Wednesday, April 16, 2014

FUN-MAZA-MASTI दीदी और मम्मी को एक साथ -2

FUN-MAZA-MASTI

दीदी और मम्मी को एक साथ -2

 हम दोनो के बदन में आग लगी हुई थी, और हम बेचैन थे कि, कब हम एक-दुसरे की बांहो में खो जाये। इसलिये हमने दरवाजे को धक्का दे कर खोला और अपने बेग और किताबों को एक तरफ फेंक कर, जूतों को खोल कर, सीधे ही एक-दुसरे की बांहो में समा गये। दरवाजा हालांकि हमने बंध कर दिया था, पर हम दोनो में से किसी को उसको लोक करने का ध्यान नही रहा। वासना की आग ने, हमारी सोचने-समझने की शक्ति शायद खतम कर दी थी। मैने जोर से अपनी प्यारी बहन को अपनी बांहो में कस लिया, और उसके पुरे चेहरे पर चुंबनो की बरसात कर दी। उसने भी मुझे अपनी बांहो में कस कर जकड लिया था, और उसकी कठोर चुचियां मेरी छाती में दब रही थी। उसकी चुचियों के खडे निप्पल की चुभन को, मैं अपने छाती पर महसूस कर रहा था। उसकी कमर और जांघे मेरी जांघो से सटी हुई थी, और मेरा खडा लंड मेरे पेन्ट के अंदर से ही उसकी स्कर्ट पर, ठीक उसकी बुर के उपर ठोकर मार रहा था। मेरी प्यारी दीदी अपनी चूत को मेरे खडे लंड पर, पेन्ट के उपर से रगड रही थी। हम दोनो के होंठ एक-दुसरे से जुडे हुए थे और मैं अपनी प्यारी बहन के पतले, रसीले होंठो को चुसते हुए, चुम रहा था। उसके होंठो को चुसते और काटते हुए, मैने अपनी जीभ को उसके मुंह में ठेल दिया था। उसके मुंह के अंदर जीभ को चारो तरफ घुमते हुए, उसकी जीभ से अपनी जीभ को लडाते हुए, दोनो भाई-बहन एक-दुसरे के बदन से खेल रहे थे। उसके हाथ मेरी पीठ पर से फिरते हुए, मेरे चुतडों और कमर को दबाते हुए, अपनी तरफ खींच रहे थे। मैं भी उसके चुतडों को दबाते हुए, उसकी गांड की दरार में स्कर्ट के उपर से ही अपनी उन्गली चला रहा था। कुछ देर तक इसी अवस्था में रहने के बाद मैने उसे छोड दिया, और वो बेड पर चली गई।

उसने अपने घुटनो को बेड के किनारे पर जमा दिया। फिर वो इस तरह से झुक गई, जैसे कि वो बेड की दुसरी तरफ कोई चीज खोज रही हो। अपने घुटनो को बेड पर जमने के बाद, मेरी प्यारी बेहना ने गरदन घुमा कर मेरी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए अपने स्कर्ट को उपर उठा दिया। इस प्रकार उसके खूबसुरत गोलाकार चुतड, जो कि नायलोन की एक जालीदार कसी हुई पेन्टी के अंदर कैद थे, दिखने लगे। उसकी चूत के उभार के उपर, उसकी पेन्टी एक दम कसी हुई थी और मैं देखा रहा था कि, चूत के उपर पेन्टी का जो भाग था, वो पुरी तरह से भीगा हुआ था। मैं दौड के उसके पास पहुंच गया और अपने चेहरे को, उसकी पेन्टी से ढकी हुई चूत और गांड के बिच में घुसा दिया। उसके बदन की खुश्बू, और उसकी चूत के पानी व पसिने की महक ने मेरा दिमाग घुमा दिया, और मैने बुर के रस से भीगी हुई उसकी पेन्टी को चाट लिया। वो आनंद से सिसकारीयां ले रही थी, और उसने मुझसे अपनी पेन्टी को निकाल देने का आग्रह किया।

मैने उसकी चूत और गांड को कस कर चुमा, उसके मांसल चुतडों को अपने दांतो से काटा और उसके बुर से निकलने वाली मादक गंध को एक लम्बी सांस लेकर अपने फेफडों में भर लिया। मेरा लंड पुरी तरह से खडा हो चुका था, और मैने अपने पेन्ट और अंडरवियर को खोल कर इसे आजादी दे दी। दीदी की मांसल, कंदील जांघो को अपने हाथो से कस कर पकडते हुए, मैं उसकी पेन्टी के उपर से ही उसकी चूत चाटने लगा। जालीदार पेन्टी से रीस-रीस कर बुर का पानी निकल रहा था। मैं पेन्टी के साथ ही उसकी बुर को अपने मुंह में भरते हुए, चुसते हुए, चाट रहा था। पेन्टी का बिच वाला भाग सीमट कर उसकी चूत और गांड की दरार में फस गया था, और मैं चूत चाटते हुए, उसकी गांड पर भी अपना मुंह मार रहा था। मेरे ऐसा करने से बहन की उत्तेजना बढ गई थी। वो अपनी गांड को नचाते हुए, अपनी चूत और चुतडों को मेरे चेहरे पर रगड रही थी। फिर मैने धीरे से अपनी बहन की पेन्टी को उतार दिया। उसके खूबसुरत चुतडों को देख कर मेरे लंड को जोरदार झटका लगा। उसके मैदे जैसे, गोरे चुतडों की बिच की खाई में भुरे रंग की अनछुई गांड, एकदम किसी फूल की कली की तरह दिख रही थी। जिसे शायद किसी विशेष अवसर पर (जैसाकि दीदी ने प्रोमिस किया था), मारने का मौका मुझे मिलने वाला था। उसकी गांड के निचे गुलाबी पंखुडियों वाली उसकी चिकनी चूत थी। दीदी की चूत के होंठ फडफडा रहे थे और भीगे हुए थे। मैने अपने हाथो को धीरे से उसके चुतडों और गांड की दरार में फिराया, फिर धीरे से हाथो को सरका कर उसकी बिना झांठो वाली चूत के छेद को अपनी उन्गलियों से कुरेदते हुए, सहलाने लगा। मेरी उन्गलियों पर उसकी चूत से निकला, उसका रस लग गया था। मैने उसे अपनी नाक के पास ले जा कर सुंघा, और फिर जीभ निकल कर चाट लिया। मेरी प्यारी बहन के मुंह लगातार सिसकारीयां निकल रही थी, और उसने मुझसे कहा,
“भाई, जैसाकि मैं समझती, अब तुमने जी भर कर मेरे चुतडों और चूत को देखा लिया है। इसलिये तुम्हे अपना काम शुरु करने में देर नही करनी चाहिए।”

मैं भी अब ज्यादा देर नही करना चाहता था, और झुक कर मैने उसकी चूत के होंठो पर अपने होंठो को जमा दिया। फिर अपनी जीभ निकाल कर उसकी चूत को चाटना शुरु कर दिया। उसकी बुर का रस नमकीन-सा था। मैने उसकी बुर के कांपते हुए होंठो को, अपनी उन्गलियों से खोल दिया, और अपनी जीभ को कडा और नुकिला बना कर, चूत के छेद में घुसा कर उसके भगनशे को खोजने लगा।उसके छोटे-से भगनशे को खोजने में मुझे ज्यादा वक्त नही लगा। मैने उसे अपने होंठो के बिच दबा लिया, और अपनी जीभ से उसको छेडने लगा। दीदी ने आनंद और मजे से सिसकारीयां भरते हुए, अपनी गांड को नचाते हुए, एक बहुत जोर का धक्का अपनी चूत से मेरे मुंह की ओर मारा। ऐसा लग रहा था, जैसे मेरी जीभ को वो अपनी चूत में निगल लेना चाहती हो। वो बहुत तेज सिसकारीयां ले रही थी, और शायद उत्तेजना की पराकाष्ठा तक पहुंच चुकी थी। मैं उसके भगनशे को अपने होंठो के बिच दबा कर चुसते हुए, अपनी जीभ को अब उसके पेशाब करने वाले छेद में भी घुमा रहा था। उसके पेशाब की तीव्र गंध ने मुझे पागल बना दिया था। मैने अपनी दो उन्गलियों की सहायता से, उसके पेशाब करने वाले छेद को थोडा फैला दिया। फिर अपनी जीभ को उसमे तेजी से नचाने लगा। मुजे ऐसा करने में मजा आ रहा था, और दीदी भी अपनी गांड को नचाते हुए सिसकारीयां ले रही थी।

“ओह भाई, तुम बहुत अच्छा कर रहे हो। डार्लिंग ब्रधर, इसी प्रकार से अपनी बहन की गरमाई हुई बुर को चाटो, हां,,, हां भाई,,,, मेरे पेशाब करने वाले छेद को भी चाटो और चुसो। मुझे बहुत मजा आ रहा है, और मुझे लगता है, शायद मेरा पेशाब निकल जायेगा। ओह भाई, तुम इस बात का ख्याल रखना कि, कहीं तुम मेरे मुत ही नही पी जाओ।”

मैने दीदी की चूत पर से, अपने मुंह को एक पल के लिये हटाते हुए कहा,
“ओह सिस्टर, तुम्हारे पेशाब और चूत की खूश्बु ने मुझे पागल बना दिया है। ऐसा लगता है कि, मैने तुम्हारी मुत की एक-दो बुंद पी भी ली है, और मैं अपने आप को इसका और ज्यादा स्वाद लेने से नही रोक पा रहा हुं। हाये दीदी, सच में तुम्हारे बदन से निकलने वाली हर चीज बहुत ही स्वादिष्ट है,,,,, ओह,,,,।”“ओह भाई ! लगता है, तुम कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो चुके हो, और मुझे ये बहुत पसंद है। तुम्हारा इस तरह से मुझे प्यार करना, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है, प्यारे भाई। पर अगर तुम इसी तरह से मेरी चूत और पेशाब वाले छेद को चुसोगे, तो मुझे लगता है कि मेरा पेशाब निकल जायेगा। और मैं नही चाहती कि, हमारे कपडे और बिस्तर खराब हो,,,,,,,, ओह राजा, मेरे प्यारे सनम,,,,,,,तुम इस बात का ख्याल रखते हुए मुझे प्यार करो।”

मैं अभी तक पेशाब वाले छेद को चिडोर-चिडोर कर चाट रहा था। मगर दीदी के बोलने पर मैने उसको छोड कर, अपना ध्यान उसकी चूत और भगनशे पर लगा दिया। उसके भगनशे को अपने होंठो से छेडते हुए, उसकी पनियाई हुई बुर के कसे हुए छेद में, अपनी जीभ को नुकिला करके पेलने लगा। अपने हाथो से उसके चुतडों और गांड के छेद को सहलाते हुए, मैं उसकी गांड के छेद को अपने अंगुठे से छेडने लगा। मैं अपनी जीभ को कडा कर के उसकी चूत में तेजी के साथ पेल रहा था, और जीभ को बुर के अंदर पुरा ले जाकर उसे घुमा रहा था। दीदी भी अपने चुतडों को तेजी के साथ नचाते हुए, अपनी गांड को मेरी जीभ पर धकेल रही थी, और मैं उसकी बुर को चोद रहा था।

हालांकि, इस समय मेरा दिल अपनी प्यारी बहन की गांड के भुरे रंग के छेद को चाटने का कर रहा था। परंतु मैने देखा कि, दीदी अब उत्तेजना की सीमा को पार कर चुकी थी, शायद। वो अब अपने चुतडों नचाते हुए बहुत तेज सिसकारीयां ले रही थी।

“,,,,,भाई, तुम मुझे पागल बना रहे हो,,,,,,ओह,,,,डार्लिंग ब्रधर हां ऐसे,,,,, ही,,,,, ऐसे ही, चुसो मेरी चूत को,,,,,,,मेरी बुर के होंठो को अपने मुंह में भर कर,,,, ऐसे ही चाटो राजा,,,,,,ओह, प्यारे,,,,, बहुत अच्छा कर रहे हो तुम। इसी प्रकार से मेरी चूत के छेद में अपनी जीभ को पेलो, और अपने मुंह से चोद दो, मुझे। हाय, मेरे चोदु भाई,,,,, मेरी चूत के होंठो को काट लो और उन्हे काटते हुए अपनी जीभ को मेरी बुर में पेलो।” 

चूत के रस को चाटते हुए और बुर में जीभ पेलते हुए, मैं उसके भगनशे को भी छेड देता था। मेरे ऐसा करने पर वो अपनी गांड को और ज्यादा तेजी के साथ लहराने लगती थी। दीदी अब पुरी उत्तेजना में आ चुकी थी। मैने अपने पंजो के बिच में उसके दोनो छुतडों को दबाया हुआ था, ताकि मुझे उसकी प्यारी चूत को अपने जीभ से चोदने में परेशानी ना हो। मैं अपनी नुकिली जीभ को उसकी चूत के अंदर गहराई तक पेल कर, घुमा रहा था।

“ओह भाआआईईईई,,,,,, ऐसे ही प्यारे, मेरे डार्लिंग ब्रधर,,,,, ऐसे ही। ओह,,,, खा जाओ मेरी चूत को, चुस लो इसका सारा रस,,,, प्यारे!!!! ओह,,, चोदु,,,, मेरे भगनशे को ऐसे ही छेडो और कस कर अपनी जीभ को पेलो,,,,,,,, ओओओओह्ह्ह्ह,,, सीईईईईईई मेरे चुदक्कड बालम,,,, मेरा अब निकलने ही वाला,,,, ओह…मैं गई,,,,,,, गईईईईई,,,,,,,, गई राआज्जाआआ,,,,, ओह बुरचोदु,,,,,,,,देखो मेरा निकल रहा है,,,,,,,,, हायेएएए,,, पी जाओ,,,,,, इसे!!!!! ओह,,,, पी,,,,, जाओ मेरी चूत से निकले पानी को,,,,,,,ईईईईईशीशीशीश्श्शीईई,,,, भाई, मेरी चूत से निकले स्वादिष्ट पानी को पीईईई जाआआओओओ प्याआआरेएएएए,,,,,”,
कहते हुए दीदी अपनी चूत झाडने लगी।

उसकी मखमली चूत से गाढा द्रव्य निकलने लगा। वो मेरे चेहरे को अपनी चूत और चुतडों के बिच दबाये हुए, बिस्तर पर अपनी गांड को नचाते हुए गीर गई। उसकी चूत अभी भी फडफडा रही थी, और उसकी गांड में भी कंपन हो रहा था। मैने उसकी चूत से निकले हुए रस की एक-एक बुंद को चाट लिया, और अपने सिर को उसकी मांसल जांघो के बिच से निकाल लिया।

मेरी बहन बिस्तर पर पेट के बल लेटी हुई थी। कमर के निचे वो पुरी नंगी थी। झड जाने के कारण उसकी आंखे बंध थी, और उसके गुलाबी होंठ हल्के-से खुले हुए थे। वो बहुत गहरी सांसे ले रही थी। उसने अपने एक पैर को घुटनो के पास से मोडा हुआ था और दुसरे पैर को फैलाया हुआ था। उसके लेटने की ये स्थिति बहुत ही कामुक थी। इस स्थिति में उसकी सुनहरी, गुलाबी चूत, गांड का भुरे रंग का छेद और उसके गुदाज चुतड मेरी आंखो के सामने खुले पडे थे और मुझे अपनी ओर खींच रहे थे। मेरा खडा लौडा, अब दर्द करने लगा था। मेरे लंड का सुपडा, एक लाल टमाटर के जैसा दिख रहा था। मेरे लंड को किसी छेद की सख्त जुरुरत महसूस हो रही थी। मैं गहरी सांसे खींचता हुआ, अपनी उत्तेजना पर काबु पाने की कोशिश कर रहा था। मेरे हाथ मेरी दीदी के नंगे चुतडों के साथ खेलने के लिये बेताब हो रहे थे। मैं अपने अंडकोषो को सहलाते हुए, सुपाडे के छेद पर जमा हुई पानी की बुंदो को देखते हुए, अपनी प्यारी नंगी बहन के बगल में बेड पर बैठ गया। मेरे बेड पर बैठते ही दीदी ने अपनी आंखे खोल दी। ऐसा लग रहा था, जैसे वो एक बहुत ही गहरी निंद से जागी हो। जब उसने मुझे और मेरे खडे लंड को देखा तो, जैसे उसे सब कुछ याद आ गया और उसने अपने होंठो पर जीभ फेरते हुए, मेरे खडे लंड को अपने हाथो में भर लिया और बोली,
“ओह प्यारे, सच में तुमने मुझे बहुत सुख दिया है। ओह भाई, तुमने जो किया है, वो सच में बहुत खुशनुमा था। मैं बहुत दिनो के बाद इस प्रकार से झडी हुं।,,,,, ओह प्यारे, तुम्हारा लंड तो एकदम खडा है।,,,,,,ओह,,, मुझे ध्यान ही नही रहा कि, मेरे प्यारे भाई का डण्डा खडा होगा और उसे भी एक छेद की जुरूरत होगी। ओह डार्लिंग आओ,,,,,,,, जल्दी आओ, तुम्हारे लंड में खुजली हो रही होगी। मैं भी तैयार हुं,,,,, तुम्हारा खडा लंड देख कर मुझे भी उत्तेजना हो रही है, और मेरी बुर भी अब खुजलाने लगी है।”

“ऐसा नही है दीदी, अगर इस समय तुम्हारी ईच्छा नही है तो कोई बात नही है। मैं अपने लंड को हाथ से झाड लुन्गा।”

“नही भाई, तुम अपनी बहन के होते हुए ऐसा कभी नही कर सकते, अगर कुछ करना होगा तो मैं करुन्गी। भाई, मैं इतनी स्वार्थी नही हुं कि, अपने प्यारे सगे भाई को ऐसे तडपता हुआ छोड दुं। आओ भाई, चढ जाओ अपनी बहन पर और जल्दी से चोदो,,,,,,,,,, चलो, जल्दी से चुदाई का खेल शुरु करें।”

मैने उसके होंठो पर एक जोरदार चुंबन जड दिया। और उसके मांसल, मलाईदार चुतडों को अपने हाथो से मसलते हुए, उससे कहा,
“दीदी, तुम फिर से घुटनो के बल हो जाओ, मैं तुम्हे पिछे से चोदना चाहता हुं।”मेरी बात सुन कर मेरी प्यारी सिस्टरने बिना एक पल गंवाये, फिर से वही पोजीसन बना ली। उसने घुटनो के बल होकर, अपनी गरदन को पिछे घुमा कर मुस्कुराते हुए, मुझे अपनी बडी-बडी आंखो को नचाते हुए आमंत्रण दिया। उसने अपने पैरों को फैला कर, अपने खजाने को मेरे लिये पुरा खोल दिया। मैने फिर से अपने चेहरे को उसकी जांघो के बिच घुसा दिया, और उसकी चूत को चाटने लगा। चूत चाटते हुए अपनी जीभ को उपर की तरफ ले गया, और उसकी खूबसुरत और मांसल गांड की दरार में अपनी जीभ को घुसा दिया और जीभ निकाल कर उसकी गांड को चाटने लगा। मैने अपने दोनो हाथो से उसके चुतडों फैला कर, उसकी गांड के छेद को चौडा कर दिया। फिर अपनी जीभ को कडा करके, उसकी गांड में धकेलने की कोशिश करने लगा। उसकी गांड बहुत टाईट थी और इसे मैं अपनी जीभ से नही चोद पाया। मगर मैं उसकी गांड को तब तक चाटता रहा, जब तक कि, दीदी चिल्लाने नही लगी और सिसयाते हुए मुझे बोलने लगी,
“ओह ब्रधर, अब देर मत करो। मैं अब गरम हो गई हुं। अब जल्दी से अपनी प्यारी बहन को चोद दो, और अपनी प्यास बुझा लो। मैं समझती हुं, अब हमारा ज्यादा देर करना उचित नही होगा। ओह भाई, जल्दी करो और अपने लंड को मेरी चूत में पेल दो।”

मैने अपने खडे लंड को उसकी गीली चूत के छेद पर लगा दिया। फिर एक जोरदार धक्के के साथ अपना पुर लंड उसकी बुर में, एक ही बार में पेल दिया। ओह, क्या अदभुत अहसास था, यह ! इसका वर्णन शब्दो में करना संभव नही है। उसकी रस से भरी, पनियाई हुई चूत ने, मेरे लौडे को अपनी गरम आगोश में ले लिया। उसकी मखमली चूत ने मेरे लंड को पुरी तरह से कस लिया। मैं धक्के लगाने लगा। मेरी प्यारी बहन ने भी अपनी गांड को पिछे की तरफ धकेलते हुए, मेरे लंड को अपनी चूत में लेना शुरु कर दिया। हम दोनो भाई-बहन, अब पुरी तरह से मदहोश होकर मजे की दुनिया में उतर चुके थे। मैं आगे झुक कर, उसकी कांख की तरफ से अपने हाथ को बाहर निकाल कर उसकी गुदाज चुचियों को, उसके ब्लाउस के उपर से ही दबाने लगा। उसकी चुचियां एकदम कठोर हो गई थी। उसकी ठोस चुचियों को दबाते हुए मैं अब तेजी से धक्के लगाने लगा था, और मेरी दीदी के मुंह से सिसकारीयां फुटने लगी थी। वो सिसकाते हुए बोल रही थी,
“ओह भाई, ऐसे ही, ऐसे ही चोदो, हां,,,, हां, इसी तरह से जोर-जोर से धक्का लगाओ, भाई। इसी प्रकार से चोदो, मुझे।”“आह, शीईईईई, दीदी तुम्हारी चूत कितनी टाईट और गरम है। ओह,,, मेरी प्यारी बहना,,,, लो अपनी चूत में मेरे लंड को,,,, ऐसे ही लो। देखो,,, ये लो मेरा लंड अपनी चूत में,,,,,, ये लो,,,,,,,, फिर से लो,,,,,,, क्या, एक और दुं ?? ले लो,,,, मेरी रानी बहन,,,,, हाये दीदी।”

मैं उसकी चूत की चुदाई, अब पुरी ताकत और तेजी के साथ कर रहा था। हम दोनो की उत्तेजना बढती जा रही थी। ऐसा लग रहा था कि, किसी भी पल मेरे लौडे से गरम लावा निकल पडेगा।

“ओह चोदु,,,,, चोदो,,,,,, और जोर से चोदो। ओह, कस कर मारो,,,,,, और जोर लगा कर धक्का मारो। ओह,,,, मेरा निकल जाआयेएएगाआ,,,,, उईईईईई!!!!!! कुत्तेएएए, और जोर से चोद, मुझे। बडी बहन की बुर चोदने वाले,,,, चोदु हरामी,,,, और जोर से मारो, अपना पुरा लंड मेरी चूत में घुसा कर चोद,,,,, कुतिया के बच्चे,,,,,,,,श्श्शीशीशीईईईईईई,,,,, मेरा निकल जायेगाआआ,,,,,,”

मैं अब और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। मैं अपने लंड को पुरा बाहर निकल कर, फिर से उसकी गीली चूत में पेल देता। दीदी की चुचियों को दबाते हुए, उसके चुतडों पर हाथ फेरते और मसलते हुए, मैं बहुत तेजी के साथ दीदी को चोद रहा था। मेरी बहन, अब किसी कुतिया की तरह कुकिया रही थी। और वो अपने चुतडों को नचा-नचा कर, आगे-पिछे धकेलते हुए, मेरे लंड को अपनी चूत में लेते हुए, सिसिया रही थी,
“ओह चोदो, मेरे चोदु भाई, और जोर से चोदो। ओह,,,,,, मेरे चुदक्कड बलमा, श्श्शीशीशीशीईईईई,,,,,,, हरामजादे,,,,,,, और जोर से मारो मेरी चूत को,,,, ओह,,,, ओह,,,,,ईईईस्स्स,,,,आआह्ह,,,, बहनचोद,,,,, मेरा अब निकल रहा हैएएएए,,,, ओओओओह्ह्ह,,, ,,, श्श्शीशीशीशीईईईई,,,,,!!!!!”,
कहते हुए, अपने दांतो को पीसते हुए, और चुतडों को उचकाते हुए, वो झडने लगी।

मैने भी झडने ही वाला था। इसलिये चिल्ला कर उसको बोला,
“ओह कुतिया,,,,, लंडखोर,,,, साआल्ली,,, मेरे लिये रुको। मेरा भी अब निकलने वाला,,,,,,,, ओह,, रानी,,,, मेरे लंड का पानी भी,,,,, अपनी बुर में लोओओओ,,, ओह,,, लो,,, लो,,,, ओह ऊउफ्फ्फ,,,,,,,”
ठीक उसी समय मुझे ऐसा लगा, जैसे मैं किसी के जोर से बोलने और चिल्लाने की आवाज सुन रहा हुं। जब मैने दरवाजे की तरफ मुड कर देखा तो, ओह,,, ये मैं क्या देखा रहा हुं !!!!!! मेरे अंदर की सांस, अंदर ही रह गई। सामने दरवाजे पर मेरी मम्मी खडी थी। उसका चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था। वो क्रोध में अपने होंठो को काट रही थी, और अपने कुल्हे पर अपने हाथ रख कर चिल्ला रही थी। उसका चिल्लाना तो, एक पल के लिये हम दोनो भाई-बहन को कुछ समझ में नही आया। थोडी देर बाद हमे उसकी स्पष्ट आवाज सुनाई दे रही थी।

“ओह,,,!!! तुम दोनो बिलकुल अच्छे बच्चे नही हो, पापियों। खडे हो जाओ। क्या मैने तुम्हे यही शिक्षा दी थी ? ओह, तुमने मेरा दिमाग खराब कर दिया। एक भाई-बहन हो कर,,,,,,”,
इसके आगे वो कुछ भी नही बोल पाई।मैं एकदम भोंचक्का रह गया था, और शिघ्रता से अपने लंड को अपनी बहन की चूत में से निकाल लिया। मेरे लंड का पानी अभी नही निकला था। वो निकलने ही वाला था, पर बिच में मम्मी के आ जाने के कारण रुक गया था। इसलिये मेरा लंड दर्द कर रहा था। मेरे दिमाग को शायद, अभी भी हमारी पुरी स्थिति की गंभिरता का अहसास नही हुआ था। इसलिये मेरा लंड अभी भी खडा और उत्तेजित था। फिर अचानक से एक झटके के साथ, उसमे से एक तेज धार के साथ पानी निकल गया। मेरे विर्य की कुछ बुंदे उछल कर सीधी मम्मी के उपर, उसकी साडी और पेट पर जा गीरी। ये सब कुछ एक क्षण में हो गया था।

झड जाने के बाद, मेरे सामने खडी मम्मी को देख कर, मेरे दिमाग में डर हावी हो गया और मैं डर कर अपनी पेन्ट को खोजने लगा। मैं अपनी कमर के निचे पुरी तरह से नंगा था। मेरा लंड अब पानी छोड कर लटक गया था। मेरी बहन तेजी के साथ बिस्तर पर से उतर गई और अपनी स्कर्ट को उसने चुतडों से निचे गीरा लिया था। मेरी मम्मी कुछ नही बोल पाई और मेरे विर्य को अपने साडी और पेट पर से साफ करने लगी।“छीईई,,,,,,छीईई,,,”,
कहते हुए, वो कमरे से बाहर बिना कोई शब्द बोले, हम दोनो को अकेला छोड कर, निकल गई।

हम दोनो एकदम अचंबित हो कर कुछ देर वहीं पर खडे रहे, फिर हमने अपने कपडे पहन लिये। हम दोनो के अंदर इतनी हिम्मत नही थी कि, हम कमरे से बाहर जा सके। मेरी बहन बहुत उदास थी और मैं बहुत डरा हुआ था। दीदी ने कहा,
“चलो जो हुआ, सो हुआ। अब हमारे हाथ में कुछ भी नही है। हम इस स्थिति का सामना करते है।”

करीब एक घंटे के बाद हम दोनो निचे गये, और फ्रेश हो कर अपना लंच लिया। हम दोनो ठीक तरह से खा भी नही पा रहे थे, क्योंकि हमारे दिल में डर भरा हुआ था। हम नही जानते थे कि, हमारे साथ क्या होने वाला है ? फिर हम अपने कमरे में आ गये, मम्मी अपने कमरे में ही थी। हमने दोनो थोडी देर तक पढाई की। फिर निचे उतर कर नौकरानी से मम्मी के बारे में पुछा, तो उसने बताया कि मम्मी अपने कमरे में है, और उन्होने कहा है कि, उन्हे डिस्टर्ब न किया जाये। तभी कोल-बेल बज उठी। दरवाजे पर डैडी के ओफिस का प्युन था। जोकि, पापा का सूटकेस लेने के लिये आया था। पापा शायद चार दिनो के लिये बाहर जा रहे थे। मैने हिम्मत कर के मम्मी के कमरे का दरवाजा खटखटाया, और उसे इस बारे में बताया। मम्मी ने सामने रखे हुए एक सूटकेस की ओर इशारा किया। मैने चुपचाप उस सूटकेस को उठा लिया, और बाहर आ कर उसे प्युन को दे दिया। फिर हम दोनो भाई-बहन ने डिनर लिया, और दीदी वापस कमरे में चली गई। मैं हिम्मत कर के मम्मी के कमरे की ओर चला गया। दरवाजा खुला था और मैं सीधा मम्मी के पास इस तरह से गया, जैसे कुछ हुआ ही नही है और पुछा क्या उसने डिनर कर लिया है ? क्योंकि नौकरानी अब घर जाना चाहती है। उसने कोई जवाब नही दिया और मैने बाहर आ कर नौकरानी को घर जाने के लिये कह दिया।हम दोनो भाई-बहन, अब भी अपने अंदर काफि ग्लानी महसूस कर रहे थे। हमने एक-दुसरे से कोई ज्यादा बातचीत भी नही की। चूंकि हुमारा कमरा एक था, इसलिये हम दोनो चुप-चाप आ कर सो गये। बेड के एक छोर पर वो और दुसरे छोर पर मैं लेट गया। हम दोनो ने एक-दुसरे को छुआ भी नही। दरवाजा भी खुला हुआ ही था। रात के १२ बजे के आस-पास अचानक मेरी नींद खुली। मुझे प्यास लगी थी। मुझे महसूस हुआ कि, मेरी कमर के उपर कोई भरी चीज रखी है। मैने सोचा, हो सकता है, ये मेरी दीदी का पैर हो। मगर जब मैने उसे अपनी कमर के उपर से हटाने की कोशिश की, तो मुझे भारी महसूस हुआ। ऐसा लगा जैसे ये मेरी बहन के पैर नही है। मेरी आंखे खुल गई, और कमरे की मध्यम रोशनी में मैने जो देखा, उसने मेरे दिल की धडकने बढा दी। मेरा तो गला ही सुख गया।

ओह, ये मैं क्या देखा रहा था ? मेरे और मेरी दीदी के बिच में हमारी मम्मी सोई हुई थी। एक पल के लिये तो मेरी समझ में कुछ नही आया, मगर फिर मैं टोईलेट जाने के लिये बेड से निचे उतर गया। मैं एक य दो कदम ही आगे बढा पाया था कि, मम्मी की फुसफुसाहट भरी आवाज सुनाई दी,
“कहां जा रहे हो, तुम ?”

“ओह, मम्मी तुम जाग रही हो ? मैं ये नही जानता था। अ,,अ,, मैं टोईलेट जा रहा हुं।”

“ठीक है। जरा इन्तजार करो, मुझे भी वहीं जाना है।”,
कहते हुए, वो भी बेड से निचे उतर गई। 








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