Sunday, April 13, 2014

FUN-MAZA-MASTI मैं और चार खुबसूरत हसीनाएं --1

FUN-MAZA-MASTI

 मैं और चार खुबसूरत हसीनाएं --1

मेरा गोवा में रेडीमेड गारमेंट्स का एक छोटे से शौपिंग काम्प्लेक्स में शो रूम है. मेरे शो रूम में केवल लेडीज गारमेंट्स ही मिलते है. इसलिए पूरे दिन हर उम्र कि लडकीयों ; युवतियों और महिलाओं का आना-जाना लगा रहता है. लगातार देखे रहने के कारण मेरी नजरें थोड़ी ऐसी हो गई है कि कोई भी खुबसूरत चेहरा नजर आया ; मैं नजर बचाकर उसके पूरे अंग का नाप निकालने लग जाता. किसके होंठ रसीले हैं किसके गाल ज्यादा चिकने हैं. किसकी टांगें सेक्सी है. किसका सीना सबसे ज्यादा बड़ा है. बस हर किसी को देखते ही मेरा दिमाग इसी में लग जाता. दो सेल्स बोयज भी रखे हुए हैं.


मेरी दुकान के बगल में एक मसाज पार्लर है और उसके बाद आखिर में एक लेडीज टेलर है .बस इसके बाद रास्ता बंद हो जाता है. मसाज पार्लर कि मालकिन है तारा. तारा गज़ब की खुबसूरत है. उसकी उम्र करीब सताईस साल है. पूरा शरीर गठा हुआ. एकदम गोरा रंग. चेहरा ऐसा कि देखते ही कोई भी फिसल जाए. उसके स्तन जबरदस्त उभरे हुए. उस पर वो हरदम बहुत ही नीचे तक खुले हुए गले वाले टी शर्ट्स पहनती है. उसके स्तनों के बीच की रेखा देखते ही हमेशा मैं पागल सा हो जाता हूँ. वो अधिकतर घुटने कट कि लम्बाई वाली जींस या कभी कभी तो शोर्ट्स भी पहनकर आती है. उसकी टांगें जैसे रस में डुबोई हुई लगती है. वो ज्यफातर मेरे यहीं से कपडे खरीदती है. मुझसे हरदम मुस्कुराकर बात करती है. मैं अक्सर उसे छुप छुपकर देखता रहता हूँ. लेकिन तारा बहुत ही कड़क अनुशासन वाली है. उसके यहाँ तीन लडकीयाँ और भी काम करती है. लेकिन तारा उन्हें किसी से भी खुलकर बात नहीं करने देती है. ये तीनों लडकीयाँ भी खुबसूरत है. किट्टी सबसे सीनियर है. तारा की वो विश्वासपात्र है. फिर एक है वीरा और एक है पूनम. ये सभी भी तारा से मिलते जुलते कपडे पहनकर आती है. सभी के सीने ज्यादातर बहुत ज्यादा खुले हुए रहते हैं. मसाज पार्लर में ग्राहक ऐसे खुले सीने देखकर ही तो आते हैं.


एक दिन तारा मेरे यहाँ कुछ स्लीवलेस टी शर्ट देख रही थी. मैं उसके उभरे हुए सीने पर नजरें गडाए हुए था, तभी तारा ने मुझे उसके सीने की तरफ झांकते हुए देख लिया. उसने इक तीखी नजर मुझ पर डाली और फिर एकदम से मुस्कुरा पड़ी. मैं भी मुस्कराया. रात को तारा जब अपने पार्लर को बंदकर घर के लिए निकल रही थी तो उसने मुझे बाहर बुलाया और बोली " इस तरह से देखना बहुत अच्छा लगता है तुम्हे!" मैं कुछ ना बोल केवल मुस्कुरा दिया. तारा बोली " तुम जब भी इस तरह मुझे देखते हो तो ना जाने क्यूँ मेरा सीना धड़कने लग जाता है. मुझे लगने लगता है जैसे ये और भी उभरकर टी शर्ट को फाड़कर बाहर आना चाहते हैं. तुम ऐसे ही देख सकते हो. मुझे बहुत अच्छा लगेगा. तुम्हें कोई मना नहीं है. बाय होटी." तारा चली गई लेकिन मेरे दिल की धड़कने बहुत ही बढ़ा गई.


अगले दिन जब तारा आई तो मैं उसे दकेह मुस्कुराया. तारा ने भी मुस्कुराकर जवाब दिया और अपने सर को कुछ ऐसे झुकाया कि उसका सीना भी उसके साथ झुक गया और मुझे जो देखना था वो मुझे साफ़ साफ़ दिख गया. अब जब भी तारा मिलाती मुझे वो किसी ना किसी तरीके से अपने उभरे हुए सीने को दिखला देती. एक दिन तारा थोडा जल्दी आ गई. उस वक्त तक उसकी कोई भी लडकी नहीं आई हुई थी. तारा ने मेरे एक लड़के से पार्लर का शटर खुलवाया. इसके बाद तारा मेरी दुकान में आई और उसने दो टी शर्ट लिए और अपने पार्लर में ट्राई करने चली गई. वो उन में से एक टी शर्ट पहनकर बाहर आई और मुझे इशारे से बाहर बुलाया. मैं बाहर गया तो उसने अपने पार्लर में आने का इशारा किया. मैं पार्लर में चला गया. वो बोली " यह तो अच्छा नहीं लग रहा है. मैं दुसरा वाला पहनकर देख्लाती हूँ. तुम मुझे बताना कि कैसा लगता है." तारा अन्दर बने एक केबिन में गई. वो दूसरे टी शर्ट को पहनकर आई. ये टी शर्ट काफी खुले गले वाला तो था ही उसमे गले के नीचे बटन भी लगे थे. तारा ने दोनों बटन भी खुले रखे और बाहर आ गई. तारा के दोनों गुलाबी गुलाबी बूब्स ब्रा में से साफ़ साफ़ दिख रहे थे. बटन के खुले होने से काले रंग की ब्रा भी दिख रही थी. मैं तारा की इस तरह से खुली हुई छाती देखकर मदहोश हो गया. तारा ने एक शरारत भरी मुस्कान मुझ पर डाली और कहा " अब तो खुश. " ना जाने मुझमे कैसे शैतानी आ गई. मैं बोला " खुश हूँ लेकिन पूरी तरह से खुश नहीं हूँ." तारा मेरे करीब आ गई. उसने बहुत ही ठंडी और मदहोश कर देने वाली आवाज में कहा " तो तुम बहुत खुश होना चाहते हो. मुझे तुम्हारा मुस्कुराता हुआ चेहरा बहुत ही अच्छा लगता है. तुम जब भी हँसते हो ना होटी; तो मेरा सीना बहुत जोर से धडकने लग जाता है. रुको मैं तुम्हे आज बहुत खुश कर देना चाहती हूँ." तरन ने उस टी शर्ट को खोल दिया. अब वो सिर्फ काली ब्रा में थी. उसका उभरा हौर छोड़ा सीना मेरे सामने था. उसके सीने से बहुत ही जोर की खुशबू आ रही थी. तारा ने मेरी तरफ देखा. मैंने कहा " हाँ; हनी. अब मैं खुश हूँ." तारा ने अपना टी शर्ट पहना और मैं बाहर आ गया.


मैं उस रात सो नहीं पाया. तारा कि काली ब्रा और उसमे में से झांकते उसके दोनों बड़े बड़े स्तन मेरी आँखों के सामने घूमते रहे. अगले दिन जब सवेरे तारा आई तो मैंने मौका देख उसे कहा " मैं सारी रात जागता रहा. तुम्हरा कल का नजारा मेरी आँखों से नहीं हटा. मैं पागल हो गया हूँ." तारा हंस दी और आगे बढ़ गई. रात को तारा कि तीनो लडकीयाँ जब चली गई तो तारा ने मुझे ठहरने का इशारा किया. मैंने अपनी दुकान बंद की और उसकी दुकान के थोडा दूर जाकर खड़ा हो गया. तारा ने मुझे देखा और आने का इशारा किया. मैं तारा के पार्लर में चला गया. तारा ने पार्लर का दरवाजा बंद किया और मुड़कर मेरी तरफ देखा. तारा ने पाना टी शर्ट खोल दिया. उसने आज गहरे लाल रंग की ब्रा पहन रखी थी. तारा आगे आई और मेरे एकदम करीब आकर खड़ी हो गई. आज उसके उभारों ने मेरे सीने को पहली बार स्पर्श किया. मुझे उसके दोनों स्तनों का गुदगुदा दबाव बहुत अच्छा लग रहा था. मैंने तारा को अपनी बाहों में भर लिया. तारा ने भी अपने दोनों हाथों से मुझे कसकर पकड़ लिया. अब तारा का मुंह मेरे बहुत ही करीब था. उसकी साँसें मुझसे टकरा रही थी. तारा के गुलाबी होंठ मुझे अचानक रसगुल्ले जैसे लगने लगे. मैंने अपने होंठ तारा की तरफ बढ़ा दिए. तारा मुस्कुराई और फिर धेरे से उसने अपने रसीले होंठ मेरे होंठों से छुआ दिए. मैंने उसके नाजुक और मुलायम होंठों को अब अपने होंठों को खोलकर उन्हें अपने दोनों होंठों के बीच ले लिया और बहुत ही धीरे से उनमे भरे हुए रस को चूस लिया. तारा कसमसा गई. अब उसने भी अपने होंठों से मेरे होंठों को चूसा. हम दोनों एक दूजे को रह रहकर अपनी तरफ दबाते और फिर होंठों को चूस लेते. हम दोनों करीब दस मिनट के बाद तारा के पार्लर से बाहर आ गए. हम दोनों के चेहरों पर मुस्कराहट थी.


तारा और मैं अब काफी खुल गए थे. हम दोनों हर तरह के मज़ाक भी आपस में करने लगे. हालाँकि उस दिन जैसा मौका हमें अगले एक महीने तक नहीं मिला लेकिन हम इंतज़ार करने लगे. हमारा इंतज़ार सफल हुआ. उस दिन सवेरे से बहुत जोरों की बारिश होने लगी. मेरे शो रूम का केवल एक ही लड़का पहुँच सका. तारा के यहाँ तो करीब बारह बजे तक कोई भी लडकी नहीं पहुंची. जब मैं पहुंचा तो तारा के पार्लर में एक लेडी कस्टमर आई हुई थी. मैं उसके जाने का इंतज़ार करने लगा. बहुत बारिश कि वजह से पूरा शौपिंग काम्प्लेक्स खाली पड़ा था. उस औरत के जाते ही मैंने लड़के को दुकान में ध्यान रखने की हिदायत देकर तारा के पार्लर में चला गया. तारा और हम एक दूसरे की आगोश में हो गए. फिर तारा ने अपने पार्लर में बने एक केबिन का दरवाजा खोला और हम दोनों उसमे चले गए. उस केबिन में एक कोच बना हुआ था. उस पर डनलप के तीन तीन गद्दे एक साथ लगे हुए थे. तारा ने अपना टी शर्ट और स्कर्ट दोनों उतार दिए. अन्दर गुलाबी रंग का एक बल्ब जल रहा था. तार का जिस्म उसमे किसी जलेबी की तरह दिखाई देने लगा. मैंने भी अपने कपडे उतार दिए. अब तारा उस कोच पर लेट गई. वो तीन गद्दे इतने आरामदायक थे कि तारा के उस पर लेटते ही तारा उसमे काफी नीचे तक धंस गई. तारा ने अपने हाथों को फैलाकर मुझे भी आने को कहा. मैं तारा पर लेट गया. हम दोनों के वजन से तीनों गद्दे और भी नीचे दब गए. तारा ने तुरंत ही मेरे होंठ चूम लिया. इसके बाद हम दोनों को कुछ होश नहीं था. हमने एक दूसरे के जिस्म का कोई भी हिस्सा बिना चूमे नहीं छोड़ा था, पार्लर में पीछे एक छोटी खिड़की थी. मैंने उसे खोला तो देखा कि बाहर बारिश और जोर से होने लगी है. तारा ने मुझसे कहा " आज अब कोई और पहुँचने वाला नहीं है. सब तरफ पानी ही पानी है. आओ तुम मुझमे डूब जाओ और मैं तुममे डूब जाती हूँ." तारा ने अब मुझे और भी कसकर जकड लिया. अचानक तारा ने खुद को मुझसे अलग किया. उसने अपनी ब्रा उतार दी. अब मैं पूरी तरह से नशे में आ गया. मैंने बेतहाशा उसके दोनों मुलायम और रस से भरे स्तनों को पागलों की तरह चूमना शुरू कर दिया. तारा के मुंह से सी सी और आह ओह की आवाजें आने लगी. अब तारा ने अपनी पैंटी भी उतार दी और जल्दी जल्दी खींच कर मेरा अंडर वेअर भी खोल दिया उसने उस कोच के कवर में से एक कंडोम निकाला और मुझे थमा दिया. तारा ने कहा " मुझे बहुत नशा चढ़ चुका है हौटी. आज तुम मुझे जन्नत की सैर करा ही दो." मैंने कंडोम लगाया और तारा को कोच पर लिटाकर उसकी टांगों के बीच में अपना नीचे वाला हिस्सा ले गया. जो कुछ तारा की इच्छा थी मैंने अपने गुप्तांग को तारा के जननांग में एकदम भीतर तक लेजाकर पूरी कर दी. तारा ने मुझे करीब एक घंटे तक नहीं छोड़ा. मैं भी अपने गुप्तांग को तारा.के जननांग की एक घंटे तक सैर करवाता रहा. जब मेरे गुप्तांग ने कंडोम को खूब सारे गाढे रस से भर दिया और तारा के जननांग में उसके कारण बहुत सारी हलचल और गुदगुदी फ़ैल गई तो तारा ने अपने होंठों से मेरे होंठों को ऐसा सीया और चूसा कि हम दोनों के होंठों के चारों ओर बहुत सारा गीलापन फ़ैल गया. हम दोनों ने उस गीलेपन को बहुत देर तक अपनी अपनी जीभ से चाटा और मुंह में मिठास भर ली. अब तारा के जिस्म की सारी ताकत निकल चुकी थी. मेरी भी टांगें अब जवाब देने लगी थी. हम दोनों उस कोच पर करीब आधा घंटा और लेटे रहे. फिर मैं पार्लर से बाहर आ गया. बारिश और तेज हो चुकी थी. सारा काम्प्लेक्स लगभग खाली हो चुका था. मैंने भी अपने लड़के को छुट्टी दे दी और शोव्रुम बंद कर दिया. मैं और तारा काफी देर तक यहाँ वहां घूमते रहे. बाहर सड़क पर घुटनों तक पानी भर गया था और पैदल चलना भी बहुत मुश्किल था. बहुत देर के इंतज़ार के बाद भी जब पानी काम नहीं हुआ तो तारा ने मेरा हाथ पकड़ लिया और हम एक बार फिर पार्लर में आ गए थे. मैं हैरान रह गया. तारा का चेहरा तजा लग रहा था. तारा ने एक बार फिर मेरे सारे कपडे उतार दिए. मैं मना नहीं कर सका. तारा ने भी अपने सारे कपडे उतार दिए. हम दोनों ने एक बार फिर एक दूसरे से लिपटकर चूमना चाटना शुरू कर दिया. तारा ने इस बार जल्दी से कंडोम मेरे गुप्तांग पर खुद ही चढ़ा दिया. मैंने भी तुरंत उसके जननांग को मेरे पूरी तरह से कडक हो चुके लिंग से दोबारा भेद दिया. इस बार हम दोनों यह सब काफी धीरे धीरे कर रहे थे. क्यूंकि ताकत अब ना के बराबर बची थी. इस बार भी करीब एक घंटे तक मेरा लिंग तारा के जननांग के भीतर यहाँ वहां घूमता रह और अन्दर बाहर होता रहा. हम दोनों की जिंदगी का ये शायद सबसे हसें और यादगार दिन था. शाम को करीब पांच बजे हम दोनों अपने घर के लिए चल निकले. हम दोनों कुल मिलकर तीन घंटे से भी ज्यादा हमबिस्तर रहे थे. तारा ने अपने घर की तरफ का रास्ता लेने से पहले मेरे होंठों को जोर से चूसा और फिर चली गई.


अब हम दोनों जब भी समय मिलता हमबिस्तर हो जाते थे. लगभग एक महीने के बाद वो लेडीज टेलर की दुकान अचानक बंद हो गई. उस दुकान के मालिक ने उसकी चाबी मुझे देते हुए कहा कि जब भी कोई ग्राहक आये तो मैं उसे उस खाली दुकान को दिखा दिया करूँ. उस दुकान में उस टेलर ने एक छोटा पलंग रखा हुआ था जिस पर वो जब काम नहीं होता तो आराम कर लिया करता था. मुझे उस दुकान को देखते ही एक योजना दिमाग में आई. मैंने तारा को यह योजना बता दी. तारा भी बहुत खुश हो गई. एक दोपहर को मैं सबसे छुप कर तारा के साथ उस दुकान में चला गया. हम दोनों को अब कोई डर नहीं था क्यूंकि उस दुकान में कोई भी नहीं आने वाला नहीं था. हम दोनों ने उस दोपहर को लगभग दो घंटों तक लगातार संभोग किया. अब मैं और तारा लगभग हर दूसरे - तीसरे दिन मौका देख संभोग करने लगे.


इसकी भनक यूँ तो किसी को नहीं थी लेकिन किट्टी को थोडा थोडा शक होने लगा था. आखिर एक दिन किट्टी ने मुझसे कह ही दिया " तुम और तारा बहुत ज्यादा करीब हो गए हो. तुम दोनों में जो भी चल रहा है वो सब मुझे पता है." मैंने उससे कहा " तुम्हें कोई तकलीफ है इससे?" किट्टी बोली " बहुत ज्यादा; मैं तुम्हें सबसे पहले पाना चाहती थी." मैंने कहा " वो तो तुम अब भी पा सकती हो. " किट्टी बोली " दो दो को संभाल पाओगे?" मैं बोला " एक बार मेरे करीब आकर देखो. मैं बहुत कुछ कर सकता हूँ. मैं तुम्हें और तारा के साथ साथ वीरा और पूनम को भी संभाल सकता हूँ." किट्टी मुस्काराते हुए पार्लर में चली गई.


एक दिन तारा किसी काम के कारण नहीं आई. उस दिन किट्टी पार्लर की बॉस थी. किट्टी की विशेषता उसके होंठों पर लगी लिपस्टिक होती थी. होंठ तो तारा के भी रसीले थे लेकिन किट्टी जब अपने होंठों पर गहरा लाल, परपल या कभी चमकदार गुलाबी या कभी कभी चमकदार नीले रंग का लिपस्टिक लगाती तो मैं छुपकर अपने मोबाइल कैमरे से उसकी होंठों कि तस्वीरें निकालता और फिर अकेले में देखा करता. उस दिन किट्टी चमकदार नीले रंग का लिपस्टिक लगाकर आई. हम दोनों दो तीन बार आमने सामने हुए. आज मौका अच्छा था. मैंने किट्टी को अपने पास बुलाया और कहा " उस खाली दुकान में मैं और तारा अक्सर मिलते रहते हैं. तुम वीरा और पूनम को काम पर लगाकर उस दुकान में आ जाओ." किट्टी बहुत जल्दी उस दुकान में आ गई. मैंने दुकान का दरवाजा बंद कर दिया. हम दोनों एक दूसरे के बहुत करीब खड़े हो गए. किट्टी ने अपनी उन्गलीयाँ मेरे गालों और होंठों पर फिराते हुए बोली " मेरी जान; मैं कबसे ऐसे पल का इंतज़ार कर रही थी." मैं बोला " किट्टी ; तुम्हारे होंठ हमेशा से मुझे पागल करते रहे हैं मेरे पास तुम्हारे होंठों को सौ से भी ज्यादा तस्वीरें हैं." मैंने किट्टी को वो सारी तस्वीरें दिखलाई. किट्टी आहें भरने लगी. किट्टी ने एक लॉन्ग ड्रेस पहनी हुई थी. खुली बाहों वाली और घुटनों तक लम्बी. मैंने किट्टी की उस ड्रेस को उतार दिया. किट्टी अब सफ़ेद ब्रा और पैंटी में रह गई. मैंने भी अपने कपडे उतार दिए. अब मैंने किट्टी के चमकदार नीले होंठों को चूमना आरम्भ किया. क्या मिठास थी. क्या गीलापन था. मैं पागल हो उठा. किट्टी भी अपने होंठों को इस तरह से चूमे जाने से बहुत खुश हो रही थी. मैंने लगभग पांच मिनट तक किट्टी के होंठों को चूसा. अब मेरे होंठों के आस पास नीला रंग कहीं कहीं लग गया और किट्टी के नेचुरल हलके गुलाबी होंठ दिखने लगे थे. अब हम दोनों ने एक दूजे को बाहों में भर लिया और लगे जिस्म को यहाँ वहां चूमने. किट्टी तारा से ज्यादा मजबूत थी. उसने थोड़ी ही देर के बाद मुझसे कहा " कंडोम लाये हो?" मैंने उस पलंग के नीचे ही कंडोम का पैक रख दिया था. हम दोनों निर्वस्त्र हो गए. किट्टी ने मेरे लिंग को अपने हाथों से कड़क किया और फिर उस पर कंडोम चढ़ा दिया. उसने मुझे नीचे लेटने को कहा. किट्टी मेरे ऊपर लेट गई और उसने मेरी गरदन के हिस्सों को चूम चूम कर गीला कर दिया. फिर उसने मेरे गुप्तांग को अपने जननांग में धीरे से धकेला और खुद ही अपने शरीर के निचले भाग को हिला हिलाकर मेरे गुप्तांग को खुद के जननांग के अंदर ले जाने का प्रयास करने लगी. उसका निचला हिस्सा ऊपर नीचे होने के कारण मेरा गुप्तांग धीरे धीरे अन्दर की तरफ खिसकने लग गया. किट्टी को इससे बहुत मजा आने लगा. अब उसके मुंह से आनंद दायक आवाजें आने लगी. किट्टी करीब पन्दरह मिनट तक इसी तरह मेरे ऊपर रही. फिर इसके बाद मैंने उसे सुलाया और उसके ऊपर लेटकर उसके जननांग को भेदा. मैं भी उतनी देर उसके ऊपर रहा. अब किट्टी दीवार के सहारे खड़ी हो गई. मैंने एक बार फिर उसके जननांग को खड़े खड़े लिंग से भेदा. हम दोनों को अलग अलग तरह से संभोग करने में मजा आ रहा था. इसके बाद किट्टी उल्टा लेट गई. हमने इस पोजीशन में भी संभोग किया. इसके बाद किट्टी अपनी टांगें फैलाकर पलंग पर बैठ गई. मैं भी बैठ गया. हम दोनों एक दूसरे के करीब आ गए, मैंने किट्टी को बाहों में भरा और किट्टी ने अपने हाथ से मेरे लिंग को अपने जननांग में जोर धकेला. अब किट्टी कोई दूसरा तरीका सोचने लगी. इसके बाद किट्टी पलंग के किनारे लेटी और मैंने खड़े खड़े ही अपने गुप्तांग को उसके जननांग में जोर जोर से अन्दर बाहर करने लगा. मैंने यह तरीका करीब आधे घंटे तक दोहराया. अब हम दोनों शायद चरम पर पहुँच रहे थे. मैंने किट्टी को आगे खसकाया और उस पर लेट गया. अब मैंने उसके जननांग को अपने लिंग से भेदते हुए जोर जोर से झटके देने शुरू किये. किट्टी की आवाजें थोडा तेज हो गई. करीब दस मिनट के बाद उसने मेरे होंठों को अपने होंठों से भींच लिया. हम दोनों अब तड़पने लगे. फिर अचानक मेरे लिंग से गाढा रस निकला और कंडोम में भरने लगा. कंडोम थोडा फैला और किट्टी के जननांग में एक जोर की गुदगुदी हुई। हम एक दूजे से और कसकर लिपट गए.


हम दोनों काफी देर तक युहीं लेटे रहे और एक दूजे के होंठों का रस पीते रहे। अपने अपने कपडे बदलकर हम दुकान से बाहर आ गए.
क्रमशः....





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