Saturday, July 12, 2014

FUN-MAZA-MASTI ज़न्नत की ज़न्नत--1

FUN-MAZA-MASTI

 ज़न्नत की ज़न्नत--1

मेरा नाम विभा है, मेरे पति नरेन एक इंजीनियरिंग कंपनी में अच्छे पद पर हैं।
हम लोग वैसे तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं, पर पिछले 15 सालों से नई दिल्ली में रह रहे हैं।
नरेन 40 साल के हैं, पर 35 से ज़्यादा नहीं दिखते, 5’8″ कद है, हल्के से मोटे हैं, गोरे और सुंदर हैं..।
मेरी उम्र 35 साल है, पर 30 साल की दिखती हूँ, 5’3″ कद है, जिस्म 36-27-36 है।
हम दोनों यहाँ पर अपने कुछ दोस्तों के साथ बीवियों को आपस में अदल-बदल करके चुदाई करते हैं।
इस बीवियों की अदला-बदली करके चुदाई में दो जोड़े अपने-अपने साथी बदल कर एक-दूसरे को चोदते हैं, एक की पत्नी दूसरे आदमी के साथ चुदती है और उसका पति किसी और की पत्नी को चोदता है।
हम नहीं जानते कि यहाँ पर हमारे अलावा और कितने जोड़े ऐसे अपनी-अपनी बीवियों को अदल-बदल कर चुदाई करते हैं। मेरे ख्याल से इसके लिए मन तो बहुतों का होता है, और अगर अवसर मिले तो शायद इसका आनन्द भी उठाएँ।
हम लोग फ़िलहाल अपने 4 नज़दीकी मित्र-जोड़ों के साथ बीवियों की अदला-बदली करके चुदाई करते हैं और करवाते हैं। अक्सर हममें से दो-तीन जोड़े ही एक साथ हो पाते हैं, पर कभी-कभार किसी विशिष्ट अवसर पर, जब सबको समय हो, हम पाँचों मिलते हैं, अदला-बदली करके ही चुदाई करते हैं।
हालाँकि हमारा उद्देश्य एक-दूसरे के जीवन साथी के साथ चुदाई का आनन्द उठाना होता है, पर इस में हमारी प्रगाढ़ मित्रता, यानि कि दावतें, पिकनिक, पार्टियाँ और दूसरे के साथी के साथ हँसी-मज़ाक और सबके सामने एक-दूसरे के कपड़ों के ऊपर से जो मर्ज़ी आए, करके मज़ा लेना भी शामिल हैं।
इनके साथ दूसरे के साथी के साथ अकेले फिल्म देखने जाना, बाहर खाना खाना और फिर उसे अपने साथ चुदाई के लिए घर लाना भी शामिल होता है।
जब मेरे पति किसी और की पत्नी के साथ यही सब कर रहे हों, तो मेरे द्वारा किसी और के साथ यही सब करना अपने आप में बहुत ही रोमांटिक है।
हम 2-3 जोड़ियाँ कभी-कभी एक साथ दूसरे शहर घूमने जाते हैं तो मैं दूसरे के पति के साथ ही अलग कमरे में रहती हूँ, जैसे कि उन दिनों के लिए हमारे पति वही हों !
हमने अपनी इस जिंदगी की शुरुआत कैसे की, अब मैं यह बताना चाहूँगी।
मुझे लम्बे अरसे से यह शक था कि नरेन दूसरी औरतों को चोदने का बहुत इच्छुक था, पर कोई 5-6 साल पहले उसने कहना शुरू किया कि विभा, उमर बहुत छोटी होती है और हमें यह भी अनुभव करना चाहिए कि दूसरों के साथ चुदाई करने में कैसा मज़ा आता है क्योंकि हम दोनों ने विवाह के पहले किसी से चुदाई नहीं की थी।
वो किसी दूसरी स्त्री के साथ चुदाई का लुत्फ़ उठाना चाहता था और मुझे भी उत्साहित करता था कि मैं भी किसी दूसरे मर्द के साथ चुदाई का आनन्द उठाऊँ।
इन बातों के दौर से हमारी चुदाई में आनन्द और बढ़ गया था।
जब दोस्तों को अपने घर में बुलाते तो नरेन रसोई में मुझसे आकर बताता कि आज उसे किस दोस्त की बीवी को चोदने का मन कर रहा है। वह मुझसे भी पूछता कि आज मेरा मन किस दोस्त से चुदवाने को कर रहा है।
ये सब बातें करके हमें बड़ा मज़ा आने लगा और हम सबके जाने के बाद उस दोस्त और उसकी बीबी का नाम लेकर एक-दूसरे को चोदने लगते थे।
कुछ दिनों तक बिस्तर में चोदते समय इस बारे में बातें करते-करते मेरी भी हिम्मत बढ़ती गई और मैं दूसरे जोड़े के साथ काल्पनिक अदला-बदली चुदाई के लिए तैयार हो गई। फिर हमने ढूंढना शुरू किया और हमारी नज़र पंकज और ज़न्नत पर पड़ी जो हमारे ही पड़ोस में कुछ ही दूरी पर रहते थे।
इन कुछ सालों में हमारी उनसे दोस्ती काफ़ी गहरी हो गई है। ये दोनों भी लगभग हमारी ही उमर के थे। पंकज 38 साल का था और ज़न्नत 32 की, ज़न्नत का शरीर बहुत सुंदर (32-26-38) था। वो काफ़ी पतली थी और नयन-नक्स तीखे थे।
हम दोनों उनके स्वभाव और सुंदरता से काफ़ी प्रभावित हुए थे।
अपनी चुदाई के समय अब हम पंकज और ज़न्नत के बारे में सोचने लगे और उनके साथ चुदाई की कल्पना करने लगे।
जब भी नरेन मुझे चोदता था तो मुझसे यही कहता कि मेरी चूत कितनी रसीली और सुंदर है और मैं बड़ी आसानी से पंकज को अपने साथ चुदाई करने के लिए पटा सकती हूँ।
 
फिर मैंने भी नरेन से कहा कि उसका लंड इतना अच्छा है कि ज़न्नत भी उसके लंड का स्वाद लेने के लिए आसानी से आतुर हो जाएगी।
वो मुझसे पूछता कि आज मुझे किसके लंड से चुदवाना है, उसके या पंकज के…! मैं भी नरेन से पूछती कि आज उसे किसकी चूत चोदने का मन कर रहा है, मेरी या ज़न्नत की…!
नरेन ने महसूस किया कि मुझे इन बातों से बहुत मज़ा आता है और मैं खूब उत्तेजित होकर नरेन से चुदवाने लगी थी।
एक दिन तो नरेन चुदाई के दौरान मुझसे पूछने लगा- विभा, बताओ तो सही, अभी तुम्हारी चूत के अन्दर किसका लंड घुसा है?
मैं भी बिना ज़्यादा हिचक के बोली- नरेन, इस समय तो मेरी चूत पंकज के लंड का मज़ा ले रही है।
जल्द ही मैंने भी नरेन से पूछा- नरेन, तुम्हारा लंड किसकी चूत में है?
तो नरेन बड़े मज़े से बोला- ज़न्नत की ज़न्नत में है।
नरेन ने कुछ कहा नहीं पर यह ज़रूर महसूस किया कि जब मैं पंकज के साथ चुदाई की कल्पना करती हूँ, तो मेरा चुदाई में उत्साह और बढ़ जाता है और मैं नरेन से खूब ज़ोर से चुदवाती हूँ।
फिर एक दिन मैंने उससे कहा- तुम मुझे चोदते वक़्त यह कल्पना करते हो कि तुम ज़न्नत को चोद रहे हो, तो क्यों नहीं चोदते समय मुझे ज़न्नत कहकर ही पुकारो?
काफ़ी दिनों तक रोज़ हम लोग इस काल्पनिक दुनिया में एक-दूसरे को पंकज और ज़न्नत के नाम से चोदते रहे। मैं उसे पंकज पुकारती और वो मुझे ज़न्नत।
फिर लगभग आज से 5 साल पहले, एक दिन अचानक अंजाने में ही, पंकज और ज़न्नत के साथ यह कल्पना हक़ीकत में बदल गई।
एक दिन पंकज और ज़न्नत ने हमें रात को डिनर पर बुलाया।
हम उनके घर गए और वहाँ नरेन और पंकज ने साथ बैठ कर थोड़ी व्हिस्की पी। मैंने और ज़न्नत ने भी थोड़ी सी ली।
तभी एकाएक पंकज ब्लू-फ़िल्मों के बारे में बात करने लगा, चूँकि उसे भी पता था कि हम दोनों ऐसी पिक्चर अक्सर देखा करते हैं।
पंकज ने नरेन से पूछा- क्या तुमने कभी कोई इंडियन ब्लू-फिल्म देखी है? ऐसी फिल्म देखने में बड़ा मज़ा आता है।
नरेन ने पंकज को बताया- अब ऐसी फ़िल्में अब धीरे-धीरे सभी जगह पर मिलने लगी हैं और हमने कुछ देखी भी हैं। ये ज़्यादा मज़ेदार होती हैं क्यूंकि साड़ी और पेटीकोट उठा कर भारतीय औरतों को अलग-अलग लोगों से अपनी ज़न्नत चुदवाते देखने में अलग ही आनन्द आता है। जब भारतीय औरतें अपनी सुंदर सा मुँह खोल कर किसी का लंड चूसती हैं तो अपना लंड तो खड़ा हो जाता है।
नरेन ने पंकज को बताया- हमारी कार में एक वीडियो सीडी पड़ी है जो हम वापस लौटने वाले थे।
उसने कहा- अगर तुम चाहो तो उसे वापस करने के पहले देख सकते हो !
क्योंकि ज़न्नत ने भी कभी भारतीय ब्लू-फिल्म नहीं देखी थी, पंकज ने उसे सुझाव दिया कि वे दोनों उसे अपने बेडरूम में देख लेंगे और हमारी वापसी पर लौटा देंगे।
नरेन ने उन्हें उत्साहित करते हुए कहा- हम दोनों तब तक कोई दूसरी हिन्दी फिल्म वही ड्राइंग-रूम में देखेंगे।
पर पंकज ने कहा- यह तो बदतमीज़ी होगी और चूँकि हम सब व्यस्क हैं, हम सब को ब्लू-फिल्म का आनन्द एक साथ उठाना चाहिए। हालाँकि नरेन और मुझे इसमें कोई इतराज़ नहीं था, पर ज़न्नत कुछ शंका में लग रही थी।
उसके बाद ज़न्नत के साथ मैं रसोई में गई और उसे हिम्मत दी कि नज़दीकी दोस्तों के साथ ऐसी फिल्म देखने में कोई हर्ज़ नहीं है।
हम रसोई से कुछ और ड्रिंक्स लेकर आए।
कुछ समय बाद ज़न्नत ने हल्के से कह ही दिया कि उसे फिल्म देखने में कोई ऐतराज़ नहीं है।
नरेन बाहर जाकर कार से सीडी निकाल लाया जिसका नाम ‘बॉम्बे-फैंटेसी’ था।
हम सब उनके बेडरूम में चले गए। मैं और नरेन सोफे पर बैठ गए और पंकज और ज़न्नत अपने बिस्तर पर।
पंकज ने लाइट बंद करके फिल्म चालू कर दी। हम लोगों ने ये फिल्म देखी हुई थी, जिसमें दो मर्द और दो औरत के एक ही बिस्तर पर चुदाई की कहानी थी।
हम शान्ति से सोफे पर बैठ कर पंकज और ज़न्नत के भाव पढ़़ने की कोशिश कर रहे थे।
कमरे में टीवी की रोशनी के अलावा अंधेरा था।
कुछ देर में हमें लगा कि पंकज और ज़न्नत गर्म हो रहे थे और उन्होंने अपने आप को कम्बल से ढक लिया था। ऐसा लग रहा था कि जैसे पंकज, ज़न्नत के साथ चुदाई से पूर्व की हरकतों में मशगूल हो गया था।

 यह देख कर नरेन भी गर्म हो गया और मुझे चूमने लगा, मेरी चूचियों से खेलने लगा।
अब पंकज और ज़न्नत अपने आप में इतने व्यस्त थे कि उनका ध्यान हमारी ओर नहीं था।
यह जान मैंने भी नरेन के लंड को हाथों में लेकर दबाना शुरू कर दिया। नरेन ने भी अपना हाथ मेरी ज़न्नत पर रख दिया और हम भी पंकज और ज़न्नत के बीच चल रहे संभावित खेल में शामिल हो गए।
अचानक नरेन ने देखा कि पंकज और ज़न्नत के ऊपर से कम्बल एक ओर सरक गया था और उसकी नज़र पंकज के नंगे चूतड़ों पर पड़ी।
ज़न्नत की साड़ी उतर चुकी थी और पंकज ज़न्नत के ऊपर चढ़ा हुआ था, वे दोनों पूरी तरह चुदाई में लग गए थे, पंकज अपना 8″ का खड़ा लंड ज़न्नत की चूत में घुसेड़ चुका था और अपने हाथों से ज़न्नत की चूचियों को मसल रहा था।
यह देख कर नरेन ने कहा- चलो तुम भी मेरी ज़न्नत बन जाओ !
और यह कह कर नरेन मेरे दोनों कबूतरों को पकड़ कर कस-कस कर मसलने लगा, पर मैं शर,आ रही थी क्योंकि पंकज और ज़न्नत की तरह हमारे पास हमारे नंगे बदन को ढकने के लिए कुछ नहीं था।
पर थोड़ी ही देर में मैं भी चुदाई की चलती हुई फिल्म, अपनी चूची की मसलाई और पंकज और ज़न्नत की खुली चुदाई से काफ़ी गर्म हो गई और नरेन से मैं भी अपनी चूत चुदवाने के लिए तड़पने लगी।
अब पंकज और ज़न्नत के ऊपर पड़ा हुआ कम्बल बस नाम मात्र को ही उनके नंगे बदनों को ढक रहा था। ज़न्नत की नंगी चूची और उसका पेट और नंगी जाँघें साफ-साफ दिख रही थीं।
पंकज इस समय ज़न्नत के ऊपर चढ़ा हुआ था और अपनी कमर उठा-उठा कर जन्नत की चूत में अपना 8″ का लंड पेल रहा था और ज़न्नत भी अपनी पतली कमर उठा-उठा कर पंकज के हर धक्के को अपनी चूत में ले रही थी और धीरे-धीरे बड़बड़ा रही थी जैसे ‘हाईईईईईईई, और जूऊऊर सीईई चोदूऊऊ, बहुउऊुउउट मज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ा आआआआ र्हईईईई हाईईईई..!’
यह देख कर मेरी चूत गीली हो गई और मैं भी नरेन से वहीं सोफे पर चुदवाने को राज़ी हो गई।
मेरी रज़ामंदी पाकर नरेन मुझ पर टूट पड़ा और मेरी दोनों चूचियों को लेकर पागलों की तरह उन्हें मसलने और चूसने लगा।
मैं भी अपना हाथ आगे ले जाकर नरेन का तना हुआ लंड पकड़ कर सहलाने लगी।
जब मैं नरेन के लंड तो सहला रही थी तो मुझे लगा कि आज नरेन का लंड कुछ ज़्यादा ही अकड़ा हुआ है।
नरेन ने तेज़ी से अपने कपड़े उतारे और मेरे ऊपर आते हुए मेरी भी साड़ी उतारने लगा।
कुछ ही देर में हम दोनों सोफे पर पंकज और ज़न्नत की तरह नंगे हो चुके थे।
टीवी की धुंधली रोशनी में भी इतना तो साफ दिख रहा था कि कम्बल अब पूरी तरह से हट चुका था और पंकज खुले बिस्तर पर हमारे ही सामने ही ज़न्नत को जमकर चोद रहा था।
ज़न्नत भी अपने चारों तरफ से बेख़बर हो कर अपनी कमर उठा-उठा कर अपनी चूत चुदवा रही थी।
मेरे ख्याल से पंकज और ज़न्नत की खुल्लम-खुल्ला चुदाई देख कर मैं भी अब बहुत गर्म हो चुकी थी और नरेन से बोली- अब जल्दी से तुम मुझे भी पंकज की तरह चोदो, मैं अपनी चूत की खुजली से मरी जा रही हूँ।
मेरी बात खत्म होने से पहले ही नरेन का तनतनाया हुआ लौड़ा मेरी चूत में एक जोरदार धक्के के साथ दाखिल हो गया।
नरेन अपने लंड से इतने ज़ोर से मेरी चूत में धक्का मारा कि मेरी मुँह से एक ज़ोरदार चीख निकल गई।
मैं तो इतनी ज़ोर से चीखी जैसे कि उसका लंड मेरी चूत के अन्दर पहली बार गया हो !
एकाएक पूरा माहौल ही बदल गया। मेरी चीख से पंकज और ज़न्नत को भी पता लग गया था कि हम दोनों भी उसी कमरे में हैं और अपनी चुदाई में लग चुके हैं।
यह हमारे जीवन के एक नए अध्याय की शुरुआत थी जिसने कि हमें अदला-बदली करके चुदाई के आनन्द का रास्ता दिखाया।
मेरी चीख सुनकर ज़न्नत ने पंकज का लंड अपनी चूत में लेते हुए धीरे से बोली- लगता है कि नरेन और विभा ने भी अपनी चुदाई शुरू कर दी है।
यह सुनकर पंकज ने आवाज़ दी- क्या नरेन, क्या चल रहा है? क्या तुम और विभा भी वही कर रहे हो जो हम दोनों कर रहे हैं?
नरेन ने जवाब दिया- क्यों नहीं, तुम दोनों का लाइव शो देख कर कौन अपने आप को रोक सकता है। इसीलिए मैं और विभा भी वही कर रहे हैं जो इस वक्त तुम और ज़न्नत कर रहे हो यानी तुम ज़न्नत को चओ रहे हो और मैं विभा को चोद रहा हूँ।
पंकज बोला- अगर हम लोग सभी एक ही काम रहे हैं तो फिर एक-दूसरे से क्या छिपाना और क्या परदा? खुले मंच पर आ जाओ, नरेन। आओ हम लोग एक ही पलंग पर अपनी-अपनी बीवियों को चित्त लेटा करके उनकी टाँगें उठा के उनकी चूतों की बखिया उधेड़ते हैं।
नरेन ने पूछा- तुम्हारा क्या मतलब है, पंकज?
“मेरा मतलब है कि तुम लोगों को सोफे पर चुदाई करने में मुश्किल आ रही होगी, क्यों नहीं यहीं पलंग पर आ जाते हो हमारे पास, आराम रहेगा और ठीक तरीके से विभा की सेक्सी चूत में अपना लंड पेल सकोगे, मतलब विभा को चोद सकोगे।”
उसकी बात तो सही थी कि हम वाकयी सोफे पर बड़ी विचित्र स्थिति में थे।
नरेन ने मुझसे पूछा- पलंग पर ज़न्नत के बगल में लेट कर चूत चुदवाने में कोई आपत्ति है?
मैंने कहा- नहीं…! बल्कि मैं तो उन दोनों की चुदाई देख कर काफ़ी चुदासी हो उठी थी और उनकी चुदाई को नज़दीक से देखना चाह रही थी।
टीवी की धीमी रोशनी में मैं यह सोच रही थी कि एक ही पलंग पर पर लेट करके ज़न्नत के साथ साथ चूत चुदवाने में कोई परेशानी नहीं, पर मुझे आने वाली घटना का अंदेशा नहीं था।
नरेन ने मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और पलंग पर ले गया, जहाँ पंकज और ज़न्नत चुदाई में लगे थे।
हमें आता देख पंकज ने अपनी चुदाई को रोक कर हमारे बिस्तर पर आने का इंतज़ार करने लगा।
पंकज ने ज़न्नत की चुदाई तो रोक लिया था लेकिन अपना लंड ज़न्नत की चूत से नहीं निकाला था, वो अभी भी ज़न्नत की चूत में जड़ तक घुसा हुआ था और पंकज और ज़न्नत की झांटें एक-दूसरे से मिली हुई थीं।
नरेन ने पलंग के नज़दीक पहुँच कर मुझे ज़न्नत के पास चित्त हो कर लेटने को कहा।
जैसे ही मैं ज़न्नत के बगल में चित्त हो कर लेटी, पंकज मुझे छूकर उठा और कमरे की लाइट जलाकर वापस बिस्तर पर आ गया।
हम लोगों को एकाएक सारा का सारा माहौल बदला हुआ नज़र आने लगा।
हम चारों एक ही पलंग पर चमकती रोशनी में सरे-आम नंग-धड़ंग चुदाई में लगे हुए थे।
पंकज और ज़न्नत बिना कपड़ों के काफ़ी सुंदर लग रहे थे, ज़न्नत की चूचियाँ छोटी-छोटी थीं पर चूतड़ काफ़ी बड़े थे। उसकी छोटी-छोटी झांटें बड़ी सफाई से उसकी सुंदर चूत को ढके हुए थीं।
कमरे की हल्की रोशनी में ज़न्नत की चूत जो कि इस समय पंकज का लंड से चुद रही थी, काफ़ी खुली-खुली सी लग रही थी।
मैंने कमरे की चमकती रोशनी में पंकज के खड़े लंड को ज़न्नत की चूत के रस से चमचमाते हुए देखा, उसका लंड नरेन से थोड़ा लम्बा रहा होगा, पर नरेन का लंड उससे कहीं ज़्यादा मोटा था।
नरेन भी ज़न्नत को नंगी देख कर बहुत खुश था।
मुझे याद आया कि नरेन को हमेशा छोटे मम्मों और बड़े चूतड़ों वाली औरतें पसंद थीं।
मैंने पंकज को अपने नंगे जिस्म को भारी नज़रों से आँकता पाया और उसे शर्तिया मेरे भारी मम्मे और गोल-गोल भरे-भरे चूतड़ भा गए थे।
पंकज ने बिस्तर पर आकर ज़न्नत की खुली जांघों के बीच झुकते हुए अपना लंड उसकी गीली चूत से फिर से भिड़ा दिया।
ज़न्नत ने भी जैसे ही पंकज का लंड अपनी चूत के मुँह में देखा तो झट से अपनी टाँगों को ऊपर उठा दिया और घुटने से अपने पैरों को पकड़ लिया।
अब ज़न्नत की चूत बिल्कुल खुल गई और पंकज ने एक ज़ोरदार झटके के साथ अपना लंड ज़न्नत की चूत में डाल दिया।
यह देख नरेन ने भी अपना लंड अपने हाथ से पकड़ कर मेरी चूत के छेद से लगाया और एक झटके के साथ मेरी चूत के अन्दर घुसेड़ कर मुझे चोदने लगा।
पंकज हालाँकि ज़न्नत को बहुत ज़ोर से चोद रहा था पर उसकी नज़र मेरी चूत पर टिकी हुई थी।
नरेन का भी यही हाल था और उसकी नज़र ज़न्नत की चुदती हुई चूत पर से हट नहीं पा रही थी!
कहानी जारी रहेगी।



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