Sunday, April 13, 2014

FUN-MAZA-MASTI दिलो की फरियाद--11

 FUN-MAZA-MASTI

 दिलो की फरियाद--11





शरद ने मुझसे कहा कि “बस तोड़ा दर्द सहो फिर मज़ा आने लगेगा” मेरे मुह से लगातार उः... ... आह..आह..आह..आह.. आह..आह.. आह..आह कराहने के आवाज़े आ रही थी लेकिन थोड़ी देर बाद वही दर्द अब मुझे मज़ा देने लगा था। शरद अब मुझे ज़ोर ज़ोर से धक्के मार कर मुझको चोदे जा रहा था. मै मस्ती में उः... ... आह..आह..आह..आह.. आह..आह.. आह..आह कर रही थी. शरद ने मेरे पैरो को उठा कर पकड़ लिया और अब एक्सप्रेस की तरह जल्दी जल्दी करने लगा. कमरे में मेरी सिसकिया और पक-पक की आवाज़ गूँज़ रही थी। जब शरद अपने चरम पर पहुँच वह झड़ गया. उसके वीर्य की धार मेरे अंदर समा गयी। तब तक मेरा बुरा हाल हो गया था दर्द के कारण उसे लग रहा था जैसे की मै मर जाऊंगी। इसके बाद मैं शरद के सीने से लिपट कर सो गई. जब मै शरद से लिपटी हुई थी तब शरद मेरे बालो में अपने हाथ फेर रहा था जिसके कारण मेरी नींद लग गई।“

नेहा की बातों को संगीता और पिंकी एकदम शांत और ध्यान देकर सुन रहे थे। लेकिन पिंकी को नेहा और शरद के बीच हुई चुदाई की कहानी को सुनकर उसके और शरद के बीच हुए सेक्स की याद आ गई. और पिंकी तड़्प उठी. उसके मन में शरद से चुदने की तीव्र लालसा जाग उठी। पिंकी के मन में एक अजब सी हलचल होने लगी. वह ज्यादा देर तक नेहा और संगीता के पास नहीं रुकी और वहां से अपने घर के लिए गई। रास्ते में उसके मन में बस एक ही बात चल रही थी कि शरद ने किस तरह नेहा को अपनी बाहों में लिया होगा और किस-किस तरह से शरद ने नेहा के साथ रात बितायी होगी। पिंकी कब घर पहुंची उसे पता ही नही चला। घर पहुंचने के बाद. पिंकी कमरे का दरवाजा बंद करके पलंग में लेट गई. और नेहा की बातो को सोचते-सोचते बहुत देर तक लेटी रही।
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Scene Change
इधर मोहन जब ऑफिस से घर आया तव उसने देखा कि उसके घर के दरवाजे पर आज ताला लगा नही था । मोहन को लगा कि शायद जल्दबाजी में ताला लगाना भूल गया होगा, लेकिन अंदर जाने पर उसने पाया कि उसके कमरे की टीवी और डीवीडी प्लेयर चालू थी । मोहन ने उस डीवीडी के पास में दो तीन एडल्ट फिल्म की डीवीडी रखा था जिसे मोहन रातों में देखा करता था । मोहन ने सबसे पहले उस डीवीडी को इधर उधर ढूंढा पर वह डीवीडी नही मिली । मोहन ने स्वयं से कहा की उसकी गैरहाजिरी में अगर कोई आया हो और डीवीडी उसको मिल गई होगी तो फिर उसकी खैर नही है । मोहन झट से याद आया कि कल शाम को रेखा डीवीडी में फिल्म देखने की बातें कर रही थी, कहीं रेखा तो नहीं थी....., मोहन के दिमाग में अलग अलग ख्याल आ रहे थे ।
आज सुबह जब मोहन घर से ऑफिस के लिए निकला तब वह जल्दबाजी में दरवाजे को ताला लगाना भूल गया था और जब रेखा ने मोहन घर के दरवाजे को खुला देखा तो वह दरवाजे को बंद करने चली गई। रेखा ने पाया कि दरवाजे के साथ और दुसरी चीजे जैसे कमरो की लाईट, पंखे और टीवी को भी मोहन ने बंद नही किया था । “पता नहीं मोहन को आज क्या हो गया है जो आज घर की सभी चीजो को चालू कर चले गये है” रेखा बड़बड़ाते हुए सभी को बंद करते हुए जा रही थी जैसे ही रेखा टीवी के सामने पहुचीं तो उसने देखा कि टीवी में एक आदमी एक औरत के योनि अंदर लिंग को डालकर ताबड़तोड़ ढकेले जा रहा था और वह औरत दर्द के मारे कराह रही थी फिर भी वह औरत और जोर से ...... और जोर से ... कहे जा रही थी।
रेखा की नजरें टीवी के स्क्रीन पर आकर जम गई और शरीर के अंदर एक अजब सी हलचल होने लगी । रेखा को छाती में एक तनाव के साथ योनिस्थल में एक उत्तेजना महसूस हुआ । जब रेखा की उत्तेजना उसकी सहनशक्ति के बाहर हुई तब रेखा ने टीवी को बंद करके वहीं बेड पर (मोहन के कमरे में) लेट गई, रेखा ने अपनी आंखे बंद कर ली थी फिर भी वह उस सीन को नही भुल पा रही थी। थोड़ी देर बाद जब रेखा को कुछ अच्छा लगा तब वह वहां से अपने घर के लिए निकल गई । रेखा के घर आने के बाद भी उसके मनमस्तिक में वही दृश्य चल रहा था । रेखा से रहा नही गया और वह दोबारा मोहन के कमरे में जाकर टीवी को दोबारा चालू किया । इसबार सीन बदल गया था पर एक्शन वही था । रेखा ने मोहन के कमरो को अंदर से बंदकर मोहन के बेड पर सो गई और फिल्म को देखने लग गई। फिल्म को देखते हुए रेखा कभी अपने वक्षों को मसलती, तकिये को सीने से लगाकर रखती और योनिस्थल को सहलाती और रगड़ती । मोहन के बेड पर तकिये के नीचे रेखा को एक मेग्जीन भी मिली जिसमे बहुत से लड़कियों के निर्वस्त्र, कामुक न्युड और अंतरंग दृश्य वाले फोटो भी थे । रेखा के उत्तेजना की कोई सीमा नही रही वह चुदने के लिए तैयार थी पर अफसोस उसकी यह प्यास अभी नही बुझ पाई । रेखा ने एक दो घंटे तक पुरा विडीयो देखा और जब फिल्म खत्म हुई तब रेखा ने उस फिल्म की डीवीडी और मेग्जीन को साथ मे रखकर अपने साथ ले आई।
मोहन ने उस डीवीडी को खुब ढूंढा पर उसे वह कही पर भी नही मिला । जब मोहन शाम को टहलने के घर से बाहर निकला तब मोहन कुछ परेशान सा दिख रहा था । हमेशा की तरह टहलने के दौरान मोहन के साथ छुटकी और रेखा भी थे, रेखा प्यासी नजरो से बार बार मोहन कि ओर देखा करती थी पर छुटकी के साथ होने के कारण रेखा हिम्मत नही जुटा सकी।
सूरज डूब गया और रात हो गई थी । 

Scene Change
दिन ढल गया था और रात हो गई थी फिर भी पिंकी की बेचैनी. व्याकुलता नही गई थी। पिंकी के मन में एक अजीब सी उलझन थी। शरद और पिंकी के बीच में जो भी आज तक हुआ वो सब एक हादसे से चालू हुआ था। पिंकी को इस बात का एहसास अच्छी तरह से था कि शरद ने पिंकी की शारिरिक जरूरतो को पूरा कर उसे तृप्त कर दिया था लेकिन नेहा के बीच में आ जाने से शायद अब पिंकी और शरद का मिलन नही हो सकेगा। शायद यही एहसास पिंकी को तड़पा रही थी । ऐसे में पिंकी ने सोचा कि यदि वह शरद के साथ बिताये हुए वो पल वो लम्हा जो खास है उन लम्हों को कैमरे में संजो कर रख लें ताकि खाली समय में वह अपने मन को बहला लें ।
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Scene Change
डिनर के बाद जब सब अपने अपने कमरों में चले गए तब रेखा भी अपने कमरे में आगई और अकेले में रेखा ने मेग्जीन जिसे मोहन के कमरे से लायी थी उसे निकालकर देखरही थी । पूरा मेग्जीन निर्वस्त्र, कामुक नंगी लड़कियों के फोटो से भरा पड़ा था। । मेग्जीन में काफी उत्तेजक सेक्स भी सीन थे। चूंकि रेखा पहली बार ऐसी मेग्जीन देखरही थी इसलिए रेखा का मन स्त्री पुरुष के मिलन, अलग अलग सेक्स पोज के फोटो को देखकर उन चित्रों में खो गया। रेखा मोहन के बारे में कहने लगी कि मोहन कैसे गंदे है जो इस तरह कि गंदे फोटो वाले मेग्जीन अपने पासे में रखते है। रेखा को मेग्जीन के अंत में उसे एक और फोटो मिली, वह फोटो थी खुद उसकी । रेखा को उसकी फोटो एक ऐसे मेग्जीन में मिली जिसमे पूरा मेग्जीन निर्वस्त्र, कामुक नंगी लड़कियों के फोटो से भरा पड़ा था। जब रेखा ने आखिरी में खुद को फोटो को देखी तो उसे पहले बड़ा अचरज हुआ । रेखा को लगा कि शायद मोहन रेखा को उसी तरह नग्न, निवस्र देखना चाहता हो जैसा कि मेग्जीन के लड़कियों की फोटो तरह। रेखा इन सारी बातो को सोचते हुए कुछ देर तक लेटी रही फिर वह अचांनक उठी और मेग्जीन को पकड़ी और छत में चली गयी।
मोहन को इस बात का पक्का यकीन था कि उसकी गैरहाजिरी में किसीने उसके कमरे से उस डीवीडी को ले गया हो पर कौन हो सकता है यह बात मोहन को जानना थी । मोहन जब घर में नही होता था तब सिर्फ रेखा, छुटकी या रेखा मम्मी पापा ही जाते थे तो जाहिर सी बात थी वह व्यकित इन्ही में से कोई एक हो सकता था । बस यही सब सोचते हुए मोहन घर के आंगन मे इधर से उधर टहल रहा था और मन ही मन ठान लिया था कि वह डीवीडी रेखा को मिल गयी होगी तो उसे तुरंत कुछ न कुछ करना पड़ेगा। टहलते टहलते मोहन कि नजरे घर की छ्त, जहां पर रेखा रोजाना घूमती थी, पर गई । रेखा छ्त में इधर उधर टहल रही थी। जैसे ही मोहन ने रेखा को छत मे देखा मोहन ने सोचा कि इससे अच्छा मौका उसे फिर शायद मिले ना मिले। मोहन जैसे ही छत में पहुचा उसने देखा कि रेखा कुछ हाथो में लिए हुए इधर से उधर घुम रही थी।
जैसे ही रेखा ने जब मोहन को देखा तब “मोहन जी आप इस समय?” रेखा को इस समय मोहन कि उम्मीद नही थी और उसने झट से मेग्जीन पीछे छुपा ली ।
मोहन “हां...हां..मैने आपको टहलते हुए देखा तो मै भी घूमने आ गया, आपको कोई परेशानी तो नही है” मोहन ने रेखा को कुछ छिपाते हुए देख लिया था।
रेखा को लगा अगर मोहन ने वह मेग्जीन को गलतो से उसके हाथ में देख लिया तो बड़ी दिक्कत हो जायेगी इसलिए रेखा वहा पर से निकलना ही सही समझा और रेखा ने कहा “मोहन जी मुझे नींद लग रही है अब मैं चलती हूँ”।
मोहन “मुझे आप से कुछ जरूरी बात करनी थी फिर बाद में समय मिले ना मिले” यह कहते हुए मोहन ने रेखा को रोक लिया।
रेखा “जरूरी बात! प्लीज जल्दी कहिए मुझे बहुत जोरो की नींद लग रही है” रेखा को लगा शायद मोहन को इस बात का शक हो गया होगा कि डीवीडी उसके पास है इसलिए रेखा ने वहां से जाने के लिए नींद का बहाना बनाया और बुक को छिपा कर रखने की कोशिश की।

मोहन ने अंधेरे में तीर छोड़ा “ आज शाम को जब मैं वापस आया तब छोटी ने बताया कि आज तुम्हे मेरे कमरे से एक डीवीडी मिली है, वह मुझे चाहिए क्योंकि उसमे मेरे एक दोस्त कुछ इम्पार्टेंट डाटा है” रेखा रेलिंग के किनारे खड़ी हो गई और बोली “यह बात छोटी को कैसे पता वह तो उस समय नहीं थी और मैंने इस बारे में उसे कुछ बताया भी नही है” मोहन रेखा के करीब आकर बोलता है “मतलब डीवीडी आप ही के पास है, मेरे फ्रेन्ड के उसमे सिक्रेट फाईल है उसे कल देना है” रेखा को समझ में नही आता है कि वह क्या कहे, दुसरी ओर देखते हुए कह्ती है “हाँ मेरे पास एक है मुझे लगा कि वह आपका है इसलिए मैने उसे सम्भालकर रख दिया है, मैने उस डीवीडी को चलाकर भी नहीं देखा कि.................” मोहन ने कहा “......उसमें क्या है?” मोहन रेखा के और करीब आकर कहता है “आपको अच्छी तरह से पता है कि उसमे क्या है” रेखा के चेहरे का रंग उड़ जाता है, रेखा शरमा जाती है और बोलती है “प्लीज मुझे जाने दीजिए मुझे अच्छा नही लग रहा है” रेखा जाने को होती है तो मोहन उसके कलाई को थाम लेता है और जैसे ही रेखा की कलाई मोहन के हाथों में आती है रेखा हाथ में रखा हुआ मेग्जीन नीचे गिर जाता है और मोहन की नजर उस पर पड़ती है। मोहन “अरे! ये मेग्जीन भी आपके पास है” और मोहन रेखा को कमर से पकड़कर अपनी ओर खींच लेता है। रेखा “मोहनजी प्लीज छो*ड़िए ना मुझे अच्छा नही लगताहै” मोहन “अगर ये अच्छा नही लगता है तो जो आपने डीवीडी फिल्म देखा वो अच्छा लगता है” रेखा “क्षीः! कैसी गंदी गंदी बाते करते है” रेखा पलटकर उल्टा खड़ी हो जाती है उसका पीठ मोहन कि ओर रहता है। मोहन रेखा के पीठ पर दोनो हाथो को रखता है और कह्ता है “मै सिर्फ गंदी गंदी बाते ही नही करता हूँ वो गंदी गंदी हरकते भी करता हूँ जो आपने देखा है” और हाथों को पीठ से सरकाते हुए रेखा के वक्ष पर ले जाकर मम्मो को पकड़ लेता है। रेखा “मोहनजी मै अपनी मर्यादा भूल जाऊंगी प्लीज मुझे छोड़ दीजिए मै किसी और की पत्नी हूँ” रेखा मोहन के हाथ को हटाकर मोहन से दूर खिसकती है ।
 पर मोहन रेखा को कमर से और मजबूती से पकड़ लेता है रेखा मोहन की कैद से छुड़ा नही पाती है, मोहन रेखा की बातों अनसुना कर कहता है “आज हम दोनो के एक होने की रात है, आज बस मैं तुम और ये चांदनी रात, आज मै वो सब करके रहूंगा जिसके लिए अभी तक इंतजार किया” और मोहन रेखा के होंठों को किस कर देता है। जब मोहन के होंठ रेखा के होंठों को छुते है तब रेखा के शरीर में एक लहर उत्पन्न होती है जिससे रेखा मोहन के सीने से लिपट जाती है। मोहन कि हिम्मत और बढ़ जाती है और वह रेखा के होंठ को चुमना चालू रखता है। अब रेखा और मोहन दोनो एक दुसरे को बड़ी उत्तेजना में एक दुसरे को चुमते रहते है ऐसे में मोहन रेखा के चूंचियों को हाथो से मसलने लगता है। रेखा धीरे-धीरे कराहने लगी उसकी उत्तेजना और बढ़ने लगती है वह बेकाबू होने लगती है मोहन की हर हरकत से अब रेखा को मजे आने शुरु हो जाते है। इसी बीच मोहन रेखा के नाईटी के भीतर से अपने हाथो को घुसेड़कर मम्मो को पकड़ लेता है और मसलने लगता है। रेखा के अंग में नाईटी के नीचे कुछ भी नहीं पहनी हुई थी। रेखा के बदन में आग सी लग जाती है, मोहन रेखा के नाईटी को निकाल देता है और रेखा को मोहन के सामने नंगी खड़ी रहती है, रेखा शरमा जाती है और अपने हाथो से वक्षस्थल को ढ़कने लगती है। मोहन रेखा के हाथ को उसके सीने से हटाकर उसके मम्मो को मुहं मे डालकर चुसना चालु करता है। रेखा आंखो को बंद कर लेती है और कहती है: रेखा “मोहन जी यह कैसा अहसास है जो मुझे और बेकरार कर रही है, मुझे पता नही क्या हो रहा है?” मोहन “यह तन की प्यास है.......” रेखा “.......प्यास! कैसा प्यास...........इस मेरे तन कि प्यास को शांत कीजिए”
मोहन को इसी समय की तलाश थी। मोहन ने अपने लोवर को उतार दिया। मोहन ने रेखा को रेलिंग के सहारे झुकाया और फिर मोहन ने उसके लंड को रेखा के चुत में एक झटके के साथ घुसा दिया। रेखा के मुंह से उफ़ कि एक आवाज निकली और फिर क्या था मोहन ने लंड को धीरे धीरे रेखा के चुत में अंदर बाहर करना शुरु किया । मोहन रेखा को धकेल रहा था, शुरु में मोहन कि रफ्तार धीमी थी पर बाद में मोहन ने रेखा को जोर जोर से धकेलना चालू कर दिया। रात के अंधेरे में दोनो ही चुदाई में मस्त हो गये थे। मोहन का लंड जितना अंदर जाता रेखा को उतना ही आनंद आता था। रेखा में चुदाई की पुरी मस्ती छा गई थी, दर्द में आ...आ....आ...आ...की आवजें रेखा की मुंह से निकल रही थी।
मोहन “मेरी डार्लिंग मजा आ रहा है कि नहीं?” मोहन ने रेखा से कहा ।
रेखा “बहुत मजा आ रहा है, आज मुझे जितना जोर से धकेल सकते हो धकेलो, मेरी चुत ना जाने कितने दिनो से लण्ड की प्यासी थी, ......... आ...आ....आ...आ”
मोहन ने रेखा को कमर से और जोर से पकड़ा और “ लो तो फिर संभालो” कहा और अपनी स्पीड को चरम तक पहुंचा दिया। रेखा दर्द के मारे चीख पड़ी और कहा “बस अब मुझसे और नही सहा जा रहा है”।
मोहन “बस थोड़ा देर और”
पुरा समा दोनो संगम से पक*- पक की आवाज से गुंजने लगा । काफी देर तक मोहन ने रेखा की जमकर चुदाई की फिर जब मोहन और रेखा दोनी ही अपने चरम पर पहुंच गये और दोनो ही स्खलित हो गये । रेखा ने गहरी सांस ली। जब थोड़ी देर में दोनो कुछ रिलेक्स हुए, रेखा ने अपनी नाईटी पहनने लगी तब.....
मोहन ने रेखा से कहा “तुम बिना कपड़ो के बहुत ही सेक्सी लग रही हो” और मोहन ने रेखा के दोनो उभारों को फिर से चुमा।
रेखा मुस्काई और बोली “आप बहुत शरारती हो....., बहुत रात हो गई है मै चलती हूँ” और रेखा ने नाईटी पहन ली ।
मोहन “चलो मेरे कमरे में चलते है, आज पुरी रात हम दोनो मजे करेंगें”
रेखा “अभी नही......कल” यह कहकर रेखा चली गई।
मोहन भी अपने कमरे में चला गया। तब तक आधी रात हो गयी थी।



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