Wednesday, April 16, 2014

FUN-MAZA-MASTI दीदी और मम्मी को एक साथ -1

FUN-MAZA-MASTI

दीदी और मम्मी को एक साथ -1 

 स्कूल गेट के बाहर हर रोज घर ले जाने के लिये रिक्शावाला, मेरा इन्तेजार कर रहा था। मेरे बैठते ही रिक्शावाला तेजी के साथ दीदी के स्कूल की तरफ रवाना हो गया। ये मेरा हर रोज का रूटीन था। पहले रिक्शावाला मुझे लेता था, क्योंकि मेरे स्कूल की छुट्टी ११:३० बजे होती थी फिर दीदी को, जोकि १२वीं क्लास में पढती थी मैं दसवीं कक्षा का छात्र हुं। और उनके स्कूल की छुट्टी १२:०० बजे होती थी। कुछ ही देर में मैं दीदी के कोन्वेन्ट स्कूल के सामने पहुंच गया। अभी ११:४५ हुए थे, रिक्शावाला बगल की दुकान पर चाय पीने चला गया और मैने अपने बेग में से दो किताबे निकल ली। ये दोनो किताबे मेरे दोस्त सोहन ने मुझे दी थी। एक किताब में औरत-मर्द के नन्गे चित्र थे, और दुसरी किताब में कहानियां थी। कहानियों की किताब को मैने बाद में पढने का निश्चय किया, और पिक्चर वाली किताब को अपनी हिस्टरी बुक के बिच में रख कर वहीं रिक्शा पर देखने लगा। पिक्चर्स काफि सेक्षी और ईरोटीक थी। पिक्चर्स देखते-देखते मेरा लंड खडा होने लगा, और मेरे चेहरे का रंग उत्तेजना के मारे लाल हो गया। अपने खडे लंड को छुपाने के लिये, मैने अपना स्कूल बेग अपनी गोद में रख लिया और औरत-मर्द के चुदाई के विभिन्न आसनो में ली गई उन तसवीरों को देखने लगा। तभी स्कूल की घंटी बज उठी। मैने जल्दी से किताबों को मोड कर अपने स्कूल बेग में घुसाया, अपने लंड को अपनी पेन्ट में एडजस्ट किया और रिक्षे से उतर कर अपनी डार्लिंग बहन का इन्तेजार करने लगा।

ठीक बारह बजे मुझे मेरी प्यारी, सेक्षी गुडिया जैसी बहना रिक्शा की तरफ बढती हुई दिख गई। सच में कितनी खूबसुरत थी, मेरी बहन! उसको देखा कर, किसी भी मर्द की रीड की हड्डी में जरुर एक सिहरन उठ जाती होगी। मेरी बहन इतनी खूबसुरत और सेक्षी है कि, मैं उसके प्यार में पुरी तरह से डुब गया हुं। वो भी मुझ से उतना ही प्यार करती है। बाहर की दुनिया के लिये हम भले ही भाई-बहन है, मगर घर में अपने कमरे के अंदर हम दोनो भाई-बहन, एक-दुसरे के लिये पति-पत्नी से भी बढ कर है। आपको ये सुन कर शायद आश्चर्य लगेगा, मगर यही सच है। मेरी दीदी इस वक्त १९ साल की है, और मैं १८ साल का। हम दोनो अपने मम्मी-पापा के साथ, शहर से थोडी दूर उपनगरीय क्षेत्र में रहते है। मेरे पापा अभी ४० साल के, और मम्मी ३५ साल की है। हमारा एक मध्यम वर्गीय परिवार है। मेरी मां बहुत ही खूबसुरत महिला है, और पापा भी एक खूबसुरत व्यक्तित्व के मालिक है। दोनो ने लव-मैरीज की थी, इसलिये उन्हे परिवार से अलग हो कर रहना पड रहा है। जोकि हमारे लिये अच्छी बात है। पापा एक प्राईवेट बैंक में उंचे पद पर है, और मम्मी गवर्नमेन्ट जोब करती है। इस नये शहर में आकर, पापा ने जानबुझ कर शहर से बाहर शांति भरे माहोल में एक बंगलो खरीदा था। हमें स्कूल ले जाने और ले आने के लिये, उन्होने एक रिक्शा तय कर दिया था। घर की उपरी मंझिल पर, एक कमरे में मम्मी और पापा रहते थे और दुसरे कमरे में हम दोनो भाई-बहन। हमारे घर से स्कूल तक की दूरी, रिक्शा के द्वारा करिब ३० मिनट में तय हो जाती थी।

रिक्शा के पास आते ही बहन ने पुछा,
“और भाई, कैसे हो ? बहुत ज्यादा देर से इन्तेजार तो नही कर रहे ?”

मैने कहा,
“नही दीदी, ऐसा नही है।”,
और उसको देखते हुए मुस्कुराया।

मैने देखा कि, उसके गाल गुलाबी हो गये थे, और चेहरे पर शर्म की लाली और आंखो में वासना के डोरे तैर रहे थे। मैं सोचने लगा कि, मेरी प्यारी बहना के गाल गुलाबी और आंखे वासना से भरी भरी क्यों लग रही है ? क्या दीदी स्कूल में गरम हो गई थी ? मेरी बहन ने रिक्शा पर बैठने के लिये, अपने एक पैर को उपर उठाया। इस तरह करते हुए उसने बडे ही आकर्षक और छुपे हुए तरिके से, अपनी स्कर्ट को इस तरह से उठ जाने दिया कि, मुझे मेरी प्यारी बहन की मांसल, चिकनी और गोरी जांघे, उसकी पेन्टी तक दिख गई। एक क्षण में ही दीदी रिक्शा पर बैठ गई थी, पर मेरे बगल में शैतानी भरी मुस्कुराहट के साथ बैठ गई। मैं जानता था कि, यह उसका मुझे सताने के अनेक तरिको में से एक तरीका है। जब वो मेरे बगल में बैठी तो उसके महकते बदन से निकलती सुगंध ने मेरे नाक को भर दिया, और मैने एक गहरी सांस लेकर उस सुगंध को अपने अंदर और ज्यादा भरने की कोशिश की।

मेरी बहन मेरी उत्तेजना को समझ सकती थी। ( www.indiansexstories.mobi ) उसने मुस्कुराते हुए पुछा,
“क्यों भाई, तुम्हारा चेहरा इस तरह से लाल क्यों हो रहा था, और तुम्हारी आंखे भी लाल हो रही है, क्या बात है ?”

मैने मुस्कुराते हुए उसकी ओर देखा और कहा,
“देखो दीदी, तुम तो मेरे दोस्त सोहन को तो जानती ही हो। उसने मुझे दो बहुत ही गर्म किताबे दी है। तुम्हारा इन्तेजार करते हुए, मैं उन्हे देखा रहा था और फिर तुम जब रिक्शे पर बैठ रही थी, तब तुमने मुझे अपनी पेन्टी और जांघे दिखा दी। अब जब कि तुम मेरे बगल में बैठी हो, तो तुम्हारे बदन से निकलने वाली खूश्बु मुझे पागल कर रही है।”मेरी बहन हंसने लगी। रिक्शावाले ने रिक्शे को आगे बढा दिया था और हम दोनो भाई-बहन धीमे स्वर में फुसफुसाते हुए आपस में बात कर रहे थे, ताकि हमारी आवाज रिक्शा वाला ना सुन सके।

मेरी बहन मेरे दाहिने तरफ बैठी थी, और अपनी दाहिने हाथ से उसने अपने किताबों को अपनी छाती से चिपकाया हुआ था। पथरीले रास्ते पर चलने के कारण रिक्शा बहुत हिल रहा था, और इसलिये अपना बैलेंस बनाने के लिये काजल दीदी ने अपने बांये हाथ को उपर उठा कर, रिक्शा का हुड पकड लिया। ऐसा करने से मेरी प्यारी बहन की चिकनी, मांसल कांख, (जोकि पसिने की पतली परत और उससे भीगे हुए उसके स्कूल ड्रेस के ब्लाउस से ढके हुए थे।)से निकलती हुई तीखी गंध सीधी मेरी नाक में आ कर समा गई। मेरी गोद में रखे मेरे बेग के निचे मेरा लंड अब पुरी तरह से खडा हो गया था, और ऐसा लग रहा था कि उसने मेरे बेग को अपने उपर उठा लिया है। यह मेरी बहन का एक और अनोखा अंदाज था मुझे सताने का, वो जानती थी कि मुझे उसकी कांख और उस से निकलने वाली गंध पागल बन देती है। उसके बदन की खुश्बु मुझे कभी भी उत्तेजित कर देती है।

उसने मुझे अपनी आंखो के कोनो से देखा, और सीट की पुश्त से अपनी पीठ को टीका कर आराम से बैठ गई। उसने अभी भी अपने बांये हाथ से हुड को पकड रख था, और अपनी किताबों को अपने छातियों से चिपकाये हुए थी। रिक्षा के हिलने के कारण उसकी किताबे, जोकि उसकी छातियों चिपकी हुई थी, बार-बार उसकी चुचियों पर रगड खा रही थी। जैसे ही रिक्शा एक मोड से मुडा तो मैने ऐसा नाटक किया कि, जैसे मैं लुढक रहा हुं और अपने चेहरे को उसकी मांसल कांखो में गडा दिया और लम्बी सांस खिंचते हुए उसकी कांखो को चाट लिया और हल्के से काट लिया। मेरी बहन के मुंह से एक आनंद भी चिख निकल गई और उसने मुझे जानवर कहा और बोली,
“देखो भाई, तुम एक जानवर की तरह से हरकत कर रहे हो। देखो, तुमने कैसे मेरी कांखो को चाट कर गुदगुदा दिया और काट लिया। मुझे दर्द हो रहा है, मुझे लगता है, तुम्हरे दोस्त की दी हुई कितबों ने तुम्हे कुछ ज्यादा ही गरम कर दिया है।” 

“अगर तुम मुझे इस तरह से सताओगी तो तुम्हे यही मिलेगा, समझी मेरी प्यारी बेहना। वैसे डार्लिंग दीदी, मुझे एक बात बताओ कि, तुम आज कुछ ज्यादा ही चुलबुली और शैतान लग रही हो। ऐसा क्या हुआ है, आज ? क्या तुम भी मेरी तरह गरम हो गई हो, बताओना ?”

“तुम तो मेरी सहेली कनिका को जानते ही हो। उसने अपने घर पर कल रात हुई एक बहुत ही उत्तेजक घटना के बारे में मुझे बताया, जिसके कारण मैं बहुत गरम हो गई हुं। निचे से पुरी तरह से गीली हो गई हुं, और मेरी पेन्टी मेरे चूत के पानी से भीग गई है।”

“सच में डार्लिंग सिस, ऐसा क्या हुआ ? मुझे भी बताओना।”

“कल रात उसके घर पर उसके मामा, यानिकि उसकी मम्मी के छोटे भाई आये थे। उसे और उसकी मम्मी दोनो को सिनेमा दिखाने ले गये थे। सिनेमा होल में उसके मामा और मम्मी एक दुसरे से लिपटने चिपटने लगे थे। बाद में घर वापस लौटने पर, उसके छोटे मामा ने रात में उसकी मम्मी को खूब चोदा। भाई जब मेरी सहेली ने, अपने मामा और मम्मी की चुदाई की पुरी कहानी बताई तो, मेरी चूत बुरी तरह से पनिया गई और मैं बहुत उत्तेजित हो गई। कनिका ने मुझे बाद में बताया कि, उसके मामा ने बाद में उसे भी उसकी मम्मी के सामने ही नंगा कर के खूब चोदा। और उसकी मम्मी ने ये सब बहुत मजा लेकर देखा। तुम तो जानते ही हो भाई कि, उसके पापा विदेश गये हुए है।”“ओह दीदी, कनिका सचमुच में बहुत ही भाग्यशाली लडकी है। कनिका की, उसके मामा और मम्मी के साथ की गई चुदाई का अनुभव सच में बहुत उत्तेजक है। दीदी मैं भी सोचता हुं कि काश मैं तुम्हे और मम्मी को एक साथ, एक ही बिस्तर पर चोद पाता। इन किताबों को देखने के बाद, मैं भी बहुत गरम हो गया हुं। मेरी प्यारी बहेना रानी, चलो जल्दी से घर पर चलते है और एक दमदार चुदाई का आनंद उठाते है, क्यों ? मुझे लगता है तुम भी काफि गरम हो चुकी हो, अपनी प्यारी सहेली कनिका की कहानी को सुन कर।”

“हां भाई, तुम सच कह रहे हो। मैं स्कूल की छुट्टी का इन्तेजार कर रही थी। मेरी चूत खुजला रही है और मेरा पानी निकल रहा है।”

“ओह दीदी, तुम जब स्कूल से निकल रही थी, तभी मुझे लग रहा था कि तुम काफि गरम हो चुकी हो।”

“हां, मेरे प्यारे भाई, कनिका की बातो ने मुझे गरम कर दिया है। उसकी चुदक्कड मम्मी और चोदु मामा की कहानी ने, मेरी निचे की सहेली में आग लगा दी है। और मैं भी चाहती हुं कि, हम जल्दी से जल्दी घर पहुंच कर एक-दुसरे की बांहो में खो जायें।”

अभी हम घर से लगभग १०० मिटर की दूरी पर थे, तभी एक जोर की आवाज ने हमारा ध्यान भंग कर दिया। रिक्षा रुक गया था, और इसका एक टायर पंक्चर हो चुका था। आस-पास में कोई रिपेर करने वाली दुकान भी नही थी, और घर की दूरी भी अब ज्यादा नही थी। इसलिये हमने निर्णय किया कि, हम पैदल ही घर जाते है। रिक्षावाले ने अपने रिक्षे को दुसरी तरफ मोड लिया और हम दोनो भाई-बहन निचे उतर कर पैदल ही घर की ओर चल दिये।

कुछ दूर तक चलने के बाद, मेरी बहन ने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा,
“भाई, तुम मेरे पिछे-पिछे चलो, मेरे साथ नही।”

मेरी समझ में नही आया कि, मेरी डार्लिंग सिस्टर मुझे साथ चलने से क्यों मना कर रही है। मैने आश्चर्य से पुछा,
“तुम्हारे पिछे क्यों, दीदी ?”

मेरी बहन ने अपनी आंखो को नचाते हुए मुस्कुरा कर कहा,
“भाई, ऐसा करने में तुम्हार ही फायदा है। अगर तुम चाहो तो इसे आजमा कर देख शकते हो। बल्कि, मैं कहती हुं तुम्हे एक अनोखा मजा मिलेगा।”

मुझे अपनी बहन पर पुर भरोसा था। वो एक बहुत ही द्रढ निश्चय और पक्के विश्वास वाली लडकी थी, और हर चीज को नाप-तौल कर बोलती थी। अगर उसने मुझसे पिछे चलने के लिये कहा था तो, जरुर इसमे भी हंमेशा की तरह कोई अनोखा आनंद छुपा होगा। ऐसा सोच कर मैने अपनी प्यारी सिस्टर को आगे जाने दिया और खुद उसके पिछे, उस से कुछ फासले पर चलने लगा। पूरी सडक एकदम सुमसान थी, और एक-आध कुत्ते के अलावा कुछ भी नजर नही आ रहा था। शहर के इस भाग में मकान भी इक्का-दुक्का ही बने हुए थे, और एक साथ ना होकर इधर-उधर फैले हुए थे। मैं अपनी दीदी के पिछे धीरे-धीरे चल रहा था, और मेरी डार्लिंग बेहना भी धीरे-धीरे चल रही थी।

ओह डिअर, क्या नजारा था! मेरी प्यारी सिस्टर बहुत ही मादक अंदाज में अपने चुतडों को हिलाते हुए चल रही थी। अब मेरी समझ में आया, मुझे अपने पिछे आने के लिये कहने का राज। वो अपनी गांड को बहुत ही मस्त अदा के साथ हिलाते हुए चल रही थी। उसके दोनो गोल-मटोल चुतड, जिनको कि मैं बहुत बार देखा चुका था, उसकी घुटनो तक की स्कर्ट में हिंचकोले लेते हुए मचल रहे थे। मेरी बहन के चलने का यहां अंदाज मेरे लिये लंड खडा कर देने वाला था। उसके गांड नचा कर चलने के कारण उसके दोनो मस्त चुतड, इस तरह हिलते हुए घूम रहे थे कि, वो किसी मरे हुए आदमी के लंड को भी खडा कर सकते थे। मेरी बहन अपने मदमस्त चुतडों और गांड की खूबसुरती से अच्छी तरह से वाकिफ थी, और वो अक्सर इसक उपयोग मुझे उत्तेजित करने के लिये करती थी। उसकी गांड भी, मम्मी की गांड की तरह काफि खूबसुरत और जानमारु थी। दीदी को अच्छा लगता था, जब मैं उसकी गांड और चुतडों की तारीफ करता और उनसे प्यार करता था।घर तक पहुंचते-पहुंचते, उसकी गांड और चुतडों के इस मस्ताने खेल को देख कर, मेरे सब्र का बांध तूट गया। मुझे लग रहा था कि, मेरे लंड से अभी पानी निकल जायेगा। मैं जल्दी से उसके पास गया और बोला,
“सिस्टर, तुम तो मुझे मार ही दोगी। मुझ से अब बरदाश्त नही होता है। चलो, जल्दी से घर के अंदर।”

“भाई, क्या ये इतना बुरा है, जो तुम जल्दी से घर के अंदर जाना चाहते हो।”

“ओह दीदी, ये तुम तब जान जाओगी, जब हम अपने कमरे के अंदर होन्गे, जल्दी करो।”

जब हम घर पहुंचे तो मम्मी घर पर नही थी। जैसाकि आमतौर पर होता था, वो इस वक्त अपने ओफिस में होती थी। घर पर केवल खाना बनाने वाली आया थी। जिसने हमे बताया कि, खाना तैयार होने में कुछ समय लगेगा। हमे इससे कोई ऐतराज नही था, बल्कि हम दोनो भाई-बहन तो ऐसा ही चाहते थे। हमने उससे कह दिया कि, हम उपर अपने कमरे होम-वर्क कर रहे है, और वो हमे डिस्टर्ब ना करे। खाना बनाने के बाद, वो घर चली जाये। हम जल्दी से सीढीयों से चढ कर उपर जाने लगे। यहां भी दीदी ने एक लंड खडा कर देने वाली शैतानी की। उसने मुझे निचे ही रोक दिया और वो खुद अपने चुतडों को हिलाते हुए, बडे ही स्टाईलिश अंदाज में सीढीयां चढने लगी। जब वो काफि उपर पहुंच गई, तब उसने अपने बांये हाथ को पिछे ला कर, अपनी नेवी ब्लू कलर की स्कर्ट (जोकि उसके घुटनो तक ही थी) को बडे ही सेक्षी तरिके से थोडा सा उपर उठा दिया। ऐसा करने से पिछे से उसकी मांसल और मोटी जांघे पुरी तरह से नंगी हो गई और उसकी काले रंग की, नायलोन की, जालीदार पेन्टी का निचला भाग दिखने लगा। पेन्टी के साथ में, उनमे कसे हुए उसके मदमस्त चुतडों की झलक भी मुझे मिल गई। मेरी बहन की इस हरकत ने आग में घी का काम किया, और अब बरदाश्त करना मुश्किल हो चुका था। मैं तेजी से दो-दो सीढीयां फलान्गते हुए, सेकंडो में ही अपनी प्यारी दीदी के पास पहुंच गया और हम दोनो भाई-बहन हंसते हुए, अपने कमरे की ओर भागे। 








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