Monday, February 11, 2013

सेक्सी कहानियाँ दीदी की ससुराल

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

दीदी की ससुराल

प्रेषक : वरुण जोशी

हाय दोस्तो, मेरा नाम वरुण है, मैं भोपाल का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र
उन्नीस साल और मैं सांवले रंग का हूँ। लगभग एक साल से मैं हिंदी सेक्सी
कहानियाँ का नियमित पाठक हूँ। हिंदी सेक्सी कहानियाँ की कहानियाँ पढ़ने के
बाद मेरा लौड़ा चुदाई करने के लिए फनफना जाता था पर चूत का जुगाड़ न होने
पर मैं मुठ मार कर ही शांत हो जाता था।

हिंदी सेक्सी कहानियाँ पर यह मेरी पहली और सच्ची कहानी है, जो आज से तीन
महीने पहले घटी है। मैं कॉलेज में प्रथम वर्ष का छात्र हूँ और जब मेरे
प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा खत्म हुई तो मैं 15-20 दिन के लिए फ्री हो
गया, तो मैंने छुट्टियों में इंदौर जाने का फ़ैसला किया जहाँ मेरी बड़ी
दीदी रहती हैं। उनकी शादी आज से दो साल पहले हो गई थी और अब वो इंदौर में
ही रहती हैं। मेरी दीदी का नाम आरती, उम्र 23 साल है, उनका रंग गोरा और
उनका फीगर एकदम मस्त है, पर मैंने अपनी दीदी को चोदने के बारे में कभी
नहीं सोचा, हम दोनों का रिश्ता हमेशा से ही भाई-बहन तक सीमित रहा है।

तो मैंने दीदी की ससुराल जाने का और वहाँ एक सप्ताह रहने का प्लान बना
लिया, मैं इंदौर के लिए सुबह घर से निकल गया और ट्रेन से दो बजे तक इंदौर
पहुँच गया, वहाँ जीजाजी मुझे लेने पहुँच गए और हम आधे घंटे में दीदी के
ससुराल पहुँच गए।

दीदी ने मुझे देखते ही गले लगा लिया क्योंकि हम बहुत समय बाद मिल रहे थे।
दीदी को देख कर तो मेरे होश ही उड़ गए, वो पहले से भी ज्यादा सुडोल और
फूली हुई लग रही थी और उनके स्तन पहले से कहीं ज्यादा बड़े लग रहे थे, उस
समय मुझे दीदी को देख कर उन्हें चोदने का मन करने लगा। इन सबके बाद मैंने
घर पर खाना खाया और सभी घर वालों से बात करने लगा पर दीदी ने मुझे टोक कर
कहा- तुम थक गए होगे इसलिए थोड़ा आराम कर लो !

और मैं भी सोने के लिए चला गया। मैं चार बजे सोया और शाम को सात बजे उठ
गया, मैंने उठने के बाद थोड़ी देर टी.वी. देखा और नौ बजे तक डिनर का वक्त
हो गया। हम सभी ने खाना खाया और बात करने लगे। यह सब होते-होते 11 बज गए
और सबका सोने का समय हो गया।

दीदी को पता था कि मैं थोड़े शर्मीले स्वभाव का हूँ इसलिए दीदी ने मुझे
अपने साथ सोने को कहा।

यह सुन कर तो मेर पप्पू फुंफ़कारें मारने लगा। जीजाजी भी यह कह कर राजी हो
गए की दोनों भाई-बहन बहुत दिनों बाद मिले है, तो इन दोनों को बहुत सारी
बातें करने होगी। ये सब बातें होने के बाद सभी अपने-अपने कमरों में सोने
चले गए। दीदी के सास-ससुर एक कमरे में, देवर एक कमरे में और जीजाजी जी
अलग कमरे में और दीदी वाले कमरे में दीदी, मैं और उनकी एक साल की बच्ची
जिसका नाम कृति है सोने के लिए गए।

दीदी के कमरे में जाने के बाद मैंने देखा कि वहाँ सिंगल बेड ही था पर
मैंने सोचा कि इसमें मेरा ही फायदा है, दीदी ने लाल रंग की साड़ी पहनी
हुई थी पर मुझे पता था कि दीदी मेक्सी पहन कर सोती है। इसके बाद दीदी ने
बाथरूम में जाकर काले रंग की मेक्सी पहन ली, इसमें वो और भी सेक्सी लग
रही थी, उनके स्तनों का आकार साफ़ दिखाई दे रहा था और मैं उन्हें ही घूर
रहा था।

इसके बाद बेड की बाईं ओर दीदी लेट गई, दाईं तरफ मैं और बीच में मेरी एक
साल की भांजी कृति लेट गए। यह देख कर मैं निराश हो गया क्योंकि मैं दीदी
के साथ सोना चाहता था। दीदी कृति को सुलाने के लिए उसे अपने दायें स्तन
से दूध पिलाने लगी और स्तनों के ऊपर दुपट्टा डाल लिया और दीदी मुझसे बात
भी कर रही थी। मैं बीच-बीच में चुपके से दीदी के स्तनों को दुपट्टे के
ऊपर से ही निहारने की कोशिश भी कर रहा था और शायद दीदी ने मुझे यह करते
हुए देख भी लिया था।

मैं केवल अंडरवियर और बनियान में ही सोता हूँ तो उस दिन भी मैं वैसे ही
सो रहा था और मैंने एक चादर ओढ़ रखी थी। यह कहानी आप हिंदी सेक्सी
कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं।

बातें करते करते हमें साढ़े बारह बज गए और कृति भी सो चुकी थी इसलिए हम भी
सोने लगे लेकिन मैं अभी भी दीदी को चोदने के बारे में ही सोच रहा था। पर
मेरे और दीदी के बीच में कृति आ रही थी तो मैंने सोचा कि आज तो कुछ नहीं
हो सकता।

और मैं भी सोने लगा पर भगवान को तो यह मंजूर नहीं था इसलिए लगभग आधे घंटे
बाद कृति की नींद खुल गई और इससे दीदी की भी नींद खुल गई और दीदी उसे चुप
कराने लग गई पर उसके चुप न होने पर दीदी ने उसे दूध पिलाने की सोची।
क्योंकि दीदी ने पहले उसे अपने दायें स्तन से दूध पिलाया था इसलिए उसे
अपने बायें स्तन से दूध पिलाने के लिए दीदी बीच में आ गईंऔर कृति को बेड
की बाईं तरफ सुला दिया और दूध पिलाने लगी।

यह सब देख मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। थोड़ी देर बाद कृति फिर से सो गई
और दीदी की भी नींद लग गई। दीदी अपनी गांड मेरी तरफ करके सोयी हुई थी और
जैसा कि मैंने बताया था कि हम सिंगल बेड पर थे इसलिए जगह भी कम थी तो मैं
थोड़ा दीदी की तरफ सरक गया। अब मेरा लंड जो पहले से ही खड़ा हुआ था, अब
मेरी दीदी की गांड से छूने होने लगा था, मुझे इसमें बहुत मजा आ रहा था,
मैंने अपना लंड अंडरवियर के बाहर निकाल लिया और दीदी की मेक्सी के ऊपर से
ही धीरे-धीरे उनकी गांड मारने लगा।

अभी तक दीदी की नींद नहीं खुली थी तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई और अब मैंने
पीछे से दीदी के कंधे पर हाथ रखकर उन्हें सीधा लेटा दिया, दीदी ने थोड़ी
बहुत हलचल की पर वो अभी भी नींद में ही थी। दीदी का एक स्तन अभी भी बाहर
ही था क्योंकि उन्होंने कृति को दूध पिलाने के बाद उसे अन्दर नहीं किया
था।

यह देखकर मैंने अपना एक हाथ धीरे से उनके खुले स्तन पर रख दिया और उसे
सहलाने लगा और साथ में उसे दबाने भी लगा। फिर मैंने दीदी की मेक्सी के
सारे बटन खोल दिए और मुझे उनकी ब्रा दिखने लगी, मैं ब्रा के ऊपर से ही
दीदी के चूचों को मसल रहा था और दीदी अभी भी सोयी हुई थी तो मैंने अपना
एक हाथ दीदी की जांघ पर रख दिया और उसे ऊपर से ही सहलाने लगा। फिर मैंने
धीरे-धीरे अपना हाथ दीदी की चूत के ऊपर रख दिया और मेक्सी के ऊपर से ही
चूत की दरार में अपनी उंगलियाँ फेरने लगा।

थोड़ी देर बाद दीदी मुझे कुछ कसमसाती लगी, मुझे लगा कि दीदी की नींद खुल
गई, इसलिए मैंने जल्दी से अपना हाथ हटा लिया और बिल्कुल भी नहीं हिला।
लेकिन दीदी का कोई भी विरोध न करने पर मेरी हिम्मत बढ़ गई पर मेरे हाथ-पैर
कांप भी रहे थे, लेकिन मैंने हिम्मत करके फिर से दीदी की चूत पर हाथ रख
दिया और उसे जोर-जोर से मसलने लगा और अब शायद दीदी भी जग चुकी थी, दीदी
ने थोड़ी देर बाद अपनी आँखें खोल ली और उनके कुछ कहने से पहले मैंने अपने
होंठ उनके होंठों से मिला दिए और उन्होंने भी मेरा कोई विरोध न करते हुए
मेरा साथ दिया।

पांच मिनट तक हम दोनों ने एक दूसरे को चूमते रहे और इसके बाद दीदी ने
मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और उसे हिलाने लगी।

मैंने भी दीदी की मेक्सी ऊपर करके उनकी जांघों से होता हुआ उनकी चूत पर
पहुँच गया और सहलाने लगा। दीदी की पेंटी पूरी गीली हो चुकी थी तो मैंने
पहले दीदी को उनकी मेक्सी उतारने को कहा और अब वो मेरे सामने सिर्फ ब्रा
और पेंटी में थी, उनका बदन एकदम दूध जैसा गोरा था, उनके स्तन काफी कड़े हो
चुके थे। मैंने उनकी ब्रा भी उतार फेंकी, उनके स्तन बहुत बड़े थे और मैं
पहली बार इतने पास से किसी औरत के स्तन देख रहा था।

मैंने स्तनों को बहुत चूसा और फिर दीदी की पेंटी उतार दी। उनकी चूत को
देख कर मैं हैरान रह गया, उनकी चूत पर छोटे-छोटे बाल थे जो उसकी शोभा बढ़ा
रहे थे। फिर मैंने जल्दी से अपने कपड़े उतारकर उनकी टाँगें चौड़ी कर दी।
दीदी की चूत के दोनों होंठ बिल्कुल गुलाबी थे।

जैसे ही मैंने उनकी चूत पर अपना हाथ रखा, मुझे अपने हाथ में असीम गर्माहट
का एहसास हुआ और दीदी भी बहुत गर्म हो चुकी थी और आ आ आ ऊ ऊ ऊ के स्वर
निकाल रही थी। इसे सुनकर मैं और भी उत्तेजित हो रहा था।

इसके बाद हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए और मैं उनकी चूत चाट रहा था
जबकि वो मेरे लंड को बड़े चाव से चूस रही थी।

लगभग 15 मिनट चूसने के बाद दीदी बोली- वरुण, अब नहीं रुका जाता, जल्दी से
अपना लंड मेरी चूत में डाल दे।

फिर मैंने दीदी की दोनों टांगों को अपने कंधों पर रखा और अपने लंड के
सुपारे को दीदी की चूत पर रखकर जोर का धक्का लगाया और मेरा आधा लंड दीदी
की चूत में चला गया।

दीदी अपने मुख से कामुक आवाजें निकाल रही थी और कह रही थी- फाड़ दे आज
मेरी चूत ! और जोर से ! और जोर से।

इसके बाद मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार और बढ़ा दी और करीब दस मिनट हिलने
के बाद मैं झड़ गया और दीदी के ऊपर ही लेट गया।

पर मैं कहाँ अभी मानने वाला था, लगभग 15 मिनट बाद मैं फिर से दीदी को
चोदने के लिए तैयार हो गया और इस बार मैंने दीदी को अलग प्रकार से चोदा।
इस वाले दौर में दीदी भी झड़ गई। बाद में दीदी ने मेरा पूरा लंड चाट कर
साफ़ कर दिया।

उस रात दीदी को मैंने दो बार और चोदा और जब तक मैं दीदी की ससुराल में
रहा, मैंने दीदी को खूब चोदा और उनकी गांड भी मारी।

फिर मैं भोपाल वापस आ गया और अब दीदी से फ़ोन पर ही सेक्स की बातें होती
हैं। उसके बाद से मैंने अभी तक किसी और लड़की की चूत नहीं मारी पर मैं इधर
से उधर चूत मारने के लिए लड़कियों को ढूंढता फिरता हूँ।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे अवश्य बताएँ।

varunjoshi2907@gmail.com









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