Friday, April 11, 2014

FUN-MAZA-MASTI मेरी सास

FUN-MAZA-MASTI


मेरी सास 

 
मेरी शादी आज से दो वर्ष पूर्व दिल्ली में रहने वाली सुनीता से हुआ है। मेरी उम्र 24 वर्ष है और पत्नी की उम्र 22 वर्ष है। सुनीता के पिता के मृत्यु जब वो 3 वर्ष की थी तब एक्सिडेंट में हो गई थी। पति की मृत्यु के समय सुनीता की मम्मी राधिकाजी की उम्र मात्र 22 वर्ष थी। उन्होंने दूसरी शादी नहीं की और अपने पति का व्यापर खुद ही चलाया। 
मेरी पत्नी सुनीता अत्यंत ही सुन्दर और आकर्षक है और इतनी मादक और सुडौल जिस्म की है कि देखने वाला देखता ही रहता है। 
मेरी तो लॉटरी ही खुल गई सुनीता जेसी सेक्सी और मदहोश कर देने वाली पत्नी पाकर। शादी के बाद मेरी हर रात सुहागरात से कम नहीं होती और हर रात कामवासना की नई कहानी लिख दी जाती क्यूंकि मैं और मेरी पत्नी दोनों ही सेक्स के जन्मजात भूखे हैं और कामक्रिया का पूरा मजा उठाते हैं। मेरी पत्नी कामक्रिया में महारत रखती है और वो सब क्रियायें करती है जो कामसूत्र की कहानियों में भी नहीं लिखी हैं। मैं हर रोज उसके कामरस का पूरा आनन्द उठाता हूँ और उसको भी पूरा मजा देता हूँ जो हर शादीशुदा औरत के ख्वाब होते हैं। हर व्यक्ति उसको चोदना चाहता है, अगर वो कहीं पर थूक दे तो हजारों कामलोलुप मर्द उसको चाटने आ जायें। सुनीता का नंगा बदन किसी भी मर्द को बलात्कार करने के लिए भी तैयार कर सकता है। 
यह तो मेरी पत्नी की बात हुई, अब बात मेरी सासु राधिकाजी की। राधिकाजी आज भी इतनी आकर्षक और मदहोश कर देने वाली हैं, उनका फिगर आज भी किसी 24 वर्ष की कुंवारी कन्या से कम नहीं। कद लगभग 5'5" इंच, गोरा बेदाग बदन, खुले बाल, नाजुक पतले होंठ, बड़ी आँखें, बड़े भरे हुए वक्ष, केले के तने जांघें, और सुन्दर कूल्हे। ऐसा लगता है कि मेनका खुद पृथ्वी पर आ गई हो। मेरा तो मन करता है कि राधिका जी से भी शादी कर लूँ ताकि दो पत्नियों का भरपूर सुख ले सकूँ और कामरस में डूब जाऊँ। 
शादी के पहले दिन से ही मुझे लगा कि राधिकाजी मेरे प्रति ज्यादा ही आकर्षित हैं। जब पहले दिन ही उन्होंने मुझे मेरे मुँह में रसगुल्ला खिलाया और अपनी दोनों अंगुलियों को मेरे मुँह में चुसाया, तभी मैं समझ गया कि 18 साल से कामवासना दबी पड़ी है। 
कई बार राधिकाजी ने अनेक बहाने से मुझे छुआ परन्तु एक विधवा नारी को समाज का भय भी तो सताता रहता है। शादी के एक साल बाद ही सुनीता माँ बनने वाली थी। गर्भावस्था के तीन महीने बाद भी हम दोनों सेक्स करते थे। सुनीता को जब तक चोद न दो तब तक चैन नहीं पड़ता चाहे रात के तीन भी क्यों नहीं बज गए हों। 
मेरी सासु को मालूम चलते ही वो जयपुर आ गई और सुनीता की देखभाल करने लगी। पूरे बंगले में हम तीनों के अलावा कोई नहीं रहता, नौकर-चाकर तो काम करके चले जाते। 
हर रात मैं और सुनीता वासना का मजा उठाते। सुनीता घंटों तक मेरे लण्ड को चूसती और मैं उसकी चूत को चाट चाट कर कामरस पीता रहता। फिर हम धीरे धीरे चुदाई का सिलसिला चालू करते क्योंकि डॉक्टर ने स्पष्ट कह दिया था कि ज्यादा ताकत से चुदाई बच्चे को नुकसान पहुँचा सकती है। मेरी सासु को भी हमारे इस बेइंतेहा प्यार की जानकारी थी। 
एक दिन सुनीता की बचपन की सहेली ने उसको पूरे दिन के लिए अपने घर पर बुलाया तो में उसको छोड़कर ऑफिस चला गया। कुछ देर बाद मुझे घर पर कोई फाइल लेने जाना पड़ा। मैंने घंटी बजाई तो नौकरानी ने दरवाजा खोला। मैं ऊपर अपने कमरे में चला गया। मेरे बेडरूम का दरवाजा खुला था और सामने वाले सासुजी के कमरे में देखा तो वो वहाँ नहीं थी। मैं उनके कमरे में गया तो लैपटॉप पर इन्टरनेट चल रहा था जिस पर   साईट खुली थी और भी एक साईट मिनीमाइज थी जो पोर्न मूवी की थी। 
मैं समझ गया कि राधिकाजी अपनी कामवासना को ऐसे शांत कर रही हैं। 
मैं उनको ढूंढते हुए अपने कमरे में गया। मैंने वहाँ पर राधिकाजी को मेरे बेडरूम में हमारे पलंग पर सोते हुए पिछली रात की मेरी अंडरवियर और सुनीता की पेंटी को चूसते हुए पाया। मैं उनको देखकर दंग रह गया कि मेरी सासु हमारी कामरस में डूबे अंतर्वस्त्रों को चाट रही थी और हमारी रतिक्रिया के ख्वाब देख रही थी। 
अचानक राधिकाजी की आँखें खुली और वो मुझे देखकर हड़बड़ा गई। वो तेजी से उठकर बाथरूम की अन्दर चली गई। कुछ मिनट बाद मैं भी बाथरूम में चला गया। वो वहाँ पीठ घुमाकर चुपचाप खड़ी थी। 
मैंने पूछा- क्या कर रही थी आप? 
वो कुछ नहीं बोली। 
मैंने उनकी बांहें पकड़ कर अपनी तरफ किया। उनकी छाती जोर जोर से धड़क रही थी और वो शर्म से सिर झुका के खड़ी थी। मैंने उनके गालों को सहलाते हुए बालों में हाथ फिराया और लबों के पास जाकर पूछा, तो भी वो कुछ नहीं बोली। 
मैंने उनको खींच कर मेरे मजबूत शरीर से चिपका लिया और अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए। राधिका शर्म से सुर्ख लाल हुए जा रही थी। मैंने अपनी जुबान उनके होठों पर फिरानी चालू की। फिर दोनों गुलाब जैसे होंठों के अन्दर डाल दी। वो शर्म से पानी पानी हो गई। मैंने उनके बालों को पीछे से पकड़ कर सर ऊपर किया। उनकी आँखें बंद थी। मैंने अपनी पूरी जुबान उनके मुँह में डाल दी और अपने हाथ उनकी चूत पर फिराने लगा। 
वो बोली- यह क्या कर रहे हो राम? मुझे जाने दो प्लीज। 
मैंने कहा- जाओ। 
वो नहीं गई और मुझसे चिपक गई और बोली- मैं बहुत प्यासी हूँ, मेरी प्यास बुझा दो राम।  
मैंने उनको अपनी बांहों में उठाया और ले जा कर पलंग पर धीरे से पटक दिया। राधिका के मुँह से आउच की आवाज निकली और साड़ी उनके ब्लाउज से हट गई। 
मैंने धीरे से उनके ब्लाउज के बटन खोले और साड़ी हटा कर पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया। अब वो मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी। राधिका ने एकदम नई स्टाइल के ब्रा पेंटी पहन रखी थी। ब्रा को हटाते ही दो गोरे गोरे तीखे कड़क उरोज उछल पड़े। मैंने पास जाकर उनके नरम होंठों को चूसना चालू किया तो उनके मुँह से आहें निकलने लगी। अब वो भी अपनी जुबान से मेरी जुबान को चाट रही थी। 
क्या बताऊँ कि क्या जुबान थी ! सुबह की तरोताजा सांसें बह रही थी। राधिका ने कुछ देर पहले ही स्नान और ब्रश किया था। 
राधिका के मुँह की हर लार में कम रस बह रहा था। 
तक़रीबन दस मिनट तक रसपान करने के बाद मैंने कहा- राधिका, मेरी हो जाओ। मैं तुम्हें अपनी बनाना चाहता हूँ। 
वो बोली- राम, आज से मैं सिर्फ तुम्हारी ही हूँ। 
मैंने राधिका की पेंटी धीरे से सरका कर हटा दी। वो प्यार से छटपटाने लगी। मैंने राधिका को उल्टा लिटाया बैठी हुईघोड़ी के स्टाइल में। मैं राधिका के पीछे जाकर घुटनों के बल बैठ गया और राधिका की गुदा को देखने लगा।


मैंने कहा- राधिका, मेरी हो जाओ। मैं तुम्हें अपनी बनाना चाहता हूँ। 
वो बोली- राम, आज से मैं सिर्फ तुम्हारी ही हूँ। 
मैंने राधिका की पेंटी धीरे से सरका कर हटा दी। वो प्यार से छटपटाने लगी। मैंने राधिका को उल्टा लिटाया बैठी हुईघोड़ी के स्टाइल में। मैं राधिका के पीछे जाकर घुटनों के बल बैठ गया और राधिका की गुदा को देखने लगा। 
दोस्तो, मैंने आज तक इतनी प्यारी और मादक नशीली गुदा नहीं देखी थी। मेरी पत्नी सुनीता की गुदा से कही ज्यादा सुन्दर और चिकनी थी। मैंने अपनी जुबान निकल कर गुदा के मुँह पर फिराना चालू किया, राधिका मस्ती से उत्तेजित होने लगी और आगे की तरफ खिसकने लगी तो मैं समझ गया कि वो सम्भोग में पूरी तरह से डूबना चाहती हैं। 
दोस्तो, काम की प्यासी हर औरत को इतनी आसानी से शांत नहीं किया जा सकता। सारे मर्द सीधे ही चूत से चालू हो जाते हैं पर एक औरत की गुदा में भी काम वासना भरी होती है जिसे शांत करना जरुरी है। 
राधिका की नरम गुलाबी चूतड़ों के बीच गुदा का छेद तो मानो क़यामत ढा रहा था। मैंने अपनी जुबान उस छोटे से छेद में घुसानी चालू की। राधिका सिसकारने लगी और आह आह करने लगी।मेरी जुबान भी कहाँ रुकने वाली थी, तक़रीबन एक इंच अंदर तक डालकर फिराने लगा। राधिका की सिसकारियाँ बढ़ने लगी। 
राधिका ने शायद सुबह ही अंगुली डाल कर साफ़ की थी। मैं तो पागल हुए जा रहा था। कभी कभी राधिका अपनी गुदा को भींच लेती तो मेरी जुबान भी अन्दर की तरफ खींचने लगती। ऐसा लगता था कि वो मुझे पूरा अन्दर खींच लेगी। मैं भी तो उसके अन्दर समां जाना चाहता था। 
राधिका अब तो पूरी तरह से गर्म हो गई थी। उसकी गुदा से कामरस निकलने लगा। मैं भी तेजी से जुबान अन्दर-बाहर करने लगा। मैंने महसूस किया कि हर औरत चाहती है कि मर्द उसकी गुदा को जुबान से चोदे पर शर्म के मारे कह नहीं पाती। 
हर मर्द को औरत को शांत करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए और और गुदा का रसपान करके औरत की कामवासना को जबरदस्त तरीके से भड़काना चाहिए। 
अब मैंने राधिका को सीधा किया, उसकी चूत से योनिरस बह रहा था। मैंने तुरंत ही अपनी अंगुलियों से ऊपर की तरफ किया और योनिरस को इकठ्ठा करके राधिका के आहें भरते हुए मुँह में डाल दिया। राधिका मदमस्त हो गई। एक जवान औरत को यदि अपनी ही चूत का रस मिल जाये तो वो तो मदमस्त होगी ही। 
मैंने भी अपना मुँह चूत पर लगा दिया। चूत की नशीली खुशबू ने मुझे पागल बना दिया। यह रस तो किसी सुरा से काम नहीं था। मैंने अपनी जुबान को चूत के ऊपरी होंठों पर फिरना चालू किया। राधिका फड़फड़ाने लगी। मैंने उसकी क्लिट को जीभ से सहलाया तो मानो भूचाल सा आ गया, राधिका के मुँह से तीव्र आहें चालू हो गई, वो और जोर से सिसकारने लगी और उसका सारा बदन कड़क पड़ने लगा। मैं समझ गया कि तीर सही निशाने पर लगा है। 
वो चालू हो गई, वो सिसकने लगी मैंने उसकी क्लिट को दोनों होंठों से चूसना चालू किया तो वो तड़पने लगी और उसका सारा नंगा जिस्म कड़क पड़ने लगा। वो मदमस्त हिरनी की तरह से उचकने लगी। अब तो रुकने का सवाल ही नहीं था। अब मैंने चूत का पूरा मुँह खोल दिया। चूत अन्दर से एकदम गुलाबी फूल की तरह थी। मैंने अपनी जुबान से अन्दर तक चाटना चालू किया, मैं राधिका की चूत का सारा रस खींच-खींच का पीना चाहता था। राधिका की सिसकारियाँ बढ़ती ही जा रही थी। मैं तो योनि का रस पी पी कर मजे लूट रहा था। पिछले अठारह सालों से तड़पती चूत का रस तो अद्भुत था। यह वही योनि थी जिसमें से मेरी बीवी सुनीता का जन्म हुआ था। 
अब मैंने अपनी अंगुली को चूत में डाला और जी-स्पॉट पर सहलाने लगा। दूसरी तरफ मेरी जीभ मेरी बीवी की मम्मी की क्लिट से खेल रही थी। 
अब तो मानो राधिका को जन्नत मिल गई थी। वो मदमस्त हिरणी की तरह से कसमसाने लगी। ये अद्भुत पल तो ब्यान नहीं किये जा सकते। उसकी आँखें बंद थी और मुँह से लगातार सिसकारने की आवाजें आ रही थी। जी-सपॉट और क्लिट दोनों पर एक साथ प्रहार ने उसको पूरी तरह से बेकाबू कर दिया और मदमस्त राधिका सम्भोग के चरम-सुख को भोग रही थी। उसकी चूत की गर्मी का अहसास मुझे उसकी काम वासना की दबी इच्छा को बता रहा था। करीब दस मिनट बाद उसके मुँह से तेजी से आवाजे निकलने लगी- ओह गोड ! ओह ! आह आह ! 
और सिसकारियाँ तेज मदमस्त चीत्कारों में बदल गई। मैं समझ गया कि राधिका चरम पर पहुँच गई है। मैंने भी अपनी गति बढ़ा दी। तभी राधिका का पूरा नंगा जिस्म अकड़ने लगा और योनि से गाढ़ा रस निकलने लगा। राधिका की चीत्कार बढ़ने लगी थी। उसको वो सुख मिल गया था जिसके लिए 18 वर्ष से तड़प रही थी। 
योनिरस का स्वाद एकदम कच्चे नारियल जैसा था। बिल्कुल वैसा ही जैसा सुनीता की चूत से निकलता है पूर्ण चरम-सुख के बाद। 
मैं तो कहूँगा उसका स्वाद तो उससे भी कही मस्त और नशीला था जिसे हर मर्द चखना चाहता है पर मिल नहीं पाता। 
राधिका तो सिसक सिसक कर झटके खा रही थी, उसे तो अपनी जिन्दगी का अद्भुत पल जो मिल गए थे। उसके मुँह से लार निकल रही थी जो उसकी चरम संतुष्टि को दर्शा रही थी। 
मैंने जम कर चरमरस को चाटा, दोस्तो, यही वो रस है जिसका तो सदियों से राजा महाराजा सेवन करते आये थे। इस रस को यदि बूढ़े व्यक्ति को एक चम्मच चटा दे तो कुछ ही पलों में उसका लिंग डंडे की तरह से खड़ा हो जायेगा। योनी का चरम कामरस पीने से मेरा लिंग भी 9 इंच लम्बा और मोटा हो गया। मेरे लिंग से भी लंडरस बह रहा था। मैंने चूत से बहते रस में लंड को डुबोया और राधिका के आहें भरते मुँह में डाल दिया। 
राधिका को तो मानो जन्नत मिल गई। अपनी चूत का चरम रस और एक मर्द का लंड रस का दुगुना स्वाद राधिका को मदमस्त करने लगा। राधिका लंड को जबरदस्त तरीके से चूसने लगी जैसे जन्म-जन्म की प्यासी हो।40 वर्ष की जवान औरत आज 24 वर्ष की कमसिन कलि से भी ज्यादा मादक और नशीली लग रही थी। एक विधवा नारी अपनी लाज शर्म को छोड़ कर काम वासना और सम्भोग में गहराई तक डूब चुकी थी। अपने सारे होश हवास भूल कर मदमस्त हथिनी की तरह हो गई थी। राधिका का चूत रस उसकी जांघों तक बहने लगा था। राधिका अभी भी घोड़ी बनी हिनहिना रही थी, उस के खुले बाल उसकी मदमस्ती को बढ़ा रहे थे। 
आज मैं अपने आपको धन्य महसूस कर रहा था। राधिका की चूत से निकला कामरस उसकी जांघों पर से बहता हुआ हुआ घुटनों तक बह रहा था। 
मैंने दो अंगुलियों पर उसका रस लेकर उसकी गुदा में प्रवेश करवा दिया और फिर अपना लंड गुदा में डाल कर दो तीन झटके दिए जिससे मेरा लंड रस भी उसकी गुदा में उसके कामरस से मिक्स हो गया और गहराई तक चला गया। अब तो उत्तेजना और पागलपन राधिका के जिस्म में सुरा बन कर दौड़ने लगा। 
दोस्तों मैंने अनेक बार सुनीता की चूत से निकले रस को मेरे लंड पर मसल मसल कर मोटा ताजा बनाया है। अनेकों पुरुष अपने लंड को मोटा कड़क करने के लिए जापानी तेल, सांडा तेल, वियाग्रा टेबलेट, पॉवर कैप्सूल का इस्तेमाल करते हैं पर उनको कोई फायदा नहीं होता। परन्तु यदि कोई पुरुष कामुक और सुन्दर औरत की चूत से निकला कामरस का नित्य सेवन करे और अपने लंड की दिन में दो बार मालिश करे तो लंड बहुत ही मजबूत होता है और कामशक्ति एक हजार गुना बढ़ जाती है। 
मैंने तो अनेकों बार सुनीता की चूत से निकले चरम रस मेरे दोस्तों की शीघ्रपतन की बीमारी का इलाज किया है। 
इधर राधिका पूरी तरह मदमस्त हथिनी की तरह मेरे लंड को चूस चूस कर मेरे रस निचोड़ रही थी। राधिका अब मेरी गुलाम हो गई थी। सिर्फ चंद घंटो में उसकी 18 वर्ष से तड़पती जवानी को शांति मिल रही थी। 
जब मैंने उसके वक्ष को देखा तो चकित रह गया, उनमें से गाढ़ा दूध बहने लगा था। मैंने पहली बार किसी औरत को सम्भोग के दौरान स्तनों से दूध बहते देखा। 
अब तो बस राधिका को जम कर चोदने की बारी थी। मेरा लंड अब काले अजगर की तरह फुंफकारने लगा था। 
तभी राधिका बोली- राम, मेरे राजा, मेरी प्यास अभी बुझी नहीं है... 
तभी हमने देखा कि दरवाजे पर सुनीता खड़ी थी। 
हम दोनों उसे देखकर चौंक गए। 
 








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