Tuesday, April 8, 2014

FUN-MAZA-MASTI यौवन का रसपान-1

FUN-MAZA-MASTI


यौवन का रसपान-1

 
मैं अपने ऑफिस में बैठा मेल चैक कर रहा था,  उनमें एक मेल फरहा बेगम का था जिसमें लिखा था-   आपकी कहानी बहुत अच्छी लगी। बड़ा मजा आया इसे पढ़कर !
मैंने जबाब दिया– कहानी पसंद आई, आपको इसके लिए धन्यवाद !
अगला मेल दूसरे दिन- रोनी जी, मैं भोपाल से हूँ, मेरे शौहर बिजनिस करते हैं, मेरा ताल्लुक बड़े और रईस खानदान से है। मेरी बेटी प्राइमरी में है। अक्सर अकेले होने पर   कहानियाँ पढ़ लेती हूँ ! आपकी सभी कहानिया पढ़ी हैं, सभी अच्छी लगी, आप मध्यप्रदेश के हो, भोपाल तो आते ही होंगे, क्या कभी आपसे मिल सकती हूँ? मेल का जबाब जरूर देना ! आपके जवाब के इंतजार में फरहा बेगम !
मैंने जवाब दिया- फरहा जी, भोपाल तो आता हूँ पर आप मुझसे क्यों मिलना चाहती हो? कहानी पढ़ो और मजे करो ! मुझे अपने ही बहुत से काम होते हैं, मैं सभी से नहीं मिल सकता, अगर आपको कुछ कहना है तो मेल कर सकती हो !
फरहा– रोनी जी, आपकी कहानी अगर सच्ची होती है तो मेरे से मिलने में आपको एतराज नहीं होना चाहिए क्योंकि कहानी के मुताबिक तो आप औरतों के मामले में बड़े रसिक हो, कितनी ही औरतों से आपने मिलन किया है और कितने ही तरीकों से उन्हें संतुष्ट किया। मुझे अपने शहर में किसी बात की कमी नहीं है लेकिन आपसे रूबरु होकर आपको देखना चाहती हूँ, मैं अपना फोटो भेज रही हूँ, देखकर बताना कि मैं कैसी लगी आपको !
उसका फोटो देखा, वो एकदम गोरी-चिट्टी, दूध से धुली हुई परी के समान लग रही थी। सुभान-अल्लाह ! बरबस ही मेरे मुख से निकल गया उसकी फोटो देखकर ! पर इस तरह की कई फोटो मेरे लिए कितनी ही लड़कियों या महिलाओं द्वारा भेजी गई है, उनका तो यह भी पता नहीं चलता कि वाकयी लड़की है या फेक ID पर कोई लड़का मेल कर रहा है ! जबाब देना अलग बात है, किसी का भी दिल दुखाना नहीं चाहता इसलिए जबाब देता रहता हूँ, पर उनसे मुलाकात के बारे में तो कभी नहीं सोचता !
वैसे भी भोपाल और उसके आस पास शहर से बहुत से मेल आते हैं पर मैं ज्यादा ध्यान नहीं देता। आगे भी उसके मेल आते रहे, मैं जबाब देता रहा, मैं समझ नहीं पा रहा था कि क्या किया जाये !
फरहा का अगला मेल– रोनी, तुम्हारी तमन्ना करते करते कामदेव ने भी मुझे घायल कर दिया है, जिसका मलहम सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे ही पास है। मेरे शौहर पांच दिन बाद एक सप्ताह के लिए दुबई जा रहे हैं, इन सात दिनों में कोई भी एक दिन के लिए आप मेरे से मिलने का समय निकाल लो, आपकी बड़ी मेहरबानी होगी !
मैं समझ गया कि फरहा कामाग्नि से पीड़ित है और इसका ज्वर इसकी आरजू पूरी होने के बाद उतरेगा !
मैंने कहा- आप सच कह रही हो, कैसे विश्वास करूँ?
तो बोली मेरा फोन नंबर 99 - - - - 4 इस पर आप मुझसे गुफ्तगू कर सकते हो ! जब यकीन हो जाये तभी मेरे से मिलने का इरादा बना लेना। पर वक्त कम है।
फिर फरहा ने फोन से बात की मेरे से, और पांच दिन में कई बार बात हुई। संतुष्ट होकर अंततः मैंने उससे मिलने की योजना बना डाली !
अगले दिन फरहा ने बताया कि उसके शौहर दुबई चले गए और मेरे घर पर ही आप मेरे से मुलाकात करना ! मैं आपको लेने आ जाऊँगी तो मैंने कह दिया- कल दोपहर 1 बजे की ट्रेन से आऊँगा !
नियत समय पर खुद ही कार चला कर फरहा मुझे लेने आई। उसने बुर्का पहना हुआ था, सिर्फ चेहरा बुर्का से बाहर नुमाया हो रहा था। उस पर भी बड़े शीशों का चश्मा लगा रखा था।
जैसा उसने पहले ही तय कर दिया था, मैं कार के पास गया तो उसने अन्दर से ही दरवाजा खोल दिया, मैं बैठ गया तो वो सीधा अपने घर ले गई, जिस गेट के सामने उसने कार रोकी, वो एक बहुत बड़ी कोठी थी जो एक पोश इलाके में बनी हुई थी ! गेट को एक महिला ने खोला।
फरहा ने हमें बताया- यह रजिया है, हमारी बिटिया की आया है जो हमारे साथ ही रहती है, घर के काम भी करती है !
गेट के अन्दर शानदार बगीचा था, जहाँ रजिया के साथ फरहा की 5–6 साल की बिटिया शबा खेल रही थी। बगीचा और कोठी को देखकर उनकी रईसी और नवाबी ठाठ का अंदाजा मैंने लगा लिया ! कोठी के अन्दर का नजारा तो जन्नत सा लग रहा था।
फरहा बोली- आप तशरीफ़ रखिये, मैं आती हूँ।
मैं एक गद्देदार सोफे पर बैठा तो उसमें धंसता चला गया। सामने की दीवाल पर एक युगल की तस्वीर जिसमें फरहा के साथ उसका पति होगा जो रोबदार, बांका नौजवान था। मैं कोठी का मुआयना कर ही रहा था कि सामने के दरवाजे से फरहा नुमाया हुई, बिल्कुल चौदहवीं का चाँद थी जैसे बुर्का रूपी घने बादल में छुपी हुई थी। बुर्का निकलते ही उसकी खूबसूरती उजागर हो गई ! फोटो से भी ज्यादा खूबसूरत और दिलकश थी वो ! उसने लाल कसीदे वाली सलवार-कुर्ती पहन रखी थी। मेरा तो गला सूखा जा रहा था !
फरहा की काया छरहरी थी पर ऊपर नीचे के उभार बड़े उन्नत थे ! बेहद हसीन हुस्न की मलिका थी। शायद कामदेव की इस पर नजर नहीं पड़ी नहीं तो इस अभूतपूर्व सौन्दर्य पर मोहित होकर वो अपनी रति को भी छोड़कर फरहा के पीछे लग जाता।
तब तक रजिया और शबा भी अन्दर आ गए !
फरहा- रजिया, जाओ चाय नाश्ते का इंतजाम करो जल्दी !
फरहा ने हुक्म दिया तो रजिया मेरी और फरहा की ओर देख मुस्कुराती हुई अन्दर चली गई। रजिया की उम्र 30–32 से ज्यादा नहीं होगी बड़ी हसीन और बदन भरा गदराया हुआ था ! फरहा की बेटी शबा मुझे उत्सुकतावश देख रही थी मैंने अपने साथ लाये चोकलेट के पैकेट्स उसे दिए तो बोली- थैंक यू अंकल !
तभी फरहा बोली- बेटा, आप अपने कमरे में जाकर पढ़ाई करो, मैं अभी रजिया को भेज रही हूँ !
फिर फरहा सोफे पर मेरे करीब आकर बैठ गई। 
मैंने कहा- रजिया क्या सोचेगी? उसे और शबा को क्या बताओगी कि मैं कौन हूँ, क्यों आया हूँ?
तो फरहा बोली- अभी आप मेरे बेडरूम में ऊपर की मंजिल पर चलना तो शबा को पता भी नहीं चलेगा कि आप यहाँ रुके हुए हो और रही बात रजिया की तो अक्सर हम दोनों नेट पर   कहानियाँ पढ़ती हैं, कभी कभी हम दोनों समलिंगी सेक्स भी कर लेती हैं ! उसे मैंने पहले ही तुम्हारे बारे में बता दिया था, वो मेरी राजदार और अच्छी सहेली भी है, उसके शौहर ने तलाक दे दिया है इसलिए वो बेसहारा यहीं रहती है, आप कोई फिकर मत करो !
कहते हुए मुझसे चिपक कर बैठ गई। फरहा के शरीर से और कपड़ों पर लगे इत्र की मस्त खुशबू मेरे दिलोदिमाग को तरोताजा कर रही थी, मैंने भी अपनी बाँहों के घेरे में लेकर फरहा को आलिंगनबद्ध कर लिया, बोला- फरहा, तुम तो एकदम अप्सरा हो, कितनी हसीं हो, कितनी मादक हो ! तुम्हारे पति तुम्हारी सेक्स की आग को नहीं बुझाते क्या जो मुझे याद कर लिया !
फरहा– ऐसी बात नहीं है, मेरे खाविंद मेरी सभी ख्वाहिशों को पूरा करते हैं और सेक्स के तो वो बहुत बड़े शौकीन हैं, घर पर होते हैं तो मौका मिलते ही मुझे पकड़कर वासना में गोते लगाते रहते हैं, मुझे कभी प्यासा नहीं छोड़ते ! पर मुझे लगता है कि यदि वो टूर पर बाहर जाते हैं तो शायद किसी न किसी हसीना का सुख भी भोगते होंगे पर मुझे उनसे कभी शिकायत नहीं हुई ! रही मेरी बात, तो मैंने कभी अपने पति के अलावा किसी से कोई सम्बन्ध नहीं बनाया ! पर मैं भी थोड़ा सा बदलाव चाहती हूँ कुछ नयापन, नए अनजान पुरुष से ! और आपकी कहानियाँ पढ़कर मैंने आपसे मिलने का फैसला किया ! ऐसा लगता है जैसे मुझे आपसे प्यार हो गया है।
मैंने कहा- फरहा, तुम प्यार मुहब्बत के धोखे में मत रहना क्योंकि रोनी अपनी पत्नी (मेरी जानू) के अलावा किसी भी महिला से प्यार नहीं करता, न ही उन्हें प्यार के धोखे में रखता है। मतलब रात गई और बात गई !
तभी रजिया खांसते मुस्कुराते हुए आई और ढेर सारा नाश्ता चाय पानी मेज पर लगा दिया !
फरहा– रजिया, जाकर शबा की पढ़ाई कराओ और उसका ध्यान रखना !
रजिया के जाने के बाद हमने नाश्ता किया, फिर ऊपर वाली मंजिल पर चले गए जहाँ फरहा का बेडरूम था। यहाँ पर स्वर्ग जैसी सारी सुविधाएँ मुहैया थी !
मुझे आलीशान पलंग पर बिठाकर फ़रहा बोली- अब आप अपने कपड़े बदल लो !
और फरहा बाथरूम में घुस गई।
मैं सुसज्जित शयनकक्ष को देख सम्मोहित सा हो गया था, जैसे किसी स्वप्नलोक में आ गया हूँ।
तभी बाथरूम के दरवाजे पर फरहा प्रकट हुई, उसके जिस्म पर केवल एक काला पारदर्शी गाउन था जिसमें से उसके हाहाकारी बेपर्दा जिस्म का दीदार हो रहा था !
   उसका फिगर 36–30–36 होगा, उसके स्तन पूर्ण गोलाई लिए आपस में सटे हुए थे, सपाट पेट पर गहरी नाभि और पतली कमर के नीचे उन्नत और पुष्ट नितम्ब ! कुल मिला कर मजबूती का दमदार रिकार्ड मेरे सामने था। मेरा लंड बेकाबू होकर अपना सर उठाकर फुंफकारने लगा, मैं तो मदहोश सा हो गया था।
वो आते ही एक पैर मेरे बाजु में पलंग पर रखकर बोली- अब ऐसे ही बैठे रहोगे क्या?
मेरी तन्द्रा भंग हुई और उसके बदन से उठती मादक खुशबू मेरे नथुनों में समाने लगी, शायद अपने गुप्तांगों को धोकर पूरी तैयार होकर आई थी। उसने मेरे कपड़े एक एक कर निकाल दिए और मेरे लंड को ऐसे प्यार से थामा कि उसके ख़ुशी के आंसू ही निकल पड़े। मैंने उसके गाउन को निकाल दिया और खड़े खड़े ही उसके बदन पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी ! वो मेरे लंड को लगाम की तरह पकड़ कर खींचते हुए अपने साथ बाथरूम में ले गई और मेरे लंड पर गुनगुना पानी डालकर धोने लगी तो पानी पड़ने से लंड कुछ ढीला पड़ गया। तुरंत ही फरहा मेरे लंड मुख में लेकर कुल्फी की तरह चूसने लगी !
मेरे सब्र का बांध टूट रहा था, कब इसकी योनि में अपने लंड को डाल दूँ ! यह सोच उसे गोद में उठाकर पलंग पर ले आया, पर
समझ नहीं आ रहा था कि इस खूबसूरती का मजा लेना किस अंग से शुरू करूँ ! फरहा बिल्कुल बिंदास मेरे सामने बेपर्दा लेटी हुई नागिन की तरह बल खा रही थी। मैंने उसके स्तनों को सहलाते हुए जांघों पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूमते चाटते उसकी योनि का दर्शन करने लगा। बिल्कुल डबलरोटी जैसी फूली हुई चिकनी चूत की फांकें खुली हुई थी, अन्दर का भाग गुलाबी दरार के रूप में दिखाई दे रहा था जिससे योनिरस की बूँदें छलक कर बाहर आ गई थी, उसके गर्मी से भरे बदन की तपिश में ऐसा लगा जैसे रेगिस्तान में कोई जल का झरना दिख गया हो।
फरहा मेरे लंड को थामकर ठंडी सांस भरते हुए बोली- हाय...रे.. इस लंड को लेने का सपना आज पूरा होने जा रहा है जो मैंने कई महीनों से देख रखा था ! और दुलार करते हुए आह्ह.. भरकर फिर से चूसने लगी।
हम 69 की स्थिति में आ गए, मैंने अपना सर फरहा की चिकनी जांघों के बीच ले जाकर उसकी चूत पर चुम्मी करते हुए अपनी जिह्वा से उसकी कड़क हो चली दाने रूपी चिड़िया को जगाने लगा। फरहा सिसकारी के साथ एकदम से चिहुंक उठी, सिसकारी भरते हुए मेरे लंड को गले तक ले जा कर चूस रही थी, मुझे लग रहा था जैसे मेरा तो निकल ही जायेगा।
मैंने अपनी अंगुलियों से उसकी चूत के पट खोल कर उसमे अपनी जिह्वा को प्रवेश करा दिया और चूत का जिह्वा-चोदन करने लगा। एक हाथ से उसके विकसित नितम्बों यानि की गांड के उन्नत उभारों को सहलाने लगा।
'आह्ह… स्स्स्स… सिस्स्स…' की सिसकारी के साथ ही फरहा अपनी गांड को उछालते हुए मेरी जीभ को अन्दर और अन्दर लेने की जद्दोजहद करने लगी, बोली- आह... ओह्ह... रोनी... जीभ से भी इतना आनन्द दे सकते हो ! आज पहली बार महसूस कर रही हूँ… आईई... सीस्स... हाय... फरहा की जांघों की फड़कन और नितम्बों में होने वाली हलचल से लग रहा था कि जल्दी ही यह पानी छोड़ने वाली है पर उसी गति से वो मेरे लंड को भी चूसते हुए चाट रही थी। मैंने कहा भी कि इस तरह तो मेरा माल तुम्हारे मुँह में निकल जायेगा पर उसने मेरी बात को अनसुना करके अपनी चूत को उछालते हुए मेरे सर को अपनी जांघों में दबा लिया, जिह्वा को और भी अन्दर लेने का प्रयास करने लगी, उसकी पूरी चूत अपने मुँह से चूसते हुए एक अंगुली से भी उसकी चूत चुदाई करने लगा।
इन्ही क्षणों में फरहा बल खाते हुए स्खलित होने लगी, उसके रस से मेरे होंठ और ठोड़ी भीग गए और मेरे लंड को अपने मुँह में बुरी तरह से चचोरने लगी, मेरे लंड का गुलाबी टोपा फरहा के मुखघर्षण से फूलने लगा और आनंदित होकर झटका देते हुए वीर्य की तीव्र पिचकारी उसके मुंह में छोड़ता, उसके पहले मैंने लंड को निकलना चाहा तो उसके गले और स्तनों पर वीर्य की पिचकारी चल गई, तुरंत फरहा ने दोबारा लंड को मुँह में ले लिया और वीर्य को अपने गले से नीचे उतारते हुए गटकने लगी। पहली बार किसी ने मेरा वीर्य इस तरह पिया था, अदभुत आनन्ददायक क्षण थे वो !
उसके बाद वो लंड को चूसते-चाटते बोली- तुमने लंड को बाहर क्यों खींच लिया था?
मैंने कहा- जानेमन शायद हर कोई वीर्यपान पसंद नहीं करता इसलिए !
फरहा– वीर्य का महत्त्व जो समझते हैं, वो इसे जाया नहीं करते ! यही तो वो टोनिक है जो मुझे हर हाल में पसंद है !
कामकला से परिपूर्ण फरहा मेरे लंड को फिर गर्मी देने की मशक्कत में लग गई, दस मिनट में उसकी मेहनत रंग लाई तो वो मेरे ऊपर आकर सवार हो गई और भट्टी सी दहकती चूत के मुहाने पर मेरे लंड के टोपे को टिकाकर अपनी गांड को नीचे दबाते हुए आहिस्ता-आहिस्ता पूरा लंड एक मीठी मादक सिसकारी के साथ अपनी गीली चिकनी चूत में समाहित कर लिया। उसके बड़े बड़े स्तन मेरे मुख के सामने थे जिन्हें थामकर सहलाते हुए एक स्तन के निप्पल को अपने मुंह में डालकर उन्हें चूसने लगा।
फरहा की नशीली आँखों के लाल डोरे देख लग रहा था कि वाकयी यह वो अप्सरा है जिसके यौवन का रसपान करके मैं तो धन्य ही हो जाऊँगा। तभी उसने अपने घने बालों को खोल कर मेरे चेहरे पर बिखरा दिया, मादक स्वर लहरियों के साथ फरहा ने अपनी गांड के संचालन से मेरे लौड़े को अपनी चूत में अन्दर बाहर करना शुरू कर लिया। वह बड़े लयबद्ध तरीके से मेरे लंड को अपनी योनि को संकुचित करके अपनी योनि में दबोचते हुए एक कुशल रमणिका की तरह मेरी सवारी कर रही थी, स्तनों की थिरकन- वाह वाह !
मेरे आनन्द का कोई पारावार नहीं था अपने आप को भी भुला बैठा था मैं आज ! उसकी दनादन चुदाई काबिले-तारीफ थी, जैसे मैं उसकी नहीं, वो मेरी चुदाई कर रही थी, बस मेरा लंड तो कहने मात्र को था, ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरा लंड मेरे ही जिस्म में धंस रहा हो ! वाकयी अदभुत !
तभी उसने अपनी कमर को चक्की की तरह घुमाते हुए मेरे लंड को गपागप अन्दर लेने लगी। कभी अपनी कमर को चक्की की तरह दायें घूमती, कभी बाएं, यानि मेरे लौड़े से अपनी योनि के चारों और घर्षण देते हुए अपनी कड़क शिश्निका को घर्षित करते हुए चरम-उत्कर्ष की ओर बढ़ी चली जा रही थी, साउंड प्रूफ कमरे में उसके मुख से निकलने वाली ध्वनियों पर उसका कोई नियंत्रण नहीं था, कभी जोर से कभी धीरे मादक स्वर लहरियाँ प्रवाहित कर रही थी वो, उसकी गांड मेरे जांघों पर टकराकर पट पट की आवाज से मेरा उत्साहवर्धन कर रही थी। मेरा लौड़ फरहा की बुर में फूलकर और भी सख्त होता जा रहा था जिसकी अनुभूति के साथ ही फरहा स्खलित होने लगी और उसकी घुटी घुटी चीखों के साथ उसका दरिया बह चला जो मेरे अंडकोष को गीला कर गया, मेरा लंड जड़ तक उसकी चूत में पैवस्त था, फरहा की बुर में हो रहे आकुंचन और संकुचन का अहसास मुझे प्रफुल्लित कर रहा था।
फिर वो अपने को ढीला छोड़ तेज सांसों का तूफान लिए मेरे ऊपर निढाल हो गई और मेरे होंठों को अपने होंठो में लेकर चूसने लगी, उसके स्तन मेरे सीने पर दबाव बना रहे थे, मैं उसकी पीठ कमर और गांड के उभारों को सहलाकर उसे उत्साहित कर रहा था। सांसों के नियंत्रित होते ही बोली- अब आप ऊपर आ जाओ !
मैंने अपने लौड़े को उसकी बुर में डाले हुए इस तह पलटी लगाई कि मैं ऊपर और फरहा नीचे लंड ज्यों का त्यों उसकी बुर में जरा भी टस से मस नहीं हुआ। फिर फरहा की टांगों को ऊपर उठा दिया उसके मम्मों को सहलाते-मसलते लंड को पेलना शुरू कर दिया। फरहा की 'आह कराह' मेरे जोश को बढ़ा रहे थे, उसके स्तनों का मर्दन करते हुए मैंने पेलमपेल की गति तेज कर दी आह्ह... ओह्हो... मजा आ रहा है रोनी... और जोर से... हाँ... स्स्स्स ! वो तो बस आँखें बंद कर जन्नत की सैर कर रही थी फाड़ दो... मेरी चूत को... भोसड़ा बना दो रोनी ! हाँ... ऐसे ही... हर पल आयँ बायँ बकते वो मुझे उत्तेजित कर रही थी अपनी गांड को उचकाते हुए मेरे पीठ पर उसकी पकड़ तीखी होती जा रही थी, नाख़ून चुभने का अहसास मुझे चरम पर ले गया, फिर अनियंत्रित सांसों और जोरदार स्वर सिसकारियों के साथ दोनों एक साथ अपना माल छोड़ने लगे। फरहा ने अपनी टांगों को मेरी कमर पर घेरा बनाकर कस लिया ताकि लंड ज्यादा से ज्यादा अन्दर रहे।
कमरा ठंडा होने के बाबजूद भी दोनों पसीने से लथपथ थे, हांफते हुए फरहा बोली- रोनी डियर, मजा आ गया ! आपने तो मुझे तृप्त कर दिया ! वाकयी आप जोरदार चुदाई करते हो ! आपकी कहानी 'कलि से फूल' के दूसरे भाग में जिस तरह खड़े खड़े चुदाई की थी आपने, अब उस तरीके से चोद डालो मुझे !
अब तक शाम के पांच बज चुके थे, मैंने कहा- डार्लिंग, अब तो कल तक के लिए यहीं हूँ, थोड़ी थकावट मिट जाये, रात में जरूर उस प्रकार से तुम्हें चोद दूँगा !
फिर मैंने रजिया का जिक्र छेड़ दिया वो मेरे मंतव्य को बखूबी समझ चुकी थी !

 बोली- अच्छा जी जनाब रजिया के शवाब का लुत्फ़ लेना चाह रहे हैं?
मैं– यदि आप चाहो तो, वो आपकी राजदार तो है ही !
फरहा– वैसे भी वो बहुत दिनों से सेक्स से महरूम है यदि वो तैयार हो जाये तो मुझे इस बात से कोई एतराज नहीं होगा न ही कोई मलाल होगा !
फिर उसने सिरहाने के पास लगे एक बटन को दबा दिया। हम दोनों अभी भी नग्न एक दूसरे की बाहों में समाये हुए थे, फरहा ने एक चादर खींचकर दोनों को ढक लिया। तभी दरवाजे पर किसी की दस्तक हुई !
फरहा- आ जाओ !
रजिया मुस्कुराते शरमाते अन्दर आकर बोली- जी?
फरहा- साहब को चाय बनाकर ले आओ और इन्हें थोड़ा मसाज भी कर देना !
रजिया के जाते ही फरहा कपड़े पहनकर बोली- मैं शबा के पास जाती हूँ, रजिया आये तो अपने हिसाब से देख लेना ! हालांकि खुद से चुदने के लिए बोलने की जहमत नहीं कर सकती और तुम्हें मना भी नहीं करेगी ! पर यदि उसको भी चोद डालोगे तो वो कभी मेरे खिलाफ भी नहीं जाएगी !
कहते हुए फरहा नीचे वाली मंजिल में चली गई !
मेरी तो निकल पड़ी थी, एक के साथ एक फ्री ! दो दो जवान रसीले जिस्मों का सुख ! मेरी रगों में खून की रफ़्तार बढ़ने लगी, अचेत से लंड में चेतना का अनुभव सा होने लगा !
तभी रजिया मुझे चाय लेकर आ गई और एक कटोरे में मालिश के लिए सरसों का तेल भी लेकर आई थी। मैं नग्न ही चादर ओढ़े लेटा था, उसने चाय मेरी ओर बढ़ा दी तो मैंने अपनी पीठ को पलंग के सिरहाने से टिका लिया और चाय की चुस्कियाँ लेते हुए रजिया के हुस्न का दीदार करने लगा जो हाथ में कटोरी लिए सलवार कुर्ती में मेरे सामने खड़ी हुई थी !
मैं- रजिया, बैठो न !
रजिया- मैं आपके पास बैठने नहीं आपकी मालिश करने आई हूँ !
शायद उसे मेरे पूर्ण नग्न होने का अनुमान नहीं था, कहते हुए उसने मेरा एक पैर जांघों तक चादर से उघाड़ा और तेल लगाने लगी ! मैंने चाय पीकर प्याला एक ओर रख दिया और उसके यौवन का रसपान करने लगा। उसकी आँखों में तैरती वासना के लाल डोरे साफ बता रहे थे कि फरहा ने इसे मेरी बात से अवगत करा दिया है और यह मानसिक रूप से चुदने की तैयारी से आई है,
रजिया बड़ी तन्मयता से मेरे पैरो को जांघों तक सहलाते हुए मालिश करने लगी। थोड़ी देर पहले की थकावट से मुझे बड़ी राहत मिल रही थी, मैं अपने हाथों को चादर के अन्दर करके लेट गया, जैसे ही रजिया का हाथ मालिश करते हुए जांघों की तरफ आता, मैं अपना हाथ उसके हाथों से टकराने लगा, कभी कभी पकड़ कर जांघों पर दबा देता !





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