Tuesday, April 15, 2014

FUN-MAZA-MASTI वीरान हवेली --पार्ट-3

FUN-MAZA-MASTI


वीरान हवेली --पार्ट-3
 



अचानक रूपाली को गन्दी सी बदबू आई . आँख खोली तो देखा ठीक नाक के नीचे एक बहुत ही बदबूदार लंड , उसके खूबसूरत मुंह में घुसने की कोशिश कर रहा है …….बिलबिलाते हुए रूपाली बोली ,"भगवान् के लिए , ये मत करो सत्तू काका …..आप नीचे कर लो ….." सत्तू चिल्लाया ,"मुंह खोल रंडी ………"…..जल्दी ही पेशाब , पसीने से मिली जुली सडांध वाला काला लंड रूपाली के खूबसूरत गोरे मुंह में था …….उलटी आने को हुई , मगर रूपाली के गले में घुट कर रह गयी …….बदबू से ध्यान हटाने की कोशिश करने के लिए रूपाली ने नीचे की सनसनाहट की और ध्यान केन्द्रित किया ……..

रूपाली को चूत की सनसनाहट आच्छी लग रही थी . कालू की जीभ मोटी थी और वो बड़े करीने से उसकी गुलाबी - गोरी चूत को चूस रहा था ……जानवरों जैसी जीभ होने की वज़ह से उस जीभ की खुरदुराहट , जितनी बार रूपाली के दाने को छू जाती , उसकी सिसकारी सी छूट जाती . मुंह में बदबूदार , पसीने से चिपचिपा काला लंड था और उबकाई , नफरत और बेबसी के मरे रूपाली की खूबसूरत आँखों से आंसू छलछला उठे .

आहत हिरनी की तरह , किसी तरह रूपाली ने नज़रें घुमाई तो देखा नंगी कमला उसकी और एकटक देख रही है . पूरी नंगी कमला की बगल में काला मोतिया नंगा लेटा हुआ था और भूखे भेडिये की तरह रूपाली की चुदाई देख रहा था . शायद रूपाली की मजबूरी उसके अन्दर के शैतान को और जगा रही थी ….इसलिए , वो रह रहकर , कमला की कसी हुई छातियों को बीच बीच में ज़ोरों से मसल देता था ……हर बार उसकी कल्पना में रूपाली के गोरे स्तन आते थे जो दर -असल इस वक़्त , दो मजबूर कबूतरों की तरह सत्तू के लटके हुए , काले tatton के नीचे तड़प रहे थे .


सत्तू अपना बदबूदार लंड रूपाली के मुंह में अन्दर बाहर कर रहा था . चमार लौड़ा आज़ादी से मनमानी कर रहा था और ठकुराइन का खानदानी मुंह , इस दबंग लौड़े की मनमानी सहने को मजबूर था …..मुंह से भी गप्प -गप्प -गप्प -गप्प गुं-गुं की आवाजें आ रही थी . रूपाली इस लंड से निकला कुच्छ भी गले के अन्दर नहीं उतरने देना चाहती थी और इसलिए ढेरों थूक उगल रही थी . ढेर सारा थूक होने की वज़ह से सत्तू का बदबूदार लौड़ा ऐसी चिकनाई महसूस कर रहा था जैसी उसनी ना कभी अपनी पत्नी पुत्ती की चूत में महसूस की थी और ना कभी शहर की सस्ती रंडियों में . कभी कभी सत्तू अपने दोस्तों के साथ शहर की सस्ती रंदिया भी चोद लिया करता था , जैसा की गाँव के लोग अक्सर करते हैं जब वो बड़े शहरों में अनाज बेचने या खाद -बीज खरीदने जाते हैं .

सत्तू वहशियों की तरह रूपाली का मुंह चोद रहा था . कालू ने रूपाली की जाँघों के बीच में मुंह फंसा रखा था और चूत से रिसती हुई हर बूँद को ऐसे पी रहा था मानो देवता समुद्र मंथन से निकले अमृत को पी गए थे . फर्क सिर्फ ये था , की कालू कोई देवता नहीं , एक राक्षस था ……और रूपाली की विडम्बना यह थी की इस दुष्ट राक्षस का गला काटने के लिए कोई देवता धरती पे नहीं आ रहा था .
अचानक सत्तू ने थूक से अपने दोनों चूचक (nipples) खूब गीले किये और रूपाली के दोनों हाथ उठाकर ,उसके अंगूठों और पहली ऊँगली के बीच अपने निप्पल पकड़ा दिए . मजबूरी में रूपाली उसका बदबूदार , मोटा लंड चूसते चूसते उसके चूचाको को धीरे धीरे मसलने लगी !रुपाली ने सोच लिया था की इससे सत्तू का जल्दी पानी छुट जायेगा और उसे चूसने से निजात मिल जाएगी ! इसलिए वो उसके चुचक कोर जोर से मसल रही थी ,उमेठ रही थी !सत्तू मानो स्वर्ग में था . अपने चूचकों से उसको सनसनाहट महसूस हो रही थी …..काला लंड मोटा होते होते , अपनी पराकाष्ठ पे था और रूपाली को गले के अन्दर तक चोद रहा था …….कालू की खुरदरी जीभ रूपाली की चूत के अन्दर सांप की तरह बिलबिला रही थी ……अचानक रूपाली को नीचे एक तेज़ सनसनाहट महसूस हुई और उसने कई झटको में कालू की जीभ में ढेर सारा शहद छोड़ दिया !

रूपाली छूट चुकी थी . लेकिन सत्तू ने उसके बाल पकड़ रखे थे और उसके मुंह को झटके दे देके वो उसका मुंह लगातार चोद रहा था …..रूपाली की उंगलियाँ लगातार उसके चूचकों से खेलने को मजबूर थी ……..रूपाली ने उसके चूचकों को ज़रा जोर से मसल क्या दिया , एक ज़ोरदार झटका ले के सत्तू ने बहुत ही मोटा , गाढ़ा और बहुत सारा सफ़ेद वीर्य , रूपाली के ठाकुर गले में उतार दिया !

फुच्च्छ्ह …….फुच्चछ्ह्ह्ह …..फुच्च्चछ्ह्ह्ह ……के आवाज़ और कमीने ने रूपाली का सर इतनी जोर से अपनी जाँघों के बीच में भींच लिया की वो बेचारी सांस तक लेने को ऐसी मजबूर हुई की मुंह से सांस खींचनी पड़ी और चमार की एक एक बूँद रूपाली के शानदार ठाकुर गले से होती हुई पेट (stomach) के अन्दर चली गयी ! 
पूरे 2 मिनिट ज़बरन उसे भींचे रखा सत्तू ने और जब रूपाली का सर आज़ाद किया , तो वोह जोरो से खांसने लगी . लम्बे खुले बाल , गुलाबी रंग का मजबूर , खूबसूरत चेहरा और आँखों से झर झर गिरते मोतियों जैसे आंसू ………….कमीने सत्तू ने जैसे ही उसका चेहरा देखा , जोरो से हंसने लगा और बोला ,"पंचायत में ज़रूर बताई …..की नासपीटा सत्तू हमरे मुख में लवड़ा दिए रहा हमरे ….हाहाहा हहहः हाहा ." कालू जो अब तक रूपाली की चूत चाट रहा था , धीरे से सरक के उठ बैठा और रूपाली का बायाँ मम्मा सहलाते हुए वोह भी हंसने लगा !


यह सब देखते देखते मोतिया फिर से गरम हो चूका था . वोह लगातार सांवली कमला की कसी हुई चूत , जिसका किला वोह थोड़ी ही देर पहले ध्वस्त कर चूका था , सहला रहा था . कभी छूट में ऊँगली घुसा घुसा के मज़े लेता था और कभी उसकी चूत के दाने को मरोड़ने लगता . कमला कसमसाते हुए सिस्कारियां ले रही थी . अचानक मोतिया एक झटके से उठा और कालू से बोला ,"ठकुराइन की चूत काफी चूस चुके तुम मादरचोद ….अभी तुम कमला रानी का मजा भी लई लो ….मोउकू ठकुराइन का जायजा लेने दो भाई ." कालू बड़े अनमने मन से उठा . सच बात यह थी की उसने सिर्फ एक बार एक सस्ती नेपाली रंडी को छोड़ा था जो गोरी थी . उस जैसे बदसूरत , कलूटे चमार को गोरी ठकुराइन के दर्शन मात्र दुर्लभ थे और यहाँ वोह उनकी चूत 1 घंटे से चाट रहा था . राक्षस जैसा कालू मजबूरी में उठा , कमला की बगल में लेटा और उसकी चूत में बेरहमी से 1 ऊँगली पूरी घुसाते हुए उसके होंटों को जोर से चूसने लगा .चांदनी रात थी और शायद पूरण -मासी से 1 दिन पहले का चाँद था . रूपाली का गोरा नंगा बदन मानो दूध में नहाया हुआ दिख रहा था और मोतिया और सत्तू उसको ऐसे खरोंचे मार रहे थे मानो शैतान चीतों के हाथ एक मजबूर हिरनी लग गयी हो और वोह मारने से पहले , उसको नोच -खसोट रहे हों . 

मोतिया ने अपना मोटा लंड उसके होंठों के बीच में लगाया और मजबूर , नाकाम कोशिश को अनदेखा करते हुए , रूपाली के सुन्दर मुंह में अपना लंड घुसा दिया और अन्दर बाहर करने लगा . सत्तू ने रूपाली का हाथ पकड़ा और उसमें अपना लौड़ा थमा दिया . मजबूरी में रूपाली सत्तू का बदबूदार लंड , जिसको वोह कुच्छ ही देर पहले चूस चुकी थी , हिलाने सहलाने लगी . मोतिया ने घपाघप उसके मुंह को थोड़ी देर चोदा और रूपाली की आँखें फटने को आ रही थी . अचानक , मोतिया ने अपना लंड रूपाली के मुंह से खींच के निकाल लिया , तीर की तरह नीचे सरका और घचाकक्क्क्कक्क्क्कक से अपना मोटा लंड रूपाली की चूत में गुसा दिया . "आआआआआआ ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह……..", रूपाली की घुटी सी चीख निकली और मोतिया उसको जानवर की तरह गपागप चोदने लगा . चमार मोतिया चोद रहा था ……शानदार ठकुराइन , मजबूरी और लाचारी में चुद रही थी ….और सत्तू चमार बेचारी से अपना बदबूदार लंड मसलवा रहा था , सहलवा रहा था ….सत्तू का लंड भी फिर से उफान प् आ रहा था ! जो झटके से बार बार रुपाली के हाथ से छिटक रहा था जिसे वो बार बार अपने हाथ को लम्बा कर उसे में पकड़ रही थी !


कालू इतना सब देख कर अपना आप खो बैठा . उसने अपना मूसल जैसा लंड जो किसी घधे जैसा लग रहा था !एक बार सहलाया , उसपर बहुत सारा थूक लगाया और कमला की कसी हुई , उभरी भूरे रंग की चूत में घप्प्प्पप , से घुसा दिया . कमला कुछ ही देर पहले मोतिया को अपनी जवानी का अनमोल मोती सौंप चुकी थी . पहली बार चुदी थी इसलिए अब इतना दर्द नहीं होना चाहिए था . मगर कालू का विशाल लंड मूसल जैसा था . जैसे किसी गधे का हो बहुत ही लम्बा और मोटा ! उसका सुपारा किसी पहाड़ी आलू जितना मोटा था ! . "हाएय्य्य्यय्ये मोरी मैयाआआआआ , मरर्रर्र गयी माआआआआआआआआआ आये मा ये ……..ठकुराइन , हमका बचाई लेब ….इ हमारी फाड़ रहा हे आआआआ..ह्ह्ह्हह ,ऊऊउ ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह "……..उसकी कातर आवाज़ रात के सन्नाटे में भटक के रह गयी ………..चांदनी रात में उसने देखा बेचारी ठकुराइन खुद मोतिया से चुद रही थी ! वो जानवरों की तरह ठकुराइन पर पिला हुआ था और कूद कूद कर चोद रहा था . मोतिया चमार ने शायद कुछ गन्दी पिक्चरें देखि थी ……इसलिए व्हो सिर्फ गाँव जैसी चुदाई नहीं कर रहा था …..उसने रूपाली की गोरी टांगें अपने कन्धों में फंसा ली थी और इस कारण ऐसे चुदाई कर रहा था मानो कोई किसान किसी खेत में हल जोत रहा हो ……..खच-खच ,खप्प-खप्प,भच्च-भच्च जैसे लकड़ी पर कुल्हाड़ा चल रहा हो !


कालू ने बेरहमी से कमला के उभरे हुए , मोटे होंठ को चूसना शुरू किया और मूसल लंड से दनादन चुदाई जारी थी . उसका मुसल जैसा लंड कमला की कसी छुट में नए रास्ते बना रहा था !कुछ देर पहले मोतिया ने उसकी सील तोड़कर चूत से खून निकाला था मगर शायद उसकी किस्मत में चूत को और ज्यादा , पूरी तरह से खुलवाना , उसका भुरता बनवाना लिखा था इसलिए कालू का मोटा और लम्बा लंड वहा तक पहुँच रहा था जहा तक मोतिया नहीं पहुँच पाया था ! उसकी चूत जैसे फट रही थी उसकी चमड़ी पूरी तरह से खिंच गई थी ! …….रही सही किले की दीवरें ध्वस्त हो रही थी !खून फिर से रिसने लगा . कालू बेखबर , चोदे जा रहा था …..फुच्छ -फुच्छ —फुच्छ -फुच्छ , फच्च -फच्च —खप्प -खप्प , धप्प -धप्प —थप्प -थप्प ,भच्च-भच्च !तूफानी गति चल रही थी !


"ऊऊऊउन्न्न्नन्न …आआअन्न्न्नन्न —आआअन्न्नन्न …ऊऊन्न्न्नन्न ….", कमला की रुलाई और फुच्छ -फुच्छ —फुच्छ -फुच्छ , खप्प -खप्प —धप्प -धप्प , थप्प -थप्प —खप्प -खप्प ,खपाक खप्प ….कालू की चुदाई उसका लंड पूरा बहार होकर एक झटके में कमला की चूत में झड तक घुस रहा था ………20-25 मिनिट का कभी ना ख़तम होने वाला समय और फिर कालू ने अपना गाढ़ा , चिपचिपा वीर्य , कमला की पूरी तरह खुल चुकी , 20 साल की कुंवारी चूत के अन्दर उगल दिया . ऐसा जानवर था की कमला के निचले होंठ को बुरी तरह काट खाया कमला जो अर्ध बेहोशी हालत में थी चीख पड़ी ! उसने और पूरी तरह , अपने बदन का एक एक इंच कमला के कसे हुए बदन से चिपका के उसके ऊपर ऐसे लेट गया मानो दोनों का एक ही शरीर हो . मानो दोनों कभी अलग नहीं होंगे . कालू ने आँखें बंद कर ली और कल्पना में , कमला की जगह ठकुराइन रूपाली को बदल लिया . उत्तेजना के मरे कालू के शरीर में एक सिहरन दौड़ गयी और उसने जोर से रूपाली (कमला ), के चूतड पे एक च्यूंटी काटी और बाएं गाल पे काट खाया ……"ह़ाआआ येई '…कमला की सिसकारी निकली , पर कालू ने उसके होंठों पे अपने भद्दे , काले होंठ दबा दिए और उन्हें चूसने लगा .





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