Tuesday, April 15, 2014

FUN-MAZA-MASTI वीरान हवेली --पार्ट-4

FUN-MAZA-MASTI


वीरान हवेली --पार्ट-4
 


कोई 15 मिनट बाद , मुंगेरी ने अपना लंड रूपाली की सुन्दर गांड से और मोतिया ने उसकी खूबसूरत चूत से , बाहर खींचा और रूपाली लडखडाती हुई उठी . सत्तू ने पानी की बोतल उसकी और बढाई और ना चाहते हुए भी रूपाली ने पानी पिया . गाँव में ये सोचना भी पाप था की कोई चमार किसी ठकुराइन को पानी के लिए पूछ भी सकता है . मगर यहाँ वोह बस एक मजबूर औरत थी .

धीरे से रूपाली उठी और घने गन्नो की तरफ बढ़ी . वो सब जानते थे वोह भागने की हालत में नहीं है , इसलिए सिर्फ उस तरफ ध्यान से देखते रहे . रूपाली लम्बे गन्नो की आड़ में बैठ गयी और पेशाब करने लगी . हिस्स्स्सस्स्स ……..की आवाज़ आते ही मानो कालू को कर्रेंट लग गया . झटके से उठा और दौड़ के रूपाली की और बढ़ा . झट से उसने अपना दायाँ हाथ बैठी हुई रूपाली की गांड के नीचे घुसाया और रूपाली के पेशाब की गरम गरम धार अपने हाथों पे महसूस करने लगा . 


हिस्स्स्स …………………….हिस्स्स्सस्स्स्स ……हिस्स्स्स ……….हिस्स …." की आवाज़ के साथ पेशाब का गिरना बंद हुआ और रूपाली की चूत के होंठों को दबा दबा के कालू ने आखरी बूँद तक निचोड़ के चूत को पूरा सुखा दिया . उसके बाद कालू ने मज़बूत हाथों से रूपाली को किसी बच्चे की तरह गोद में उठा लिया और वापस , सबके बीच में ले आया .

चांदनी रात में सब नंगे बैठे थे , और हलकी ठंडक हवा में होने के बावजूद , सबको हल्का पसीना आ रहा था . इतनी मेहनत जो की थी सबने . रूपाली ने अपनी सारी को अपने कन्धों पे इस कदर रख लिया की उसका नंगापन कुच्छ छुप जाए . उसकी देखा -देखि सांवली -सलोनी कमला ने भी अपना घाघरा कंधो पे रख लिया अपनी छाती को ढकने के लिए . चांदनी रात में कमला का नंगा बदन , पैरों में सिर्फ दो चांदी की पाजेबें और सांवला सलोना रंग बहुत आकर्षक लग रहा था . रूपाली , का नंगापन , उसकी गुलाबी साड़ी से छन के बाहर निकल रहा था और उसके गोरे चेहरे पे फैला हल्का काजल , उसके खूबसूरत घने काले बाल , गोरा रंग और खूबसूरत चेहरा उसे किसी अप्सरा सइ कम नहीं लगने दे रहे थे .


कालू , मोतिया , सत्तू और मुंगेरी ने प्लास्टिक के गिलास निकाले और उनमें देसी शराब भर दी . फिर मुर्गी के मांस वाली बड़ी थैली को उन्होंने बीच में खोल लिया और रोटी के बड़े बड़े टुकड़े तोड़कर , उसमें मुर्गी -तरी लपेटकर खाने -पीने लगे . मोतिया ने एक बड़ा रोटी का टुकड़ा तोडा , उसमें मुर्गी का एक छोटा टुकड़ा लपेटा , तरी में थोडा डुबोया और कमला के मुंह में ठूंस दिया . बेचारी को शायद बहुत भूक लग आई थी और वोह खाने लगी . मोतिया ने कमला से पूछा ,"सराब पीयेगी मौढ़ी ?" कमला ने ना में सर हिलाया और पानी की बोतल की तरफ इशारा किया . मोतिया ने उसे पानी दे दिया .


कालू ने एक रोटी में थोडा मुर्गी का मांस रखा और एक पानी का गिलास भरकर , रूपाली के आगे रखता हुआ बोला ,"लो ठकुराइन , खाना खायी लीजो ." इतनी इज्ज़त से उसने ये बोला था की एक पल को तोह रूपाली को लगा मानो अब तक जो कुच्छ हुआ था वो सिर्फ एक भयानक सपना था . बचपन से रूढ़िवादी , कट्टर संस्कारों में पली बढ़ी थी रूपाली और उसके लिए नीच जाती के लोगों के हाथ से कुच्छ भी खाना धर्म भ्रष्ट करने वाली बात थी . उसने मुंह फेर लिया . फिर अचानक व्हो कालू से बोली ,"देखो , अब हम तुम्हारे हाथ जोडती हैं , बहुत हो गया . अब हमें हवेली पहुंचवा दो ."

शायद मोतिया या सत्तू तोह मान भी जाते , मगर , कालू जिसने सिर्फ रूपाली की चूत का रस -पान किया था , इतनी आसानी से इस खजाने को छोड़ने को तैयार नहीं था . बड़े अदब से बोला ,"मालकिन , बस एक बार हमका भी आपकी चूत का स्वर्ग माफिक आनंद दाई दो …..फिर हम आपको इज्ज़त से हवेली पहुंचाई देब ." बेबसी में रूपाली मन मसोस कर रह गयी .

कमला सरक कर रूपाली के पास आ गयी थी . उसने रूपाली का हाथ ठाम लिया और आंसू बरसाते हुए बोली ,"मालकिन …हमका माफ़ कर दो ….हमरी खातिर ….". रूपाली ने एक पल के लिए उसको सूनी सूनी आँखों से देखा …..और सीने से लगा लिया . शराब पीते पीते मुंगेरी ने जैसे ही यह नज़ारा देखा , कमज़ोर दिल का होने की वज़ह से वो डर गया और धीरे से सत्तू से बोला ,"सत्तू , चल अब बहुत हुआ . रोटी खा के , ठकुराइन और इ मौढ़ी का घर पहुंचाई देत हैं …". सत्तू ने मोतिया को देखा और उसने कंधे उचका के मानो कहा , जैसा तुम लोग ठीक समझो . पर कालू गुस्से से मुंगेरी से बोला ,"वाह रे मुंगेरी . खुद साला ठकुराइन की गांड मार लिए हो , और हमका सिर्फ कमला मौढ़ी की चूत बजाई के संतोस कर लैब ? आराम से बैठो अभी ……."

जान छूटने की जो एक हलकी सी उम्मीद की किरण बची थी , वोह भी ख़त्म हो गयी और रूपाली की आँखों से आंसू बह निकले .  


कमला ने रूपाली को कहा ,"दीदी , कुच्छ खायी लो .." मगर गुमसुम बैठी रूपाली ने मानो कुच्छ सुना ही नहीं . कमला ने थोडा रोटी -मुर्गी उसके मुंह के पास किया तोह रूपाली को चमारों के ढाबे के खाने में वोही दुर्गन्ध आती महसूस हुई जो उसने सत्तू के बदबूदार लंड से आती हुई महसूस ki थी . नफरत से उसने नज़रें फेर ली .
चारों चमारों ने तसल्ली से दारु ख़तम की , ठंडी पड़ चुकी रोटी -मुर्गी को पूरा साफ़ कर गए और उसके बाद , मुश्किल से 3-4 कदम दूर , बारी बारी पेशाब करने लगे . झींगुरों की आवाजें , चांदनी रात और एक के बाद एक चार काले , गंदे , भद्दे इंसानों के मूतने की आवाजें …….बदबू के मरे रूपाली को उबकाई आने लगी .

रात के कोई 9-10 बज चुके थे …..आसमान में कुच्छ काले बादल उमड़ आये थे और बीच beech में हलकी बूंदा बांदी भी हो रही थी . खेत की मिटटी से सोंधी सोंधी सुगंध आने लगी और रूपाली को कुछ राहत महसूस हुई . कालू ने उसे कंधो से पकड़ा और बड़ी इज्ज़त से बोला ,"लेटे जाओ मालकिन ." रूपाली का दिल किया दुष्ट कलूटे की आँखें नोच ले मगर , चुपचाप लेट गयी . उसकी पीठ और जांघो पे खेत का कीचड लिपट गया . कालू ने उसकी जाँघों को अलग किया और अपना काला चेहरा , उसकी गोरी जाँघों के बीच धंसा दिया !
जैसे ही कालू की खुरदुरी जीभ ने रूपाली की छूट को छुआ , उसके बदन में एक झुरझुरी दौड़ गयी . कालू को रूपाली की चूत से रूपाली की खुशबू , उसके पेशाब की महक और मोतिया के वीर्य की बदबू का मिला जुला एहसास हुआ . कुल मिला कर उसपे तुरंत असर हुआ और उसका मूसल लंड , एकदम तन्ना के तैयार हो गया और रूपाली के सौंदर्य को सलामी देने लगा .
कालू का लंड बहुत ही बड़ा था और ये रूपाली को तब एहसास हुआ जब उसने इस मूसल को अपनी चूत में घुसता हुआ महसूस किया . 

"ना ....आ आ …आ …हाय एईईई उम्म्म्मम्म ….आआआअ ह्ह्ह्हह ….म्म्मम्म्म्मम्म ". रूपाली को लगा कालू का मूसल उसकी नाभि तक घुसा हुआ है ……रूपाली दहशत के मारे सिहर उठी जब उसने कालू को बड़ी इज्ज़त से कहते हुए सुना ,"बस बस ठकुराइन , थोडा सा और बचा है बस थोड़ी हिम्मत रखना बस ये घुसा …" रूपाली ने खुद को बिलकुल ढीला छोड़ दिया और ना चाहते हुए भी , उसकी टाँगे बरबस अपने आप उठ गयी और दर्द ना हो , इसलिए उसने कालू की कमर को टांगों के बीच झकड़ लिया . अब अगले ही धक्के में कालू पूरा अन्दर था और हौले हौले अपने धक्कों की रफ़्तार बाधा रहा था . सत्तू और मुंगेरी एकदम पास आकर , रूपाली के गोरे गोरे चूतडों को कालू के काले चूतड के नीचे पिस्ता हुआ देख रहे थे और उनकी आँखें ऐसे फैली हुई थी मानो उत्साहित बच्चे किसी जादूगर का खेल देख रहे हों ! कालू के मूसल ने रुपाली की गोरी चूत को पूरा चौड़ा कर दिया था ! चूत की चमड़ी अपने अंतिम स्टार तक चोडी हो चुकी थी ! 
मुंगेरी से रहा नहीं गया और उसने रूपाली के गोरे चूतड पे अपना एक हाथ रख दिया . फ़च्छ —फच्च —फच्च - फ़च्छ —खप्प —खप्प - घप्प —घप्प —थप्प - थप्प —खच्च —खच्च - फुछ —फुच्च —फुच्च - फुछ —फुच्च —फुच्च - फक्क —फक्क —फुच्च - फुछ —फुच्च —फुच्च -सट-सट धप्प-धप्प ….,"आआआआआ …..म्म्मम्म्म्मम्म …….मेरी माआआआअ …..म्मम्मम्मम …आआआआअ अरीईईईए हाय रीईईई मर गैईईईई ." फुछ —फुच्च —खप्प - खप्प —खप्प —खप्प - खपक —खप —घपक -घप्प …..कालू का मोटा लम्बा लंड रुपाली की चूत में वहा तक सैर कर रहा था जहा आज तक कोई लंड नहीं पहुंचा था !मजबूरी की हालत में भी रूपाली को आनंद आने लगा था उसकी टांगे कालू की कमर को पकडे हुई थी ! और उसकी गांड भी ऊपर नीचे हो रही थी !…..और कालू , जो साथ साथ उसकी बायीं चूची को चूस रहा था , मानो स्वर्ग में था . उसके बदसूरत चेहरे पे ग़ज़ब का उल्लास था . और वो कच कचा कर धक्कों पर धक्के मरता जा रहा था !
बूंदा -बांदी की रिमझिम थम चुकी थी . कालू ने एक पल के लिए अपना लंड बाहर निकाला , और रूपाली की कमर को पकड़ कर उसने घुमा दिया . जल्दी ही रूपाली घोड़ी बन चुकी थी और कालू का गधे सरीखा लंड पीछे से उसकी चूत में प्रवेश कर चूका था . चांदनी रात में गोरी पीठ और गोरे चूतड , जिनपे गीला गीला कीचड लगा हुआ था . उफ्फ्फ्फ़ …..कालू मनो ख़ुशी से पागल हो उठा . उसने रूपाली के लम्बे बालों को अपने दोनों हाथों में पकड़ा और बदसूरत गधा खूबसूरत घोड़ी को मस्ती से चोदने लगा .
मुंगेरी सरक कर रूपाली के नीचे आया और बारी बारी से उसके दोनों मम्मे और होंठों को चूसने लगा .

सत्तू का तोह मानो शौक ही अपना बदबूदार , चिपचिपा लौदा चुस्वाना था . उसने सांवली , कसी हुई कमला को कीचड में लिटाया और लंड मुंह में घुसा कर अन्दर बाहर करने लगा . नफरत के मारे कमला के दिल से सत्तू काका के लिए बाद -दुआएं निकल रही थी पर बद्ब्बोदार लंड चूसने को मजबूर थी बेचारी वप चूस रही थी और सत्तू ठापें मर मर कर . उसके मुह को चोद रहा था !मोतिया , दो बार चुदाई के कारण , शराब के नशे की खुमारी में कीचड पे लेट गया और आँखें बंद करके कमला के कसे हुए चूतादों पे हाथ फिराने लगा .कालू रूपाली को घोड़ी बनाकर चोदे जा रहा था और रूपाली की चमकती हुई , गोरी पीठ , उसके लंड को बहुत मोटा और लम्बा तथा विकराल कर चुकी थी . क्यूंकि मुंगेरी ने कुच्छ देर पहले रूपाली की गांड मारी थी , उसका सुनेहरा , भूरा छेड़ भी चूत पे पड़ते हर धक्के पे मुंह खोल देता था . कालू की नज़र छेद पे पड़ी और उसने थूक लगा अंगूठा , गांड के अन्दर घुसा दिया . "हाय ..माआअ ..आआआ ह्ह्ह्हह ….अरे नहींईईईईइ " रूपाली ने कहा और नीचे से मुंगेरी ने फ़ौरन उसके रसीले होंठों को अपने होंठो के बीच फंसा लिया और ऐसे चूसने लगा मानो रसीले दुस्सेहरी आम की फांक किसी गरीब के हाथ लग गयी हो .कालू चोद रहा था और पीछे से चोदने की वज़ह से आवाज़ कुच्छ अलग तरह की आ रही थी ….पुछक्क -पुछक्क -पुचक -पुचक …फुछ -फुच्च …पुचक -पुचक .. पुछक्क -पुचक -फुक्क -फुक्क …फुछ -फुच्च …फक्क -फक्क .. फट्ट -फट्ट -पुक्क -पुक्क …फच -फच …गप्प -गप्प सट -सट …..और साथ साथ अंगूठे से गांड के सुनहरे छेद को ढीला ,चौड़ा करता जा रहा था और उसे खोलता जा रहा था उसमे अपनी अँगुलियों की संख्या बढ़ता जा रहा था !……..रुपाली बार बार अपनी गांड मटकाने असफल की कोशिश कर रही थी 
फिर कमीने ने अपने मूसल -चंद लौड़े को बाहर निकाला और धीरे धीरे रूपाली की गांड में घुसाने लगा ! रुपाली की घोड़ी बनी टाँगे कांपने लगी पर वो उसकी कमर को झकड़े हुए थे !. "ऊय्य्य्यीईई ..माआं आआ ….म्मम्मम्म ……आआआआआ ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह हाय ईईई ", रूपाली का आर्तनाद ऐसा था मानो कोई जानवर भयंकर पीड़ा में कराह रहा हो ……….कालू लंड घुसाता चला गया और पूरा अन्दर आकर , कुच्छ पल के लिए थम गया . उसके बड़े बड़े आंडे जब रुपाली की चूत से टकराए , रुपाली को रहत मिली की अब बहार बाकि नहीं हे पूरा गांड में घुस गया हे !!नीचे मुंगेरी सरक कर रूपाली की छूट चूसने लगा था . कुच्छ राहत मिली ही थी की कालू ने लौदा अन्दर बाहर कर घर्सन करना शुरू कर दिया . दर्द के मरे अचानक ही रूपाली का पेशाब निकल गया और मुंगेरी के चेहरे पर गर्म गर्म बरसात हो गयी . बौखला कर मुंगेरी बाहर निकल आया और मुंह पोंछने लगा ! 

मुंगेरी की शक्ल देख कर कालू हंस पड़ा और हँसते हँसते उसने गांड मारने की रफ़्तार तेज़ कर दी . कोई 15-20 मिनिट रूपाली की गांड का फलूदा बनता raha और हाथ बढाकर कालू उसकी चूत से खेलता रहा और अचानक ,"आआआआअ ह्ह्ह्हह्ह …ऊह्ह्हह्ह्ह्ह ……मालकिन ……मैं आयाआआअ ……आआआ ह्ह्हह्ह्ह्ह …………..आआअ ह्ह्ह्हह …..आआ ह्ह्हह्ह्ह्ह …"….कालू ने अपना सफ़ेद , गाढ़ा वीर्य रूपाली की गांड के अन्दर छोड़ दिया . 8-10 भयानक झटके लेकर कालू ने धीरे से अपना मूसल लंड बाहर निकाला और उसका वीर्य , रूपाली की गांड से चाशनी की तरह निकला और उसकी छोटे छोटे , काले झांटों वाली चूत पे फैलने लगा !

सत्तू वो पहला चमार था जिसने कमला को चोदने की नाकाम कोशिश की थी , जब अचानक ही रूपाली ने पहुँच कर उसके रंग में भंग दाल दिया था . पर अब उसका रास्ता साफ़ था . मोतिया कमला की चूत के दरवाज़े खोल चूका था और कालू उसके रहे सहे चूत के पेंच भी ढीले कर चूका था

आराम से काला सत्तू नंगी कमला के कसे हुए बदन के ऊपर लेट गया और अपना खूब चूसा हुआ , लौड़ा उसने आराम से कमला की चूत में दाखिल कर दिया . कालू से चुदने के बाद दर्द का सवाल ही नहीं था . कमला को हल्का सा ही दबाव महसूस हुआ और उसने कमला की चूत की चुदाई शुरू कर दी . नीच जात की कसी हुई लड़की थी और प्राकृतिक तरीके से समझ चुकी थी की जब बलात्कार होना ही है , तोह मार खाने की जगह , मौज लेने में भलाई है …..चूतड उठा उठा के सत्तू काका का लंड अन्दर लेने लगी कमला नीचे से खुद उच्छल रही थी और सत्तू पागलों की तरह कमला को चोदने लगा . कालू और मोतिया से चूत फटने के बावजूद ग़ज़ब का कसाव था और जितनी बार सत्तू अन्दर आता , उसे लगता मानो कोई चीज़ उसके सुपाडे को पकड़ रही हो . और जितनी बार वो बाहर को निकलता , ऐसा लगता मनो कोई चीज़ सुपाडे को बाहर निकलने ना दे रही हो .कमला पहली बार बिना दर्द के चुद रही थी उसे खुद को आनंद आ रहा था इसलिए वो भींच कर रही थी जैसे लंड को निचोड़ लेना चाहती थी !खुद उचक उचक कर लंड को अन्दर ले रही थी ! सत्तू के मनन में ख़ुशी की उमंगें दौड़ रही थी वो अपनी बेटी की उम्र की कमला मौढ़ी की चूत पुरे जोरो से बजने में लगा हुआ था !…….सांवली जांघें काली जाँघों के नीचे दबी हुई थी 10-12 मिनिट तक सत्तू ने चुदाई की और फिर कमला का सर अपने हाथ से उठा कर अपने निप्प्ले लड़की के मुंह में दे दिए . इशारा समझ के कमला उसके निप्प्ले चूसने लगी …….ऐसा करते ही सत्तू का शरीर सनसनाहट से भर गया और वो ,"ओह्ह्हह्ह ….आआः ……अआः ….हमरी बेटी …हमरी प्यारी मौढ़ी …हमरी प्यारी बेटी कमला रानी मेरी मौढ़ी …..ओह हमरी रंडी बेटी ….अआह्ह …ओह्ह्ह मेरी रंडी बेटी को दो साडीयाँ दूंगा आःह्ह्ह नए पेटीकोट ब्लाउज समेत ह़ा चूस मेरी रानी मेरी कमला बेटी मेरे बोबे चूस दूध निकल दे इनमे से बरी बरी से दोनों चूस काट के खा जा ! …."…….पुचक -पुचक -पुचक -फुछ -फुच्छ -फुच्छ - पुचक -पुचक -पुचक -फुछ -फुच्छ -फुच्छ - पुचक -पुचक -पक्क -पक्क -फुच्छ -फुच्छ - पुचक -पुचक -पुचक -फुछ -फुच्छ -फुच्छ कमला की टांगे अपने आप सत्तू काका की कमर को झकड़ रही थी पूरा लंड झड तक अन्दर ले रही थी…..आआआआआआआआआआआआआआआआआअ ह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह मेरी कमला रानीईईईईईई मेरी रंडीबेटी ईईईईईईईईइ ……….में गयाआ और कलूटे सत्तू ने सांवली -सलोनी कमला की चूत के अन्दर अपना वीर्य छोड़ दिया ! कमला का पानी भी साथ ही छुट गया वो भी लम्बी लम्बी सांसे लेने लगी ! सत्तू काका उसे बड़ा प्यारा लग रहा था वो काफी देर तक सत्तुकाका के निप्पल चुस्ती रही उसके सीने पर चुम्बन देती रही !






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