Tuesday, April 15, 2014

FUN-MAZA-MASTI कोमल की कहानी --3

FUN-MAZA-MASTI

कोमल की कहानी --3

.....काफी देर तक हम एक दुसरे को चूमते चाटते रहे, कोमल और मेरे बीच अब कोई झिझक नहीं थी... हम बेबाक एक दुसरे के निजी अंगों से खेल रहे थे, उन्हें चूस रहे थे...चूम रहे थे और अपनी जवान इच्छाओं के बारे में खुल कर बातें कर रहे थे, पहले तो कोमल शर्माती रही लेकिन बाद में इतना खुल गयी जो मैंने सोचा भी नहीं था... उसने बहुत अचरज और मजे लेकर सभी अंगों के बारे में पूछा और उनके रोजमर्रा के गंदे नामों पर खूब हंसी.... उसने सुन तो रक्खे थे पर कभी अपने मुहं से कहा नहीं था..... थोड़ी देर बाद में तो वो अंगो के नाम बार बार हंस हंस कर ले रही थी, बल्की मुझे चिढ़ाने के अंदाज़ में की तुम क्या समझते हो... क्या मैं लड़की हूँ तो तुम्हारे जैसा नहीं बोल सकती... उसकी ये अदाएं मुझे और ज्यादा गर्म बना रहीं थी.... कोमल के लिए ये पहला ऐसा अनुभव था जब उसने इतनी आज़ादी और आनंद महसूस किया..... कभी वो मलिका बन जाती ...और मैं उसका गुलाम....और कभी वो मेरे सामने याचना करती हुई .. मुझे चोद कर मेरी जान लेले ... उसने एक दो बार लड़कों के लिंग क्षणिक देखे तो थे पर कभी इस तरह नंगे तने हुए नहीं और उसने कबूल किया की मेरे लिंग का लाल सुपाडा पूरी तरह तना हुआ और गीला चमकता हुआ जब उसने पहली बार देखा तो वो अपने आप को रोक नहीं पाई और उसका मन अनायास ही उसे छूने और महसूस करने का हो गया और वो ऐसा कर बैठी, उसे बाद में खुद पर शर्म भी आयी लेकिन फिर से देखने और छूने की इच्छा को रोक नहीं सकी....उसने बताया की जब उसने मेरे सुपाडे को देखा था तो उसे लगा की यह कोई गर्म लोहा है और वो उसे फूंक मारने लगी और अभी भी उसे लाल सुपाडा देखने से गर्म लोहा ही लगता है...सचमुच वो लंड की दिवानी हो गयी थी और बार बार मेरे लंड को पीछे खींच सुपाड़े को देखती... उसे प्यार करती... अजीब अजीब आवाजें मुहं से करती और उसे अपने होठों के बीच लेकर चूसती, पूरे सुपाड़े को निगल जाती, मैंने भी उसकी योनी को चूस चूस कर लाल कर दिया, वो कई बार स्खलित हुई .....मुझे भी स्खलित किया ... मेरा वीर्य उसने अपने स्तनों पर लिया और बड़े मजे से उसे अपने स्तनों पर लपेट लिया और मालिश करती रही, वो मस्ती में दीवानी हो गयी थी, बार बार कहती रही की उसने ऐसा आनंद, ऐसी शरीर की जलन कभी पहले महसूस नहीं की, ये मस्ती २-३ घंटे चलती रही, हम करीब करीब नंगे से सोफे पर पड़े एक दुसरे से खेलते रहे, प्यार करते रहे, हम शायद दिन भर ऐसे ही पड़े रहते, मन भरा नहीं, लेकिन दिन निकल रहा था, ये तो अच्छा हुआ की सब सोये हुए थे, वरना उस दिन शामत थी, मैंने कोमल से कहा तुम चुपचाप कमरे में जाओ और मैं अपने कमरे में आया, छोटा भाई सो रहा था, मेरी भी कब आँख लगी मालूम नहीं.....

................सुबह उठा तो मालूम हुआ मेरे और कोमल के पिताजी फैक्ट्री चले गए हैं, अब वो देर शाम को ही लौटने वाले थे, माँ और कोमल की मम्मी बैठक में नाश्ता कर रहीं थीं और माँ ने बताया की वो दोपहर वो कोमल की मम्मी को बाज़ार करवाने वालीं थीं और ३-४ घंटे लगेंगे वापस आने में इसलिए मैं जल्दी खाना खा लूं ..... कोमल बाथरूम में नहा रही थी... काम करने घर में मेहरी आती थी वो किचेन में व्यस्त थी, मैं
अपने को रोक नहीं सका और बाथरूम की और आया तो अन्दर से पानी की आवाज़ आ रही थी.... मेरी ओर किसीका ध्यान नहीं था, मैंने धीरे से बाथ का दरवाज़ा खटखटाया...कोमल समझ गयी, उसने दरवाज़े के नज़दीक आकर पुछा
"कौन है...", "
"मैं हूँ..दरवाज़ा खोलो " मैंने कहा
"मैं नहा रही हूँ... तुम जाओ ."
मैंने फिर दरवाज़ा खटखटाया तो उसने थोड़ा सा खोल आँख निकाल कहा "मम्मी आ जायेंगी... बेवकूफी मत कर "... मैंने जोर से दरवाज़े पर दबाव डाला दबाया तो उसने थोड़ा सा खोल कर मुझे अन्दर ले लिया,
" क्या करते हो.. पागल हो गए क्या.. मम्मी बाहर बैठीं है... आ जायेंगी..." वो बोली,
"आने दो ... " और उसको देखा, बिलकुल नंगी, बेहद खूबसूरत पानी में नहाई हुई मूर्ती सी मेरे सामने खड़ी थी, कोमल शर्मा गयी, 'क्या देखा रहे हो.. कल रात तो सब देख लिया .... अब क्या है .." उसने दोनों हाथों से स्तनों को ढक लिया और आगे झुक कर अपनी जाँघों के बीच में योनी को छुपाने की कोशिश करने लगी, "मम्मी बाज़ार जा रहीं हैं, तुम मना कर देना...हम बातें करेंगें.." मैंने फुसफुसा कर कहा
" मेरा भी बाज़ार जाने का मन है.. मैं जाऊंगी..." कोमल बोली "शाम को मिलेंगे.. अब तुम भागो .. मुझे नहाने दो...कोई देख लेगा "
मैं बाथरूम से बाहर निकल आया, उसे दुबारा देखा भी नहीं, बहुत गुस्सा आ रहा था, जब खुद का मन होता है तो मेरे पास आती है और जब मैं कहता हूँ तो मना कर देती है, नखरे दिखाती है. येही सब सोचते हुए मैं तैयार हुआ और बैठक में आया तो देखा कोमल सोफे पर बैठी मुस्कुरा रही थी, मुझसे मुहं बनाते हुए इशारे में कहा की बहुत गुस्सा नजर आ रहे हो, क्या बात है ? मैंने कोई जवाब नहीं दिया और नाश्ता कर बाहर
निकल गया, रात को हुए अनुभव के कारण दिमाग कुछ भी सोच नहीं पा रहा था और सिर्फ कोमल ही याद आ रही थी, मैंने स्कूटर उठाया और बाज़ार की ओर निकल गया, पता नहीं क्या सूझा और एक दुकान से ३ पैकेट कोहिनूर के खरीद लिए, जब वापस आया तो माँ, कोमल और उसकी मम्मी ऊपर के कमरे में बहुत किस्म के कपड़े और साड़िया बिछा कर बातें कर रहे थे, मैं नीचे आ गया, थोड़ी देर में कोमल भी अकेले नीचे आयी,
".हमलोग बाहर जाने वाले हैं.. तुम भी चलो ना .." कोमल बोली, मैंने मना कर दिया,
"ठीक है... तुम बोलोगे तो मैं रुक जाऊंगी ...."
"मैं क्यों बोलूँ , जैसी तुम्हारी मर्जी...." मैंने कहा, मुझे बहुत ख़राब लग रहा था....मैं सोच रहा था की किसी तरह कोमल रुक जाए पर मुहं से निकल नहीं रहा था, ....अब मैंने उसपर गौर किया, एक छोटे से फ्रोक में उसकी जवानी बाहर को आ रही थी, दोनों स्तनों के बीच की रेखा गहराई तक दिख रही थी और स्तनों के ऊपर का गुदाज़ हिस्सा उभर कर बाहर निकल रहा था और कोमल की जवानी को बयां कर रहा था, आँखों में वही गरूर, मैं अपने कमरे में चला आया, कोमल ऊपर लौट गयी, कोहिनूर के पैकेट अपने ड्रावर में रक्खी किताबों के बीच छुपा कर मैं बैठक में आ टीवी देखने लगा, मन तो व्याकुल था, नजर और कान ऊपर की तरफ ही थे की वो दिख जाये, थोड़ी देर बाद माँ और सभी नीचे उतरे, माँ ने कहा हम और ताइजी (कोमल की मम्मी) बाज़ार जा रहे हैं तुमलोग खाना खा लेना, रक्खा है...कोमल गर्म कर देगी....
मुझे आस्चर्य हुआ...पूछा " क्यूं, वो नहीं जा रही ? "
" उसे रात को नींद नहीं आयी...कहती है सर बहुत दुःख रहा है.. इसलिए नहीं जायेगी.....हम शाम तक आते हैं... " कोमल की मम्मी ने कहा.. मैंने कोमल की ओर देखा...उसने आँखें झुका रक्खी थीं ... तो ये बात है... मन तो जैसे हवा में उड़ने लगा...
"ठीक है, ताईजी " मैंने कहा, माँ और कोमल की मम्मी बाज़ार निकल गए, महरी भी बस जाने ही वाली थी, छोटा भाई तो घंटो से गायब था... मैंने भगवान को ऐसे मौके के लिए धन्यवाद दिया....
कोमल ने नजदीक आकर कहा " अब तो खुश "
"तुम्हारा मन नहीं था तो चली जातीं ... कोई मेहेरबानी तो नहीं की " झूठी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा...जो कोमल से छुप न सकी ...
"मन में लड्डू और ऊपर से नाराज... बनो मत.. मैं सब जानती हूँ.." उसने हंस कर कहा..
" तो देख अब... " कहते हुए मैं उसपर झपट पड़ा और दबोच लिया, वो तो जैसे तैयार ही थी मुझे सोफे पर धकेलते हुए मेरे पर गिर पडी,
"अभी रुक.. महरी को जाने दे.. " और जोरों से मेरे होठों को चूमते हुए खड़ी होकर अपने कमरे की तरफ भागी...कुछ ही समय में महरी भी काम कर चली गयी... अब हम दोनों घर में बिलकुल अकेले रह गए थे, वो कमरे से बाहर आयी पूछा " महरी गयी.. ? " मेरे हाँ कहते ही दौड़ कर आ मेरी गोद में बैठ लिपट गयी, फ्रोक जांघों पर सरक गयी, उसने मुझे आगोश में बाँध रक्खा था, हम एक दुसरे को बेहतहाशा चूम रहे थे, कोमल ने मेरे हाथ को पकड़ अपने जांघों पर ऊपर सरका अपने योनी के पास ले आयी, वो गर्म थी, मैंने एक अंगुली टाईट पैंटी के किनारे से अन्दर की और योनी द्वार को छुआ... ओह्ह्ह्ह क्या हो रहा था, वो मेरे होठों को काटे जा रही थी, और कभी अपनी जीभ मेरे मुहं के अन्दर घुसा देती... कभी मेरी जीभ अपने मुंह में लेकर चूसने लगती..योनी रस से सरोबर थी... फिर से उसकी सिस्कारियां निकलने लगी.. उसने झट अपने नितम्ब उठाये और अपने हाथों से पैंटी खींच नीचे उतार दी... और मेरे जिप को खोल हाथ अन्दर डाल लिंग को खींच बाहर निकल लिया जो पूरी तरह अब फुफकार रहा था, कोमल मेरे लिंग को देखते ही व्याकुल हो जाती .. मुझे मालूम हो गया था की सबसे ज्यादा मस्ती उसे लिंग और सुपाड़े से खेल कर आती थी .. उसने लिंग को पीछे खींच सुपाडा बाहर किया और उसे प्यार से देखते हुई चूसने लगी, कोमल को सुपाडा चूसने में बहुत मस्ती आती थी यह मैंने बाद में जाना.... वो मेर लिंग को चूस रही थी और मैं उसके मस्त उठान भरे स्तनों को चोली से बाहर निकाल दबा रहा था... क्या अनुभव... अत्यंत गुदाज़ .. मुलायम और स्पंज से .....

...कोमल ने एक हाथ से मेरे मेरे लिंग को पकड़ उसे मुहं में डाल रक्खा था और दुसरे हाथों से मेरे अंडकोष सहला रही थी.. वो बेखबर जैसे एक स्वर्गिक अनुभव और आनंद में लिप्त.. कोमल के मुलायम होठों और जीभ के स्पर्श से हुए घर्षण ने मेरे लिंग में जबरदस्त उत्तेजना और आवेश भर दिया था... मेरे शरीर में अन्दर ही अन्दर लावा बह रहा था...उसके बालों को पकड़ सर पीछे खींच लिंग को उसके होठों की जकड़ से मुक्त कराया, उसे बाँहों में भर ऊपर उठाया और गालों को चूमा तो उसने आँखें खोलीं ..
"क्यों निकाल लिया.. बहुत मज़ा आ रहा था... " कोमल बोली
"और भी मज़ा आएगा ... "मैंने कहा और उसे खड़ा कर नितम्बों को पकड़ उसकी योनी पर अपना मुहं लगा दिया, योनी के दोनों पाटों को अलग कर अपनी जीभ उसके अन्दर डाल चूसते ही कोमल दोनों हांथ मेरे पीठ पीछे डालते हुए बेसुध सी होकर मेरे पर गिर पडी, उसके स्तन मेरे पीठ पर दबाव डाल रहे थे, आह्ह क्या महसूस हो रहा था बता नहीं सकता, कुछ ही क्षणों में कोमल नितम्बों को हिलाते हुए चिल्लाने लगी.... आःह्ह ...आःह
और पीठ पर दांतों को गड़ा दिया.... "छोड़ मुझे... छोड़ .... तुम्हे मार दूंगी ...तू गुंडा है... " कोमल अपने नितम्ब हिलाते हुए योनी से मेरे मुहं पर धक्के मार रही थी और योनी का घर्षण करती हुई बक रही थी...
" अन्दर डाल जीभ को... और दबा... दबा मेरी बूर को .. जीभ को घुमा... और घुमा अन्दर ...बहुत मज़ा आ रहा है.... कुछ अन्दर जल रहा है ... .. " कोमल वासना ज्वार में बहुत बोल रही थी, मुझे गालियाँ भी देने लगी कभी कुत्ता... कभी साला कहने लगी ..और बेहिचक वो सारे शब्द कहने लगी जो उसने कुछ ही देर पहले सीखे थे, ..... यूँ तो हम पहले भी एक दुसरे को जानते थे लेकिन पिछले तीन दिनों के साथ में हम दोस्त बन गए थे बिलकुल नजदीकी और खुले बिना किसी शर्म और हिचक के बातें होने लगी थी........
कोमल ने मेरे एक हाथ को नितम्बों से हटा उसने अपने स्तन पर लगाया " इसे भी कर न कुछ ..." और बहुत मजे से अपनी योनी और स्तन रगड़वाने लगी .... मेरे से अब रहना मुश्किल था....मैं उठा और कोमल को कमर से पकड़ उसके कान में कहा " तुझे अभी दूसरी दुनिया में ले जाऊँगा ....पहले इसे खोल " और इशारा किया, कोमल ने अपने हाथों से मेरे पैंट को खोल नीचे गिरा दिया, मेरा जांघिया भी खोल दिया और मेरा लिंग और अंडकोष सहलाती रही....... मैंने उसे पूरी नंगी कर दिया....कोमल का हाथ पकड़ उसे अपने कमरे में ले
आया.... हम दोनों पूरी तरह नंगे आईने के सामने खड़े एक दुसरे को देख रहे थे, कोमल मेरी कमर को अपनी बाँहों से घेर मेरे से सट कर खड़ी आईने में मुझे देख रही थी... और मैं उसे... कोमल के पीछे खड़े हो उसके उरोजों को दबाता हुआ योनी को सहलाने लगा, मेरा लिंग उसके नितम्बों के दरार में घुसने के लिए व्याकुल..... कोमल बिलकुल बदल गयी थी सिर्फ दो ही दिन में जो मैंने सोचा भी नहीं था ... वो पूर्ण समर्पण के लिए तैयार.. यहाँ तक की मैं तो कुछ सोच भी रहा था लेकिन वो तो एकदम आगे बढ़कर सबकुछ करने को तैयार... कहीं वो इतनी नादान तो नहीं थी या फिर जरूरत से ज्यादा तेज इतनी सी उम्र में.. कुछ पता नहीं चल रहा था.. माँ के आने में कम से कम २- घंटे तो थे ही.. हम दोनों निश्चिंत.. सिर्फ एक डर था तो छोटे भाई का लेकिन वो भी देखा जायेगा... मेन दरवाज़ा बंद था... कोई जल्दी नहीं थी , मैं कोमल के साथ पूरी मस्ती लेना चाहता था..और उसे भी एक मस्त अनुभव देना चाहता था .. उसके जवान और बेहद खूबसूरत शरीर का रस धीरे धीरे लेना था...हमलोग यूहीं नंगे कुछ देर बेड पर पड़े रहे और खेलते रहे.. फिर कोमल से पूछा फ्रिज में शरबत है पिओगी, चलो देखते हैं ? हम दोनों एक दुसरे से गुंथे हुए से नंगे किचेन में आये..फ्रिज में गुलाब का शरबत था और दूसरी चीज़ें जैसे आइस-क्रीम, फल, सब्जियां वगैरह... कोमल ने ग्लास लिए और शरबत बनाने लगी, फ्रिज से आइस ट्रे निकाल कर आइस तोड़ने लगी.. .खूबसूरत नज़ारा... वो ट्रे से आइस तोड़ रही थी और उसके विशाल गोरे स्तन ऊपर नीचे हिल रहे थे ..मैंने एक टुकड़ा लेकर उसके चिकने फूले नितम्बों के बीच घुसा दिया...
" ओह्ह्ह क्या करते हो.. शरबत बनाने दो... मैं कुछ करूंगी तो बचोगे नहीं...." उसने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा...
"क्या करोगी" मैंने कहा ....

" ओह्ह्ह क्या करते हो.. शरबत बनाने दो... मैं कुछ करूंगी तो बचोगे नहीं...." उसके बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा...
"क्या करोगी" मैंने कहा
कोमल ने चाकू उठाया बोली " यह देख रहे हो, वो काट दूंगी इससे..." और मेरे लिंग की तरफ इशारा किया
"फिर तुम्हारी इस बेचैन मुन्नी का क्या होगा... " मैंने उसकी योनी को मसलते हुए कहा,
"मेरे से ज्यादा बेचैन तो तुम हो...." कोमल ने कहा,
" अच्छा ? ...तो देख " मैंने कहा और उसपर झपटा, वो बिल्ली की सी तेजी से निकल मुझे चिढ़ाती हुई ऊपर सीढ़ियों की तरफ भागी, मैं नीचे से देखता रहा,
" ... पकड़ सकता है मुझे ? " ...वो ऊपर सीढ़ियों पर खड़ी खिलखिला रही थी ..मैं हैरानी से देख रहा था... क्या जिस्म.. क्या अदा.. क्या मासूमियत..कभी बचपन में सोचा भी नहीं था की ये लड़की जवान होने पर ऐसी क़यामत बनेगी.. सच पूछिए तो उस समय मन उसे छूने का भी नहीं था, सिर्फ देखते रहने का....कभी आपने कोई हसीँ दृश्य देखा है ? आप सोचते हैं ये बिगड़ न जाए, बस देखते रहें... यही हाल मेरा था...सामने हुस्न, उम्र नादाँ, बेबाक पूर्ण नग्न, जवानी पर एक इंच कपड़ा नहीं... मुझे एक टक देखते हुए देख कोमल शर्मा गयी, उसकी हंसी बंद हो गयी और हम एक दुसरे को निहार रहे थे, वो सीढ़ियों पर ऊपर खड़ी और मैं नीचे, मैं भी पूरी तरह नग्न .. उसके गाल लाल हो गए . शर्म और लाज से....आँखें झुका कर पूछा " ..ऐसे क्यों देख रहे हो ...चलो शरबत बनाते हैं ... " कहती हुई सीढ़ियों से उतरती हुए मेरी और आने लगी, मैं देखता रह गया उसकी मतवाली चाल, कोमल ने अच्छी लम्बाई पाई थी, शरीर की बनावट बड़ी थी, गदराया शरीर, चिकनी काया, शरीर का हर अंग तराशा हुआ, चाल में एक लचक और शरीर में भरपूर मादकता, आँखें और चेहरे पर भी सेक्स का रंग, कोई भी देखे तो इस लडकी में मौजूद गज़ब के सेक्स अपील से बच न सके , ऐसा नशीला बदन और ऐसी ख़ूबसूरती कुछ एक लड़कियों को बनाने वाले की देन होती है , उनके बदन से हर वक्त कामुकता और वासना फूट फूट पड़ती है, कोमल कुछ ऐसी ही थी, मैं बिलकुल सामने खड़ा और वो जैसे कोई हवा से निकली परी की तरह निर्वस्त्र अपने अंगों का प्रदर्शन करती आ रही थी, गोल सुडौल स्तन, भरी भरी जांघें और बीच में सुनहरे हलके रेशों के बीच योनी, शरीर की ही तरह ही गद्देदार योनी पट जिन्होंने योनी को दोनों और से दबा कर दरवाज़े को बंद कर रक्खा था, दूर से ही मालूम पड़ रहे थे रसमलाई की तरह फूले हुए, सर से कन्धों तक लहराते काले रेशमी बाल, पहली बार पूर्ण निर्वस्त्र बदन देख रहा था, वो भी बिलकुल सामने से -- इस प्रकार मानो एक संगेमरमर मूर्ती में जान डाल दी हो. देने वाला भी कभी खूब देता है, कोमल के दाहिने उरोज के उठान पर एक काला तिल और वैसा ही उसकी बांये जांघ पर योनी के थोड़ा नीचे, गोरे चिकने शरीर पर खूब दिख रहे थे, मैं अवाक् सा खड़ा देख रहा था,
" कभी किसी लड़की को नहीं देखा क्या... ? ऐसा क्या है मेरे में . ? " कोमल ने छेड़ने के अंदाज़ में पुछा,
"देखा तो.. पर ऐसा नहीं.... "
" अच्छाआआ... ऐसा क्या है जो देख रहे हो .." कोमल मेरे नजदीक आकर बोली,
"यह है " कहते हुए उसके दोनों उरोजों को हथेलियों में दबा उसके होठों को चूम लिया... मेरा लिंग फिर से खड़ा हो रहा था और देखते देखते पूरे तनाव में आकर लम्बा खड़ा हो कोमल की योनी पर प्रहार कर रहा था, हम कुछ एक मिनट लिपटे रहे फिर कोमल ने कहा "चलो पहले तुम्हें शरबत देती हूँ फिर मुझे देख लेना जितना चाहो ..." हम किचेन में आये और कोमल और मैंने मिलकर शरबत पिया, सारे समय हम एक दुसरे से चुहलबाजी करते रहे,

... उसे हाथ पकड़ कमरे में लेकर आया और पलंग पर गिरा उसपर लोट गया...."एक चीज़ दिखाऊँ ... देखोगी " मैंने पुछा .... "क्या है " कोमल बोली, "यह देख " मैंने कहा और उठकर ड्रोवर से कोहिनूर का पैकेट निकाला और साथ ही एक किताब जिसमें मैथुन से भरे शानदार चित्र थे, मेरे एक दोस्त ने दी थी स्वीडेन की छपी चमकीली किताब जिसमें पुरुष और इस्त्रियों के अनेक चित्र थे मैथुन करते हुए, कोमल ने ऊपर के
कवर को देखते ही आश्चर्य से पुछा " ऐसी किताब..कहाँ से मिली... तुम ये सब पढ़ते हो.. ? "
"छोड दो तुम्हें नहीं देखना तो..." मैंने कहा
"नहीं नहीं, दिखाओ तो क्या है..." उसने उत्सुकता से कहा और मेरे हाथ से किताब खींच ली...
" आआआआ ...क्या कर रही हैं ये लडकी .... कैसे इस तरह की फोटो खिंचवाती हैं.... देखो इसने कैसे पकड़ रक्खा है और क्या कर रही है.... " कोमल की आँखें बड़ी हो गयीं थी, उसने बहुत ही आश्चर्य से एक चित्र को दिखाते हुए कहा जिसमे एक इस्त्री एक पुरुष के लंड को खींचती हुई अपनी योनी में डाल रही थी. हम दोनों नंगे पलंग पर सट कर बैठे थे, कोमल एक एक पन्ना पलट रही थी और आश्चर्य और गौर से सभी फोटो देख रही थी, बीच
बीच में आँख उठा कर मुझे भी देख लेती और शर्मा जाती. उसका हाथ अनायास ही मेरे लिंग को पकड़ सहलाने लगा, वो चित्रों को बहुत ध्यान से देखे जा रही थी और मेरे लिंग को भी हाथों में पकड़ घुमा रही थी, खींच रही थी, मेरा एक हाथ उसकी कमर के पीछे जाकर उसके बाएं स्तन को दबा रहा था और दुसरे हाथ की उँगलियों ने उसकी जांघों को सहलाना शुरू किया और फिसलता हुआ उसके योनी द्वार के पास सिल्क से मुलायम
चूत पर के बालों को सहला रहा था, कोमल का गला सूख रहा था, उसकी आवाज़ उखड़ी सी हो गयी, " बहुत मज़ा आता होगा इनको क्या ?..." उसने मेरी आँखों में देखते हुए कहा....कोमल की जांघों के रोंगटे खड़े हो गए थे जैसे की शरीर में झुरझुरी होने से होती है... उसकी आँखों में लाल डोरे साफ़ दिखने लगे...वो उत्तेजित हो रही थी.. कामुक और नशीली अवस्था में होश खो रही थी, स्तन की घुन्डियाँ टाईट हो गयीं, मेरे शरीर
में सनसनाहट होने लगी, एक चित्र में लड़की दो पुरुषों के साथ मैथुन में लिप्त थी, देख कर कोमल हैरत में आ गयी, " अरे ... यह कैसे.. दो लड़कों से एक साथ कैसे कर सकती है .. " उसने कहा, ....दुसरे ही चित्र में में लड़की के योनी और गुदा द्वार में लड़कों का लंड एक साथ देख कर उसकी आँखें खुली रह गयीं .... कोमल ने मुझे पलंग पर गिरा दिया और मेरे ऊपर चढ़ बैठी , अपने स्तनों से मुझे दबा मेरे को चूमने लगी " तुमने
किसी लडकी को किया है ऐसा"...उसने पूछा ...
"क्या .. " मैंने जान कर कहा
"जो इस किताब में है... क्या कर रहे हैं तुमको नहीं मालूम ?..." कोमल बोली
" पूरा नहीं मालूम .. तुम बताओ न ? "मैंने कहा
"मुझे बुद्धू मत समझ .. तुम्हें सब मालूम है .. मेरे से सुनना चाहता है न ? " कोमल तेज लडकी थी, मेरे कहने का मकसद समझ रही थी
"जब तुम समझती हो तो बताती क्यूँ नहीं .." मैंने कहा..
" मैं नहीं बोलूंगी... मुझे शर्म आती है... तुमने किया कभी ... ?" कोमल बोली पर मैं उसके मुहं से ही सुनना चाहता था की उसकी बाकी बची झिझक भी ख़त्म हो जाये, हम लोग एक दुसरे के निजी अंगों से खेलते हुए बातें कर रहे थे, कोमल मेरे ऊपर चढ़ी हुई अपनी योनी से मुझे धीरे धीरे धक्के दे रही थी,
" जब रात को बैठक में थे तब तो तुम्हें शर्म नहीं आ रही थी ... अब क्यों...?
"उस समय रात थी ..अब शर्म आती है .." कोमल बोली,
"अच्छा मैं आँखें बंद करता हूँ... कोशिश करो ... " मैंने कहा,
" मैं पूछ रही हूँ .. तुमने कभी किसी लड़की को ऐसे किया... है... ऐसे...च.. च... चोदा.. है ...? कोमल ने झिझकते हुए कहा,
मैंने आँखें खोली " हाँ, ऐसे साफ़ बोलोगी तब तो समझूंगा... तुम्हारे मेरे बीच में अब क्या शर्म..." कोमल का चेहरा शर्म से लाल हो गया,
मैंने उसके नितम्बों को दबाते हुए कहा " आज तक तो नहीं चोदा पर आज चोदुंगा ...? "
"किसे.." वो बोली
" तुम्हें.. और किसे..."
"पर मैं तो नहीं करने वाली..जैसा इन फोटो में है ...तुमने कैसे सोचा की मैं तुमसे कुछ करवाऊंगी .." कोमल ने कहा
" ठीक है.. तो फिर हम क्यों हैं यहाँ... चलो...बाहर.." मैंने उठने का बहाना किया...
" रुको तो... मैंने उस चीज़ के लिए मना किया..प्यार करने के लिए तो नहीं... " कोमल का मन तो था पर वो खुल कर बोल नहीं रही थी, कोमल पूरी मेरे ऊपर आ आगयी और मुझे बाँहों में भर मेरे लिंग पर योनी को दबाते हुए मेरे गालों को चाटने चूमने लगी, वो जबदस्त गर्म थी,
हम दोनों एक दुसरे पर उलट पुलट होते रहे, उसकी योनी में रस भर गया था, मेरे लिंग से भी लग रहा था पानी निकल जायेगा,
मैंने उससे कहा " जल्दी कर, माँ आ जायेंगी"
" तुम क्यों घबराते हो अभी देर है .." कहते हुए कोमल ने सर घुमाकर मेरा लिंग मुहं में ले लिया जो उसको अच्छा लगता था, हम 69 की पोजिसन में थे, अपने आप ही उसकी योनी मेरे होठों पर आ गयी और मैंने अपनी जीभ अन्दर डाल दी,
"आह आह.. आःह ... यह क्या हो रहा है ...श्श्श ... श्श्स...." उसकी वासना भरी आवाज़ सुन रहा था....
"इसको चूस ले पूरा... मत छोड़ना... इसको काट ले.....दांत से काट उसे ... " कोमल याचना कर रही थी,

....मेरे लिंग और अंडकोष को हाथों से पकड़ बड़ी ही मस्ती में चूस रही थी, लिंग की चमड़ी को खींच पीछे कर दिया, मेरा लिंग जैसे फट कर पानी फेंकने को तैयार था, और वो पूरा मुहं में डाल उसे मक्खन की तरह स्वाद ले रही थी, मैं भी उसकी योनी को काट रहा था चूस रहा था, वो कराहने की सी आवाज़ निकालने लगी, मेरे दोनों हाथ उसके नितम्बों को दबा रहे थे और उसकी योनी ने मेरे मुहं को बंद कर रक्खा था, नितम्बों
की दरार के बीच उंगली डाल उसके गुहा द्वार के बाहर उंगली घुमाने पर उसे बहुत मज़ा आ रहा था " अरे मत कर...बहुत गुदगुदी होती है वहां हाथ लगाते हो तो.." वो चिल्ला रही थी खुशी में, इससे पहले की मेरा पानी निकल आये, मैंने पलट कर उसके मुहं को अपने चुम्बन से बंद किया उसे दबाते हुए हाथ फैला कर कोहिनूर के पैकट को खोल एक रबर बाहर निकाला और कोमल को दिखाया.... शायद उसने कभी कंडोम नहीं देखा था,
"क्या है... क्या करोगे इसका..." कोमल ने हैरानी से पुछा,
"ये अपने इसको...पहना कर तुझे मज़े कराऊँगा " मैंने अपने लंड की तरफ इशारा कर दिखाया कैसे कंडोम चढ़ाते हैं, कोमल अजीब सी नजरों से देखती रही...
"कभी किसी से सेक्स किया है तुमने " मैंने पूछा
" क्या.. ? .... तुमको क्या लगता है.. मैंने तो किसी को पहले नंगा तक नहीं देखा .... तुम्हें पहली बार देख रही हूँ .. तुमने मुझे फंसा दिया ..." कोमल रूआंसी जैसी हो गयी.. .मुझे लगा मामला बिगड़ गया.. मैंने कोई जल्दबाजी नहीं करने की सोची, अभी तक तो मज़े कर रही थी अब अचानक क्या हो गया...ये लड़कियों का स्वभाव है, मैंने उसे शांत किया... उससे बातें की..
" हम तो एक दुसरे को कितना चाहते हैं... मैं मजाक कर रहा था.." वगैरह, कुछ देर तक उसे समझाता रहा. फिर याद आया मेरे पास एक दूसरी किताब भी है .. मैंने अपनी अलमीरा के नीचे से उसे निकाला ... वो एक हिंदी की किताब थी जिसमे कुछ चित्र भी थे और कहानी भी , कुछ हाथ से बनी पेंटिंग्स भी थीं . उसमे उसे दिखाया की कंडोम कैसे चढ़ाते हैं और फिर क्या करते है....
" मुझे मालूम है .. ये कंडोम है, लगा कर सेक्स करने से पेट में बच्चा नहीं होता.... .." कोमल ने मेरे लिंग को हाथ में लेकर बताया, अब में हैरान था, वो सब जानती थी, मैं तो उसे नादाँ समझ रहा था,
"इसको पहनने से तुम्हारे इसका .. वो जो निकलता है ना ... वो अन्दर नहीं जायेगा... मुझे मालूम है..लड़के लडकी का पानी अन्दर जाकर मिलते हैं तो बच्चा होता है " कोमल मेरे लंड को पकड़ते हुए बोली, अब मुझे लगा जैसे मैं ही बेवक़ूफ़ हूँ और ये तो बहुत चालाक है , 



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