Tuesday, April 15, 2014

FUN-MAZA-MASTI प्यासी जवानी-1

FUN-MAZA-MASTI

प्यासी जवानी-1
==जब मैं जवान हुई तब मुझेभी और लड़कियों की तरह चुदवाने
की इच्छा होती थी। पर हमारी सहेलियों में से एक के साथ प्रेग्नेन्सी का
हादसा हो गया तब से मैं बहुत डर गई थी। वो पूरे कॉलेजमें बदनाम हो गई थी
और फिर उसने कॉलेज छोड़ दिया था। आजकल वो बंगलोर में पढ रही है और होस्टल
में रह रही है। मैं इस हादसे के बाद से अपने हाथ से ही धीरे धीरे कर लेती
थी।मेरी सहेलियों ने मुझे ये साईट बताई, तब से मैं रात को इसे अकेले में
देखती हूँ और मेरे मन की इच्छा के ही अनुरूप इसमें उत्तेजक कहानियाँ पढ़ने
को मिल जाती है। इसको पढ़ने से मेरी रातें रंगीन हो उठती हैं, हां कुछ देर
तो मैं वासना में तड़पती रहती हूँ और फिर अंगुली घुसेड़ कर पानी निकाल लेती
हूँ। सच में इसमें बड़ा सुख मिलता है। इसके लिये मैं इस साईट को धन्यवाद
देती हूँ।मेरा बॉय फ़्रेन्ड अक्सर मुझे चुदवाने के लिये कहता है, पर डर के
मारे मैं उसे मना कर देती हूँ। पर शायद उसे एक दिन मौका अन्जाने में मिल
गया। घर में कोई नहीं था और विकास अचानक ही घर पर आ गया। उसे मैंने अन्दर
बैठाया और उसकी मेहमानवाजी की।
पर जैसे ही उसे पता चला कि मैं घर में अकेली हूँ, उसने मुझे कहा " स्वाति
आओ, अकेलेपन का फ़ायदा उठा लें ! प्यार करें, किस करें, अभी यहाँ कौन है
देखने वाला!"
मुझे भी लगा कि मौका अच्छा है कुछ थोड़ी चुम्मा-चाटी कर लें तो मजा आयेगा।
मैं शरमा तो गई पर इन्कार नहीं कर पाई। मैं उसके पास बैठ गई और हम दोनों
एक दूसरे को प्यार करने लगे। होठों को चूसने लगे। उसकी जीभ मेरे मुँह में
घुस कर मुझे आनन्दित कर रही थी। मेरे बदन में उत्तेजना भी होने लगी थी।
इसी बीच विकास का लण्ड खड़ा होने लग गया। लगता था वो भी उत्तेजित हो रहा
था। सच है जब दो जवान तन आपस में मिलने लगे तो जिस्म जलेगा ही। मेरी
चूंचियो में भी कड़ापन आने लगा था, दिल में कसक सी उठने लगी थी, मुझे अजीब
सा भी लग रहा था कि मेरे स्तन अभी तक क्यूँ नहीं छू रहा था, क्या बात है
... क्यूं नहीं दबा रहा है। मुझे तड़प सी होने लगी। मैंने तड़प के मारे
उसका हाथ अपनी छाती पर रख लिया।
"विकास, आह दबा दो ना ! धीरे धीरे !"
उसने हल्का सा दबा दिया।मेरे शरीर में जैसे आग सी लग गई।
"जोर से ... आह ... !" अब उसने मेरे बोबे ही क्या मेरे पूरे शरीर को
दबाना और मसलना आरम्भ कर दिया।मेरे मुख से सिसकारियाँ निकल पड़ी। मेरी चूत
में से पानी निकल पड़ा। उसने मेरे कुर्ते में नीचे से हाथ डाल दिया और
जांघे सहलाता हुआ, चूत तक पहुंचने लगा। जैसे ही उसके हाथ ने मेरी चूत को
छुआ मुझे एक झटका सा लगा। मेरा बदन पिघलने लगा। मेरी टांगें स्वत: ही
खुलने लगी। हाथ को चूत तक पहुंचने का रास्ता देने लगी। जैसे ही उसके हाथ
ने मेरी चूत को सहलाया, उसकी अंगुली मेरी चूत के रस से गीली हो गई।
अंगुली का जोर लगते ही मेरी चूत का दाना छू गया, और अंगुली चूत के द्वार
तक पहुंच गई। दाना छूते ही मेरे बदन में जैसे बिजलियां कौंध गई। मैं कांप
गई। मैंने तुरन्त उसका हाथ पकड़ कर रोक लिया। उसे सिर हिला कर मना किया।
"स्वाति, ये क्या ? मत रोको ... क्या तुम्हें मजा नहीं आ रहा है ?"
उसके व्याकुल स्वर ने एक बार तो मुझे भी विचलित कर दिया। लगा कि चूत
खोलकर उसका लण्ड भीतर समा लूँ।
" हाय मेरे विक्की, डर लगता है, ऊपर से ही कर लो ना, मुझे चाहे पूरा मसल दो !"
उसने भी मेरा डर समझा, और अपने लण्ड पर मेरा हाथ रख दिया। मैंने भी उसे
निराश नहीं किया और उसका लण्ड थाम लिया। उसका लण्ड बड़ा और मोटा लग रहा
था। मन में आया कि चुदवा लूँ, बाद में देखा जायेगा ... पर नहीं, अभी
नहीं। पर लण्ड के दर्शन को मन मचल उठा।
"इसे बाहर निकाल दो, एक बार देख लूँ !" मेरा मन ललचा गया।
विकास ने अपना पेन्ट नीचे सरका दिया और अंडरवियर नीचे कर ली। उसका गोरा
और बड़ा सा लण्ड बाहर आ गया। उसे देखते ही मेरे मन में उसे अन्दर लेने को
मन तड़प उठा। मैंने प्यार से उसे पकड़ लिया और चमडी खींच कर सुपाड़ा बाहर
निकाल लिया। लण्ड की सुन्दरता मेरे मन में घरगई, ये पहला लण्ड था जो
मैंने देखा था, भरपूर जवान, अकड़ा हुआ, फ़ुंफ़कारता हुआ। उसके टिप्स पर
निकली हुई दो चिकनी बूंदें।
"हाय विकास, मेरे शरीर में इसे समा दो, मुझे निहाल कर दो, मुझे चोद दो !"
मेरे मुख से अचानक ही ये सब निकल पड़ा।
"चुप, कहाँ से सीखी ये गाली, ये प्यार की पवित्र भावना है,वासना नहीं !"
"सॉरी,मेरे मन में थी सो कह दिया, पर चोदना गाली तो नहीं होती है, ये तो
लण्ड को चूत में डाल कर अन्दर बाहर हिलाने से मजा आता है न, उसे कहते
हैं, मेरी सहेलियाँ तो ऐसे खूब बोलती हैं !"
" प्लीज ऐसे नहीं कहो, मेरी हालत खराब हो जायेगी।" वो मेरी बातों से ही
मस्त होता जा रहा था। मेरी तड़प बढ़ गई, मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने भी
अपना सलवार कुर्ता उतार डाला और नंगी हो गई। मुझे नंगेपन का अह्सास होने
से मन में तरंगे उठने लगी। जिस्म कंपकंपाने लगा। मुझ पर वासना पूरी सवार
हो चुकी थी। विकास भी आपे से बाहर हो रहा था। मेरे से वो चिपक कर मेरे
अंगो को मसलने और दबाने लगा। मुझे अचानक ही लगने लगा कि अगर मैं चुद गई
तो मैं प्रेगनेन्ट हो जाऊंगी।पर मैं क्या करूँ ?मेरा मन तड़प उठा,मेरे
दिमाग में और मेरे मन में अलग अलग विचार उठने लगे। आखिर में दिमाग की जीत
हुई और मैंने तुरंत फ़ैसला ले लिया कि बस मस्ती ही करना है।















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