FUN-MAZA-MASTI
मम्मी ने अपने नाज़ुक हाथों डैडी के विशाल चूतड़ों पर रख उनके लंड को अपने गिगियाते मुंह के अंदर खींचने लगीं।
लगभग आधे घंटे बाद डैडी ने अपना, मम्मी के थूक और आंसुओं से चमकता, लंड मम्मी के मुंह से लिया। मम्मी गहरी
गहरी साँसे लेने लगीं। उनके सुंदर नाक के नथुने उनके हांफने के कारण फड़क रहे थे। जैसे मेरे और अक्कू के हो जाते
थे दौड़ने के बाद।
डैडी ने मम्मी को बिस्तर पर घुटनों और हाथों के ऊपर लिटा दिया। उन्होंने मम्मी की मोटी मुलायम झाँगेँ फैला दी थीं।
मम्मी के पेशाब करने वाली जगह पर घने घुंघराले बाल थे। डैडी ने मम्मे के चूतड़ों को अपने हाथों से फैला कर अपने
मुंह से उनकी पेशाब करने की जगह को चूमने लगे। अब मम्मी की बारी थी ज़ोर से सिसकारने की।
डैडी ने अपनी अपने जीभ निकल कर मम्मी के पेशाब करने वाली दरार में उसे घुसा दिया। मम्मी तड़प कर चीख उठीं।
इस बार उनकी चीख बहुत ऊंची थी। मैंने कस कर अक्कू का हाथ दबा दिया। मुझे लगा कि डैडी ने मम्मी के पेशाब की
जगह को काट लिया था।
"अंकु मेरी चूत ज़ोर से चूसो। आँ….. ओह! ……. अंकु बहुत….. आँ …….काट लो मेरी चूत को अंकु….. ज़ोर से,
और ज़ोर से……. ," मम्मी की चीखें वास्तव में आनंद की थीं। उनके पेशाब करने वाली दरार का नाम भी हमें पता चल
गया था।
डैडी ने अपनी लम्बी जीभ से ना केवल मम्मी की चूत चाटी पर उनकी टट्टी करने वाले छेद को भी चाट रहे थे। डैडी को
मम्मी का टट्टी करने वाला छेद बिलकुल बुरा नहीं लग रहा था।
"अंकु, ….ओह …. माँ ……। क्या कर रहे आँ………। मैं झड़ने वाली हूँ। मेरी गांड चाटो और चाटो……, प्लीज़…," मम्मी
ने चीख कर डैडी से कहा।
डैडी ने अपनी जीभ की नोक मम्मी की गांड के छेद के अंदर दाल दी और उनकी उंगलिया मम्मी की चूत को रगड़ रहीं
थी।
डैडी ने तड़पती कांपती मम्मी को कस कर दबोच लिया और उनकी गांड चाटना नहीं रोका , "अंकु…. अब रुक जाओ।
मैं झड़ चुकी हूँ। "
पर डैडी नहीं रुके और हम दोनों को बहुत आश्चर्य हुआ जब कुछ ही क्षणों में मम्मी ने 'रुक जाओ' की रट के जगह 'और
चाटो' की रट लगा दी। मम्मी ने चार बार चीख कर अपने झड़ने की गुहार लगाई। अब तक मैं और अक्कू समझ गए
जो अक्कू को स्नानगृह में हुआ था , उसे झड़ना कहते हैं।
डैडी ने आखिर कांपती मम्मी को मुक्त कर दिया। उनका डरावना लंड किसी खम्बे की तरह हिल-डुल रहा था। डैडी ने
फुफुसा कर मम्मी से कुछ कहा। मम्मी कुछ थकी हुई सी लग रहीं थीं। हमें डैडी और मम्मी के बीच हुए वो वार्तालाप नहीं
सुनाई पड़ा।
डैडी ने पास की मेज़ से एक ट्यूब निकाल कर उसमे से सफ़ेद जैली जैसी चीज़ अपने लंड के ऊपर लगा ली और फिर
ट्यूब की नोज़ल को मम्मी की गांड के छेद में घुस कर उसे दबा दिया। अक्कू और मैं अब बिलकुल अनभिज्ञ थे कि अंदर क्या हो रहा था।
डैडी ने अपना डरावना लंड मम्मी की गांड के ऊपर रख एक ज़ोर से धक्का दिया। डैडी का बड़े सेब से भी मोटा सूपड़ा एक
धक्के में मम्मी की गांड के अंदर घुस गया।
"नहीईईईईन…… अंकु……. धीईईईईईईरे…….। हाय माँ मेरी गांड फट जायेगी…….," मम्मी की दर्द भरी चीख से उनका
शयन कक्ष गूँज उठा।
मेरे और अक्कू के पसीने छूट पड़े। डैडी मम्मी को कितना दर्द कर रहे थे पर उनके चीखने पर भी रुकने की जगह डैडी ने एक
और धक्का मारा। अक्कू और मेरी फटी हुई आँखों के सामने डैडी का मोटा लंड कुछ और इंच मम्मी की गांड में घुस गया।
मम्मी दर्द से बिलबिला उठीं और फिर से चीखीं पर डैडी बिना रुके धक्के के बाद धक्का मार रहे थे। बहुत धक्कों के बाद डैडी
का पूरा लंड मम्मी की गांड में समां गया। मम्मी अब बिलख रहीं थीं। उनकी आँखों में से आंसूं बह रहे थे। उनका पूरा भरा-भरा
सुंदर शरीर कांप रहा था दर्द के मारे।
डैडी ने अपने लंड को मम्मी की गांड के और भी भीतर दबा कर मुसराये , "निर्मु, बहुत दर्द हो रहा हो तो बाहर निकाल लूँ अपना
लंड आपकी गांड से। "
अक्कू और मेरी हल्की सी राहत की सांस निकल पड़ी। आखिर डैडी को मम्मी पर तरस आ गया।
"खबरदार अंकु जो एक इंच भी बाहर निकाला। तुम्हारा लंड बना ही है मेरी चूत और गांड मारने के लिए। कब मैंने दर्द की वजह
से मैंने तुम्हे लंड बाहर निकालने के लिए बोला है ," मम्मे की दर्द भरी आवाज़ में थोडा गुस्सा और बहुत सा उल्लाहना था।
"मैं तो मज़ाक कर रहा था निर्मू। मैं तुम्हारी गांड का सारा माल मथने के बाद ही अपना लंड निकालूँगा ," डैडी ने ज़ोर से
मम्मी के भरे पूरे चौड़े चूतड़ पर ज़ोर से अपनी पूरी ताकत से खुले हाथ का थप्पड़ जमा दिया। मम्मी फिर से चीख उठीं।
मम्मी के आंसुओं से भीगे चेहरे पर दर्द के शिकन तो थी पर फिर भी हल्की से मुस्कराहट भी फ़ैल गयी थी , "हाय अंकु तुम
कितना दर्द करते हो मुझे। अंकु मेरी गाड़ मरना शुरू करो और मेरे चूतड़ों को मार मार कर लाल कर दो। अंकु आज मुझे
चोद-चोद कर बेहोश कर दो। "
मम्मी की गुहार से हम दोनों चौंक गए।
डैडी ने अपना आधे से ज़यादा लंड बाहर निकाला और एक धक्के में बरदर्दी से मम्मी की गांड में पूरा का पूरा अंदर तक घुसा
दिया।
मम्मी की चीख इस बार उतनी तेज़ नहीं थी। डैडी ने एक के बाद एक तीन थप्पड़ मम्मी के चूतड़ों पर टिका दिये। इस बार मम्मी
ने बस सिसकारी मारी पर चीखीं नहीं।
डैडी ने मम्मी के गांड में अपना लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
डैडी कभी अपने पूरा लंड को, सिवाय सुपाड़े के बाहर निकाल कर, उसे निर्ममता से मम्मी के खुली गांड में बेदर्दी से ठूंस थे ।
कभी बस आधे लंड से मम्मी की गांड बहुत तेज़ी और ज़ोर से मारते थे। जब जब डैडी की जांघें मम्मी के चूतड़ों से टकराती थीं तो
एक ज़ोर से थप्पड़ की आवाज़ कमरे में गूँज उठती थी। मम्मी का पूरा शरीर हिल उठता था।
मम्मी के विशाल भारी चूचियाँ आगे पीछे हिल रहीं थीं।
डैडी का लंड अब और भी तेज़ी से मम्मी की गांड के अंदर बाहर हो रहा था ,"अंकु और ज़ोर से मेरी गांड चोदो। ऑ…. ऑ….
अन्न…… मेरे गांड मारो अंकु……आन्ह……. और ज़ोर से……..माँ मैं मर गयी………. ," मम्मी की चीखें अब डैडी को
प्रोत्साहित कर रहीं थीं।
डैडी के मोटे भारी चूतड़ बहुत तेज़ी से आगे पीछे हो रहे थे। उनके लड़ पर मम्मी की गांड के अंदर की चीज़ फ़ैल गयी थी।
"मैं आने वाली हूँ अंकु…… आंँह……. और ज़ोर से मारो मेरी गांड आँह….. आँह…..आँह…… आँह….. आँह….. ज़ोर से चोद
डालो मेरी गांड अंकु…... फाड़ डालो मेरी गांड को…… ," मम्मी का सर पागलों की तरह से हिल रहा था। उनका चेहरा पसीने
से नहा उठा। उनके सुंदर लम्बे घुंघराले केश उनके पसीने से लथपत चेहरे और कमर से चिपक गए।
अचानक मम्मी ने लम्बी चीख मारी और उनका सारा शरीर कुछ देर तक बिलकुल बर्फ की तरह जम गया और फिर पहले की तरह
काम्पने लगा।
मम्मी एक बार फिर से झड़ रहीं थीं।
डैडी ने मम्मी के रेशमी केशों को इकठ्ठा करके उन्हें अपने बायीं हथेली पे रस्सी की तरह लपेट लिया। डैडी ने फिर बेदर्दी से
मम्मी के सुंदर बालों को पीछे खींचा। मम्मी का सर एक चीख के साथ अप्राकृतिक रूप से कमर की तरफ उठ कर मुड़ गया।
मम्मी के चेहरे पर दर्द के रेखाएं बिखरी हुईं थीं।
मम्मी बिलबिला उठीं पर उन्होंने डैडी को पुकारा, "अंकु और मारो मेरी गांड। प्लीज़ चोदो मुझे….., ज़ोर से….. और ज़ोर
से………। "
डैडी ने अब और भी ज़ोर से मम्मी की गांड मारनी शुरू कर दी। मम्मी तीन बार और झड़ गयी। डैडी रुकने का नाम ही नहीं ले
रहे थे।
जब मम्मी चौथी बार आ रहीं थीं तब डैडी ने अपना लंड मम्मी की गांड से बाहर निकाल कर उन्हें खिलोने की तरह पूरा घुमा
दिया। डैडी ने मम्मे के बालों को खींच कर उनके सुबकते मुंह में अपना लंड घुसा दिया। अक्कू और मैं सोच रहे थे कि मम्मी
डैडी का गन्दा लंड चूसने से मना कर देंगीं और डैडी मान जायेंगें।
पर मम्मी ने लपक कर डैडी का लंड अपने मुंह में ले लिया और उसे सुपाड़े से जड़ तक चूस चूस कर साफ़ कर दिया।
डैडी ने मम्मी के घने बालों को इस्तेमाल करके उन्हें एक झटके से कमर के ऊपर लिटा दिया। डैडी ने हांफती हुई मम्मी की
मोटी, भारी सुंदर जांघों को उनके कन्धों तरफ दबा दिया।
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बदनाम रिश्ते--
हमारा छोटा सा परिवार--26मम्मी ने अपने नाज़ुक हाथों डैडी के विशाल चूतड़ों पर रख उनके लंड को अपने गिगियाते मुंह के अंदर खींचने लगीं।
लगभग आधे घंटे बाद डैडी ने अपना, मम्मी के थूक और आंसुओं से चमकता, लंड मम्मी के मुंह से लिया। मम्मी गहरी
गहरी साँसे लेने लगीं। उनके सुंदर नाक के नथुने उनके हांफने के कारण फड़क रहे थे। जैसे मेरे और अक्कू के हो जाते
थे दौड़ने के बाद।
डैडी ने मम्मी को बिस्तर पर घुटनों और हाथों के ऊपर लिटा दिया। उन्होंने मम्मी की मोटी मुलायम झाँगेँ फैला दी थीं।
मम्मी के पेशाब करने वाली जगह पर घने घुंघराले बाल थे। डैडी ने मम्मे के चूतड़ों को अपने हाथों से फैला कर अपने
मुंह से उनकी पेशाब करने की जगह को चूमने लगे। अब मम्मी की बारी थी ज़ोर से सिसकारने की।
डैडी ने अपनी अपने जीभ निकल कर मम्मी के पेशाब करने वाली दरार में उसे घुसा दिया। मम्मी तड़प कर चीख उठीं।
इस बार उनकी चीख बहुत ऊंची थी। मैंने कस कर अक्कू का हाथ दबा दिया। मुझे लगा कि डैडी ने मम्मी के पेशाब की
जगह को काट लिया था।
"अंकु मेरी चूत ज़ोर से चूसो। आँ….. ओह! ……. अंकु बहुत….. आँ …….काट लो मेरी चूत को अंकु….. ज़ोर से,
और ज़ोर से……. ," मम्मी की चीखें वास्तव में आनंद की थीं। उनके पेशाब करने वाली दरार का नाम भी हमें पता चल
गया था।
डैडी ने अपनी लम्बी जीभ से ना केवल मम्मी की चूत चाटी पर उनकी टट्टी करने वाले छेद को भी चाट रहे थे। डैडी को
मम्मी का टट्टी करने वाला छेद बिलकुल बुरा नहीं लग रहा था।
"अंकु, ….ओह …. माँ ……। क्या कर रहे आँ………। मैं झड़ने वाली हूँ। मेरी गांड चाटो और चाटो……, प्लीज़…," मम्मी
ने चीख कर डैडी से कहा।
डैडी ने अपनी जीभ की नोक मम्मी की गांड के छेद के अंदर दाल दी और उनकी उंगलिया मम्मी की चूत को रगड़ रहीं
थी।
डैडी ने तड़पती कांपती मम्मी को कस कर दबोच लिया और उनकी गांड चाटना नहीं रोका , "अंकु…. अब रुक जाओ।
मैं झड़ चुकी हूँ। "
पर डैडी नहीं रुके और हम दोनों को बहुत आश्चर्य हुआ जब कुछ ही क्षणों में मम्मी ने 'रुक जाओ' की रट के जगह 'और
चाटो' की रट लगा दी। मम्मी ने चार बार चीख कर अपने झड़ने की गुहार लगाई। अब तक मैं और अक्कू समझ गए
जो अक्कू को स्नानगृह में हुआ था , उसे झड़ना कहते हैं।
डैडी ने आखिर कांपती मम्मी को मुक्त कर दिया। उनका डरावना लंड किसी खम्बे की तरह हिल-डुल रहा था। डैडी ने
फुफुसा कर मम्मी से कुछ कहा। मम्मी कुछ थकी हुई सी लग रहीं थीं। हमें डैडी और मम्मी के बीच हुए वो वार्तालाप नहीं
सुनाई पड़ा।
डैडी ने पास की मेज़ से एक ट्यूब निकाल कर उसमे से सफ़ेद जैली जैसी चीज़ अपने लंड के ऊपर लगा ली और फिर
ट्यूब की नोज़ल को मम्मी की गांड के छेद में घुस कर उसे दबा दिया। अक्कू और मैं अब बिलकुल अनभिज्ञ थे कि अंदर क्या हो रहा था।
डैडी ने अपना डरावना लंड मम्मी की गांड के ऊपर रख एक ज़ोर से धक्का दिया। डैडी का बड़े सेब से भी मोटा सूपड़ा एक
धक्के में मम्मी की गांड के अंदर घुस गया।
"नहीईईईईन…… अंकु……. धीईईईईईईरे…….। हाय माँ मेरी गांड फट जायेगी…….," मम्मी की दर्द भरी चीख से उनका
शयन कक्ष गूँज उठा।
मेरे और अक्कू के पसीने छूट पड़े। डैडी मम्मी को कितना दर्द कर रहे थे पर उनके चीखने पर भी रुकने की जगह डैडी ने एक
और धक्का मारा। अक्कू और मेरी फटी हुई आँखों के सामने डैडी का मोटा लंड कुछ और इंच मम्मी की गांड में घुस गया।
मम्मी दर्द से बिलबिला उठीं और फिर से चीखीं पर डैडी बिना रुके धक्के के बाद धक्का मार रहे थे। बहुत धक्कों के बाद डैडी
का पूरा लंड मम्मी की गांड में समां गया। मम्मी अब बिलख रहीं थीं। उनकी आँखों में से आंसूं बह रहे थे। उनका पूरा भरा-भरा
सुंदर शरीर कांप रहा था दर्द के मारे।
डैडी ने अपने लंड को मम्मी की गांड के और भी भीतर दबा कर मुसराये , "निर्मु, बहुत दर्द हो रहा हो तो बाहर निकाल लूँ अपना
लंड आपकी गांड से। "
अक्कू और मेरी हल्की सी राहत की सांस निकल पड़ी। आखिर डैडी को मम्मी पर तरस आ गया।
"खबरदार अंकु जो एक इंच भी बाहर निकाला। तुम्हारा लंड बना ही है मेरी चूत और गांड मारने के लिए। कब मैंने दर्द की वजह
से मैंने तुम्हे लंड बाहर निकालने के लिए बोला है ," मम्मे की दर्द भरी आवाज़ में थोडा गुस्सा और बहुत सा उल्लाहना था।
"मैं तो मज़ाक कर रहा था निर्मू। मैं तुम्हारी गांड का सारा माल मथने के बाद ही अपना लंड निकालूँगा ," डैडी ने ज़ोर से
मम्मी के भरे पूरे चौड़े चूतड़ पर ज़ोर से अपनी पूरी ताकत से खुले हाथ का थप्पड़ जमा दिया। मम्मी फिर से चीख उठीं।
मम्मी के आंसुओं से भीगे चेहरे पर दर्द के शिकन तो थी पर फिर भी हल्की से मुस्कराहट भी फ़ैल गयी थी , "हाय अंकु तुम
कितना दर्द करते हो मुझे। अंकु मेरी गाड़ मरना शुरू करो और मेरे चूतड़ों को मार मार कर लाल कर दो। अंकु आज मुझे
चोद-चोद कर बेहोश कर दो। "
मम्मी की गुहार से हम दोनों चौंक गए।
डैडी ने अपना आधे से ज़यादा लंड बाहर निकाला और एक धक्के में बरदर्दी से मम्मी की गांड में पूरा का पूरा अंदर तक घुसा
दिया।
मम्मी की चीख इस बार उतनी तेज़ नहीं थी। डैडी ने एक के बाद एक तीन थप्पड़ मम्मी के चूतड़ों पर टिका दिये। इस बार मम्मी
ने बस सिसकारी मारी पर चीखीं नहीं।
डैडी ने मम्मी के गांड में अपना लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
डैडी कभी अपने पूरा लंड को, सिवाय सुपाड़े के बाहर निकाल कर, उसे निर्ममता से मम्मी के खुली गांड में बेदर्दी से ठूंस थे ।
कभी बस आधे लंड से मम्मी की गांड बहुत तेज़ी और ज़ोर से मारते थे। जब जब डैडी की जांघें मम्मी के चूतड़ों से टकराती थीं तो
एक ज़ोर से थप्पड़ की आवाज़ कमरे में गूँज उठती थी। मम्मी का पूरा शरीर हिल उठता था।
मम्मी के विशाल भारी चूचियाँ आगे पीछे हिल रहीं थीं।
डैडी का लंड अब और भी तेज़ी से मम्मी की गांड के अंदर बाहर हो रहा था ,"अंकु और ज़ोर से मेरी गांड चोदो। ऑ…. ऑ….
अन्न…… मेरे गांड मारो अंकु……आन्ह……. और ज़ोर से……..माँ मैं मर गयी………. ," मम्मी की चीखें अब डैडी को
प्रोत्साहित कर रहीं थीं।
डैडी के मोटे भारी चूतड़ बहुत तेज़ी से आगे पीछे हो रहे थे। उनके लड़ पर मम्मी की गांड के अंदर की चीज़ फ़ैल गयी थी।
"मैं आने वाली हूँ अंकु…… आंँह……. और ज़ोर से मारो मेरी गांड आँह….. आँह…..आँह…… आँह….. आँह….. ज़ोर से चोद
डालो मेरी गांड अंकु…... फाड़ डालो मेरी गांड को…… ," मम्मी का सर पागलों की तरह से हिल रहा था। उनका चेहरा पसीने
से नहा उठा। उनके सुंदर लम्बे घुंघराले केश उनके पसीने से लथपत चेहरे और कमर से चिपक गए।
अचानक मम्मी ने लम्बी चीख मारी और उनका सारा शरीर कुछ देर तक बिलकुल बर्फ की तरह जम गया और फिर पहले की तरह
काम्पने लगा।
मम्मी एक बार फिर से झड़ रहीं थीं।
डैडी ने मम्मी के रेशमी केशों को इकठ्ठा करके उन्हें अपने बायीं हथेली पे रस्सी की तरह लपेट लिया। डैडी ने फिर बेदर्दी से
मम्मी के सुंदर बालों को पीछे खींचा। मम्मी का सर एक चीख के साथ अप्राकृतिक रूप से कमर की तरफ उठ कर मुड़ गया।
मम्मी के चेहरे पर दर्द के रेखाएं बिखरी हुईं थीं।
मम्मी बिलबिला उठीं पर उन्होंने डैडी को पुकारा, "अंकु और मारो मेरी गांड। प्लीज़ चोदो मुझे….., ज़ोर से….. और ज़ोर
से………। "
डैडी ने अब और भी ज़ोर से मम्मी की गांड मारनी शुरू कर दी। मम्मी तीन बार और झड़ गयी। डैडी रुकने का नाम ही नहीं ले
रहे थे।
जब मम्मी चौथी बार आ रहीं थीं तब डैडी ने अपना लंड मम्मी की गांड से बाहर निकाल कर उन्हें खिलोने की तरह पूरा घुमा
दिया। डैडी ने मम्मे के बालों को खींच कर उनके सुबकते मुंह में अपना लंड घुसा दिया। अक्कू और मैं सोच रहे थे कि मम्मी
डैडी का गन्दा लंड चूसने से मना कर देंगीं और डैडी मान जायेंगें।
पर मम्मी ने लपक कर डैडी का लंड अपने मुंह में ले लिया और उसे सुपाड़े से जड़ तक चूस चूस कर साफ़ कर दिया।
डैडी ने मम्मी के घने बालों को इस्तेमाल करके उन्हें एक झटके से कमर के ऊपर लिटा दिया। डैडी ने हांफती हुई मम्मी की
मोटी, भारी सुंदर जांघों को उनके कन्धों तरफ दबा दिया।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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