Thursday, April 3, 2014

FUN-MAZA-MASTI पड़ोसी से चुडवाया

FUN-MAZA-MASTI

 पड़ोसी से चुडवाया 
 प्रेषक -राज शर्मा 
हेलो फ्रेंड्स. मैं किरण भोपाल से दोस्तो हमारे पड़ोस मे एक नई फेमिली रहने आई थी उनका एक प्रमोद नाम का लड़का था प्रमोद बहुत हॅंडसम और स्मार्ट लड़का है, जिस पर मोहल्ले की हर लड़की फिदा है. .मैं भी उसे बहुत पसंद करती थी. यहाँ मैं बता दूँ की अभी तक मेरा कोई बाय्फ्रेंड नही था और मैं अभी तक वर्जिन थी. 
धीरे धीरे मेरी और प्रमोद की दोस्ती हो गयी. हम लोग अक्सर छत पर बैठकर ढेर सारी बातें किया करते थे. हम लोगों को यह भी महसूस होने लगा कि हम एक दूसरे से प्यार करने लगे हैं. लेकिन रोज आपस में मिलना भी संभव नही हो पाता था. मेरे घरवाले भी ऐतराज़ किया करते थे. हम दोनो ही अकेले मिलने का काफ़ी जुगाड़ किया करते, पर सफलता नही मिलती थी. 
हमारे पड़ोसे में एक फॅमिली और थी. वो लोग मियाँ बीवी ही थे. बीवी का नाम सुधा था, जिससे मेरी अच्छि दोस्ती हो गयी थी. एक दिन मैने उसे अपने प्यार के बारे में बताया और ये भी बताया कि प्रमोद से अकेले मिलने की बहुत इच्च्छा होती है लेकिन संभव नही हो पाता. सुधा ने मज़ाक करते हुए पुछा क्या बात है रानी , लगता है बहुत चुदासी हो रही हो. चुदवाने का प्रोग्राम है क्या. मैने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा, बेकार की बातें मत करो, मैं तो प्रमोद को प्यार करती हूँ और उससे अकेले मिलना चाहती हूँ. सुधा ने फिर मुझे पुचकार्ते हुए कहा, यार बुरा मत मानो, तुम उसको यहाँ बुला लो, हमारे घर पर मिल लिया करो, किसी को शक भी नही होगा. लेकिन, किरण डार्लिंग, मेरी एक बात याद रखना, ये प्यार व्यार कुच्छ नही होता, ये सब चूत और लंड का चक्कर है. तुम उससे मेरे घर पर मिलना ज़रूर लेकिन बहुत जल्दी अपनी चूत मत दे देना. मैं मन ही मन बहुत खुश हुई, और उसको आश्वस्त किया, चिंता मत करो. हम लोगों को केवल मिलकर प्यार भरी बातें करनी है. अपनी चूत का उद्घाटन करवाने के पहले तुमसे ज़रूर बताउन्गि. 
अगले दिन मौका मिलते ही मैने प्रमोद को मिलने की जगह बता दी. इसके बाद हम लोग अक्सर सुधा के घर पर मिलने लगे. जब भी हम दोनो सुधा के घर पर होते, तो उसके बेड रूम में घंटों बैठ कर प्यार मोहब्बत की बातें किया करते और सुधा ड्रॉयिंग रूम में बैठकर टीवी देखा करती. धीरे धीरे हम दोनो आपस में बहुत खुल गये थे. 
एक दिन दोपहर को हम दोनो सुधा के बेड रूम में एक दूसरे से चिपके बैठे बातें कर रहे थे, तभी प्रमोद अपने एक हाथ से मेरी चूचियों को सहलाने लगा. उसके हाथ रखते ही मेरे शरीर में सिहरन सी दौड़ गयी. पूरे शरीर के रोम-रोम खड़े हो गये, लेकिन अच्च्छा भी लग रहा था. धीरे धीरे उसका हाथ मेरी टी-शर्ट के अंदर पहुँचने की कोशिश कर रहा था. मुझे बहुत शरम आ रही थी. मैने उसका हाथ पकड़ लिया और रोकने की कोशिश की, लेकिन वो कहाँ मानने वाला था.कुच्छ देर के बाद मेरा विरोध भी काफ़ी कम हो गया और उसने एक हाथ मेरी गले की तरफ से अंदर डाल दिया. चूँकि मैं अंदर ब्रा पहने थी इस कारण उसको अपना हाथ सीधे ब्रा के अंदर घुसेड़ने में काफ़ी दिक्कत हो रही थी थी. कुच्छ देर तक वो ब्रा के ऊपेर से ही मेरी चूचियाँ दबाता रहा. मेरी साँसे भी बहुत तेज़ चल रही थीं. 
कुच्छ देर के बाद उसने अपना हाथ निकालकर मेरी पीठ के तरफ से अंदर डाल दिया और मुझे सहलाता रहा. इस बीच वो लगातार मुझे किस कर रहा था. मेरे लिप्स उसके लिप्स से फँसे हुए थे. पीठ सहलाते सहलालते उसने धीरे से मेरी ब्रा का हुक खोल दिया जिससे मेरे दोनो कबूतर ब्रा की गिरफ़्त से आज़ाद हो चुके थे. तुरंत उसने अपना हाथ निकाल कर फिर से सामने डाल दिया. मैं अपने नियंत्रण में नही थी. प्रमोद अब मेरी शर्ट के अंदर ब्रा को हटाकर दोनो चूचियों को खूब मसल रहा था. बीच बीच में मेरी निपल्स अपनी दो ऊँगलियों के बीच में लेकर दबा देता था जिससे मेरी चीख निकलते निकलते रह जाती थी. डर भी लग रहा था की दूसरे कमरे में कहीं सुधा मेरी आहें ना सुन ले. दूसरी तरफ मेरी टाँगों के बीच भी हलचल बढ़ रही थी. मेरी पॅंटी गीली होकर चिपक रही थी. मन कर रहा था की अंदर हाथ डालकर अपनी चूत को भींच डालूं. 
तभी कमरे में हलचल सुनकर सुधा अंदर आ गयी. उसे देखकर हम दोनो घबरा गये. वो भी अंदर का सीन देखकर चौंक गयी और कहने लगी सॉरी यार दरवाज़ा तो बंद कर लेते. तब तक प्रमोद संभाल चुक्का था. उसने मेरी टी शर्ट से झटके से हाथ बाहर खींच लिया जिससे ब्रा उसके हाथ में फँसी फँसी गले के बाहर तक निकल गयी. फिर वो शरमाते हुए बोला, सॉरी भाभी. लेकिन ये कैसे पूछ रही हो आप कि क्या हो रहा है. अर्रे आप के साथ भी तो रोज़ होता होगा. कोई नयी बात थोड़े ही है. मैं शरम के मारे उठ कर जाने लगी तो भाभी ने टोंक दिया किरन ये कौनसी स्टाइल में ब्रा पहनी है. और वो मुस्कुराते हुए बाहर चली गयीं. मैने प्रमोद को गुस्से से देखा तो वो हंसते हुए बाहर निकल गया.प्रमोद के जाने के बाद में अपने कपड़े अड्जस्ट करने के बाद चुपचाप सुधा के पास आकर बैठ गयी. 
सुधा ने मुझे छेड़ते हुए पुच्छा क्या बात है रानी आज बहुत गरम लग रही हो. चुदवाने का मूड था क्या. मैने शरमाते हुए कहा धात. वो तो प्रमोद ने ज़बरदस्ती मेरी शर्ट में हाथ डाल दिया था और मेरी चूचियाँ मसल रहा था. इसी कारण मैं गरम हो गयी थी. सुधा ने पूछा तो अब क्या हाल है तेरी चूत का. मैने कहा क्या बताउ, बहुत खुजली मची है और मेरी पूरी पॅंटी गीली हो गयी है. तब सुधा ने कहा इसका मतलब है तुम चूची दब्वा कर एक बार झाड़ चुकी हो और चुदने को बिल्किल तैयार हो. चिंता मत करो कल वो तुम्हारी चुदाई ज़रूर कर देगा. मैने कहा, हां लगता तो है. मैं क्या करूँ. उसने कहा चुदवा लो रानी जवानी के मज़े जम कर लो. हां लेकिन यदि कल चुदवाना हो तो मुझे पहले बता देना ताकि मैं तुम्हारा चुदाई के बाद तुरंत एक टॅबलेट दे दूँगी जिसको खाकर तुम्हे प्रज्ञेंसी का ख़तरा नही रहेगा. 
अगले दिन प्रमोद और मैं फिर से सुधा के बेडरूम में दोपहर को पहून्च गये. सुधा बाहर बैठी थी, उसने कहा की आज कोई गड़बड़ नही होना चाहिए. हालाँकि प्रमोद ने कहा नही भाभी आज वैसा कुच्छ नही होगा, लेकिन वो कहाँ मानने वाला था. कुच्छ देर चूमा चाती के बाद उसने फिर पीछे से हाथ डालकर ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा को चूचियों के ऊपेर से खिसकाकर मेरे दोनो मुममे शर्ट के ऊपेर से ही चूसना शुरू कर दिया. कहीं दबाता और कहीं पूरी चूची मूँह में भर लेता. अब तक उसका लंड भी खड़ा हो गया था और मेरी टाँगों के बीच चुभ रहा था. फिर उसने मेरा एक हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया. उसके लंड पर हाथ पहुँचते ही मैं काफ़ी उतेज़ित हो गयी और पॅंट के ऊपेर से ही उसके उभार पर हाथ फिराने लगी. 
ऊधर मेरी चूचियों को चूस चूस कर वो गीला कर चुक्का था. मेरी पूरी शर्ट भीग चुकी थी और शर्ट के फॅब्रिक से निपल्स और पूरा एरोला बाहर से झलक रहा था. उसका दूसरा हाथ मेरी गांद को थामे था. उसने हाथ आगे बढ़ाकर मेरी जीन्स की ज़िपर खोलना शुरू कर दिया. मैं पूरी तरह से गरम हो चुकी थी. मुझे मालूम था कि आज मेरी चूत की खैर नही. फिर ऊसने अचानक अपने दोनो हाथों से पकड़ कर मेरी शर्ट निकाल दी. ब्रा खुली होने के कारण शर्ट उतरते ही मेरी दोनो चुचियाँ उसकी आँखों के सामने थीं. फिर उसने फटाफट अपने पूरे कपड़े उतारे. अंडरवेर उतरते ही उसका 6” का खड़ा लंड मेरी आँखों के सामने फुफ्कार रहा था. प्रमोद ने मेरा हाथ पकड़कर धीरे से अपने लंड पर रख दिया. अब मैं उसके नंगे लंड पर प्यार से हाथ फिरा रही थी. उसका गुलाबी सूपड़ा पूरा फूल चुका था. प्री कम के कारण वो चिपचिपा रहा था. ऊधर प्रमोद अब मेरी पॅंट उतार रहा था. उसने मेरी पॅंट उतार कर फेंक दी. तभी मुझे ध्यान आया की दरवाजा खुला है और दूसरे कमरे में सुधा बैठी हुई है. मैने प्रमोद को दरवाजा बंद करने का इशारा किया, लेकिन वो तो मेरी पॅंटी के ऊपेर से मेरी चूत सहलाने में लगा था. मेरे इशारे पर उसने कोई ध्यान नही दिया और पॅंटी एक तरफ खिसककर मेरी चूत के इनस्पेक्षन में लगा रहा. फिर उसने मेरी पॅंटी उतारनी चाही और मैने धीरे से अपनी गांद ऊपेर उठा दी, और मैं भी अब पूरी नंगी थी. मैने अपने आप को उससे छुड़ाया और दरवाजा बंद करने के लिए उठी. दरवाजा टिका कर मैं फिर बेड पर आ गयी. 
प्रमोद ने मुझे बेड पर चित लिटा दिया और मेरी चूत सहलाने लगा. अचानक उसने एक अंगुली मेरी दरार में घुसेड दी. मेरी चूत अब तक पानी फेंकना शुरू कर चुकी थी. अचानक उंगली के हमले से मैं चिहुन्क गयी. प्रमोद कुच्छ देर तक इसी तरह मेरी चूत का ऊन्गल चोदन करता रहा. फिर उसने मुझे सीधा किया ओए मेरी दोनो टाँगें उठाकर अपने कंधे पर रख कर अपना लॉडा मेरी चूत के छेद पर टीका दिया. मैं उत्तेजना से काँप रही थी. वो अपना लंड मेरे चूत के मुहाने पर बड़ी देर तक घिसता रहा. मैं पागल हुई जा रही थी. मन कर रहा था कि कितनी जल्दी उसका लंड मेरी चूत में घुस जाए. लेकिन प्रमोद मुझे अपना लंड घिस घिस कर और तडफा रहा था. फिस उसने अचानक एक ज़ोर का धक्का लगाया और उसका लंड आधे से ज़्यादा मेरी दरार को चीरता हुआ अंदर पहुँच गया था और इसके साथ ही मुझे ऐसा लगा की मेरी चूत में किसी ने बहुत सी मिर्चियाँ ठूंस दी हो. बहुत तेज दर्द उठ रहा था मेरी चूत में और कुच्छ गाढ़ा गाढ़ा सा मेरी चूत से निकल रहा था. मैने नीचे झुक कर देखा तो ब्लड निकलता दिखा. मेरी चूत की झिल्ली फॅट चुकी थी. दर्द के कारण मैं बहुत ज़ोरों से चीख पड़ी. मेरी आवाज़ बाहर बैठी सुधा को भी सुनाई दी और वो बड़ी तेज़ी से अंदर आ गयी. तभी प्रमोद ने दूसरा धक्का लगाया और उसका लंड मेरी चूत को फड़ता हुआ ¾ चूत के अंदर था. मैं चिल्ला रही थी, प्लीज़ मत करो…… निकाल लो………मुझे नही चुदवाना है…मैं मर जाऊंगी. लेकिन वो अब कहाँ रुकने वाला था. 
सुधा ने अंदर का सीन देखा तो चौंक कर खड़ी रह गयी और तेज आवाज़ में पुछा प्रमोद ये क्या कर रहे हो. तुम लोग बड़े बेशर्म हो दिन दहाड़े चुदाई शुरू कर दी. प्रमोद ने उसे देखा और बेशर्मी से हंसते हुआ जवाब दिया क्यों भाभी तुमने कभी दिन में नही चुडवाया क्या. सुधा उसकी बात सुनकर शर्मा गयी और प्यार से डाँटते हुए कहा, नालयक मैं तो शादी शुदा हूँ. मेरी बात और है. 
मैं दर्द के मारे तड़फ़ रही थी. मैने चिल्लाते हुए कहा तुम लोग बातें करना बंद करो, मैं मरी जा रही हू. सुधा, प्लीज़ इससे कहो अपना लंड निकाले मेरी चूत से, मुझे अब नही चुदवाना है. सुधा मेरे पास आते हुए बोली, सब्र करो रानी. अब चिंता की कोई बात नही है, तुम्हारी सील टूट चुकी है. बस दो मिनिट रूको, मज़ा आने लगेगा. सुधा धीरे धीरे मेरे माथे पर अपना हाथ फेर रही थी. उसने प्रमोद से कहा कि अब क्यों रुक गया, लगा ना ज़ोर का धक्का और घुसेड दे पूरा लंड. इतना सुनते ही प्रमोद ने फिर से अपने दोनो हाथ मेरी चूचियों पर रखकर एक और धक्का मारा. इसके साथ ही उसका पूरा लंड मेरी चूत के अंदर था. मेरे मुँहा से एक बार फिर चीख निकल पड़ी. अब प्रमोद कुछ देर तक लंड डाले मेरी चूचियों को मसल्ते हुए मेरे लिप्स को चूस्ते हुए शांत पड़ा रहा. सुधा मेरे पास बैठी अपने एक हाथ से मेरी बाईं चूची सहलाते हुए मेरी निपल से खेल रही थी. कुच्छ देर तक इसी तरह पड़े रहने के बाद मैने नीचे से अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया. प्रमोद समझ गया की मेरा दर्द कम हो गया है. अब वो फिर से जोश में आ गया और उसने अपना लंड एक बार पूरा बाहर निकाल कर फिर से मेरी चूत में पेल दिया. मैं एक बार फिर से चीख पड़ी. लेकिन अब प्रमोद रुकने का नाम नही ले रहा था. अब वो मेरी चूचियों को मसल्ते हुए जोरदार धक्के लगा रहा था. मैं भी नीचे से गांद उचका उचका कर उसका साथ दे रही थी. कमरे में हम दोनो की तेज साँसें गूँज रही थी. ऑश……..आआआआहह………..उउउफफफफफफफफ्
फ़….श… आआआअहह. जैसे ही उसका लंड अंदर घुस कर मेरी चूत को ठोकर मारता तो मैं और उत्तेजित हो जाती. कमरे में सेक्सी आवाज़ें फह..फह.पच.पच. पचा फ़च..फ़च.फ़च शोर मचा रही थी. उधर सुधा भी ये सब देखकर आवेश में आ गयी थी. लगता था उसकी चूत भी पनिया गई थी. उसने अपना एक हाथ सारी के अंदर घुसेड लिया था. मैं समझ गयी कि वो अपनी चूत में उंगली डाल कर मज़े ले रही है. प्रमोद ये देखते ही और जोश में आ गया और तेज़ धक्के मारते हुए कहने लगा कि क्या भाभी चुदास लगी है क्या. क्या कर रही होसारी के अंदर हाथ डालकर. 
सुधा इतना सुनते ही शर्मा गयी लेकिन उसने अपना हाथ बाहर नही निकाला. अचानक प्रमोद ने सुधा की सारी ऊपेर उठा दी. अंदर सुधा की दो उंगलियाँ चूत के अंदर थीं और पूरी तेज़ी से अपनी उंगलियाँ चला रही थी. प्रमोद ने सुधा का हाथ उसकी चूत पर से हटा दिया और उसकी जगह अपनी दो उंगलियाँ उसकी चूत में घुसेड दीं. इधर वो लगातार मेरी चूत का भुर्ता बनाए जा रहा था. अचानक मैं चिल्लाई, आआआअहह……..मैं गयीईईइ. प्रमोद सुधा कि चूत का ऊन्गल चोदन करते हुए और तेज धक्के मारते हुए चिल्लाया हाआआ….ले रानी……..ले…मैं भी आआआययययया. और इसके साथ ही उसके लंड ने पिचकारी छ्चोड़ दी. उसके लंड का पूरा फ्लूईड मेरी चूत को भरता जा रहा था. ढेर सारा फ्लूईड मेरी चूत से बहकर मेरी जांघों को और बिस्तर को गीला कर रहा था. कुच्छ देर हम दोनो ऐसे ही चिपके पड़े रहे लेकिन प्रमोद का एक हाथ अब भी सुधा की चूत में उलझा हुआ था. अचानक सुधा का शरीर भी अकड़ने लगा और उसकी चूत का पानी निकल गया जो प्रमोद की ऊँगलियों को भिगो रहा था. इसके बाद प्रमोद ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला जो मुरझाकर लटक गया था और फिर उसने मेरी दोनो टाँगें नीचे करके मेरे बगल में लेट गया. सुधा उसके मुरझाए लंड पर टूट पड़ी और उसे मूँह में लेकर चाटना शुरू कर दिया. मैं आश्चर्या से ये सब देख रही थी. 
अभी तक मैं और प्रमोद नंगे ही पड़े थे. प्रमोद ने सुधा को अपने लंड पर से हटाते हुए उसकी चूचियाँ पकड़ ली और कहने लगा जान लगता है तुझे भी आज चोदना पड़ेगा. चल आ जा हो जा नगी. इतना सुनते ही सुधा अपने कपड़े उतारने लगी. कुच्छ ही देर में वो अपने पूरे कपड़े उतार कर नंगी हू चुकी थी. हम लोगों की निगाह जैसे ही उसकी चूत पर पड़ी तो हम दोनो चौंक गये. उसकी चूत झांतों के घने जंगल से घिरी हुई थी. बड़ी बड़ी काली झांतों ने उसके छेद को पूरा ढँक रखा था. प्रमोद ये देखते ही कहने लगा, क्या सुधा तेरा हज़्बेंड इस जंगल में गुफा का दरवाजा कैसे ढूंढता है. सुधा ने हंसते हुए चूत की दोनो फाँकें अलग करते हुए कहा ऐसे. 
सुधा के इस आक्षन पर प्रमोद पागल सा हो गया और उसको खींच कर मेरी बगल में पटक कर लिटा दिया. अब तक प्रमोद का लॉडा फिर से तन कर लोहे जैसा सख्त हो गया था. उसने सुधा की दोनो टाँगें उठाकर उसके कंधे से लगा दीं जिससे सुधा की चूत उभर कर बिल्कुल प्राओद की आँखों के सामने आ गयी. मैं सुधा के बाजू में लेटी ये सब देख रही थी. अंजाने में मेरा हाथ भी फिर से चूत पर पहुँच गया था और मैं अपनी ही चूत से खेल रही थी. तभी प्रमोद ने सुधा की खूली चूत देखकर अपना मूँह उस पर लगा लिया और जीभ घुसेड कर सुधा की चूत चूसने लगा. प्रमोद की जीभ टच होते ही सुधा भड़क गई और चिल्लाने लगी, बेहन्चोद जीभ से चोदेगा क्या. खड़ा लंड अपनी बेहन की चूत के लिए बचा कर रखा है क्या. चोद साले. मेरी चूत में आग लगी है और तुझे चूसने का शौक चढ़ा है. 
इतना सुनते ही प्रमोद ने अपना मूँह हटाया और गाली देते हुए कहने लगा रुक जा रंडी अभी चूत की मरम्मत करता हूँ. आज तेरी चूत को फाड़ नही दिया तो कहना. और इसके साथ ही एक ही झटके में अपना पूरा लंड सुधा की चूत में पेल दिया.. सुधा इस दमदार धक्के से चीख उठी और चिल्लाई अब हरामी बाप का माल समझा है क्या. प्रमोद ने उसके चूचे मसल्ते हुए कहा बाप का नाम मत लेना, वो चोदेन्गे तो चलने फिरने लायक नही रह जाएगी रांड़. और फिर प्रमोद उसकी चूत में ज़ोर ज़ोर के धक्के मारने लगा. साथ ही वो बेदर्दी से सुधा की घुंडीयों को मसल रहा था और खींच खींच कर बड़ा कर रहा था. सुधा सिसकारियाँ भर रही थी उहह……उम्म्म्मममममम…..अया. अब सुधा भी चिल्ला रही थी घुसेड दो पूरा…पूरा लंड घुसेड मेरी चूत में. चोद डाल. और तेज.और तेज. और ज़ोर से चोद साली को…..लाल कर दे…. प्रमोद मुस्कुराते हुए बोला संभाल अपनी चूत को. रात को ख़सम से नही चुदवाना है क्या. सुधा ने भी उसी लहजे मैं जवाब दिया राजा हज़्बेंड से जितना चुदवाना था चुदवा लिया. अब तो तुम्हारा लंड ही लूँगी. 
इसके साथ ही दोनो में धक्के मारने की रेस लग गयी. कुच्छ ही देर में सुधा चिल्लाई आआआअहह…ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लो.मैं गाइिईईईईई. साथ ही साथ प्रमोद ने भी दो-चार जोरदार धक्के लगाए और सुधा की पूरी चूत अपने पानी से भर दी. इसके बाद दोनो अलग हो गये और हम तीनों बिस्तर पर लेते सुस्ताते रहे. प्रमोद हम दोनों के बीच लेटे लेटे बीच बीच में कहीं हमारी चूचियों से और कहीं चूतो से खेलता रहा. करीब आधे घंटे आराम करने के बाद हम लोग उठे और कपड़े पहन कर फ्रेश हुए. 
इसके बाद लगभग हर रोज़ प्रमोद मुझे चोद्ता रहा. सुधा ज़रूर रोज नही चुदवाती थी. एक बार जब मैने मज़ाक में पुचछा की यार मुझे रोज चुदते देखकर भी तुम्हारा मन चुदवाने का क्यों नही होता, तो उसने हंसते हंसते बताया; रानी मेरी बात और है. मुझे रोज रात को अपने हज़्बेंड से चुदवाना ही पड़ता है और वो भी रात भर में रोज कम से कम दो बार तो मुझे रगड़ता ही है, इसके अलावा मेरा यार (कुंदन) भी नही मानता है. वो भी मुझे रोज दिन में चोद्ता है. अब अगर प्रमोद से भी रोज चुदवंगी तो मेरी चूत तो फॅट जाएगी. सुधा के यार कुंदन के बारे मे अगली बार बताउन्गि. हां लेकिन प्रमोद ज़रूर मुझे लगभग हर रोज सुधा के बेडरूम में चोद्ता रहा और यह सिलसिला मेरी शादी तक जारी रहा. 
पूरी कहानी जानने के लिए इस कहानी का अगला भाग सुधा ज़रूर पढ़े आपका दोस्त राज शर्मा 




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