Sunday, April 6, 2014

FUN-MAZA-MASTI मैं, लीना और चाचा-चाची--6

FUN-MAZA-MASTI

 मैं, लीना और चाचा-चाची--6

gataank se aage............

मैंने पक्क से अपना खड़ा लंड बाहर खींच लिया. चाचाजी ने मुझको नीचे लिटाया और लंड को चाटने लगे. "वाह देख कैसा रसीला लग रहा है, ला अब दे दे अपनी मलाई मुझको"

चाचाजी ने सुपाड़ा मुंह में ले लिया और चूसने लगे. "अह चाचाजी .... चूसिये चाचाजी .... ओह ओह " अब चाचाजी लंड को मुठ्ठी में पकड़कर मेरी मुठ्ठ मार रहे थे, साथ ही सुपाड़ा चूसते जाते.

मैं झड़ गया. चाचाजी ने मेरा पूरा वार्य जीभ पर भर लिया और फ़िर मुंह बंद करके चख चख कर निगल गये. उनका लंड अब तक फिर से खड़ा हो गया था.

चाचाजी के साथ मेरी चुदाई घंटा भर और चली. इस बार वे घंटे भर तक मेरी मारते रहे. मन भर के हर आसन में उन्होंने मेरी मारी. आधे घंटे तो मुझे दीवाल से सटा कर खड़े खड़े मारते रहे, बहुत मूड में थे. मुझसे गांड फ़िर से नहीं मरायी उन्होंने, मेरा लंड चूस डाला, मेरे वीर्य के लट्टू हो गये थे.

उसके बाद हम जो सोये वो सीधे रात को उठे. रात को लीनाने सब के लिये बदाम का हलुआ बनाया. खास कर चाचाजी के लिये "चाचाजी, खाओ और लंड खड़ा करो फ़िर से. आज रात भर आप से चुदवाऊंगी"

चाचाजी बोले "लीना रानी, आज रात बस मैं और तुम. ऐसा चोदूंगा कि कल उठ नहीं पाओगी"

"चाचाजी, वो शर्त याद है ना? मैं कहूंगी वो करना पड़ेगा, आखिर आज आप को कोरी कोरी गांड दिलवायी मैंने आप के भतीजे की"

"हां हां बहू रानी, तेरे जैसे सुंदर छिनाल चुदैल रंडी की बात नहीं मानूंगा तो किसे की मानूंगा"

हम सब नहाने गये. लीना ने नहाते वक्त उसने मेरी गांड में बर्फ़ भर दिया और क्रीम लगा दी "इससे राहत मिलेगी, गांड भी फ़िर से टाइट हो जायेगी. अनिल राजा, बहुत मजा आया मुझको, तुम्हारी गांड इतनी अच्छी है कि मैं कब से सोच रही थी कि इसको चोदने लायक लंड मिलना चाहिये वो मिल गया. तुमको मजा आया?"

"हां रानी, बहुत मजा आया, सब तुम्हारी वजह से, तुम न कहतीं तो शायद मैं खुद नहीं मरवाता. चाचाजी का लंड वाकई मतवाला है, मैं भी आशिक हो गया उनका. चाची के साथ कैसी रही तुम्हारी चुदाई?"

"एकदम मस्त, सच में बुर है या शहद का घड़ा, घंटे भर में कटोरी भर रस पिलाया मुझको चाची ने. और सुनो, मेरी चूंची से चुदवाया उहोंने" लीना शोखी से नोली.

"क्या बात करती हो?"

"हां, मेरी चूंची को अपने भोसड़े में ले लिया, इतना बड़ा छेद है उनका, आधी चूंची अंदर ले ली, बड़ी रसिया हैं चाची. आज रात को तुम मजा ले लेना, कल तो वे जा रहे हैं"

"तुम रात भर सच में चुदवाओगी चाचाजी से?" मैंने पूछा तो बोली "और क्या, और तरसा तरसा कर चुदवाऊंगी, झड़ जाते हैं तो फिर आधा घंटा लगता है लंड उठने में. मुझे तो हर पल चुदना है, देखो आज रात क्या दुर्गत करती हूं, झड़ने नहीं दूंगी उस चोदू आदमी को, तरसा तरसा कर चुदवाऊंगी. तुम्हारे साथ काफ़ी झड़ चुके दोपहर को, अब रात में हिसाब लूंगी"

उस रात मैंने चाची के साथ काफ़ी मजे किये. अधिकतर उनकी चूत चूसी, क्योंकि वाकई उनकी बुर के पाने का स्वाद लाजवाब है. गांड भी मारी पर सिर्फ़ एक बार. दोपहर को चाचाजी के साथ की चुदाई में लंड दो बार झड़ चुका था.

लीना ने शायद चाचा जी को इतना निचोड़ा कि सुबह उनसे उठा भी नहीं जा रहा था. बड़ी मुश्किल से उठकर तयार हुए. ट्रेन से जाते वक्त लीना को खूब आशिर्वाद दे कर गये. लीना ने जाते वक्त उनकी चेन लौटा कर कहा "चाचाजी, ये लीजिये, मैंने तो मजाक में रख ली थी"

चाचाजी ने वापस लीना को दे दी "पर मैंने सच में दी थी बहू. अब रख ले और तुम दोनों अब हमारे यहां आना, अब हम साल भर को बेटी के यहां जा रहे हैं अमेरिका, वापस आयेंगे तब बेटे, तुम दोनों आना हमारे यहां. मजा करेंगे, अब तो तुम दोनों के बिना हमको नहीं सुहायेगा. और बेटी तेरा वो अमरित जो तूने कल पिलाया, एकदम मजा आ गया"

चाची भी बोलीं "ये बहू तो एकदम रति देवी है बेटे, तुझे भी बहुत सुख देगी और हम को भी"

ट्रेन जाने के बाद मैंने पूछा "चाचाजी से चुदवाया रात भर या उनको बुर चुसवायी जो अमरित की बात कर रहे थे. मैं तो सोच रहा था कि तू उनसे चुदवायेगी"

"और क्या? पहले एक घंटा चुसवायी, वो ही जिद कर रहे थे कि चखने दे बेटी तेरी गोरी गोरी बुर का स्वाद, फ़िर चुदवाया. पर वो उस अमरित की बात नहीं कर रहे थे"

"तो?" मैंने पूछा.

"मैंने उनको अपना मूत पिलाया" लीना मेरे कान में बोली. मैं उसकी ओर देखने लगा.

"पहले खूब चूत चुसवायी और उनके लंड से खेलती रही, पर चोदने नहीं दिया. जब रिरियाने लगे तो बोली कि मेरा मूत पियो तो चुदवाऊंगी." कहकर लीना बड़ी शोखी से मेरी ओर देखने लगी.

मैं बोला "कैसी चालू चीज है तू लीना! चाचाजी को ऐसा बोली? तुम क्या करोगी चुदाई की हवस में, कुछ नहीं कहा जाता. क्या बोले वो?"

"वो एकदम से राजी हो गये. मैंने तो मस्ती में कहा था कि देखें कितने फ़िदा हैं मुझपे पर जब उन्होंने तुरंत हां कह दी तो मैं बाथरूम में ले गयी. दो घूंट पिला कर मैं तो रुक गयी, पर उनको इतना अच्छा लगा कि पूरा पी गये. उसके बाद रात भर में चार बार पिया, तड़के तो वहीं बिस्तर में मुंह खोल कर लेट गये और मुझे बोले कि मूत दे मेरे मुंह में, फ़िर चोद डाला. पर अनिल, मेरा मूत पीकर उनका ऐसा खड़ा होता था कि फ़िर घोड़े जैसे चोदते थे. बहुत मजा आया मेरे राजा, चूत की प्यास एकदम कम हो गयी"

फ़िर लीना बोली "पर जो मजा दिया चाचाजी ने, लगता है जल्दी ही ये आग फ़िर से जाग उठेगी. हा ऽ य राजा, बहुत मजा आता है ऐसे गरम मर्दों से चुदवाने में"

"चाचाजी तो अब नहीं हैं साल भर, चल मैं अपने यार दोस्तों को बुलवा लेता हूं अगले हफ़्ते, तब तक तू आराम कर ले"

"अनिल, वो तुम्हारे मौसाजी हैं ना, दीपक मौसाजी नाम है शायद"

"हां. उनका क्या?"

"मेरे खयाल से अगले महने उनके यहां गांव में चलें तो?" लीना मेरी ओर देखकर बोली.

"अरे पर तूने उनको कब देखा? वो तो शादी में भी नहीं आये थे."

"चाचीजी कुछ बोल रही थीं. ठीक से कुछ बताया नहीं पर जाते जाते मुझे कहके गयीं कि बेटी अब मैं और तेरे चाचाजी तो नहीं हैं साल भर, नहीं तो तुझे पूरा ठंडा कर देते तू हमारे गांव आती तो. फिर दो मिनिट के बाद बोलीं कि अनिल से कहो कि दीपक मौसा के यहां ले चलो. बस और कुछ नहीं बोलीं, हंस दीं." लीना बोली.

"ठीक है मेरी जान, अगले महने वहां चलेंगे"

----समाप्त----












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