारा लण्ड… अहा…आआ… क्या मस्त चोदते हो… अहा… बस करो न अब… ऐईईईइ…
विजय- आआ…आआआ…आआ… ह्हह्हह्हह्ह… बस हो गया भाभी आआआह्ह्ह्ह्ह्हा…
जूली- ओह…ऊऊऊ… क्या कर रहे हो… सब गन्दा कर दिया… उफ्फ्फ्फ्फ…फ्फ्फ्फ्फ…
तभी विजय पूरा नंगा अपना तौलिया उठा बाहर आ गया।
उसका लण्ड अभी भी तना था और पूरा लाल दिख रहा था।
और फिर जूली भी बाहर आई, माय गॉड क्या लग रही थी।
उसका टॉप बिल्कुल ऊपर था उसकी दोनों चूची बाहर निकली थी जिन पर लाल निशान दिख रहे थे।
ऊपर तनी हुई सफ़ेद चूची पर गुलाबी निप्पल चूसे और मसले जाने की कहानी साफ़ कह रहे थे।
उसकी ब्रा एक और को लटकी थी उसकी शायद तक एक फीता टूट गया था।
और नीचे तो पूरा धमाकेदार दृश्य था उसकी पजामी उसके पंजों में थी।
और वो पजामी के साथ ही पैरों को खोलकर चल रही थी।
उसकी चूत इतनी गीली थी कि मेरा मन उसमें अपना लण्ड एक झटके में डालने को कर रहा था।
रसोई से बाहर आ उसने तौलिया लिया और मेरी ओर पीठ करके अपनी चूत साफ करने लगी।
उसकी कमर से लेकर चूतड़ों तक विजय का वीर्य फैला था। वो जल्दी जल्दी साफ़ करते हुए पीछे मुड़ कर बाथरूम की ओर भी देख रही थी।
उसकी इस स्थिति को देखते हुए मेरे लण्ड ने भी पानी छोड़ दिया।
अब मैं नीचे उतर बिना नहाये केवल हाथ मुंह धोकर ही बाहर आ गया। हाँ, थोड़े से बाल जरूर भिगो लिए जिससे नहाया हुआ लगूँ।
बाहर एक बार फ़िर सब कुछ सामान्य था, जूली फिर से रसोई में थी और विजय शायद अपने कमरे में था।
रसोई से बाहर आ उसने तौलिया लिया और मेरी ओर पीठ करके अपनी चूत साफ करने लगी।
उसकी कमर से लेकर चूतड़ों तक विजय का वीर्य फैला था। वो जल्दी जल्दी साफ़ करते हुए पीछे मुड़ कर बाथरूम की ओर भी देख रही थी।
उसकी इस स्थिति को देखते हुए मेरे लण्ड ने भी पानी छोड़ दिया।
अब मैं नीचे उतर बिना नहाये केवल हाथ मुंह धोकर ही बाहर आ गया। हाँ, थोड़े से बाल जरूर भिगो लिए जिससे नहाया हुआ लगूँ।
बाहर एक बार फ़िर सब कुछ सामान्य था, जूली फिर से रसोई में थी और विजय शायद अपने कमरे में था।
हाँ बाहर एक कुर्सी पर जूली की ब्रा जरुर पड़ी थी जो उनकी कहानी वयां कर रही थी।वो कितना भी छुपाएँ पर जूली ब्रा को बाहर ही भूल गई थी।

क्रमशः







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