Saturday, March 23, 2013

सेक्सी कहानियाँ हर रात मामी की चुदाई

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

हर रात मामी की चुदाई

मैं अपने माँ पापा का इकलौता बेटा हूँ, लेकिन लोवर इनकम ग्रुप का परिवार
होने के नाते हम एक छोटे शहर राजपुरा मे दो कमरे वाले घर में ही रहते
हैं! पापा राजपुरा में ही एक फैक्ट्री में सुपरवाइजर हैं और माँ एक
स्थानीय स्कूल में इंग्लिश की टीचर है! मैं इकीस साल का हूँ और घर से बीस
किलोमीटर दूर अम्बाला शहर में एक सरकारी दफ्तर में नौकरी करता हूँ और
रोजाना मोटर साइकल से आता जाता हूँ! मेरे मामा मुझ से सिर्फ तीन साल बड़े
हैं और अम्बाला में ही एक ठेकेदार के पास काम करते हैं! मामा की शादी
लगभग चार वर्ष पहले हुई थी तथा मेरी बीस वर्षीय मामी के साथ अम्बाला में
ही एक कमरे वाले घर मे रहते हैं!
लगभग तीन वर्ष पहले जब मामा के ठेकेदार की एक आधी बनी हुई बिल्डिंग की
दुर्घटना में वह घायल हो कर दो माह हास्पिटल में दाखिल रहे तब माँ के
कहने पर मैं मामी कि सहायता के लिए उन्हीं के घर पर रहा! मामी दिन मे जब
घर जाती थी तब मैं मामा के पास हास्पिटल मे रहता था और फिर मामी को
हास्पिटल आने पर मैं दफ्तर चला जाता था! रात के समय मामी तो मामा के पास
हास्पिटल में ही रहती थी और मैं उनके कमरे में जा कर सो जाता था! उन्ही
दिनों मुझे मामी के नज़दीक रहने व देखने को मिला और उसके सुभाव के बारे
मे कुछ जान पाया!
मामी बहुत ही सुन्दर थी, उसका रंग बहुत ही गोरा था, नैन नक्श तीखे और
बहुत ही आकर्षक थे! एक गरीब घर की होने के कारण मामी सिंगार आदि नहीं
करती थी लेकिन इसके बाबजूद भी वह एक अदुव्तिये सुन्दरी दिखती थी! उसके
चेहरा गोल और गोरा था, उसकी आँखे हिरनी जैसी थीं, उसके गाल प्राकृतिक
गुलाबी थे, होंठ गुलाब कि पंखड़ियों की तरह पतले थे, काले काले बाल लंबे
और घने थे! कियोंकि वह ब्रा नहीं पहनती थी इसलिए उसके पतले ब्लाउज मे से
उसके गोल गोल उभरे हुए, सख्त तथा ठोस वक्ष स्थल दिखाई देते थे तथा उन पर
लगी डोडीयां गहरे भूरे रंग की दिखतीं थीं! उसकी पतली कमर और नाभि स्थल
बहुत ही मनमोहक दिखतीं थीं! उसकी जांघें सुडोल लगती थीं और टांगें पतली
और लंबी थीं! एक बार जब हास्पिटल में वह मामा के पास वह बेड पर टांगें
ऊंची कर के बैठी उनके लिए फल काट रही थी तब उसकी साड़ी थोड़ी ऊंचीं हो गई
और मुझे उसके गुप्त स्थान की झलक दिख गई थी! मामी ने पेंटी नहीं पहनी हुई
थी और उसके जघनासिथ पर घने काले काले बाल थे, उसकी चूत के पतले होंठ
थोड़े खुले हुए थे!
लगभग दो महा हास्पिटल में रहने के बाद डॉक्टर ने मामा को घर ले जाने की
छुट्टी तो दे दी लेकिन जाने से पहले मामी और मुझे बताया कि मामा की रीढ़
की हड्डी मे कुछ नसें दब गई हैं! उन नसों मे रक्त स्त्राव की कमी के कारण
उनका शिश्न लंबा और खड़ा नहीं हो सकेगा और वह किसी भी स्त्री के साथ
सम्भोग नहीं कर सकेंगे! हास्पिटल से चलते वक्त डॉक्टर ने मायूस मामी को
यह आशा तो दी के समय बीतने के साथ जब देह मे ताकत आयेगी और कभी किसी झटके
के कारण उन दबी नसों पर से दबाव हट जायेगा तो मामा एक साधारण पुरुष की
तरह स्त्री सम्भोग कर सकेंगे लेकिन इसके लिए उसे इंतज़ार करनी पड़ेगी! हम
जब मामा को घर ले के आये तो वह बहुत ही कमज़ोर थे इसलिए अधिकतर बिस्तर पर
ही लेटे रहते थे और उनकी देख भाल मामी ही करती रहती थी!
मेरी माँ ने जब मामा के स्वास्थ के बारे मे जाना तो मुझे कुछ दिन मामी की
सहायता के लिए वहीँ रहने को कहा और घर में सारा राशन डलवा दिया! मैं सुबह
तैयार हो कर दफ्तर चला जाता था और शाम को घर आ कर मामा व मामी की ज़रूरत
का सामान बाज़ार से ला कर दे देता था तथा उनके काम मे हाथ बटाता था!
रविवार को मैं दिन मे अपने घर राजपुरा चला जाता था और शाम तक वापिस आ
जाता था! इस तरह छह सप्ताह बीत गए लेकिन मामा के स्वास्थ मे कुछ सुधार
आया था और वह उठने बैठने लगे लेकिन ज्यादातर खामोश और गुमसुम बैठे रहते
थे! मामी मामा को खुश रखने की बहुत कोशिश करती रहती थी लेकिन जयादा सफल
नहीं हो पाती थी! इस बीच हमने मामी के कहने पर मामा की नपुंसकता के लिए
कई और डॉक्टरों को भी दिखाया लेकिन सब ने वही बताया जो के हास्पिटल के
डॉक्टर ने कहा था!
मामा के घर में रहते मुझे आठ सप्ताह हो चुके थे और इतने दिनों तक एक साथ
रहने के कारण मामी का संकोच दूर हो गया था और वह मेरे साथ खुल कर बात भी
करने लगी थी! दिन में जब मामा सो जाते थे तब वह अपने बचपन शारारतों के
बारे में अक्सर चर्चा करती थी और कभी कभी तो वह अपने छोटे छोटे भेद भी
बता देती थी! इन्हीं भेदों में से उसने एक भेद यह भी बताया कि उसकी बाएँ
जांघ के अंदर की तरफ एक काला तिल भी है और वह उस तिल को अपना जन्म-चिन्ह
कह कर ही बताती है लेकिन किसी को दिखाती नहीं हैं! मामी ने बताया कि वह
तिल सिर्फ उसके माता पिता और उसके पति यानी मेरे मामा ने देखा है! जब
मैंने उसे वह तिल मुझे दिखने के लिए कहा तो धत: कह कर हँसती हुई वहाँ से
भाग गई! एक कमरे के घर में रहने कि वजह मामी और मुझे कुछ दिकतें तो होती
थीं लेकिन सहन करनी पड़ती थीं! अक्सर मामी को दिन मे या रात मे कपड़े
बदलने के लिए कमरे के एक कोने मे जाना पड़ता था और वह मुझे बाहर जाने को
या मुहँ दूसरी ओर कर के खड़े रहने को कहती थी! मुझे भी दिन मे नहाने के
बाद या रात मे सोने से पहले कपड़े बदलते समय मामी को मुहँ दूसरी ओर करने
या आँखें बंद करने को कहना पड़ता था!
इसी तरह ये आठ माह बीत गए थे तब एक रात जब सब सोने के लिए जब कमरे की
लाईट बंद कर दी तब बाहर से आ रही रौशनी मे मैंने देखा कि एक साया मामा की
टांगों के बीच मे झुक के बैठा हुआ उपर नीचे हिल रहा था! मैं कुछ देर तक
तो वह दृश्य देखता रहा और समझने की कोशिश करता रहा लेकिन जब कुछ समझ नहीं
आया तो मैंने उठ कर कमरे की लाईट जला दी! लाईट जलते ही मैं हैरत में आ
गया और देखा कि मामी ने मामा की लुंगी उपर कर रखी है तथा वह उनके ढीले
ढाले लौड़े को मुहँ मे ले कर चूस रही थी और उसे खड़ा करने की कोशिश कर
रही थी! मामी भी लाईट जलने पर सकते मे आ गई और शर्म के मारे उठ कर बैठ गई
तथा मामा के लौड़े को लुंगी नीचे खींच कर छुपा दिया! मैं मामी के पास जा
कर उससे बोला कि जल्दबाजी करने से कुछ हासिल नहीं होगा और उसे वक्त की
प्रतीक्षा करनी चाहिए! मेरी इस बात को सुन कर मामी रोने लगी और आंसूं
बहाती हुई कहने लगी कि अब वह अपने अंदर की ज्वाला को सहन नहीं कर सकती!
उसने मुझ से पूछा कि उसके अंदर की ज्वाला को बुझाने के लिए उसे क्या करना
चाहिए तब मुझे कोई उतर नहीं सूझा और मैं चुपचाप लाईट बंद कर के अपने
बिस्तर पर मामी की सिसकियाँ सुनते सुनते सो गया!
दूसरे दिन सुबह मैं उठ कर तेयार हो कर दफ्तर चला गया और शाम को जब घर आया
तो माहौल को कुछ गंभीर पाया! मामी मुझे चाय दे कर रसोई मे ही काम करती
रही और मैं भी बिना कुछ कहे या पूछे चुपचाप मामा के पास बैठ कर चाय पीता
रहा! मैं समझ गया था कि रात की बात से मामी शर्मिंदा है और इसलिए मेरे
सामने आने से कतरा रही थी! मामी कि इस दुविधा को दूर करने के लिए मैं कुछ
देर के लिए बाज़ार चला गया और लगभग एक घंटे बाद कुछ फल सब्जी ले कर वापिस
आया और जब वह मामी को दिए तो उसे कुछ सामान्य पाया! इसके बाद हमने खाना
खाया और सब ने कुछ देर एक साथ बैठ कर टीवी देखा! जब दस बजे तो मामी ने
मामा को दवाई दे कर उन्हें सुला दिया और फिर मेरे सामने ही अपनी साड़ी
उतार दूर फेंक दी तथा मेरे सामने वाली कुर्सी पर आ कर बैठ गई और टीवी
देखने लगी! मामी ब्रा तो पहनती नहीं थी इसलिए साड़ी न होने कि वजह से
उसकी चूचियां और उनके उपर लगी डोडीयां उसके हलके गुलाबी रंग के ब्लाउज मे
से साफ़ साफ़ दिखाई दे रहीं थी! साथ में कुर्सी पर टांगें ऊंची कर के
बैठने से मामी का पेटीकोट ऊँचा उठ गया था और मुझे उसकी बड़ी बड़ी काली
झांटो वाली चूत साफ़ दिखाई दे रही थे!
मैं कुछ देर तो वह दृश्य देखता रहा और अपने खड़े हो चुके लौड़े को हाथ से
नीचे की ओर दबाता रहा! जब बात मेरे बर्दास्त से बाहर होने लगी और कियोंकि
ग्यारह बज चुके थे इसलिए मैंने उठ कर टीवी और लाईट बंद कर दी और हम अपने
अपने बिस्तर पर सोने चले गए! लगभग दस या पन्द्रह मिनट के बाद मैंने पाया
कि मामी मेरे पास आ कर लेट गयी थी और मेरी छाती अपना हाथ फेरने लगी थी!
जब मैंने कोई प्रतिक्रया नहीं दी तो उसका हाथ नीचे की ओर सरकने लगा और
देखते ही देखते मेरा लौड़ा मेरी लुंगी के बाहर उसके हाथों मे था! मैंने
जब मामी को दूर करने की चेष्ठा करी तो पाया कि वह बिलकुल निर्वस्त्र ही
मेरे पास लेटी हुई थी और मुझे अपने साथ चिपटाने की कोशिश कर रही थी!
मुझसे भी रहा नहीं गया और मैंने मामी की ओर करवट कर ली और उसे अपनी बाहों
मे ले कर अपने बदन से लिपटा लिया! इस डर से कि मामा जाग न जाएँ मैंने
मामी को चेताया तो वह बोली कि डरने की कोई बात नहीं है कियोंकि उसे मामा
को नींद की डबल डोज़ दे दी है और वह रात भर सोते रहेंगे! फिर भी मैंने
अपनी तस्सली के लिए उठ कर कमरे की लाईट जलाई तो देखा कि मामा गहरी नींद
सोये हुए खरांठे ले रहे हैं और मामी बिलकुल नंगी मेरे बिस्तर पर लेटे हुए
हँसती हुई मुझे चिढा रही थी!
अब बात मेरे बर्दास्त से बाहर हो गई थी इसलिए मैंने अपनी लुंगी उतार कर
दूर फैंक दी और नंगा ही मामी कि ओर चल दिया! लाईट मे जब मामी ने मेरा आठ
इंच लंबा और ढाई इंच मोटा लौड़ा देखा तो अपने मुहँ पर हाथ रख कर "हाई
दैया" कहते हुए उठ कर बैठ गई! फिर मुझ से बोली कि अगर उसे पहले से पता
होता कि मेरा लौड़ा इतना लंबा और मोटा है तो वह कभी भी नहीं उसके पास
लेटने की हिम्मत करती! मेरे यह कहने पर कि अब तो वह मेरे पास लेट गई है
इसलिए अब उसे हिम्मत करनी ही पड़ेगी, वह बोल उठी "जब ओखल मे सिर दिया तो
मूसल से क्या डरना" और आगे बढ़ कर मेरे लौड़े तथा टट्टों को पकड लिया और
अपने होंठों से चूमने लगी! फिर उसने मेरे लौड़े को जैसे अपने मुहँ मे
डालने लगी, तब मैंने उसे रोक दिया और कहा कि जब तक वह मुझे अपना
जन्म-चिन्ह नहीं दिखाएगी तब तक मैं उसे कुछ नहीं करने दूंगा! तब वह बोली
कि मैं बहुत ही नटखट हूँ और फिर अपनी दोनों टाँगे खोल कर लेट गई और मुझे
उस तिल को देखने की अनुमति दे दी! मैं कुछ देर तक तो उस तिल को ढूँढता
रहा और जब नहीं मिला तो मामी से पूछा कि वह कहाँ है तब मामी ने अपनी
ऊँगली से चूत के बाएं होंठ को थोड़ा हटाया तब मुझे उसकी जांघ की जड़ में
वह काली मिर्च के दाने जितना बड़ा काला तिल दिखाई दिया!
मैं उस जन्म चिन्ह को देख कर बहुत खुश हुआ और नीचे झुक कर उसे चूम लिया!
तभी मामी ने मेरे सिर को कस के पकड़ लिया और मेरे मुहँ को अपनी चूत पर
दबा दिया तथा उसे चूसने को कहा! मैं तो पहले से उतेजित था इसलिए अपनी
उँगलियों से मामी की चूत को खोल कर उसमे जीभ मारने और चूसने लगा, उसके
मटर जितने मोटे लाल रंग के छोले को जीभ से सहलाने लगा! मामी शायद इस
आक्रमण को ज्यादा देर सहन नहीं कर सकी और कुछ ही पलों के बाद मेरी जीभ की
हर रगड पर फुदकने लगी तथा आह्ह्ह... आह्ह्ह... की आवाजें निकालने लगी!
मैंने उसकी यह हरकत देख कर जीभ को तेज़ी से चलाना शुरू कर दिया जिसके
कारण मामी बेहाल होने लगी और फिर एक दम से अकड कर अपनी चूत मे से पानी
छोड़ दिया! इसके बाद मामी के निवेदन करने पर मैं उसके उपर उल्टा हो कर
लेट गया ताकि वह मेरा लौड़ा और मैं उसकी चूत एक साथ चूस सके! लगभग दस
मिनट तक हम उस की मुद्रा मे लेटे एक दूसरे को चूसते और चाटते रहे! तभी
मामी ने अपनी दोनों टांगों मे मेरे सिर को भींच लिया और उचक उचक कर मेरे
मुहँ मे अपना पानी छोड़ने लगी! कियोंकि मैं भी बहुत उतेजित हो चुका था
इसलिए मामी के पानी निकलते ही मैं भी छूट गया और मेरे लौड़े ने मामी के
मुहँ को मेरे वीर्य से भर दिया!
इसके बाद हम सीधे हो कर एक दूसरे से चिपक के लेट गए तब मैंने मामी से कहा
कि उसकी झांटें बहुत बड़ी है और इसलिए मुझे चूसने मे दिक्कत हो रही थी!
उसके बाल बार बार मेरी नाक ने जा रहे थे जिससे मुझे छींक आ रही थी तब
मामी उठ कर अलमारी से रेज़र और ब्लेड ले आई और बोली के मैं उन्हें साफ़
कर दूं! मैं उठ के पानी और शेविंग ब्रश व क्रीम ले आया और मामी को नीचे
लिटा कर उसकी चौड़ी करी हुई टांगों के बीच मे बैठ कर शेविंग ब्रश व क्रीम
और पानी से खूब सारी झाग बनाई! जब मामी की चूत और उसके चारों ओर की सारीं
झांटें उस झाग में ढक गयी तब मैंने रेज़र मे ब्लेड लगा कर उसकी चूत के
उपर से सारीं झांटें साफ़ कर दी! मामी की चूत एक दम चिकनी हो कर कमरे मे
जल रही लाईट मे लिश्कारे मारने लगी थी और उसका जन्म-चिन्ह (तिल) एक
नज़र-बटू की तरह चमकने लगा था!
उस चमकती चूत के नज़ारे और उसके खुलते बंद होते होंट देख कर मैं बहुत ही
उत्तेजित हो उठ था इसलिए मैं पलट कर मामी के उपर की मुद्रा मे लेट गया और
उसके मुहँ में लौड़ा डाल दिया तथा अपना मुहँ उसकी चिकनी चूत पर रख दिया!
मामी मेरा मकसद समझ गई थी इसलिए उसने तुरंत ही मेरे लौड़े को चूसना शुरू
कर दिया और मैं उसकी चूत के अंदर तक अपनी जीभ घुमाने लगा! लगभग पांच मिनट
के बाद मामी ने पानी छोड़ तब मैं उठ कर मामी से अलग हुआ और सीधा हो कर उस
के उपर लेट गया तथा अपना लौड़ा मामी के हाथ मे दे दिया! मामी ने लौड़े को
पकड लिया और अपनी चूत के खुले हुए होंठों के बीच मे रख दिया और सिर हिला
कर मुझे हरी झंडी दिखा दी! मेरे हलके से धक्का देने पर ही मेरे लौड़े कि
टोपी मामी की चूत के अंदर चली गई और मामी जोर से चिल्ला पड़ी
ऊईईईइमाँआआ............... ऊईईईइमाँआआ............... हाई माँ मर गई
रे............... इसने तो मेरी चूत का कबाडा कर दिया रे................
इसने तो उसे फाड़ कर रख दी रे..................!
मामी की इन चीखों की चिंता किये बिना मैंने एक धक्का और लड़ाया तो मेरा
आधा लौड़ा चूत के अंदर धस गया जिससे मामी और जोर से चिल्ला कर मुझे कहने
लगी "मैंने इतने सम्भाल कर रखा हुआ था इसे और तूने इस का कबाडा कर दिया
रे................ तूने तो उसे फाड़ कर रख दी रे..................,
बाहर निकाल इस साले मूसल को, मुझे तेरे से चूत नहीं मरवानी!" मैं उसकी
आवाजें सुनता रहा और नीचे की ओर दबाव बढाता रहा जिससे लौड़ा चूत के अंदर
की ओर आहिस्ता आहिस्ता सरकने लगा! मामी के झडे हुए पानी की वजह से उसकी
चूत के अंदर भी फिसलन हो गई थी जिससे मेरा लौड़ा दबाव के कारण तेजी से
अंदर घुसने लगा और मामी को पता भी नहीं चला कि कब पूरा लौड़ा उसके अंदर
जा कर फिट हो गया था! मैं कुछ देर तो वैसे ही चुपचाप मामी के उपर लेटा
रहा! मुझे कुछ देर तक न हिलते हुए देख कर मामी ने कहा कि अब उसकी दर्द
दूर हो गई है और मैं उसकी चुदाई चालू कर सकता हूँ!
मामी के कहने पर मैं थोड़ा ऊँचा हो कर, लौड़े की टोपी को चूत के अंदर ही
रखते हुए, लौड़े को बाहर खींचा और फिर तेज़ी से अंदर डाल दिया! इसके बाद
मैं लौड़े को धीरे धीरे अंदर बाहर करता रहा और मामी उचक उचक कर मेरा साथ
देती रही! दस मिनट की चुदाई के बाद मामी बोली कि मैं तेज़ी से करूं, तब
मैंने अपनी गति बढ़ा दी और दे दनादन पेलने लगा! मामी को शायद आनंद आ रहा
था इसलिए आह्ह्ह....... आह्हह्ह...........
आह्हह्हह्हह्हह............... करती हुई मेरे धक्कों का जवाब अपनी चूत को
उपर की तरफ उचका उचका कर देती रही! पांच मिनट के बाद मामी पहले तो एकदम
से अकड़ी और चिल्लाई आईईईईईईइ.....................
आईईईईईईईई..................... उईईईईईईईई....................
उईईईईईईईईईइ................. फिर उसकी चूत ने सिकुड़ कर मेरे लौड़े को
जकडा तथा उसे अंदर खींचा तब मामी चिल्लाई ऊईईईइमाँआआ...............
ऊईईईइमाँआआ............... और अपना पानी छोड़ दिया!
जैसे ही चूत की जकड़ ढीली हुई तब मैं फिर से धक्के देने लगा और मामी हर
तीन मिनट की चुदाई के बाद चिल्लाती, अकड़ती, लौड़े को जकडती और पानी
छोड़ती! इस तरह जब पांचवीं बार मामी का पानी छूटा तब मेरे लौड़े मे भी
अकडन हुई और एक झनझनाहट के साथ मेरे लौड़े ने मामी की चूत के अंदर ही
वीर्य की बौछार कर दी! मामी एकदम से चिल्ला उठी और कहने लगी "यह मेरे
अंदर क्या डाल दिया है तुने! आग लगा दी है मेरी चूत में! मैंने आज तक चूत
में इतनी गर्मी महसूस नहीं करी जितनी अब हो रही है!" मैंने मामी को
समझाया कि अगर शुक्राणु ज्यादा सक्रिय होते है तो ज्यादा गर्मी महसूस
होती है, तब मामी बोली कि इसका मतलब है कि तेरे मामा के शुक्राणु तेरे
शुक्राणु से कम सक्रिय है कियोंकि मुझे उनके वीर्य से तो इतनी गर्मी
महसूस नहीं होती थी! मेरे हाँ कहने पर मामी ने पूछा कि क्या ज्यादा
सक्रिय शुक्राणु के कारण वह जल्द गर्भवती हो सकती है! जब मैंने कहा कि वह
मेरे वीर्य से गर्भवती हो सकती है तो वह मुझ पर गुस्सा करने लगी कि मैंने
उसके अंदर वीर्य क्यों छोड़ा! मैंने मामी से इसके लिए माफ़ी मांगी और उसे
आश्वासन दिया कि आगे से मैं जब भी उसे चोदूंगा तब कंडोम पहना करूँगा या
फिर लौड़े को बाहर निकाल कर उसके बदन के उपर ही वीर्य की बौछार करूँगा!
इसके बाद मैंने अपना लौड़ा मामी की चूत से बाहर निकला तो मामी ने लपक कर
उसे पकड़ लिया और चाट चाट कर साफ़ कर दिया तथा खुद को साफ़ करने के लिए
गुसलखाने चली गई! कुछ देर के बाद वह आई और मुझे और मेरे लौड़े को चूम कर
मामा के पास सोने चली गई! इसके बाद मैं मामा के घर अगले चार महीने और रहा
तथा हर रात मामी की चुदाई बिना कंडोम के ही करता रहा और अपना वीर्य उसकी
चूत मे डाल कर आखिर उसे गर्भवती कर दिया! मामा को मेरे द्वारा मामी को
गर्भवती करने का पता चल गया था लेकिन अपने नपुंसक कहलाने के डर से कुछ
नहीं बोले और मामी की खुशी के लिए उस बच्चे को स्वीकार कर लिया तथा मामी
के सामने ही मुझे उसे खूब चोदने के लिए इज़ाज़त दे दी! आज वह बच्चा दो
वर्ष का है और मामा मामी के पास ही रहता है! मैं उस बच्चे से मिलने के
बहाने उनके घर सप्ताह मे दो दिन ज़रूर जाता हूँ और उन दोनों दिनों को
मामी को ज़रूर चोदता हूँ! कभी कभी जब मामा घर पर ही होतें है तब भी हम
बच्चे को उन्हें थमा के उन्हीं के सामने चुदाई के मज़े लेते हैं!







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