Wednesday, April 2, 2014

FUN-MAZA-MASTI भाई का स्वाद

FUN-MAZA-MASTI

  भाई का स्वाद

हाई दोस्तों,
मेरा नाम आशा है मेरा एक छोटा भाई है जोकि दशवीं कक्षा में पढता है | वो गोरा चिट्टा है और करीब स्वास्थ में मेरे बी बराबर का है | मैं १९ साल की हूँ और मेरा भाई १५ साल का है | बचपन से मैं और मेरा भाई एक साथ ही रहते और खेलते भी थे पर मैंने कभी हमारे भाई – बहन के प्यार की सिवा कुछ ना सोचा |
ना जाने कब मेरी नियत पलट पड़ी और आज तो मुझ उसके गुलाबी होठ इतने पसंद है की बस जी करता चबा लूँ | मेरे पापा गल्फ में सरकारी नौकरी करते हैं और जब भी मेरी माँ किसी भी काम से बाहर जाती है तो घर में मैं और मेरा भाई अकेले ही रह जाते हैं |
एक बार की बात हा पापा किसी काम से बाहर गए हुए थे और माँ को किसी नौकरी के लिए एक हफ्ते लिए भर जाना था | मुझे क्या पता था की उस दिन मेरी रात इतनी सुहानी भी हो सकती है |
उस दिन हम दोनों खाना खाके अपने – अपने कमरे में सोने चले गए | बीच रात में मेरी आँख खुली तो मैंने अपने भाई, अमित का दरवाज़ खुला हुआ देखा | ज्यादा कुछ ना सोच कर जब मैं उसके कमरे में दरवाज़ा बंद करने लिए लिए बढ़ी तो एक दम हैरान रह गयी | मैंने उसे पलंग पर चित लेते देखा जहाँ वो सेक्स कहानी मोबाइल में पढता हुआ अपने तने हुए लंड को मसल रहा था |

तभी मैंने उसे हलके से दांटते हुए समझाया की “माना. . .भाई यह तेरी मज़े लेने की उम्र है. .” पर कम से कम दरवाज़ा तो बंद कर सकता था ” मेरे जवाब को सुनकर वो चौंक गया और मेरे जाने पर कहने लगा “”पर अब क्या फ़ैदा . .. सारा मज़ा तो किरकिरा हो गया”
मुझे लंडों का अनुभव तो पहले से था ही और मेरे प्रेमी के बाहर चले जाने से मेरी चुत में अकडन भर चुकी थी | तभी मैंने जवाब में कहा “आजा .. मैं तेरी प्यास बुझाती हूँ” और उसके बिस्तर जाकर उसके उप्पर चड गयी |
उसने कहा “दीदी .. यह क्या कर रही हो . .??”
पर जैसे जैसे ही उसका लंड मेरी जाँघों से टकराया तो वो भी सुन् पड़ गया | मैंने उसके लंड को पकड़ जोर – जोर से मुठी मारना शुरू कर दिया | कुछ १५ मिनट उसे मज़ा देने के बाद वो पगला गया और उसने मेरी कमर को पकड़ अपनी ओर खींच लिया| जिसपर मैंने उसके होठों को चूमने की शुरुआत कर दी | वाह . .क्या मर्दाने होठ थे .. ! ! तभी उसने मेरे हलके से टॉप के उप्पर हाथ फेरना शुरू कर दिया और कुछ ही देर में मेरे टॉप को उतार मेरे मम्मों को चूसने लगा |
कुछ देर मेरे मम्मों को गज़ब तरीके से चूसने के बाद उसने मुझे बाजु में लिटाया और मेरी पतलून खोलने लगा | मैं भी उसे अपने हवस के जोश में होने के कारण रोक ना पाई तभी उसने उसने चुत पर मसलते हुए मेरी पैंटी को नीचे खींच दिया | वो मेरी टाँगें फैला कर नीचे झुका और अपने होंठ मेरी चूत पर रख दिए | कुछ देर बाद मेरा पानी भी उसकी चुसम – चुसाई से छूट गया जिसे अमित ने सारा का सारा चाट गया। मैं पगला चुकी थी मैंने भी अपने उसके अंग – प्रदर्शन के लिए उसके कपड़े खोल दिए और उसकी चड्डी में हाथ लड़ने को कस – कसके मुंह में लेने लगी | लगभग १५ मिनट बाद हल्का – सा चिकना पधार्थ निकला जिसे मैंने अपने जीभ से फिरते हुए चाट लिया |
इतने में अमित “आःह्ह आःह ” कर सिसकियाँ लेते हुआ मज़े ले रहत था, तभी अचानक उसने कमर को पकड़ा और झटके से मुझे अपने उप्पर चढा लिया | उसने मुझे सीधा किया और अपना गर्म गर्म लंड मेरी चूत पर सटा दिया | मुझे अब नहीं पता कि अब आगे मेरे साथ क्या होने वाला है |
अब मेरी चिकनी चुत उसके पेट पर थी जिसे वो अपनी ऊँगली से टटोल कर मज़े ले रहा था | अमित ने मुझे मजबूती से पकड़ते हुए उप्पर को उठाया और अपने लंड के सिरे को मेरी चुत में मुहाने पर टिकाया दिया |
देखते ही देखते उसने एक जोरदार धक्का मेरी चूत पर जड़ दिया जिससे मेरी एक दम से मेरी चीख निकल गई | मैंने सोचा भी नहीं था की अमित का लंड मेरी चुत में इतना खतरनाक हो सकता है | मुझे दर्द तो हो रहा था पर अब मेरे भाई ने मुझे अपने लंड के उपर रौन्धाना शुरू कर चूका था | मैं उस मज़े को ज़ाहिर नहीं कर सकती की क्या हालत हो जाती है, जैसे हम कहीं जानत में आ गए थे | थोड़ी देर बाद उसने मुझे बाजु में लेटकर चोदना ज़ारी रखा |
अमित अब मेरी चूची को मुंह में लेते हुए अपनी रफ़्तार को कम करने का नाम नहीं ले रहा था | वो अपने लंड को मेरी चुत की गहराईयों में घुसता हुआ जोर – जोर से चोद रहा था | मैं भी जवाब में धक्के दे रही थी और अब तो मेरा दर्द की लापता हो चूका था | अब उसने मेरी चूची को छोड़ होठों को कसकर चूसने लगा और ज़ोरदार धक्कों के साथ गाली – गल्लोच करने लगा | अपने भाई के मुंह से गाली सुन अजीब लगा पर हम में से किसको परवाह थी |
हमारी यह चुत – चुदाई की रास – लीला लगभग आधे घंटे तक चली और आखिर में वो मेरे उप्पर ही झड गया जिसके कुछ देर बाद मेरी चुत भी चहक उठी | आखिर में उस रात हम दोनों बिस्तर पर वहीँ निढाल पड़े रहे | अब जब कुछ देर बाद उसके लंड को होश आया तो वो अपने मुठ की चिकनाई में अपने लंड मेरी चुत की मॉस पेशियों के उप्पर मसलने लग | मस्ती – मस्ती में सुबह हो गयी और हमारी दिनचर्या भी काफ़ी अच्छी गुजरी | अब जब भी मेरा मन करता तो मैं अपने स्तन के अंग – प्रदर्श से अमित को गरम कर देती जिससे वो आखिरकार मुझसे लिपट कर वही करता जो मैं करवाना चाहती |







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