Tuesday, April 8, 2014

FUN-MAZA-MASTI यौवन का रसपान-2

FUN-MAZA-MASTI


यौवन का रसपान-2


रजिया- यह क्या कर रहे है जनाब !
मैं- रजिया थोड़ा इनकी भी तो मालिश कर दो !
कहते हुए उसका हाथ मैंने अपने खड़े होने को आतुर लंड पर रख दिया जो अब सिसकारी लेती हुई वासनामयी रजिया की मुट्ठी में समां चुका था। उसने चादर के अन्दर ही उसे मसलना सहलाना शुरू कर दिया जिसके परिणाम स्वरूप मेरा लंड अपने पूर्ण आकार में आने लगा।
पूर्ण आकार के लंड को देख रजिया उसे पाने को लालायित हो रही थी, उसने हाथ में सरसों का तेल लेकर मेरे लंड पर चुपड़ दिया और ताबड़तोड़ मसलते सहलाते हुए उसकी मालिश करने लगी। कुछ क्षणों में मेरे लंड में सरसों के तेल की गर्मी से जलन होने लगी, फिर तो जैसे आग सी लग गई हो !
मैंने कहा- रजिया, यह क्या किया? मुझे बहुत जलन हो रही है आह्ह्ह... कुछ करो जल्दी ओह !
रजिया को अपनी गलती का अहसास हो गया तो उसने कोई उपाय न देख मेरे लंड को अपने मुँह में डाल लिया और चूसने लगी, फिर पूरी तरह अपनी लार से भिगो कर उसे मुँह से बाहर निकाल कर उसे इस तरह फूंकने लगी जैसे कि हम चाय के प्याले को चाय ठंडा करने के लिए फूंकते हैं, यक़ीनन कुछ देर में मुझे ठंडक का अहसास होने लगा, मेरी लंड की जलन समाप्त हो चली थी !
मैंने अपना एक हाथ रजिया की दोनों टांगों के बीच पर रख दिया, शायद उसने पेंटी नहीं पहनी थी, चूत के ठीक नीचे उसकी सलवार गीली हो गई थी। मैंने हाथों से सहलाते हुए चूत का नाप ले लिया बहुत गदराई हुई गीली चूत पर छोटे छोटे बाल थे, उसकी चूत से पानी और भी तेजी से निकलने लगा जिसके कारण मेरे सहलाने से सलवार का कपड़ा उसकी चूत पर इस तरह चिपकता गया कि उसकी चूत की आकृति सलवार के ऊपर से हूबहू दिखाई देने लगी। रजिया सिसकारी लेते हुए मेरे लंड से खेल रहीं थी, कभी चूसने लगती, कभी चुम्बन करती, कभी अपनी जीभ से मेरे टोपे को चुभलाते हुए उसके छेद में अपनी जीभ चुभोती, बिल्कुल इस तरह जैसे किसी बच्चे को उसके मनपसंद खिलौना मिल गया हो !
मैंने उसका नाड़ा खोल दिया और उसे खड़ी करके उसकी सलवार और कुर्ती निकाल दिए, अन्दर ब्रा भी नहीं पहनी थी, उसके भरे हुए कबूतर आजाद पंछी की तरह उछल कर बाहर आ गए ! क्या भरा हुआ बदन था रजिया का, उसका पति शायद बदनसीब ही होगा जो हुस्न की परी को छोड़ दिया होगा उसने !
फिर मैंने रजिया को घोड़ी बनाया, उसकी कोहनी पलंग पर टिका दी और पीछे से उसके मोटे मोटे चूतड़ों को पकड़ कर लंड को चूत में प्रवेश करा दिया !
हाय... हायल्लाह ! करती रजिया अपनी चूत को पीछे की ओर धकेलती हुई लंड को अपनी चूत में ज्यादा से ज्यादा अन्दर लेने की होड़ करते हुए मेरे साथ ताल से ताल मिलाने लगी, मैंने उसके आजाद कबूतरों को थाम लिया कितने ठोस और कड़क हो रहे थे !
रजिया- रोनी साब, मेरे को अपने साथ ले चलो फिर चाहे महीने में एक दिन ही सही ऐसी मस्त चुदाई का मजा देते रहना ! आह... मैं तुम्हारी नौकरानी बन कर तुम्हारी सेवा करती रहूँगी ! स्स्स्स... कितने दिनों बाद ऐसा मस्त लंड मिला... आह्ह… मेरा खसम तो पीकर आता था और मुझे तड़पती छोड़ सो जाता था ! हाय...
मैं उसकी बेदाग पीठ पर चूमते हुए पीछे से सटासट धक्के लगा रहा था, पांच सात मिनट में ही रजिया मदहोश सी होती हुई मादक सीत्कारें निकालने लगी और फिर स्खलित होते हुए अपना योनिस्राव छोड़ दिया।
मैंने भी ठीक उसके साथ ही अपना वीर्य छोड़ दिया, दोनों एक साथ वैसे ही पलंग की किनारे पर धम्म से पड़ गए !
अंतिम क्षणों में मैंने रजिया की गर्दन और कान पर पप्पी लेते हुए कहा- रजिया, तुम तो बहुत मस्त हो ! क्या भरपू जवानी पाई है तुमने !
रजिया ने लजाते हुए अपनी आँखें बंद करते हुये कहा- आप भी तो बहुत मस्त चुदाई करते हो ! मैंने आपकी कहानियाँ अन्तर वासना पर फरहा दीदी के साथ कई बार पढ़ी हैं, मुझ पर तो आपने बहुत बड़ा अहसान किया जो मुझे इस लायक समझा !
तब तक मेरा लंड सिकुड़कर बाहर आ गया, मैंने बाथरूम जाकर अपना लंड धोया, पीछे से रजिया भी आ गई, उसने मेरे लंड को एक बार फिर से चूम लिया और अपने मुँह में लेकर चूसने लगी पर उसे खड़ा करने में असफल रही और फिर वो अपनी सफाई करके नीचे चली गई !
पूरे घर में किसी के आने का कोई अंदेशा नहीं था, बड़ी निश्चिन्तता से सारा काम चल रहा था। मुझे नींद ने आ घेरा, कब सो गया पता ही नहीं चला !
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !


अचानक ही मुझे अपने लंड पर कुछ अहसास हुआ, जब मेरी नींद खुली तो देखा कि फरहा मेरे लंड को सहला रही है और बार बार होंठों से स्पर्श करते हुए लंड के गुलाबी टोपे को चूम रही है। उस वक्त रात के दस बजने को थे। फरहा बोली- रोनी जी, गुस्ताखी के लिए मुआफी चाहूँगी, रजिया और शबा खाना खाकर सोने चली गई हैं, अब आप नीचे चलो तो हम साथ में खाना खा लेंगे !
खाने की मेज पर ही फरहा ने विलायती शराब की बोतल भी रख दी जो दुबई से उसके शौहर लाये थे। हम दोनों ने सिर्फ एक एक लार्ज पेग लगाया और रजिया द्वारा बनाये लजीज खाने का लुत्फ़ लेकर फिर ऊपर की मंजिल पर आ गए !
फरहा ने अपने कपड़े उतार फेंके और मुझे भी नंगा कर दिया। वो तो मस्त सुरूर में थी, उसे तो मेरी गोद में मुझसे खड़े खड़े चुदाई करानी थी।
हम दोनों कमरे में नंग धड़ंग खड़े हुए थे, फरहा मेरी टांगों के सामने बैठकर मेरे लंड को सहलाते चूसते हुए खड़ा करने लगी। जैसे ही लंड खड़ा हुआ, उसे अपनी बुर के मुहाने में घुसा दिया फिर मेरे कंधे पर से हाथ रखते हुए मेरी गर्दन पर लपेट लिए और अपनी टांगों को धीरे धीरे उठाकर मेरी कमर पर घेरा बनाकर लपेट लिया। यह काम फरहा ने बड़ी सावधानी से किया ताकि लंड बुर से बाहर न निकल पाए, फिर अपनी टांगों को मेरी कमर पर कसते हुए पूरा लौड़ा अपनी बुर में लील गई !
फिर अपने जिस्म को उछालते हुए मेरे लंड को अपनी चूत में अन्दर बाहर करने लगी। मैंने अपने दोनों हाथों से उसके पुष्ट नितम्बों को थाम लिया और मसलते हुए फरहा को उछल लेने में सहयोग करने लगा। मेरी आँखों के ठीक सामने फरहा के गुदाज स्तन उछल रहे थे जिन्हें कभी मैं अपने मुँह में ले लेता, कभी उनके चुचूक को अपने दांतों से दबा देता तो फरहा उई... माँ.. कहकर चिहुंक उठती ! बड़ा मजेदार लग रहा था यह सब !
"रोनी, मैं अपने शौहर के साथ भी खुलकर चुदाई करती हूँ और मजा भी बहुत आता है पर आज की चुदाई ने मुझे मेरी सुहागरात याद दिला दी ! जब पहली बार सेक्स किया था तो उसके पहले कितनी उत्तेजना हुई थी, कितना रोमांच पैदा हुआ था कि आज मेरी बुर में एक लौड़ा घुसने वाला है, दो दिन पहले से चूत से लगातार पानी का रिसाव होता रहना ! वैसे ही आज मुझे लग रहा है क्योंकि पति के साथ मजा लेते हुए एक अरसा हो गया है, उनसे संतुष्ट तो पूरी तरह हो जाती हूँ पर आज की उत्तेजना मेरी जिन्दगी में फिर से दूसरा नया लौड़ा मिलने के कारण हो रही है, कितनी जल्दी मेरी चूत से पानी छुट जाता है और स्खलित हो जाती हूँ ! ऐसा लग रहा है कि तुम कभी मुझे छोड़कर न जाओ ! अह... स्स्स... ओह...
फरहा की सांसों की गति तेज और तेज होती जा रही थी, उसके मुँह से सीत्कारें भी तेजी से निकल रही थी- रोनी, मुझमें और अन्दर समां जाओ आह्ह...स्स्स्स...
फिर वो दौर आया जब फरहा ने मुझे अपने जिस्म के साथ कस कर ऐसे जकड़ किया जैसे मुझे नागपाश में बांध दिया हो और अपना रस योनि से छोड़ दिया जो मुझे अपने जननांगों से होकर जांघों पर बहता महसूस हो रहा था। वो मुझे लगातार चूम रही थी, कभी मेरे होंठों पर अपने दांत गड़ा देती !
जब वो शांत हो गई तो मैंने उसे अपने से नीचे उतारकर पलंग पर लिटा दिया। उसकी चूत बिल्कुल लाल हो रही थी, अभी भी उसमें से रस बह रहा था, मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके स्तनों से खेलने लगा और उसके अधरों का रसपान करते हुए उसके सांचे में ढले हुए दिलकश बदन को सहलाने लगा।

वो मेरे खड़े लौड़े को हाथ में थामे हुए उसे सहला रही थी, मैंने उसकी टांगों को अपने कंधे तक उठाया और अपना लंड उसकी चूत में लगाता, उससे पहले ही फरहा बोली- चलो टैरेस पर चलते हैं।
हम दोनों आधी रात के वक्त नंगे ही कमरे से लगे टैरेस पर आ गए जहाँ एक झूला और कुर्सियाँ रखी हुई थी। मैंने वहाँ का मुआयना करना चाहा तो फरहा बोली- चिंता मत करो, यहाँ कोई देखने वाला नहीं है !
झूला देख मुझे लगा कि आज झूले का मजा लेना चाहिए, मैंने फरहा को झूले पर डॉगी स्टाइल में इस प्रकार कर दिया कि मेरा लंड और उसकी चूत एक सीध में आ गए, उसके हाथों को झूले की पुश्त पर टिका दिया फिर अपने लंड को पीछे से फरहा की चूत में घुसा दिया, गीली और चिकनी होने के कारण बड़े आराम से चूत में लंड चला गया।
फिर मैंने फरहा को बोला- झूले को अच्छी तरह से पकड़ना !
और झूले को सामने की तरफ ठेल दिया तो मेरा लंड पुच्च की आवाज के साथ बाहर निकल आया जैसे ही झूला वापस मेरी और आया मैंने लंड को फरहा की चूत की सीध में कर दिया फक्क की आवाज के साथ मेरा लंड चूत में समां गया पर फरहा की घुटी हुई चीख निकल गई। झूला मेरी जांघों से टकराकर रुक गया। मैंने फिर से झूला आगे की ओर ठेल दिया तो लंड बहर निकल आया।
जैसे ही झूला वापस आया तो मेरा लंड फरहा की चूत में प्रविष्ट हो गया। ऐसा कई बार किया, बड़ा अभूतपूर्व आनन्द आ रहा था पर थोड़ा कष्टप्रद भी था क्योंकि दोनों के जननांगों पर चोट के साथ घर्षण लग रहा था और हम दोनों की चीख निकल जाती थी।
अबकी बार जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत में घुसा तो मैंने झूले को थाम लिया और कुछ अन्तराल के बाद झूले को धीरे धीरे हिलाकर घोड़ी चोद शुरू कर दिया। घायल लंड और चूत में कुछ सूजन सी आ जाने से कसावट सी लगने लगी थी, फरहा भी मादकता से भरकर सिसकार रही थी, मेरे लंड ने ठुनकते हुए तेज प्रहार लगाने शुरू कर दिए और अंत में फ़रहा एक बार फिर स्खलित होने लगी और साथ में मेरा भी वीर्य उसकी चूत में निकलता चला गया। फिर मैं और फरहा वही टैरेस पर झूले में कुछ देर लेटे बातें करते रहे। हम दोनों को हल्का हल्का दर्द हो रहा था। उसके बाद हम कमरे में आकर सो गए।
सुबह सात बजे नींद खुली, तब फरहा बाथरूम से नहा कर निकल रही थी, उसके बदन पर सिर्फ एक तौलिया था, मैंने उसे पकड़ना चाहा तो बोली- जरा सब्र करो ! मुझे शबा को स्कूल छोड़ने जाना है, तब तक आप नहा-धो लेना ! आकर मिलती हूँ।
मेरे ही सामने उसने सारे अन्दर के कपड़े पहने, फिर साड़ी पहन ली और हुस्न की मालिका नीचे चली गई !
मैं पलंग से उठा ही था तभी रजिया मेरे लिए चाय लेकर आ गई और मेज पर रख दी, मैंने पीछे से रजिया को दबोच लिया !
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !


'ओ..माँ... थोड़ा सबर करो ! फरहा दीदी को शबा के स्कूल के लिए निकल जाने दो, फिर मुलाकात कर लेना !' कहकर वो चली गई ! मैंने चाय पी और फ्रेश होने बाथरूम में चला गया, नहाकर तौलिया लपेट कर जैसे ही बाथरूम से निकला रजिया कमरे में आ चुकी थी और दर्पण में अपने यौवन को निहार रही थी !
मैंने उसके पास जाकर अपना तौलिया खोल दिया तो रजिया मेरे नग्न शरीर को देख शरमा गई और अपना चेहरा हाथों से ढक लिया। मैंने उसे बाहों में भरकर उसे चूमते हुए सारे अंगों को मसल डाला, फिर निर्वस्त्र किया और पलंग पर बिठा कर उसके मुख के आगे अपने लौड़े को हिलाने लगा, जिसे उसने थाम लिया और अपने मुँह के हवाले कर उसकी चुसाई करने लगी।
मैंने उसके स्तनों का मर्दन करना शुरू किया और एक अंगुली उसकी भट्टी जैसी गर्म चूत में डाल दी। पहले से ही गर्म वासना से भरी रजिया को पलंग पर लिटाकर अपना लौड़ा उसकी चूत में पेल दिया और उसे भोसड़ा बनाने में जुट गया !
आह्ह...औउह… ओह्हह... की आवाज आनि शुरू हो गई, फिर उसने जो हाय तौबा मचाई तो मेरी भी उत्तेजना चरम पर आ गई, पर न कोई देखने वाला था, न ही सुनने वाला ! दोनों एक दूसरे को संतुष्ट करते हुए अपनी मंजिल की ओर बढ़े चले जा रहे थे।
फिर वो समय आया जब दोनों का रस सैलाब बन कर फ़ूट पड़ा और पसीने से सराबोर होकर हांफ़ते हुए एक दूसरे को थाम कर निढाल हो गए !
रजिया ने फिर एक बार फिर तेल लगाकर मेरी काया की मालिश कर डाली, बड़ी तन्मयता से वो मेरे यौन अंगों को पुनजागृत करने की लालसा से सहलाते-मसलते मालिश कर रही थी कि तभी फरहा आ गई, रजिया तो कपड़े पहन चुकी थी पर मैं नंगा ही बिस्तर पर लेटा था !
सिल्की साड़ी में से झलकते यौवन को देख मेरे मन में हलचल सी होने लगी। नाभिदर्शना साड़ी से कमर की खूबसूरती देखते बन रही थी उस पर खुली जुल्फें और बड़े गले का ब्लाउज़, फिर फरहा की कातिल अदाएँ ! अब मेरे को समझ आ रहा था कि जलती शमा पर परवाने क्यों न्यौछावर हो जाते हैं ! शायद यह चीज ही ऐसी है।
फरहा को शायद हमारे हो चुके मिलन का अनुमान नहीं हो पाया था, बोली- वाह रजिया, तुमने तो मेरा काम आसान कर दिया ! अब जाकर साहब का नाश्ता तैयार कर लो !
कहकर अपना बैग एक ओर पटक दिया और पलंग पर आकर बैठ गई। मैंने अपना सर उसकी गोद में रख लिया और नाभि को चूमते हुए उसके स्तनों पर अपनी गर्म सांसें छोड़ते हुए उन्हें उद्वेलित करने लगा !
रजिया बाहर चली गई तो फरहा को अपने ऊपर खींच लिया और एक एक कपड़े को निकालकर उसके जिस्म से अलग कर उसे बेपर्दा कर दिया। उसका बदन खजुराहो की मूर्तियों से भी ज्यादा खूबसूरत था।
दोनों नंगे जिस्म एक दूसरे में गुंथ गए, दोनों 69 को अवस्था में आ गए। मैंने अपनी अंगुली फरहा की चूत में घुसा दी और उसका अंगुल-चोदन करने लगा, वो मेरे लौड़े को सहलाते हुए चूसने लगी।

मैंने कहा- फरहा, तुम्हारी बुर तो बड़ी सुन्दर और मस्त है ! इसे जरा और टाईट करो न !
फरहा– वो कैसे?
मैं– जब तुम पेशाब करती हो और अचानक तुम्हें पेशाब रोकना पड़े तो क्या करती हो? पेशाब रोकने के लिए जिस तरह से अपनी चूत को संकुचित करके पेशाब रोकती हो वैसे ही संकुचन अपनी चूत में करो तो चूत में बहुत कुछ कसावट आ जाती है और निरंतर अभ्यास से चूत पहले जैसी कस जाती है ! पर आवश्यकता से अधिक करना घातक भी हो सकता है !
फरहा ने अपनी चूत में संकुचन किया तो मेरी अंगुली जो उसकी चूत में घुसी थी, उस पर दबाव बढ़ गया, मैंने कहा- बिल्कुल सही कर रही हो ! इस तरह का अभ्यास रोज 4 से 6 बार किया करो ! इस अभ्यास को सेक्स करते समय, सोते समय या पेशाब करते समय कर सकती हो ! फिर चुदाई के वक्त इसे करके देखना, तुम्हारे शौहर तुम्हारे इस गुण के तो कायल ही हो जायेंगे !
वो सफलतापूर्वक अभी इसी अभ्यास को कर रही थी, मैं उसकी चूत में अंगुली करते हुए उसके सौन्दर्य को सहला कर स्तन रूपी अमृतकलश का रसपान कर रहा था।
फरहा यौन आनन्दित होकर मादक स्वर उत्पन्न कर रही थी, उसकी चूत बिल्कुल गीली हो चली थी, मैं उसके ऊपर आ गया और अपने लंड को चूत के ऊपर रख कर अन्दर पेल दिया। शायद फरहा पहले से इसके लिए तैयार थी, उसने चूत को कस लिया था, तभी तो दो तीन धक्का लगाने के बाद पूरा लंड उसकी चूत घुस पाया !
'वाह री फरहा ! बड़ी जल्दी सीख गई तुम तो !'
उसकी तारीफ करते हुए मैंने उसके अधरों को चूम लिया और अपनी जीभ उसके मुख में डालकर उसके मुँह का जिह्वा-चोदन करने लगा। मुँह और चूत की चुदाई से उत्तेजित फरहा अपना अभ्यास छोड़कर मेरी पेलमपेल से ताल मिलकर नीचे से अपने चूतड़ उचकाने लगी, मेरे हाथ फरहा के बड़े स्तनों को रगड़ रगड़ कर लाल कर रहे थे। हम दोनों का मद्धिम शोर पूरे कमरे में फ़ैल रहा था, बीच बीच
में फरहा अपनी चूत को कस भी लेती थी।
पंद्रह बीस मिनट में फरहा और मेरा माल अपने अपने जननांगों से वेगपूर्ण गति से निकलने लगा और एक दूसरे में समाये हुए धराशायी हो गए !
फिर फरहा के आगोश में लेटे हुए हम काफी देर तक बातें करते रहे ! मैंने फरहा के बालों को सहलाते हुए कहा- दस बज चुके हैं और साढ़े ग्यारह की ट्रेन से मुझे जाना है !
तो बोली- रोनी, आज शाम तक रुक जाओ !
मैंने कहा- मैं रुक नहीं सकता ! मुझे मेरी साईट पर शाम तक पहुँचना जरूरी है ! इस ट्रेन से जाने पर मेरा आज के दिन का काम ख़राब होने से बच जायेगा !
वो बेमन से उठी और अपने कपड़े लेकर बाथरूम में चली गई, फिर बाहर आकर बोली- आप तैयार हो जाओ ! रजिया भी नाश्ता लेकर आने वाली है !
और फरहा नीचे चली गई !
मैं बाथरूम में नहाने के लिए घुस गया, नहाकर बाहर निकला तो दरवाजे पर रजिया खड़ी थी शायद वो झिरी में से मुझे नहाते हुए देख रही थी !
वो मुझसे लिपट गई और बोली- फरहा दीदी कह रही थी कि आप जा रहे हो? रोनी जी आपने मुझे वो बड़ा सुख दिया है जिससे मैं कई महीनों से महरूम थी, शाम तक और रुक जाओ, आपकी बहुत याद आएगी अब आप कब मिलोगे?
मैंने कहा- हाँ, जाना तो पड़ेगा ! अपनी मुलाकात को एक सुहाना ख्वाब समझ कर भूल जाना रजिया, इसी में हम सभी की भलाई होगी !
उसके बाद उदास फरहा ने मुझे स्टेशन छोड़ दिया, मैं वापस आ गया ! उसके बाद फरहा से फोन से बात भी हुई, उसने बताया कि दुबई से आने के बाद मेरे शौहर ने जब मेरे साथ सम्भोग किया तो मैंने अपनी चूत को कसने वाली युक्ति प्रयोग की तो वो कह रहे थे- फरहा बेगम, तुम्हारी चूत तो ऐसे कसी हो गई है, जैसे कई महीनों से तुम्हारी चुदाई ही न हुई हो ! मैंने उन्हें इस अभ्यास के बारे में कुछ नहीं बताया परन्तु चूत को कसने का अभ्यास निरंतर करती रहती हूँ !
पात्र और स्थान के नाम काल्पनिक है !




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