Sunday, April 6, 2014

FUN-MAZA-MASTI मैं, लीना और चाचा-चाची--3

FUN-MAZA-MASTI

 
मैं, लीना और चाचा-चाची--3

gataank se aage............
मैं बिस्तर पर चित लेट गया. चाची मेरे ऊपर चढ़ गयीं. अंधेरे में मुझे महसूस हुआ कि उनकी मोटी मोटी टांगें मेरे सिर के दोनों ओर आ गयी हैं. फ़िर वे नीचे बैठ गयीं, गीले चिपचिपे मांस ने मेरा मुंह ढक लिया. उनकी चूत इतनी बड़ी थी कि उसने मेरे चेहरे का पूरा निचला भाग अपने में समा लिया. वे चूत रगड़कर बोलीं "अब फ़िर से चूस, बहुत अच्छा लगता है रे जब तू चूसता है, तब तक मैं देखती हूं कि तेरा स्वाद कैसा है."

मैं उनके मोटे मोटे चूतड पकड़कर उनकी बुर पर पिल पड़ा. वहां मुझे महसूस हुआ कि मेरा लंड किसी गरम गीली गुफ़ा में घुस गया हो. चाची उसे मुंह में ले कर चूस रही थीं.

चाची का अस्सी किलो वजन मेरे ऊपर था पर मेरी मस्ती में मैं आराम से उसे सह रहा था. बीच में चाची अपनी बुर थोड़ी उठा लेतीं और मैं गर्दन लंबी करके जीभ से लपालप चाटता. फ़िर वे पूरा वजन देकर मेरे मुंह पर बैठ जातीं और मेरी मुंह उनकी बुर में समा जाता.

थोड़ी देर में मैं झड़ गया. चाची ने मेरा वीर्य पूरा निगल लिया. झड़ने के बाद मैं थोड़ा लस्त हो गया, चाची की बुर चूसना बंद कर दिया. चाची बोलीं "वा मेरे राजा, अपना काम हो गया तो चूसना बंद कर दिया? अरे ये बुर आज तेरी खातिर रस छोड़ रही है, पूरा पी जा. चल जीभ चला जल्दी जल्दी"

मैं फ़िर चूसने लगा. चाची मेरे मुंह पर कस के बुर रगड़ रही थीं. उनका क्लिट मेरे होंठों पर किसी चिकने पत्थर जैसा लग रहा था. उन्होंने मेरे लंड को चूसना जारी रखा. मैंने कुलबुला कर लंड मुंह से निकालने की कोशिश की तो चाची ने उसे हौले हौले चबाना शुरू कर दिया. फ़िर बोलीं "अब नखरे करेगा तो चबा कर खा जाऊंगी, सच कहती हूं, चुपचाप मुंह चलाता रह और मुझे अपने मन की करने दे"

थोड़ी देर में मुझे फ़िर अच्छा लगने लगा और मैं कमर उचका कर चाची का मुंह चोदने की कोशिश करते हुए चाची के भगोष्ठ मुंह में लेकर चूसने लगा. चाची फ़िर भलभला कर मेरे मुंह में झड़ गयीं.

थोड़ी देर के बाद वे लुढ़क कर अलग हो गयीं "हां ... अब कुछ तसल्ली मिली ... मैं तो परेशान हो गयी थी .... बड़े प्यार से चूसता है तू अनिल, बहू तो खुश होगी तुझपर? अब मेरे ऊपर आ जा और अपनी प्यास बुझा ले"

मैं अंधेरे में चाची के ऊपर फ़िर चढ़ा तो समझ में आया कि वे पट लेटी हुई थीं. मेरा सुपाड़ा उनके गुदाज चूतड़ों के बीच घिस रहा था.

"चाची .... गांड मार लूं?"

"तो मैं क्या फ़ालतू पट लेटी हूं नालायक? चल मार जल्दी. तू भी तो अपने चाचाजी का ही भतीजा है, गांड के चक्कर में रहता होगा, है ना? इसलिये सोचा कि आज बिन मांगे तेरी मुराद पूरी कर दूं"

मैंने लंड पेल दिया. पक्क से पूरा लंड चाची की गांड में समा गया, एकदम ढीली और नरम गांड थी.

"चाची ये तो ऐसे घुस गया हो कि जैसे गांड नहीं चूत हो" मैंने कहा और लंड अंदर बाहर करने लगा.

"अरे तेरे चाचा हैं ना गांड के पुजारी. पहले चोद चोद के मेरी चूत का भोसड़ा बना दिया, फ़िर गांड की पूजा कर कर के मेरी गांड भी चूत जैसे खोल दी. चल मार, आज कल मुझे भी चस्का लग गया है गांड मराने का" कहकर चाची चूतड़ हिलाने लगीं. मेरे हाथ उठाकर उन्होंने अपने बदन के नीचे कर लिय "मम्मे दबा ना. मम्मे दबा दबा कर मारी जाती है गांड"

चाची के मोटे मोटे मम्मे दबाता हुआ मैं उनकी गांड चोदने लगा.
"तूने बताया नहीं कि बहू के साथ क्या करता है, तू जिस तरह से चूसता है, वो तो बेहद खुश होगी तेरे पर?"

"हां चाची, बड़ा प्यारा रस है उसकी बुर का, एकदम शहद है, आप जैसा ही. पर चाची, महा चुदैल है, चुदाने की प्यास ही नहीं बुझती, इसलिये तो चाचाजी के लंड से चुदाने को मरी जा रही थी. आज जब मेरे सामने चुदी तो थोड़ी शांत हुई. वैसे आज शायद चाचाजी से रात भर चुदवायेगी वो"

"अरे तेरे चाचाजी पूरा ठंडा कर देंगे उसको, बड़ा जानदार लंड है उनका, तूने देखा ही है. पर ये बता, चुदा चुदा कर उसकी चूत फ़ुकला नहीं हुई अब तक? नहीं हुई तो अब हो जायेगी, तेरे चाचाजी तो भोसड़ा बना देंगे उसका मेरी तरह"

"बड़ा खयाल भी रखती है चाची अपनी बुर का. योगासन करती है, रोज बर्फ़ से सेकती है अंदर से कि टाइट रहे"

"तू गांड भी मारता है क्या बहू की?" चाचीजी ने कमर हिलाते हुए पूछा.

"हां चाची, कभी कभी मारता हूं ... जब वो मारने दे ... पर वो तो चुदाती ज्यादा है ....ओह चाची ... आप की गांड बहुत मीठी है ... कैसे मेरे लंड को पुचकार रही है"

"अरे तूने इतना सुख दिया है, उसका बदला चुका रही है. वैसे तेरे चाचाजी उसकी गांड मारने के लिये मरे जा रहे होंगे"

"वो घास नहीं डालेगी चाची, मराती वो सिर्फ़ मुझसे है, हां चुदवा लेती है किसी से भी. मालूम है चाची, मेरे कई दोस्तों से चुदवा चुकी है. पिछले साल हम घूमने गये थे तब होटल का वेटर पसंद आ गया था, उसी से चुदवा लिया. उसके पहले जब हम हनीमून पर गये थे तो हमारे बाजू के कमरे में एक दूसरा जोड़ा था, उस मर्द से चुदवा लिया सुहागरात के दिन"

"और तूने भी तो चोदा होगा उसकी औरत को. और जब वो चुदवाती है तेरे दोस्तों से, तो तू भी चोदता होगा उनकी बीवियों को?"

"हां चाची, मेरा बड़ा खयाल रखती है. जब वो वेटर से चुदवा रही थी तो वेटर से कह कर उसकी बहन को बुला लिया था लीना ने, वहीं होटल में नौकरानी थी. एक पलंग पर वो वेटर मेरी बीवी को चोद रहा था और दूसरे पलंग पर मैं उस वेटर की बहन की बुर खोल रहा था. बहुत प्यार करते हैं हम एक दूसरे से चाची, और खूब चुदाई करते हैं"

"लीना की बुर कैसी है रे? उसकी चुदाई के किस्से सुन सुन कर मेरे मुंह में भी पानी आ रहा है." चाची एक गहरी सांस लेकर बोलीं.

"चाची, आप खुद देख लेना, वो काफ़ी शौकीन है, औरतों से भी इश्क कर लेती है, आप को भी पसंद करती है, कह रही थी कि चाची का बदन कैसा मस्त है, खोवे का गोला है गोला"

"अरे उसे कह कि चख के देख ये खोवा, खुश हो जायेगी. तेरे चाचाजी के लंड से कम नहीं है मेरी चूत"

"चाची, चाचाजी का लंड वाकई बड़ा मस्त है, जब लीना की बुर में जा रहा था, मेरा मन हुआ कि अरे मैं लड़की होती और लीना की जगह होता तो क्या मजा आता" मैंने कह डाला, सोचा देखें चाची क्या कहती हैं.

"अरे उनका है ही ऐसा, कोई भी दीवाना हो जाये, वैसे क्या फ़रक पड़ता है कि तू लड़की नहीं है, तू भी मजा ले ले, चाचाजी तेरे को मना नहीं करेंगे, अरे तू तो घर का है और तेरी भी तारीफ़ कर रहे थे, बोले बहुत प्यारा जोड़ी है अनिल और लीना की, लीना सुंदर है तो अनिल भी कम नहीं है, लड़की होता तो बहुत सुंदर दिखता अपना अनिल भी. ऐसा कर, कल ही कह के तो देख चाचाजी से, मैं भी साथ दूंगी तेरा, मुझे भी तो बहू चाहिये, जब तक मैं बहू के लाड़ करूं, तू चाचाजी से अपने लाड़ करवा ले, बल्कि मैं तो कहूंगी कि कहने सुनने के चक्कर में न पड़, सीधे जाकर उनका लंड पकड़ ले"

"सच चाची? आप ने तो मेरे दिल की बात कह दी .... चाची .... ओह चाची ..... "कहकर मैं झड़ गया.

"मजा आया ना बेटे? अब सो जा. आज ही सब जोश ठंडा न कर, कल के लिये बचा के रख" चाची ने मुझे सीने से लगा लिया और थपथपा कर छोटे बच्चे जैसे सुला दिया.

सुबह सब देर से उठे. मैं चाची के कमरे के बाहर आया तो लीना भी जाग गयी थी, चाय बना रही थी. जब चाय लेकर मेरे पास आयी तो पैर फ़ुतरा कर चल रही थी.

"क्यों रानी, बना दिया भुरता चाचाजी ने तेरी चूत का? हो गयी तसल्ली?" मैंने उसे चूम के कहा.

"हां डार्लिंग, बहुत दिनों में मेरी चूत को किसीने ऐसे धुना है. लाजवाब चीज है चाचाजी का लंड, मैंने तो रात भर नहीं छोड़ा उनको, अभी उठने के पहले एक बार और चुदवा कर आयी हूं. ये देखो" लीना ने गाउन उठाकर चूत दिखायी. चुद चुद कर लीना की बुर लाल हो गयी थी और पपोटे सूज कर गुलाबे की कली से लग रहे थे. चूत में से सफ़ेद सफ़ेद वीर्य टपक रहा था.

मैं तुरंत उठा और लीना के सामने बैठ कर उसकी बुर चाट डाली. लीना बोली. "मेरा शुक्रिया अदा करो, तुम्हारे लिये ले कर आयी हूं ये मलाई. अब तुम कहो, तुम मुंह मार आये चाची के बदन में? मजा आया?"

"अरे चाची याने मैदे का गोला है, खोवा है खोवा. और तेरी भी आशिक है, कह रही थीं कि बहू को कह कि इस खोवे को चख के देख जरा"

"हां, मेरा भी मन हो रहा है. आज क्या प्रोग्राम है?"

"चाचा चाची आज जा रहे हैं दिन भर के लिये चाची के मायके. रात में वापस आयेंगे, दोपहर को हम भी आराम कर लेते हैं, फ़िर ऐसा करेंगे कि आज रात दोनों मिलकर चाचा चाची की सेवा करेंगे, ठीक है ना?

"हां ठीक है, मैं जानती हूं कि तुम भी मरे जा रहे हो चाचाजी के गन्ने का रस चखने को. ऐसा करो, आज मरवा भी लो" लीना शैतानी से बोली.

"अरे नहीं, मैं तो चूसूंगा भर, गांड फ़ड़वानी है क्या" मैंने लहा.

"पर देखो, तुम्हारा तंबू बन गया फ़िर से लंड की बात सुन कर. आज तो मरवा ही लो. नहीं मरवाओगे तो मैं झगड़ा कर लूंगी. मेरी कसम" लीना बोली.

"तुम अच्छी पीछे पड गयी मेरी गांड के, तुमको क्या मजा आयेगा चाचाजी मेरी गांड चौड़ी करेंगे तो?"

"तुम नहीं जानते, मेरे सामने कोई मेरे मर्द को चोदे तो मुझे बहुत मजा आयेगा. और झूट मत बोलो, वहां उस दिन रोहित और मीनल के साथ हम थे और रोहित ने तुम्हारी गांड मारी थी तो कैसे गुनगुना रहे थे"

"अरे वो तुम और मीनल पीछे पड़ गयी थीं कि जब हम दोनों औरतें आपस में कर सकती हैं तो तुम मर्द क्यों नहीं करके दिखाते. इसलिये मरवा ली थी मैंने. और अजीब बात करती हो, मैं क्या खुद चाचाजी से कहूं कि मेरी गांड मार लीजिये चाचाजी, वो रोहित से तो शर्त शर्त में मरवा ली थी मैंने"

"पर कैसे चहक रहे थे जब रोहित तुम्हारी गांड में लंड पेल रहा था. आह आह कर रहे थे और कमर हिला हिला कर मरवा रहे थे. और रोहित का तो तुमसे भी छोटा है. उससे इतना मजा आया तुमको तो चाचाजी का लंड तो तुमको जन्नत की सैर करवा देगा. आज ले ही लो चाचाजी का, मेरी कसम. मैं चक्कर चला दूंगी आज चाचाजी से तुम्हारे बारे में कह के, तुम्हें शरमाने की जरूरत नहीं है. कल मेरी गांड मारने को मरे जा रहे थे पर मैंने घास नहीं डाली, उनको कहा कि गांड के लिये कल का इंतजार करो. ये नहीं बताया कि किसकी गांड."

मैंने आखिर हां कर दी. लीना मेरे मन की बात ताड़ गयी थी, उससे कुछ नहीं छुपता.

रात को चाचा चाची वापस आये और नहाने को चले गये. खाना वे खाकर आये थे.

मौसी ने नहाने जाने के पहले लीना से कुछ बातें कीं. लीना मुस्कराने लगी.

चाचाजी नहाने जाते वक्त लीना से बोले. "क्यों बहू, आज भी कुछ सेवा करेगी अपने चाचाजी की? कल रात तो तूने मुझे एकदम खुश कर दिया."

"खुश तो आप ने मुझे किया चाचाजी. आप नहाइये, मैं आती हूं आप के कमरे में" लीना बोली.

लीना हमारे बेडरूम में गयी तो मैं भी पीछे पीछे हो लिया. अंदर लीना कपड़े उतार रही थी. जब ब्रा और पैंटी बची तो वो अपने बाल संवारने लगी.

"नंगी नहीं होगी क्या आज रानी?"

"नहीं, ऐसे ही जाऊंगी, जरा चाचाजी को तरसाऊंगी. तुम कपड़े निकालो और दरवाजे पे खड़े रहो, जब मैं बुलाऊं तो आना. आज चाचाजी से अपने भतीजे के लाड़ मैं करवा के रहूंगी"

"और चाची?"

"अरे तुम तो चलो, चाची आ जायेंगीं. उन्होंने ही कहा मुझे कि अनिल को जरा मिलवा दे चाचाजी से, नहीं तो शरमाता रहेगा"

लीना चाचाजी के कमरे में गयी, मैं बाहर खड़ा होकर कीहोल में से देखने लगा.

चाचाजी नहा कर ताजे तवाने होकर आराम कुरसी में नंगे बैठे थे और लंड से खेल रहे थे. लंड पूरा खड़ा था, देख कर मेरे मुंह में पानी भर आया, गांड में अजीब से गुदगुदी होने लगी.

"आओ बहू, तुम्हारी ही राह देख रहा था. क्या दिख रही हो ब्रा और पैंटी में, लगता है पकड़ के यहीं पटक दूं और चोद डालूं" चाचाजी मस्ती से बोले.

"वो तो करना ही है चाचाजी पर आप बहुत जल्दी करते हैं, आप आराम से बैठो और मुझे जरा आप के लंड की ठीक से पूजा करने दो, कल जल्दी जल्दी में ठीक से इससे खेल भी नहीं पायी"

"अजीब लड़की हो, रात भर चुदवाया और कहती हो कि ..."

"पर खेला कहां चाचाजी? मेरा मतलब है कि ऐसे" लीना चाचाजी के सामने बैठ कर उनके लंड को चूमने लगी. उससे तरह तरह के खेल करने लगी. कभी जीभ से चाटती, कभी चूसती, कभी अपनी ब्रा के कपों के बाच पकड़कर अपने चूचियों से चोदने लगती.

"आह ... क्या मजा आ रहा है बहू ... देख ये और खड़ा हो जायेगा ... फ़िर आज तेरी चूत जरूर चीर देगा .... कल तो तू बच गयी .... आह ... कितने प्यार से चूसती है बहू ... बड़ी दीवानी हो गयी है मेरे लंड की"

"चाचाजी, सिर्फ़ मैं ही दीवानी नहीं हूं आप के इस मूसल की. कोई और भी है. आप का लंड तो ऐसा है कि कोई भी पागल हो जाये इसपे" लीना अपने गालों पर उनके सुपाड़े को रगड़ते हुए बोली.

"कौन है बेटी, चाहिये तो उसे भी बुला ला. अरे मेरा लंड तो बना ही है तेरे जैसी छिनाल चुदैलों के लिये" चाचाजी लीना की पीठ पर हाथ फ़िराते हुए बोले. फ़िर उसकी ब्रा की डोरी से खेलने लगे. "ले आ उसे भी, खुश कर दूंगा उसको भी, तेरी सहेली है क्या कोई? या पड़ोस वाली? पर उसने कहां देखा मेरा लंड?"

"नहीं चाचाजी, यहीं घर में है. मैंने उससे कहा भी कि शरमाने की क्या बात है, पर वो झिझक रहा था, बोल रहा था आप न जाने क्या सोचें. कल इसीलिये तो रुका था कि आप के लंड को देख ले, आप मुझको चोद रहे थे और मजा उसको आ रहा था." लीना बोली.

"अरे ... तू अनिल बेटे की बात कर रही है क्या?" चाचाजी बोले. फ़िर मुस्करा कर बोले "अरे बुला ले ना उसको, अजीब लड़का है, अरे घर की बात है, मैं उसको ना थोड़े ही करूंगा. अच्छा खासा लौंडा है, चिकना भी है. कल हमारी चुदाई देख देख कर सड़का लगा रहा था. याने मेरे लंड को देखकर मस्त हो रहा था वो बदमाश. लंडों का शौकीन है क्या? "

"सब लंडों का नहीं चाचाजी, बस आप जैसे खास लंडों का. बोल रहा था कि लीना रानी, चाचाजी तुझे चोद रहे थे तब ऐसा लग रहा था कि काश मैं भी लड़की होता. आप ने देखा नहीं कैसे लपालप मेरी बुर में से आपकी मलाई चाट रहा था" लीना बोली और अपने ब्रा के कपों में लंड पकड़कर घिसने लगी.

"अरी बुला ना उसको, उसे भी मजा कर लेने दे. इस लंड से तुम दोनों मिया बीवी को सुख मिले इससे ज्यादा खुशी की बात क्या हो सकती है मेरे लिये" चाचाजी बोले.

"अनिल राजा, आ जाओ, मत शरमाओ, मैं कह रही थी ना कि चाचाजी तुमको भी उतना ही प्यार करते हैं" लीना चिल्लाई. मैंने चेहरे पर झूट मूट का शर्मिंदगी का भाव लाया और अंदर आ कर लीना के पास बैठ गया. नीचे देखते हुए मैंने चाचाजी का लंड पकड़ा और सहलाने लगा.

"अनिल, पहले आ और मेरे पास बैठ. ये क्या बात हुई, तू मुझे पराया समझता है क्या? अरे कल ही कह देता, मैं तुझे भी खुश कर देता, बदमाश कहीं का. शरमा क्यों रहा है? तेरे चाचाजी की हर चीज तेरी है" चाचाजी मेरा कान पकड़कर उठाते हुए बोले. उनकी बांछें खिल गयी थीं.

मैं उठकर नीचे देखता हुआ उनके पास बैठ गया. चाचाजी ने मुझे पास खींच लिया "वैसे लौंडा तू बड़ा चिकना है. मैं भी तेरी चाची से कह रहा था कि अनिल लड़की होता तो बहुत मस्त दिखता" उन्होंने एक हाथ में मेरा लंड पकड़ लिया था. "लंड तेरा भी मस्त है, एकदम कड़क है"

"आप का लंड तो पूजा करने लायक है रजत चाचा. क्या मस्त सोंटा है, रसीला गन्ना है गन्ना, चूस लेने को जी करता है" मैं उनसे लिपट कर बोला.

"तो चूस ले मेरी जान, मैं कहां मना करता हूं. पर पहले एक चुम्मा दे" कहकर उन्होंने मेरे होंठों पर होंठ रख दिये और चूमने लगे. एक हाथ से वे मेरी पीठ सहला रहे थे. मैंने कुछ देर उनको अपने होंठ चूमने दिये, फ़िर उनके गले में बाहें डाल कर उनको जोर जोर से चूमने लगा. धीरे धीरे उनका हाथ मेरी पीठ पर से नीचे खिसककर मेरे चूतड़ सहलाने लगा. लीना नीचे बैठ कर देख रही थी, मुझे आंख मार दी, इशारा कर रही थी कि लो, चाचाजी भी रीझ गये हैं तेरे पर.

"चाचाजी .... अब चूसने दीजिये ना ... मुंह में लेकर गन्ने जैसा चूसूंगा मैं" मैंने चुंबन तोड़ कर चाचाजी से लिपट कर कहा.

"मजा आ रहा है अनिल, तेरा चुम्मा बहू जैसा ही मीठा है पर ठीक है, बाद में फ़ुरसत से तुझसे प्यार मुहब्बत की बातें करूंगा, ले, लंड चूस ले मेरा, लीना देखो कैसे पिली पड़ रही है, खा ही जायेगी जैसे" चाचाजी बोले.
kramashah...............






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