Sunday, July 20, 2014

FUN-MAZA-MASTI सीता --एक गाँव की लड़की--16

FUN-MAZA-MASTI

 सीता --एक गाँव की लड़की--16

काफी देर तक हम दोनों चिपक के सोते रहे...फिर सन्नी उठा और बाथरूम में फ्रेश होने घुस गया..मैं उसे जाते ही गीली तौलिया से बदन को ढ़क ली..और कमप्यूटर स्क्रीन पर नजर डाली तो दोनों कपड़े पहन रहे थे..

मतलब वो दोनों कभी भी इधर आ सकते थे...मैंने तेजी से उसी तौलिये से खुद को साफ की..और कपड़े पहन ली..

तभी बंटी बाहर आया और हमें कपड़े में देख आश्चर्य से देखने लगा तो मैंने उसे कमप्यूटर की तरफ इशारा कर दी..वो स्क्रीन की तरफ देखते ही मुस्कराता हुआ अपने कपड़े पहन लिए और कमप्यूटर पर कोई नई गाने प्ले कर दिया...

मैं भी अपनी नजर चल रही संगीत की तरफ कर दी मानों जब से आईहूं, गाने ही देख रही हूँ..तभी मैंने सन्नी से पूछी,"तुम पूजा की फिल्म क्यों बनाए हो?"

" बस यादगार के लिए ताकि जब किसी वजह से ये सब नहीं हो पाता तो वही सब देख के खुद को शांत कर लेता हूँ" सन्नी मेरी तरफ देख बेहिचक बोल दिया...उसके बोलने से ऐसा बिल्कुल नहीं लग रहा था ये मेरी इस सवाल से थोड़ी भी नर्वस है...

मतलब आदमी जब ऐसे कुछ कहता है तो लगता नहीं कि ये कुछ गलत करेगा..मैंने उसकी बातों को सुन चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट लाती हुई बोली," अच्छा तो तुमने मेरी भी बना ली है?"

उसने हंसते हुए हां में सिर हिला दिया..मैं बेड से हंसते हुए उठी और उसके गोद में जाकर बैठती हुई उसके होंठो के पास अपने होंठ ले जाती हुई बोली," फिर तुम्हें बताना चाहिए था ना ताकि मैं और अच्छी से परफॉमेंस करती जिससे मूवी और बेस्ट लगती.."

वो एक बार तो सोच में पड़ गया कि पता नहीं मैं कैसा बिहेव करूंगी पर शायद उसे इतना जरूर विश्वास था कि मैं ज्यादा गुस्से नहीं करूंगी..पर अब तो वो शायद ये सोच रहा होगा कि या तो इसे काफी मजा आ रहा है या पहले से ही रंडी है....

मेरी बात सुनते ही उसने अपने होंठ मेरे होंठ पर चिपका दिया..कुछ देर चूसने के बाद वो हटा और बोला,"चिंता मत करो जान, अभी तो शुरूआत है..अगली बार से मैं और भी बहुत कुछ करूंगा जो शायद तुम सोच भी नहीं सकती.."

"अच्छा...." और मैं उसके गालों पर अपने दांत लगा दी..वो कसमसा गया दर्द से... तभी गेट धड़ाम से खुली और पूजा मुझे सन्नी की गोद में देख वॉव करती हुई अपने होंठ गोल कर देखने लगी..

पीछे से बंटी भी आया और मुझे देखते ही बोला,"सीता, अब अगर तुम्हारी ये तोता-मैना का प्यार खत्म हुआ हो तो घर चलने का कष्ट करेंगे क्योंकि बारिश बंद हो चुकी है.."

ओह गॉड! मैं भी कितनी पागल थी, अब तक सन्नी की गोद से उठी नहीं थी..मैं झेंपते हुए तेजी से उठी और खड़ी हो गई..सब मेरी इस हरकत से हँस पड़े..

"भाभी, चलेंगे या और रूकेंगे.." पूजा मेरी तरफ हंसती हुई बोली..मैं उसकी बात सुनते ही बिना कुछ कहे बाहर की तरफ चल दी..

फिर वो तीनों भी पीछे से हंसते हुए आए..फिर हम सब बाइक पर बैठे और घर की तरफ चल दी..सच, काफी मजा आया आज सन्नी के साथ..सन्नी कितना केयर करता था मेरी...मैं बाईक पर ही सन्नी के कंधे पर सर टिकाती चिपक के सो गई थी...एक तो सन्नी जैसा केयरिंग बॉयफ्रेंड पा कर और दूसरी बारिश के बाद लग रही ठंड की वजह से...

कुछ कुछ अंधेरा घिरने लगी थी तो मैंने उसे घर तक चलने बोली वर्ना मेन रोड पर उतरनी पड़ती..5 मिनट में ही हम घर पहुंच गए..हम दोनों गुड बाय किस किए और फिर वो दोनों चला गया...

अंदर आते ही हम दोनों कपड़े चेंज किए और किचन में घुस गए..कुछ घंटों में श्याम भी आ गए थे..फिर खाना खा एक चरण जम के श्याम से चुदी और सो गई...

सुबह रोज की भांति मेरी नींद खुली तो देखी मैं सिर्फ पेंटी में अपने पति की बांहों में सोई थी..चेहरे पर मुस्कान लाते हुए मैं आहिस्ते से उठी ताकि श्याम की नींद ना खुले..फिर नंगी शीशे के पास खड़ी हो जोर की अंगड़ाई ली..ऐसी अवस्था में देख मैं खुद शर्मा गई..

फिर मेरी गंदी दिमाग एक्टिव हो मुझे एक आइडिया दे गई जिसे सोच मैं पानी-2 हो गई..फिर मैं अपने होंठो पर हंसी लाते चल दी...

अब मै सिर्फ पेंटी में या यूं कहिए पूरी नंगी..अपने फ्लैट के बालकनी में खड़ी थी..सुबह की ताजी हवा सीधी मेरे अंदर प्रवेश कर रही थी जिससे मैं तेजी से तरोताजा हो रही थी.. एक नजर दूसरे घरों पर नजर डाली जहां कुछ पक्षी के अलावा कोई नहीं था..

अब मैं निश्चिंत हो कर खड़ी हो गई और अपनी दोनों बांहें दोनों तरफ फैला दी..सूरज की हल्की किरणों के साथ ताजी हवा का आनंद लिए जा रही थी..अगली कुछ ही पलों में मेरी आँखें अनायास ही बंद हो गई..और सिर ऊपर की तरफ कर तन के खड़ी थी...मेरी दोनों कबूतर पर पड़ रही लाल रोशनी से काफी चमक रही थी..और मेरी तरह उसकी निप्पल भी सुबह का आनंद कड़क हो ले रही थी...

अचानक मेरे कानों में डोरबेल की आवाज गनगनाती हुई घुसी..मैं चौंकती सी आंख खोल के सामने देखी तो...ओहहह मर गईई...दूधवाले अंकल घंटी बजा कर मुंह खोल मेरी तरफ ताके जा रहे थे..

मैं तेजी से मुड़ भागती हुई अंदर दौड़ पड़ी..अंदर आते ही मैं हांफ रही थी..ये मैं दौड़ने से नहीं बल्कि खुद को नंगी दूधवाले के सामने दिखने से हो रही थी...

फिर मैं हंसती हुई शांत हुई और कपड़े पहनने के लिए आगे बढ़ी...सामने मेरी कल वाली कैप्री और टी-शर्ट टंगी थी जो रात भर में सूख गई थी..मैं आगे बढ़ी और कैप्री टीशर्ट पहन ली..अंदर ब्रॉ नहीं पहनी जिससे मोरी कड़क निप्पल अभी भी खड़ी थी..फिर मैं किचन से बर्तन ले बाहर की तरफ चल दी...

बाहर मेन गेट खोलते ही मेरी नजर दूधवाले से टकरा गई..मैं अगले ही पल नजरे नीची करती बर्त्तन आगे कर दी..वो चुपचाप अपने खड़े लंड पर काबू करते हुए बर्त्तन ले दूध डालने लगा..मैं दूध ले वापस जाने मुड़ी ही थी कि वो बोला,"मैडम जी, मैं तो यहां रोज कई घरों में ऐसे देखता हूं..और यहां तो अपने देह को नंगी करना एक फैशन है..कुछ तो पूरी नंगी दूध लेने भी आ जाती..आप यहां नई हो और शायद पहली बार ऐसा कीतो शर्म आ रही है,,पर जल्द ही आदत पड़ जाएगी.."

मैं अभी भी उसकी तरफ गांड़ किए खड़ी उसकी बातें सुन रही थी..और वो अपनी बात कहते हुए ठीक मेरे पीछे आ गया..फिर अपने एक हाथ मेरी टीशर्ट को उठा पेट पर रख हल्के से पीछे खींच मेरी गांड़ में अपना लंड फंसाते हुए बोला,"वैसे आप मस्त लग रही थी नंगी..काश ये मेन गेट लॉक नहीं रहता...पर कोई बात नहीं, अगली बार गेट खोल के रखना मैडम,,आपको मैं इस दूध के साथ वो दूध भी दे दूंगा.."

और उसने एक झटका मार मुझे छोड़ वापस अपने साइकिल की तरफ चला गया; बिना मेरी जवाब सुने...मैं भी उसकी हरकत से काफी गरम हो गई और पेंटी को भिंगोने लगी थी..

तेज कदमों से चलती मैं अपने रूम में घुस गई...उसकी इस हिम्मत की तो दाद देनी होगी..कैसे वो एक ही पल में अपना बड़ा सा लंड मेरी गांड़ पर अड़ा दिया...ओफ्फफ..मेरी चूत भी पानी छोड़ रही थी जब उसका लंड सटा था...तभी मुझे बाहर तेज आवाज की गानों के साथ ऑटो की आवाज सुनाई दी...

पर मैं अब बहती चूत लेकर वापस उस ऑटो वाले को लाईन देने नहीं जाने वाली थी..मैंने दूध किचन में रखी और दूधवाले के नाम पर अपनी चूत रगड़ने बाथरूम में घुस गई..


बॉथरूम से निकल मैं किचन में घुस गई जहाँ पहले चाय बनानी शुरू की...चाय बनाते वक्त भी मेरे जेहन में दूधवाले की बातें दिमाग में नाच रही थी...किसी तरह चाय बनाई और श्याम को जगाने बेडरूम की तरफ चाय ले चल दी...

रोज की भांति आज भी मैंने मॉर्निंग किस करते हुए श्याम को जगाई.. उनकी नींद भी मेरे लब सटते ही खुल गई पर आँखें बंद ही थी..वे बंद आँखों में ही जोरदार किस किए, फिर आँखें खोलते हुए जम्हाई सहित उठ बैठे...

उनकी आँखें खुलते ही चौंक से गए मुझे ऐसे कपड़ो में देख..फिर वो एक बार अपने सिर को झटक पूरी तरह से जगते हुए देखने लगे..अब तो उन्हें पूरी यकीं हो गई थी कि वे किसी सपने में नहीं बल्कि सचमुच मैं चुस्त टीशर्ट और कैप्री में खड़ी हूँ...सच कहूँ तो मैं बस उनकी रजामंदी लेने के लिए पहनी थी कि अगर इन्हें ठीक लगे तो पहनूंगी वर्ना नहीं..अगर ये खुश रहेंगे तभी तो मैं भी अपनी जिंदगी के मजे उठा सकती हूँ...

"वॉव सीता, मुझे नहीं मालूम नहीं था कि ऐसे ड्रेस में मेरी पत्नी नहीं, एक टंच माल लगोगी..कब ली ये ड्रेस?"अपनी राय और मुझे आगे पहनने की हां कहते हुए वे बेड से उतर मेरी तरफ आने लगे..मैं जल्द ही भांप गई कि इनको माल दिख रही हूं मतलब सुबह-2 ये अब हमें छोड़ने वाले नहीं हैं..

"कल खरीदी हूं और हाँ आप पहले फ्रेश हो लीजिए फिर मेरे निकट आइएगा.." कहते हुए मैं तेजी से पीछे पलट किचन की तरफ भाग खड़ी हुई..अपने मनसूबे पर पानी फिरता देख ये भी "भागती किधर है, रूक पहले..." कहते हुए मेरी तरफ लपके..मैं तब तक किचन में घुस गई थी और किचन का गेट बंद करनी चाही, तब तक ये पहुंच गए और हल्का धक्का देते हुए हंसते हुए अंदर घुस गए..

"प्लीज, अभी कुछ मत करिएगा वर्ना आपको भूखा ही ऑफिस जाना होगा.." मैं भी इनकी शरारत के मजे लेती कुछ मस्ती और बढ़ाते हुए बोली..वैसे पति- पत्नी में रोज हल्की- फुल्की नोंक-झोंक हो तो जिंदगी कितनी रंगीन हो जाती, आप अंदाजा नहीं लगा सकते...

"भांड़ में जाए ऑफिय और खाना..पहले जो मस्त पीस सामने मौजूद है,उसे तो खाने दो.." कहते हुए श्याम मुझ पर झपट्टा मारते हुए दबोच लिए और सीधा अपने दांत से मेरी चुची को मुंह में भर लिए..मैं किकयाती हुई छटपटाते हुए छूटने की पूरी कोशिश की पर नाकाम रही...मेरी टीशर्ट इतनी पतली और चुस्त थी कि उनके दांत मुझे अपनी नंगी चुची पर महसूस हो रही थी..मेरी आँखें गीली हो गई थी दर्द से...

जब लगा कि मेरी चुची के कुछ अंश कट जाएंगे तो किसी तरह इनसे बोली,"आहहहह प्लीज, धीरे करिए ना...काफी दर्द कर रही है ओहहहहहह मम्मीईईईईईई..."मेरी दर्द भरी स्वर इनके कानों पड़ते ही चुची को छोड़ मेरे गले पर किस करते हुए बोले,"सॉरी जानू, तुम इतनी कयामत लग रही हो कि मैं बेकाबू हो गया था.." और फिर वे अपने काम में भिड़ गए मतलब कभी गर्दन पर कभी गालों पर,कभी उरेजों पर किसे की बौछार करने लगे..मैं थोड़ी नाराजगी दिखाते हुए शिकायत की,"भागी थोड़े ही जा रही थी जो ऐसे काट लिए..चलिए हटिए अब, कैसे खून बहा दिए है.."

मेरी बात सुनते ही किस करना रोक दिए और एक ही झटके में मेरी टीशर्ट ऊपर करते हुए मेरी चुची आजाद कर दिए...फिर निहारते हुए बोले,"जान, खून तो नहीं निकला पर हमारे प्यार की निशानी जरूर पड़ गई है..." और उन्होंने फिर अपने होंठ उसी चुची पर लगाते हुए दर्द मिटाने की कोशिश करने लगे..मैंने उनके गाल पर प्यार वाली थप्पड़ जड़ते हुए बोली,"अब क्या,सच्ची की खून निकालोगे?"

वे मुस्कुराते हुए ऊपर मुंह किए और बिना कुछ कहे मेरे होंठों को अपने होंठों से मिला दिए...


मॉर्निंग स्मूच कितनी मस्त होती है, आज मालूम पड़ी..हल्की दुर्गंध आती हुई लब, पल भर में मदमोहक हो गई...मैं अपने सारे दर्द भूला उनके गर्दन को जोर से भींचती कस ली और इस स्मूच को और गहरी कर दी..हम दोनों के लार ट्रांसफर हो रहे थे वो भी रॉकेट की गति से..उनका हाथ मेरी नंगी चुची को धीमे-2 मसल रहा था..

ऊपर से आनंदमयी स्मूच और नीचे रोमांटिक अंदाज में चुची की सेंकाई...ओफ्फ्फ्फ..मैं और मेरी वो बर्दाश्त नहीं कर पाई और पेंटी को लगातार दूसरी बार नहलानी शुरू कर दी..अगली ही पल मेरी हाथ उनके तौलिये के अंदर घुसी और अंडरवियर के ऊपर से ही अपने प्राण को मसलने लगी...अब उफ्फ करने की बारी इनकी थी...ज्यादा देर तक ये मेरे स्पर्श को सह नहीं सके और "आहहहह सीताआआआआ" कहते हुए स्मूच तोड़े और तौलिया नीचे करते हुए अपने लंड को आजादवकर दिए..उफ्फ..पूरी तरह गर्म जलती कोयले वाली ताप निकल रही थी..ऐसा महसूस कर रही थी कि मेरी नाजूक हाथ अब इस गरमी में जल जाएगी...

और ये भी देख ली कि सुबह के पल लंड में कितनी तनाव,गर्मी,जोश और खतरनाक रहती है...सुबह के वक्त मर्द की स्टेमिना भी काफी बढ़ जाती है..मैं अपने ठंडे और कोमल हाथों से उनके लंड को आगे पीछे करने लगी..वे सिसकारी भरते हुए अपने मुंह ऊपर की तरफ कर लिए..उनका हाथ मेरी नंगी चुची पर जरूर था पर कोई हरकत नहीं कर रहा था..

हम दोनों की हालत खराब होने लगी थी..इस हालत को और खराब करने के ख्याल से मैं सेकंड भर के अंदर ही बैठी और गप्प से गर्म रॉकेट को मुंह में भर ली...आदी तो नहीं हुई थी पर अब उतनी बुरी भी नहीं लगती थी..श्याम तो मेरी इस अदा पर झूम उठे और मस्ती की सेकेंड लास्ट वाली गेट पर पहुंच गए...उन्हें उम्मीद भी नहीं थी मैं बिना कहे ऐसे मुँह में ले लूंगी..

कुछ मिनटों की चुसाई में ही उत्तेजना से हांफने लगे..उनका लंड इन चंद घड़ी में बढ़ के 6.5 से 7.5 इंच हो गई..ये सब सुबह की ताकत के परिणाम थे...वे अब बर्दाश्त नहीं कर सकते थे मेरी और चुसाई को तो एक झटके से मेरी खुली बाल को समेटते हुए पकड़े और अगले ही क्षण मेरी थूक से तरबतर उनका लंड मेरी आँखों के सामने ठुमके लगाने लगा..

अगले ही पल वो मेरी बालों को पकड़े ही ऊपर उठा दिए हमें...उनकी इस पहली बार की वहशी देख मैं फूला नहीं समा रही थी..दर्द में हर औरत कितनी जोश में आ जाती है, ये बात काश दुनिया के सारे मर्द समझ पाते...मैं दर्द की मुस्कान देते हुए उठ गई और अपने पति की अगली आज्ञा का इंतजार करने लगी..श्याम अगले ही पल मेरी कैप्री में उंगली डाले और जोर से नीचे कर दिए..टाइट तो थी पूरी, ताकत लगते ही छोटी सी बटन छिटकती हुई दूर जा गिरी और मैं सिर्फ पेंटी में रह गई...

अब इतनी कामुक घड़ी में मेरी चूत कब तक पेंटी के सहारे खुद को बचा पाती..उफ्फफफ...मैं चूत की सलामती ढंग से सोची भी नहीं थी कि तब तक मेरी पेंटी चर्रर्रर्रर्रर्र की आवाज के साथ दो टुकड़ो में बंट गए...और मैं कुछ सोचने की सोचती, तब तक श्याम के मुंह मेरी द्वार में समा गई...ओहहहहह मम्मीई,,,श्याम तो पहले मेरी चूत को चूसने के बारे में कभी बोले भी नहीं थे,, पर आज पता नहीं क्या हो गया इन्हें...शायद मैं बिना बोले इनका लंड मुंह में ली तो ये भी....

मैं दीवाल के सहारे लग गई और अपनी चूत पर हो रही जीभ के हमले को सहने की कोशिश करने लगी..वे मेरी चूत के दाने को दांतों से पकड़ खींचने लगे..मैं तड़पती हुई उनके बालों को जोर से पकड़ी और नोंचने लगी..मेरी सिसकारी अब किचन में गूंजने लगी.और मेरी चूत लगातार रस बहाए जा रही थी जो श्याम के पूरे चेहरे को भिंगोती नीचे गिर रही थी...



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