Tuesday, April 15, 2014

FUN-MAZA-MASTI लुच्चा मेरा मूँह बोला भाई--3

FUN-MAZA-MASTI

  लुच्चा मेरा मूँह बोला भाई--3

 गतान्क से आगे ............... 
अब मैं मेरी बेहन की तरह ही गोरी चिटी और सुंदर लड़की हूँ. जब भी बन ठन कर किसी शादी मे जाती हूँ तो मेरी उमर से छोटे लड़कों से लेकर मैने बूढ़े बूढ़े लोगों को नज़रों नज़रों में मेरे कपड़े उतारते महसूस किया है. हमारे सब रिश्तेदार तो यह भी कहते हैं के बड़ी छोटी से ज़्यादा सुशील ही नहीं बल्कि सुंदर भी है. अपनी सुंदरता छुपाने के लिए मैं जान बूझ कर चश्मा लगाती हूँ ता के लड़के मुझे तंग ना करे. पर फिर भी बहुत सारे लड़के मेरे साथ बात करने को उतावले रहते हैं. अरे एक दो बार तो कॉलेज जाते समय मुझे स्कूल के कुछ लड़कों ने भी बस में छेड़ा है. ऐसी पिटाई की थी मैने उन लड़कों की अबतक उस बस में सफ़र नहीं करते जिसमे मैं बैठी होती हूँ.खैर कपड़े बदलने के लिए मैने अपनी जीन्स का बटन और जीप खोली और उसे ज़ोर से खिच कर अपनी टाँगों से अलग किया तो शीशे मे देखा के टॉप और पॅंटी में मैं किसी हेरोइन से कम नहीं लग रही थी. मैने अपने बाल खोल कर कंधों पर छोड़ दिए. आए हाए! क्या मस्त लग रही थी मैं उस धीमे बल्ब की लाइट में. मैने अपना टॉप उतार कर फरश पर फेंक दिया और शीशे मैं अपने आप को देखते हुए अपनी ब्रा में क़ैद छातियों को अपने हाथों से उठा कर देखा और अपने हाथों से पता नहीं क्यों ज़रा सा सहलाया. मुझे थोड़ा अछा लग रहा था. मेरे दिमाग़ में पता नहीं क्या आया और मैं अपने बूब्स को नंगा देखने के लिए मैने अपनी ब्रा उतार दी. अपनी छाती के उमरडते उभारों को और उन पर लगे तने हुए निपल्स को देख कर मैं गर्व से भर गयी. फिर मैने अपनी पॅंटी उतारी और अपनी योनि को देखा. मैं अपने शरीर के सारे फालतू बाल वॅक्स करती हूँ, क्योंकि वो मुझे आछे नहीं लगते. सिर्फ़ मेरी योनि के बाल मैने कभी शेव या वॅक्स नहीं किए. मैं कुछ देर अपने शरीर को सहलाती रही, फिर अचानक याद आया के हमारा हरामी भाई भी मेरी बेहन से मिलने को बेताब हो रहा होगा, उसकी भी तो खबर 

लेनी बाकी थी. यह सोच कर मैने अपनी ब्रा और पॅंटी को पहना और अपना एलास्टिक वाला पिजामा और ज़िप वाला नाइट टॉप उठा कर पहनने लगी. फिर सोचा के क्यों ना यह देखा जाए के वो बुढ़ू मेरे शरीर को छू कर क्या पहचान पाएगा के मैं मेरी बेहन नहीं बलके मैं हूँ. पता नहीं कहाँ से यह ख़याल आया और मैने अपनी ब्रा और पॅंटी उतार दी और सिर्फ़ पिजामा और टॉप पहन लिया. फिर मैं अपने कमरे मे आई ता के लाइट बंद कर के मेरी बेहन के कमरे में जा सकूँ. फिर सोचा के कहीं मेरी योनि पर बाल पा कर वो समझ ना जाए के मैं मेरी बेहन नहीं हूँ. अब अंधेरे में मैने यह नहीं देखा था के मेरी बेहन नीचे से चिकनी है के नहीं. अगर शेव कर दूं तो भी कह सकती हूँ के आज ही की है पर अगर नहीं की तो वो बोलेगा के कल तो बाल नहीं थे आज ये घना जंगल कहाँ से आ गया. यह सोच कर मैने अपने कपड़े उतार कर बेड पर फेंके. पूरी नंगी हो कर, उस्तरा उठा कर बाथरूम मे योनि शेव करने गयी तो शेव करके मैने सोचा के मेरे तन से खुश्बू नहीं आ रही. क्यों ना नहा लिया जाए. तो मैं फटा फॅट नहा कर नंगी और गीली कमरे में वापिस आई और टवल से अपना बदन पोंछ कर मैने अपनी बॉडी पर अच्छा पर्फ्यूम लगाया और फिर से पाजामा और टॉप पहन लिया. पर यह सब मैं आख़िर क्यों कर रही थी? आख़िर मैं उसे कहाँ तक जाने देना चाहती थी? मुझे अब कुछ समझ नही आ रहा था. बस दिमाग़ में एक ही बात चल रही थी के वो कमरे में घुसते ही क्या करेगा? क्या मुझे किस करेगा? क्या वो मेरे कपड़े उतारेगा भी या उसे पहले ही पता चल जाएगा के मैं छोटी नहीं हूँ? नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता वो मेरे कपड़े ज़रूर उतारेगा, वो मेरी योनि ज़रूर चतेगा, और उससे बिल्कुल भी शक नहीं होगा. मेरा बदन बनावट में मेरी बेहन के जैसा ही है और हमारी आवाज़ भी काफ़ी मिलती है. बाकी मैं दबी आवाज़ में बात करूँगी ताकि उसे शक ना हो. मैं उसे पता भी नहीं चलने दूँगी के मैं मेरी बेहन नहीं हूँ. मैं आज उसे सबक सीखा कर ही रहूंगी. उफफफ्फ़! यह मुझे क्या हो रहा था. मेरा दिमाग़ अब साफ काम नहीं कर रहा था मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था. मैं सही ग़लत की पहचान भूल रही थी. मुझे घबराहट होने लगी. 

मैने फटा फॅट अपने कमरे की लाइट बंद की और मेरी बेहन के कमरे में चली गयी और उसका इंतेज़ार करने लगी. वो अब आया वो अब आया! यह सोच कर मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा. मेरी घबराहट बढ़ती जा रही थी. मेरा गला सुख रहा था. पर वो था के आने का नाम ही नहीं ले रहा था. जब एक घंटे तक वो नहीं आया तो मैं बेचैन होने लगी, मेरी घबराहट चली गयी और मुझे गुस्सा आने लगा. कमीना इंसान बचपन से हमे बेहन बुलाता और मानता रहा है. अब जवान क्या हुआ, हमारी ही जवानी लूटने लगा है. आने दो उसको मैं उसके आते ही उसको पहले ज़ोर से थप्पड़ मारूँगी और फिर चिल्ला कर अपने घरवालों को बुला लूँगी और उसे रंगे हाथों पकड़वाउन्गि और अपने घरवालों को सारी कहानी सुना दूँगी. मेरा गुस्सा वापिस आ गया था और हर पल के साथ बढ़ रहा था. जब वो फिर भी नहीं आया तो तंग आकर मैं अपनी बेहन का मोबाइल उठा लाई और उससे मेसेज किया, “कहाँ रह गये! आज आओगे भी या नहीं!”जवाब तुरंत आया. “मेरी जान बस तुम्हारे घर के बाहर ही हूँ. अभी दीवार फाँद कर आ रहा हूँ.” मेरी साँसें फिर से तेज़ हो गयी और दिल फिर से ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा. जैसे ही दरवाजे पर हल्की सी दस्तक हुई मैं बेड से उछल कर खड़ी हो गयी और भाग कर दरवाजा खोला. आज चाँद नहीं निकला था तो इस वजह से पूरा अंधेरा था. वो मुझे एकदम दरवाजा खुलने पर पहचान भी नहीं पाया और जल्दी से अंदर आ गया. उसके कमरे मैं घुसते ही मैं तपाक से उछल कर उसके गले से लिपट गयी और अपने होंठ सीधे उसके होंठों पर जमा दिए. उसने भी मुझे बाहों में कस कर भर लिया और मुझे गहरा किस करने लगा. उसकी ज़ुबान मेरे मुँह में लपलप चल रही थी और मेरी छाती उसकी मज़बूत पकड़ की वजह से उसकी छाती के साथ पीस गयी थी. एक पल के लिए मेरे होश उड़ 

गये. मेरे पावं हल्के हो गये मानो फर्श पर रखे ही ना हों. मेरी जिंदगी का यह पहला चुंबन था और इस चुंबन ने ही मेरे होश उड़ा दिए. मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था. वो बोला, ” अरे जान! क्या बात है आज बहुत मूड मे हो.”मैने अपनी आवाज़ दबा कर फुसफुसाते हुए कहा, ” बस अब कुछ ना कहो, और आज मेरी जवानी मसल के रख दो.” उफफफ्फ़! ये मुझे क्या हो गया था, मैं क्या बोल रही थी. मैं अपना सारा गुस्सा और अपनी शर्मो हया सब भूल चुकी थी. भूल चुकी थी के आज उसको घर बुलाने का मकसद क्या था.”क्या बात है इतनी दबी दबी आवाज़ में क्यों बात कर रही हो?” उसने पूछा.”वो इसलिए के कोई जाग ना जाए और मेरा गला वैसे भी खराब है,” मैने दबी सी आवाज़ में जवाब दिया और फिर पागलों की तरह उसे चूमने लगी. अब वो भी मस्त हो चुका था उसने भी मुझे ज़ोर से किस करना शुरू किया मेरे होंठ चूसने लगा, काटने लगा. मुझे उसने धकेल कर दीवार के साथ लगा दिया और मेरे हाथों की उंगलियों में उंगलियाँ डाल कर उन्हे दीवार के साथ चिपका दिया और मुझे पागलों की तरहा किस करने लगा, कभी होठों पर, कभी गले पर. मुझे आछे से चूस रहा था और बीच बीच में काट रहा था. उसने अपनी एक टाँग मेरी टाँगों के बीच धकेल दी और अपनी जांघों से मेरी योनि को रगड़ने लगा. मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हुआ और मेरे मुँह से सिसकी निकल गयी. उसने अब मेरे हाथों को छोड़ा तो मैं उससे लिपट गयी. पर उसने मुझे दीवार के साथ ही लगाए रखा. फिर उसने अपने एक हाथ से मेरे बूब्स को मसलना शुरू किया और दूसरे हाथ से मेरे पतले प्यज़ामे के कपड़े के उप्पर से ही मेरी योनि मसलनी शुरू कर दी. मैं मज़े के सातवें आसमान पर उड़ रही थी और मेरे मुँह से आहें निकल रही थी और वो मेरी गर्दन काट खा रहा था. फिर अचानक वो हुआ जो पहले कभी नहीं हुआ था. मेरा पेट एकदम से अकड़ने लगा और फिर एक दम कांप सा गया और मुझे लगा जैसे मेरे अंदर पानी बहने लगा हो. और साथ में मुझे पहले कभी ना महसूस हुए मज़े का एहसास हुआ. फिर उसने मेरे टॉप की ज़िप खोली और उससे कॉलर से पकड़ कर मेरी पीढ़ पर सरकाता हुआ उतारने लगा, और साथ में मेरी गर्दन और कंधों को चूमने और काटने लगा. मेरा टॉप उत्तर कर ज़मीन पर गिर गया. 

उसने झट से अपनी टी-शर्ट उतारी और मुझसे लिपट गया. पहली बार मेरी नंगी छाती ने क़िस्सी मर्द की नंगी छाती को छुआ था. मैं एक दम सातवें आसमान पर उड़ने लगी, मेरा दिल ज़ोर से धड़कने लगा. उसने मुझे फिर ठंडी दीवार के साथ चिपका दिया और मेरे बूब्स को एक एक कर चूसने लगा. एक बूब चूस्ता तो दूसरे के निपल को मुट्ठी में पकड़ कर मरोदता. मुझे दर्द और मज़े का एक साथ एह सास हो रहा था. बूब्स को चूस कर, फिर उन्हे काट कर, उसकी ज़ुबान मेरी नाभि तक पहुँची. उसने अपनी ज़ुबान को मेरी नाभि में घुमाया फिर मेरे पेट को किस किया. उसके दोनो हाथ मेरे बूब्स मसल रहे थे. उसके दोनो हाथ मेरे बूब्स को छोड़ मेरे शरीर के साइड्स को सहलाते हुए मेरी कमर पर मेरे प्यज़ामे के एलास्टिक पर जा टीके. उसके होठों ने मेरे पेट को चूमना बंद किया तो उसकी नाक मेरे पेट को रगड़ती हुई मेरे प्यज़ामे के एलास्टिक तक पहुँची. इस पर उसने अपने दोनो हाथों से मेरी कमर के साइड्स से मेरे प्यज़ामे को पकड़ा और उसे नीचे तक खींच दिया. अब मैं उसके सामने अंधेरे में पूरी नंगी हो गयी थी. मेरी बाईं टांग अपने आप ही घूम कर मेरी दाई टांग के आगे आ गयी, मानो शरमा के. उसने बड़े प्यार से अपने एक हाथ से मेरी टांग को साइड पे किया और अपनी ज़ुबान से मेरी योनि को चाटने लगा.”अरे जान आज तेरे बदन से बड़ी अच्छी खुश्बू आ रही है और तेरी चूत का स्वाद भी बड़ा अछा आ रहा है. क्या बात है?” उसने लुच्चे से शब्दों में पूछा. `चूत’, योनि के लिए ये शब्द मेरे लिए नया था. पर अब मेरा दिमाग़ इन बातों पे कहाँ ध्यान दे रहा था. उसकी ज़ुबान तो मानो मेरी योनि, मतलब चूत मे आग लगा रही थी. मैं मज़े से पागल हुए जा रही थी और मेरे मुँह से ठंडी आहें निकल रहीं थी.एक बार फिर मेरा पेट आकड़ा और फिर मेरे पेट में पानी की एक नदी बह निकली. “अरे 

जान आज तो तू बड़ी जल्दी ही दो बार झाड़ गयी. लगता है मेरी पर्फॉर्मेन्स आज कुछ ज़्यादा ही अछी है, या फिर तू ज़्यादा ही गरम?” मुझे चूमते हुए उसने कहा और झट से अपनी पॅंट उतार दी, और मेरे से लिपट गया. उसकी पाइप ने मेरे पेट को छुआ तो मुझे करेंट सा लगा. मैं कांप गयी और मैने अपने दोनो हाथों से उसकी पाइप को पकड़ लिया. रे बाबा रे बाबा! उसकी पाइप तो चूल्‍हे के जैसे गरम, लोहे के जैसे सखत और मोटे केले जैसे मोटी हो रखी थी. और तो और मेरे दोनों हाथों में भी मुश्किल से ही आ पा रही थी.”क्यों जान! मेरा लंड पकड़ कर क्या मिन्नते कर रही हो के तुम्हे जल्दी से बेड पर लेटा कर, तेरी चूत में इससे डाल कर, तुम्हे जल्दी से चोद दूं?” वो बोला.” हा.. हां!” मैने दबी से आवाज़ से कहा. इस पर उसने मुझे गोद में उठाया और बेड पर लिटाया, और खुद अपने भारी भरकम तकड़े शरीर को ले कर मेरे उपर लेट गया. पर मैं हैरान थी के मुझे उसके शरीर का तनिक भी भार महसूस नहीं हो रहा था. एक औरत क्या क्या उठा सकती है! उसने मुझे फिरसे चूमना और चूसना शुरू किया. मेरे होठों को, मेरे गले को, मेरे कंधों को, मेरे बूब्स को चूमा और चूसा. अपने हाथों से वो मेरे पूरे बदन को सहला रहा था. मेरी कमर की साइड्स से हाथों से मेरे शरीर को मसलता हुए, मेरी बाहों को सहलाता हुए, मेरे हाथों को पकड़ लिया और मुझे चूमने लगा. फिर अपने होठों को मेरे शरीर पर दौड़ते हुए एक बार फिर मेरी चूत चाटने लगा. उसके दोनों हाथ मेरी जांघों को सहला रहे थे. मैं एक बार फिर झड़ी तो उसने कहा, लंड के लिए तैयार हो मेरी जान!”. “हां हां जानू! प्लीज़ जल्दी करो!” मैने आवाज़ दबा कर कहा.तो यह लो!” कह कर उसने अपना लंड अपने हाथ में लिया और मेरी चूत के उपर रख दिया. फिर वो मेरे उपर लेटा मुझे किस किया और फिर उसने हल्का सा ज़ोर लगा कर अपना लॉरा मेरी चूत के अंदर घुस्साने की कोशिस की. पर कुँवारी चूत में लॉरा इतनी आसानी से कहाँ घुसने वाला था. जैसे ही लॉरा अंदर घुसने लगा मेरी चूत जैसे फटने लगी और एकदम से एक तीखा और बहुत तेज़ दर्द मुझे महसूस हुआ. उसने हल्का ज़ोर लगाया तो मेरा दर्द असहनीय हो गया. मैने अपनी आँखें बंद कर ली. मेरे मुँह से हल्की सी दर्द भरी चीख निकली पर मैने अपने होठों को कस कर दाँतों से दबा कर उसे कंट्रोल किया.”घबरा मत दीदी! सिर्फ़ कुछ देर ही दर्द होगा फिर आप को भी छोटी की तरहा मज़ा आने लगेगा,” 

उसके मुँह से यह बात सुनते ही मेरी आँखें खुल गयी, मेरे रोंगटे खड़े हो गये, मेरा शरीर ठंडा पड़ गया और मेरा दिल एक बार फिर ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा, जैसे फिरसे किसी ने मेरी चोरी पकड़ ली हो. मेरे मुँह से केवल एक ही आवाज़ निकली, “हां?” इस पर उसने अपने होठों से मेरे होठों पर किस किया और बोला, ” हां दीदी, बस थोड़ा सा ही दर्द होगा फिर आपको खूब मज़ा आएगा. पर चिलाएगा मत वरना हम दोनों फस जाएँगे.” “ओके!” मैं बोली. फिर उसने अपने होठों से मेरे होठों को कस कर सी लिया और पूरा ज़ोर लगा के अपना लॉरा मेरी चूत में धकेल दिया. मेरी चूत तो मानो फॅट ही गयी हो. दर्द के मारे मेरा मुँह लाल हो गया. मेरी आँखें बाहर निकल आई. मैं ज़ोर से चिल्लाना चाहती थी पर उस कम्बख़त के होठों की मजबूत पकड़ ने और घरवालों के डर ने एक हल्की सी सिसकी ही बाहर आने दी. फिर वो कुछ पल रुका, मेरा दर्द कम हुआ तो उसने अपना लॉरा बाहर निकालना शुरू किया. मेरा दर्द कम होने लगा, पर कम्बख़त ने लॉरा पूरा बाहर निकालने की बजाय फिर से अंदर धकेल दिया, और दर्द के मारे मेरी आँखों से नदियाँ बहने लगी. फिर वो ऐस्से ही बार बार अपना लॉरा मेरी चूत के अंदर बाहर करने लगा. उसकी बात सच थी. दो तीन मिनिट के बाद मेरा दर्द कम हो गया और मुझे भी मज़ा आने लगा. अब कमरे में छाप छाप की आवाज़ें गूँज रही थी, जैसे उसका लॉरा मेरी चूत से माखन निकाल रहा हो. ऐसे ही अंदर बाहर का सिलसिला पता नहीं कब तक चला पर मैं उस बीच नज़ाने कितनी बार झड़ी थी. फिर काफ़ी देर बाद वो थोड़ा स्लो हुआ फिर अचानक उसने कुछ ज़ोर के झटके दिए और फिर उसके लंड से मेरे 

पेट के अंदर मानो गरम पानी का फव्वारा छोड़ दिया. वो थक कर पसीने से लठ पथ मेरे पसीने से भरे शरीर पर निढाल हो गया. मेरी भी साँस फूल चुकी थी. कुछ देर दोनों ने साँस ली फिर उसने मुझे मेरे सर के पीछे से पकड़ कर मेरे होठों पर एक गहरा चुंबन दिया. फिर बोला, ” वाह दीदी! आज आपकी कुँवारी चूत को चोद कर बहुत मज़ा आया. वैसे एक बात कहूँ. आप अपनी बेहन से ज़्यादा खूबसूरत ही नहीं बलके ज़्यादा मज़ेदार भी हो.” यह कह कर उसने मुझे फिर किस किया और मेरे बूब्स को सहलाया. कुछ हिम्मत जुटा कर मैने उससे पूछा, ” पर भैया! आपको कैसे पता चला के ये मैं हूँ और छोटी नहीं?”"दर असल दीदी! मुझे शुरू से ही पता था के आप हो. आप की बेहन जब आप की मौसीजी के साथ जा रही थी तो मुझे रास्ते में मिली थी और उसने मुझे बता दिया था के वो आज रात आपकी नानी के घर सोने वाली है और उसका मोबाइल घर पर ही रह गया है. मैने तो ऐसे ही शरारत में मेसेज किया था. पर जब आपने जवाब भेजा तो मैने सोचा के आपको चोदने का इससे अच्छा मौका फिर कब मिलेगा. और अपनी प्यारी बड़ी दीदी को चोदने के लिए उनका यह भाई प्यार की डोरी से बँधा चला आया.”"पर ये सब अच्छा नहीं है!” मैं बोली.”किसे पता चलता है दीदी,” वो बोला. “बस आप जवानी के मज़े लो और हमें भी दो,” कह कर उसने मुझे फिर किस किया. 

सुबा होने वाली थी इसलिए वो फटा फॅट उठकर तैयार हो कर चला गया और में थॅकी मारी ऐसे ही नंगी ही सो गयी. अगले दिन जब दोपहर मैं उठी तो यह देख कर घबरा गयी के सारी चादर मेरे खून से लठ पथ पड़ी है. मैने बड़ी मुश्किल से मेरी बेहन के वापिस आने से पहले, अपनी मा से छुप कर चादर रगड़ रगड़ कर अपने बाथरूम में धोइ और बेहन के कमरे की चादर चेंज की. उसके कमरे से जली हुई तार जैसी जो स्मेल आ रही थी उसे दूर करने के लिए डीयोडरेंट छिड़का. खुद दो बार नहाई फिर भी मुझे अपने आप में से उसकी स्मेल आ रही थी. सारा दिन में बड़ी मुश्किल से हल्का हल्का लंगड़ा कर चल रही थी. पर इस सब चक्कर में मैं सबसे ज़रूरी चीज़ तो भूल ही गयी. वो गोली लेना जिसकी बात मेरी बहेन कर रही थी. कुछ दिनों बाद मेरी काली करतूतों का भंडा फूट गया. मजबूरी में घरवालों को सब सच बताना पड़ा. तो बदनामी से बचने के लिए मेरे घरवालों ने मुझसे उमर में छोटे मेरे ही धरम भाई के साथ सब नियतियाँ भुला कर शादी कर दी. अब वो मेरे और मेरी बेहन के भाई के बजाए मेरा घरवाला और मेरी बेहन का जीजा बन गया. वैसे सच बोलूं तो मेरी बेहन उसकी रंडी बन गयी. और सब रिश्ते बदल गये. दोस्तो इस इंसानी जीवन मे पता नही कब हालात बदल जाए पता नही अक्सर जो हम सोचते हैं उसके विपरीत हालात हो जाते है इसी लिए तो कहते की जवानी दीवानी होती है पता नही कितनी बार इंसान खेल जाता है कामुक खेल जवानी का 
दोस्तो ये कहानी यही ख़तम होती है फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ आपका दोस्त राज शर्मा 
समाप्त



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