Sunday, April 20, 2014

FUN-MAZA-MASTI मालती एक कुतिया --10

FUN-MAZA-MASTI

 मालती एक कुतिया --10

 मालती ने लल्लन का दिल तो जीत लिया था पर विश्वास... वो अभी जीतना बाकी था! लल्लन इतनी जल्दी किसी पर विस्वास नहीं करता था...! मालती ने अब तक उसे अपने बारे में जो कुछ बताया था उससे वो और भी कन्फ्यूज हो रहा था! वो समझ नहीं पा रहा था कि मालती को राजनीति में जगह दे या फिर केवल अपने बिस्तर में! खैर बिस्तर पर तो मालती पहले ही आया चुकी थी! और राजनीति बच्चों का खेल नहीं! ये चुनाव तो यूं ही निकल जाएगा... और फिर पूरे पांच साल थे मालती को जांचने परखने के... पर मालती अगर नागिन निकली तो? खुद के डसे जाने का भय सता रहा था लल्लन जी को! और फिर किसी ने कहा भी है कि औरत जब तक खूबसूरत है अब तक तो ठीक पर अगर ख़ूबसूरती के साथ अकलमंद भी है तो बच के रहना चाहिए! मालती के बारे में सोंचते सोंचते लल्लन जी का लंड खड़ा हो चूका था! पर अब उसे शान्त करने के लिए मालती मौजूद नहीं थी! एक बार को लल्लन जी का दिल किया कि वो अभी मालती के घर जाकर अपनी हवस शांत कर ले पर फिर कुछ सोंच कर खुद पर काबू किया... और फिर अपने घर को निकल लिए!
उधर अफरोज ने भी मालती की हिस्ट्री निकलवाने की ठान ली! इसी बहाने उसके पास करने के लिए थोड़ा काम भी होगा और वो थोड़ा बिजी भी रहेगा! क्योंकि अगर लल्लन जी के साथ वो एक्टिव रहा तो उसके साथ साथ लल्लन जी को भी प्रॉब्लम हो सकती है!
अगले दिन लल्लन जी को रोड शो पे जाना था!
5-6 गावों में रोड शो था आज!
मालती आज भी सफ़ेद साड़ी में एकदम कड़क माल लग रही थी! सुबह सुबह लल्लन जी को जब उसने गुड मोर्निंग बोला तो लल्लन जी की मोर्निंग सच में गुड हो गई!
““लल्लन जी मैं भी चलूंगी आज आपके साथ रोड शो में!” मालती ने अपनी अदाओं का जलवा बिखेरते हुए लल्लन जी को अपने दिल की बात बताई!
लल्लन जी मना नहीं कर पाए- “हाँ हाँ ठीक है पर देर हो जायेगी.... और हो सकता है की रात में हमें फार्म हाउस में ही रुकना पड़ जाए!”
मालती के मन में तो जैसे लड्डू फुट गए, वो चहकती हुई बोली- “कोई बात नहीं विधायक जी... पर्सनल सेकेटरी हूँ आपकी.. और इतने बिजी टाइम में इतना तो कोपरेट कर ही सकती हूँ!”
“हा हा... ये तो आपका फर्ज है मोहतरमा!” लल्लन अपना अंडरवियर एडजस्ट करता हुआ बोला!
और फिर सब रोड शो के लिए निकल लिए!
मालती दूसरी गाड़ी में महिला कार्यकर्ताओं के साथ थी.. जबकि लल्लन जी अपने रोड शो में बिजी थे! सारा दिन ऐसे ही निकल गया! कई जगह पर लल्लन जी ने अपना जलवा दिखाया... एक दो गावों में दारू भी बाँटी!
शाम हो चली थी... और अब सब वापस लौट रहे थे! लल्लन ने मालती को फोन किया...
“हेलो....”
“हाँ अभी आगे गाड़ी रोकेंगे... तो उस गाड़ी से उतर कर हामारी गाड़ी में आ जाना.. यहाँ से सीधा फार्महाउस निकल रहे हैं!”
“जी विधायक जी”
और फिर लल्लन ने फोन काट दिया!
मालती मुस्कुराई... और काफिला रुकने का इंतज़ार करने लगी!
आगे पान की दुकान पर काफिला रुका, मालती महिला मोर्चा की कार से उतर कर विधायक जी की कार में आ गई!
“पान खायेंगी?”
“नहीं.. आप ही खाइए पान...” मालती मुस्कुराई!
“अरे आइसे काईसे... खाना तो पड़ेगा!” लल्लन जी पान को एक गाल में दबाये हुए बोले मालती की ओर देखते हुए बोले!
“अच्छा ठीक है... पर मीठा पान खाऊँगी मैं” मालती बोली!
“हाहाहा... तनिक नजदीक आओ... “
मालती थोड़ा लल्लन जी की तरफ सरक गई...
(लल्लन जी की पजेरो काफिले को हाईवे आर छोड़ते हुए फार्महाउस की ओर मुड़ गई!)
“अरे थोड़ा आउर नजदीक आओ...” मालती के कंधे को सहलाते हुए लल्लन जी ने कहा!
मालती और पास सरक आई!
मालती के पास आए ही लल्लन जी ने अपने होंठ मालती के होंटों पर रख दिए, मालती भी लल्लन जी के होंट चूमने लगी... दोनों एक दूसरे के होंट चूम रहे थे!
लल्लन जी ने जो पान अपने मुह में दबा रखा था वो पान अब मालती के मुह में आ चूका था! उम्म्ह... पुच्च्च... म्वाह....उम्म्म्म....स्ल्र्रर्र्र...आह्ह... पान कभी मालती के मुह में तो कभी लल्लन जी के मुह में... उफ्फ्फ...
पान की लाली दोनों के मुह से निकल रही थी... और एक दो बूँदे मालती की सफ़ेद साड़ी पर भी चू गई थी.. और कुछ बूँदें लल्लन जी के कुरते पर भी!
करीब 5-10मिनट टल दोनों ने एक दूसरे के होंटों का रस पिया... और फिर अंत में लल्लन जी ने पान को अपने मुह में निचोड़ा.. और फिर पान मालती के मुह में छोड़ दिया! और खुद को मालती से अलग किया और मुस्कुरा कर पूछा- “पान मीठा था या नहीं?”
मालती ने भी पान के रस को आखिरी बार चूसा...सारी पीक अन्दर निगल गई और फिर पान थूक कर बोली- “बहोत मीठा था” और फिर शर्मा गई.. और फिर लल्लन जी से दूर खिड़की के पास सरक आई!
लल्लन जी भी बस फार्महाउस आने का ही इंतज़ार कर रहे थे अब!
खाने-पीने का इंतजाम फार्महाउस में हो चूका था! फार्महाउस पहुच कर लल्लन और मालती दोनों ने साथ ही डिनर किया! डिनर के बाद लल्लन जी ने एक गिलास हल्दी-केसर का दूध पिया!
“ओह तो ये है आपकी सेहत का राज?” मालती मुस्कुराती हुई बोली!
“देखो भाई खाने के बाद पीने को चाहिए हमें कुछ न कुछ... पानी नहीं पीते हम फिर खाने के बाद! ...यार दोस्त हुए तो मदिरा, नहीं तो ये दूध!” लल्लन जी ने एक सांस में पूरा गिलास गटक लिया! डिनर ख़तम होते ही डाइनिंग टेबल से उठ कर लल्लन जी अपने कमरे की ओर चल दिए!
मालतीको कुछ समझ नहीं आया तो वो भी उठ कर लल्लन जी के कमरे पे उनके पीछे पहुँच गई...! लल्लन जी बेड पर पीछे टेक लगाए बैठे थे! मालती को अपने कमरे में पाकर मुस्कुराए!
“लगता है नींद नहीं आ रही है तुम्हे...आओ थोड़ी देर हमारे साथ बैठो”
मालती मुस्कुराई और लल्लन जी के पैरों के पास आकर बैठ गई!
“तुम सफ़ेद साड़ी मत पहना करो... औरत जब सफ़ेद साड़ी पहनती है तो दुःख होता है हमें”
“ओह लल्लन जी... वो तो मैं...”
“अरे ये तो...वो तो छोडो... आज के बाद ये सफ़ेद साड़ी मत पहनना... जब तक कि’ हम खुद न कहें”
“उम्म्म... फिर आप ही बता दीजिये क्या पहनू मैं...”
“हाहा... पहले तो ये जो पहन रखा है उसे उतार दे तू..”
लल्लन जी के मुह से तू सुन कर मालती को आज रात होने वाली शामत का आभास हो गया...
वो मुस्कुराई, और शर्मा कर बोली...”ओहो लल्लन जी आप भी न..”
“मैं भी?? मतलब? किसी और ने भी बोला तुझे नंगी होने को?” लल्लन ने त्योरियां चढाते हुए कहा!
“नहीं नहीं लल्लन जी... आपके होते हुए किसी की हिम्मत हो सकती है ऐसा बोलने की मुझे..” मालती दोनों हाथों से हौले हौले लल्लन के पैर दबाने लगी!
“आह... कितना आराम मिलता है जब तू पैर दबाती है मेरे...”
मालती मुस्कुराती हुई पैर दबाती रही..
वो बेचारी सोच रही थी कि अब तो लल्लन जी उसके हो चुके है... पर हकीकत तो ये थी कि अभी उसे लल्लन की झांट भी नहीं मिली थी! उसे जरा भी अंदाजा नहीं था कि लल्लन ने अफरोज को उसकी हिस्ट्री निकलवाने के लिए लगा रखा है!
लल्लन जी उठे और बाथरूम में घुस गए... दो मिनट बाद जब लल्लन जी मूत कर बाहर निकले तो मालती को शीशे के सामने खड़ा पाया..
धीरे से वो भी मालती के पीछे आकर खड़े हो गए और अपना लंड मालती की गांड में सटा दिया- “सुना नहीं तुमने क्या कहा हमने? जो पहने हो उसे उतार दो...” और मालती का पल्लू नीचे गिरा दिया और पीछे से उसे अपनी बाहों में भर लिया!
“कितना कोमल है तुम्हारा बदन...” मालती के बाएं कान को चबाते हुए लल्लन जी बोले, अब तक मालती के दोनों स्तन लल्लन जी के हाथों में थे!
लल्लन का एक हाथ अब नीचे पहुच चूका था... उसने साड़ी के ऊपर से ही मालती की चूत को रगड़ा, और फिर साड़ी की पट्टियों को अपनी मुट्ठी में लेकर उसकी कमर से निकाल दिया... और फिर अगले ही पल बाकी बची साड़ी भी लल्लन ने निकाल दी! पेटीकोट का नारा खींचने में लल्लन कभी देर नहीं करता था! मालती अब केवल ब्लाउज और पैंटी में लल्लन के सामने खड़ी थी... वो पीछे से अपना लंड मालती की गांड पर रगड़े जा रहा था! मालती ने मुस्कुराते हुए ब्लाउज के हुक खोले... और बाहें फैला दी... लल्लन ने मालती के बदन को ब्लाउज से भी आजाद कर दिया! अब वो सामने शीशे में उसके बदन को निहार रहा था... और पीछे से ही प्यार कर रहा था... कभी उसकी चूत रगड़ता तो कभी उसकी चूचियां मसलता! और कभी उसकी नवेल को छेड़ता! ऐसे ही वो उसे बिस्तर तक ले गया... और फिर मालती को लिटा दिया! मालती के लेटते ही उसने पैंटी पकड़ कर नीचे खींच दी.. और ब्रा के हुक भी खोल दिए!
पैंटी के नीचे जाते ही हो नजारा उसके सामने था उसने उसका लंड और भी खड़ा कर दिया!
“शुक्रिया...”
कमर के पास जहाँ चुत्ताडों को विभाजित करने वाली लाइन(ass-crack) ख़तम होती थी वहां डिजाइनर अक्षरों में दो फूलों के बीच लिखा हुआ था- “शुक्रिया”
“वाह मेरी जान... अभी तो हमने अच्छे से तुम्हारी मारी भी नहीं... पहले ही शुक्रिया लिखवा लिया...” लल्लन ने मालती की गांड में हाथ फिराते हुए कहा!
मालती की यादें ताजा हो गईं! ये टैटू रमीज के लिए बनवाया था उसने... गजब की गांड मारता था वो... ये टैटू अपने पति को मारने की साजिश के बाद बनवाया था! रमीज की याद से आज भी उसके बदन में सरसरी दौड़ जाती थी...
“उम्म्म्ह... लल्लन जी...”
....चपाट... हौले से लल्लन ने गांड पर ताली बजाई!
“अच्छा किसके लिए बनवाया था ये तो जानने का हक है हमें?” अपना कुरता उतारते हुए लल्लन जी ने पूछा!
“उम्म्म... वो.. वो...”
“वो..वो क्या कर रही है....”
“वो उनके लिए बनवाया था मैंने... हनीमून पर ही...”
“अच्छा... हाहाहा... जो भी हो... गांड की शोभा बढ़ा दी इस टैटू ने...” पैजामे का नारा खींचते हुए लल्लन जी ने कहा!
(यूं तो परसों भी लल्लन जी ने मालती की ली थी पर दारू के नशे में गौर नहीं किया था टैटू पर)
और फिर कच्छा उतार कर लल्लन जी मालती के ऊपर आगये!
लौड़े को पीछे से ही मालती की जाँघों के बीच चूत के पास सरका दिया और अपने बदन का भार मालती के जिस्म पर डाल दिया..
लौड़ा हौले हौले जाँघों के बीच और भी बड़ा हो रहा था और ऊपर लल्लन जी अपना जलवा बिखेरने में लगे हुए थे! इस खेल के उस्ताद जो थे लल्लन जी! मालती का सैंडबिच बना हुआ था इस समय-बेड और लल्लन जी के बीच!
उसकी आह...उम्म्ह की आवाजों से लल्लन जी का जोश और बढ़ रहा था! दोनों हाथों से पकड़ कर मालती की कमर को थोड़ा ऊपर उठाया और लौड़ा सीधा जी-स्पॉट तक अन्दर सरका दिया! “आउच...” अचानक हुई इस शरारत से मालती चिलक उठी...
अगला स्ट्रोक तो और भी अन्दर तक गया... “हाय रे लौड़ा है या लोहे का सरिया....उईइ माँ... मर गई... आह” लल्लन गहरे गहरे धक्के लगाये जा रहा था...
“आह ऊह... आईई... औहह...” मालती धक्कों के साथ आहें भर रही थी!
और लल्लन किसी इंजन की तरह पीछे से उसकी चूत में धक्के लगाए जा रहा था!
“ऊई आह ... उफ्फ्फ...”
“आह ये ले ... हौं... हौं... ले ....” लल्लन के धक्के और भी तेज़ और गहरे होते जा रहे थे!
परसों तो लल्लन जी नशे में थे... पर आज... आज पूरे होश में मालती मिश्रा को चोद रहे थे... अपनी नई कामायनी की योनि को पूरी लगन से भोग रहे थे!
लल्लन जी ने एक झटके में अपना लंड मालती की चूत से निकाला... और मालती को सीधा किया... मालती ने लल्लन का लंड पकड़ कर फिर से अपनी चूत पे सटा दिया... मालती की इतनी चिलक देख कर लल्लन जी ने एक बार फिर पूरा लौड़ा एक झटके में मालती की बच्चेदानी तक अन्दर ठांस दिया... मालती ने अपनी दोनों टाँगे लल्लन के जिस्म पे लपेट लीं... लल्लन ने अपने हाथ मालती के पीछे ले जाकर उसे थोड़ा ऊपर उठा लिया और अपने सीने में जकड़ लिया... और फिर मालती को इसी पोज़ में चोदने लगा! आह... जन्नत में थी मालती इस समय... उसकी आहें और सिसकियाँ... लल्लन जी के जोश को और भी बढ़ा रही थी! आह... ऊह... उईइ... लल्लन जी... आह... और फिर लल्लन जी भी खुद पर काबू नहीं रख पाए और मालती की चूत के अन्दर ही पिचकारी मार दी!
और फिर मालती को पीछे लिटा कर खुद भी मालती के ऊपर निढाल हो गए!
“कमाल की हो तुम... सच में... मजा आ जाता है तुमको चोदने में”
मालती शर्मा गई... “आप भी तो हैं... कमाल के”
“उसमे भी कोई शक है... हाहाहा...” मालती की गांड पे स्पैंक करके बोला...
मालती लल्लन के और करीब आ गई... और अपनी जांघ लल्लन के ऊपर चढ़ा ली!
“नहीं लल्लन जी... शक... और आप पर... न बाबा न”
“वादा करते हैं हम तुमसे... कमी खलने नहीं देंगे मिश्रा जी की तुम्हे...”
मालती लल्लन की पीठ पर हाथ फिराती है और अपना सर लल्लन के सीने में छुपा लेती है!
“मिश्रा जी के बाद किसी ने ली है तुम्हारी?” लल्लन ने मालती की गांड सहलाते हुए पूछा!
“छी... कैसी कैसी बातें करते हैं आप..” मालती मुस्कुराती हुई बोली!
“अरे इतने साल... बिना चुदे... ये तो दुनिया का सबसे बड़ा अत्याचार होगा न” लल्लन जी ने फिर छेड़ा!
“उम्म्म.... आप भी न कुछ भी बोलते हैं!”
“अच्छा चल शादी के बाद का छोड़... शादी के पहले का बता... कितनों ने चोदा था तुझे कॉलेज में?”
मालती शर्मा गई...
“अरे हमसे का शर्मा रही हो... अंदाजा है हमको तुम्हारे बारे में... काफी गुल खिलाये होंगे तुमने”
मालती से इस तरह किसी ने नहीं पूछा था ये सवाल... उसकी सहेलियों ने भी नहीं... और लल्लन के मुह से ऐसी बाते सुन कर तो वो लाल हुई जा रही थी...
लल्लन का लंड दुबारा लोहा बन चूका था, इरादे तो पहले से ही नेक नहीं थे!
मालती अपनी जाँघ लल्लन के लंड को दबा रही थी!
“चल मेरी जान... होजा तैयार....”
“कहाँ ले चल रहे हैं जो तैयार हो जाऊं”
“जन्नत.... जन्नत दिखाते हैं तुम्हे आज....” स्पैंक करते हुए लल्लन ने कहा और मालती को पलट दिया, अब लल्लन मालती के पीछे था... और पीछे आते ही अपना लंड मालती की गदराई गांड में फँसाकर हम्प करने लगा!
“हाय रे... अभी बुझी नहीं आपकी प्यास?”
“अरे तुझे देख के तो मेरी प्यास और भी बढ़ जाती है ....” और अपना लंड मालती की गांड में घुसेड़ दिया... मालती चीख उठी...
लंड अन्दर जाते ही लल्लन जी के अन्दर का जानवर बहार आ गया...
पूरा कमरा एक बार फिर से मालती और लल्लन की कामाग्नि से गरम हो चूका था... लल्लन के धक्के मालती की साँसों से भी तेज और गहरे हो चुके थे.... मालती की आहेँ लल्लन की हवस की आग में घी का काम कर रही थीं...आह...ऊह.... फक्क्क...फच्च.... लल्लन ने मालती की गांड तब तक मारी जब तक कि वो झड़ नहीं गया! और फिर मालती ने लल्लन के लंड को अपने मुह से साफ़ किया! दोनों नंगे ही एक दूसरे से लिपट कर सो गए!
जैसा कि मैंने आपको पहले भी बताया है कि लल्लन जी को सुबह जल्दी उठने की आदत है.... तो आज भी लल्लन जी सुबह जल्दी उठ गए, अब लल्लन जी उठने के बाद मालती को कैसे सोने दे सकते थे! सुबह उठ कर मालती ने उन्हें मोर्निंग ब्लोजॉब दिया और फिर दोनों ने साथ में नहाया! नहाते वक्त भी लल्लन जी ने मालती को एक बार चोदा!
नशा सा हो गया था लल्लन को अब मालती के जिस्म का... और शायद मालती को भी! नहाने धोने के बाद दोनों बाहर लॉन में बैठ कर नाश्ता कर रहे थे!
“तुमको कौनो आपत्ति तो नहीं न है...? देखो हम इस मामले में थोड़े कच्चे हैं.... वो क्या है कि शास्त्रों में लिखा है कि औरत का काम होता है मर्दों की सेवा करना...और फिर ऊपर वाले ने सामान किस लिए दिया है? मजे लेने के लिए... तुम्हे भी तो आता है न मजा? नहीं आता?” लल्लन ब्रेड पे बटर लगाते हुए बोला!
लल्लन की बात सुन कर मालती शर्मा गई...उसके मुह से एक शब्द भी नहीं निकला!
“शर्माती हुई और भी खूबसूरत लगती हो तुम...”
मालती और भी शर्मा गई...
“अच्छा एक बात पूछें?”
“पूछिये”
“सामान पसंद आया न हमरा?”
“आप भी न....” मालती ने शर्माते हुए नज़रें नीचे झुका लीं!
“अरे बताओ न... चुद्वाते समय तो बड़ा उछल उछल के लेती हो... अब काहे शर्मा रही हो”
“लल्लन जी....प्लीज़...”
“क्या हुआ... याद आ गई क्या कल रात की?” लल्लन ने हँसते हुए पूछा!
“”जान ले लीजिये आप हमारी....”
“अरे मेरी जान... जान तो हमारा लौड़ा लेगा तुम्हारी...” मालती का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया... लौड़ा अभी भी खड़ा था!
“आपका खड़ा ही रहता है क्या हर समय?”
“24x7” मुस्कुराते हुए लल्लन ने जवाब दिया!
मालती ने हाथ हटा लिया!
“गोली तो ले लेती हो न... कही गर्भ न ठहर जाए...” लल्लन ने पूछा!
“जी वो बच्चों के बाद मैंने ओपरेशन करा लिया था...” मालती मुस्कुराती हुई बोली!
“ये तो आउर भी अच्छा है... बिन कंडोम के ही लेंगे अब तो हम”
इस पर दोनों खिलखिला कर हंसे... और फिर नाश्ता ख़तम करके चुनाव प्रचार पर निकल लिए!


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