Tuesday, April 15, 2014

FUN-MAZA-MASTI लुच्चा मेरा मूँह बोला भाई--1

FUN-MAZA-MASTI

 लुच्चा मेरा मूँह बोला भाई--1
 दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी लेकर हाजिर हू लीजिए पेश है कहानी ...... 
“अरे दीदी, इतना समान उठा कर कहाँ जा रहीं हैं आप,” कोई पीछे से बोला तो मैने पलट कर देखा. यह मेरे पापा के बचपन के दोस्त का एक लौता बेटा था. “लाइए मैं आपको अपने बाइक पर घर छोड़ देता हूँ,” उसने आगे कहा.अरे भैया, आप यहाँ क्या कर रहे हो?” मैने पूछा. “कुछ नहीं दीदी, थोड़ा दोस्त की दुकान पे आया था. लेकिन आप बाज़ार से क्या खरीद ले जा रही हो?” 

उसने पूछा.”कुछ खास नहीं भैया. आज कॉलेज में जल्दी छुट्टी हो गयी थी तो मैने सोचा घर जाते समय बाज़ार से कुछ किताबें खरीद लूँ. और मम्मी का फोन आया था के कुछ और समान भी लेती आना. वैसे मैं रिक्क्षा करने की सोच ही रही थी के आप आ गये,” मैं बोली. और हम उसके बाइक पर सॉवॅर हो कर हमारे घर की तरफ चल पड़े.दरअसल, मेरे पापा और उसके पापा बचपन के दोस्त थे. एक साथ पाले बढ़े और पढ़े लिखे थे. हमारी फॅमिलीस में बहुत अच्छे संबंध थे. हमारे घर भी पास पास ही थे. मैं और मेरी छोटी बहन बचपन में अक्सर उनके घर खेलने जाया करते थे. हमारा कोई सागा भाई तो नहीं था पर इसे हम अपने सगे भाई से भी बढ़ कर मानते थे. उमर में मेरी छोटी बहन और ये, दोनो ही बराबर थे और में इनसे चार साडे चार साल बड़ी थी. तो इस वजह से ये हमेशा मुझे दीदी कह कर ही सुम्बोधित करता था. हम दोनो बहनों की तो मानो ये जान ही था. मेरी बहेन और ये दोनो एक ही स्कूल में पढ़ते थे, जबके मैं कॉलेज में बी. एससी कर रही थी. अब पेपर्स के दिन थे और कॉलेज में छुट्टियाँ शुरू हो रही थी. ये दोनों भी 12थ के बोर्ड के एग्ज़ॅम्स ख़तम कर के छुट्टियाँ ही मना रहे थे.अरे भैया ये तो बताओ, के आगे कौन्से कॉलेज में अड्मिशन लेनी है इसके बारे में सोचा है,” मैं रास्ते में उससे बातें करती जा रही थी.”अरे नहीं दीदी. अभी इतनी जल्दी क्या है. और आप तो वैसे भी जानती हैं के जिस गली में हमारा घर है, उसके कोसों दूर तक भी कहीं विद्या नहीं बसती,” वो हस्ते हुए बोला. “ली जिए आप का घर भी आ गया. आप को छोड़ कर मैं निकलता हूँ. आज शाम को हमारी क्रिकेट टीम का पड़ोस के मोहल्ले की टीम के साथ मॅच है, तो थोड़ा अरेंज्मेंट करना है और सभी लड़कों को इकट्ठा भी करना है,” मुझे छोड़ते वक़्त वो बोला.”क्या भाईया, इतने दिनों के बाद आज दिखाई दिए हो और आज भी अपनी दीदी के साथ चाइ पीने का टाइम नहीं,” मैं रूठने का नाटक करते हुए बोली.”सॉरी दीदी, पर आज नहीं, फिर कभी. 

अच्छा चलता हूँ,” कह कर उसने अपनी मोटरसाइकल दौड़ा दी.”कौन था दीदी,” मेरी बहेन नें घर में घुसते ही पहला सवाल किया.”था अपना एकलौता भाई, जो मुझे बाज़ार से घर तक छोड़ कर गया है, पर जिसके पास अपनी बहनों के साथ बिताने के लिए दस मिनिट का टाइम भी नहीं है,” मैं मानो शिकायत सी करते हुए बोली.”अरे अब वो बड़ा हो गया है. अब वो अपने दोस्तों में रहकर ज़्यादा खुश तो होगा ही ना. अब तुम दोनो लड़कियों के बीच उसका क्या काम?” पीछे से मेरी मा बोली.खेर उसके बाद हम सब अपने अपने कमरे में चले गये. हमारे घर में चार बेडरूम हैं. नीचे वाला एक मम्मी पापा के लिए और एक मेहमानों के लिए. मेरा बेडरूम मम्मी पापा के कमरे के उपर है और मेरी बहेन का दूसरे बेडरूम के उपर. हम दोनो बहने एक दूसरे को जान से भी ज़्यादा चाहती हैं पर कभी एक साथ नहीं सोए. घर में फालतू कमरे होने की वजा से हम सभी के अपने प्राइवेट रूम्स थे. लेकिन मेरी बेहन के कमरे और मेरे कमरे के बीच में एक कामन ड्रेसिंग रूम था जिसका एक दरवाजा मेरे कमरे में और दूसरा दरवाजा मेरी बेहन के कमरे में खुलता था. अब जैसे के मैने आपको बताया, कुछ दिन में पेपर शुरू हो रहे थे और अगले दिन से कॉलेज में भी छुट्टियाँ थी, तो मैं दिन में थोड़ा सो गयी ता के रात में थोड़ा देर तक पढ़ सकूँ, जैसा के मेरी आदत थी.अब रात को दो-तीन बजे तक मैं पढ़ती रही और फिर मैं लाइट बंद करके सोने के लिए लेट गयी. मुझे लेटे हुए तकरीबन आधा घंटा हो गया होगा पर मुझे पेपर्स के बारे में सोच कर अब थोड़ी टेन्षन हो रही थी तो इस वजह से में सो नहीं पा रही थी. मैं शुरू से ही पढ़ाकू किस्म की लड़की थी. हमेशा स्कूल में 

अवव्वल आने वाली. कॉलेज में भी मैं पहले दोनो साल की टॉप पर थी. पर इस बार हमारे कॉलेज में एक नयी लड़की आई थी जिसके साथ मेरा जम कर मुकाबला था यूनिवर्सिटी मेडल के लिए. इस लिए मुझे टेन्षन के मारे नींद नहीं आ रही थी. लेटे लेटे मैं पेपर्स के बारे मे ही कुछ सोच रही थी के मुझे लगा जैसे कोई बातें कर रहा हो.”लो अब टेन्षन के मारे मेरे कान भी बजना शुरू हो गये,” मैने मन ही मन सोचा और मुस्कुरा पड़ी और सोने की बेकार कोशिश करने लगी. अभी लेटे हुए कुछ पल ही और हुए होंगे के मुझे फिरसे ऐसा लगा के जैसे कोई बातें कर रहा हो. मैं बेड से उठी और खिड़की के पास जा कर मेने गली में देखा तो वहाँ कोई नहीं था. पर आवाज़ें आ रही थी. मैने सोचा के पापा को उठाती हूँ, कहीं कोई चोर ना हों. यह सोच कर जैसे ही मैं अपने कमरे के दरवाज़े के तरफ चली तो ड्रेसिंग रूम के दरवाज़े के पास से गुज़रते वक़त मुझे लगा जैसे यह आवाज़ें मेरी बेहन के कमरे से आ रही हो. मेरा माथा ठनका, के ये माजरा क्या है. मेरी बेहन किसके साथ बात कर रही है, और इतनी रात में उसके कमरे में कौन है. मैने बड़े हल्के से अपने कमरे वाला ड्रेसिंग रूम का दरवाजा खोला और दबे पाव ड्रेसिंग रूम में घुसी गयी. मेरी बहेन के कमरे वाला ड्रेसिंग रूम का दरवाजा थोड़ा खुला था. शायद उससे भूले से खुला रह गया होगा. दरवाजा ड्रेसिंग रूम में अंदर की तरफ खुलता था. तो मैं दीवार के साथ सॅट कर खड़ी हो गयी और मैने हल्के से खुले दरवाजे में से मेरी बेहन के कमरे के अंदर देखा. और अंदर जो देखा वो देखते ही मेरी आँखें फटी की फटी रह गयी और मेरी साँसे गले में ही अटक गयी, मानो एक पल के लिए मैं साँस लेना ही भूल गयी.कमरे में मेरी बेहन के साथ कोई लड़का खिड़की के पास लिपटा खड़ा था और उसके होंठ मेरी बेहन के होठों के साथ एकदम सटे हुए थे. कमरे की सब लाइट्स बंद थी पर चाँदनी रात की रोशनी कमरे को रोशन करने में काफ़ी थी.उनका लंबा किस टूटा तो लड़का दबी हुई आवाज़ में बोला, “अरे डरती क्यों हो जान, मेने तेरी दीदी को एक घंटा पहले अपने कमरे की लाइट बंद करते देखा था. अरे अब तक तो वो सो गयी होगी और पेपर्स में टॉप करने के आछे आछे ख्वाब देख रही हो गी या फिर फैल होने के भयानक सपने. अभी रात को 3 बजे वो कमरे में अंधेरा कर के तो वो पढ़ नही सकती. या फिर वो उल्लू है?” 

यह सुन कर मेरी बहेन के मुँह से हँसी छूट पड़ी जिससे उसने उसी पल दबा लिया. पर मुझे लड़के की आवाज़ कुछ जानी पहचानी सी लगी.”इश्क़ में आदमी क्या क्या पापड बेल्ता है. अब पेपर तुम्हारी बेहन के हैं और नाइट शिफ्ट मेरी छोटी हो जाएगी. अब हर रोज रात को 3 बजे से पहले मैं तुम्हे मिल नहीं पाउन्गा और 4 बजे के बाद तुम मुझे घर में रुकने नहीं दोगि. तुम्हारा बाप जो सुभह सुभह उठ जाता है सैर पर जाने के लिए,” वो शिकायत सी करते हुए बोला.”कुछ दिन की ही तो बात है. उसके बाद तो मैं फिरसे हर रात पूरी रात के लिए तुम्हारी दुल्हन बन जाया करूँगी ना. तुम अब बातों में वक़्त जाया ना करो और जल्दी से मेरे जिस्म की गर्मी को अपने पाइप के गाढ़े पानी से बुझा दो,” मेरी बहेन बोली और उससे लिपट गयी. वो दोनों एक दूसरे को चूमने लगे. उसने मेरी बेहन की गर्दन पर किस किया और उसके नाइट सूट के टॉप की ज़िप को खोला और अपने हाथों से उसके कंधों से सरकने लगा और साथ साथ उसके नंगे कंधों को चूमने लगा. मेरी बेहन ने उसकी टी-शर्ट पकड़ कर उपर खीच दी.और उसने अपने दोनो हाथों से मेरी बेहन के बूब्स को मसल दिया और उसके होंठ चूसने लगा. मैं हक्की बक्की सी ड्रेसिंग रूम में खड़ी सब कुछ देख रही थी. ड्रेसिंग रूम में अंधेरा था इस वजह से वो मुझे नहीं देख सकते थे, पर चाँदनी रात की वजह से खिड़की के सामने खड़े में उनके साए देख आछे से देख सकती थी. सिर्फ़ पहचान में नहीं आ रहा था तो वो जाना पहचाना सा लड़का.अब वो लड़का और मेरी बेहन एक दूसरे के होठों को चूस रहे थे. मेरी बेहन ने उस लड़के का चेहरा अपने हाथों में ले रखा था जबके उस लड़के का एक हाथ मेरी बेहन की पीठ पर मालिश कर रहा था जबके दूसरा हाथ 

उसके चूतरो का जाएजा ले रहा था. कुछ देर बाद उस लड़के ने मेरी बेहन के होठों को छोड़ा और उसके बूब्स को चूसने लगा और उसके दोनो हाथ मेरी बेहन की कमर पर आ टीके. फिर उसने बड़े प्यार से मेरी बेहन की स्कर्ट की हुक खोलदी और उसकी स्कर्ट नीचे उसके पैरों मे जा गिरी और वो लड़का मेरी बेहन के बूब्स को चूस्ता हुआ नीचे की तरफ बढ़ने लगा. उसने मेरी बेहन को पेट में किस किया और फिर उसकी टाँगों के बीच में उसने अपना मुँह घुसा दिया और मुझे लगा जैसे वो उसकी योनि को चाट रहा हो. मेरी बहेन के मुँह से हल्की सिसकियाँ छूटने लगी जिन्हे वो बड़ी मुश्किल से ही दबा पा रही थी.”आहह! मैं गयी,” उसके मुँह से दबी सी आवाज़ निकली. तो इस पर वो लड़का खड़ा हो गया और उसने फटा फॅट अपनी पतलून खोली और उतार फेंकी. मेरी नंगी बेहन को उसने गोद में उठाया और पलंग की एक तरफ घूम कर उसने उसे पलंग पर लिटा दिया. इस बार एक पल के लिए उसका चेहरा चाँदनी में आया और उस पर एक नज़र पड़ते ही मेरे पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गयी. ये तो हमारा मूँह बोला भाई था. मेरे पापा के फॅमिली फ्रेंड्स का बेटा. मेरी आँखों में उसी पल आँसू भर आए और मेरे मुँह से दर्द भरी चीख निकलते निकलते रह गयी. “नहीं यह सच नहीं हो सकता. मैं ज़रूर पागल हो गयी हूँ या फिर मैं ये कोई गंदा और निहायत ही घटिया सपना देख रही हूँ. यह नहीं हो सकता. यह तो मेरा प्यारा छोटा भैया है, यह तो मेरी प्यारी छोटी बेहन का चहेता भाई है. यह मेरी बेहन के साथ ऐसे…..नहीं नहीं!” एक ही पल में मेरे दिमाग़ में कयि विचार दौड़ गये. और मेरी आँखो से लगातार आँसू बहने लगे पर मेने अपने मुख से एक सिसकी भी निकलने नहीं दी और ये गंदा कांड देखती रही.वो भी बेड पर मेरी बेहन के उपर चढ़ गया और उसे फिर किस करने लगा. दोनो एक दूसरे को बड़े मज़े से अछी तरह चूस रहे थे.उसने एक हाथ से मेरी बेहन की छाती मसलनी शुरू कर दी और उसका दूरा हाथ मेरी बेहन की टाँगों के बीच उसकी योनि के पास कहीं अंधेरे में गुम हो गया. ऐसे लगा जैसे वो अपने हाथ को आगे पीछे कर रहा हो. 

क्या उसने अपना हाथ या फिर कोई उंगली मेरी बेहन की योनि में डाल रखी थी? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था पर मेरी बेहन के आहें अब थोड़ी ज़्यादा गरम और लंभी और थोड़े उँचे स्वर की हो गयी थी.”सस्स्शह! आहिस्ता,” वो मेरी बेहन से बोला.”उन्ह!” मेरी बेहन के मुँह से हल्की की आवाज़ में एक मज़े से भरी हां निकली. वो पलंग से उतरा और उसने मेरी बेहन को उसके पैरों से पकड़ कर पलंग के एक किनारे की तरफ खीच लिया. अब मेरी बेहन का शरीर तो पलंग पर था पर उसके पैर फरश पर थे. उसने मेरी बेहन के पैरों को अलग किया और उसकी टाँगों के बीच बैठ कर उसकी योनि को चाटने लगा. ये सब देखते देखते मेरे आँसू अपने आप ही बंद हो गये थे और मेरा हाथ जाने क्यों अपने आप ही मेरे पेट के नीचे दोनों टाँगों के बीच के हिस्से पर जा कर कस गया था. उधर मेरी बेहन अपनी सिसकियों को दबाने की नाकाम कोशिश कर रही थी. फिर अचानक चाँदनी रात के रोशनी में मैने देखा के मेरी बेहन की कमर एक पल के लिए थोड़ा हवा में उठी और फिर एक झटके के साथ फिर बेड पर गिर पड़ी.”औह! मैं तो झाड़ भी गयी. जानू अब तो मेरे उपर चढ़ जाओ और मुझे चोद्द दो!” मेरी बेहन जैसे उसके आगे गिड-गिडायी.”अरे जान आपका हूकम सर आँखों पर,” हमारा मुँह बोला बचपन का भाई बोला और उसने मेरी बहन को कमर से पकड़ कर थोड़ा उपर उठा कर बेड पर फिर हल्के से पीछे फेंक दिया. और उसके उपर चढ़ गया. उसने अपना हाथ नीचे किया और उसमें एक पाइप से पकड़ ली. “अरे बाप रे! क्या ये सच में वोही है जो मैं सोच रही हूँ? क्या ये वाकाई में इसकी पिशाब वाली नली है जो इसके हाथ में है? पर ये इतनी बड़ी और इतनी मोटी कैसे हो गयी? बचपन में तो मैने जब भी इसे पानी के टब में नंगे नहाते देखा था तब तो बहुत छोटी सी होती थी!” मेरे मन में बिजली के जैसे केयी विचार कौंधे. दोस्तो आगे क्या हुआ जानने के लिए इस कहानी का अगला भाग ज़रूर पढ़े आपका दोस्त राज शर्मा 
क्रमशः............ 












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