Wednesday, April 2, 2014

FUN-MAZA-MASTI फागुन के दिन चार--115

FUN-MAZA-MASTI

   फागुन के दिन चार--115
गतांक से आगे ...........


 मुझे भी एक शरारत सूझी।

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मैंने अपनी दोनों टाँगे शीला भाभी की टांगों के बीच से निकाल लिया और अब व ओ दोनों टाँगे बाहर से शीला भाभी की टांगो को पकडे थी।

शीला भाभी चुदाई की मस्ती में चूर , उन्हें पता ही नहीं चला की कब उनको दोनों टाँगे एकदम एक दूसरे से चिपक गयी. और अब मेरी दोनों टांगो ने कैंची की तरह उनके पैरों को इस तरह से दबोच लिया कि वो लाख कोशिश करें उनके पैर हिल नहीं सकते थे। उनकी टाँगे , जांघे एकदम एक दूसरे से चिपकी थीं।

और मेरा आठ इंच का लंड बुर में अंदर घुसा।

ये ट्रिक मुझे चंदा भाभी ने सिखायी थी। उनका कहना था की इस ट्रिक से चोदोगे तो चार बच्चो की माँ , किसी भोसड़ी वाली को भी कुँवारी बुर की चुदाई का मजा आएगा , जांघे और टाँगे चिपकी रहने से बुर इतनी कसी , संकरी हो जायेगी।

शीला भाभी कि किसी कुंवारी लड़की ही ऐसी टाइट थी उसपर से ये पोज,…

मेरा मोटा लम्बा लंड पूरी तरह से शीला भाभी के अंदर घुसा था इसलिए उन्हें उस समय तो पता नहीं चला और साथ ही मेरे हाथ होंठ उन्हें पागल करने में लगे थे।

कभी मैं कस के उनकी गोल गोल गदराई बड़ी बड़ी चूंची मींजता , तो कभी निपल फ्लिक करता और कभी पूरी हथेली से उनकी मस्ती का दाना , क्लिट रगड़ देता और शीला भाभी गिनगिना जाती। उनकी चूत जोर जोर से मेरे लंड को भींच लेती और वो खुद मेरे हाथ को पकड़ के अपनी चूंची पे दबाती

मैंने धीरे धीरे धीरे अपना मोटा लंड भाभी की कसी चूत से सुपाड़े तक बाहर निकाल लिया और फिर एक बार जोर से अपनी टांगो के बीच उनकी जांघो को भींच के लंड पेलना शुरू किया।


एक तो संकरी टाइट सालों से अनचुदी भाभी की बुर और फिर जिस तरह से मैंने दबोच रखा था , लंड दरेरता, रगड़ता , घिसटता उनकी बुर में इंच इंच कर घिसटते हुए घुस रहा था। मैं पूरी ताकत से उनकी बुर में दोनों चूंची पकड़ के ठेल रहा था।

उईईईईईईइ ओह्ह आह , लल्ला क्या करते हो लगता है। इतना दर्द तो पहली बार भी नहीं हुआ था ,

भाभी सिसक रही थी और चूतड़ पटक रही थी।

मुझे खूब मजा आ रहा था, ख़ास तौर से ये याद कर के अभी थोड़ी देर पहले कितनी जबरदस्त गालियों वो मेरी बहनो ,सारी मायकेवालियों को दे रही थीं।

जब आधे से ज्यादा लंड उनकी बुर में दरेरते रगड़ते घुस गया तो मैं रुका और अब मेरे हाथ और होंठ मैदान में आ गए थे।

उनकी चूंची की अब पूरी जोर से रगड़ाई हो रही थी साथ ही क्लिट कि भी , झुक के मैं जोर से अपने दांतो के निशान उनके जोबन पे बना रहा था जो दस पंद्रह दिन तक तो रहने ही थे।

और अब दर्द कि जगह भाभी मस्ती से चूतड़ पटक रही थी अपनी चूत मेरे लंड पे भींच रही थी। मैं समझ गया कि बस अब वो झड़ने के कगार पे हैं। लंड थोडा सा पीछे खीच के जो मैंने करारा धक्का मारा तो सुपाड़ा सीधे बच्चेदानी से टकराया।

उह्हह्हह अह्ह्ह्ह ओह्ह हे मुह्ह अह्ह्ह,.... भाभी तेज हवा में पत्ते कि तरह कांप रही थी। उनकी चुन्चिया पत्थर कि तरह हो गयी थी और दोनों हाथ पलंग को कस के पड़े हुए थे।

मैंने कस के सुपाड़े से बच्चेदानी को रगड़ रहा था , और साथ मैंने क्लिट को भी मसल दिया।


भाभी दुबारा झड़ने लगी।

मैं लंड को उसी तरह ठेले रहा और बुर को कस के भिंचे रहा।

जब वो नारमल हुयीं तो उन्होंने मुस्करा के सर मोड़ के मेरी ओर देखा और जवाब में मेरे लंड ने एक धक्का और मार दिया।



चुदाई फिर शुरु हो गयी थी और अब वो एक बार फिर कभी जोर से मेरे लंड को भींच लेती तो कभी उनकी चूत बारी से कभी सिर्फ सुपाड़े को तो कभी पूरे लंड को दबोच ले रही थी। मेरी भी हालत खराब हो रही थी।

मैंने पूरी ताकत से चुदायी शुरू कर दी। थोड़ी देर में भाभी फिर कगार पे पहुँच गयी और मैं भी।

बस मैंने उनकी कमर को थोडा और उठाया और एक जोर का धक्का जोर से मारा। बुर उसी तरह से भिंची हुयी थी। रगड़ता , घिसटता दरेरता सुपाड़ा सीधे

बच्चेदानी से टकराया और मैं काम्पने लगा साथ ही भाभी भी।

हम दोनों साथ साथ झड़ रहे थे।

मेरे लंड ने कम से कम दो अंजुरी भर गाढ़ी थक्केदार मलायी सीधे शीला भाभी के बच्चेदानी में ही उंडेल दी।

और खुश होकर जैसे उनकी बुर बार बार मेरे लंड को सिकोड़ रही थी। उनकी कमर इस तरह उठी थी कि एक बूँद भी वीर्य बाहर निकलने का सवाल ही नहीं था।

बड़ी देर तक मैं उन्हें ऐसे ही उठाये रहा और फिर हम दोनों पलंग पे निढाल लेट गए , तब भी मेरा एक हाथ उनकी चूंची और दूसरा उनके बुर पे था जिसे मैं दबोचे हुए था। मैंने उन्हें पीछे से बाहों में बाँध रखा था। 


कुछ देर बार शीला भाभी ने ही बात शुरू की , वो बातें सच में जिसके बारे में मेरा ज्ञान शून्य था।



जबरदस्त चुदाई के बाद मैं उन्हें पीछे से पकड़ के लेटा था मेरा एक मेरा एक हाथ उनकी गद्दर चूं ची पे था और दूसरा , उनके भारी चूतड़ सहला रहा था। बीच बीच में मैं उनके रसीले गाल का रस भी चूस ले रहा था , कभी हलके से काट लेता।

बात शीला भाभी ने ही शुरू की। मेरा हाथ अपने जोबन पे दबा के पीछे मुड़ के मुस्करा के वो बोलीं ,


" लाला, तुम बहुत जबरदस्त चुदक्कड़ हो। देखने में इतने सीधे लगते हो लेकिन ,… एक बार जिसको चोद दोगे तेरी गुलाम हो जायेगी। तेरी हर बात मानेगी। "

मैं कुछ नहीं बोला सिर्फ मुस्करा दिया लेकिन शीला भाभी ने ही बात आगे बढ़ायी ,

" बस एक मुश्किल है लौंडिया से भी ज्यादा शरमाते हो। लेकिन अब उस की भी चिंता करने की जरूरत नहीं , आओगे न ससुराल तो देखना , जीतनी तोहार साली सरहज है ना , टिकोरे वाली चूंचिया उठान से ले कर , सब का नंबर लगवाऊँगी। तोहार कुल लाज शरम उतार दूंगी ससुराल में। "

मुझसे ज्यादा मेरे जंगबहादुर ख़ुशी से फूल के कुप्पा हो गए , और शीला भाभी के भारी भारी चूतड़ पे ठोकर मारने लगे।

मुझे गुड्डी कि बात याद आ रही थी ,

" भाभी ही चाभी हैं, बस एक बार उनको पटा लो फिर तूने ससुराल में समझो , सबका नाड़ा खोल लिया। पूरे गाँव में उन्ही कि चलती है। "

भाभी तो लग रहा था खुश हो गयी है।

और वही बात भाभी ने खुद कही ,

" बस एक बार तुम बोल दो कि हमार कुल बात मानोगे , जिसकी दिलवाउंगी , खुल के लोगे बिना किसी हिचक और लाज शरम के तो देखना , किस कि हिम्मत है की हमारे देवर कम नंदोई की बात टाले,… एक से एक माल दिलवाउंगी तुम्हे। '

नेकी और पूछ पूछ मैंने ५०० ग्राम मक्खन सीधे शीला भाभी को लगाया।

" अरे भाभी मेरी हिम्मत की आपकी किसी बात को टालूँ। आपने गुड्डी के साथ मेरा कितनी जल्दी चट मंगनी पट ब्याह तय करवा दिया , वरना मैं तो झिजक के मारे आपकी हर बात बिना सोचे समझे मानूंगा , आपकी हर बात के लिए अभी से हाँ। आप जिस कि दिलवाएंगी , मैं बिना कहे लूंगा और ज्यादा वो साल्ली नखड़ा करेगी तो जबरदस्ती लूंगा। "



लेकिन शीला भाभी इतनी आसानी से मानने वाली नहीं थी , उन्होंने तीन तिरबाचा करवाया , तीन बार हाँ करवाई यहाँ तक कि गुड्डी के नाम की कसम भी धरवा दी , अब किसी हालत में मैं उनकी बात नहीं टाल सकता था।
भाभी खुद मेरा हाथ अब जोर जोर से अपने सीने पे दबा रही थीं। और मैं भी उनके निपल फ्लिक कर रहा था।

"बोलो लाला किसकी लोगे , कैसा माल चाहिए ', उन्होंने मेरे गाल पे जोर से चिकोटी काट के पूछा।

मेरे आँखों में गुड्डी के साथ बाग़ में घूम गयी और मेरे मुंह से निकल गया ,

" टिकोरे वाली " .

" सही बोला तुमने , तेरी बड़ी सालियाँ और मेरी नंनदे है चुन्चिया उठान वाली , एकदम दिलवाउंगी। और जरूरत पड़े तो जबरदस्ती भी , बस दो चीजें याद रखना , सूखे लेनी होगी , बहोत हुआ तो तुम्हारा थूक , लार बस। "


"और दूसरी बात भाभी , " मैं बेताब हो रहा था।

बेताब होने का एक कारण ये भी था की शीला का एक हाथ पीछे आके मेरे लंड पे था और उसे वो जोर जोर से मुठिया रही थी।

" दूसरी बात लाला ये कि वो तेरी साल्ली बहुत चूतड़ पटकेगी , लंड जब फाड़ेगा उसकी तो बहोत चीखे चिल्लाएगी , हाथ गोड़ फेंकेगी।

चीखने देना उसको बहुत हुआ तो उसके मुंह में अपनी जीभ ठेल देना और होंठ से मुंह बंद कर देना , बहुत गोंगियायेगी। लेकिन छोड़ना मत ये मूसल पूरे बित्ते भर का ठेल देना अंदर और खूब हचक हचक के चोदना।

छोटी छोटी चूंचियों को भी खूब रगड़ना। चीखने देना साली को। टिकोरे वालियों के साथ यही असली मजा जब दरेरता , रगड़ता अंदर जाएगा न तो बहुत छरछराएगी , परपराएगी साल्ली की।

लेकिन देखना मेरी गारंटी अगले दिन खुद आके फ्राक उठा के खड़ी हो जायेगी। फिर जहाँ दो चार बार तुमने चोद दिया न बस , फिर तो अपनी बहनो सहेलियों कि भी दिलवाएगी। "

मेरा लंड एकदम पागल हो गया था , भाभी की बातें सुन के। मुझे विशवास नहीं हो रहा था। मैंने भाभी से फिर पुछा ,
" सच्ची भाभी। "

हंस के वो बोलीं , " लाला तूम पीछे मत हटना बस. फिर देखना दिलवाने का काम मेरा और,"

" लेने का काम मेरा," हँसते हुए मैंने बात पूरी की। " एक दम नहीं भाभी बस आप इशारा कर दीजियेगा और मैं एकदम चढ़ जाऊँगा। '

" तुमने हाँ की है और कसम भी , सोच लो अब पीछे नहीं हट सकते और मैं हटने दूंगी भी नहीं , "भाभी हंस के बोलीं। "

' अरे वाह जिस चीज में मेरा फायदा , उससे मैं क्यो पीछे हटूंगा। " शीला भाभी के फूले फूले गाल काटते हुए हंस के मैंने कहा।

"तुम्हे मालूम है सबसे ज्यादा मजा किस के साथ आता है ," शीला भाभी ने मेरे खुले जोश में पागल सुपाड़े पे अपने अंगूठे को रगड़ते हुए कहा।

" टिकोरों के साथ , " मैंने बिना सोचे बोला।

" बुद्धू हो तुम, " जोर से लंड को भींच के वो बोली।

" चल कोई बात नहीं , ससुराल के स्कूल में सब सीख जाओगे। अरे कच्ची कली के साथ मजा जरूर आता है लेकिन वो बस रगड़ने , दरेरने का मजा है। और वो तो मैंने बोल दिया तुम्हे एक से एक टिकोरे वाली दिलवाउंगी।

लेकिन असली मजा है भोंसड़ी वालियों के साथ , चल वो भी दिलवाउंगी तुझे ,…



मेरे कुछ समझ में नहीं आया। मैं बस बोल पड़ा , " भाभी मुझे तो आप के साथ ज्यादा मजा आया। तो आप का मतलब , आप जैसी ,… "

और मुझे डांट पड़ गयी।

" बुद्धू तेरे मायकेवालियों ने कुछ सिखाया नहीं , तुझे बुर और भोंसड़ी का भी अंतर नहीं मालुम।

भोंसड़ी मतलब जिस में से दो चार बच्चे निकल चुके हों , जिसकी चिड़िया खूब उड़ चुकी हो। समझे एक बार उन का मजा ले लेगा न तो बस ,… ' भाभी बोलीं।

फिर जोर जोर से मेरे तन्नाये लंड को मुटियाते बोलीं और आगे समझाया ,


" देख पहली बात उन को तुम से ज्यादा एक्सपीरियंस होता है , तो मजा लेने के साथ वो मजा देना भी जानती है। दूसरे उनके साथ बहोत जोर नहीं लगाना पड़ेगा और सबसे बड़ी बात है कि फिर तुम ये समझोगे कि चुदाई का मजा सिर्फ चूत में नहीं होता और वो थोड़ी डॉमिनेटिंग भी होंगी तो असली मजा आएगा "


कुछ तो भाभी के लंड मुठियाने से और उससे ज्यादा उनकी रसीली बातों से मेरी हालत खराब हो रही थी।

सुपाड़े पे छेद पे भाभी जोर जोर से ऊँगली से सुरसुरी कर रही थी और कभी नाख़ून हलके से खुले सुपाड़े पे गड़ा देतीं। मस्ती से मैं गनगना उठता।

भाभी ने फिर भोंसड़े पे अपनी बात आगे बढ़ायी , मुझसे ही सवाल करके ,

"लाला चावल अच्छा होता है नया या पुराना ?"

शीला भाभी की जब्बर चूंचिया जोर से दबाते मैं बोला " अरे भाभी ये पूछने की बात है , पुराना।

" और दारु " ?शीला भाभी ने जोर जोर से मेरे बुरी तरह तन्नाये , लंड को मुठियाते हुए पूछा ये

" अरे भाभी , ये भी कोई पूछने वाली बात है , दारु भी पुरानी ही अच्छी होती है। जितनी पुरानी होगी , उतना ही नशा होगा। पुरानी दारु अगर मिल जाए तो एक दम पागल कर देती है है , आदमी होश खो बैठता है मस्ती में ,:" शीला भाभी की बड़ी बड़ी चूंचिया , जोर से दबाते मैंने बोला /

" लाला , तू एतने समझदार हो त तोहें ई न मालूम , जैसे पूरान चाऊर में ज्यादा स्वाद होता है , पुरानी दारु में ज्यादा नशा होता है वैसे ,… " और फिर शीला भाभी ने गर्दन मेरी ओर मोड़ी और मुझे देख के कहने लगी ,

" भोंसड़ी के , हरामी, छिनार के जने , रंडी के , हरामजादे , तेरे सारी मायकेवालियों के भोंसड़े में गदहे का लंड। उन छिनारों को घूम घूम के चुदाने से फुरसत नहीं मिली , कि तूझे एक बार भोंसड़े का रस चखा देतीं , उस का फायदा , उस के मजे समझा देतीं , तो तू , बुद्धू तो ना रहते। "

फिर कुछ रुक के मुस्करा के उन्होंने टोन बदला और बोलीं ,


"चल मैं ही तूझे समझा देती हूँ। देख नयी लड़की के साथ कितना भी मजा लेगा न , तो वो नखड़े बनाएगी। खुद चूत में चींटे काट रहे हो हों , तो भी बहाने बनाएगी , बोलेगी आज नहीं। और चालु भी हो जाओगे न तो बस कई बार लगेगा जैसे अहसान कर रही है अपनी चूत दे कर। हरदम आधा मजा आएगा। दर्द नहीं होगा तो भी चीखेगी चिल्लाएगी।

लेकिन जहाँ भोंसड़ी वाली को जब पेलोगे , तो कोई नखड़ा नहीं बनायेगी , बल्कि तुझसे आगे बढ़ बढ़ के मजा देगी। खुद नीचे से धक्का लगाएगी , तेरा हाथ खींच के अपने सीने पे रखेगी। और चुप चाप लेटी नहीं रहेगी , सिसकी भरेगी , तुझे छेड़ेगी , और खूब मजा लेगी।

जब मर्द को लगता है न की औरत की भी चुदाई में मजा आ रहा है तो उस का मजा दूना हो जाता है। और ये इसलिए है की वो ना जाने कितने लंड खा चुकी होती है और उसे लंड के मजे लेने का सलीका मालूम होता है। "

भाभी की बात में दम था। बल्कि बहुत दम था।

मेरे चेहरे की चमक से शीला भाभी को साफ लग रहा था की मुझे उनकी बातों में कितना आनंद आ रहा है। और ये बात सोलहो आना सही थी।

भाभी ने एक बार फिर अपना मोटा भारी चूतड़ मेरे बौराये लंड से रगड़ा और पुछा क्यों लाला , चाहिए कोई भोंसड़ी वाली।

मैंने भी दूने जोर से लंड उनकी गांड की दरार के बीच रगड़ा और चूंची दबाते हुए कहा , " अरे भौजी , इहो कौनो कहे वाली बात है। "

"लाला तुंही बिचक जाते हो , दिलवाय तो मैं दूंगी। और फिर टांग उठा के मेरे सुपाड़े को अपनी बुर पे सेट करती , शीला भाभी ने बात आगे बढ़ायी , दूसरा फायदा।


" लाल्ला , ई लौंडियाँ के साथ , त , मजा या तो चूत में मिली या बहुत हुआ तो छोट छोट चूंची मीज , मीस लो। लेकिन कबहुँ जब किसी भोंसड़ी का मजा लोगे न ता उ पूरी देह से मजा देगी। "

" उ कैसे भौजी , " उनकी बुर पे लंड जोर जोर से रगड़ते मैंने पूछा।

" कबहुँ चूंची चोद के मजा लिए हो " उल्टा शीला भाभी ने मेरे अनुभव की परीक्षा ली।

" नहीं भौजी " मैंने कबूल किया।

" तबै तो कहती हूँ ससुरी तोहरे मायके वाली भौंसडियों ने तोहैं कुछ नहीं सिखाया , बताया। अरे जब कौनो वइसन मेहरारू मिली न , तब तोहकों कुछ ना करे के पड़ी।

उ आपन बड़ी बड़ी चूंची के बीच लंड रगड़ के , तोहें चूंची से चोद के झाड़ देयी। और खाली चूंची काहें , कांख में , गांड की दरार में गले पे , पूरी देह में मजा भरा होगा ओकरे। " वो बोलीं।

ये सब बातें सुन के मेरा मन और खराब हो रहा था। मैंने भाभी से कुछ कहता उसके पहले उन्होंने तीसरा मजा भी बताना शुरू कर दिया ,


" तोहरे अइसन नौसीखिया के लिए त बहुत जरुरी है , कौनो खेली खायी , दो चार बच्चों जो निकाल चुकी हो उस के साथ गुल्ली डंडा खेलना। चार पांच के साथ कबड्डी खेल लोगे न तो एकदम पक्के हो जाओगे।

वैसे हथियार तो तुहार गजब हौ , उ भोंसड़ी वाली के भी कुंवारापन याद आय जायी , ऐसे सट सट के जायी। और तोहें मजा देवे आवे ला , लेकिन कौनो खेली खायी मिली न , त उ दरजन भर लंड का मजा लेहले होई। एक एक बात सिखाय देयी। कब जोर का धक्का मारा , कब बस चूत में रगड़ा ,"


अब मुझसे नहीं रहा गया

"उ सब ओ ठीक है भाभी , लेकिन ,…"

"लेकिन मिली कैसे, ,… लाला ई सोच रहे हो न , ई चिंता तू हमरे ऊपर छोड़ दा। हम और तोहर सास , मिल के एक मस्त भोंसड़ीवाली का इंतजाम करिहें , बस , लेकिन दिलवाने का काम हमारा , और लेने का काम देवर तुम्हारा। फिर कौनो ना नुकुर मत करना। "

शीला भाभी बात काट के बोलीं।

" अरे भौजी आज तक आप की कौनो बात टालें हैं का हम , एक बार बस दिलवाई दो फिर देखना कैसे हुमच के ," मैंने भौजी को मस्का लगाया।

जोर जोर से मेरा लिंग दबाती उन्होंने पूछा , " जहाँ हम कहब , उहाँ घुसी न ई। "

" हाँ भौजी एकदम , नेकी और पूछ पूछ। " मैंने हामी भरी।

" लेकिन बात समझ लो , वइसन माल का मजा खाली बुर में न हो बल्कि उसकी गांड मारा , चूंची चोदा ," जोर " जोर से लंड मुठियाते वो बोलीं।

" हाँ भाभी हाँ , यही तो हम चाह रहे है लेकिन आप दिलवाओ न " मैंने फिर मिनती की।

" चलो लाला तुंहुं क्या याद करोगे " वो बोलीं ,

लेकिन उसके बाद फिर भी तिन तिरबाचा भरवाया, गुड्डी कि कसम दिलवायी की वो जिसको बताएंगी मैं पीछे नहीं हटूंगा।

'तो भौजी कब , 'मैं बेचैन था।

अरे लाला दिलवाई दूँगी , न गुड्डी के ससुराल में सब एक से एक भोंसड़ी वाली है , हचक के ,…"

मारे जोश के बिना सोचे समझे मैं बोल बैठा " अरे भाभी आपके मुंह में घी शक्कर देखिएगा ऐसे गपागप चोदुंगा न "

भाभी बड़ी जोर से मुस्करायीं और बोलीं , " पक्का , ता केसे शुरआत करवायीं , गुड्डी की,… "

तब तक मेरे दिमाग की बत्ती जोर से जली। " गुड्डी की ससुराल वाली यानि मेरे मायके वाली। "

मैंने जोरसे शीला भाभी से बोला , " अरे भाभी गुड्डी के ससुराल वाली नहीं मेरे ससुराल वाली। "

" लाला अब तो तीर छूट गया , हम तो गुड्डी की ससुराल वाली पूछे थे और तू बहुत जोर से हुंकारी भरे थे " मुस्कारी के वो बोलीं

मेरे दिमाग में गुड्डी की मम्मी ऊप्स मम्मी की बात याद आगयी।

यही बाते उन्होंने भी तो मुझसे कहीं थी , 'गुड्डी कि ससुराल वालियों ' वाली ,

हाँ बल्कि उन्होंने शीला भाभी से भी ज्यादा खुल के गालियों के साथ बोला था , बल्कि मुझसे खुद कबूलवाया था , एक एक बात।

" क्यों , क्या सोच रहे हो कैसे मिलिहें , गुड्डी के ससुराल वाली खेली खायी सब , त तोहरे बियाह में तोहरे बहिनीन का , का हाल होई ई तो मालूम हैं न। "

" हाँ भाभी , "मैंने कबूला।

गुड्डी , , मम्मी और शीला भाभी इस बारे में विस्तार से बता चुके थे।

मम्मी ने बोला था ," याद रखना , तुम्हारी जितनी बहने हैं , चचेरी , ममेरी , मौसेरी , फुफेरी , कोई भी , चाहे उनकी झांट भी न आयी रहे , बारात में आनी चहिये। ई नहीं की बरात यहाँ आ गयी और उ वहाँ , नाउ धोबी , दूधे वाले से , मरवा रही है। अगर एक भी नहीं आयी न , तो कोहबर में निहुरा के तुम्हारी गांड मार लेंगे और बिना दुल्हिन बरात बिदा कर देंगे। "

शीला भाभी ने बताया था की अरे आम की गझिन बाग़ में बारात रहेगी न और गाँव की बारात है इसलिए औरतों , लड़कियों का इंतजाम अलग। बस वही तुम्हारे साले , तुम्हारी बहनो की ताल पोखरी में डुबकी लगाएंगे।


"ता सोचो केतना मजा आयेगा तुम्हारी बहनों को जब एक एक पे तीन तीन चढ़ेंगे। " शीला भाभी ने बात फिर शुरू की और आगे बढ़ायी ,

" और तुम सोच रहे हो की क्या तुम्हारी सास , अपनी समधनों का इंतजाम नहीं किये होंगी। अरे गाँव के जितने मर्द है न , तोहरे , ममिया ससुर , चचिया ससुर , सब अबहीं से मुठिया रहे हैं , और उहो सांडे का तेल लगा के। बस त जहाँ इतने लोग मजा लेंगे वहाँ उनकर दामाद ,…'

शीला भाभी की बात का बस एक ही जवाब था मेरे पास , उनकी टाँगे खुली , फैली थीं। बस पीछे से लंड मैंने बुर पे सेण्टर कर दिया और लगा रगड़ने ,

" अरे लाला जौने भों.…"

उनकी आगे की बात सिसकारी में बदल गयी की। मैंने हचक के एक जोर दार धक्का मारा और ३/४ लंड अंदर।

" अरे देवर जी का गुड्डी की ससुराल वालों की भोंसड़ा समझ के ले रहे हो न , तभी मैं समझ रही हूँ " उन्होंने चिढ़ाया और एक जवाबी धक्का मारा।

मैं जोर जोर से ' स्पून पोज ' ( प्रिगनेंसी के लिए ये भी आईडीएल पोज है ) में पीछे से चोद रहा था। और साथ में भाभी की गालियों की धारा भी ,दिन


मैं कब झाड़ा , कब सोया पता नहीं। 







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